3. 1
• भारतीय सुधार आंदोलन मोटे तौर पर भारतीय समाज पर पश्चिम प्रभाव के
कारण हुआ 18 वीं सदी में भारतीय समाज में कई जाततगत प्रथाएं प्रिललत थी |
भारतीय सुधार आंदोलन मोटे तौर पर भारतीय समाज पर पश्चिम प्रभाव के
कारण हुआ 18 वीं सदी में भारतीय समाज में कई जाततगत प्रथाएं प्रिललत थी |
2
•साथ साथ खानपान, अंतरस्तरीय वववाह और छु आछू त की बाजना इनमें से
कु छ है तनिली जाततयों की श्स्थतत बहुत खराब थी उन्हें अछू त माना जाता
था कक उनकी छाया भी उच्ि जातत के हहंदू को दूवित कर देगी उन्हें लिक्षा
नहीं दी जाती थी |
3
•18 वीं सदी के भारत में तनिली जाततयों के बाद महहलाओं की श्स्थतत काफी
खराब थी बाल वववाह का प्रिलन था और लड़कों की िादी 10-16 और
लड़ककयों की िादी 6-10 विष की आयु में करने का ररवाज था |
सामाजिक सुधार आंदोलन को िन्म देने वाली
पररजथितियां
4. 1
• 1815 में कोलकाता में आत्मीय सभा की स्थापना की और हहंदू
धमष की बुराइयों का प्रहार ककया |
2
• 1828 में ब्रह्म सभा नामक एक संस्था की स्थापना की थी
श्जसे बाद में ब्रह्म समाज का नाम हदया गया।
3
• इन्होंने ब्रह्मसमाज के माध्यम से हहंदू समाज में व्याप्त सती
प्रथा, बहुपत्नी प्रथा ,वैस्यागमन जातत प्रथा आहद बुराइयों के
ववरोध में संघिष ककया ववधवा पुनववषवाह का इन्होंने समथषन
ककया।
6. 1
• आयष समाज की स्थापना 1875 में मुंबई में की गई | स्वामी
दयानंद सरस्वती ईचवर में ववचवास और मूततष पूजा पुरोहहतबाद तथा
कमषकांड का ववरोध करते थे।
2
• उन्होंने "वेदों की ओर लौटो" का नारा हदया औरजातत व्यवस्था,
बाल वववाह, समुद्री यात्रा तनिेध के ववरुद्ध आवाज बुलंद की तथा
स्त्री लिक्षा, ववधवा वववाह आहद को प्रोत्साहहत ककया।
3
• आयष समाज की स्थापना का मूल उद्देचय देि में व्याप्त धालमषक
और सामाश्जक बुराइयों को दूर कर वैहदक धमष की स्थापना कर
भारत को सामाश्जक धालमषक व राजनीततक रूप से एक सूत्र में
बांधना था।
7. थवामी वववेकानंद और रामकृ ष्ण ममशन
1
• स्वामी वववेकानंद ने रामकृ ष्ण लमिन की स्थापना 1897 में अपने
गुरु रामकृ ष्ण परमहंस की स्मृतत में की थी |
2
• वववेकानंद ने कहा था "मैं ऐसे धमष को नहीं मानता जो औरतों के
आँसू नही पोंछ सके या ककसी अनाथ को एक टुकड़ा रोटी भी ना दे
सके ।
3
• भारत में व्याप्त धालमषक भारत मे व्यप्त धालमषक अंधववचवास के
बारे में स्वामी जी ने "हमारा धमष रसोई घर में है हमारा ईचवर
खाना बनाने के बतषन में है और हमारा धमष है मुझे मत छु ओ मैं
पववत्र हूं ।