1. रं ग दे बसंती
ििरे क टर , िििपट रायटर , ििीनपले :
राकश ओमपकाश मेहरा
े
सं ग ीत िनदे श न :
ए.आर.रहमान
िसने मे ट ोगाफी :
िबनोद पधान
कािट :
आिमर खान ( िी.जे.) (चंदशेखर आजाद), िसधधाथथ ( करन िसंघािनया)(भगत िसंग) ,
शरमन जोशी (सुखी)(राजयगुर) ,
कनाल कपूर ( असलम)( अशफाकला खान) , अतुल कलकणी ( लकमन पांिे)(
ु ु ु
रामपसाद िबििमल) , सोहा अली खान ( सोिनया) (दगाथ वोहरा) , वहीदा रहमान ( शीमती
ु
.राठोि) ,माधवन ( फला.लेफ.अजय राठोि), अनुपम खेर(राजनाथ िसंघािनया) ,
िकरण खेर( िी.जे.की माँ) ,एिलस पेटन ( शयु)
वाकय िवचार :
एक िवचार एक भावना िजंदगी बदल सकता है |
कथासार :
इस िफलम की शुरआत मे लंिन मे एक अंगेज युवती(शयु) अपने दादाजी की िाईरी पढ़ती िदखाई
गई है जो की आज़ादी से पहले भारत मे िििटश हुकमत की एक जेल मे जेलर थे, और वोह िाईरी
ू
पढ़ते पढ़ते उस समय मे , उस समय क िांितकािरयो क िवचार मे खो जाती है | इसक बाद उसे
े े े
उस िाईरी पर शोटथ िफलम बनाने का खयाल आता है | यहाँ से शुर होने वाली इस िफलम मे आगे
बहुत से अलग अलग जजबातो को ििरे कटर ने बखूबी िफलमाया है | भारत मे आकर शयु की
मुलाकात आिमर खान ( िी.जे) और उसक दोितो से होती है , िजनको अपनी शोटथ िफलम मे
े
िांितकािरयो क पात मे वह ढालती है | उसे चंदशेखर आज़ाद, भगत िसंग , राजयगुर और
े
अशफाकला खान तो िी.जे. क दोितो मे िमल जाते है , लेिकन रामपसाद िबििमल उनहे इन दोितो
ु े
को अपना दशमन मानने वाले लकमण पांिे मे िमलता है , जो की एक राजनैितक पाटी मे युवा
ु
कायकर और कटटर िहनदवादी होता है | िी.जे क दोितो मे एक और दोित होता है अजय राठोि
थ ू े
2. जो की भारतीय वायु सेना मे फलाईट लेफ. होता है , और सोिनया िजसकी वजह से शयु िी.जे. और
उसक दोितो से िमली होती है उसका मंगेतर था|
े
यहाँ तक तो िफलम मनोरं जक होती है , लेिकन इसक बाद अजय की एक िवमान दघटना मे मौत
े ु थ
हो जाती है और उसका कसूरवार अजय को ही बताया जाता है ,वहां से िफलम का रख बदल जाता
है और िबंदाित अपनी िजंदगी जीने वाले िी.जे. और उसक दोितो मे से वो सारी नादानीया और
े
बचपना कही खो जाता है , और वोह लोग अपने दोित को सनमान िदलाने क िलए कछ कर
े ु
गुजरने क भावना से जलने लगे| इसक िलए उनहोने शोटथ िफलम मे िनभाए हुए िकरदार जोिक
े े
भारतीय आजादी क अमर शहीद थे उनका असर िजममेदार था|
े
इस िफलम मे आज़ादी से पहले क भारत और अभी क भारत की एक समानता िदखाई गई है |
े े
आजादी क पहले भी भारत मुठी बार लोगो का गुलाम था और आजादी क बाद भी मुठी भर भिट
े े
नेताओ का गुलाम है | इस िफलम से यह संदेशा िदया गया है की अगर युवावगथ को सही राह िदखने
वाला कोई िमल जाये तो वोह कछ भी कर सकते है |
ु
इस िफलम मे िकरदारो क मन का आंतरदनद बखूबी िदखाया गया है | सभी िकरदारो ने बहुत
े
बिढ़या भूिमका िनभाई है | आिमर खान और िसधधाथथ का कायथ पशंशनीय था| अतुल कलकणी
ु
शरमन जोशी , कनाल कपूर और सोहा अली खान का कायथ भी कािबलेतारीफ है |
ु
इस िफलम मे अजय राठोि क िलए जो किल वोक करते िदखाया गया है , उस सीन ने जनमानस
े े
पर इतना पभाव िकया था की, जेिसका लाल मिथ र कस और आरशी मिथ र कस मे िदलही मे लोगो
े े
ने किल वोक का आयोजन िकया था| इसक उपरांत िफलम मे दो-तीन ऐसे सीन है जो आगे कया
े े
होगा उसका भाव दशाते है , या िफर िकरदारो की मन:ििथित दशाते है |
थ थ
१) िकलले क बहार हाथ मे शटथ लेक नाचते हुए िी.जे और उसक दोित और उपर से गुजरता हुआ
े े े
िवमान अपने आप मे आगे कया होगा वह बता दे ता है |
२) लकमण पांिे का उसक पाटीपमुख से जगिा|
े
३) करन िसंघािनया का उसक िपता को गोली मार दे ना|
े
तकनीिकया :
आज़ादी से पहले का समय िदखने क िलए शेिपया फोमट का बहुत अचछा उपयोग िकया गया है |
े े
बहुत आसान वाकय पयोग और पंजाबी भाषा क संिमशण से िफलम आम दशको मे भी पसंद की
े थ
गई|
िफलम बनाने से पहले ही ििरे कटर क िदमाग मे बहुत अचछे से उनहे कया चािहए यह तई था|
े
आटथ ििरे कशन बिढ़या था|
3. िफलम का संगीत भी मनभावक और कणिपय है |
थ
बुिधधिजिवयो क िलए बनी एक ऐसी िफलम िजसने आम दशको को भी खुश िकया|
े थ