*"झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका*
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क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज की मातृभाषा(मायबोली), पोवारी(पंवारी) में बच्चों की पत्रिका, *"झुंझुरका"* निश्चित ही नई पीढ़ी को अपनी पुरातन संस्कृति और भाषा से परिचित कराती है। छत्तीस कुल का पंवार(पोवार) समाज बालाघाट, गोंदिया, भंडारा और सिवनी जिलों में बसा है और पोवारी बोली ही समाज की मुख्य मातृभाषा है। इस भाषा के अस्तित्व को बचाये रखने और इसका नई पीढ़ी तक प्रचार-प्रसार के लिए इस मासिक e-पत्रिका, का योगदान सराहनीय है।
अठारवीं सदी में पोवार(पंवार) समाज मालवा-राजपुताना से नगरधन-नागपुर होते हुए विशाल वैनगंगा क्षेत्र में आकर बसा है। इतने विशाल क्षेत्र में बसने के कारण पोवारी बोली में कुछ क्षेत्रवार विभिन्नता भी देखने में आती है पर मूल पोवारी बोली और संस्कृति का स्वरूप सब तरफ समान है। आज जरूरत है कि अपने पूरखों की इस विरासत को सहेजकर रखें और इसे मूल स्वरूप में आने वाली पीढियों को सौंपे।
छत्तीस कुल से सजा पोवार(पंवार) समाज ने माँ वैनगंगा की पावन धरती पर खूब तरक्की की है और इस घने जंगल के क्षेत्र को कृषि प्रधान बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। साथ में अपने राजपुताना क्षत्रिय वैभव को बचाकर भी रखा है। विकास के साथ समाज ने आधुनिकता की दौड़ में अपनी विरासत, पोवारी बोली को कुछ खोना शुरू कर दिया, लेकिन साहित्यकारों ने अपनी कलम से इसे संजोना शुरू कर दिया है और समाज को जागृत करने हेतु काफी प्रयास किये जा रहे हैं।
भाषा और संस्कृति, किसी भी समाज की महान विरासत होती है और इसके पतन से समाज की पहचान खो जाति है और समाज का भी पतन भी संभव है। ऐसे ही छत्तीस कुर के पोवार/पंवार समाज की महान ऐतिहासिक विरासत, "पोवारी संस्कृति" है, जिसे समाज को हर हाल में बचाना ही होगा। अपनी संस्कृति और पहचान का रक्षण, हर किसी का धर्म हैं। भारत का संविधान भी इसकी पूरी स्वतंत्रता देता है और इसी दायरे में रहकर सभी पोवार भाई-बहनों को आगे आकर अपनी महान विरासत, भाषा, पुरातन सनातनी परंपराओं और रीति-रिवाज का संरक्षण और संवर्धन करना है।
यह e-पत्रिका, "झुंझुरका", समाज के युवाओं की अपनी मातृभाषा/मायबोली को बचाने की शानदार पहल है। इसी प्रकार और भी निरन्तर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट
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*"झुंझुरका", पोवारी बाल ई मासिक पत्रिका*
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क्षत्रिय पोवार(पंवार) समाज की मातृभाषा(मायबोली), पोवारी(पंवारी) में बच्चों की पत्रिका, *"झुंझुरका"* निश्चित ही नई पीढ़ी को अपनी पुरातन संस्कृति और भाषा से परिचित कराती है। छत्तीस कुल का पंवार(पोवार) समाज बालाघाट, गोंदिया, भंडारा और सिवनी जिलों में बसा है और पोवारी बोली ही समाज की मुख्य मातृभाषा है। इस भाषा के अस्तित्व को बचाये रखने और इसका नई पीढ़ी तक प्रचार-प्रसार के लिए इस मासिक e-पत्रिका, का योगदान सराहनीय है।
अठारवीं सदी में पोवार(पंवार) समाज मालवा-राजपुताना से नगरधन-नागपुर होते हुए विशाल वैनगंगा क्षेत्र में आकर बसा है। इतने विशाल क्षेत्र में बसने के कारण पोवारी बोली में कुछ क्षेत्रवार विभिन्नता भी देखने में आती है पर मूल पोवारी बोली और संस्कृति का स्वरूप सब तरफ समान है। आज जरूरत है कि अपने पूरखों की इस विरासत को सहेजकर रखें और इसे मूल स्वरूप में आने वाली पीढियों को सौंपे।
छत्तीस कुल से सजा पोवार(पंवार) समाज ने माँ वैनगंगा की पावन धरती पर खूब तरक्की की है और इस घने जंगल के क्षेत्र को कृषि प्रधान बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। साथ में अपने राजपुताना क्षत्रिय वैभव को बचाकर भी रखा है। विकास के साथ समाज ने आधुनिकता की दौड़ में अपनी विरासत, पोवारी बोली को कुछ खोना शुरू कर दिया, लेकिन साहित्यकारों ने अपनी कलम से इसे संजोना शुरू कर दिया है और समाज को जागृत करने हेतु काफी प्रयास किये जा रहे हैं।
भाषा और संस्कृति, किसी भी समाज की महान विरासत होती है और इसके पतन से समाज की पहचान खो जाति है और समाज का भी पतन भी संभव है। ऐसे ही छत्तीस कुर के पोवार/पंवार समाज की महान ऐतिहासिक विरासत, "पोवारी संस्कृति" है, जिसे समाज को हर हाल में बचाना ही होगा। अपनी संस्कृति और पहचान का रक्षण, हर किसी का धर्म हैं। भारत का संविधान भी इसकी पूरी स्वतंत्रता देता है और इसी दायरे में रहकर सभी पोवार भाई-बहनों को आगे आकर अपनी महान विरासत, भाषा, पुरातन सनातनी परंपराओं और रीति-रिवाज का संरक्षण और संवर्धन करना है।
यह e-पत्रिका, "झुंझुरका", समाज के युवाओं की अपनी मातृभाषा/मायबोली को बचाने की शानदार पहल है। इसी प्रकार और भी निरन्तर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
✍️ऋषि बिसेन, बालाघाट
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Vinoba Bhave's thoughts on desirability of Hindu-Muslim unity.Sadanand Patwardhan
Vinoba Bhave is well known for his Bhoodan movement and his concept of ideal society that he encapsulated in a word, Sarvodaya, or Universal Progress. A senior Sarvodaya activist and thinker, Daniel Mazgaonkar was recently given a manuscript, probably written down by Sane Guruji, when Vinoba spoke on desirability and necessity of Hindu-Muslim unity. Mazgaonkar converted it into a word file and shared it with his friends. Sarvodaya is defined among other things as collapse of identities based on Religion, Caste, Sects, Language, Region, party, and end to inequality.
This is a small attempt to preserve heritage and folk culture of Goan village Adnem
Credits to Ghanashyam K. Devidas, Lakshimikant Bhavu, Vithobha Bhavu
The Book of Sirach or Ecclesiasticus is a Jewish work, originally written in Hebrew. It consists of ethical teachings, from approximately 200 to 175 BCE, written by the Judahite scribe Ben Sira of Jerusalem, on the inspiration of his father Joshua son of Sirach. Joshua is sometimes called Jesus son of Sirach or Yeshua ben Eliezer ben Sira.
The Gospel of James or The Protevangelion is a second-century infancy gospel telling of the miraculous conception of the Virgin Mary, her upbringing and marriage to Joseph, the journey of the couple to Bethlehem, the birth of Jesus, and events immediately following.
Vinoba Bhave's thoughts on desirability of Hindu-Muslim unity.Sadanand Patwardhan
Vinoba Bhave is well known for his Bhoodan movement and his concept of ideal society that he encapsulated in a word, Sarvodaya, or Universal Progress. A senior Sarvodaya activist and thinker, Daniel Mazgaonkar was recently given a manuscript, probably written down by Sane Guruji, when Vinoba spoke on desirability and necessity of Hindu-Muslim unity. Mazgaonkar converted it into a word file and shared it with his friends. Sarvodaya is defined among other things as collapse of identities based on Religion, Caste, Sects, Language, Region, party, and end to inequality.
This is a small attempt to preserve heritage and folk culture of Goan village Adnem
Credits to Ghanashyam K. Devidas, Lakshimikant Bhavu, Vithobha Bhavu
The Book of Sirach or Ecclesiasticus is a Jewish work, originally written in Hebrew. It consists of ethical teachings, from approximately 200 to 175 BCE, written by the Judahite scribe Ben Sira of Jerusalem, on the inspiration of his father Joshua son of Sirach. Joshua is sometimes called Jesus son of Sirach or Yeshua ben Eliezer ben Sira.
The Gospel of James or The Protevangelion is a second-century infancy gospel telling of the miraculous conception of the Virgin Mary, her upbringing and marriage to Joseph, the journey of the couple to Bethlehem, the birth of Jesus, and events immediately following.
2. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१2
पोवारी बाल बाचक चळवळ प्रस्तुत
बातचीत
झुुंझुरका बाल ई मासिक घर घरक् नहान टुरूपोटुनला पोवारी बोलीको िाहहत्य (कथा/कववता/कोडा
इ.) बाचनला समले पायजे अना बाचन िुंस्कृ तीकी जोपािना करस्यान पोवारी बोलीला िाजरा हिवि आये
पायजे येन ् उद्िेशलक िुरू करनोमा आयी िे. डडजीटल माध्यमलक जािा टुरूपोटुनवरी येव मासिक
पोवचावनोमा िबको िाथ समल रही िे. या िुंपािक मुंडलिाती बहुत खुशीकी बात िे.
येव मासिक नहान टुरूपोटुनला बाचस्यान िेखायस्यान घरका बुजरूकबी महत्वपूर्ण योगिान िेय रह्या
िेत. येव मासिक झेराॅक्ि काहाळस्यानबी तुमी तुमर् िुंग्रहमा ठेयस्यान आपल्िमयानुिार बाच सिक्
िेव. आमला आशा िे की घरका बुजरूक लोक
(मम्मी/पप्पा/अजी/माय/आई/बाबुजी/काकाजी/काकु जी/भाऊ/बाई) खुि बाचेत अना नहान टुरूपोटुनला
बाचनकी आित लगायेत. बाचनलक मन अना मेंिू कायणप्रवर् होनला मित समलुंिे.
िप्टेंबर २०२१ क् येन ् मासिकमा तुमला पोवारीक् मान्यवर िाहहत्त्यकयीनक् बराबर मराठी
िाहहत्त्यकयीनक् िजेिार िाहहत्य पोवारीमा बाचनला समले. येव मासिक तुमला िबला पिुंि आये या आशा
िे. तुमरा िुझाव आमला जरूर पठावत जाव.
तुमरो दोस्त/संगी (संपादक)
गुलाब बबिेन - 9404235191
*************************************************************************************
संपादक मंडल निर्मिती
गुलाब बबिेन -9404235191 महेंद्र रहाुंगडाले
रर्िीप बबिने- 7798123699
महेंद्रक
ु मार पटले-9552256189
महेंद्र रहाुंगडाले- 9405729316
3. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१3
खेल भांडा
जमावू मोरो बहहन िुंग नहान नहान खेल भाुंडा
नहानपनुं आपलो मेल | क
ुुं भार घरलुं आनुं माय
एक कोनटोमा िुरू होय।। उनकोमा बनावत होता
मुंग ढकना पारोको खेल ||१|| गुंमतको ियपाक चाय ||२||
गुंमतको ियपाक लाई बाहुला बाहुलीको बबयामा
मुरमुरा चचवड़ाको भात | कागजकी डफरीको बाजा।
टुरुपोटू िपाई खाजन. नवरी िजुं श्ृुंगारलका
आमला रव्ह गवणकी बात ||३|| बिुं घोड़ापर िुल्हा राजा ||४||
नवरिेव नवरी कभी खेलभाुंडा भय गया जुना
बनत नहान टुरा टुरी | रव्हिेती आता शो क
े िमा |
खेल गुंमतको बरातमा. आबको टुरुपोटूइनला
मीच खािरको धुरक
ु री ||५|| पायजे मोबाईल हातमा ||६||
✍ इंजी. गोवर्धन बिसेन, गोंदिया मो. ९४२२८३२९४१
4. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१4
िवो शब्द
खबऱ्या ( िामान्य नाम)
मराठी - वाताणहर/ बातमीिार, इंग्रजी - Reporter, ह ंदी - िुंवाििाता
वा.उ.- वतणमानपत्र िाटी खबऱ्या बातमी जमा करिे.
~ रणदीप बबसिे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पोवारी अिुवाद करो........
आमच्या घरातील घड्याळ
आमच्या घरात सभुंतीवर एक मोठे घड्याळ आहे. ते माझ्या आजोबाुंनी घेतलेले आहे.
त्याचा आकार गोल आहे. घड्याळाला तीन काटे आहेत. िोन काटे लाुंब आहेत. एक
त्यामानाने आखूड आहे. एक लाुंब काटा अरू
ुं ि आहे. त्याला िेक
ुं ि काटा अिे म्हर्तात.
आखूड काट्याला तािकाटा म्हर्तात. उरलेला समननट काटा आहे. घड्याळातील अुंक
इुंग्रजी आहेत.
संकलि - गुलाब बबसेि (9404235191)
6. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१6
ुशार ससा
एक जुंगलमा एक सिुंह रव्हत होतो. वू जुंगल को शत्क्तमान राजा होतो, येकोलक
वू गवणलक फ
ु ग गयेव होतो. रोज ओको मनला लगुं ओतरा जनावरुं मारस्यान खाय.
सिुंहक् येनुं आततायी कामलक जुंगलमाका एकबी जनावर बचनको नही अिो भेव
जुंगलमाक् िब जनावरइनला लगन बिेव.
मुहून जुंगलमा का िब जनावर राजा कर गया. िब जनावरइननुं राजाला बबनती
करीन, ''महाराज, तुमला रोज एकच जनावर की जरुरत िे, मुंग तुमी रोज जास्त
जनावर की हत्या कायला कर् िेव? अजपािून तुमी यहाुंच बिो. आमी जुंगलमालक
एक-एक जनावरइनको तुमरो जेवनिाठी नुंबर लगावबीन. ओकोलक तुमरी भूकबी
जाये अना बबनाकारर् जनावर की हत्याबी रुक
े .''
राजा सिुंहला जनावरइनको बोलनो पटेव. पर येको बरोबरच ओन्िब जनावरइनला
इशारा िेईि की, ''मोला बिेव जागापर एक जनावर रोज खानला भेटे त्हठक िे, नही
त्, एक हिवि जरी येकोमा खुंड पडेव त्मी िबला खतम कर टाक
ू न.''
7. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१7
िब जनावरइननुं राजा को इशारा ख्यालमा ठेयस्यान रोज एक-एक जनावर राजा
कर पठावनो िुरु करीन. पयले पयले बुळगा, जगनला तरािगया, िु:खी-कष्टी जनावर
पठाईन. ओको बािमा चाुंगला धष्टपुष्ट जनावर मरन लग्या. तब्बबचार करनकी पारी
जुंगलमाको जनावरइनपर आयी.
एक रोज राजाकर जानकी पारी ििापर आयी. ििा राजाकर जानको बेरा बबचार
करन लगेव, ''आपलोमा लक एक जनावर रोज मरुंिे. ओको पेक्षा सिुंहलाच खतम करीि
तुं किो रहे... पर येव किो शक्य होये?'' रस्तामा वोला एक बबहहर हििी. ििा बबहहर
जवर गयेव अना बबहहरमा ढुकशान िेखखि तुं ओला ओको प्रनतबबुंब बबहहरमा हििेव.
येव िेखशान ओला कल्पना आयी, का सिुंहला मारनला या युक्ती बहढया िे. वू
हिविबुळता राजाकर बहूत टाईमलक पोहचेव.
रोजकी भुककी टाईम भयवलक सिुंहला बहुत भुक लग गयी होती. ििाला आयेव
िेख राजा सिुंह खवलेव, ''अरे ििा, होतोि कहाुं तू? एक तुं मोरो घािलाही तू पुरनको
नहीि अना ओकोमा येतरो टाईमलका आयीिेि. रुक पयले तोला खािु अना बािमा
जुंगलमाको िब जनावरइनला मार टाक
ु िू.''
ििा घबरानेव पर धीर धरशान बोलेव, ''महाराज, मी टाईमपरच आवनला
ननकलेव. पर रस्तामा एक गुफामालक एक सिुंह मोरो िामने आयेव. मोला
धमकायस्यान बबचारीि, ''कहाुं जाय रही िेि? तब् मी िाुंगेव का आमरो राजा सिुंह
महाराजकर जाय रहीिेव!'' तब् वोन् मोला कहहि, ''कोर् कहाुंको तोरो राजा. एक
नुंबरको चोर, ओला आन बुलायस्यान नही तुं जुंगलमाको िब जनावरईनला मी ठार
मारुन. मीच राजा आव येनुं जुंगलको!'' ििाको बोलनो आयकस्यान राजा चवताळेव,
''वू िरोडाखोर सिुंह रव्हुंिे कहाुं िेखाव मोला...अज को अज ओला खतम कर िेिु.''
8. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१8
ििा िाुंगन बिेव, ''पर महाराज ओकी गुफा बहुत अडचनको जागामा िे. तुमला
बेकारच तराि होये.'' सिुंह रागलका लाल होयस्यान बोलेव, "तोला का करनको िे...
आब् क आब् वोका तुकडा-तुकडा करुिु.'' ििा सिुंह िुंगमा ओन् बबहहर जवर जािे.
बबहहरमा ढुकस्यान िेखत सिुंहला िाुंगिे, ''तुमला आयेव िेखस्यान वू िुिरो सिुंह अुंिर
लुकाय गयेव हिििे.''
तबुं राजा सिुंह बबहहरक् अुंिर ढुकस्यान िेखुंिे. तब् बबहहरमा खुिकी प्रनतबबुंब
िेखस्यान राजा सिुंह मोठी डरकाळी मारुंिे. ओन्डरकाळी की प्रनतध्वनी बबहहरमा लक
आवुंिे. ओला लगुंिे अुंिरलक िुिरो सिुंह चचल्लाय रहीिे. चचडस्यान राजा सिुंह
बबहहरमा क
ु िुंिे अना पार्ीमा बुडस्यान मर जािे. ििा या बात जुंगलक् िब
जनावरईनला िाुंगुंिे अना िब जनावर खुश होिेत.
(येन्कथाको बोध तुमी िोचो. अना आमला जरूर िाुंगो.)
लेखक - अज्ञात
पोवारी शब्दांकि - इंजज. गोवर्िि बबसेि
10. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१10
बाबुजी जयपालर्सं जी -शत शत िमि
बालाघाट त्जला माुं आयटीआय सिखेकरा
िालेटेका िे एक गाुंव करीन जी नौकरी
जयपालसिुंह पटलेजी। नौकरी करताघनीच
िुप्रसिद्ध अिो नाुंव -१ हिल हिमाग माुं पोवारी-२
चचुंतन मनन वाचन क
ु लिेवी गडकासलका
हिनरात वु पोवारी आिशण राजा भोज
बोली िुंस्कृ ती भाषा ध्यान धारर्ा उनकी
मन परा करत िँवारी-३ करत होता रोज-४
अध्यात्म को वपुंड उनको हहुंिू जीवन आत्मा िे
ननरहुंकार वु जीवन पोवारी िमाज का
ग्रामगीता गीतािार रामायर्। याच बात ठरी खरोखर
करीन पोवारी माुं ननरूपर्- ५ सिद्धाुंत उनक
ुं जीवन का-६
11. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१11
अलग अलग भया ५ आगस्ट २१ ला
िमाज का िुंगठन गया स्वगण क् धाम
िबला उननुं िेईन पोवारी का वपतामह
ििैव एकता िुंजीवन-७ अमर करीन नाम-८
बोली इनतहाि िुंस्कृ ती
पोवारी का िुंवधणन
येकोिाटी किबी क
ुं बर
याच ठरे श्द्धा अपणर्-९
रणदीप बबसिे
आिरर्ीय जयपालसिुंहजी पटले पोवारी बोली का भीष्म वपतामह मुहून ओरखे
जायेत. जेनो जमानो मा पोवारी सलखने वाला नही को बराबर होता वोन जमानो मा
उनन् रामायर्, महाभारत िारखा महान ग्रुंथ पोवारी मा अनुवाहित कररन तिोच
पोवारी को प्रचार प्रिार िाती आपलो पुरो जीवन िमवपणत कर िेईन, अिो महात्मा
ला झुुंझुरका बाल मासिक कनलक भावपूर्ण श्ध्िाुंजली अना असभवािन🙏
12. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१12
बबचार ववमशि
िब ििा समलकर करिेत बबचार
आमरा पूवणज होता पूरा गवार
शयणत लगाईन कािव िुंग
शयणतमा रह्य गया मुंग्
एकत्शयणत लगावन को नोहोतो
लगाईन त्लगाईन हारनको नोहोतो
अिा आलिी पूवणज नही पाहहजे
आपलो नाव उचो करनेवाला पाहहजे
ििा इनकी इज्जत पूरी डुबाय िेईन
तोंड िेखावनला जागा नही ठेईन
आिमी बी आमर्मुंग्पड गया िेती
उनला िीधा िाधा ििाच हिि्िेती
कोल्ह्या क
ु त्राकी काहे नही बनावत कहानी
उनला ििाच काहे हिििे जानी.
- चचरंजीव बबसेि, गोंहदया
13. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१13
गुलुगुलु बात्
गोपालकाला
(कन् ैया ववसजििको प्रसंग दुय संगींकी कान् ा संग बात्)
रामू:- कन्हैया वविजणनकी तैयारी भयी का भाऊ तुमरी?
राजू:- आबच आम्ही कन्हैयाकी आरती कऱ्या यार. या धर प्रिाि खाय.
रामू:- अना वोन्भजन पाटीवालोंको का भयेव त यार?
राजू:- वोय भजन पाटीवाला चऊकमा आय गया भाऊ. आता आपलोला भी कन्हैया
ननकालनो पडे.
कान् ा:- अरे राजू, रामू येती कायकी लाहकी भयी गा तुमला?
रामू:- कोन आय रे राजू, आवाज िेय रहीिे त्?
कान् ा:- अरे मी आव, कान्हा तुमरो िुंगी.
राजू:- अरे यार, तू आि का कान्हा भाऊ!
रामू:- तू त्कमालच करिेि यार कान्हा. मुंघाशी आम्ही िहीहाुंडी फोड्या तब किो
टूक
ु रमुक
ू र िेखत होतोि?
14. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१14
कान्हा:- काहुन मज्याक करिेि रामू, तू हाुंडी फोड्नला एकिम वरत्या चढेव
होतोि अना मोरा िात गया अना पाचच रह्या होता.
राजू:- अरे रेऽऽ माखनचोर! तू अना घबरायेि, मोला िच नही लग.
कान् ा:- हो रे राजू मी खरीच घबरायेव होतो. आमरो जमानोमा ऐतरा थरपर थर
नही लगावत होता भाऊ.
रामू:- जान िे यार, तोरो जमानो... िहीहाुंडी फोळनकी खरी मज्या उचोपरलकच
आविे.
कान् ा:- अना वरत्यालक पडेवपर, सिधा हातपाय तुटक
े अस्पतालमा जािेव तब्
किो लग्िे?
राजू:- खरीच ना यार, नुिती उपाि होय जािे अना मुंग मायबापलाच शेकनो पड्िे.
रामू:- हो यार, तोरी बात पटी मोला. आता अिा िहीहाुंडी फोडनला उचा थर नही
जमावजन बाबा.
कान् ा:- बहुत िमजिार िेव यार. बोलो, "गोपालकाला गोड झाला".
राजू, रामू:- हाथी घोडा पालखी, जय कन्हैया लालकी.
✍ऋतुराज
15. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१15
सई अिा मुंगी
मूळ मराठी कथा - सई आणण मुंगी
मूळ लेणखका - कल्पिा मलये
पोवारी अिुवाद - गुलाब बबसेि
िईला अज माविीको राग आयेतो. माविी मुंजे पप्पाकी माविी. माविीको घर वूत्िुिर्
गाव् िे. िईला माविीकन जानला बहूत पिुंि आवुंिे. माविी बहुत खाजो िेिे. माविी
िईकनलक कामबी करलेिे. िई माविीला बाहरी सलजाय िेिे. मुंग माविी कचरा हेळुंिे. िई
कचरा भरनकी िुपलीबी िेिे. िईन्िुपली िेयीि नही, त्माविी कचरा नही भर्.
"अवो बाई, कचरा भरनकोच रहेव. भरनला पायजे." िारखी बोलत रव्हुंिे. माविीको िारखो
िारखो आयकस्यान िई हािुंिे. माविीबी हािुंिे अना मुंग बहुत मजा आवुंिे. पर अज िईला
माविी पिुंि नही आयी. वोको बहुत गुस्िा आयेव.
माविीकन कोंबडीका नहान वपला िेत. चार वपला लाल कोंबडीका अना िुय वपला पाुंढर्
कोंबडीका. पर माविीन्िब लाल कोंबडीला िेय टाकीि. माविी िाुंगुंिे, "िुय वपला धरस्यान
फफरत रहे. कोर् राखत बिे? एकलीकनच रव्हन िे." िईला प्रश्न पडुंिे, वय वपला आपल्
16. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१16
आईकन काहे नही रव्हत? वपला आपल् आईला ओरखत काहे नही?" िई पप्पाला
बबचारनेवाली िे. पप्पाच िाुंग सिक
ुं िे. पप्पाला मालुम रहे. माविीला बबचारीित् िाुंगे,
"तोरुंिुंगमा बोलनला मोला फ
ु रित नाहाय. हट.व्ही. िेख जाय. बबनकामकी बडबडत
रव्हुंिेि."
माविीला काहीच नही िमज्. माविी कोंबडीला अना वपलाईनला िाना टाकत होती. िईला
गुंमत लगी. माविी "ई ई" करत होती. अना िाना टाकत होती. कोंबडी "कक कक" करत होती.
वपला "चक चक" करत होता. कोंबडी पायलक जमीन खोित होती. वपला िाना उचलत होता.
िईला बहुतच गुंमत लगी.
माविी अना िई घरमा गयी. िईला मुुंगीकी राुंग हििी. मुुंगी राुंगमा चलत होती. मुुंगीन्
तोंडमा खाजो धरीतीि. िईला गुंमत लगी. "मुुंगी कहान जात रहे?" िई बोली. माविी बोली,
"मुुंगी घरमा जािे. िाना िुंगरावुंिे." िईन् मुुंगीला िाखरमा िेखीतीि. मम्मी बोली होती,
"मुुंगीला िाखर बहुत पिुंि आवुंिे." िईन्माविीला बटकीमालक िाखर माुंगीि. माविीन्
िईला खानला िाखर िेयीि. िईन्जरािी िाखर मुुंगीला िेयीि. मुुंगीला िाखर पिुंि आयी.
िईन्मुुंगीला अहिक िाखर िेयीि. माविीन्वू िेखीि. माविी िईपर चचल्लानी, "तोला िेयेव
ना? मुुंगीला टाकस्यान वाया नोको जानिेवूि. आन ईत्वा बटकी." माविीन्िाखरकी बटकी
धर लेयीि. िईला बहुत राग आयेव. कोंबडीला आपुन बहुत िाना टाकीि. कोंबडीला भूक
लगुंिे, मुुंगुला भूक नही लग्. मोठा मार्ि्पगलाच रव्हुंिेत. जान िे. िई पप्पाकनल िाखर
लेनार िे. िई माविीकन "पप्पा कब्आये?" बाट िेखत बिुंिे. पप्पा वोला िाखर जरूर िेये.
पप्पा वोको बहुत लाड करुंिे. िईला पप्पाकी बहुत याि आवुंिे.
17. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१17
पंख......
रव्हता पुंख कभी मोला भी
उची भरारी लेतो गगनमा।
िैर करन ननकलतो मी
िूर अनोळखी प्रिेशमा।।
रव्हता पुंख कभी मोला भी
फीरेव रव्हतो जुंगलमा।
िेखेव रव्हतो ननिगणको
िौंियण निी-नाला क्षर्मा।।
रव्हता पुंख कभी मोला भी
भयो रव्हतो मनको राजा।
चलतो मनमजी लका मी
करतो आकाशमा मजा।।
रव्हता पुंख कभी मोला भी
रोक-टोक भी नहीुं रव्हती।
िैर िपाटा रव्हतो मस्त
हर इच्छा मोरी पूरी होती।।
===================
उमेंद्र युवराज बबसेि (प्रेरीत)
गोंहदया
18. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१18
चचत्र रंगावो
(चचत्र रुंगायक्यान 9404235191 पर धाड िेवो)
िाव:-_______________________ वगि_____गाव:-______
19. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१19
गये अंक का चचत्र रंगायक
े र्ाडिेवाला संगी
20. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१20
प्रश्िमंजुषा
(प्रश्िमंजुषा का उत्तर 9405729316 पर पठावो)
१)ववश्व मा १५ ऑगष्ट येव स्वतुंत्रता हिवि आपलो िेश को िीवा अनखी कोनिो िेश को िे?
२)टोक्यो ऑलत्म्पक मा नीरज चोप्रा न कोनिो खेल मा िुवर्ण पिक त्जतीि?
३)आपलो िेश को िबिून उचो पवणत सिखर कोर्तो िे?
४)भारत को राष्रीय चचन्ह कोर्तो िे?
५)भारत को िबिून मोठो िमुद्री बुंिर कोर्तो िे?
६)आपलो िरीर मा क
े तरी हड्डी रव्िेत?
७)आपलो िूयणमाला मा क
े तरा ग्रह िेत?
८)सशक्षक हिवि कोनको जयुंती को हिन मनाव्िेत?
९)ऊजाण येन राशी को मोजमाप को एकक का िे?
१०)राष्रीय ववज्ञान हिवि कब्मनाव्िेत?
गये अुंक मा प्रश्नमुंजुषा मा िहभागी िुंगी/िोस्त
१)चारुल योगेंद्र रहाुंगडाले, इ िहावी, तुमिर
२)िानवी ववजय रहाुंगडाले, इ िातवी, मच्छेरा
३)अवनी प्रकाश रहाुंगडाले, इ पाचवी, मच्छेरा
21. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१21
ओरखो मी कोण ?
(कोडा का उत्तर 9552256189 पर पठावो)
१.पाटी से पेजन्सल बी २.र्ारा देि्पेजन्सलला
पुस्तक अिा व ी करूसू काम हठक
सब ्दबायकि्भरसेव पर ि ाि टुरूपोटु
मोरी का ी फिकर ि ीं.... पेजन्सल र्सलसेत अचर्क
३.मंदीर से ववद्या को ४.फिरसे वु गरगर
पववत्र से जी खूब झरोखा देसे वा का
कोरोिा ि्गडबड कररि अखरसे देखो जब्
बाट देखि गयेव्डूब टूटसे संपक
ि बबजली का
~रणदीप बबसिे
१.दोरीपरलक छलांग मारक
े २.डोबरामा घर मोरो
एक पायपर सन्िाि डोल् डॅराव डॅरावकी बोली
बाका मौका र्मलेवपर पह लो पािी पडताच
वोकी आरू र्ारदार बोल् र जागा फिरसे टोली
३.प ाडीमा लेयक
े जलम ४.हटवऽ हटवऽ बोली मोरी
चलूसू सरपवािी चाल सबला करु रामराम
सबकी मी त ाि भगावू र्मरची चिा रोज खाऊ
खुश ठेवूसू आपला लाल सुंदर मोरो तामझाम
~ ऋतुराज
22. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१22
प्रनतफिया
पोवारी बाल ई मासिक "झुुंझुरका" पोवारी बचाव असभयान को एक महत्व को
हहस्िा.......
कई ववद्वाि असा मािसेत की, र हदवस मािुस को मरि ोसे अिा र हदवस
मािुस को जिम ोसे. येिं उक्ती परमाटी हदवस की सुरुवात कोयल अिा कावरा तसोच
अन्य पाखरू इिको फकलबबलाट लक ोसे. अिा वा फकलबबलाट म् णजेच झुंझुरका आय.
सुयोदय को आरंभ सुयोदय ोिेवालो से येको सूचक म् णजे झुंझुरका. प्रकाश को
अवतरण.......येक मोरो पोवारी छंदल (गजल) मा र्मि झुंझुरका को जो "मतला" से
उंज्यािी दुय ओलीमा येको सारांश र्लखी सेव.....
"राती हदवस को खेल परमात्मा को चरखा.
उजारो की आ ट आय वाच् झुंझुरका."
येिं सुंदर पलला क ो क्षणला क ो, आमरो समाज को बालमि की जीवि की सुरुवात
म् णजे बालक लोकह िकी हदवसकी सुरुवात सुंदर ोये पायजे मु ूि पोवार समाजको
वैचाररक तत्व आत्मसात, र ुन्िरी लेखक श्री गुलाब भाऊ बबसेि इिि आपरो ई पोवारी
बाल मार्सक सुरू करस्यािी करीसेि. आपरो समाज को बालगोपाल को मिमा पोवारी बोली
को प्रनत आत्मीयता बडे पायजे, पोवारी बोलीका शब्द उिको मुख मालक निकले पायजे.
येकोसात निस्वाथि भावलक ई पोवारी बाल मार्सक सुरू करीि येिं उिको निष्काम
कायिभावला मोरो शत शत िमि से.
आजकल की वपढी पोवारी बोली बोलिला ह चफकच करसे, पोवारी बोलीमा रस ि ी
देखावं, असोलक पोवारी बोली िष्ट ोय जाये, ओला बचावि की आमरो सारको व्यक्ती
ीिकी जबाबदारी से. ल ाि बालगोपाल आपरो पोवारी बोलीला भुले ि ी पायजे, ल ाि
ल ाि बालगोपाल इिको मिमा पोवारी बोली की आवड (रुचच) निमािण ोये पायजे.
येकोसात गुलाबभाऊ बबसेि इिि् पोवारी ई बाल मार्सक सुरू कररसेि. पोवारी ई मार्सक
"झुंझुरका" पोवारी बचाव अर्भयाि को एक म त्वको ह स्सा.......आय....
23. झुुंझुरका पोवारी बाल ई मासिक िप्टेंबर २०२१23
पोवारी ई बाल मार्सकको मी बारीक बारीक अवलोकि करेव् , देखेव की बालगोपाल
साती मस्त मस्त कववता, गीत, ज्ञाि प्रबोर्ि असा ववववर् आयाम चचत्रसंग गुलाब भाऊ
अिा उिको संपादक मंडलि समाववष्ट करीसेि. येको िायदा पोवारी बोलीको उत्थाि सात
ोये. ई मार्सक मोला ब ुत साजरी लगी....खररमाच.....
पोवारी बोलीकी ई मार्सक काढिो सार्ारण बात ि ाय. येकोसात अथक पररश्रम लेिो
पडसे. गुलाबभाऊ ि मायबोली पोवारी को ऋण ि
े डिसात पोवारी बोली ई मार्सक को मागि
अवलंब करीि.... काबबले तारीि...बात से...... येिं ई मार्सक को संपादक मंडलमा
गुलाबभाऊ संग्आदरणीय रणदीप बबसिे सर, आदरणीय म ेंद्रक
ु मार पटले सर, आदरणीय
म ेंद्रक
ु मार र ांगडाले सर असा ववद्वाि लोक सेत. आबंवरी येि मार्सकका तीि अंक आया
सेत या ब ुत गवि की बात से.....कोितोबी दैनिक, मार्सक, त्रैमार्सक, वावषिक पबत्रका काढिो
सार्ारण बात िा ाय. अिा ववशेष पोवारी बोली सात त्बे द पररश्रम को कायि से....येव कायि
गुलाब भाऊ बबसेि संग् आदरणीय रणदीप बबसिे सर, आदरणीय म ेंद्रक
ु मार पटले सर,
आदरणीय म ेंद्र र ांगडाले सर लेय रह्यासेत. येकोसात मी येि् चार ी म ािुभाव इिको
कृ तज्ञ सेव.
झुंझुरका पोवारी बाल ई मार्सक या पोवार समाज को इनत ासमा मील को पत्थर
साबबत ोये. येकोमा दुमत िा ाय.
अंत ...मा......
पोवारी को चले जागरण पेटेत सपायी दीप.
गुलाबभाऊ संग्सेत दुय म ेंद्र एक रणदीप.
✍️ कवव देवेंद्र चौर्री, नतरोडा
(काव्यभाचगरथ पुरस्कार प्राप्त साह जत्यक)