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संस्कृ त
भविष्य गौड़ - कक्षा 8-एच
संस्कृ त ग्रन्थों
की सूची
1.रामायण - िाल्मीकक
2. महाभारत - िेदव्यास
3. मेघदूत --- कालिदास
4. अलभज्ञानशाकुं तिम् - कालिदास
5. अष्टाध्यायी - पाणणनन
रामायण - वाल्मीकक
दुनिया में श्रीराम पर लिखे गए सबसे ज्यादा ग्रंथ
रामायण को वाल्मीकक िे श्रीराम के काि में ही लिखा
था इसीलिए इस ग्रंथ को सबसे प्रामाणणक ग्रंथ मािा
जाता है। यह मूि संस्कृ त में लिखा गया ग्रंथ है।
श्रीरामचररत मािस को गोस्वामी तुिसीदासजी िे
लिखा जजिका जन्म संवत 1554 को हुआ था।
गोस्वामी तुिसीदास िे श्रीरामचररत मािस की रचिा
अवधी भाषा में की।
महाभारत - वेदव्यास
प्राचीि भारत का इनतहास है #महाभारत।श्रीकृ ष्ण द्वैपायि
िाम के वेदव्यास िे यह ग्रंथ श्रीगणेशजी की मदद से लिखा
था। जीवि के रहस्यों से भरे इस ग्रंथ को 'पंचम वेद' कहा
गया है। यह ग्रंथ हमारे देश के मि-प्राण में बसा हुआ है।
यह भारत की राष्रीय गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कािीि
भारत का समग्र इनतहास वणणित है। यह ग्रंथ अपिे आदशि
स्री-पुरुषों के चरररों से हमारे देश के जि-जीवि को यह
प्रभाववत करता रहा है। इसमें सैकडों पारों, स्थािों, घटिाओं
तथा ववचचरताओं व ववडंबिाओं का वणिि है। प्रत्येक हहंदू के
घर में महाभारत होिा चाहहए।
मेघदूत - कालिदास
मेघदूत महाकवव कालिदास की अप्रनतम रचिा है।
अके िी यह रचिा ही उन्हें 'कववकु ि गुरु' उपाचध से
मजडडत करिे में समथि है। भाषा, भावप्रवणता, रस,
छन्द और चररर-चचरण समस्त द्दजष्टयों से मेघदूत
अिुपम खडडकाव्य है। सहृदय रलसकों िे मुक्त कडठ
से इसकी सराहिा की है। समीक्षकों िे इसे ि के वि
संस्कृ त जगत में अवपतु ववश्व साहहत्य में श्रेष्ठ काव्य
के रूप में अंककत ककया है। मेघदूत में कथािक का
अभाव सा है। वस्तुत: यह प्रणयकार हृदय की
अलभव्यजक्त है।
अलभज्ञािशाकुं तिम - कालिदास
कालिदास संस्कृ त साहहत्य के सबसे बडे कवव हैं। उन्होंिे
तीि काव्य और तीि िाटक लिखे हैं। उिके ये काव्य
रघुवंश, कु मारसम्भव और मेघदूत हैं और िाटक अलभज्ञाि
शाकु न्ति, मािववकाजनिलमर और ववक्रमोविशीय हैं। इिके
अनतररक्त ऋतुसंहार भी कालिदास का ही लिखा हुआ कहा
जाता है। इतिा ही िहीं, िगभग पैंतीस अन्य पुस्तकें भी
कालिदास-रचचत कही जाती हैं। ये सब रचिाएँ कालिदास के
काव्य-सौन्दयि पर एक दृजष्टपात भर करिे िगे हैं। इि तीि
िाटकों और तीि काव्यों को तो असंहदनध रूप से कालिदास-
रचचत ही मािा जाता है।
अष्टाध्यायी - पाणणनि
अष्टाध्यायी (अष्टाध्यायी = आठ अध्यायों वािी) महवषि पाणणनि
द्वारा रचचत संस्कृ त व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीि ग्रंथ (7०० ई
पू) है।[1] इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पाद हैं;
प्रत्येक पाद में 38 से 220 तक सूर हैं। इस प्रकार अष्टाध्यायी में
आठ अध्याय, बत्तीस पाद और सब लमिाकर िगभग 4000 सूर हैं।
अष्टाध्यायी पर महामुनि कात्यायि का ववस्तृत वानतिक ग्रन्थ है
और सूर तथा वानतिकों पर भगवाि पतंजलि का ववशद
वववरणात्मक ग्रन्थ महाभाष्य है। संक्षेप में सूर, वानतिक एवं
महाभाष्य तीिों सजम्मलित रूप में 'पाणणिीय व्याकरण' कहिाता है
और सूरकार पाणणिी, वानतिककार कात्यायि एवं भाष्यकार पतंजलि
- तीिों व्याकरण के 'त्ररमुनि' कहिाते हैं।
धन्यवाद
भविष्य गौड़ - कक्षा 8 - एच

SANSKRIT 5 GRANTH

  • 2. संस्कृ त ग्रन्थों की सूची 1.रामायण - िाल्मीकक 2. महाभारत - िेदव्यास 3. मेघदूत --- कालिदास 4. अलभज्ञानशाकुं तिम् - कालिदास 5. अष्टाध्यायी - पाणणनन
  • 3. रामायण - वाल्मीकक दुनिया में श्रीराम पर लिखे गए सबसे ज्यादा ग्रंथ रामायण को वाल्मीकक िे श्रीराम के काि में ही लिखा था इसीलिए इस ग्रंथ को सबसे प्रामाणणक ग्रंथ मािा जाता है। यह मूि संस्कृ त में लिखा गया ग्रंथ है। श्रीरामचररत मािस को गोस्वामी तुिसीदासजी िे लिखा जजिका जन्म संवत 1554 को हुआ था। गोस्वामी तुिसीदास िे श्रीरामचररत मािस की रचिा अवधी भाषा में की।
  • 4. महाभारत - वेदव्यास प्राचीि भारत का इनतहास है #महाभारत।श्रीकृ ष्ण द्वैपायि िाम के वेदव्यास िे यह ग्रंथ श्रीगणेशजी की मदद से लिखा था। जीवि के रहस्यों से भरे इस ग्रंथ को 'पंचम वेद' कहा गया है। यह ग्रंथ हमारे देश के मि-प्राण में बसा हुआ है। यह भारत की राष्रीय गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कािीि भारत का समग्र इनतहास वणणित है। यह ग्रंथ अपिे आदशि स्री-पुरुषों के चरररों से हमारे देश के जि-जीवि को यह प्रभाववत करता रहा है। इसमें सैकडों पारों, स्थािों, घटिाओं तथा ववचचरताओं व ववडंबिाओं का वणिि है। प्रत्येक हहंदू के घर में महाभारत होिा चाहहए।
  • 5. मेघदूत - कालिदास मेघदूत महाकवव कालिदास की अप्रनतम रचिा है। अके िी यह रचिा ही उन्हें 'कववकु ि गुरु' उपाचध से मजडडत करिे में समथि है। भाषा, भावप्रवणता, रस, छन्द और चररर-चचरण समस्त द्दजष्टयों से मेघदूत अिुपम खडडकाव्य है। सहृदय रलसकों िे मुक्त कडठ से इसकी सराहिा की है। समीक्षकों िे इसे ि के वि संस्कृ त जगत में अवपतु ववश्व साहहत्य में श्रेष्ठ काव्य के रूप में अंककत ककया है। मेघदूत में कथािक का अभाव सा है। वस्तुत: यह प्रणयकार हृदय की अलभव्यजक्त है।
  • 6. अलभज्ञािशाकुं तिम - कालिदास कालिदास संस्कृ त साहहत्य के सबसे बडे कवव हैं। उन्होंिे तीि काव्य और तीि िाटक लिखे हैं। उिके ये काव्य रघुवंश, कु मारसम्भव और मेघदूत हैं और िाटक अलभज्ञाि शाकु न्ति, मािववकाजनिलमर और ववक्रमोविशीय हैं। इिके अनतररक्त ऋतुसंहार भी कालिदास का ही लिखा हुआ कहा जाता है। इतिा ही िहीं, िगभग पैंतीस अन्य पुस्तकें भी कालिदास-रचचत कही जाती हैं। ये सब रचिाएँ कालिदास के काव्य-सौन्दयि पर एक दृजष्टपात भर करिे िगे हैं। इि तीि िाटकों और तीि काव्यों को तो असंहदनध रूप से कालिदास- रचचत ही मािा जाता है।
  • 7. अष्टाध्यायी - पाणणनि अष्टाध्यायी (अष्टाध्यायी = आठ अध्यायों वािी) महवषि पाणणनि द्वारा रचचत संस्कृ त व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीि ग्रंथ (7०० ई पू) है।[1] इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पाद हैं; प्रत्येक पाद में 38 से 220 तक सूर हैं। इस प्रकार अष्टाध्यायी में आठ अध्याय, बत्तीस पाद और सब लमिाकर िगभग 4000 सूर हैं। अष्टाध्यायी पर महामुनि कात्यायि का ववस्तृत वानतिक ग्रन्थ है और सूर तथा वानतिकों पर भगवाि पतंजलि का ववशद वववरणात्मक ग्रन्थ महाभाष्य है। संक्षेप में सूर, वानतिक एवं महाभाष्य तीिों सजम्मलित रूप में 'पाणणिीय व्याकरण' कहिाता है और सूरकार पाणणिी, वानतिककार कात्यायि एवं भाष्यकार पतंजलि - तीिों व्याकरण के 'त्ररमुनि' कहिाते हैं।