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स्वर्ग में 365 दिनों की शानदार यात्रा BY SEEMA BRAIN OPENERS
1. सफऱता का अमृत 3
स्वर्ग में 365 दिनों की शानिार यात्रा
सीभा फपीवारा एवॊ दीऩक फपीवारा
(सपरता का अभृत 1 औय सपरता का अभृत 2 के शानदाय रेखक)
2. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 1
सपरता का अभृत 3
स्वर्ग में 365 दिनों की शानिार यात्रा
सीभा फपीवारा
दीऩक फपीवारा
3. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 2
सभऩपण
मह ऩुस्तक आऩको सभर्ऩपत है. मह ऩुस्तक आऩके बीतय अनॊत शक्तत के स्वरुऩ
को सभर्ऩपत है. मह आऩके लरए औय आऩको जीवन भें एक शानदाय रक्ष्म के साथ
ननयॊतय प्रेयणा उऩहाय स्वरुऩ भें देने के लरए लरखी गमी है.
आऩ खास हैं. आऩभें र्वयाट शक्ततमों का वास हैं. आऩको लसपप आऩके बीतय
र्वयाजभान शक्ततमों के प्रनत जागने की जरुयत है. मह ऩुस्तक इसी ददशा भें एक
सच्चा प्रमास है.
4. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 3
इस ऩुस्तक भें आऩको ऩूये सार की सच्ची औय
स्थामी प्रेयणा देने के लरए 365 अनभोर र्वचाय
ददए गए हैं.
मह जीवन बय आऩका साथ देने वारी आऩकी
ऩतकी दोस्त जैसी ऩुस्तक है.
5. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 4
आपको आपकी अपनी पुस्तक की शानिार यात्रा मुबारक हो
जनवयी 1
आऩ अऩने जीवन भें रयश्तों की रम्फाई की फजाम उनकी गहयाई ऩय
ध्मान दीक्जमे.
जनवयी 2
जफ आऩ अऩने काभ भें गहयाई खोजने रगते हैं तो आऩ र्वशेषऻ फनने
की याह ऩय होते हैं.
जनवयी 3
अऩने काभ से असय ऩैदा कयने वारे व्मक्तत की सपरता ननक्श्चत है.
जनवयी 4
तमा आऩने कबी सोचा है कक तमों एक भहान गामक एक आभ गामक
के भुकाफरे रोगों के ददर भें उतय जाता है?
जनवयी 5
जफ आऩ गहयाई से चीज़ों, व्मक्ततमों औय रयश्तों को भहसूस कयते हो
तफ आऩ ज्मादा गहये व्मक्तत फनने रगते हो जो स्थामी सपरता की
ऩहरी जरुयत है.
जनवयी 6
जीवन भें अथप औय खुशी लसपप जीवन को गहयाई से भहसूस कयने से
आते हैं.
जनवयी 7
तमा आऩने कबी सोचा है कक कै से एक व्मक्तत अऩने काभकाज के ऺेत्र
भें अऩने ददर से ददए गए मोगदान की वजह से कयोड़ों ददरों ऩय याज़
कयता है?
6. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 5
जनवयी 8
हय अच्छा व्मक्तत औय अच्छी ऩुस्तक आऩको गहयाई से सोचने के लरए
प्रेरयत कयती है.
जनवयी 9
अहभ मह नहीॊ है कक आऩ ककतना ज्मादा जानते हैं फक्कक अहभ तो मह
है कक जो आऩ जानते है उसे ककतना गहयाई से जानते हैं.
जनवयी 10
अतसय गहयी सभझ के अबाव भें रयश्तें औय व्माऩाय खत्भ हो जाते हैं.
जनवयी 11
रयश्तों औय व्माऩाय भें खुशी औय सपरता शक्तत के फर ऩय नहीॊ फक्कक
आॊतरयक सभझ के फर ऩय आती है.
जनवयी 12
सोचचमे कक आऩ आऩके काभ के तहत ककतने रोगों की क्जॊदगी को
फेहतय फना सकते हैं?
जनवयी 13
अगय आऩ खुश यहना चाहते हैं तो फजाम रोगों को अऩने तयीके से
चराने के उन्हें सच्चे ददर से सभझझमे.
जनवयी 14
हय उस काभ को कयने की आदत डालरमे क्जससे आऩको जीवन के प्रनत
गहयी सभझ र्वकलसत कयने का अवसय लभरता हो.
जनवयी 15
काभमाफ व्मक्तत हभेशा गहयाई से चीज़ों को सभझने वारा औय जीवन के
प्रनत गहयी सभझ यखने वारा होता है.
7. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 6
जनवयी 16
सोचचमे कक तमा आऩ अऩने काभ से इॊसाननमत की जड़ों को ऩोषण दे यहे
हैं?
जनवयी 17
इॊसाननमत के लरए ककमा गमा हय काभ सपरता के चयभ तक ऩहुॉचता
है.
जनवयी 18
जफ कोई व्माऩाय मा रयश्ता फनाते वक़्त आऩका साया ध्मान ऩूयी
इॊसाननमत को पामदा ऩहुॉचाने ऩय होता है तफ सायी सृक्टट आऩकी भदद
के लरए आकय खड़ी हो जाती है.
जनवयी 19
हय एक व्मक्तत ककसी न ककसी रूऩ भें इॊसाननमत के लरए ही कामप कयता
है.
जनवयी 20
जफ आऩ ककसी इॊसान के लरए ददर से साफ़ होते हैं तो चाह कय बी वह
व्मक्तत आऩका फुया नहीॊ कय सकता.
जनवयी 21
आऩ अऩने जीवन का फेहतयीन उऩमोग इॊसाननमत की सेवा कयने के लरए
ही कय सकते हैं.
जनवयी 22
भहान रोग इसलरए भहान होते हैं तमोंकक वह भानवता की सेवा कयने के
लरए ददर से सभर्ऩपत होते हैं.
8. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 7
जनवयी 23
ईश्वय को धन्मवाद देने का सवोतभ तयीका है इॊसाननमत की जड़ों को
ऩोषण देना.
जनवयी 24
जफ आऩके कामप के ऩीछे इॊसाननमत की सेवा कयने का बाव होता है तो
आऩ ककसी बी सूयत भें असपर नहीॊ हो सकते.
जनवयी 25
अगय इॊसान का कोई दुबापग्म है तो वह मह कक वो अऩने जैसे इॊसानों को
ही अऩनी जागरूकता की कभी के चरते अऩना दुश्भन भानता है.
जनवयी 26
भहानतभ कम्ऩननमाॉ औय भहानतभ व्मक्तत हभेशा से ही इॊसाननमत के
भहानतभ सेवक यहे हैं.
जनवयी 27
सेवा कयके ही आऩको जीवन भें सच्ची प्रगनत लभरती है.
जनवयी 28
आज आऩ जो हैं वह आज तक आऩके इॊसाननमत के प्रनत सेवा बाव से
ककमे गए कामों का ही ऩरयणाभ हैं.
जनवयी 29
दुननमा का हय व्मक्तत ककसी न ककसी रूऩ भें एक सेकसभैन है.
जनवयी 30
हय काभमाफ व्मक्तत एक काभमाफ सेकसभैन होता है.
जनवयी 31
9. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 8
अगय आऩको आऩके हुनय को फेचना नहीॊ आता तो आऩका बर्वटम खतये
भें है.
पयवयी 1
ज्मादातय रोगों के सपर होने का मह कायण होता है कक वह फेचने के
शक्ततशारी लसद्ाॊत को फखूफी सभझते हैं.
पयवयी 2
फेचना वास्तव भें सपरता के लरए अनत उऩमोगी करा है.
पयवयी 3
आऩकी व्मक्ततगत औय व्माऩारयक सपरता सीधे-सीधे इस फात से जुड़ी
है कक आऩ ककतने अच्छे ढ़ॊग से अऩने र्वचायों को फेच ऩाते हैं.
पयवयी 4
अऩने अॊदय फैठे जीननमस का ईभानदायी से साभने वारे को अहसास
कयाना ही फेचना है.
पयवयी 5
भहान सेकसभैन कोई वस्तु मा सेवा नहीॊ फक्कक अऩने र्वचाय फेचते हैं.
पयवयी 6
अगय आऩको फेचना आता है तो आऩ दुननमा की हय चीज़ खयीद सकते
हैं.
पयवयी 7
आऩ अऩने र्वचाय क्जतने ज्मादा दभदाय औय ज्मादा रोगों को फेच ऩाते
हैं उतना ही आऩके काभमाफ होने के आसाय फढ़ जाते हैं.
पयवयी 8
फेचना र्वश्वबय भें सफसे सवोतभ व्मवसाम है.
10. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 9
पयवयी 9
अगय आऩको फेचना आता है तो आऩको अऩना व्मवसाम शुरू कयने के
लरए अनतरयतत ऩूॊजी नहीॊ चादहमे.
पयवयी 10
आऩ कबी बी एक अच्छे सेकसभैन फन सकते हैं मह कोई जन्भजात गुण
नहीॊ है.
पयवयी 11
भहान सेकसभैन इसलरए भहान होते हैं तमोंकक उनभे अऩने उत्ऩाद मा
सेवा के लरए अथाह उत्साह होता है.
पयवयी 12
अगय कोई व्मक्तत अऩनी सच्ची बावनाएॉ औय अऩने उत्ऩाद से जुड़ा
आऩका पामदा आऩ तक ऩॊहुचा ऩाता है तो वह दुननमा का एक भहानतभ
सेकसभैन है.
पयवयी 13
आऩ आज वही हैं जो आऩने अऩने फाये भें आज तक सोचा है.
पयवयी 14
इॊसान वैसा ही हो जाता है जैसे र्वचायों को वह ग्रहण कयता है.
पयवयी 15
आऩ हय उस इॊसान का दहस्सा हैं जो आज तक आऩके जीवन भें आमा
है.
पयवयी 16
अगय आऩको इॊसाननमत के लरए कोई फड़ा कायनाभा कयना है तो आऩको
खुद के फाये भें छोटा सोचने वारों से दूय ही यहना होगा.
11. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 10
पयवयी 17
हभाये र्वचाय हभाये व्मक्ततत्व को दशापते हैं.
पयवयी 18
आऩको इस दुननमा भें आऩकी स्वमॊ की सोच के अरावा कोई बी सीलभत
नहीॊ कय सकता.
पयवयी 19
आऩ जो सोचते हैं उसे आऩ ननक्श्चत रूऩ से प्राप्त कय सकते हैं.
पयवयी 20
अगय आऩके ऩास के रें हैं तो आऩके आस-ऩास फॊदय ही यहेंगे.
पयवयी 21
अगय आऩ खुद भुस्कयाता चेहया यखते हैं तो आऩको सबी भुस्कयाते ही
ददखेंगे.
पयवयी 22
आऩ जैसे र्वचाय सोचते हैं वैसे ही र्वचाय आऩकी ओय औय ज्मादा
आकर्षपत होते हैं.
पयवयी 23
क्जस काभ को कयके आऩको खुशी लभरती है वही काभ अतसय आऩको
खुद के फाये भें सकायात्भक सोच फनाने भे भदद कयता है.
पयवयी 24
आऩके लरए सफ कु छ इसी धयती ऩय भौजूद है मह आऩका चुनाव है कक
आऩ अऩने लरए ककस तयह का जीवन जीना चुनते हैं.
पयवयी 25
जो आऩ दूसये रोगों को देते हैं वही आऩके ऩास रौटकय वार्ऩस आता है.
12. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 11
पयवयी 26
आऩ चाहे र्वश्वास कयें मा न कयें भगय आकषपण का मह लसद्ाॊत कक
“आऩ जो सोचेंगे वही फनेंगे” हय ऩर अऩना काभ कयता यहता है.
पयवयी 27
आऩके र्वचायों भें गजफ की शक्तत होती है वे दुननमा की ककसी बी चीज़
को आऩके जीवन भें खीॊच कय रा सकते हैं.
पयवयी 28
जफ आऩ अऩने आस ऩास के रोगों औय ऩरयक्स्थनतमों का सम्भान कयना
शुरू कय देते हो तो वही रोग औय ऩरयक्स्थनतमाॊ आऩ ऩय शानदाय
अवसयों की भूसराधाय फारयश कय देते हैं.
भाचप 1
एक अच्छी शुरुआत आधा कामप खुद-फ-खुद ऩूया कय देती है.
भाचप 2
ककसी बी काभ की शुरूआत कयना इस फात का प्रत्मऺ प्रभाण है कक वह
काभ आऩ ऩूया बी कय सकते हैं.
भाचप 3
ककसी कामप मा आदत की आऩके द्वाया की गमी शुरुआत ही मह तम
कयती है कक वह आऩको ककतना पामदा देगा.
भाचप 4
जीयो से ही इॊसान हीयो फनता है.
भाचप 5
हय एक फड़ा औय सपर व्मावसानमक सॊगठन शुरुआत भें एक छोटी
कॊ ऩनी के तौय ऩय बी कामप कय चुका होता है.
13. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 12
भाचप 6
शुरुआत कयने की सफसे अच्छी फात मह है कक इसका अॊजाभ जरूय आता
है.
भाचप 7
अच्छी औय ननस्वाथप सोच के साथ की गमी शुरुआत दुननमा के भहानतभ
कामों की शुरुआत की जड़ होती है.
भाचप 8
आऩका व्मवसाम आऩकी सोच से ही शुरू होता है.
भाचप 9
शुरुआत आऩको ननयॊतय सोचने के लरए प्रेरयत कयती है.
भाचप 10
नेक नीमत से की गमी शुरुआत हभेशा उम्भीद से ज्मादा ऩरयणाभ देती
है.
भाचप 11
ककसी बी अच्छे कामप को शुरू कयने के लरमे ककसी शुब भहूतप की
आवश्मकता नहीॊ होती है.
भाचप 12
जफ तक आऩ शुरू ही नहीॊ कयेंगे, न तो आऩ कहीॊ ऩहुॊचेंगे औय न ही
कु छ प्राप्त कयेंगे.
भाचप 13
शुरुआत कयना ककसी बी रक्ष्म तक ऩहुॉचने का ऩहरा आधायबूत कदभ
होता है.
भाचप 14
14. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 13
हय नमा ददन आऩको जीवन भें एक नई शुरुआत कयने का शुब अवसय
देता है.
भाचप 15
अगय आऩ आज एक अच्छी क्जॊदगी जी यहे हैं इसका भतरफ मह है कक
कबी आऩने एक अच्छी शुरुआत की थी.
भाचप 16
अऩने द्वाया ककमे गए काभों की पीडफैक रेना आऩको प्रगनत की याह ऩय
आगे फढ़ने के लरए आवश्मक ईंधन देता है.
भाचप 17
जो व्मक्तत अऩनी पीडफैक से रगाताय सीखता है वह कबी असपर हो
ही नहीॊ सकता.
भाचप 18
आऩकी पीडफैक आऩको नए-नए सुधाय कयते हुए बफककु र एक नमा
इॊसान फनने की सच्ची प्रेयणा देती है.
भाचप 19
जफ आऩ कागज़ ऩय अऩनी पीडफैक को लरख देते हैं औय उस ऩय गौय
कयते हैं तो आऩ अऩनी ऩयपॉयभेंस को जादुई ढॊग से फढ़ाने के शानदाय
भागप ऩय होते हैं.
भाचप 20
अऩने कामों का पीडफैक रेना सपरता प्राक्प्त की याह ऩय आऩके लरए
नाइट्रोजन फूस्टय की तयह कामप कयता है.
भाचप 21
पीडफैक आऩके होंसरों को कई गुना फड़ा कय देती है.
15. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 14
भाचप 22
ज्मादातय रोग अऩने कामों की पीडफैक रेने से डयते हैं मा उन्हें इसकी
आदत नहीॊ होती औय इसके ऩरयणाभस्वरूऩ वे कबी प्रगनत ही नहीॊ कय
ऩाते.
भाचप 23
ननयॊतय आत्भ सुधाय का सफसे भहानतभ तयीका है अऩने द्वाया ककमे
कामों की रगाताय पीडफैक रेना.
भाचप 24
रगाताय सीखने के लरए रगाताय अऩने कामों की पीडफैक रेना अननवामप
है.
भाचप 25
पीडफैक दयअसर आऩको मह फताती है कक आऩको ककस ददशा भें सुधाय
कयने की आवश्मकता है.
भाचप 26
हय ऺेत्र के भहायथी पीडफैक से होने वारे पामदों का रोहा भानते हैं.
भाचप 27
अगय आऩ जीवन भें सचभुच सपर होना चाहते हैं तो आज से ही अऩने
द्वाया ककमे गए कामों का लरझखत भें रेखा-जोखा यखना शुरू कय दीक्जमे.
भाचप 28
अगय आऩ पीडफैक की शक्तत को अनदेखा कयते हैं तो सपरता आऩको
अनदेखा कय देगी.
भाचप 29
16. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 15
पीडफैक रेने की आदत डालरमे तमोंकक मह एक चैंर्ऩमन इॊसान की आदत
है.
भाचप 30
पीडफैक रेने का एक सवोतभ तयीका मह है कक कोई बी काभ कयने के
फाद कागज़ ऩय मह लरझखमे कक तमा मह भेया सवोतभ प्रदशपन था औय
इसभें भैं औय फेहतय तमा-तमा कय सकता हूॉ?
भाचप 31
स्ऩटट कीक्जमे कक आऩ जीवन भें तमा ऩाना चाहते हैं?
अप्रैर 1
अगय आऩको मह नहीॊ ऩता कक आऩ जीवन भें कहाॉ जा यहे हैं तो आऩ
कहीॊ बी नहीॊ जा यहे हैं.
अप्रैर 2
जीवन भें एक स्ऩटट र्वज़न के बफना रोग अतसय फफापद हो जाते हैं औय
हो बी यहे हैं.
अप्रैर 3
आऩका र्वज़न आऩकी सपरता का आकाय तम कयता है.
अप्रैर 4
अऩने र्वज़न को स्ऩटट रूऩ से तम कयने भें आऩकी अऩने जीवन के
प्रनत जागरूकता फेहद भहत्वऩूणप है.
अप्रैर 5
क्जनका जीवन भें कोई स्ऩटट र्वज़न नहीॊ होता है वो रोग अतसय उनके
लरए काभ कयते हैं क्जनका जीवन भें एक स्ऩटट औय लरझखत र्वज़न
होता है.
17. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 16
अप्रैर 6
र्वज़न आऩके जीवन भें एक जादुई शक्तत की तयह आऩकी भदद कयता
हैं औय आऩकी ताकत को कई गुना फढ़ा देता है.
अप्रैर 7
जीवन भें एक स्ऩटट र्वज़न फना रेने ऩय आऩ कबी न रुकने वारे
व्मक्तत फन जाते हैं.
अप्रैर 8
सच्चाई औय भानवता की सेवा को सभर्ऩपत र्वज़न ही एक भहान इॊसान
का र्वज़न होता है.
अप्रैर 9
र्वज़न एक ऐसा प्रवेश द्वाय है जहाॉ से रम्फी औय स्थामी सपरता की
शुरुआत होती है.
अप्रैर 10
र्वज़न के साथ की गमी भेहनत हभेशा भजा देती है औय बफना र्वज़न के
की गमी भेहनत हभेशा सजा देती है.
अप्रैर 11
सभऩपण औय जागरूकता के साथ र्वज़न की ओय फढ़ने से आऩकी
सपरता का आकाय कई गुना फढ़ जाता है.
अप्रैर 12
र्वज़न तम कयने से आऩभें जोझखभ रेने की जफयदस्त ऺभता आ जाती
है जो सपर होने के लरए फेहद अननवामप है.
अप्रैर 13
18. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 17
र्वज़न आऩके कामों को औय आऩकी सोच को आऩके इस दुननमा से चरे
जाने के फाद बी क्जॊदा यखता है.
अप्रैर 14
र्वज़न तम कयने का सच्चा अथप है कक ईश्वय द्वाया दी गमी जीवन रुऩी
सौगात का सच्चा सम्भान कयना.
अप्रैर 15
आऩके द्वाया ककमा गमा जीवन भूकमों का चुनाव आऩको जीवन भें कु छ
फनाने औय लभटाने दोनों की फयाफय मोग्मता यखता है.
अप्रैर 16
आऩके जीवन भूकम वो घोड़े हैं जो आऩके जीवन रुऩी यथ को खीॊचते हैं.
अप्रैर 17
जीवन भूकमों का चुनाव आऩके सफसे भहत्वऩूणप चुनावों भें से एक है.
अप्रैर 18
आऩके र्वज़न की प्राक्प्त भें आऩके जीवन भूकमों का फहुत फड़ा हाथ होता
है.
अप्रैर 19
अच्छे जीवन भूकम जैसे फेशतप प्रेभ देना, साभने वारे व्मक्तत के र्वचायों
का सम्भान कयना औय हय ददन नमा सीखना, इन्हें जरूय अऩनामें.
अप्रैर 20
आऩके कामप अच्छे होंगे मा फुये मह आऩके जीवन भूकम ही ननधापरयत
कयते हैं.
अप्रैर 21
भहान रोग भहान जीवन भूकमों को अऩनाते हैं.
19. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 18
अप्रैर 22
जया सोचचमे कक कै से लशखय ऩय फैठे व्मक्तत औय सॊगठन कै से सारों तक
लशखय ऩय फने यहते हैं?
अप्रैर 23
जीवन को खुशहारी औय प्रगनत के ऩथ ऩय रे जाने के लरए आऩको
स्ऩटट जीवन भूकम ननधापरयत कयने ही चादहमे.
अप्रैर 24
आज ही अऩने जीवन भूकमों को कागज़ ऩय लरझखमे.
अप्रैर 25
आऩके स्ऩटट एवॊ लरझखत जीवन भूकम आऩकी सपरता की आधायबूत
आवश्मकता हैं.
अप्रैर 26
आऩका चरयत्र आऩके जीवन भूकमों के दभ ऩय ही आॉका जाता है.
अप्रैर 27
हय ऺेत्र के भहायथी स्ऩटट औय सकायात्भक जीवन भूकमों से होने वारे
राबों का खूफ आनॊद रेते हैं.
अप्रैर 28
आऩके जीवन भूकम ही मह ननधापरयत कयते हैं कक ककस क्स्थनत भें आऩ
कै सा ननणपम रेते हैं.
अप्रैर 29
ककसी दूसये व्मक्तत की बर्वटमवाणी नहीॊ फक्कक आऩके द्वाया अऩनामे
गए जीवन भूकम ही आऩके बाग्म का स्तय तम कयते हैं.
अप्रैर 30
20. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 19
जीवन भूकम उन गुणों का सॊग्रह है क्जन्हें आऩ आजीवन अऩनाते हैं.
भई 1
ननक्श्चत कीक्जमे कक आऩ जीवन भें तमा ऩाना चाहते हैं.
भई 2
ननक्श्चत कीक्जमे कक आऩ जीवन भें तमा फनना चाहते हैं.
भई 3
अऩने जीवन के लरए एक चुनौतीऩूणप औय अथपऩूणप रक्ष्म तम कीक्जमे.
भई 4
इस दुननमा भें एक बी व्मक्तत ऐसा नहीॊ है क्जसे ईश्वय ने काभमाफ होने
की काबफलरमत न दी हो.
भई 5
ननक्श्चत कीक्जमे कक आऩकी सपरता की असरी ऩरयबाषा तमा है.
भई 6
गहये भें र्वचारयमे कक आऩको तमों काभमाफी लभरनी चादहमे.
भई 7
हय अच्छी इभायत का एक ननक्श्चत नतशा होता है ठीक इसी प्रकाय आऩ
बी अऩनी सपरता की इभायत का एक ननक्श्चत नतशा फनाइमे.
भई 8
ननक्श्चत कीक्जमे कक आऩ अऩने काभकाज भें ककस ऊॊ चाई तक ऩहुॉचना
चाहते हैं.
भई 9
आऩकी सोचने की शक्तत आऩकी सच्ची सॊऩक्त्त है, इसके (अऩनी सोचने
की शक्तत के ) र्वकास ऩय ननयॊतय भेहनत कयते यदहमे.
21. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 20
भई 10
काभमाफ औय स्ऩटट सोच वारे व्मक्ततमों का सपरता का नतशा अऩने
बीतय स्ऩटट औय गहया ऻान सॊजोमे होता है.
भई 11
सपरता के ननक्श्चत नक़्शे के बफना अतसय रोग असपर हो जाते हैं.
भई 12
आऩका सपरता का नतशा, आऩके हाव-बाव औय काभकाज के तयीकों से
स्ऩटट हो जाता है.
भई 13
आऩका सपरता का नतशा क्जतना ज्मादा स्ऩटट होगा उतना ही आऩ
आत्भ र्वश्वास से बये होंगे औय सयरता एवॊ सहजता अऩने आऩ ही
आऩके व्मक्ततत्व भें आ जाएॉगी.
भई 14
आऩके फाहयी जीवन भें सपरता का आकाय, आऩके सपरता के भानलसक
नक़्शे के आकाय के अनुरूऩ होता है.
भई 15
आज ही अऩने सपरता के नक़्शे भें एक शानदाय र्वज़न, लभशन, स्ऩटट
जीवन भूकम औय चुनौतीऩूणप रक्ष्मों को शालभर कय रीक्जमे.
भई 16
इस शानदाय दुननमा भें ककसी बी व्मक्तत के लरए ककसी बी चीज़ की
कोई कभी नहीॊ है.
भई 17
22. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 21
क्जतना खुरा औय फड़ा आऩ सोचेंगे उतना ही फड़ा ऩरयणाभ आऩको प्राप्त
होगा.
भई 18
आऩ सपरता से दूय हैं सपरता आऩसे दूय नहीॊ हैं.
भई 19
क्जतनी प्रचुयता से आऩ दूसयों को देंगे उतनी ही प्रचुयता से आऩको प्राप्त
होगा.
भई 20
आज जो बी आऩ हैं औय क्जतना बी आऩके ऩास है उसके लरए ईश्वय
को धन्मवाद दीक्जमे औय ऐसा कयके आऩ ऩामेंगे कक आऩने खुद ही
प्रचुयता के भागप ऩय चरना शुरू कय ददमा है.
भई 21
कागज़ औय ऩेन रीक्जमे औय लरझखमे कक आऩ जीवन भें कहाॉ तक जा
सकते हैं.
भई 22
आऩकी सपरता की कोई अॊनतभ सीभा नहीॊ है तमोंकक आऩके आत्भ
सुधाय की बी कोई अॊनतभ सीभा नहीॊ है, आऩ क्जतना भज़ी प्राप्त कय
सकते हैं तमोंकक मह सृक्टट ऩूयी तयह आऩके साथ है.
भई 23
आऩ ऩाने के फजाम दूसयों को देने ऩय ध्मान के क्न्ित कीक्जमे औय जीवन
भें सभृर्द् के ननमभ का बयऩूय आनॊद रीक्जमे.
भई 24
23. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 22
सृक्टट हय उस व्मक्तत के लरए अऩने ख़जाने खोर देती है जो प्रकृ नत के
ननमभों का ददर से ऩारन कयते हुए भानवता की सच्ची सेवा कयता है.
भई 25
शाॊनत से फैठ कय सोचचमे कक ईश्वय ने आऩको बफना भाॊगे ककतना कु छ
ददमा है.
भई 26
आऩ जीवन को प्रचुयता औय सभृर्द् से सजे एक उऩहाय की तयह देझखमे.
भई 27
आऩके औय सभृर्द् के लसद्ाॊत के फीच भें फस एक ही फाधा है औय वह है
आऩका क्स्थनत को देखने का प्रचुयता-यदहत एवॊ शुक्रगुजायी-यदहत नज़रयमा.
भई 28
ईश्वय ने इॊसान को असीलभत सॊबावनाओॊ के साथ धयती ऩय एक शानदाय
जीवन का सच्चा आनॊद रेने के लरए बेजा है.
भई 29
हभ सबी के लरए सफ कु छ सदा से प्रचुय भात्रा भें भौजूद है फस हभें तो
अऩनी आॉखें खोरनी हैं.
भई 30
जीवन भें आऩके ऩास जीवन को देखने के हय ऩर दो नजरयए होते हैं
एक तो मह कक जीवन भें भेये ऩास सफ कु छ है औय दूसया मह कक भेये
ऩास तो कु छ बी नहीॊ हैं.
भई 31
24. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 23
जफ हभ खुद के अहॊकाय को ऩहचान कय खुद को उससे आजाद कय रेते
हैं तो जीवन भें सभृर्द् औय प्रचुयता खुद फ खुद हभाये साभने आकाय
खड़ी हो जाती है.
जून 1
आऩ ककतने सपर औय भहत्वऩूणप रोगों को जानते हो इससे आऩकी
सपरता भें वाकई गहया असय ऩड़ता है.
जून 2
आऩकी सपरता का आकाय आऩके सपर रोगों के साथ नेटवकप के
आकाय के दहसाफ से तम होता है.
जून 3
नए-नए ऺेत्रों के काभमाफ रोगों से सम्ऩकप फढाइमे तमोंकक मह आऩकी
सपरता के लरए फेहद जरुयी है.
जून 4
आऩकी सम्ऩकप सूची की रम्फाई आऩके जीवन के प्रनत दृक्टटकोण को
ददखाती है.
जून 5
लरझखमे कक आऩ ककतने भहत्वऩूणप रोगों को जानते हैं.
जून 6
लरझखमे कक आऩको ककतने अरग-अरग ऺेत्रों के भहत्वऩूणप रोग जानते
हैं.
जून 7
आऩका नेटवकप धीये-धीये भजफूत फनाने से आऩकी आचथपक औय
साभाक्जक ऩकड़ फेहद भजफूत हो जाती है.
25. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 24
जून 8
अगय आऩ नए-नए व्मक्ततमों औय अनुबवों का सम्भान कयते हैं तो
आऩका नेटवकप जफयदस्त अॊदाज़ भें र्वशार होता चरा जामेगा.
जून 9
रोग अतसय नए-नए प्रमोगों से फहुत डयते हैं औय इसी कायण उनका
नेटवकप सीलभत ही यह जाता है.
जून 10
आऩका क्जतना फड़ा नेटवकप होता जाता है आऩ उतने ही र्वनम्र औय
खुशददर होते जाते हैं.
जून 11
आऩके नेटवकप के हय एक व्मक्तत का आऩकी सपरता भें फहुत फड़ा हाथ
होता है.
जून 12
आऩ जीवन से आॉखें भूॊद रीक्जमे औय जीवन आऩसे आॉखें भूॊद रेगा ठीक
इसी तयह आऩ अऩने नेटवकप को फड़ा भत कीक्जमे तो मह बी आऩको
फड़ा नहीॊ कयेगा.
जून 13
नेटवकप आऩको एक शानदाय अवसय देता है जीवन भें चभकने का,
तयतकी कयने का औय कु छ कय गुजयने का भगय एक सही दृक्टटकोण के
बफना नेटवकप बी कु छ नहीॊ कय ऩाता.
जून 14
26. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 25
आऩ रोगों को अऩना भुॊह उधाय देने की फजाम अऩने कान उधाय दे
दीक्जमे औय आऩ ऩामेंगे कक आऩका नेटवकप जफयदस्त ढॊग से र्वशार
होता चरा जामेगा.
जून 15
फातचीत के भाध्मभ से ददरों को स्ऩशप कयने की करा सीझखमे तमोंकक
हय सपर नेटवकप फनाने वारा इॊसान मही कयता है.
जून 16
एक भहान व्मक्तत ने कहा है कक आऩ भुझे अऩने दोस्तों से लभरवाएॊ
औय भैं आऩको आऩका बर्वटम फता दूॉगा.
जून 17
आऩ ककस तयह के व्मक्तत औय र्वचायों के साथ सहज भहसूस कयते हैं
इसी से साया पकप ऩड़ता है.
जून 18
जया सोचचमे कक सपर रोगों का साथ आऩको वषों तक की जाने वारी
गरत ददशाओॊ की भेहनत से फचा सकता है.
जून 19
आऩ ठीक अऩने द्वाया अऩनाई गमी दोस्तों की सॊगनत का ऩरयणाभ हैं.
जून 20
ऩुस्तकों की सॊगनत सफसे सकायात्भक औय यचनात्भक सॊगनत है.
जून 21
ऩुस्तकें आऩकी सोच को नए-नए आमाभ देती हैं.
जून 22
27. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 26
प्रकृ नत के गोद भे जाइमे औय अऩनी सच्ची बावनाओॊ को प्रकृ नत से साॉझा
कीक्जमे.
जून 23
सच्ची सॊगनत आऩको हभेशा प्रगनत के ऩथ ऩय रे जाती है औय स्वतॊत्रता
प्रदान कयती है.
जून 24
प्रकृ नत का साथ बी ऩुस्तकों के साथ की तयह अनभोर है.
जून 25
प्रकृ नत हभे सबी से बेदबाव यदहत प्रेभ कयने का सच्चा सॊदेश देती है.
जून 26
सच्चा औय गहया व्मक्तत हभेशा वृऺों के सभान होता है बफना लशकामत
औय ननॊदा के सबी को देता ही चरा जाता है.
जून 27
प्रकृ नत से हभे स्वाथप यदहत लभत्रता का सॊदेश सीखना चादहमे.
जून 28
हय वो चीज़ जो आऩकी सोच को खुरा कयती है औय आऩके नजरयए का
र्वस्ताय कयती है आऩके लरए वह सचभुच लशऺा है.
जून 29
जीवन भें, सपर रोगों का साथ अऩनाना काभमाफी प्राप्त कयने का
फेलभसार शॉटपकट है.
जून 30
28. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 27
हभाये आस ऩास के रोग हभाये जीवन भें फहुत गहया मोगदान देते हैं,
माद यझखमे आऩके जीवन भें आऩके आस ऩास की हय चीज़ से पकप
ऩड़ता है.
जुराई 1
आऩके सफसे फड़े शत्रु आऩके खुद के फाये भें नकायात्भक र्वचाय हैं.
जुराई 2
आऩको आगे फढ़ने से जो चीज़ सफसे ज्मादा योकती है वह है आऩका
अड़ड़मर यवैमा मानन कक हय फात भें अऩनी ही फात को सवोऩरय यखने की
आदत.
जुराई 3
जीवन भें आऩकी खुलशमों औय सपरता को ननमॊबत्रत कयने की चाफी
बगवान जी ने लसपप आऩको ही दी है.
जुराई 4
जीवन के सच्चे अथों के प्रनत जागरूकता की कभी आऩको आगे फढ़ने से
योकती है.
जुराई 5
आऩको, आऩकी खुद की अऩाय ऺभताओॊ के प्रनत शॊकारु सोच जीवन भें
आगे फढ़ने से योकती है.
जुराई 6
आऩके जीवन की गनत को फढ़ाने औय घटाने का ननमॊत्रण आऩके ही ऩास
है.
जुराई 7
29. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 28
अगय आऩका ददर आऩका भागपदशपन कय यहा है तो आऩकी असपरता
असॊबव है.
जुराई 8
अगय सभाज आऩका भागपदशपन कय यहा है तो आऩकी सपरता असॊबव
है.
जुराई 9
आऩ अऩने जीवन भें सपर रोगों से भागपदशपन रेते हैं मा असपर रोगों
से?
जुराई 10
आऩ ककस फात ऩय शक कयते हैं औय ककस फात ऩय र्वश्वास कयते हैं
मह सीधे-सीधे आऩकी सपरता का स्तय ननधापरयत कयती है.
जुराई 11
आऩको जीवन भें वह चीज़ें नहीॊ योकती हैं जो आऩ नहीॊ जानते फक्कक
वह चीज़ें योकती हैं जो आऩ गरत तयह से जानते हैं मा ऩूयी तयह से
नहीॊ जानते हैं.
जुराई 12
जफ आऩ अऩने अॊदय की आवाज को दफा देते हैं तो आऩ खुद की सच्ची
सपरता को बी खत्भ कयने रगते हैं.
जुराई 13
सच्ची सपरता तबी लभरती है जफ आऩ अऩनी आत्भा की आवाज को
खोज कय उसे भानव ककमाण भें सभर्ऩपत कय देते हैं.
जुराई 14
30. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 29
जफ तक आऩको रगता है कक आऩके जीवन के लरए कोई अन्म व्मक्तत
मा ऩरयक्स्थनत क्जम्भेदाय है तफ तक आऩ अऩने जीवन को नहीॊ फदर
सकते तमोंकक परों को फदरने के लरए जड़ों को फदरना अननवामप है.
जुराई 15
स्ऩटट रक्ष्म औय अऩने सऩनों ऩय र्वश्वास कयने वारे व्मक्तत को योक
ऩाना असॊबव है.
जुराई 16
लरखे हुए रक्ष्म औय र्वचाय फेहद शक्ततशारी होते हैं.
जुराई 17
अऩनी बावनाओॊ को कागज ऩय लरखने से हभाया उनसे रयश्ता औय
ज्मादा भजफूत हो जाता है.
जुराई 18
कागज ऩय सही तयह से लरखी गमी सभस्मा आऩके लरए एक शानदाय
अवसय का रूऩ रे रेती है.
जुराई 19
कागज ऩय अऩनी सोच को लरखने से आऩका अऩनी बावनाओॊ ऩय
ननमॊत्रण जादुई तयीके से फढ़ जाता है.
जुराई 20
जफ आऩ आऩके जीवन के अहभ ऩहरूओॊ को कागज औय ऩेन के साथ
भहसूस कयना शुरू कय देते हो तो आऩकी अॊदरूनी शक्तत र्वकलसत होना
शुरू हो जाती है.
जुराई 21
कागज ऩय लरखे गए रक्ष्म अभय हो जाते है.
31. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 30
जुराई 22
आऩके ऩास ककतने लरझखत रक्ष्मों की सूची है?
जुराई 23
अऩने रक्ष्मों को लरखने से आऩका उनके प्रनत सभऩपण औय सम्भान फढ़
जाता है.
जुराई 24
जफ आऩ अऩने रक्ष्मों को लरख कय औय उनके नीचे उस ददन की
तायीख (जफ आऩ उन्हें ऩाना चाहते हो), डार कय अऩने साभने यखते हो
तो आश्चमपजनक तयीके से आऩका आत्भ-र्वश्वास फढ़ने रगता है.
जुराई 25
रक्ष्म फनाते सभम उनकी सभम सीभा जरूय तम कय रें.
जुराई 26
अऩने व्मक्ततगत जीवन के रक्ष्मों को स्ऩटट रूऩ से लरख रीक्जए ताकक
आऩ अऩने जीवन का सच्चा आनॊद रे सकें .
जुराई 27
अऩने काभकाजी रक्ष्म बी जरूय लरख रीक्जए ताकक आऩ अऩने काभ
काज भें हय ददन तयतकी कय सकें .
जुराई 28
अऩने ऩारयवारयक औय साभाक्जक रक्ष्म बी जरूय तम कय रीक्जए ताकक
आऩ अऩने ऩरयवाय औय सभाज की प्रगनत भें बी अहभ मोगदान दे सकें .
जुराई 29
सही, स्ऩटट औय सकायात्भक सोच के साथ तम ककमे गए रक्ष्म अनुभान
से ज्मादा ऩरयणाभ रे कय आते हैं.
32. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 31
जुराई 30
आज ही एक डामयी खयीददमे औय उसभे अऩने सबी रक्ष्मों को साफ़ साफ़
लरख डालरमे औय माद यझखमेगा मही डामयी एक ददन आऩकी सपरता भें
आधायस्तॊब फनने का कामप कयेगी.
जुराई 31
आऩने जो देखा वही सीखा औय आऩने जो सीखा वही अऩनामा औय
आऩने जो अऩनामा आऩ वही फन गए.
अगस्त 1
आऩ चगरास को आधा बया देखते हैं मा आधा खारी मह आऩका चुनाव
है.
अगस्त 2
आऩ ककसी क्स्थनत भें तमा देखते हैं इसी से मह ननधापरयत होता है कक
आऩ उस क्स्थनत से तमा प्राप्त कयने जा यहे है.
अगस्त 3
अगय आऩकी दृक्टट साफ़ है तो सम्ऩूणप सृक्टट आऩके साथ है.
अगस्त 4
अगय आऩकी नजयें औय नजरयमा सही है तो आऩको काभमाफ होने से
कोई योक ही नहीॊ सकता.
अगस्त 5
मदद आऩकी आॉखें औय आऩके कहे शब्द एक ददशा भें नहीॊ जा यहे तो
भेये दोस्त आऩकी काभमाफी नाभुभककन है.
अगस्त 6
आऩकी आॉखें आऩके अॊतभपन का प्रनतबफॊफ हैं.
33. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 32
अगस्त 7
आऩकी आॉखें आऩकी र्वश्वास कयने की शक्तत का अटूट दहस्सा है.
अगस्त 8
अगय आऩ अऩने आऩ को फदरना चाहते हैं तो आऩको अऩने आस-ऩास
का वातावयण फदरना चादहमे.
अगस्त 9
आऩके ददभाग भें जाने वारी 90 % जानकायी आऩकी आॉखों के भाध्मभ
से ही आऩके ददभाग़ भें जाती है.
अगस्त 10
आऩकी आॉखें आऩके व्मक्ततत्व को गहयाई से व्मतत कयती हैं.
अगस्त 11
जो आऩ देखते हैं वही आऩ फन जाते हैं.
अगस्त 12
आऩ झूठ फोर सकते हैं भगय आऩकी आॉखें नहीॊ.
अगस्त 13
आज तक की भनोर्वऻान की सफसे फड़ी खोज मह है कक आऩ अऩने
नजरयए को सकायात्भक फना कय अऩने जीवन के हय ऩहरू को
सकायात्भक फना सकते हैं.
अगस्त 14
जफ आऩकी आॉख आऩकी आत्भ की आॉख फन जाती है तो आऩ कबी न
रुकने वारे व्मक्तत फन जाते हैं.
अगस्त 15
34. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 33
सोचचमे अगय आज आऩके जीवन का अॊनतभ ददन है तो आऩ भानवता
को तमा सौगात देकय जाना चाहेंगे.
अगस्त 16
आऩका जीवन सॊऩूणप भानवता को आऩका सॊदेश है.
अगस्त 17
आऩका जीवन जीने का तयीका मह दशापता है कक आऩका अॊत कै सा होगा.
अगस्त 18
आऩको वही लभरता है जो आऩ दूसयों को देते हैं.
अगस्त 19
अगय हभ प्रकृ नत से कु छ सीख सकते है तो वह है दूसयों को फेशतप देना.
अगस्त 20
अगय आऩ आत्भा की तृक्प्त चाहते हैं तो ईश्वय के अऩने प्माये इॊसानों
को फेशतप प्रेभ औय खुलशमाॉ देने के लसद्ाॊत को अऩने जीवन भें अऩना
रीक्जमे.
अगस्त 21
अगय आऩ ईश्वय को कु छ देना चाहते हैं तो भानवता की बराई के लरए
ककमा गमा कामप सफसे सवोतभ उऩहाय होगा.
अगस्त 22
आऩने जीवन भें अबी तक तमा ककमा है इसका अॊदाजा इस फात से
रगता है कक आऩने अऩने जीवन भें भानवता को अबी तक तमा ददमा
है.
अगस्त 23
35. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 34
आऩ ककसी व्मक्तत को जो सफसे फड़ा सम्भान दे सकते हैं वह है उसके
साथ ननबामा गमा फेशतप रयश्ता.
अगस्त 24
अगय आऩ अऩने जीवन भें सचभुच खुश यहना चाहते हैं तो दूसयों को
उनके वास्तर्वक स्वरुऩ भें कफूर कयना सीख रें.
अगस्त 25
वषों फाद कोई व्मक्तत आऩका नाभ, आऩका चेहया मा आऩका ऩता बूर
सकता है रेककन वह मह नहीॊ बूर सकता कक आऩसे लभरकय उसको
कै सा भहसूस हुआ था.
अगस्त 26
ककसी बी व्मक्तत के दो नाभ होते हैं एक तो वह नाभ जो उसके भाॉ-फाऩ
उसके जन्भ के वक़्त यखते हैं औय दूसया वो जो वह व्मक्तत अऩने जीवन
बय के कभो से खुद कभाता है.
अगस्त 27
सच्ची भृत्मु साहस की कभी है शयीय का त्माग नहीॊ.
अगस्त 28
क्जनके सऩने भानवता की जड़ों को ऩोषण देने के होते हैं उनकी भृत्मु बी
उनका सम्भान कयती है औय वो सच्चे अथों भें अभय हो जाते हैं.
अगस्त 29
जैसा व्मवहाय आऩ कयते है वैसा ही व्मवहाय ऩरट कय आऩके साथ होता
है.
अगस्त 30
36. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 35
भहसूस कीक्जमे कक तमा आऩ अऩने साथी भनुटमों की भदद कयके अऩनी
ही भदद नहीॊ कय यहें हैं औय ईश्वय को सच्चा धन्मवाद नहीॊ दे यहे हैं.
अगस्त 31
आऩका बर्वटम ऩूयी तयह आऩके हाथ भें है.
लसतॊफय 1
बर्वटम हभेशा भेहनती औय साहसी व्मक्तत का होता है.
लसतॊफय 2
हय फाय वही प्रमास कयना औय कपय उससे अरग ऩरयणाभ की उम्भीद
कयना मही तो जीवन भें भूखपता की ऩरयबाषा है.
लसतॊफय 3
सही ददशा भें ककमे गए प्रमास ही सही ऩरयणाभ रे कय आते हैं.
लसतॊफय 4
अगय आऩ बर्वटम भें अरग तयह के ऩरयणाभ चाहते हैं तो आऩको
वतपभान से ही अरग तयह से सोचना शुरू कय देना चादहमे.
लसतॊफय 5
अफ वतपभान भें आऩ अऩने अतीत का कु छ नहीॊ कय सकते ऩय अबी बी
आऩका बर्वटम ऩूयी तयह आऩके हाथ भें हैं.
लसतॊफय 6
आऩका बर्वटम आऩके हाथ भें हैं तमोंकक वतपभान भें सही औय सच्ची
ननमत से कभप कयने का चुनाव आऩका है.
लसतॊफय 7
अतीत से छु टकाया ऩाने का लसपप एक ही तयीका है औय वह मह है कक
अतीत की गरनतमों से लशऺा रेकय अऩने जीवन भें रगाताय आगे फढ़ना.
37. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 36
लसतॊफय 8
आऩ जो ददखते हैं उससे कहीॊ ज्मादा आऩ मोग्मता यखते हैं.
लसतॊफय 9
जफ आऩ ऩाने की फजाम देने की भानलसकता अऩना रेते हैं तो आऩका
बर्वटम खुद-फ-खुद उज्ज्वर हो जाता है.
लसतॊफय 10
जफ आऩ अऩने काभ के गहये अथप को सभझ रेते हैं तो आऩका बर्वटम
उज्ज्वर हो जाता है.
लसतॊफय 11
आऩका बर्वटम फेहद खूफसूयत हो जाता है जफ आऩ अऩने जूनून को
अऩने काभकाज का ऺेत्र फना रेते हैं.
लसतॊफय 12
अऩने अतीत को सम्भान देने से आऩका बर्वटम उज्ज्वर फन जाता है.
लसतॊफय 13
हय नमा ददन आऩके लरए ईश्वय की अऩाय कृ ऩा का सॊदेश रेकय आता है.
लसतॊफय 14
हय नमा ददन आऩके लरए नए-नए र्वककऩ खोरता है, आऩके लरए
भहानता के नए-नए भागप खोरता है.
लसतॊफय 15
सपरता औय असपरता आऩकी भानलसकता के ही दो ऩहरू हैं.
लसतॊफय 16
हय असपरता भें सपरता के कयोड़ों अवसयों के फीज भौजूद होते हैं आऩ
उन्हें खोजना सीझखमे.
38. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 37
लसतॊफय 17
आज लशखय ऩय फैठे हय ददग्गज ने मह साबफत कय ददमा है कक जीवन भें
सभस्माएॉ नहीॊ, लसपप चुनौनतमाॉ हैं.
लसतॊफय 18
सपरता कोई ननक्श्चत स्थान फक्कक एक हय ददन चरने वारी मात्रा है.
लसतॊफय 19
क्जस ददन आऩ अऩनी असपरता को कफूर कय रेते हैं उस ददन आऩकी
सचभुच हाय हो जाती है.
लसतॊफय 20
असपरता को अच्छी लशऺा देने वारे एक अनुबव के रूऩ भें देझखमे.
लसतॊफय 21
असपरता, सपरता की खुशी को भहसूस कयने का एक आवश्मक
अनुबव देती है.
लसतॊफय 22
क्जस व्मक्तत भें सऩने देखने का बी साहस नहीॊ है वह तो ऩहरे ही हाय
चुका है.
लसतॊफय 23
असपरता के सभम भें हभ खुद भें उन शक्ततमों को ऩा रेते हैं जो हभने
खुद भें कबी ककऩना बी नहीॊ की होती.
लसतॊफय 24
अऩने ददर की आवाज को भायकय अऩने जीवन को जीना असपरता ऩाने
का अचूक नुस्खा है.
लसतॊफय 25
39. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 38
असपरता आऩको तफ ददखती है जफ आऩ आऩके रक्ष्म से अऩनी
ननगाह हटा रेते हैं.
लसतॊफय 26
अगय आऩके जीवन भें कोई उद्देश्म मा बर्वटमदृक्टट नहीॊ है तो श्रीभान
आऩ असपरता प्राक्प्त के भागप ऩय हैं.
लसतॊफय 27
जफ आऩ अऩने जीवन के लरए खुद को छोड़कय फाकी सबी को दोष देना
शुरू कय देते हैं तो आऩ असपरता को खुद-फ-खुद ही आकर्षपत कय रेते
है.
लसतॊफय 28
ककसी व्मक्तत के सच्चे र्वचायों का अऩभान कयना बी असपरता को गरे
रगाने जैसा ही है.
लसतॊफय 29
सही भामनों भें, असपरता आऩको व्मक्ततमों औय क्स्थनतमों को नए लसये
से देखने का शानदाय अवसय प्रदान कयती है.
लसतॊफय 30
जफ आऩ ददन बय भें छोटे-छोटे काभ कयने भें ही उरझे यहते हैं तो आऩ
कु दयती तौय ऩय ही कोई फड़ा काभ नहीॊ कय ऩाते हैं.
अतटूफय 1
अऩने हय काभ भें, 10% प्रगनत की नहीॊ, फक्कक 10 गुना प्रगनत की
भानलसकता अऩनाइमे.
अतटूफय 2
40. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 39
फड़ी औय खुरी सोच यखने से कबी नुकसान नहीॊ होता जफकक छोटी औय
तॊग सोच यखने से कबी पामदा नहीॊ होता.
अतटूफय 3
फड़ी औय ऩवपताकाय सोच का अथप है खुरे औय र्वस्तायऩूणप नजरयए से
रोगों औय क्स्थनतमों को देखना.
अतटूफय 4
माद यझखमे कक लशखय ऩय कबी बी बीड़ नहीॊ होती, इसका कायण लसपप
इतना है ज्मादातय रोग छोटा सोचने का काभ ही जीवन बय कयते यहते
हैं.
अतटूफय 5
इनतहास उन्ही रोगों को सराभ कयता है जो फड़ी सोच अऩनाते हुए
दुननमा को वास्तव भें कु छ अथपऩूणप देकय गए हैं.
अतटूफय 6
भैं इस काभ को नहीॊ कय सकता हूॉ औय आऩ इस काभ को नहीॊ कय
सकते हैं, इन दोनों वातमों को अऩने शब्दकोष से ननकार फाहय कीक्जमे.
अतटूफय 7
आऩ क्जतना फड़ा सोचेंगे उतनी ही फड़ी सभस्माएॉ आऩके साभने आएॉगी
औय उतनी ही फड़ी उऩरक्ब्ध प्राप्त कयने का सुअवसय आऩके ऩास होगा.
अतटूफय 8
चैंर्ऩमन हभेशा ही खुरे कान औय खुरी सोच वारे रोग फनते हैं.
अतटूफय 9
अगय आऩकी सोच छोटी औय खुद तक ही सीलभत है तो आऩकी सपरता
औय काभकाज का दामया छोटा ही यहेगा.
41. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 40
अतटूफय 10
भहान प्राप्तकताप हभेशा ही फड़ी सोच के साथ एक सच्चे उद्देश्म के लरए
अऩने जीवन को सभर्ऩपत कय देते हैं.
अतटूफय 11
जफ आऩ व्मक्ततमों औय क्स्थनतमों को ऩवपताकाय सोच के साथ देखते हैं
तो आऩको ढेय सायी सॊबावनाएॉ खुद ही ददखनी शुरू हो जाती हैं.
अतटूफय 12
हय पशप से अशप तक ऩहुॉचा व्मक्तत फड़ी औय ऩवपताकाय सोच से होने
वारे पामदों की जीती जागती लभसार है.
अतटूफय 13
कबी न रुकने वारे व्मक्तत अऩने खुद के अॊदय छु ऩी सॊबावनाओॊ के प्रनत
ऩवपताकाय सोच यखते हैं.
अतटूफय 14
सपर व्मक्ततमों औय सॊगठनों की काभमाफी की सच्ची कहाननमाॉ ऩदढमे
औय खुद ही ऩवपताकाय सोच से होने वारे पामदों के फाये भें जान रीक्जमे.
अतटूफय 15
अगय आऩ रोगों को प्रबार्वत कयना चाहते हैं तो खुद को सच्चे तयीके से
प्रस्तुत कयना शुरू कयें.
अतटूफय 16
लभत्र फनाने का यहस्म है ददर खोर कय फातें कयना औय दूसये व्मक्तत के
र्वचायों का सच्चा सम्भान कयना.
अतटूफय 17
42. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 41
हभ सबी भें बावनाएॉ होती हैं औय हभ सफ अऩनी बावनाओॊ का सम्भान
कयते हैं तो आऩ बी अऩनी फातों से रोगों की बावनाएॉ को स्ऩशप कयें.
अतटूफय 18
आऩको सुनने वारा व्मक्तत आऩकी फात के जादू से ज्मादा, आऩके द्वाया
उसके प्रनत ककमे गए व्मवहाय से प्रबार्वत होता है.
अतटूफय 19
अच्छा वतता फनने के लरए, ऩहरे आऩको एक अच्छा श्रोता फनने की
जरुयत है.
अतटूफय 20
चीज़ों को अच्छे ढॊग से प्रस्तुत कयने के लरए ऩहरे उन्हें अच्छे ढॊग से
सभझझमे.
अतटूफय 21
अऩने जीवन भें सयरता के लसद्ाॊत को अऩनाइए. सयर व्मक्तत सफसे
ज्मादा ऩसॊद ककमा जाता है.
अतटूफय 22
सयर शब्दों भें जादू होता है औय वो अतसय अभय हो जाते हैं.
अतटूफय 23
फेलभसार प्रस्तुतकताप चीज़ों को बफककु र सयर फना कय ऩेश कयते हैं.
अतटूफय 24
सयरता से अऩनी फात कह देना, उजाप औय सभम की बमॊकय फयफादी को
योकता है.
अतटूफय 25
43. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 42
अगय आऩकी प्रस्तुनत सयर एवॊ सच्ची नहीॊ है तो वह श्रोता को राब
नहीॊ ऩहुॉचा सकती.
अतटूफय 26
सच्चा प्माय हभेशा ही सयर होता है.
अतटूफय 27
सच्चा औय चैंर्ऩमन प्रस्तुतकताप अऩने श्रोताओॊ से फेहद प्माय कयता है.
अतटूफय 28
भहान व्मक्तत अऩनी सच्ची बावनाओॊ के सच्चे प्रस्तुतकताप होते हैं.
अतटूफय 29
चीज़ों को सयर फनाने की शुरुआत असर भें शुरुआती दौय भें चीज़ों के
भुक्श्कर रगने से ही होती है.
अतटूफय 30
सच्ची औय नेक सोच के साथ साभने वारे का पामदा सोच कय दी गमी
प्रस्तुनत ही सचभुच प्रस्तुनत है अन्मथा वह कु छ बी सकायात्भक ऩरयणाभ
नहीॊ रा सकती.
अतटूफय 31
बफना उत्सुकता के प्रगनत असॊबव है.
नवॊफय 1
सच्चे अथों भें आऩ जीवन भें तमा प्राप्त कयना चाहते हैं उसे खोक्जमे
औय आऩ उसे ऩा ही रेंगे.
नवॊफय 2
सच्ची उत्सुकता सीखने की ददशा भें ऩहरा औय फुननमादी कदभ है.
नवॊफय 3
44. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 43
जीवन भें आऩ तफ तक अथप औय खुलशमाॉ नहीॊ ऩा सकते जफ तक आऩ
उन दोनों के न होने से ऩैदा होने वारी कभी के प्रनत उत्सुक नहीॊ हो
जाते.
नवॊफय 4
गहयी उत्सुकता से ही गहये जूनून का जन्भ होता है.
नवॊफय 5
जफ तक आऩ ऩूछेंगे ही नहीॊ आऩको साभने से जवाफ कै से लभरेगा? जया
सोचचमे.
नवॊफय 6
जीवन ठीक आऩको वही देता है क्जसकी आऩ जीवन से भाॊग कयते है.
नवॊफय 7
हभ सबी भें प्रगनत के सभान अवसय छु ऩे हुए हैं औय जीवन का सच्चा
अथप ही इन अवसयों को तराशना है.
नवॊफय 8
हय ऺेत्र के चैंर्ऩमन अऩने काभ के प्रनत शानदाय उत्सुकता यखते हैं औय
हभेशा कु छ नमा सीखने के लरए सभर्ऩपत यहते हैं.
नवॊफय 9
सच्ची उत्सुकता आऩको जीवन भें फहुत दूय तक रे कय जाने की ईश्वयीम
मोग्मता यखती है.
नवॊफय 10
लरझखमे उन चीज़ों के फाये भें जो आऩको हद से ज्मादा उत्सुक फना देती
हैं.
नवॊफय 11
45. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 44
आऩ क्जन चीज़ों के प्रनत उत्सुक होते हैं वो चीज़ें एक-एक कयके आऩके
साभने आना शुरू हो जाती हैं.
नवॊफय 12
आऩ अऩने ददभाग को कै सा बोजन देते हैं इसी से साया पकप ऩड़ता हैं.
नवॊफय 13
आऩ अऩने आऩ को जीवन बय सीखने के लरए सभर्ऩपत कय दीक्जमे.
नवॊफय 14
रगाताय लशऺा आऩको रगाताय र्वनम्र फनामे यखती है.
नवॊफय 15
रीडयलशऩ कोई थोऩी गमी क्जम्भेदायी मा लसपप एक ऩद नहीॊ फक्कक एक
व्मक्ततगत ऩहर होती है.
नवॊफय 16
सच्चा रीडय हभेशा उदाहयण ऩेश कयता है वह ककसी को ननमॊबत्रत नहीॊ
कयता.
नवॊफय 17
जफ आऩ रोगों को औय क्स्थनतमों को उनके वास्तर्वक रूऩ भें सभझना
शुरू कय देते हैं तो आऩको रीडयलशऩ खुद-फ-खुद सभझ आना शुरू हो
जाती है.
नवॊफय 18
रीडयलशऩ लसपप एक शीषपक नहीॊ फक्कक एक भानलसकता औय अऩने
जीवन के लरए खुद री गमी एक क्जम्भेदायी होती है.
नवॊफय 19
आऩकी रीडयलशऩ आऩके घय से ही शुरू हो जाती है.
46. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 45
नवॊफय 20
रीडयलशऩ आऩके काभ के प्रनत आऩके प्माय औय सम्भान का प्राकृ नतक
ऩरयणाभ है.
नवॊफय 21
रोग तफ तक आऩके साथ नहीॊ चरते जफ तक उनको मह र्वश्वास नहीॊ
हो जाता कक आऩ सच्चे अथों भें अऩने रक्ष्म के लरए सभर्ऩपत हो औय
वास्तव भें, आऩ एक अच्छे इॊसान हो.
नवॊफय 22
रोग तबी आऩके ऩीछे चरते हैं जफ आऩ अऩने ददर की आवाज को
सुनते हो.
नवॊफय 23
आऩ सही भामनों भें नेतृत्व तबी कयते हैं जफ आऩ ककसी सच्चे रक्ष्म के
लरए खुद को सभर्ऩपत कय देते हैं.
नवॊफय 24
आज र्वश्व को हय ऺेत्र भें अच्छे औय सच्चे रीडसप की बायी आवश्मकता
है.
नवॊफय 25
हय ऺेत्र के भहान रोगों की जीवननमाॉ ऩदढमे औय इसे एक आदत के रूऩ
भें अऩना रीक्जमे.
नवॊफय 26
अच्छे सम्भानजनक ऩद तक ऩहुॉचने के लरए आऩको एक रीडय फनने की
आवश्मकता है.
नवॊफय 27
47. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 46
सच्चे रीडसप ककसी बी ऩरयवाय मा सॊस्थान की यीढ़ की हड्डी होते हैं.
नवॊफय 28
आज से ही खुद को बर्वटम को शानदाय अॊदाज़ भें देखने वारे एक रीडय
के रूऩ भें र्वकलसत कीक्जमे.
नवॊफय 29
हय काभमाफ व्मक्तत एक काभमाफ ननवेशक होता है.
नवॊफय 30
सोचचमे, आऩ अऩने ज्मादातय सभम का ननवेश कहाॉ कयते हैं.
ददसॊफय 1
सोचचमे, आऩ अऩनी उजाप का यचनात्भक कामों के लरए ककतना ननवेश
कयते हैं.
ददसॊफय 2
आऩ क्जस ऺेत्र भें सभम औय उजाप का ननवेश कयते हैं ठीक उसी ऺेत्र भें
आऩको ऩरयणाभ बी लभरता है.
ददसॊफय 3
अवसय हभेशा ही यहे हैं औय हभेशा ही यहेंगे. साया पकप इसी फात से
ऩड़ता है कक आऩ अऩनी सोचने की शक्तत का इस्तेभार ककस ददशा भें
कयते हैं.
ददसॊफय 4
अऩने सभम को अच्छे ऩरयणाभ देने वारी आदतों को सीखने औय
अऩनाने भें ननवेश कीक्जमे.
ददसॊफय 5
48. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 47
आऩका सफसे फड़ा ननवेश है अऩने सोचने की शक्तत को अऩने आऩको
भजफूत फनाने की ददशा भें ननवेश कयना.
ददसॊफय 6
एक सपर व्मक्तत अच्छी जगह अऩनी उजाप का ननवेश कयके , ननवेश को
अऩने लरए एक हचथमाय फना रेता है.
ददसॊफय 7
अऩने सभम को फेशतप रयश्ते फनाने के लरए ननवेश कीक्जमे.
ददसॊफय 8
ककसी बी ऺेत्र से जुड़ा आऩका ऻान उस ऺेत्र भें ईभानदायी से ककमे गए
आऩके सभम के ननवेश के अनुरूऩ होता है.
ददसॊफय 9
जो ऩुस्तकें आऩभें सोचने की ऺभता को र्वकलसत कयती हैं उनभे अऩने
धन औय सभम का ननवेश कीक्जमे.
ददसॊफय 10
जो र्वचाय आऩको जीवन भें आगे फढ़ने के लरए प्रेरयत कयते हैं उनको
सुनने भें ज्मादा से ज्मादा सभम का ननवेश कीक्जमे.
ददसॊफय 11
रोगों भें जो सफसे रम्फी अवचध का ननवेश आऩ कय सकते हैं वह है
उनके र्वचायों के प्रनत सच्चा सम्भान ददखाना शुरू कय दीक्जमे.
ददसॊफय 12
र्वश्व का सफसे भहान ननवेश है खुद को जानने के लरए ककमा गमा
सभम औय उजाप का ननवेश.
ददसॊफय 13
49. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 48
ननवेश चाहे कै सा बी हो ऩरयणाभ जरूय रेकय आता है.
ददसॊफय 14
सच्ची सपरता का अथप है खुद के वास्तर्वक स्वरुऩ को जानना.
ददसॊफय 15
खुद के वास्तर्वक स्वरुऩ को जान कय ही आऩ दूसयों को उनके
वास्तर्वक स्वरुऩ को जानने भें भदद कय सकते हैं.
ददसॊफय 16
आऩको आऩके वास्तर्वक स्वरुऩ का क्जतना ज्मादा ऻान होगा उतना ही
आऩ रोगों से सच्चा सम्भान प्राप्त कयेंगे.
ददसॊफय 17
जीवन ऩाने का सच्चा उद्देश्म है खुद को जानना.
ददसॊफय 18
आऩकी सोच अऩने आऩ ही गहयी होती चरी जाती है जैसे जैसे आऩ खुद
के वास्तर्वक स्वरुऩ को जानते हुए उसके औय कयीफ ऩहुॉचने रगते हैं.
ददसॊफय 19
काभमाफी औय वास्तर्वक सभृर्द् आऩके अऩने ही बीतय है.
ददसॊफय 20
रोग आऩभें सच्ची रूचच तबी रेते हैं जफ आऩ खुद भें सच्ची रूचच रेते
हैं.
ददसॊफय 21
व्मक्ततत्व र्वकास का सच्चा अथप है अऩने बीतय छु ऩे शक्तत के अनॊत
स्त्रोत्र को ऩहचानना.
ददसॊफय 22
50. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 49
व्मावसानमक र्वकास का सच्चा अथप है अऩने व्मवसाम से जुड़े हय एक
व्मक्तत की अनॊत भानलसक सॊबावनाओॊ का हय ददन अचधकतभ उऩमोग
कयना.
ददसॊफय 23
आॉखों भें चभक, चेहये ऩय तेज औय होठों ऩय भुस्कान लसपप खुद को
जानने के फाद ही आ सकती है.
ददसॊफय 24
हय काभमाफ व्मक्तत आऩसे कहता है कक भैं अऩने वास्तर्वक स्वरुऩ को
जान गमा हूॉ औय इसीलरए भैं काभमाफ हूॉ.
ददसॊफय 25
आऩ अॊदाजा बी नहीॊ रगा सकते हैं कक आऩके अॊदय ककतनी ज्मादा
असीभ शक्ततमाॉ हैं.
ददसॊफय 26
नकायात्भक शक्ततमाॉ आऩसे तबी तक रु-फ-रु हो सकती हैं जफ तक आऩ
अऩने वास्तर्वक स्वरुऩ से अनजान हैं.
ददसॊफय 27
वास्तर्वक स्वरुऩ का अथप मह जानना है कक एक इॊसान जीवन भें ककस
ऊॊ चाई को छू सकता है.
ददसॊफय 28
ईश्वय आऩको भुक्श्करें इसलरए देता है ताकक आऩका र्वकास कय सके .
ददसॊफय 29
आऩसे ईश्वय फेशतप प्माय कयता है चाहे आऩ मह जानते हो मा नहीॊ.
ददसॊफय 30
51. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 50
सपरता औय खुशी आऩका जन्भलसद् अचधकाय है.
ददसॊफय 31
हभ सफ हय वक़्त ईश्वयीम शक्तत से ऩरयऩूणप हैं औय हभ सफ सच्चे
ईश्वय की सॊतानें हैं.
52. सपरता का अभृत 3 सीभा फपीवारा दीऩक फपीवारा 51
आऩको ऩुस्तक ऩढने के लरए ददर से
धन्मवाद