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AMRIT FESTIVAL OF INDEPENDENCE "A Tribute to Heroes of
Indian Freedom Struggle"
India's Forgotten ...? Freedom Fighter
दुर्गावती देवी (दुर्गा भगभी)….?
एक महगन महहलग क्गांततकगरी.. (बललदगन और उनकी बहगदुरी)
दुर्गा भगभी : एक महगन महहलग क्गांततकगरी जिसने भगरत की आजगदी क
े खग ा़
ततर अपने
पतत तक को खो हदयग। भगरत को एक बहुत लम्बे सांघर्ा क
े बगद आजगदी लमली थी। पर
इस आजगदी को हदलगने क
े ललए अपने प्रगणों तक की आहुतत देनेवगले स्वतांत्रतग सेनगतनयों
को आि हम भूलते िग रहे हैं। खगसकर, उन महहलग स्वतांत्रतग सेनगनीओां को, जिन्होंने
पुरुर्ों क
े क
ां धे से क
ां धग लमलगकर देश की स्वतांत्रतग में अहम भूलमकग तनभगई थी।
ऐसी ही एक भूली-बबसरी कहगनी है दुर्गा देवी वोहरग की, दुर्गावती देवी जिन्हें लोकप्रप्रय
रूप से 'दुर्गा भगभी क
े नगम से िगनग िगतग है, दुर्गा भगभी कग िन्म 7 अक्टू बर 1902
को शहिगदपुर ग्रगम अब कौशगम्बी जिलग में पांडित बगांक
े बबहगरी क
े यहगां हुआ। वह एक
भगरतीय क्गांततकगरी और स्वतांत्रतग सेनगनी थीां। उन्होंने स्वतांत्रतग सांग्रगम क
े दौरगन न
क
े वल महत्वपूणा र्ततप्रवधधयों को अांिगम हदयग बजकक भर्त लसांह, रगिर्ुरु और सुखदेव
क
े िीवन पर भी इनकग र्हरग प्रभगव रहग। वह भर्त लसांह क
े सगथ ट्रेन यगत्रग में िगने क
े
ललए सबसे अच्छी तरह से िगनी िगती हैं, जिसमें उन्होंने सॉन्िसा की हत्यग क
े बगद भेस
में भगर् ललयग थग।
दुर्गावती देवी कग प्रववगह ग्यगरह वर्ा की उम्र में भर्वती चरण वोहरग से हुआ थग। वह
हहांदुस्तगन सोशललस्ट ररपजललकन एसोलसएशन (एचएसआरए) क
े सदस्य भर्वती चरण
वोहरग की पत्नी थीां, इसललए एचएसआरए क
े अन्य सदस्यों ने उन्हें भगभी क
े रूप में
सांदलभात ककयग और भगरतीय क्गांततकगरी हलकों में "दुर्गा भगभी" क
े रूप में लोकप्रप्रय हो
र्ईं।दुर्गा भगभी ने र्ुमनगमी की जजन्दर्ी िीकर भी, देश को स्वतांत्रतग हदलगने क
े ललए
अांग्रेिों की ईंट से ईंट बिग दी थी।
दुर्गावती देवी क
े ससुर लशवचरण िी रेलवे में ऊ
ां चे पद पर तैनगत थे। अांग्रेि सरकगर ने
उन्हें रगय सगहब कग खखतगब हदयग थग। भर्वती चरण बोहरग रगय सगहब कग पुत्र होने क
े
बगविूद अांग्रेिों की दगसतग से देश को मुक्त करगनग चगहते थे। वे क्गांततकगरी सांर्ठन क
े
प्रचगर सधचव थे। वर्ा 1920 में प्रपतग िी की मृत्यु क
े पश्चगत भर्वती चरण वोहरग
खुलकर क्गांतत में आ र्ए और उनकी पत ्नी दुर्गा भगभी ने भी पूणा रूप से सहयोर् ककयग।
वह उन क
ु छ महहलग क्गांततकगररयों में से एक थीां जिन्होंने सत्तगरूढ़ बिहटश रगि क
े
खखलगफ सशस्त्र क्गांतत में सकक्य रूप से भगर् ललयग।
बचपन से ही अांग्रेिों क
े अत्यगचगरों को देखकर बड़े हुए भर्वती 1920 क
े दशक में
सत्यगग्रह क
े आन्दोलन से िुड़ र्ये।लगहौर क
े नेशनल कॉलेि क
े छगत्र क
े रूप में
उन्होंने भर्त लसांह, सुखदेव और यशपगल क
े सगथ लमलकर एक स्टिी सक
ा ल की शुरुआत
की, िो दुतनयग भर में होने वगले क्गांततकगरी आांदोलनों क
े बगरें में िगनने-समझने क
े ललए
बनगयग र्यग थग।
उस समय दुर्गा देवी लगहौर में एक कॉलेि में पढ़गती थीां। अपने घर पर आये
क्गांततकगररयों से वे पहली बगर सम्पक
ा में आयीां, और हहांदुस्तगन सोशललस्ट ररपजललकन
एसोलसएशन (एचएसआरए) में शगलमल हो र्यी। एचएसआरए कग लक्ष्य भगरत को
बिहटश शगसन क
े बांधनों से मुक्त करनग थग। 1920 क
े दशक क
े अांत तक, एचएसआरए
क
े सदस्यों ने अपनी क्गांततकगरी र्ततप्रवधधयों को बढ़ग हदयग थग और दुर्गा देवी एक
महत्वपूणा योिनगकगर क
े रूप में एचएसआरए कग एक अलभन्न हहस्सग बन र्यी।
1928 में, अपने बेटे को िन्म देने क
े तीन सगल बगद, दुर्गा देवी को अपनी र्ततप्रवधधयगाँ
रोकनी पड़ीां। क्योंकक अांग्रेज लसपगहहयों ने एचएसआरए सदस्यों क
े खखलगफ़ क्
ू र रूप से
दमनकगरी अलभयगन शुरू कर हदयग थग। भर्वती चरन ने उस समय बम बनगने क
े ललए
लगहौर में एक कमरग ककरगए पर ललयग।
पतत की मृत्यु
क
ें द्रीय असेंबली में बम फ
ें कने क
े बगद । िब भर्त लसांह धर्रफ्तगर हुए तो उन्हें बचगने क
े
ललए बम बनगए र्ए। 28 मई 1930 को रगवी नदी क
े तट पर दुर्गा देवी क
े पतत भर्वती
चरण वोहरग अपने सगधथयों क
े सगथ बम बनगने क
े बगद परीक्षण कर रहे थे जिसकी विह
से उनकी मौत हो र्ई। पतत की मृत्यु क
े बगद भी दुर्गा देवी सकक्य रहीां।अपने पतत की
मौत से उबरने क
े ललए दुर्गा देवी ने अपनी क्जन्तकगरी र्ततप्रवधधयगाँ और तेि कर दी थीां।
िुलगई 1929 में, उन्होंने भर्त लसांह की तस्वीर क
े सगथ लगहौर में एक िुलूस कग
नेतृत्व ककयग और उनकी ररहगई की मगांर् की। इसक
े क
ु छ हफ्ते बगद, 63 हदनों तक भूख
हड़तगल करनेवगले िगततांद्र नगथ दगस की िेल में ही शहीद हो र्ए! ये दुर्गा देवी ही थीां,
जिन्होंने लगहौर में उनकग अांततम सांस्कगर करवगयग।
8 अक्टू बर 1929 को उन्होंने दक्षक्षण बॉम्बे में लैलमांर्टन रोि पर खड़े हुए एक बिहटश
पुललस अधधकगरी पर हमलग ककयग। यह पहली बगर थग िब ककसी महहलग को ‘इस तरह से
क्जन्तकगरी र्ततप्रवधधयों में शगलमल’ पगयग र्यग थग। इसक
े ललए, उन्हें धर्रफ्तगर कर
ललयग र्यग और तीन सगल की िेल हुई।
9 अक्टू बर 1930 को दुर्गा भगभी ने र्वनार हैली पर र्ोली चलग दी थी जिसमें र्वनार
हैली तो बच र्यग लेककन सैतनक अधधकगरी टेलर घगयल हो र्यग। मुांबई क
े पुललस
कलमश्नर को भी दुर्गा भगभी ने र्ोली मगरी थी जिसक
े पररणगम स्वरूप अांग्रेि पुललस
इनक
े पीछे पड़ र्ई। मुांबई क
े एक फ्लैट से दुर्गा भगभी व सगथी यशपगल को धर्रफ्तगर कर
ललयग र्यग। दुर्गा भगभी कग कगम सगथी क्गांततकगररयों क
े ललए रगिस्थगन से प्रपस्तौल लगनग
व ले िगनग थग। चांद्रशेखर आिगद ने अांग्रेिों से लड़ते वक्त जिस प्रपस्तौल से खुद को
र्ोली मगरी थी उसे दुर्गा भगभी ने ही लगकर उनको दी थी। उस समय भी दुर्गा भगभी उनक
े
सगथ ही थीां।
भर्त लसांह को बचगयग
िब भर्त लसांह और सुखदेव बिहटश पुललस अफसर िॉन सगांिसा को र्ोली मगर कर आए
तो दुर्गा देवी क
े घर रुक
े । उन्हें कोलकगतग पहुांचगने कग कगम भी दुर्गा भगभी ने ककयग थग।
पुललस से बचगने क
े ललए दुर्गा देवी ने भर्त लसांह कग रूप रांर् बदलवगयग और खुद को
उनकी पत्नी बतग कर उन्हें कोलकगतग ले र्इं।
आजगदी क
े बगद क
े वर्ों में दुर्गा देवी लखनऊ में र्ुमनगमी की जजन्दर्ी िीती रहीां। 15
अक्टू बर, 1999 को 92 सगल की उम्र में वे इस दुतनयग को अलप्रवदग कह र्यी।
अक्सर यही होतग आयग है… हमगरग इततहगस महहलगओां क
े बललदगन और उनकी बहगदुरी
को अक्सर भूल िगतग है। बहुत सी ऐसी नगतयकगएां हमेशग तछपी ही रह िगती हैं। दुर्गा देवी
वोहरग भी उन्हीां नगतयकगओां में से एक हैं!
देश की आजगदी क
े ललए मर-लमटने वगली ऐसी वीरगांर्नगओां को कोहट कोहट प्रणगम!

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दुर्गा भाभी

  • 1. AMRIT FESTIVAL OF INDEPENDENCE "A Tribute to Heroes of Indian Freedom Struggle" India's Forgotten ...? Freedom Fighter दुर्गावती देवी (दुर्गा भगभी)….? एक महगन महहलग क्गांततकगरी.. (बललदगन और उनकी बहगदुरी) दुर्गा भगभी : एक महगन महहलग क्गांततकगरी जिसने भगरत की आजगदी क े खग ा़ ततर अपने पतत तक को खो हदयग। भगरत को एक बहुत लम्बे सांघर्ा क े बगद आजगदी लमली थी। पर इस आजगदी को हदलगने क े ललए अपने प्रगणों तक की आहुतत देनेवगले स्वतांत्रतग सेनगतनयों को आि हम भूलते िग रहे हैं। खगसकर, उन महहलग स्वतांत्रतग सेनगनीओां को, जिन्होंने पुरुर्ों क े क ां धे से क ां धग लमलगकर देश की स्वतांत्रतग में अहम भूलमकग तनभगई थी। ऐसी ही एक भूली-बबसरी कहगनी है दुर्गा देवी वोहरग की, दुर्गावती देवी जिन्हें लोकप्रप्रय रूप से 'दुर्गा भगभी क े नगम से िगनग िगतग है, दुर्गा भगभी कग िन्म 7 अक्टू बर 1902 को शहिगदपुर ग्रगम अब कौशगम्बी जिलग में पांडित बगांक े बबहगरी क े यहगां हुआ। वह एक भगरतीय क्गांततकगरी और स्वतांत्रतग सेनगनी थीां। उन्होंने स्वतांत्रतग सांग्रगम क े दौरगन न क े वल महत्वपूणा र्ततप्रवधधयों को अांिगम हदयग बजकक भर्त लसांह, रगिर्ुरु और सुखदेव क े िीवन पर भी इनकग र्हरग प्रभगव रहग। वह भर्त लसांह क े सगथ ट्रेन यगत्रग में िगने क े ललए सबसे अच्छी तरह से िगनी िगती हैं, जिसमें उन्होंने सॉन्िसा की हत्यग क े बगद भेस में भगर् ललयग थग। दुर्गावती देवी कग प्रववगह ग्यगरह वर्ा की उम्र में भर्वती चरण वोहरग से हुआ थग। वह हहांदुस्तगन सोशललस्ट ररपजललकन एसोलसएशन (एचएसआरए) क े सदस्य भर्वती चरण वोहरग की पत्नी थीां, इसललए एचएसआरए क े अन्य सदस्यों ने उन्हें भगभी क े रूप में सांदलभात ककयग और भगरतीय क्गांततकगरी हलकों में "दुर्गा भगभी" क े रूप में लोकप्रप्रय हो
  • 2. र्ईं।दुर्गा भगभी ने र्ुमनगमी की जजन्दर्ी िीकर भी, देश को स्वतांत्रतग हदलगने क े ललए अांग्रेिों की ईंट से ईंट बिग दी थी। दुर्गावती देवी क े ससुर लशवचरण िी रेलवे में ऊ ां चे पद पर तैनगत थे। अांग्रेि सरकगर ने उन्हें रगय सगहब कग खखतगब हदयग थग। भर्वती चरण बोहरग रगय सगहब कग पुत्र होने क े बगविूद अांग्रेिों की दगसतग से देश को मुक्त करगनग चगहते थे। वे क्गांततकगरी सांर्ठन क े प्रचगर सधचव थे। वर्ा 1920 में प्रपतग िी की मृत्यु क े पश्चगत भर्वती चरण वोहरग खुलकर क्गांतत में आ र्ए और उनकी पत ्नी दुर्गा भगभी ने भी पूणा रूप से सहयोर् ककयग। वह उन क ु छ महहलग क्गांततकगररयों में से एक थीां जिन्होंने सत्तगरूढ़ बिहटश रगि क े खखलगफ सशस्त्र क्गांतत में सकक्य रूप से भगर् ललयग। बचपन से ही अांग्रेिों क े अत्यगचगरों को देखकर बड़े हुए भर्वती 1920 क े दशक में सत्यगग्रह क े आन्दोलन से िुड़ र्ये।लगहौर क े नेशनल कॉलेि क े छगत्र क े रूप में उन्होंने भर्त लसांह, सुखदेव और यशपगल क े सगथ लमलकर एक स्टिी सक ा ल की शुरुआत की, िो दुतनयग भर में होने वगले क्गांततकगरी आांदोलनों क े बगरें में िगनने-समझने क े ललए बनगयग र्यग थग। उस समय दुर्गा देवी लगहौर में एक कॉलेि में पढ़गती थीां। अपने घर पर आये क्गांततकगररयों से वे पहली बगर सम्पक ा में आयीां, और हहांदुस्तगन सोशललस्ट ररपजललकन एसोलसएशन (एचएसआरए) में शगलमल हो र्यी। एचएसआरए कग लक्ष्य भगरत को बिहटश शगसन क े बांधनों से मुक्त करनग थग। 1920 क े दशक क े अांत तक, एचएसआरए क े सदस्यों ने अपनी क्गांततकगरी र्ततप्रवधधयों को बढ़ग हदयग थग और दुर्गा देवी एक महत्वपूणा योिनगकगर क े रूप में एचएसआरए कग एक अलभन्न हहस्सग बन र्यी। 1928 में, अपने बेटे को िन्म देने क े तीन सगल बगद, दुर्गा देवी को अपनी र्ततप्रवधधयगाँ रोकनी पड़ीां। क्योंकक अांग्रेज लसपगहहयों ने एचएसआरए सदस्यों क े खखलगफ़ क् ू र रूप से
  • 3. दमनकगरी अलभयगन शुरू कर हदयग थग। भर्वती चरन ने उस समय बम बनगने क े ललए लगहौर में एक कमरग ककरगए पर ललयग। पतत की मृत्यु क ें द्रीय असेंबली में बम फ ें कने क े बगद । िब भर्त लसांह धर्रफ्तगर हुए तो उन्हें बचगने क े ललए बम बनगए र्ए। 28 मई 1930 को रगवी नदी क े तट पर दुर्गा देवी क े पतत भर्वती चरण वोहरग अपने सगधथयों क े सगथ बम बनगने क े बगद परीक्षण कर रहे थे जिसकी विह से उनकी मौत हो र्ई। पतत की मृत्यु क े बगद भी दुर्गा देवी सकक्य रहीां।अपने पतत की मौत से उबरने क े ललए दुर्गा देवी ने अपनी क्जन्तकगरी र्ततप्रवधधयगाँ और तेि कर दी थीां। िुलगई 1929 में, उन्होंने भर्त लसांह की तस्वीर क े सगथ लगहौर में एक िुलूस कग नेतृत्व ककयग और उनकी ररहगई की मगांर् की। इसक े क ु छ हफ्ते बगद, 63 हदनों तक भूख हड़तगल करनेवगले िगततांद्र नगथ दगस की िेल में ही शहीद हो र्ए! ये दुर्गा देवी ही थीां, जिन्होंने लगहौर में उनकग अांततम सांस्कगर करवगयग। 8 अक्टू बर 1929 को उन्होंने दक्षक्षण बॉम्बे में लैलमांर्टन रोि पर खड़े हुए एक बिहटश पुललस अधधकगरी पर हमलग ककयग। यह पहली बगर थग िब ककसी महहलग को ‘इस तरह से क्जन्तकगरी र्ततप्रवधधयों में शगलमल’ पगयग र्यग थग। इसक े ललए, उन्हें धर्रफ्तगर कर ललयग र्यग और तीन सगल की िेल हुई। 9 अक्टू बर 1930 को दुर्गा भगभी ने र्वनार हैली पर र्ोली चलग दी थी जिसमें र्वनार हैली तो बच र्यग लेककन सैतनक अधधकगरी टेलर घगयल हो र्यग। मुांबई क े पुललस कलमश्नर को भी दुर्गा भगभी ने र्ोली मगरी थी जिसक े पररणगम स्वरूप अांग्रेि पुललस इनक े पीछे पड़ र्ई। मुांबई क े एक फ्लैट से दुर्गा भगभी व सगथी यशपगल को धर्रफ्तगर कर ललयग र्यग। दुर्गा भगभी कग कगम सगथी क्गांततकगररयों क े ललए रगिस्थगन से प्रपस्तौल लगनग व ले िगनग थग। चांद्रशेखर आिगद ने अांग्रेिों से लड़ते वक्त जिस प्रपस्तौल से खुद को र्ोली मगरी थी उसे दुर्गा भगभी ने ही लगकर उनको दी थी। उस समय भी दुर्गा भगभी उनक े सगथ ही थीां।
  • 4. भर्त लसांह को बचगयग िब भर्त लसांह और सुखदेव बिहटश पुललस अफसर िॉन सगांिसा को र्ोली मगर कर आए तो दुर्गा देवी क े घर रुक े । उन्हें कोलकगतग पहुांचगने कग कगम भी दुर्गा भगभी ने ककयग थग। पुललस से बचगने क े ललए दुर्गा देवी ने भर्त लसांह कग रूप रांर् बदलवगयग और खुद को उनकी पत्नी बतग कर उन्हें कोलकगतग ले र्इं। आजगदी क े बगद क े वर्ों में दुर्गा देवी लखनऊ में र्ुमनगमी की जजन्दर्ी िीती रहीां। 15 अक्टू बर, 1999 को 92 सगल की उम्र में वे इस दुतनयग को अलप्रवदग कह र्यी। अक्सर यही होतग आयग है… हमगरग इततहगस महहलगओां क े बललदगन और उनकी बहगदुरी को अक्सर भूल िगतग है। बहुत सी ऐसी नगतयकगएां हमेशग तछपी ही रह िगती हैं। दुर्गा देवी वोहरग भी उन्हीां नगतयकगओां में से एक हैं! देश की आजगदी क े ललए मर-लमटने वगली ऐसी वीरगांर्नगओां को कोहट कोहट प्रणगम!