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अध्याय -2
दो ध्रुवीयता का अंत
by
Dr. Sushma Singh (Core Academic Unit DoE GNCT of Delhi)
पाठ के अंत में हम जान पाएगे:
शीतयुद्ध की प्रतीक 1961 में बनी बर्लिन की दीवार को 9 नवम्बर 1989 को जनता के द्वारा
तोड़ ददया गया ।
25 ददसम्बर 1991 को सोववयत संघ का ववघटन हो गया ।
1. सोववयत संघ का जन्म, व्यवस्था (प्रणााली)
2. सोववयत प्रणााली की ववशेषताएँ
3. दूसरी दुननया
4. र्मखाइल गोबािचेव
5. सोववयत संघ समाप्तत की घोषणाा
6. सोववयत संघ के ववघटन के कारणा
7. सोववयत संघ के ववघटन के पररणााम
8. शाक थेरेपी
9. शाक थेरेपी की ववशेषताएँ
10. शाक थेरेपी के पररणााम
11. संघषि व तनाव के क्षेत्र
12. बाल्कन क्षेत्र
13. बाप्ल्टक क्षेत्र
14. मध्य एर्शया
15. पूवी साम्यवादी देश और भारत
2
1. सोववयत संघ का जन्म, व्यवस्था (प्रणाली)
1917 की रूसी बोलशेववक क्ांनत के बाद समाजवादी सोववयत संघ गणाराज्य (USSR) अप्स्तत्व
में आया ।
सोववयत संघ में समतावादी समाज के ननमािणा के र्लए कें द्रीकृ त योजना, राज्य के ननयंत्रणा पर
आधाररत और साम्यवादी दल द्वारा ननदेर्शत व्यवस्था सोववयत प्रणााली कहलाई ।
2. सोववयत प्रणाली की ववशेषताएँ
1. सोववयत प्रणााली पूंजीवाद व्यवस्था का ववरोध तथा समाजवाद के आदशों से प्रेररत थी ।
2. सोववयत प्रणााली में ननयोप्जत अथिव्यवस्था थी ।
3. कम्यूननस्ट पाटी का दबदबा था ।
4. न्यूनतम जीवन स्तर की सुववधा ।
5. बेरोजगारी न होना ।
6. उन्नत संचार प्रणााली ।
7. र्मप्ल्कयत का प्रमुख रूप राज्य का ननयंत्रणा ।
8. उत्पादन के साधनों पर राज्य का ननयंत्रणा था ।
3. दूसरी दुननया
पूवी यूरोप के देशों को समाजवादी प्रणााली की तजि पर ढाला गया था, इन्हें ही समाजवादी खेमे
के देश या दूसरी दुननया कहा गया ।
4. ममखाइल गोर्ााचेव
1980 के दशक में र्मखाइल गोबािचेव ने राजनीनतक सुधारों तथा लोकतान्त्रीकरणा को अपनाया
उन्होने पुनिरचना (पेरेस्त्रोइका) व खुलापन (ग्लास्नोस्त ) के नाम से आर्थिक सुधार लागू ककए ।
सोववयत संघ समाप्तत की घोषणाा
1991 में बोररस येल्तर्सन के नेतृत्व में यूरोप के देशों ने तथा रूस, यूक्े न व बेलारूस ने सोववयत
संघ की समाप्तत की घोषणाा की ।
CIS (स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रकु ल) बना 15 नए देशों का उदय हुआ ।
5. सोववयत संघ के ववघटन के कारण
1. नागररकों की राजनीनतक और आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा न कर पाना ।
2. सोववयत प्रणााली पर नौकरशाही का र्शकं जा ।
3. कम्युननस्ट पाटी का अंकु श ।
4. संसाधनों का अर्धकतम उपयोग परमाणाु हर्थयारों पर ।
3
5. प्रौद्योर्गकी और बुननयादी ढांचे में पप्चचम के मुक़ाबले पीछे रहना ।
6. रूस की प्रमुखता ।
7. गोवािचेव द्वारा ककए गए सुधारों का ववरोध होना ।
8. अथिव्यवथा गनतरुद्ध व उपभोक्ता वस्तुओं की कमी ।
9. राष्ट्रवादी भावनाओं और संप्रभुता की इच्छा का उभार ।
10. सोववयत प्रणााली का सत्तावादी होना ।
11. पाटी का जनता के प्रनत जवाबदेह ना होना ।
6. सोववयत संघ के ववघटन के पररणाम
1. शीत युद्ध का संघषि समातत हो गया ।
2. एक ध्रुवीय ववचव अथाित अमरीका वचिस्व का उदय ।
3. हर्थयारों की होड की समाप्तत ।
4. सोववयत खेमे का अंत और 15 नए देशों का उदय ।
5. रूस सोववयत संघ का उत्तरार्धकारी बना ।
6. ववचव राजनीनत में शप्क्त संबंध पररवतिन हो गए ।
7. समाजवादी ववचारधारा पर प्रचनर्चन्ह या पूंजीवादी उदारवादी व्यवस्था का वचिस्व ।
8. शाक थेरेपी
शाप्ददक अथि हैं आघात पहुंचाकर उपचार करना । साम्यवाद के पतन के बाद सोववयत संघ के
गणाराज्यों को ववचव बैंक और अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष द्वारा ननदेर्शत साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर
संक्मणा (पररवतिन) के माडल को अपनाने को कहा गया । इसे ही शाक थेरेपी कहते हैं ।
9. शाक थेरेपी की ववशेषताएँ
1. र्मप्ल्कयत का प्रमुख रूप ननजी स्वार्मत्व ।
2. राज्य की संपदा का ननजीकरणा ।
3. सामूदहक फामि की जगह ननजी फामि ।
4. मुक्त व्यापार व्यवस्था को अपनाना ।
5. मुद्राओं की आपसी पररवतिनीयता ।
6. पप्चचमी देशों की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ाव ।
पूंजीवाद के अनतररक्त ककसी भी वैकप्ल्पत व्यवस्था को स्वीकार नही ककया गया ।
10. शाक थेरेपी के पररणाम
1. पूणाितया असफल, रूस का औद्योर्गक ढांचा चरमरा गया ।
4
2. रूसी मुद्रा रूबल में र्गरावट ।
3. समाज कल्याणा की पुरानी व्यवस्था नष्ट्ट ।
4. 90 प्रनतशत उद्योगों को ननजी हाथों या कं पननयों को कम दामों (औने – पौने) दामों में
बेचा गया प्जसे इनतहास की सबसे बड़ी गराज सेल कहा जाता हैं ।
5. आर्थिक ववषमता बढ़ी ।
6. खाद्यान्न संकट हो गया ।
7. माकफया वगि का उदय ।
8. कमजोर संसद व राष्ट्रपनत को आर्थिक शप्क्तयां प्जससे सत्तावदी राष्ट्रपनत शासन ।
11. संघषा व तनाव के क्षेत्र
पूवि सोववयत संघ के अर्धकांश गणाराज्य संघषि की आकांशा वाले क्षेत्र हैं । इन देशों में
बाहरी ताकतों की दखलन्दाजी भी बढ़ी हैं । रूस के दो गणाराज्यों
चेचन्या और दार्गस्तान में दहंसक अलगाववादी आंदोलन चले । चे कोस्लोवाककया दो भागों
मे - चेक तथा स्लोवाककया में बंट गया ।
12. र्ाल्कन क्षेत्र
बालक्न गणाराज्य युगोस्लाववया गृहयुद्ध के कारणा कई प्रान्तों में बंट गया । प्जसमे शार्मल
बोप्स्नया- हजेगोववना, स्लोवेननया तथा क्ोएर्शया ने अपने स्वतंत्र घोवषत कर ददया ।
13. र्ाल्ल्टक क्षेत्र
बाप्ल्टक क्षेत्र र्लथुआननया ने माचि ने 1990 में अपने आप को स्वतंत्र घोवषत ककया ।
एस्टोननया, लताववया और र्लथुआननया 1991 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य बने । 2004
में नाटो नें शार्मल हुए ।
14. मध्य एमशया
के तजाककस्तान में 10 वषों तक यानी 2001 तक ग्रहयुद्ध चला । अजरबैजान, आमेननया,
यूक्े न, ककरर्गझस्तान, जाप्जिया में भी गृहयुद्ध की प्स्थनत हैं ।
मध्य एर्शयाई गणाराज्यों में पेरोल के ववशाल भंडार हैं । इसी कारणा से यह क्षेत्र बाहरी
ताकतों और तेल कं पननयों की प्रनतस्पधाि का आखाडा भी बन
गया ।
15.पूवी साम्यवादी देश और भारत
1. पूवि साम्यवादी देशों के साथ भारत के संबंध अच्छे हैं, रूस के साथ ववशेष रूप से
प्रगाढ़ हैं ।
5
2. दोनों का सपना बहू ध्रुवीय ववचव का हैं ।
3. दोनों देश सहअप्स्तत्व, समूदहक सुरक्षा, क्षेत्रीय संप्रभुता, स्वतंत्र ववदेश नीनत,
अंतराष्ट्रीय झगड़ों का वाताि द्वारा हल, संयुक्त राष्ट्रसंघ के सुदृढीकरणा तथा लोकतन्त्र
में ववचवास रखते हैं ।
4. 2001 में भारत और रूस द्वारा 80 द्ववपक्षीय समझोतों पर
हस्ताक्षर ।
5. भारत रूसी हर्थयारों का खरीददार ।
6. रूस से तेल आयात ।
7. प्रमाप्ववक योजना तथा अंतररक्ष योजना में रूसी मदद ।
8. कजाककस्तान और तुकमेननस्तान के साथ ऊजाि आयात बढाने की
कोर्शश ।
9. गोवा में ददसंबर 2016 में हुए ब्रिक्स (BRICS) सम्मेलन के दौरान रूस -भारत के
बीच हुए 17 वें वावषिक सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं रूस के
राष्ट्रपनत व्लादमीर पुतीन के बीच रक्षा, परमाणाु ऊजाि, अन्तररक्ष अर्भयान समेत
आर्थिक सम्बन्धो को बढ़ावा देने एवं उनके लक्ष्यों की प्राप्तत पर बल ददया गया ।
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Chapter 2 xii pol science

  • 1. 1 अध्याय -2 दो ध्रुवीयता का अंत by Dr. Sushma Singh (Core Academic Unit DoE GNCT of Delhi) पाठ के अंत में हम जान पाएगे: शीतयुद्ध की प्रतीक 1961 में बनी बर्लिन की दीवार को 9 नवम्बर 1989 को जनता के द्वारा तोड़ ददया गया । 25 ददसम्बर 1991 को सोववयत संघ का ववघटन हो गया । 1. सोववयत संघ का जन्म, व्यवस्था (प्रणााली) 2. सोववयत प्रणााली की ववशेषताएँ 3. दूसरी दुननया 4. र्मखाइल गोबािचेव 5. सोववयत संघ समाप्तत की घोषणाा 6. सोववयत संघ के ववघटन के कारणा 7. सोववयत संघ के ववघटन के पररणााम 8. शाक थेरेपी 9. शाक थेरेपी की ववशेषताएँ 10. शाक थेरेपी के पररणााम 11. संघषि व तनाव के क्षेत्र 12. बाल्कन क्षेत्र 13. बाप्ल्टक क्षेत्र 14. मध्य एर्शया 15. पूवी साम्यवादी देश और भारत
  • 2. 2 1. सोववयत संघ का जन्म, व्यवस्था (प्रणाली) 1917 की रूसी बोलशेववक क्ांनत के बाद समाजवादी सोववयत संघ गणाराज्य (USSR) अप्स्तत्व में आया । सोववयत संघ में समतावादी समाज के ननमािणा के र्लए कें द्रीकृ त योजना, राज्य के ननयंत्रणा पर आधाररत और साम्यवादी दल द्वारा ननदेर्शत व्यवस्था सोववयत प्रणााली कहलाई । 2. सोववयत प्रणाली की ववशेषताएँ 1. सोववयत प्रणााली पूंजीवाद व्यवस्था का ववरोध तथा समाजवाद के आदशों से प्रेररत थी । 2. सोववयत प्रणााली में ननयोप्जत अथिव्यवस्था थी । 3. कम्यूननस्ट पाटी का दबदबा था । 4. न्यूनतम जीवन स्तर की सुववधा । 5. बेरोजगारी न होना । 6. उन्नत संचार प्रणााली । 7. र्मप्ल्कयत का प्रमुख रूप राज्य का ननयंत्रणा । 8. उत्पादन के साधनों पर राज्य का ननयंत्रणा था । 3. दूसरी दुननया पूवी यूरोप के देशों को समाजवादी प्रणााली की तजि पर ढाला गया था, इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या दूसरी दुननया कहा गया । 4. ममखाइल गोर्ााचेव 1980 के दशक में र्मखाइल गोबािचेव ने राजनीनतक सुधारों तथा लोकतान्त्रीकरणा को अपनाया उन्होने पुनिरचना (पेरेस्त्रोइका) व खुलापन (ग्लास्नोस्त ) के नाम से आर्थिक सुधार लागू ककए । सोववयत संघ समाप्तत की घोषणाा 1991 में बोररस येल्तर्सन के नेतृत्व में यूरोप के देशों ने तथा रूस, यूक्े न व बेलारूस ने सोववयत संघ की समाप्तत की घोषणाा की । CIS (स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रकु ल) बना 15 नए देशों का उदय हुआ । 5. सोववयत संघ के ववघटन के कारण 1. नागररकों की राजनीनतक और आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा न कर पाना । 2. सोववयत प्रणााली पर नौकरशाही का र्शकं जा । 3. कम्युननस्ट पाटी का अंकु श । 4. संसाधनों का अर्धकतम उपयोग परमाणाु हर्थयारों पर ।
  • 3. 3 5. प्रौद्योर्गकी और बुननयादी ढांचे में पप्चचम के मुक़ाबले पीछे रहना । 6. रूस की प्रमुखता । 7. गोवािचेव द्वारा ककए गए सुधारों का ववरोध होना । 8. अथिव्यवथा गनतरुद्ध व उपभोक्ता वस्तुओं की कमी । 9. राष्ट्रवादी भावनाओं और संप्रभुता की इच्छा का उभार । 10. सोववयत प्रणााली का सत्तावादी होना । 11. पाटी का जनता के प्रनत जवाबदेह ना होना । 6. सोववयत संघ के ववघटन के पररणाम 1. शीत युद्ध का संघषि समातत हो गया । 2. एक ध्रुवीय ववचव अथाित अमरीका वचिस्व का उदय । 3. हर्थयारों की होड की समाप्तत । 4. सोववयत खेमे का अंत और 15 नए देशों का उदय । 5. रूस सोववयत संघ का उत्तरार्धकारी बना । 6. ववचव राजनीनत में शप्क्त संबंध पररवतिन हो गए । 7. समाजवादी ववचारधारा पर प्रचनर्चन्ह या पूंजीवादी उदारवादी व्यवस्था का वचिस्व । 8. शाक थेरेपी शाप्ददक अथि हैं आघात पहुंचाकर उपचार करना । साम्यवाद के पतन के बाद सोववयत संघ के गणाराज्यों को ववचव बैंक और अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष द्वारा ननदेर्शत साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्मणा (पररवतिन) के माडल को अपनाने को कहा गया । इसे ही शाक थेरेपी कहते हैं । 9. शाक थेरेपी की ववशेषताएँ 1. र्मप्ल्कयत का प्रमुख रूप ननजी स्वार्मत्व । 2. राज्य की संपदा का ननजीकरणा । 3. सामूदहक फामि की जगह ननजी फामि । 4. मुक्त व्यापार व्यवस्था को अपनाना । 5. मुद्राओं की आपसी पररवतिनीयता । 6. पप्चचमी देशों की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ाव । पूंजीवाद के अनतररक्त ककसी भी वैकप्ल्पत व्यवस्था को स्वीकार नही ककया गया । 10. शाक थेरेपी के पररणाम 1. पूणाितया असफल, रूस का औद्योर्गक ढांचा चरमरा गया ।
  • 4. 4 2. रूसी मुद्रा रूबल में र्गरावट । 3. समाज कल्याणा की पुरानी व्यवस्था नष्ट्ट । 4. 90 प्रनतशत उद्योगों को ननजी हाथों या कं पननयों को कम दामों (औने – पौने) दामों में बेचा गया प्जसे इनतहास की सबसे बड़ी गराज सेल कहा जाता हैं । 5. आर्थिक ववषमता बढ़ी । 6. खाद्यान्न संकट हो गया । 7. माकफया वगि का उदय । 8. कमजोर संसद व राष्ट्रपनत को आर्थिक शप्क्तयां प्जससे सत्तावदी राष्ट्रपनत शासन । 11. संघषा व तनाव के क्षेत्र पूवि सोववयत संघ के अर्धकांश गणाराज्य संघषि की आकांशा वाले क्षेत्र हैं । इन देशों में बाहरी ताकतों की दखलन्दाजी भी बढ़ी हैं । रूस के दो गणाराज्यों चेचन्या और दार्गस्तान में दहंसक अलगाववादी आंदोलन चले । चे कोस्लोवाककया दो भागों मे - चेक तथा स्लोवाककया में बंट गया । 12. र्ाल्कन क्षेत्र बालक्न गणाराज्य युगोस्लाववया गृहयुद्ध के कारणा कई प्रान्तों में बंट गया । प्जसमे शार्मल बोप्स्नया- हजेगोववना, स्लोवेननया तथा क्ोएर्शया ने अपने स्वतंत्र घोवषत कर ददया । 13. र्ाल्ल्टक क्षेत्र बाप्ल्टक क्षेत्र र्लथुआननया ने माचि ने 1990 में अपने आप को स्वतंत्र घोवषत ककया । एस्टोननया, लताववया और र्लथुआननया 1991 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य बने । 2004 में नाटो नें शार्मल हुए । 14. मध्य एमशया के तजाककस्तान में 10 वषों तक यानी 2001 तक ग्रहयुद्ध चला । अजरबैजान, आमेननया, यूक्े न, ककरर्गझस्तान, जाप्जिया में भी गृहयुद्ध की प्स्थनत हैं । मध्य एर्शयाई गणाराज्यों में पेरोल के ववशाल भंडार हैं । इसी कारणा से यह क्षेत्र बाहरी ताकतों और तेल कं पननयों की प्रनतस्पधाि का आखाडा भी बन गया । 15.पूवी साम्यवादी देश और भारत 1. पूवि साम्यवादी देशों के साथ भारत के संबंध अच्छे हैं, रूस के साथ ववशेष रूप से प्रगाढ़ हैं ।
  • 5. 5 2. दोनों का सपना बहू ध्रुवीय ववचव का हैं । 3. दोनों देश सहअप्स्तत्व, समूदहक सुरक्षा, क्षेत्रीय संप्रभुता, स्वतंत्र ववदेश नीनत, अंतराष्ट्रीय झगड़ों का वाताि द्वारा हल, संयुक्त राष्ट्रसंघ के सुदृढीकरणा तथा लोकतन्त्र में ववचवास रखते हैं । 4. 2001 में भारत और रूस द्वारा 80 द्ववपक्षीय समझोतों पर हस्ताक्षर । 5. भारत रूसी हर्थयारों का खरीददार । 6. रूस से तेल आयात । 7. प्रमाप्ववक योजना तथा अंतररक्ष योजना में रूसी मदद । 8. कजाककस्तान और तुकमेननस्तान के साथ ऊजाि आयात बढाने की कोर्शश । 9. गोवा में ददसंबर 2016 में हुए ब्रिक्स (BRICS) सम्मेलन के दौरान रूस -भारत के बीच हुए 17 वें वावषिक सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं रूस के राष्ट्रपनत व्लादमीर पुतीन के बीच रक्षा, परमाणाु ऊजाि, अन्तररक्ष अर्भयान समेत आर्थिक सम्बन्धो को बढ़ावा देने एवं उनके लक्ष्यों की प्राप्तत पर बल ददया गया । ------------------------------------------------------------------------------------------------