3. प्राकृ तिक प्रदेश: इसमें ककन्ही लक्षणों की समानता होती है|
जैसे: पर्वतीय प्रदेश, समुद्र तटीय प्रदेश आदद| एक प्राकृ ततक
प्रदेश में कई प्रकार क
े आर्थवक व्यर्साय या कायव हो सकते
है|
कर्मोपलक्षी प्रदेश: इसमें कायव संगठन की एकता होती है तथा
इसक
े भागों में पारस्पररक तनभवरता रहती है| इसमें वर्भभन्न
भागों को जोड़ने क
े भलए पररर्हन तथा यातायात की शक्तत
होती है| जैसेेः दामोदर घाटी, गंगा बेभसन या कोई बाजार
प्रदेश आदद| इसमें इस बात पर ध्यान ददया जाता है कक
प्रदेश ककस प्रकार से संगदठत है| यह अप्राकृ ततक प्रदेशों क
े
वर्परीत है|
प्रदेशों क
े लक्षण कार्यों क
े आधार पर वर्गीकरण
4. सार्मान्र्य प्रदेश र्या जािीर्य प्रदेश: इसमें ककसी वर्शेष प्रकार क
े
प्रततरूप यातन लक्षणों की पुनरार्ृतत होती है तथा इस प्रकार क
े
प्रदेश पृथ्र्ीतल पर जगह- जगह पर होते है| जैसेेः भूमध्यसागरीय
जलर्ायु प्रदेश पृथ्र्ी क
े कई क्षेत्रों में पाई जाती है|
ववशशष्ट प्रदेश: एक ऐसा प्रदेश क्जसका एक ही नाम, आकार,
आकृ तत, संरचना तथा प्रततरूप द्र्ारा उसकी एक ही पहचान हो,
जैसे: मेसोपोटाभमया, भाबर प्रदेश, सुंदरर्न, छत्तीसगढ़ प्रदेश आदद|
प्राकृ तिक प्रदेश: ऐसा इकाई क्षेत्र क्जसमें कोई एक समान ऐसे
प्राकृ ततक अभभलक्षण मौजूद हो, जो उसे समीपर्ती क्षेत्रों से भभन्न
बनातें है| जैसेेः जलर्ायु प्रदेश, मृदा प्रदेश, र्नस्पतत प्रदेश आदद|
प्रदेशों क
े लक्षण कार्यों क
े आधार पर वर्गीकरण
5. भौर्गोशलक प्रदेश: ऐसा इकाई क्षेत्र क्जसमें प्राकृ ततक एर्ं
सांस्कृ ततक दोनों प्रकार क
े अभभलक्षणों की समांगता होती है|
जैसेेः मृदा प्रदेश, शैभलक प्रदेश, र्न, घास स्थल, मरुस्थल
तथा टुन्रा प्रदेश आदद|
र्मार्गग संर्गर्म प्रदेश: र्ह प्रदेश क्जसका संगठन ककसी एक मागव-
संगम क
ें द्र पर पररर्हन और यातायात क
े प्रततरूप द्र्ारा बना
हो, मागव संगम प्रदेश कहलाता है|
नर्गर प्रदेश: ककसी बड़े नगर क
े चारों ओर क्जतना क्षेत्र
कमोपलक्षी संबंधों क
े द्र्ारा उप- महानगर से जुड़ा होता है
और उस नगर क
े द्र्ारा प्रभावर्त होता है, नगर प्रदेश
कहलाता है|
प्रदेशों क
े लक्षण कार्यों क
े आधार पर वर्गीकरण
6. बृहत स्तर पर प्रदेशों को तीन भागों में वर्भाक्जत ककया
जाता है:
प्राकृ ततक वर्शेषताओं क
े आधाररत प्रदेश
सांस्कृ ततक वर्शेषताओं पर आधाररत प्रदेश
भमर्ित प्रदेश (प्राकृ ततक एर्ं सांस्कृ ततक वर्चलकों क
े
भमलें- जुलें स्र्रूप पर आधाररत प्रदेश) इनका वर्स्ताररत
वर्र्रण तनम्नर्त है:-
बृहि स्िर पर प्रदेशों क
े प्रकार
7. ये प्रदेश सरलतम और पहचाननें में आसान होते है| एक
प्राकृ ततक प्रदेश दुसरे में देखतें – देखतें समां जाता है|
र्न प्रदेश धीरे-धीरे खुले घास क
े प्रदेश से जा भमलते है|
इसमें एकरूपता का भी अभार् होता है| जैसेेः भूमध्य
रेखीय र्षाव प्रदेश में सर्वत्र समान र्षाव नहीं है|
प्राकृ तिक प्रदेश
8. भू- आकार प्रदेश: इस प्रदेश को उनकी संरचना, उच्चार्च, उद्भर् और
काल क
े आधारों पर अंककत कर सकते है| इनमें मानर् हस्तक्षेप नहीं
होता| इनका काल मानर् काल मापक से परे है| जैसे: वर्न्ध्य, अरार्ली,
दहमालय, आल्पस ऐसे ही प्रदेश है इनक
े उपप्रदेश है जैसे दहमालय में
कश्मीर, पंजाब, और असम दहमालय आदद|
जलवार्यु प्रदेश: इसको तापक्रम, र्षाव क
े आधार पर तनधावररत ककया गया
है| इनमें उष्ण, शीत, उपोष्ण, समशीतोष्ण कदटबन्धों क
े आधार पर भी
र्गीकृ त ककया गया है| जैसे: कोपेन, थान्थ्र्ेट एर्ं भमलर क
े जलर्ायु
प्रदेश तापकमों एर्ं र्षाव क
े मापों र् उनक
े जलर्ायु प्रभार्ों पर र्गीकृ त
ककए गए है|
इको- िंत्र क
े पाररस्स्ितिक प्रदेश: ये प्रदेश जैवर्क एर्ं अजैवर्क क
े मध्य
बने संतुलन पर आधाररत है| इसक
े द्र्ारा र्ातार्रण,मानर्, जीर्- जगत
क
े समाकल संबंधो से प्रदेश की रचना संभर् है| प्राकृ ततक र्ातार्रण क
े
प्रतत मानर् की छेड़छाड़ की घटना इकोतंत्र की अर्धारणा द्र्ारा प्रकट
होती है|
प्राकृ तिक प्रदेश
9. ऐसे क्षेत्र जहां मानर् समूह क
े सांस्कृ ततक लक्षण दृश्य
जगत की पहचान है| संस्कृ तत और सांस्कृ ततक र्ातार्रण
एक स्थान से दूसरे स्थान पर भभन्न- भभन्न हैं|
सांस्कृ ततक लक्षणों की भभन्नता से मानर्ीय कक्रयाकलापों,
उनक
े व्यर्सायों और स्थान की संघटना में वर्भेद
वर्कभसत होते हैं| ऐसे प्रदेशों में मुख्य है:-
सांस्कृ तिक प्रदेश
10. जनसंख्र्या प्रदेश: जनसंख्या और जनसांक्ख्यकी लक्षणों का
सांस्कृ ततक भू- दृश्य में महत्र्पूणव योग होता है| इनको क्षेत्रों की
जनसंख्या क
े उच्च घनत्र् और कम घनत्र् क
े आधार पर इंर्गत
कर सकतें है| ऐसे क्षेत्रों को जनसंख्या प्रदेश कह सकते है| इसी
प्रकार आयु र् ् भलंग संरचना, जन्म र् ् मृत्यु दर क
े प्रारूपों,
साक्षरता, व्यर्साय और प्रर्ास क
े प्रारूपों क
े आधार पर प्रदेश
तनधावररत ककए जा सकते हैं| ये सभी जनसंख्या प्रदेश क
े वर्भशष्ट
उदहारण है|
भाषाई प्रदेश: समस्त संसार क
े भभन्न- भभन्न समाज क
े व्यक्तत
अलग – अलग भाषाओँ एर्ं बोभलयों का प्रयोग करते हैं| अतेः
मानर्चत्र में अलग- अलग भाषाओं एर्ं बोभलयों प्रदभशवत ककया
जाता है| जैसेेः इंडो- यूरोवपयन, इंडो- ईरातनयन, साइनो- ततब्बतन,
अफ्रो- एभशयाई, आस्रो- एभशयादटक आदद|
सांस्कृ तिक प्रदेश
11. धाशर्मगक प्रदेश: धमव लक्षणों क
े आधार पर प्रदेशों को वर्भभन्न
भागों में वर्भाक्जत ककया जा सकता है| धमव तनजी भसद्धांत होता
है| वर्श्र् में ईसाई. इस्लाम, यहूदी, दहन्दू, बौद्ध, भसतख और
जैन धमव क
े क्षेत्र अलग- अलग है|
राजनीतिक प्रदेश: इसक
े सीमा तनधावरण में सर्ेक्षण की
सार्धातनयां बरतने की आर्श्यकता है| यह सीमा कांटेदार बाड़
अथर्ा अस्थायी घेराबंदी और सुरक्षा चौककयों से होकर भी गुजर
सकती है| इसभलए इसका तनधावरण अत्यंत कदठन काम है|
राजनीततक सीमाएं पररर्तवन का वर्षय बनी रहती है| आंतररक र्
बाह्य दबार् क
े कारण कभी- कभी इनमें अत्यंत पररर्तवन होते है|
जैसेेः भारत में तेलंगाना नया राज्य बनाया गया क्जससे आन्र
प्रदेश की राजनीततक सीमा में पररर्तवन करना पड़ा|
सांस्कृ तिक प्रदेश
12. आर्िगक प्रदेश: आर्थवक प्रदेश क
े संसाधनों, आर्थवक कक्रयाओं क
े आधार पर तनधावररत
ककए जा सकते है| ये तनयोजन क
े भलए लाभदायक भसद्ध होते हैं| इन आर्थवक
अर्यर्ों क
े आधार पर संचररत उपप्रदेश औपचाररक होते है| इनका समन्र्य पूणवत
सामाक्जक- आर्थवक पृष्ठभूभम से जुड़ कर व्यार्हाररक प्रदेश बनता है क्जसका
महत्त्र् वर्कास र्् क्षेत्र क
े भार्ी तनयोजन में महत्र्पूणव है| इनका तनधावरण
सामाक्जक र् आर्थवक संक
े तकों क
े आधार पर करते हैं|
प्राकृ तिक संसाधन प्रदेश: क्षेत्र में संसाधनों का वर्तरण असमान है| क्षेत्र क
े
तनर्ाभसयों का जन जीर्न इन पर तनभवर होता है| ये तक
व संगत बनकर प्रदेश की
संकल्पना को स्थायी बनाते है| इनको मानर्चत्र में ददखा सकते है| इनका महत्त्र्
उद्दोगों र् द्वर्तीयक स्तर की तथा तृतीयक कक्रयाओं में देखा जाता है| ऐसे प्रदेश
वर्श्र् में खतनज तेल, प्राकृ ततक गैस, कोयला र् लोहा क
े भलए तनधावररत है|
सांस्कृ तिक प्रदेश
13. नर्गर प्रदेश: इसकी सीमा औपचाररक और व्यार्हाररक दोनों प्रकार क
े
प्रदेशों को जन्म देती है| महानगर की प्रशासतनक दृक्ष्ट से तनधावररत
सीमा उसे जड़- प्रदेश में सीभमत रखती है| लेककन महानगर अपनी
सेर्ाओं, क्रय- वर्क्रय, प्रशासन संस्थानों आदद द्र्ारा आसपास क
े क्षेत्रों
पर प्रभार् बनाए रखता है| महानगर र् बड़ें नगरों क
े ऐसे प्रभावर्त आस-
पास वर्स्तृत क्षेत्र उसका कायवपरक प्रदेश है| जैसे: संयुतत राज्य में उत्तरी-
पूर्ी समुद्रोंमुख प्रदेश एक बृहत मैगापोभलस है क्जसकी अनूठी ददनचयाव,
राजनीततक, आर्थवक र् सांस्कृ ततक गततवर्र्धयों ने उसे अतत प्रधान नगर-
प्रदेश बनाया है|
कृ वष प्रदेश: वर्श्र् में मुख्य उपजों क
े बृहत प्रदेश भी पहचाने जा सकते
हैं| दक्षक्षण एभशया में जूट प्रदेश, दक्षक्षण- पूर्ी एभशया में चार्ल प्रदेश,
संयुतत राज्य में कपास र् ् मतका और गेंहू पततयााँ उल्लेखनीए कृ वष प्रदेश
है|
सांस्कृ तिक प्रदेश
14. औधोर्र्गक प्रदेश: औधोर्गक घटकों क
े आधार पर प्रदेशों का
सीमांकन संभर् हुआ है, जैसे: हुगली- बेभसन, मुंबई- अहमदाबाद
प्रदेश आदद मुख्य औधोर्गक प्रदेश है|
र्मानशसक प्रदेश: ककसी भी स्थान की हमारे मक्स्तष्क में उभरी एक
वर्कृ त तस्र्ीर भी अंककत रहती है| यह हमारे सोच का पररणाम है
जो हम ककसी स्थान क
े वर्षय में अर्धारणा ककए बैठें हैं| यह
तस्र्ीर सच्चाई से भभन्न होती है| इसक
े लक्षणों क
े आधार पर हम
उसे मक्स्तष्क में रचे बैठे रहते है| जैसे: हररयाणा क
े मानभसक
मानर्चत्र की तस्र्ीर पंजाब क
े मानभसक मानर्चत्र से अलग होती
है|दोनों क
े मानभसक मानर्चत्र सोचने पर दोनों क्षेत्रों की अलग
तस्र्ीर उभर कार सामने आती है|
सांस्कृ तिक प्रदेश
15. भौगोभलक वर्चारधाराएाँ एर्ं वर्र्ध-तंत्र “एस. डी. कौभशक”
भौगोभलक र्चंतन का इततहास “माक्जद हुसैन”
भूगोल मुख्य परीक्षा “डी.आर. खुल्लर”
Regional Planning and Development “R.C. Chandna”
सन्दभव