4. मीन मुग्ध
||अश्वन्यै नमः||
|| अश्वनी कु मार व्रत कथा ||
जो भी इस ग्रन्थ का पाठ ११, २१, ५२, १०८ या आजीवन सोमवार व्रत अथवा पूर्णमासी से ३ दिन तक व्रत या
िोनों और मखाना का लावा प्रसाि में िेता है और प्रसाि लाता है | और श्वेत ललिंग घर ला कर जल चढ़ाएगा उसपे
भगवान िेवाधधिेव अश्वनी कु मार की कृ पा होती है | जो भक्त अश्वन्यै नमः का जाप १० लाख बार करता है उसे
अश्वनी लोक या पि प्राप्त होता है |
िेवाधधिेव अश्वनी कु मार ब्राह्मर् हैं | उनके ध्वज को त्रिपु कहते हैं | उनकी धिष्टी का नाम मीन मुग्ध है | उनका
ग्रन्थ अश्वनी सिंदहता है | उनके पपता का नाम वासुिेव है | उनकी माता का नाम मााँ अमरावती िेवी हैं जो भगवान
बृहस्पतत की उपासक हैं | िेवाधधिेव अश्वनी कु मार की भायाण का नाम माता रूधच है | उनके पुि का नाम अद्वैत
और प्रिुम्न है | महाराज प्रिुम्न के पुि का नाम पवरिंग है | ये सभी नाम वन्िनीय है | िेवाधधिेव अश्वनी कु मार
सतयुग के िेवता है जजन्होंने बार्ासुर का वध ककया था | वो समुद्र मिंथन में नहीिं उपजस्थत थे जबकी िेवगर् ही
थे | परमेश्वर भी उन्हें कहा गया है | उनके कई जाप हैं | अश्वन्यै नमः प्रमुख है , अश्वनैः , अश्वन्यै , मीन
मुग्ध्यै नमः , अश्वनी सिंदहताय नमः इत्यादि भी जाप ककया जाता है | अश्वनी सिंदहता भी लिव सिंदहता की तरह
एक सिंदहता है जजसमें िेवाधधिेव अश्वनी कु मार और मााँ रूधच की प्रेम कथा का वर्णन ककया है | जो िेवाधधिेव
अश्वनी कु मार के उपासक हैं वो घर पे ऋगवेि का पाठ कराते हैं |