वीर दामोदर सावरकर को सम्मान देना है तो गांधी की विचारधारा की तरफ अपनी पीठ करनी होगी। और अगर गांधी को स्वीकारना है तो सावरकर की विचारधारा को नकारना होगा। दोनों को एक साथ लेकर चलना लगभग असंभव है।
6 बार माफीनामा लिखने वाले व अंग्रेजो से पेंशन पाने वाले सावरकर ‘वीर’ कैसे?
1. 6 बार माफ नामा लखने वाले व अं ेजो से पशन पाने वाले सावरकर ‘वीर’ कै से?
"वीर दामोदर सावरकर को स मान देना है तो गांधी क वचारधारा क तरफ अपनी पीठ करनी होगी।
और अगर गांधी को वीकारना है तो सावरकर क वचारधारा को नकारना होगा। दोन को एक साथ
लेकर चलना लगभग असंभव है।"
ह दू धम और ह दु व को राजनी त म वेश दलाने वाले वनायक दामोदर सावरकर क आज (28
मई) जयंती है। सावरकर भारतीय आधु नक इ तहास क ऐसी शि सयत ह िजनका जब भी नाम लया
जाता है वरोध के सुर अपने आप तैयार हो जाते ह। वतमान भाजपा सरकार सावरकर को लेकर िजतना
फ मंद रह है कां ेस उतना ह वरोधी। बहुत मामल म कां ेस और भाजपा एक छोर पर खड़े दख
जाएंगे पर जब बात सावरकर क हो तो दोन पा टय दो अलग ुव पर खड़ी दखती ह।
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2. ना सक के भागपुर म 28 मई 1883 को ज म सावरकर जब 7 साल के थे तो हैजे क बीमार से इनक मां
और जब इनक उ 16 साल थी तो लेग क महामार से इनके पता दामोदर पंत सावरकर क मौत हो
गई। इसके बाद प रवार क िज मेदार बड़े भाई पर आ गई। िज ह ने प रवार को पूर िज मेदार के साथ
स भाला और आगे बढ़ाया।
सावरकर के जीवन का सबसे बड़ा ध बा मह मा गांधी क ह या म सं ल तता को लेकर लगा। पु लस ने
सावरकर को गर तार कया उनसे पूछताछ क , हाल क वो सबूत के अभाव म छू ट गए पर उनक जांच
को लेकर बैठा कपूर आयोग और उसके जांच क रपोट क सूई कभी भी सावरकर से नह ं हट ।
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फ कहां!
राजनी त म हदु व और ह दु रा वाद को व था पत करने वाले वचार को लेकर सावरकर को पुणे के
फर यूसन कॉलेज से न का षत कर दया गया। न कासन के 1 साल बाद उ ह ना सक के कले टर
जैकसन क ह या म स लं तता के कारण लंदन म गर तार कर लया गया। सावरकर पर आरोप था क
उ ह ने लंदन से एक कले टर क ह या करने के लए एक प तौल अपने भाई को भेजी थी।
सावरकर अं ेजो को चकमा देने क को शश म लगे रहे उ ह जब लंदन से ांस के मास ब दरगाह पर
लगाया जा रहा था तो वह पोट होल से समु म कू द गए। उसके बाद तैरकर शहर क ओर दौड़ना शु कर
दया। पु लस वाल ने उनका पीछा कया और पकड़ लया।
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सावरकर इसके बाद अं ेजो के कै द म चले गए, उनक आजाद यह ं समा त हो जाती है। अगले ढाई
दशक वह अ ेज के गुलाम रहे। 25-25 साल क दो सजाएं सुनाकर उ ह भारत क कसी जेल म नह ं
बि क भारत से दूर अंडमान यानी काला पानी भेज दया गया। जहां सावरकर को एक छोट सी कोठर म
रखा गया।
3. अंडमान क जेल म कै दय को बड़ी यातनाएं द जाती थी, उनसे को हू के बैल मा फक काम लया जाता
था। ना रयल को छ लकर उसम से तेल नकालना होता था। उनसे सरकार अफसर क बि घय को
खंचवाया जाता था। जो नह ं खींच पाते थे उ ह पीटा जाता था। खाना भी औसत ह दया जाता था।
िजससे वह िज दाभर रह सके ।
सावरकर के अ दर ये सब देखने के बाद शु म तो गु सा बढ़ा पर धीरे-धीरे वह समा य हो गए और वहां
से नकलने क तरक बे सोचने लगे। 11 जुलाई 1911 को जेल पहुंचे सावरकर ने डेढ़ मह ने बाद ह
माफ नामा लखा। अं ेज ने उनके माफ नाम पर वचार करना उ चत नह ं समझा। अगले 9 साल के
भीतर सावरकर ने 6 बार माफ नाफा लखा। माफ नाम उ ह ने लखा
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'अगर सरकार अपनी असीम भलमनसाहत और दयालुता म मुझे रहा करती है तो मै यक न दलाता हूं
क म सं वधानवाद वकास का सबसे क टर समथक रहूंगा और अं ेजी सरकार के त वफादार रहूंगा।'
जानकार बताते ह क िजस कोठर म सावरकर को रखा गया था उसके ठ क नीचे बैरक म कै दय को
फांसी द जाती थी इसका भी उनपर असर हुआ। साथ ह जेल म ब द कै द ब र घोष बताते थे ह क
सावरकर हम कै दय को जेलर के व ध आ दोलन करने को भड़काते तो थे पर जब उनके कहा जाता
था क आप भी साथ आईए तो वह पीछे हो जाते थे।
सावरकर के माफ नामे का असर ये हुआ क जेल का शासन उनपर अ य कै दय क तरह बबरता के
साथ पेश नह ं आता था। इसको इस बात से पु ता कया जा सकता है जेल म सभी कै दय का वजन 15
दन म लया जाता था। सावरकर जब जेल गए तो वह 112 पाउंड के थे और जब उ ह ने अपना चौथा
माफ नामा दया तो वह 126 पाउंड के थे।
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4. 1920 म बाल गंगाधर तलक और व लभ भाई पटेल के कहने पर टश कानून न तोड़ने और व ोह न
करने क शत पर उ ह रहाई दे द गई। सावरकर को ये स त हदायत थी क बना र ना गर के
कले टर को बताए आप कह ं बाहर नह ं जा सकते। सावरकर इसके बाद भारत आए और उ ह ने ह दु व
पर ंथ लखा।
कहा जाता है क अं ेज उ ह 60 पए मह ना पशन दया करते थे। अं ेज उनको अपनी कौन सी सेवा के
लए ये पशन देते थे फलहाल इसपर कु छ कह पाना संभव नह ं है। इस तरह क पशन पाने वाले वह
अके ले श स थे।
ह दू और ह दू तान के लए काम करने वाले सावरकर को ह दू महासभा ने 1937 म अपना अ य
बनाया, 1938 म उ ह ने इसे राजनै तक दल घो षत कर दया। अगले सात साल तक वह महासभा के
अ य बने रहे। और वतं ता अद लन मे लगे रहे। गांधी और सावरकर म वैचा रक मतभेद शु से ह
रहे। वह गांधी क आजाद क लड़ाई के तर क से एकदम सहमत नह ं थे।
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सावरकर क छ व को उस समय ध का लगा जब उ ह गांधी ह याकांड म गर तार कया गया। उनके
साथ 8 और लोग को गर तार कया गया। जांच म ठोस सबूत न मलने के कारण उ ह बर कर दया
गया पर इस ध बे से वह अपने आप से कभी साफ नह ं कर पाए। यहां तक क रा य वयंसेवक संघ ने
भी उनसे प ला झाड़ लया। 1966 तक वह िज दा रहे ले कन समािजक वीकायता कभी नह ं मल ।
भाजपा हमेशा सावरकर के साथ खड़ी रह । अटल बहार क सरकार ने सन 2000 म उ ह भारत का
सव च नाग रक स मान 'भारत र न' देने का ताव भेजा पर त का लक रा प त के आर नरायणन ने
सरकार के इस ताव को सरे से खा रज कर दया। 2014 म चंड बहुमत के साथ स ा म आए पीएम
मोद शपथ लेने के दो दन बाद सावरकर के आगे शीश नवाते ह िजधर मोद जी क पीठ थी उधर
महा मा गांधी क त वीर लगी थी।