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बाढ़
आवृत्तियों, हानियों और घोत्तित
िागररक प्रनतरक्षा आपातस्थिनतयों
के संदर्भों में, सबसे बडे खतरे के
रूप में बाढ़, ि्यूजीलैण ्ड में पहले
िम ्बर पर है। बाढ़ घायल होिे और
जिहानि का कारण बि सकती हैं,
सम ्पत्तियों और आधारर्भूत संरचिा
को क्षनत पहंचाती हैं, पशधि को
तबाह करती हैं और जल तिा र्भूमम
को प्रदूत्तित करती हैं।
बाढ़ आमतौर पर निरंतर मूसलाधार
बरसात या गरजदार तूफाि के कारण होती
है, लेककि यह सुिामी और तटीय तूफािी
जलमग्‍िता का भी पररणाम हो सकता है।
बाढ़ खतरिाक हो सकती है यदद:
•पािी काफी गहरा हो या बहुत तेजी से बह
रहा हो
•बाढ़ बहुत तेजी से बढ़ी हो
•बाढ़ के पािी में मलबा, जैसे कक पेड़ और
िालीदार इस्‍पाती चादरें आदद बहे चले आ
रहे हों
बाढ़ का आक्रमण होिे से पहले ही तैयारी
कर लेिे से, आपका घर और कारोबार को
होिे वाली क्षनत को कम करिे में और
आपको बच निकलिे में मदद ममलेगी।
बाढ़ आिे sy पहले
•अपिी स्‍थािीय काउंमसल से जािकारी पाएं
कक क्‍या आपके घर या कारोबार को बाढ़ से
खतरा है। स्‍थाि खाली करते हुए बच निकलिे
की योजिाओं तथा स्‍थािीय साववजनिक
चेताविी प्रणामलयों के बारे में पूछें, और जािें
कक ककस तरह आप अपिे घर और कारोबार के
मलए भावी बाढ़ के जोखखम घटा सकते हैं, और
यदद आपको स्‍थाि छोड़कर बचकर निकलिा
पड़े तो आपको अपिे पालतू पशुओं और
पशुधि का क्‍या करिा चादहए।
•जािकारी करें कक निकटतम
ऊं ची भूमम कहां पर है और वहां
तक कै से पहुंचा जाए।
•एक घरेलू आपातकालीि
योजिा तैयार करें।. अपिे घर
में अपिे आपातकालीि बचाव
वस्‍तुएंव्‍यवस्स्थत करें और
इिका सही रखरखाव बिाए
रखें, साथ ही एक साथ ले जािे
योग्‍य गेटअवे ककट (बचाव
ककट) भी तैयार करें।
•पयावप्‍त सुरक्षा के संदभव में
अपिी बीमा पॉमलसी की जांच
करें।
बाढ़ के दौराि या जब बाढ़
सस्निकट हो
•अपिे स्‍थािीय रेडियो के न्‍द‍रों का प्रसारण सुिें जहां
आपातस्स्थनत प्रबंधि कमवचारी, आपके समुदाय और
पररस्स्थनत के मलए सबसे उपयुक्‍त सलाह देंगे।
•यदद आपको कोई अशक्‍तता (अक्षमता) है या सहारे की
जरूरत है, तो अपिे सहयोगी िेटवकव से सम्‍पकव करें।
•अपिी घरेलू आपातकालीि योजिा पर कायववाही करें और
अपिी गेटअवे ककट जांचें। यदद आवश्‍यक हो जाए तो
तत्‍काल जगह छोड़कर निकलिे की तैयारी करें।
•जहां संभव हो, पालतू पशुओं को अंदर या एक सुर्क्षत
स्‍थल पर पहुंचाएं और पशुधि को ऊं ची जगह पर पहुंचाएं।
•अपिे घर से पािी को दूर रखिे के मलए बालू भरे बोरों को
लगािे पर ववचार करें।
•पयावप्‍त सुरक्षा के संदभव में अपिी बीमा पॉमलसी की जांच
करें।
•कीमती घरेलू वस्‍तुओं को और रसायिों को फशव से
यथासंभव ऊं ची जगह पर रखें।
•यदद पािी प्रदूवित हो रहा हो तो बॉथटब, मसंक और स्‍टोरेज
कं टेिरों को साफ पािी से भर कर रख लें।
•उपयोगी सुववधाओं को बंद कर दें यदद प्राधधकाररयों द्वारा
ऐसा करिे को कहा जाए क्‍योंकक ऐसा करिा आपके घर या
समुदाय को िुकसाि पहुंचिे से रोकिे में मददगार हो
सकता है। तीव्र बबजली के प्रवाह से क्षनत पहुंचिे से रोकिे के
मलए छोटे उपकरणों के प्‍लग निकाल दें।
•बाढ़ के पािी में वाहि चलाकर जािे या पैदल निकलिे की
तब तक कोमशश ि करें जब तक ऐसा करिा बहुत ही जरूरी
ि हो।
बाढ़ के बाद
•बाढ़ का पािी उतर जािे के बाद भी घर
लौटिा, सुर्क्षत िहीं भी हो सकता है। िागररक
प्रनतरक्षा निदेशों के मलए निरंतर अपिे स्‍थािीय
रेडियो के न्‍द‍र का प्रसारण सुिें।
•यदद कर सकें तो अन्‍द‍य लोगों की, ववशेिकर
ववशेि सहायता की जरूरत वाले लोगों की मदद
करें।
•बाढ़ के पािी से प्रदूवित खाद्य साम्ी खािे-
पीिे की डिब्‍बाबंद चीजों सदहत, को फें क दें।
•टोंटी (िलों) से आिे वाले पािी को पीिे या
इससे खािा पकािे से बचें, जब तक कक आप
निस्श्चत ि कर लें कक यह प्रदूवित िहीं है। यदद
संदेह हो, तो अपिे लोकल काउंमसल या
साववजनिक स्‍वास्‍्‍य प्राधधकारी से जांच कराएं।
बाढ़ से सरक्षा
गुहला-चीका, 23 जिवरी (निस)। सुप्रीमकोटव द्वारा टो-
वाल को लेकर पंजाब के एतराज को खाररज ककए जािे के
बाद टो-वॉल बिकर तैयार हो गई है। टो-वाल के निमावण
पूरा होिे के बाद गुहला क्षेत्र में करोड़ों रुपए के आधारभूत
ढांचे व हजारों एकड़ फसलों की बबावदी को रोकिे में मदद
ममलेगी। हररयाणा-पंजाब सीमा के साथ बहती बरसाती
िदी घग्गर दशकों से उपमंिल गुहला के मलए तबाही का
पयावय बिती रही है। जुलाई 2010 में आई बाढ़ के दौराि
तत्कालीि मसंचाई मंत्री कै प्टि अजय यादव िे गुहला क्षेत्र
का दौरा ककया व क्षेत्र के ककसािों के मलए बाढ़ बचाव के
स्थायी प्रबंधों को स्वीकृ नत दी थी। स्जसके तहत इस विव 7
मई को हांसी बुटािा मलंक िहर की बुजी िंबर 45 हजार से
57 हजार के बीच टो-वाल पर काम शुरू हो सका।
लोक निमावण एवं उघोग मंत्री रणदीप मसंह सुरजेवाला
द्वारा टो वाल का मशलान्‍दयास करिे के साथ ही इस मुद्दे
िे एक वववाद का रूप अस्ततयार कर मलया। टो-वाल का
निमावण शुरू होते ही जहां पंजाब सरकार सुप्रीमकोटव चली
गई वहीं पंजाब के सीमांत गांवों िे इसे तबाही की दीवार
करार ददया।
भारतीय ककसाि यूनियि(िकौंदा), पंजाब
के बैिर तले इकट्ठे हुए ककसािों िे
आंदोलि कर हररयाणा-पंजाब व कें र
सरकार के पुतले फूं के व दस ददिों तक
क्रममक अिशि रखा। ककसािों का तकव
था कक टो-वाल बिाए जािे से पंजाब के
दजविों गांव बाढ़ की चपेट में
आएंगे। सुप्रीमकोटव में कई महीिों तक
चली जद्दोजहद के बाद फै सला हररयाणा
के दहत में आया। पंजाब सरकार द्वारा
सुप्रीमकोटव में लगाई स्थगि आदेश की
याधचका को कोटव िे खाररज कर ददया।
इस फै सले के साथ ही जहां हररयाणा
सरकार को बड़ी राहत ममली । वहीं टो-
वाल के निमावण के बाद दशकों से बाढ़
झेल रहे लोगों
कोलकाता सम्मेलि (1897) कोसी के मलए ककसी ठोस ितीजे पर िहीं पहुंच सका मगर
सम्मेलि के बाद छोटे-मोटे तटबंध चारों ओर बििे लगे थे। इंजीनियर, कै प्टि एफ.सी. हस्टव
(1908) इि तटबंधों और उिकी भूममका पर पैिी िजर रखे हुये था। उसका कहिा था कक, ‘‘
इधर कु छ विों से कोसी के बाएं ककिारे पर पूखणवयां स्जले में बाढ़ से कु छ समय के मलए निजात
पािे के मलए व्यस्क्तगत प्रयासों से बीर बांध की तजव पर बहुत से तटबंध बिे हैं। यह बाद में
समझ में आयेगा कक यह भववष्य में जिदहत के मलए खतरा बिेंगे।’’ उसिे चीि में स्जस तरह
हिांग हो िदी पर तटबंध बिाये गये थे उसकी भी तीव्र भत्सविा की और कहा कक, ‘‘ चीनियों िे
गलत तरीके से डिजाइि का उपयोग करके एक पीढ़ी को फायदा पहुंचािे और भववष्य की सभी
पीदढ़यों को िुकसाि पहुंचािे का सबसे अच्छा उदाहरण पेश ककया है स्जसके पररणाम बड़े
शोचिीय हैं। वहां की एक बहुत ही महत्वपूणव िदी को, जो कक अपिे पािी में लाई गाद के
जमाव के कारण भूमम निमावण का एक निस्श्चत कायव कर रही थी, इस बात के मलए मजबूर
ककया गया कक वह एक निस्श्चत धारा में बहे और इसके मलए उसे तटबंधों में कै द ककया गया,
उसके सारे निकासों को बंद करके उसे अपिे पूरे इलाकों पर गाद फै लािे से रोका गया जबकक
इस गाद की उि क्षेत्रों को बहुत आवश्यकता थी। आिे वाली हर पीढ़ी के पास िदी की हमेशा
बढ़ती हुई बाढ़ों का मुकाबला करिे के मलए तटबंधों को ऊँ चा करते रहिे के अलावा कोई रास्ता
ि बचा और आजकल इस िदी में बहुत से स्थािों पर आस-पास के कन्‍दरी साइि की जल-
निकासी करके खेती की व्यवस्था की गई है और यह कृ वि साल दर साल बढ़िे वाली जिसंतया
का पोिण करती है। एक असामान्‍दय बाढ़ आिे पर तटबंध या तो टूट जाते हैं या उिके ऊपर से
पािी बह निकलता है और चढ़ा हुआ पािी उन्‍दहीं लोगों की अगली पीदढ़यों के वविाश का कारण
बिता है स्जन्‍दहोंिे भला सोच कर ही इस अिथव का रास्ता खुद तैयार ककया था।
...तटबंध बिािे का खौफिाक ितीजा दहन्‍ददुस्तािी इंजीनियरों के
मलए एक चेताविी समझा जायेगा। ज्यादा संभाविा इस बात की है
कक हाल के विों में उत्तर बबहार के स्जलों में जो वविाशकारी बाढ़ें
आई हैं, अगर यह पूरी तरह िहीं तो काफी हद तक, इि इलाकों में
तटबंधों की मौजूदगी के कारण आई हैं। िदी की धारा को मजबूर
करके एक निस्श्चत प्रवाह पथ से बहािा, चाहे वह ककतिी ही छोटी
िदी क्यों ि हो, वास्तव में प्रकृ नत की मंशा के खखलाफ है। एक
तटबंध, स्जसमें पािी की निकासी के मलए मामूली या िहीं के
बराबर रास्ते बिें हों और स्जससे उम्मीद की जाती हो कक वह बाढ़
से रक्षा करेगा, वास्तव में प्रकृ नत को ललकारता है, उसको
अपमानित करता है और इस तरह के अपमाि को पचा जािा
प्रकृ नत की आदत िहीं है।’’
हस्टव िे सात साल तक िददयों की खाक छाििे के बाद थोड़ा बहुत
कहिे का साहस बटोरा था और इस पूरे मुद्दे पर बहस निखारिे की
कोमशश की थी और यह बहस चली भी। एक समय बंगाल प्रांत के
चीफ इंजीनियर रहे िब््यू.ए. इंगमलस (1909) िे हस्टव द्वारा
उठाये गये सवालों का जवाब ददया और कु छ कहिे के पहले उन्‍दहोंिे
अपिी स्स्थनत स्पष्ट कर दी थी कक, ‘‘बंगाल की िददयों से स्जि
इंजीनियरों का वास्ता पड़ा है [
उिमें से कु छ तो िदी के ककिारे बिाये जािे वाले तटबंधों को एकदम ही घृखणत
चीज मािते हैं लेककि कु छ ऐसे भी इंजीनियर हैं जो कक यह मािते हैं कक यदद
संबंधधत ववियों की पूरी जािकारी और वववेक के साथ तटबंधों की डिजाइि की
जाय तो इिसे फायदा हो सकता है और मैं खुद अपिे आप को इसी पक्ष का
समथवक मािता हूं। कफर भी, यह पूरी तरह मािा जाता है कक तटबंध अनियंबत्रत
बाढ़ों के मुकाबले हलकी बुराई है और यह निस्श्चत रूप से क्याणकारी हैं।’’
इंगमलस िे और भी स्स्थनत को साफ ककया कक, ‘‘सच यह है कक (गंगा के मैदािों
की) ऐसी िददयों के कु छ गुण समाि हैं। इिमें से सभी को कम या अधधक मात्रा
में मस्ट वहि करिा पड़ता है तथा यह कक लगभग सभी िददयां ककिारे काटती
हैं। कफर भी इि सभी क्षेत्रों में हर िदी में काफी अंतर है और मैं ऐसी हरेक िदी के
अिूठेपि को सावधािीपूववक अध्ययि करिे पर खास जोर दूंगा।’’
एफ.सी. हस्टव िे प्रकृ नत के साथ और खास कर िददयों के साथ छेड़-छाड़ ि करिे
की बात कही थी, प्रकृ नत को ललकारिे और उसके बदला लेिे की बात उठाई थी
स्जसके बारे में इंगमलस का कहिा था, कक ‘‘ इसमें कोई संदेह िहीं कक प्रकृ नत की
बड़ी ताकतों को काबू में करिे या बदलिे के बारे में हम कु छ भी िहीं कर सकते।
हम ि तो बाररश करवा सकते हैं, ि सूरज चमका सकते हैं और ि ही हवा को बहा
सकते हैं।
कफर भी हम प्रकृ नत के साथ उलझ सकते हैं
और उसके कक्रया-कलाप में रोज सुधार कर
सकते हैं और यह करते भी हैं। हमिे चुि
करके और संकरण से बहुत से पौधों और
जािवरों की िस्ल में सुधार ककया है। हमिे
पािी जमा करिे के मलए जलाशय बिाये हैं
और हम िदी िालों से पािी खींच कर मसंचाई
के मलए खेतों में िालते हैं और ऐसा करते
समय हम प्रकृ नत की व्यक्त मंशा की कभी
परवाह िहीं करते। िददयों द्वारा तट के
कटाव से बचाव हम करते हैं और हमीं िे उि
जगहों से बालू और ममट्टी हटाई है जहां
प्रकृ नत चाहती थी कक वह बिी रहे। कफर भी
ऐसे कामों की एक सीमा होती है और हमें इस
सीमा के अंदर रहिा होगा और सफलता इस
बात पर निभवर करती है कक हम इि सीमाओं
को पहचािें और आिुपानतक मयावदाओं का
तयाल रखें।’’
इंगमलस िे यह इशारा जरूर ककया कक िददयों के ककिारे कम ऊँ चाई के
तटबंध बिाये जा सकते हैं और उसके ऊपर से पािी बहािे की व्यवस्था
की जा सकती है स्जससे कक एक हद तक बाढ़ से बचाव भी हो सकता है
और िदी अपिा भूमम निमावण का काम भी सुचारु रूप से चला सकती है।
वव्कॉक्स िे दामोदर घाटी के संबंध में जो कु छ भी कहा है वह प्रायः ऐसी
ही व्यवस्था की ओर एक इशारा है।
ववमलयम इंगमलस, जो कक बीसवीं सदी के प्रारंभ में बंगाल के चीफ
इंजीनियर थे और सारी बातें समझते भी थे कफर भी पता िहीं क्यों उिके
कायवकाल में इस तरह के प्रयोग क्यों िहीं हो पाये या पुरािी कारगर
व्यवस्था कफर क्यों िहीं लागू की गई और क्यों उसे जाि-बूझ कर मरिे
ददया गया। इस तरह का प्रस्ताव आज भी ककया जाता है कक तटबंधों के
साथ-साथ नियंबत्रत बाढ़ें पैदा करके निचले इलाकों और चौरों को पाटिे
का काम चलता रहे स्जससे अधधकाधधक निचली जमीि का पुिरुद्धार
ककया जा सके ।
यह काम हमारा कृ िक समाज पहले से कर भी रहा था मगर राज-सत्ता और
इंजीनियरों िे इसमें बेवजह दखलअंदाजी की, लोगों के सामूदहक प्रयास को
खत्म ककया, उि पर सरकारी व्यवस्था थोपी, उिके पारम्पररक ज्ञाि को समाप्त
कर ददया और अपिी हर हरकत का खचाव भी ककसािों से ही वसूला। अब अगर
ऐसी ककसी तरह की सामूदहक व्यवस्था को कफर से चालू ककया जाये तो बस एक
ददक्कत है और वह यह कक बाढ़ सुरक्षा का आंमशक स्वरूप आम जिता के गले
िहीं उतरेगा। बाढ़ से सुरक्षा या तो पूरी तरह मांगी जायेगी या उसके बबिा ही
काम चलेगा। लेककि आंमशक सुरक्षा या एक सीमा तक सुरक्षा और उसके बाद
बाढ़, इस तकव को आम लोग बबिा एक व्यापक मशक्षण अमभयाि चलाये समझिे
वाले िहीं हैं। भारत जैसे देश में ऐसा समाधाि बेहतर होते हुये भी एक
अव्यावहाररक समाधाि का मुद्दा बि कर रह जायेगा। लोग हमेशा यह पूछते ही
रहेंगे कक बाढ़ से सुरक्षा िहीं ममलिे वाली है तो बाढ़ से बचाव का कोई काम करिे
से भी क्या फायदा?
कफर भी बाढ़ के इलाकों के पुरािे लोगों का कहिा है कक अं्ेजों िे जमींदारों
द्वारा बिाये गये कम ऊँ चाई के कमजोर तटबंधों के पीछे की ताककव कता को
समझिे में भूल की। उिका कहिा है कक कम ऊँ चाई का होिे के कारण यह
के वल एक सीमा तक ही बाढ़ को रोक पाते और लोगों का अभीष्ट भी यही
था। सीमा से बाहर जािे पर बांध टूटिे की तैयारी पहले से रहा करती थी
और िददयों द्वारा भूमम-निमावण का काम भी चलता रहता था और बांध की
मरम्मत भी आसाि थी। कम ऊँ चाई का तटबंध होिे के कारण उिके टूटिे
से िुकसाि कम होता। िदी के पािी के के वल ऊपरी सतह का पािी खेतों
पर फै लता जो कक बहुत अच्छा उववरक होता है। खेतों पर बालू िहीं बैठता
और खेत खराब िहीं होते। यह व्यवस्था यदद चलती रहती तो शायद लोग
ऊँ चे और मजबूत तटबंधों के बारे में ि सोचते। वैसे भी इस तरह के तटबंध
स्थािीय आवश्यकताओं और भागीदारी के आधार पर बिते थे। इि बुजुगों
को यह व्यातया करिी तो िहीं आती कक ऐसे तटबंध िदी द्वारा भूमम
निमावण की प्रकक्रया में बाधा िहीं िालते थे पर वह इतिा जरूर कहते हैं कक
कै से उिके खेतों पर हर साल िई ममट्टी पड़ती थी और जादहर है कक िदी
अपिा यह कतवव्य आसािी से पूरा करती थी[
'बाढ़ से 'बरकत
पटिा -बरसात की वजह से उफिती िददयां बबहार के
लाखों लोगों की धड़किें बढ़ा देती हैं लेककि अफसरों
और ठेके दारों की एक ऐसी जमात भी है जो बाढ़ से
प्यार करती है। तबाही का जश्ि मिािे वाले इस समूह
के मलए हर आपदा आमदिी का साधि है। हर साल
बाढ़ नियंत्रण पर करोड़ों रुपए खचव होते हैं लेककि
समस्या यथावत रहती है। नियंत्रक एवं
महालेखापरीक्षक की ररपोटव भी अनियममतताएं
रेखांककत करती रही है लेककि घोटालेबाजों को लालू
राज और पहले से भी खाद-पािी ममलता रहा है।
बबहार की बड़ी आबादी हर साल बाढ़ की ववभीविका
झेलिे के मलए अमभशप्त है। इस साल भी पूवी कोसी
तटबंध पर खतरा बिा हुआ है। िेपाल से बार-बार
अिुरोध के बावजूद तटबंध बचािे के मलए पायलट
चैिल की खुदाई का काम आगे िहीं बढ़ पाया।
तटबंधों पर दरारें गहरा गई हैं।
बाढ़ की प्रलयकारी लीला में हर साल एक लाख
लोग के घर बह जाते हैं। बाढ़ की चपेट में आिे
वाले घर जजवर हो जाते हैं, कफर भी इि घरों में
रहिा लोगों की नियनत है। बाढ़ िे बबहार में
वपछले 31 सालों में 69 लाख घरों को क्षनत
पहुँचाई। इिमें 35 लाख मकाि पािी में बह गए
और 34 लाख घर क्षनत्स्त हुए। पीडड़तों को
बसािे के िाम पर करोड़ों रुपए खचव ककए गए
लेककि लोगों का घर शायद ही बि पाE। बबहार
का 76 प्रनतशत भूभाग बाढ़ के दृस्ष्टकोण से
संवेदिशील है। कु ल 94,160 वगव ककलोमीटर
क्षेत्रफल में से 68,800 वगव ककलोमीटर क्षेत्र बाढ़
के मलहाज से संवेदिशील हैं। कोसी, गंिक, बूढ़ी
गंिक, बागमती, कमला बलाि, महािंदा और
अघवारा िदी समूह की अधधकांश िददयां िेपाल
से निकलती हैं।
इि िददयों का 65 प्रनतशत जल्हण क्षेत्र िेपाल
और नतब्बत में है। ितीजति िेपाल से अधधक
पािी छोड़े जािे पर बबहार के गांवों में तबाही मच
जाती है। 2007 की बाढ़ में 22 स्जले बाढ़ से
प्रभाववत हुए थे। 2008 में कोसी िदी पर कु सहा
बांध टूटा तो जल प्रलय की स्स्थनत पैदा हुई।
बबहार सरकार िे 2007 में कें र से बाढ़ राहत के
मलए 2,156 करोड़ मांगे लेककि मदद िहीं ममली
कफर 2008 के राष्रीय आपदा के वक्त भी बबहार
14,808 करोड़ की मांग के बदले बबहार को मसफव
एक हजार करोड़ रुपए ममले थे। अब मुतयमंत्री
िीतीश कु मार की पहल पर ववश्व बैंक की मदद से
बाढ़ प्रबंधि का कायव शुरू होिे वाला है। कोसी के
बाढ़ प्रबंधि के मलए ववश्व बैंक िे 800 करोड़ रुपए
की सहायता की पेशकश की है।
बबहार में बाढ़ की वजह से
परेशाि लोगबाढ़ के इनतहास
पर गौर करें तो सबसे ज्यादा
1987 में बाढ़ िे तबाही
मचाई थी।
तब साढ़े तीि लाख से ज्यादा मकाि ध्वस्त हो गए थे।
वहीं 10 लाख से ज्यादा मकाि बुरी तरह क्षनत्स्त हो
गए थे। आपदा प्रबंधि ववभाग के आंकड़ों के अिुसार,
बाढ़ में बहिे वाले घरों की संतया 1989 में सबसे कम
7,746 थी। वहीं 1984 में तीि लाख घर तो 2008 की
कोसी त्रासदी में 2 लाख 97 हजार से ज्यादा मकाि
तबाह हो गए थे। हर साल बाढ़ आती है और घोटाले भी
हर साल होते हैं। इस साल सीएजी िे अपिी ररपोटव में
कहा कक बाढ़ नियंत्रण प्रमंिल िवगनछया में तकिीकी
सलाहकार सममनत िे अपस्रीम में चार स्पर और िाउि
स्रीम में ररवेटमेंट की अिुशंसा की थी। योजिा समीक्षा
सममनत िे इसमें संशोधि करते हुए छह ककलोमीटर तक
बो्िर वपधचंग क्रे टेि पैिेल के साथ ररवेटमेंट के निमावण
का निणवय मलया। इस अिुशंसा पर 27 ददिों के ववलंब से
एक एजेंसी को 18 करोड़ 78 लाख रुपए का भुगताि कर
ददया गया। एजेंसी के काम में काफी कममयां रहीं लेककि
उसका भुगताि होता रहा।
आंमशक निममवत ढांचा बाढ़ का पािी बदावश्त िहीं कर सका और बह
गया। इस तरह 10 करोड़ 27 लाख रुपए का बेकार खचव ककया
गया। कफर बाढ़ बचाव पर 11 करोड़ 19 लाख रुपए खचव ककए
गए।
घोटाले लालू राज में भी हुए। बाढ़ राहत घोटाले में आरोपी पूवव
सांसद साधु यादव इि ददिों कां्ेस में हैं। राहत साम्ी में घोटाला
करिे वाले संतोि झा िे उिके खाते में छह लाख रुपए रांसफर
ककए थे। साधु यादव िे तब कहा था कक यह रामश कार की कीमत
है जो संतोि झा के वपता को बेची गई। निगरािी ववभाग िे बाद में
जांच में पाया कक कार एक लाख रुपए में दद्ली के संतोि जेिा से
खरीदी गई थी और एक साल बाद उसे छह लाख में बेचा ददखाया
गया। इस मामले में तत्कालीि स्जला पररवहि पदाधधकारी बृजराज
राय पर भी फजी कागजात तैयार करिे का मामला दजव हुआ और
वह धगरफ्तार हुए। निगरािी ववभाग िे साधु यादव पर भी मामला
दजव ककया। छह साल पहले हुए इस घोटाले में साधु यादव िे 5
ददसंबर, 2006 को कोटव में सरेंिर ककया था और उन्‍दहें 5 जिवरी,
2007 को जमाित ममली।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के स्जस तेज तरावर अधधकारी गौतम गोस्वामी को
"टाइम" मैगजीि िे यंग एमशयि एचीवर अवॉिव से िवाजा, वह भी बाढ़ घोटाले
के आरोपी बि गए। ठेके दार संतोि झा भी जेल काट चुके हैं। कोसी की बाढ़ के
दौराि मधेपुरा स्जले में 272 लोगों की मृत्यु हुई। मृतक पररजिों को
प्रधािमंत्री सहायता कोि से एक लाख, आपदा राहत से एक लाख और
मुतयमंत्री राहत कोि से एक पचास हजार रुपए ददया जािा तय था। लेककि
अब तक ककसी भी पररवार को प्रधािमंत्री सहायता कोि से कोई सहायता िहीं
ममल सकी है। मधेपुरा में आपदा प्रबंधि ववभाग से मसफव 181 लोगों को मदद
ममली। पीडड़तों के 91 मामले ववचाराधीि हैं।
मुतयमंत्री सहायता कोि की मदद से भी 232
पररवार अब तक वंधचत हैं। सुपौल और सहरसा के
सभी 526 मृतकों के पररजि अब तक प्रधािमंत्री
सहायता भी िहीं ममल पाई है। आपदा प्रबंधि
ववभाग की राहत 291 पररवारों को िहीं ममल पाई
है। इस बार मुतयमंत्री िीतीश कु मार बाढ़ से बचाव
के मलए खुद आपदा प्रबंधि की लगातार समीक्षा
कर रहे हैं। मुतयमंत्री िे राज्य के सभी तटबंधों की
सुरक्षा के मलए तुरंत कारववाई सुनिस्श्चत करिे के
भी निदेश ददए है। िीतीश िे कहा है कक गंिक िदी
के तटबंध में जहां कहीं भी कटाव हो रहा है, बांध
पर दबाव है, ररंग बांध का स्पर टूट रहा है। या
कटाव हो रहा है, उसकी मरम्मती युद्धस्तर पर की
जाएगी। बबहार में संभाववत बाढ़ रोकिे के मलए
हरसंभव प्रयास ककए जाएंगे। सरकार िे सभी
संवेदिशील जगहों पर फ्लि फाइदटंग समूह की
तैिाती कर दी है। कटाव रोकिे या स्पर की
मरम्मत के मलए सरकार कदटबद्ध है।
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  • 1. ibhwr my bwF [ Bwrq my bwF kIjgh vh nIlyicNh[ बाढ़
  • 2. आवृत्तियों, हानियों और घोत्तित िागररक प्रनतरक्षा आपातस्थिनतयों के संदर्भों में, सबसे बडे खतरे के रूप में बाढ़, ि्यूजीलैण ्ड में पहले िम ्बर पर है। बाढ़ घायल होिे और जिहानि का कारण बि सकती हैं, सम ्पत्तियों और आधारर्भूत संरचिा को क्षनत पहंचाती हैं, पशधि को तबाह करती हैं और जल तिा र्भूमम को प्रदूत्तित करती हैं।
  • 3. बाढ़ आमतौर पर निरंतर मूसलाधार बरसात या गरजदार तूफाि के कारण होती है, लेककि यह सुिामी और तटीय तूफािी जलमग्‍िता का भी पररणाम हो सकता है। बाढ़ खतरिाक हो सकती है यदद: •पािी काफी गहरा हो या बहुत तेजी से बह रहा हो •बाढ़ बहुत तेजी से बढ़ी हो •बाढ़ के पािी में मलबा, जैसे कक पेड़ और िालीदार इस्‍पाती चादरें आदद बहे चले आ रहे हों बाढ़ का आक्रमण होिे से पहले ही तैयारी कर लेिे से, आपका घर और कारोबार को होिे वाली क्षनत को कम करिे में और आपको बच निकलिे में मदद ममलेगी।
  • 4. बाढ़ आिे sy पहले •अपिी स्‍थािीय काउंमसल से जािकारी पाएं कक क्‍या आपके घर या कारोबार को बाढ़ से खतरा है। स्‍थाि खाली करते हुए बच निकलिे की योजिाओं तथा स्‍थािीय साववजनिक चेताविी प्रणामलयों के बारे में पूछें, और जािें कक ककस तरह आप अपिे घर और कारोबार के मलए भावी बाढ़ के जोखखम घटा सकते हैं, और यदद आपको स्‍थाि छोड़कर बचकर निकलिा पड़े तो आपको अपिे पालतू पशुओं और पशुधि का क्‍या करिा चादहए।
  • 5. •जािकारी करें कक निकटतम ऊं ची भूमम कहां पर है और वहां तक कै से पहुंचा जाए। •एक घरेलू आपातकालीि योजिा तैयार करें।. अपिे घर में अपिे आपातकालीि बचाव वस्‍तुएंव्‍यवस्स्थत करें और इिका सही रखरखाव बिाए रखें, साथ ही एक साथ ले जािे योग्‍य गेटअवे ककट (बचाव ककट) भी तैयार करें। •पयावप्‍त सुरक्षा के संदभव में अपिी बीमा पॉमलसी की जांच करें।
  • 6. बाढ़ के दौराि या जब बाढ़ सस्निकट हो •अपिे स्‍थािीय रेडियो के न्‍द‍रों का प्रसारण सुिें जहां आपातस्स्थनत प्रबंधि कमवचारी, आपके समुदाय और पररस्स्थनत के मलए सबसे उपयुक्‍त सलाह देंगे। •यदद आपको कोई अशक्‍तता (अक्षमता) है या सहारे की जरूरत है, तो अपिे सहयोगी िेटवकव से सम्‍पकव करें। •अपिी घरेलू आपातकालीि योजिा पर कायववाही करें और अपिी गेटअवे ककट जांचें। यदद आवश्‍यक हो जाए तो तत्‍काल जगह छोड़कर निकलिे की तैयारी करें। •जहां संभव हो, पालतू पशुओं को अंदर या एक सुर्क्षत स्‍थल पर पहुंचाएं और पशुधि को ऊं ची जगह पर पहुंचाएं। •अपिे घर से पािी को दूर रखिे के मलए बालू भरे बोरों को लगािे पर ववचार करें।
  • 7. •पयावप्‍त सुरक्षा के संदभव में अपिी बीमा पॉमलसी की जांच करें। •कीमती घरेलू वस्‍तुओं को और रसायिों को फशव से यथासंभव ऊं ची जगह पर रखें। •यदद पािी प्रदूवित हो रहा हो तो बॉथटब, मसंक और स्‍टोरेज कं टेिरों को साफ पािी से भर कर रख लें। •उपयोगी सुववधाओं को बंद कर दें यदद प्राधधकाररयों द्वारा ऐसा करिे को कहा जाए क्‍योंकक ऐसा करिा आपके घर या समुदाय को िुकसाि पहुंचिे से रोकिे में मददगार हो सकता है। तीव्र बबजली के प्रवाह से क्षनत पहुंचिे से रोकिे के मलए छोटे उपकरणों के प्‍लग निकाल दें। •बाढ़ के पािी में वाहि चलाकर जािे या पैदल निकलिे की तब तक कोमशश ि करें जब तक ऐसा करिा बहुत ही जरूरी ि हो।
  • 8.
  • 9. बाढ़ के बाद •बाढ़ का पािी उतर जािे के बाद भी घर लौटिा, सुर्क्षत िहीं भी हो सकता है। िागररक प्रनतरक्षा निदेशों के मलए निरंतर अपिे स्‍थािीय रेडियो के न्‍द‍र का प्रसारण सुिें। •यदद कर सकें तो अन्‍द‍य लोगों की, ववशेिकर ववशेि सहायता की जरूरत वाले लोगों की मदद करें। •बाढ़ के पािी से प्रदूवित खाद्य साम्ी खािे- पीिे की डिब्‍बाबंद चीजों सदहत, को फें क दें। •टोंटी (िलों) से आिे वाले पािी को पीिे या इससे खािा पकािे से बचें, जब तक कक आप निस्श्चत ि कर लें कक यह प्रदूवित िहीं है। यदद संदेह हो, तो अपिे लोकल काउंमसल या साववजनिक स्‍वास्‍्‍य प्राधधकारी से जांच कराएं।
  • 10. बाढ़ से सरक्षा गुहला-चीका, 23 जिवरी (निस)। सुप्रीमकोटव द्वारा टो- वाल को लेकर पंजाब के एतराज को खाररज ककए जािे के बाद टो-वॉल बिकर तैयार हो गई है। टो-वाल के निमावण पूरा होिे के बाद गुहला क्षेत्र में करोड़ों रुपए के आधारभूत ढांचे व हजारों एकड़ फसलों की बबावदी को रोकिे में मदद ममलेगी। हररयाणा-पंजाब सीमा के साथ बहती बरसाती िदी घग्गर दशकों से उपमंिल गुहला के मलए तबाही का पयावय बिती रही है। जुलाई 2010 में आई बाढ़ के दौराि तत्कालीि मसंचाई मंत्री कै प्टि अजय यादव िे गुहला क्षेत्र का दौरा ककया व क्षेत्र के ककसािों के मलए बाढ़ बचाव के स्थायी प्रबंधों को स्वीकृ नत दी थी। स्जसके तहत इस विव 7 मई को हांसी बुटािा मलंक िहर की बुजी िंबर 45 हजार से 57 हजार के बीच टो-वाल पर काम शुरू हो सका। लोक निमावण एवं उघोग मंत्री रणदीप मसंह सुरजेवाला द्वारा टो वाल का मशलान्‍दयास करिे के साथ ही इस मुद्दे िे एक वववाद का रूप अस्ततयार कर मलया। टो-वाल का निमावण शुरू होते ही जहां पंजाब सरकार सुप्रीमकोटव चली गई वहीं पंजाब के सीमांत गांवों िे इसे तबाही की दीवार करार ददया।
  • 11. भारतीय ककसाि यूनियि(िकौंदा), पंजाब के बैिर तले इकट्ठे हुए ककसािों िे आंदोलि कर हररयाणा-पंजाब व कें र सरकार के पुतले फूं के व दस ददिों तक क्रममक अिशि रखा। ककसािों का तकव था कक टो-वाल बिाए जािे से पंजाब के दजविों गांव बाढ़ की चपेट में आएंगे। सुप्रीमकोटव में कई महीिों तक चली जद्दोजहद के बाद फै सला हररयाणा के दहत में आया। पंजाब सरकार द्वारा सुप्रीमकोटव में लगाई स्थगि आदेश की याधचका को कोटव िे खाररज कर ददया। इस फै सले के साथ ही जहां हररयाणा सरकार को बड़ी राहत ममली । वहीं टो- वाल के निमावण के बाद दशकों से बाढ़ झेल रहे लोगों
  • 12. कोलकाता सम्मेलि (1897) कोसी के मलए ककसी ठोस ितीजे पर िहीं पहुंच सका मगर सम्मेलि के बाद छोटे-मोटे तटबंध चारों ओर बििे लगे थे। इंजीनियर, कै प्टि एफ.सी. हस्टव (1908) इि तटबंधों और उिकी भूममका पर पैिी िजर रखे हुये था। उसका कहिा था कक, ‘‘ इधर कु छ विों से कोसी के बाएं ककिारे पर पूखणवयां स्जले में बाढ़ से कु छ समय के मलए निजात पािे के मलए व्यस्क्तगत प्रयासों से बीर बांध की तजव पर बहुत से तटबंध बिे हैं। यह बाद में समझ में आयेगा कक यह भववष्य में जिदहत के मलए खतरा बिेंगे।’’ उसिे चीि में स्जस तरह हिांग हो िदी पर तटबंध बिाये गये थे उसकी भी तीव्र भत्सविा की और कहा कक, ‘‘ चीनियों िे गलत तरीके से डिजाइि का उपयोग करके एक पीढ़ी को फायदा पहुंचािे और भववष्य की सभी पीदढ़यों को िुकसाि पहुंचािे का सबसे अच्छा उदाहरण पेश ककया है स्जसके पररणाम बड़े शोचिीय हैं। वहां की एक बहुत ही महत्वपूणव िदी को, जो कक अपिे पािी में लाई गाद के जमाव के कारण भूमम निमावण का एक निस्श्चत कायव कर रही थी, इस बात के मलए मजबूर ककया गया कक वह एक निस्श्चत धारा में बहे और इसके मलए उसे तटबंधों में कै द ककया गया, उसके सारे निकासों को बंद करके उसे अपिे पूरे इलाकों पर गाद फै लािे से रोका गया जबकक इस गाद की उि क्षेत्रों को बहुत आवश्यकता थी। आिे वाली हर पीढ़ी के पास िदी की हमेशा बढ़ती हुई बाढ़ों का मुकाबला करिे के मलए तटबंधों को ऊँ चा करते रहिे के अलावा कोई रास्ता ि बचा और आजकल इस िदी में बहुत से स्थािों पर आस-पास के कन्‍दरी साइि की जल- निकासी करके खेती की व्यवस्था की गई है और यह कृ वि साल दर साल बढ़िे वाली जिसंतया का पोिण करती है। एक असामान्‍दय बाढ़ आिे पर तटबंध या तो टूट जाते हैं या उिके ऊपर से पािी बह निकलता है और चढ़ा हुआ पािी उन्‍दहीं लोगों की अगली पीदढ़यों के वविाश का कारण बिता है स्जन्‍दहोंिे भला सोच कर ही इस अिथव का रास्ता खुद तैयार ककया था।
  • 13. ...तटबंध बिािे का खौफिाक ितीजा दहन्‍ददुस्तािी इंजीनियरों के मलए एक चेताविी समझा जायेगा। ज्यादा संभाविा इस बात की है कक हाल के विों में उत्तर बबहार के स्जलों में जो वविाशकारी बाढ़ें आई हैं, अगर यह पूरी तरह िहीं तो काफी हद तक, इि इलाकों में तटबंधों की मौजूदगी के कारण आई हैं। िदी की धारा को मजबूर करके एक निस्श्चत प्रवाह पथ से बहािा, चाहे वह ककतिी ही छोटी िदी क्यों ि हो, वास्तव में प्रकृ नत की मंशा के खखलाफ है। एक तटबंध, स्जसमें पािी की निकासी के मलए मामूली या िहीं के बराबर रास्ते बिें हों और स्जससे उम्मीद की जाती हो कक वह बाढ़ से रक्षा करेगा, वास्तव में प्रकृ नत को ललकारता है, उसको अपमानित करता है और इस तरह के अपमाि को पचा जािा प्रकृ नत की आदत िहीं है।’’ हस्टव िे सात साल तक िददयों की खाक छाििे के बाद थोड़ा बहुत कहिे का साहस बटोरा था और इस पूरे मुद्दे पर बहस निखारिे की कोमशश की थी और यह बहस चली भी। एक समय बंगाल प्रांत के चीफ इंजीनियर रहे िब््यू.ए. इंगमलस (1909) िे हस्टव द्वारा उठाये गये सवालों का जवाब ददया और कु छ कहिे के पहले उन्‍दहोंिे अपिी स्स्थनत स्पष्ट कर दी थी कक, ‘‘बंगाल की िददयों से स्जि इंजीनियरों का वास्ता पड़ा है [
  • 14. उिमें से कु छ तो िदी के ककिारे बिाये जािे वाले तटबंधों को एकदम ही घृखणत चीज मािते हैं लेककि कु छ ऐसे भी इंजीनियर हैं जो कक यह मािते हैं कक यदद संबंधधत ववियों की पूरी जािकारी और वववेक के साथ तटबंधों की डिजाइि की जाय तो इिसे फायदा हो सकता है और मैं खुद अपिे आप को इसी पक्ष का समथवक मािता हूं। कफर भी, यह पूरी तरह मािा जाता है कक तटबंध अनियंबत्रत बाढ़ों के मुकाबले हलकी बुराई है और यह निस्श्चत रूप से क्याणकारी हैं।’’ इंगमलस िे और भी स्स्थनत को साफ ककया कक, ‘‘सच यह है कक (गंगा के मैदािों की) ऐसी िददयों के कु छ गुण समाि हैं। इिमें से सभी को कम या अधधक मात्रा में मस्ट वहि करिा पड़ता है तथा यह कक लगभग सभी िददयां ककिारे काटती हैं। कफर भी इि सभी क्षेत्रों में हर िदी में काफी अंतर है और मैं ऐसी हरेक िदी के अिूठेपि को सावधािीपूववक अध्ययि करिे पर खास जोर दूंगा।’’ एफ.सी. हस्टव िे प्रकृ नत के साथ और खास कर िददयों के साथ छेड़-छाड़ ि करिे की बात कही थी, प्रकृ नत को ललकारिे और उसके बदला लेिे की बात उठाई थी स्जसके बारे में इंगमलस का कहिा था, कक ‘‘ इसमें कोई संदेह िहीं कक प्रकृ नत की बड़ी ताकतों को काबू में करिे या बदलिे के बारे में हम कु छ भी िहीं कर सकते। हम ि तो बाररश करवा सकते हैं, ि सूरज चमका सकते हैं और ि ही हवा को बहा सकते हैं।
  • 15. कफर भी हम प्रकृ नत के साथ उलझ सकते हैं और उसके कक्रया-कलाप में रोज सुधार कर सकते हैं और यह करते भी हैं। हमिे चुि करके और संकरण से बहुत से पौधों और जािवरों की िस्ल में सुधार ककया है। हमिे पािी जमा करिे के मलए जलाशय बिाये हैं और हम िदी िालों से पािी खींच कर मसंचाई के मलए खेतों में िालते हैं और ऐसा करते समय हम प्रकृ नत की व्यक्त मंशा की कभी परवाह िहीं करते। िददयों द्वारा तट के कटाव से बचाव हम करते हैं और हमीं िे उि जगहों से बालू और ममट्टी हटाई है जहां प्रकृ नत चाहती थी कक वह बिी रहे। कफर भी ऐसे कामों की एक सीमा होती है और हमें इस सीमा के अंदर रहिा होगा और सफलता इस बात पर निभवर करती है कक हम इि सीमाओं को पहचािें और आिुपानतक मयावदाओं का तयाल रखें।’’
  • 16. इंगमलस िे यह इशारा जरूर ककया कक िददयों के ककिारे कम ऊँ चाई के तटबंध बिाये जा सकते हैं और उसके ऊपर से पािी बहािे की व्यवस्था की जा सकती है स्जससे कक एक हद तक बाढ़ से बचाव भी हो सकता है और िदी अपिा भूमम निमावण का काम भी सुचारु रूप से चला सकती है। वव्कॉक्स िे दामोदर घाटी के संबंध में जो कु छ भी कहा है वह प्रायः ऐसी ही व्यवस्था की ओर एक इशारा है। ववमलयम इंगमलस, जो कक बीसवीं सदी के प्रारंभ में बंगाल के चीफ इंजीनियर थे और सारी बातें समझते भी थे कफर भी पता िहीं क्यों उिके कायवकाल में इस तरह के प्रयोग क्यों िहीं हो पाये या पुरािी कारगर व्यवस्था कफर क्यों िहीं लागू की गई और क्यों उसे जाि-बूझ कर मरिे ददया गया। इस तरह का प्रस्ताव आज भी ककया जाता है कक तटबंधों के साथ-साथ नियंबत्रत बाढ़ें पैदा करके निचले इलाकों और चौरों को पाटिे का काम चलता रहे स्जससे अधधकाधधक निचली जमीि का पुिरुद्धार ककया जा सके ।
  • 17. यह काम हमारा कृ िक समाज पहले से कर भी रहा था मगर राज-सत्ता और इंजीनियरों िे इसमें बेवजह दखलअंदाजी की, लोगों के सामूदहक प्रयास को खत्म ककया, उि पर सरकारी व्यवस्था थोपी, उिके पारम्पररक ज्ञाि को समाप्त कर ददया और अपिी हर हरकत का खचाव भी ककसािों से ही वसूला। अब अगर ऐसी ककसी तरह की सामूदहक व्यवस्था को कफर से चालू ककया जाये तो बस एक ददक्कत है और वह यह कक बाढ़ सुरक्षा का आंमशक स्वरूप आम जिता के गले िहीं उतरेगा। बाढ़ से सुरक्षा या तो पूरी तरह मांगी जायेगी या उसके बबिा ही काम चलेगा। लेककि आंमशक सुरक्षा या एक सीमा तक सुरक्षा और उसके बाद बाढ़, इस तकव को आम लोग बबिा एक व्यापक मशक्षण अमभयाि चलाये समझिे वाले िहीं हैं। भारत जैसे देश में ऐसा समाधाि बेहतर होते हुये भी एक अव्यावहाररक समाधाि का मुद्दा बि कर रह जायेगा। लोग हमेशा यह पूछते ही रहेंगे कक बाढ़ से सुरक्षा िहीं ममलिे वाली है तो बाढ़ से बचाव का कोई काम करिे से भी क्या फायदा?
  • 18. कफर भी बाढ़ के इलाकों के पुरािे लोगों का कहिा है कक अं्ेजों िे जमींदारों द्वारा बिाये गये कम ऊँ चाई के कमजोर तटबंधों के पीछे की ताककव कता को समझिे में भूल की। उिका कहिा है कक कम ऊँ चाई का होिे के कारण यह के वल एक सीमा तक ही बाढ़ को रोक पाते और लोगों का अभीष्ट भी यही था। सीमा से बाहर जािे पर बांध टूटिे की तैयारी पहले से रहा करती थी और िददयों द्वारा भूमम-निमावण का काम भी चलता रहता था और बांध की मरम्मत भी आसाि थी। कम ऊँ चाई का तटबंध होिे के कारण उिके टूटिे से िुकसाि कम होता। िदी के पािी के के वल ऊपरी सतह का पािी खेतों पर फै लता जो कक बहुत अच्छा उववरक होता है। खेतों पर बालू िहीं बैठता और खेत खराब िहीं होते। यह व्यवस्था यदद चलती रहती तो शायद लोग ऊँ चे और मजबूत तटबंधों के बारे में ि सोचते। वैसे भी इस तरह के तटबंध स्थािीय आवश्यकताओं और भागीदारी के आधार पर बिते थे। इि बुजुगों को यह व्यातया करिी तो िहीं आती कक ऐसे तटबंध िदी द्वारा भूमम निमावण की प्रकक्रया में बाधा िहीं िालते थे पर वह इतिा जरूर कहते हैं कक कै से उिके खेतों पर हर साल िई ममट्टी पड़ती थी और जादहर है कक िदी अपिा यह कतवव्य आसािी से पूरा करती थी[
  • 19. 'बाढ़ से 'बरकत पटिा -बरसात की वजह से उफिती िददयां बबहार के लाखों लोगों की धड़किें बढ़ा देती हैं लेककि अफसरों और ठेके दारों की एक ऐसी जमात भी है जो बाढ़ से प्यार करती है। तबाही का जश्ि मिािे वाले इस समूह के मलए हर आपदा आमदिी का साधि है। हर साल बाढ़ नियंत्रण पर करोड़ों रुपए खचव होते हैं लेककि समस्या यथावत रहती है। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की ररपोटव भी अनियममतताएं रेखांककत करती रही है लेककि घोटालेबाजों को लालू राज और पहले से भी खाद-पािी ममलता रहा है। बबहार की बड़ी आबादी हर साल बाढ़ की ववभीविका झेलिे के मलए अमभशप्त है। इस साल भी पूवी कोसी तटबंध पर खतरा बिा हुआ है। िेपाल से बार-बार अिुरोध के बावजूद तटबंध बचािे के मलए पायलट चैिल की खुदाई का काम आगे िहीं बढ़ पाया। तटबंधों पर दरारें गहरा गई हैं।
  • 20. बाढ़ की प्रलयकारी लीला में हर साल एक लाख लोग के घर बह जाते हैं। बाढ़ की चपेट में आिे वाले घर जजवर हो जाते हैं, कफर भी इि घरों में रहिा लोगों की नियनत है। बाढ़ िे बबहार में वपछले 31 सालों में 69 लाख घरों को क्षनत पहुँचाई। इिमें 35 लाख मकाि पािी में बह गए और 34 लाख घर क्षनत्स्त हुए। पीडड़तों को बसािे के िाम पर करोड़ों रुपए खचव ककए गए लेककि लोगों का घर शायद ही बि पाE। बबहार का 76 प्रनतशत भूभाग बाढ़ के दृस्ष्टकोण से संवेदिशील है। कु ल 94,160 वगव ककलोमीटर क्षेत्रफल में से 68,800 वगव ककलोमीटर क्षेत्र बाढ़ के मलहाज से संवेदिशील हैं। कोसी, गंिक, बूढ़ी गंिक, बागमती, कमला बलाि, महािंदा और अघवारा िदी समूह की अधधकांश िददयां िेपाल से निकलती हैं।
  • 21. इि िददयों का 65 प्रनतशत जल्हण क्षेत्र िेपाल और नतब्बत में है। ितीजति िेपाल से अधधक पािी छोड़े जािे पर बबहार के गांवों में तबाही मच जाती है। 2007 की बाढ़ में 22 स्जले बाढ़ से प्रभाववत हुए थे। 2008 में कोसी िदी पर कु सहा बांध टूटा तो जल प्रलय की स्स्थनत पैदा हुई। बबहार सरकार िे 2007 में कें र से बाढ़ राहत के मलए 2,156 करोड़ मांगे लेककि मदद िहीं ममली कफर 2008 के राष्रीय आपदा के वक्त भी बबहार 14,808 करोड़ की मांग के बदले बबहार को मसफव एक हजार करोड़ रुपए ममले थे। अब मुतयमंत्री िीतीश कु मार की पहल पर ववश्व बैंक की मदद से बाढ़ प्रबंधि का कायव शुरू होिे वाला है। कोसी के बाढ़ प्रबंधि के मलए ववश्व बैंक िे 800 करोड़ रुपए की सहायता की पेशकश की है। बबहार में बाढ़ की वजह से परेशाि लोगबाढ़ के इनतहास पर गौर करें तो सबसे ज्यादा 1987 में बाढ़ िे तबाही मचाई थी।
  • 22. तब साढ़े तीि लाख से ज्यादा मकाि ध्वस्त हो गए थे। वहीं 10 लाख से ज्यादा मकाि बुरी तरह क्षनत्स्त हो गए थे। आपदा प्रबंधि ववभाग के आंकड़ों के अिुसार, बाढ़ में बहिे वाले घरों की संतया 1989 में सबसे कम 7,746 थी। वहीं 1984 में तीि लाख घर तो 2008 की कोसी त्रासदी में 2 लाख 97 हजार से ज्यादा मकाि तबाह हो गए थे। हर साल बाढ़ आती है और घोटाले भी हर साल होते हैं। इस साल सीएजी िे अपिी ररपोटव में कहा कक बाढ़ नियंत्रण प्रमंिल िवगनछया में तकिीकी सलाहकार सममनत िे अपस्रीम में चार स्पर और िाउि स्रीम में ररवेटमेंट की अिुशंसा की थी। योजिा समीक्षा सममनत िे इसमें संशोधि करते हुए छह ककलोमीटर तक बो्िर वपधचंग क्रे टेि पैिेल के साथ ररवेटमेंट के निमावण का निणवय मलया। इस अिुशंसा पर 27 ददिों के ववलंब से एक एजेंसी को 18 करोड़ 78 लाख रुपए का भुगताि कर ददया गया। एजेंसी के काम में काफी कममयां रहीं लेककि उसका भुगताि होता रहा।
  • 23. आंमशक निममवत ढांचा बाढ़ का पािी बदावश्त िहीं कर सका और बह गया। इस तरह 10 करोड़ 27 लाख रुपए का बेकार खचव ककया गया। कफर बाढ़ बचाव पर 11 करोड़ 19 लाख रुपए खचव ककए गए। घोटाले लालू राज में भी हुए। बाढ़ राहत घोटाले में आरोपी पूवव सांसद साधु यादव इि ददिों कां्ेस में हैं। राहत साम्ी में घोटाला करिे वाले संतोि झा िे उिके खाते में छह लाख रुपए रांसफर ककए थे। साधु यादव िे तब कहा था कक यह रामश कार की कीमत है जो संतोि झा के वपता को बेची गई। निगरािी ववभाग िे बाद में जांच में पाया कक कार एक लाख रुपए में दद्ली के संतोि जेिा से खरीदी गई थी और एक साल बाद उसे छह लाख में बेचा ददखाया गया। इस मामले में तत्कालीि स्जला पररवहि पदाधधकारी बृजराज राय पर भी फजी कागजात तैयार करिे का मामला दजव हुआ और वह धगरफ्तार हुए। निगरािी ववभाग िे साधु यादव पर भी मामला दजव ककया। छह साल पहले हुए इस घोटाले में साधु यादव िे 5 ददसंबर, 2006 को कोटव में सरेंिर ककया था और उन्‍दहें 5 जिवरी, 2007 को जमाित ममली।
  • 24. भारतीय प्रशासनिक सेवा के स्जस तेज तरावर अधधकारी गौतम गोस्वामी को "टाइम" मैगजीि िे यंग एमशयि एचीवर अवॉिव से िवाजा, वह भी बाढ़ घोटाले के आरोपी बि गए। ठेके दार संतोि झा भी जेल काट चुके हैं। कोसी की बाढ़ के दौराि मधेपुरा स्जले में 272 लोगों की मृत्यु हुई। मृतक पररजिों को प्रधािमंत्री सहायता कोि से एक लाख, आपदा राहत से एक लाख और मुतयमंत्री राहत कोि से एक पचास हजार रुपए ददया जािा तय था। लेककि अब तक ककसी भी पररवार को प्रधािमंत्री सहायता कोि से कोई सहायता िहीं ममल सकी है। मधेपुरा में आपदा प्रबंधि ववभाग से मसफव 181 लोगों को मदद ममली। पीडड़तों के 91 मामले ववचाराधीि हैं।
  • 25. मुतयमंत्री सहायता कोि की मदद से भी 232 पररवार अब तक वंधचत हैं। सुपौल और सहरसा के सभी 526 मृतकों के पररजि अब तक प्रधािमंत्री सहायता भी िहीं ममल पाई है। आपदा प्रबंधि ववभाग की राहत 291 पररवारों को िहीं ममल पाई है। इस बार मुतयमंत्री िीतीश कु मार बाढ़ से बचाव के मलए खुद आपदा प्रबंधि की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। मुतयमंत्री िे राज्य के सभी तटबंधों की सुरक्षा के मलए तुरंत कारववाई सुनिस्श्चत करिे के भी निदेश ददए है। िीतीश िे कहा है कक गंिक िदी के तटबंध में जहां कहीं भी कटाव हो रहा है, बांध पर दबाव है, ररंग बांध का स्पर टूट रहा है। या कटाव हो रहा है, उसकी मरम्मती युद्धस्तर पर की जाएगी। बबहार में संभाववत बाढ़ रोकिे के मलए हरसंभव प्रयास ककए जाएंगे। सरकार िे सभी संवेदिशील जगहों पर फ्लि फाइदटंग समूह की तैिाती कर दी है। कटाव रोकिे या स्पर की मरम्मत के मलए सरकार कदटबद्ध है।