8. जिसको पाकर मुक्त हुआ था, भारतमाता का उपवन।
आओ आि सुनाएं तुमको, बापू का ननममल िीवन।।
9. दक्षिण अफ्रीका में लड़ने को, एक मुकदमा था आाा।
पर्ड़ी धारण करके र्ांधी, उस वक्त अदालत में
आाा।।
10. फकतनी उंर्ली उठ ं कोई, र्ांधी को न झुका पााा।
मैं भारतवासी हूं, संस्कृ नत का, मान मुझे प्ाारा।।
थे रोि देखते, कालों का, अपमान वहां होता रहता।
ाह देख-देखकर मोहन का मन, िार-िार रोता रहता।।
11. तभी एक ट्रदन ठान ली, दूर करं अन्ााा।
चाहे कु छ करना पड़े, ट्रदलवाऊं र्ा न्ााा।।
12. जिसको पाकर मुक्त हुआ था, भारतमाता का
उपवन।
आओ आि सुनाएं तुमको, बापू का ननममल िीवन।।
13. फकतने ही आंदोलन करके , र्ांधी ने बात बढ़ाई थी।
जितने भी काले रहते थे, उन सबकी िान बढ़ाई थी।।
फिर भारत में वापस आकर, वे रािनीनत में कू द पड़े।
िथम ाुद्ध में, िाशमल होकर अंग्रेिों के साथ रहे।।
14. अंग्रेिों का ाह कहना था, ाट्रद पविा उन्हें ही शमल
िाएतो भारत को आिाद करें, और अपने वतन पलट
िाएं।।।
16. नमक और भारत छोड़ो आंदोलन को, फिर अपनााा।
फिर िाशमल होकर र्ोलमेि में, भारत का हक बतलााा।।
17. भारत छोड़ो का नारा अब, घर-घर से उठता आता था।
इस नारे को सुन-सुनकर अब, अंग्रेि राि थरामता था।।
18. सारे नेता िेलों में थे, कर आिादी का र्ान रहे।
हो िाण ननछावर अपने पर, इस मातृभूशम का मान रहे।।
19. देख यह ां की स्थिति, समझ गए अांग्रेज।
यह फू लों की है नह ां, यह क ांटों की सेज।।
20. पन्रह अर्स्त सैंतालीस को, भारत प्ाारा आिाद
हुआ।
दो टुकड़ों में बंट र्ाा, ाही सुख-दु:ख पााा था शमला-
िुला।।
21. दंर्े-िसाद थे िुर हुए, हर र्ली-र्ांव कु रुिेत्र हुआ।
र्ांधी बाबा ने अनिन कर, ननि िाण दांव पर लर्ा
ट्रदाा।।
फिर 30 िनवरी आई वह, छ: बिे िाम की बात रही।
िाथमना सभा में िाते थे, बापू को र्ोली वहीं लर्ी।।
22. ड गए।ूबे सारे िोक में, र्ांधी महािााण।
धरती पर सब कर रहे, बापू का र्ुणर्ान।।
23. र्ंदर्ी को दूर भर्ाना है
भारत का मान बढ़ाना है
बापू र्ांधी िी के सपने
को पूरा कर ट्रदखाना है
भारत स्वच्छ बनानां है