1. बदलते मौसम में बचें एलर्जी से
बदलते मौसम में नाक बहना, आंखों में जलन और छाती जमना आम बात होती है। यह एलजी बहुत
परेशान करने वाली होती है और अगर तुरंत इसका इलाज न ककया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है।
ऐसे में बचाव के ललए सतकक ता जरूरी है। एलजी शरीर की रोग-प्रततरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों
और जानवरों के रेशों के प्रतत प्रततकिया की वजह से होती है। इन कणों के प्रततरोध की वजह से शरीर में
हेस्टामाइन तनकलता है, जो तेजी से फै ल कर एलजी के जलन वाले लक्षण पैदा करता है। नई ददल्ली स्स्ित
सरोर्ज सुपर स्पेशललटी हास्स्पटल के डॉ. बी. के . अग्रवाल का कहना है कक एलजी के लक्षणों में जुकाम,
आंखों में जलन, गला खराब होना, बहती या बंद नाक, कमजोरी और बुखार प्रमुख हैं। अगर समय पर
इलाज न ककया जाए तो यह हल्की एलजी साइनस संिमण, ललम्फ नोड संिमण और अस्िमा जैसी
गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।
इस बात की जानकारी होनी चादहए कक आपको ककस चीज से एलजी है तभी आप एलजी से बच सकते हैं
और होने पर इलाज भी हो सकता है। उन्होंने कहा कक एलजी की पहचान करने के ललए कई ककस्म के टेस्ट
ककए जाते हैं। एलजी स्स्कन टेस्स्टंग जांच का सबसे ज्यादा संवेदनशील तरीका है, स्जसके पररणाम भी
तुरंत आते हैं। जब स्स्कन टेस्ट से सही पररणाम न लमलें, तब सेरम स्पैस्स्फ क एलजीई एंटी बॉडी टेस्स्टंग
जैसे ब्लड टेस्ट भी तब ककए जा सकते हैं। डॉ. अग्रवाल के अनुसार एलजी का सबसे बेहतर इलाज यही है
कक स्जतना हो सके एलजी वाली चीजों से बचें। मौसमी एलजी बच्चों से लेकर ककसी भी उम्र के लोगों को हो
सकती है लेककन 6 से 18 साल के बच्चों को इससे प्रभाववत होने की ज्यादा संभावना होती है।
ऐसे करें बचाव
एलजी से बचने के ललए फ्लैक्स के बीज से प्राप्त होने वाले प्राकृ ततक फै टी एलसड काफी मददगार साबबत
होते हैं। रेशा बनाने वाले पदािक जैसे कक दूध, दही, प्रोसेस्ड गेहूं और चीनी से परहेज करें। अदरक, लहसुन,
शहद और तुलसी एलजी से बचाव करते हैं। अगर आपको धूलकणों या धागे के रेशों से एलजी है तो हाईपो
एलस्जकक बबस्तर खरीदें। आसपास का माहौल धूल और प्रदूषण मुक्त रखें। सीलन भरे कोनों में फफूं द और
परागकणों को साफ करें। बंद नाक और साइनस से आराम के ललए स्टीम इनहेलर का प्रयोग करें।