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AKBAR HISTORY IN
HINDI | अकबर का पूरा
इतिहास
Home / Akbar History in Hindi | अकबर का पूरा इतिहास
11
S E P
BY TANISHSAIFI51	  
 EMPIRES, HISTORY, MUGHAL EMPIRE,
TOMB, TS HISTORICAL
जलाल-उद्दीन-मुहम्मद
अकबर (Jalal-ud-din-
Muhammad Akbar)
पूरा नाम – Abul-fath
Jalal-ud-din
Muhammad Akbar
(अबुल-फ़त जलाल-उद-
दीन मुहम्मद अकबर)
जन्म – 5 अक्टूबर 1542,
उमरकोट
मृत्यु – 27 अक्टूबर
1605, फ़तेहपुर सिकरी
पत्नी – मरयम-उज़-जमानी
सलीमा सुल्तान बेगम
माता-पिता – हमीदा बानु
बेगम, हुमायूँ
औलाद – हसन मिर्ज़ा
हुसैन मिर्ज़ा
जहाँगीर
खानुम सुल्तान बेगम
मुराद मिर्ज़ा
दानियाल मिर्ज़ा
शकर-उन-निसा बेगम
आराम बानू बेगम
शम्स-उन-निस्सा बेगम
माहि बेगम
Akbar The Great : जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर
मुग़ल सल्तनत के तीसरे सुल्तान थे उन्हें मुगल हिस्ट्री
का सबसे महान राजा माना जाता है। भारत देश में मुगल
सल्तनत की बुनियाद भले ही अकबर के दादा यानी
जहीरूद्दीन बाबर ने रखी थी लेकिन मुग़ल सल्तनत की
नींव को मजबूत करने वाले इंसान का नाम जलालुद्दीन
मुहम्मद अकबर है। अकबर ने अपनी बहादुरी और
होशियार से मुग़ल सल्तनत को आधे से ज्यादा
हिंदुस्तान पर फै ला दिया था और अपने मरने से पहले
इस काबिल बना दिया था कि उसकी आने वाली नस्लों
ने हिन्दूस्तान पर बहुत लम्बे समय तक राज किया था।
अकबर अपने दौर मे अपनी सल्तनत के लिया देवता
बन गया था। लोग उस के दरबार में आकर मन्नते मांगा
करते थे और उसके सामने सर झुकाया करते थे। यहां
तक कि वो अपनी सल्तनत में रहने वाले लोगों की
नजरों में इतना बाइज्जत और कीमती हो चुका था कि
उसने अपना ही एक अलग धर्म बना दिया था और इन
तमाम चीजों की वजह से ही उसका नाम हमेशा हमेशा
के लिए (Akbar The Great) अकबर-द-ग्रेट पड़
गया था।
अकबर का जीवन परिचय: अकबर का पूरा नाम Abul-
fath Jalal-ud-din Muhammad Akbar
(अबुल-फ़त जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर) था।
अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को उमरकोट के
इलाके में उस वक्त हुआ था जब अकबर के वालिद
नसीरुद्दीन हुमायूँ शेरशाह सूरी के हाथों अपनी दिल्ली
सल्तनत गवाहने के बाद जंगलों में भटक रहे थे क्योंकि
हुमायूँ उस दौर में जंगलों में भटका करते थे। इसी वजह
से अकबर की परवरिश अकबर के चाचा कामरान मिर्जा
ने की थी जो कि काबुल इलाके के गवर्नर हुआ करते थे
अकबर के बारे में ज्यादातर इतिहासकार यह मानते हैं
कि बचपन से ही अकबर बहुत ज़हीन और तेज़ थे
लेकिन उनको पढ़ने लिखने का जरा भी शौक नहीं था
पढाई-लिखाई से वह हमेशा ही दूर भागा करते थे
लेकिन होशियार इतने थे की उन्होंने 10 साल की
छोटी सी उम्र से भी पहले ही तलवारबाजी, निजाबाजी,
घुड़सवारी जैसी चीजें बहुत अच्छी तरह से सीख ली थी
छोटी सी उम्र में ही वह अपने से बड़े बड़े उम्र के लोगों
को कु श्ती में चैलेंज किया करता था और हैरानी की
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Facts
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HO ME B LO GS SITE MAP CO NTACT US AB O UT US
CATEGO RIES YO UR ACCO UNT
साम्राज्य – Mughal
Empire (मुग़ल सल्तनत)
शासन –  11 February
1556 – 27 October
1605
कब्रगाह – सिकं दरा, आगरा,
उत्तर प्रदेश
TS HISTORICAL
बात तो यह है कि बड़े-बड़े लोगों को भी अकबर इतनी
कम उम्र में हरा दिया करता था आखिरकार 1555 ई०
में हुमायूँ ने सूरी खानदान से अपनी दिल्ली सल्तनत को
दोबारा से छीन लिया था जिस वक्त हुमायूँ ने अपनी
दिल्ली सल्तनत को दोबारा हासिल किया उस वक्त
अकबर की उम्र सिर्फ 13 साल थी 1 साल बाद ही
हुमायूं की अपनी लाइब्रेरी की सीढ़ियों से गिरकर मौत हो
गई।
जब
हुमायूँ
की मौत
हुई उस
वक्त
अकबर
की उम्र
सिर्फ
और
सिर्फ
14
साल थी
हुमायूँ की मौत के बाद मुग़ल दरबार में रहने वाले लोगों
को यह डर सताने लगा था की कही मुग़ल सल्तनत में
बगावत न हो जाये और ये डर सच साबित हुआ। धीरे-
धीरे जगह-जगह से बगावत उठना शुरू हो गई। हुमायूँ का
एक बहुत वफादार दोस्त था जिसका नाम बैरम खान था
जिसने वक़्त को भांपते हुए एक सही फै सला लिया और
हुमायूँ के सिर्फ 14 साल के बेटे अकबर को (11
february 1556)ई० को सुल्तान घोषित कर दिया।
भले ही अकबर को खतरे को देखते हुए सुल्तान घोषित
कर दिया गया था लेकिन अकबर अभी ना समझ था
इसी वजह से सुल्तान भले ही अकबर बन चुका था
लेकिन पूरी सल्तनत को बैरम खान ही चलाया करता
था और सल्तनत का हर हुकु म बैरम खान ही जारी
किया करता था लेकिन बगावत के जिस खतरे को
देखते हुए बैरम खान ने एक छोटी सी उम्र के अकबर को
सुल्तान बना दिया था वो खतरा अकबर के सुल्तान
बनने के बाद भी नहीं टला।
Second battle
of panipat |
पानीपत का दूसरा
युद्ध
PaniPat Second Battle : सूरी सल्तनत की
जिसे चंद दिन पहले ही हुमायूँ ने अपनी सल्तनत को
वापस छीना था उसी सल्तनत के एक हिंदू सिपाह-
सालार जिसका नाम हेमू था उसने बगावत कर दी और
वो अपनी पूरी फौज लेकर दिल्ली की तरफ रवाना हुआ
और दूसरी तरफ बैरम खान को जब इस बात की खबर
हुई कि वो अपनी बड़ी फौज लेकर हमारी सल्तनत की
तरफ रवाना हो गया है तो वह भी अपनी फौज लेकर
दिल्ली से रवाना हो गया दोनों का आमना-सामना पानीपत
के इतिहासिक मैदान में हुआ और बहुत जबरदस्त जुंग
TS HISTORICAL
The study of the past is called
history. Prehistory refers to
events that took place before the
invention of writing systems. Past
events, as well as memorabilia,
discoveries, collections,
structures, presentations, and
interpretations of these events,
are all covered under the term
“history”. Knowledge will be given,
and all information will be given
to you in both Hindi and English.
You will get new information
about daily history in our blog, in
our blog we will upload the actual
blog only after verifying the
complete history. Our aim is to
bring real history to you so that
you can get good knowledge of
history and help you in future.
 
 
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History of States
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Mongol Empire
Monuments
Bairam Khan
हुई, शुरू में तो ऐसा महसूस होने लगा था कि हेमू की
फौज मुग़ल फौज को बड़ी आसानी से ही हरा देगी
लेकिन पर अचानक से मुगलो की तरफ से चलाया हुआ
एक तीर डायरेक्ट हेमू के जिस्म पर जाकर लगा
जिसकी वजह से हेमू की मौत हो गई। हेमू के सिपाहियों
को जब इस बात की खबर हुई के हेमू की मौत हो चुकी
है तो उन्होंने पीठ दिखाकर भागना शुरू कर दिया और
इस तरह से बैरम खान की सिपहसालार में मुगल
सल्तनत की फौज को जीत हासिल हुई। कहा जाता है
कि जिस तीर से हेमु की मौत हुई थी वह तीर अकबर ने
ही चलाया था।
Bairam Khan की मौत कै से
हुई
1556 से लेकर 1560 तक यानी तकरीबन
4 साल तक अकबर भले ही शहंशाह की
गद्दी पर बैठा रहा लेकिन पूरी संतलत को
बैरम खान हीं चलाता रहा लेकिन जब धीरे-
धीरे अकबर की उम्र 17-18 वर्ष की हुई और
अकबर समझदार हुआ तो अकबर को ये
महसूस होने लगा कि बैरम खान मुझे गलत
तरीके से कं ट्रोल करने की कोशिश कर रहा
है क्योंकि बैरम खान ऐसे बहुत सारे फै सले
खुद जारी कर दिया करता था जिस पर
अकबर राजी नहीं हुआ करता था और जाहिर
है कि अब अकबर समझदार हो चुका था इसलिए वह भी चुप बैठने वाला नहीं था। बैरम
खान की तरफ से पानी सर से ऊपर जा चुका है और इसलिए अकबर ने बैरम खान को
चुका था लेकिन वो बैरम खान की बहुत इज्जत किया करता था और बैरम खान को बाबा
कहकर बुलाता था। अकबर ने जब बेरुम खान को वज़ीर-ए-आज़म की पद से हटा दिया
और बैरम खान को बहुत सारा मालो-दौलत देकर यह मशवरा दिया कि आप हज करने
चले जाएं क्योंकि भले ही अकबर सियासी मामले में बैरम खान से मुखालिफ हो चुका था
लेकिन वो बैरम खान की बहुत इज्जत किया करता था और बैरम खान को बाबा कहकर
बुलाता था। अकबर ने जब बेरुम खान को वज़ीर-ए-आज़म के ओहदे से हटा दिया था तो
यह बात बेरुम खान को बहुत बुरी लगी वह सोचता था कि अकबर अभी भी नादान है इसी
वजह से उसने यह फै सला लिया है और फिर बेरुम खान ने अकबर के खिलाफ बगावत
कर दी लेकिन क्योंकि अकबर अब बहुत समझदार और होशियार हो चुका था तो उसने
चंद लम्हों में ही बैरम खान को शिकस्त दे दी। अकबर के सिपाही बैरम खान को पकड़कर
उनके सामने ले आये और अकबर बैरम खान की बहुत इज्जत किया करता था तो
इसीलिए अकबर ने दोबारा बगावत करने के बावजूद भी बैरम खान के खिलाफ कोई भी
हुकु म जारी नहीं किया। बल्कि उनको इज्जत के साथ बिठाकर दोबारा मशवरा दिया और
कहा कि मेहरबानी करके हज करने चले जाएं इस बार बैरम खान हज करने के लिए रवाना
हो गए लेकिन कहा जाता है कि 31 जनवरी 1561 को गुजरात के रास्ते से जाते हुए
मुबारक खान लोहानी की लीडरशिप में अफगानों के एक ग्रुप ने अनहिलवाड़ पाटन के
पास बैरम खान पर हमला कर दिया अफ़ग़ानिओ के हमला करने के पीछे की वजह ये
बताई जाती है की उनके पिता 1555 में माछीवाड़ा की लड़ाई में मुगलों से लड़ते हुए मारे
गए थे। और इसलिए अफगानो ने बैरम खान की हत्या करके अपना इन्तेक़ाम लिया था।
Din-i Ilahi | दीन-ए इलाही
अकबर जितना बहादुर था उससे कहीं ज्यादा होशियार था और यही वजह थी कि वह
अपने दुश्मन को मैदान में हराने की बजाय उसे दिमागी तौर पर हराने को ज्यादा तरजी
दिया करता था उसने हिंदुस्तान की ज्यादातर इलाके अपनी ताकत के जरिए से ही जीत
लिए थे जिन इलाकों के बारे में उसे ये महसूस होता था कि वह उनको ताकत के तरीके से
नहीं जीत सकता है उन तमाम इलाकों को उसने सियासत के जरिए से जीत लिया था
उसने राजपूतों की एक बेटी जोधाबाई से शादी कर ली थी।
जिसकी वजह से महाराणा प्रताप के अलावा
हिंदुस्तान के तमाम राजपूतों ने अकबर की
बादशाहत को कबूल कर लिया था अकबर ने
अपने महलों में गैर मुस्लिमों को बहुत बड़े बड़े पद
Mughal Empire
Mumbai
Ottoman Empire
Politicians History
Roman Empire
Spanish History
tomb
TS HISTORICAL
Uruk
World
World History
World Wars
A R C HIV ES
January 2022
December 2021
November 2021
October 2021
September 2021
August 2021
July 2021
दे रखे थे उसकी सल्तनत के दौर में उसके महल
में बड़ी बड़ी पोस्ट पर हिंदू लोग बैठे हुए थे यहां
तक कि अकबर कि वह टीम जिसे नवरत्न के नाम से जाना जाता है यानी जिसमें 9 वजीर
थे उनमें भी तकरीबन 3 लोग हिंदू थे जिनमें से एक का नाम बीरबल एक का नाम मानसिंह
और एक का नाम राजा टोडरमल था कहा जाता है कि अकबर कोई भी बड़ा कदम उठाने
से पहले अपने टीम के इन्हीं 9 लोगों से मशवरा लिया करता था और वो लोग भी हमेशा
ही अकबर के साथ जुड़े रहते थे।
बैरम खान की मौत के बाद जब अकबर सल्तनत पर शासन करने के लिए पूरी तरह से
आजाद हुआ तो अकबर ने अपने नवरत्न में से एक वजीर जिसका नाम अबुल फजल था
उससे मशवरा कर के एक नए दिन की स्थापना की जिसका नाम Din-i Ilahi | दीन-ए
इलाही था। अकबर का यह मानना था कि हर मजहब में कोई न कोई अच्छी बातें जरूर है
तो इसीलिए क्यों ना हर मजहब की कु छ कु छ अच्छी बातों को निकाल कर एक नया
मजहब तैयार किया जिसके जरिए तमाम मजहबी झगड़े भी खत्म हो जाएंगे अकबर ने इसी
सोच को मद्देनजर रखते हुए दिन-ए-इलाही नाम के ने एक नये मजहब को तैयार किया इस
मजहब में इस्लाम के साथ-साथ और दूसरे मजहब की बहुत सारी चीजों को भी शामिल
किया गया था जिसे अकबर अच्छा मानता था अकबर के इस मजहब को सबसे पहले
बीरबल और अबू फज़ल ने ही कु बूल किया था लेकिन अकबर के इस मजहब को
हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों ने पसंद नहीं किया था अकबर के दौर मे हिंदू धर्म से तालुक
रखने वाले लोग अकबर को बहुत ज्यादा अच्छा मानने लगे थे बहुत से लोग अकबर की
पूजा किया करते थे और अकबर के दरबार के बाहर लोग मन्नतें मांगने आया करते थे
क्योंकि अकबर का यह नजरिया था कि हर मजहब में अच्छाई और बुराई दोनों चीजें होती
हैं इसीलिए वो ईसाइयो के साथ भी पूजा किया करता था और हिंदुओं के साथ भी पूजा
किया करता था और मुसलमानों के साथ मस्जिद में नमाज भी अदा किया करता था।
Battle of Haldighati |
हल्दीघाटी का युद्ध
Haldighati ka yudh: महाराणा प्रताप के अलावा हिंदुस्तान के तमाम राजपूतों ने
अकबर की बहादुरी और होशियारी देखते हुए अकबर की बादशाहत को कु बूल कर लिया
था लेकिन महाराणा प्रताप एक ऐसे राजा थे जो आखिर तक अकबर को बादशाह मानने के
लिए तैयार नहीं थे भले ही महाराणा प्रताप अकबर के खिलाफ कामयाब नहीं हो पाए
लेकिन वह अपनी आखिरी जिंदगी तक अकबर के खिलाफ लड़ते रहे जिससे यकीनन
उनकी बहादुरी साबित होती है।
आज बहुत से लोग हल्दीघाटी के युद्ध को
हिंदू vs मुस्लिम के तौर पर देखते हैं
लेकिन सच्चाई इसके बिलकु ल उलट है
आपको जानकर शायद थोड़ी हैरानी होगी
कि जिस वक्त महाराणा प्रताप की मुगलों
से जंग हुई थी उस वक्त फौज में अकबर
खुद मौजूद नहीं थे अकबर की फौज को उस वक्त अकबर की 9 खास वज़ीरो में से एक
वज़ीर जिसका नाम मानसिंह था वह लीड कर रहा था जो एक हिंदू था इससे से यह बात
तो क्लियर हो जाती है कि इस जंग में दोनों फौजियों के कमांडर हिंदू ही थे जिससे हिंदू vs
मुस्लिम का तो सवाल ही पैदा ही नहीं होता और दूसरी हैरानी की बात यह है कि जहां एक
तरफ मुग़लो की फौज मे बहुत सारे हिंदू मौजूद थे जो महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़ रहे
थे तो वहीं दूसरी तरफ महाराणा प्रताप की फौज में भी बहुत से मुस्लिम मौजूद थे बल्कि
महाराणा प्रताप की फौज में तो हकीम खान सूर जैसे बड़े-बड़े मुस्लिम सरदार भी मौजूद थे
जो इस बात को साबित करते हैं कि यह लड़ाई हिंदू vs मुस्लिम की नहीं थी लेकिन अगर
बात की जाए इस लड़ाई के नतीजे के बारे में तो ये लड़ाई मानसिंह यानी मुग़ल फ़ौज़ ने
जीत ली थी और महाराणा प्रताप की इस जंग में हार हुई थी और इस हार के साथ ही
मुग़लो के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट यानी महाराणा प्रताप भी हट चुका था।
Akbarnama | अकबरनामा
अकबरनामा, या द बुक ऑफ अकबर, अकबर के शासनकाल का इतिहास है, तीसरा
मुगल सम्राट,जिसे खुद अकबर ने बनवाया था और इसे दरबारी इतिहासकार और जीवनी
लेखक अबुल-फजल इब्न मुबारक ने लिखा था। अकबरनामा का पहला शब्द अकबर के
जन्म, तैमूर की पारिवारिक इतिहास ,बाबर और हुमायूँ के शासनकाल और दिल्ली के सूरी
सुल्तानों के बारे में है। दूसरा भाग 1602 के बाद से अकबर के शासनकाल के साथ-साथ
उसके पूरे शासनकाल में हुई घटनाओं और बदलाव के बारे मे बताता है।
Death of Akbar | Tomb of
Akbar | अकबर की मौत कै से
हुई
मुगल सम्राट अकबर की मृत्यु 27 अक्टूबर, 1605 को हुई थी। महान मुगल बादशाह
अकबर की उनके 63वें जन्मदिन के दस दिन बाद उनकी राजधानी आगरा में पेचिश से
मृत्यु हो गई थी। अकबर को सिकं दरा (आगरा) के मकबरे में दफनाया गया था।
AKBAR AKBAR BIRBAL AKBAR HISTORY
AKBAR HISTORY IN HINDI AKBAR KA JEEVAN PARICHYA
AKBAR KI DEATH KAISA HUI AKBAR SPOUSE
AKBAR THE GREAT AKBAR V AKBAR'S TOMB
AKBARNAMA BAIRAM KHAN BATTLE OF HALDIGHATI
DEATH OF AKBAR DIN-I LLAHI FATHER OF AKBAR
HALIGHATI KA YUDH HEMU VS AKBAR
HISTORY OF AKBAR HUMAYUN JODHA AKBAR
JODHA BAI MAHARANA PRATAP MUGHAL EMPIRE
PANIPAT KA DUSRA YUDH SECOND BATTLE OF PANIPAT
THE GREAT AKBAR TOMB OF AKBAR
7 COMMENTS
SUDHIR IDRISHI	 SEPT EMB ER 2 4, 2 02 1  AT   3 : 3 0 A M
Akbar is best king all time.
REPLY
SHREYA SEHGAL	 O CT O B ER 2 1, 2 02 1  AT   4: 5 7 A M
Akbar is very Great king of all time he is ral hero of india.
REPLY
MARIJUANA DOCTOR NJ	 D ECEMB ER 12 , 2 02 1  AT   8: 5 3
PM
I cannot consider everything we get annoyed about in our
lives makes a difference.
Constantly put in thinking about the various things that
we deal with just about every day is without question
undoubtedly necessary,
as no other person will probably encounter existence for
us.
Personally I think that people young and old need to
be a whole lot more mentally stable. Knowledge is
excellent,
nevertheless a lot of whatever you think about is indeed
abstract.
Having a cup of tea is a zen activity that takes one back
again to the present few moments.
We need to be more in the here and now, without being
overwhelmed by life and the drama we
experience each day. https://twitter.com/search?
q=cannabistical
REPLY
AUTO APPROVE LIST	 JA NU A RY 7, 2 02 2   AT   8: 2 2 PM
I’m really enjoying the design and layout of your blog.
It’s a very easy on the eyes which makes it much
more enjoyable for me to come here and visit more often.
Did you hire out a developer to create your theme?
Exceptional work!
REPLY
TANISHSAIFI51	 JA NU A RY 8, 2 02 2   AT   2 : 2 5 PM
This theme is designed by myself.
REPLY
JOKER123.NET	 JA NU A RY 8, 2 02 2   AT   3 : 17 PM
After looking into a handful of the articles on your site, I
honestly like your way of writing a blog.
I added it to my bookmark site list and will be checking back
soon. Please visit my web site too and let me know
what you think.
REPLY
TANISHSAIFI51	 JA NU A RY 8, 2 02 2   AT   3 : 5 7 PM
Thanx
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  • 1. AKBAR HISTORY IN HINDI | अकबर का पूरा इतिहास Home / Akbar History in Hindi | अकबर का पूरा इतिहास 11 S E P BY TANISHSAIFI51  EMPIRES, HISTORY, MUGHAL EMPIRE, TOMB, TS HISTORICAL जलाल-उद्दीन-मुहम्मद अकबर (Jalal-ud-din- Muhammad Akbar) पूरा नाम – Abul-fath Jalal-ud-din Muhammad Akbar (अबुल-फ़त जलाल-उद- दीन मुहम्मद अकबर) जन्म – 5 अक्टूबर 1542, उमरकोट मृत्यु – 27 अक्टूबर 1605, फ़तेहपुर सिकरी पत्नी – मरयम-उज़-जमानी सलीमा सुल्तान बेगम माता-पिता – हमीदा बानु बेगम, हुमायूँ औलाद – हसन मिर्ज़ा हुसैन मिर्ज़ा जहाँगीर खानुम सुल्तान बेगम मुराद मिर्ज़ा दानियाल मिर्ज़ा शकर-उन-निसा बेगम आराम बानू बेगम शम्स-उन-निस्सा बेगम माहि बेगम Akbar The Great : जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर मुग़ल सल्तनत के तीसरे सुल्तान थे उन्हें मुगल हिस्ट्री का सबसे महान राजा माना जाता है। भारत देश में मुगल सल्तनत की बुनियाद भले ही अकबर के दादा यानी जहीरूद्दीन बाबर ने रखी थी लेकिन मुग़ल सल्तनत की नींव को मजबूत करने वाले इंसान का नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर है। अकबर ने अपनी बहादुरी और होशियार से मुग़ल सल्तनत को आधे से ज्यादा हिंदुस्तान पर फै ला दिया था और अपने मरने से पहले इस काबिल बना दिया था कि उसकी आने वाली नस्लों ने हिन्दूस्तान पर बहुत लम्बे समय तक राज किया था। अकबर अपने दौर मे अपनी सल्तनत के लिया देवता बन गया था। लोग उस के दरबार में आकर मन्नते मांगा करते थे और उसके सामने सर झुकाया करते थे। यहां तक कि वो अपनी सल्तनत में रहने वाले लोगों की नजरों में इतना बाइज्जत और कीमती हो चुका था कि उसने अपना ही एक अलग धर्म बना दिया था और इन तमाम चीजों की वजह से ही उसका नाम हमेशा हमेशा के लिए (Akbar The Great) अकबर-द-ग्रेट पड़ गया था। अकबर का जीवन परिचय: अकबर का पूरा नाम Abul- fath Jalal-ud-din Muhammad Akbar (अबुल-फ़त जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर) था। अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को उमरकोट के इलाके में उस वक्त हुआ था जब अकबर के वालिद नसीरुद्दीन हुमायूँ शेरशाह सूरी के हाथों अपनी दिल्ली सल्तनत गवाहने के बाद जंगलों में भटक रहे थे क्योंकि हुमायूँ उस दौर में जंगलों में भटका करते थे। इसी वजह से अकबर की परवरिश अकबर के चाचा कामरान मिर्जा ने की थी जो कि काबुल इलाके के गवर्नर हुआ करते थे अकबर के बारे में ज्यादातर इतिहासकार यह मानते हैं कि बचपन से ही अकबर बहुत ज़हीन और तेज़ थे लेकिन उनको पढ़ने लिखने का जरा भी शौक नहीं था पढाई-लिखाई से वह हमेशा ही दूर भागा करते थे लेकिन होशियार इतने थे की उन्होंने 10 साल की छोटी सी उम्र से भी पहले ही तलवारबाजी, निजाबाजी, घुड़सवारी जैसी चीजें बहुत अच्छी तरह से सीख ली थी छोटी सी उम्र में ही वह अपने से बड़े बड़े उम्र के लोगों को कु श्ती में चैलेंज किया करता था और हैरानी की AKBAR HISTORY IN HINDI | अकबर का पूरा इतिहास Rss Feed Latest Posts   Search Go What Chips did Next The Young Crusaders Before the Taliban Loveless Letters East Meets West Billy the Kid | Biography, Death, & Facts Mayans | People, Civilization, Pyramid & Empire Middle Ages | Definition, Time Period, Castle & Facts Battle of Ain Jalut | Summary Genghis Khan | Biography, Conquests, Achievements, & Facts A B OUT ME TS HISTORICAL Let's know the History HO ME B LO GS SITE MAP CO NTACT US AB O UT US CATEGO RIES YO UR ACCO UNT
  • 2. साम्राज्य – Mughal Empire (मुग़ल सल्तनत) शासन –  11 February 1556 – 27 October 1605 कब्रगाह – सिकं दरा, आगरा, उत्तर प्रदेश TS HISTORICAL बात तो यह है कि बड़े-बड़े लोगों को भी अकबर इतनी कम उम्र में हरा दिया करता था आखिरकार 1555 ई० में हुमायूँ ने सूरी खानदान से अपनी दिल्ली सल्तनत को दोबारा से छीन लिया था जिस वक्त हुमायूँ ने अपनी दिल्ली सल्तनत को दोबारा हासिल किया उस वक्त अकबर की उम्र सिर्फ 13 साल थी 1 साल बाद ही हुमायूं की अपनी लाइब्रेरी की सीढ़ियों से गिरकर मौत हो गई। जब हुमायूँ की मौत हुई उस वक्त अकबर की उम्र सिर्फ और सिर्फ 14 साल थी हुमायूँ की मौत के बाद मुग़ल दरबार में रहने वाले लोगों को यह डर सताने लगा था की कही मुग़ल सल्तनत में बगावत न हो जाये और ये डर सच साबित हुआ। धीरे- धीरे जगह-जगह से बगावत उठना शुरू हो गई। हुमायूँ का एक बहुत वफादार दोस्त था जिसका नाम बैरम खान था जिसने वक़्त को भांपते हुए एक सही फै सला लिया और हुमायूँ के सिर्फ 14 साल के बेटे अकबर को (11 february 1556)ई० को सुल्तान घोषित कर दिया। भले ही अकबर को खतरे को देखते हुए सुल्तान घोषित कर दिया गया था लेकिन अकबर अभी ना समझ था इसी वजह से सुल्तान भले ही अकबर बन चुका था लेकिन पूरी सल्तनत को बैरम खान ही चलाया करता था और सल्तनत का हर हुकु म बैरम खान ही जारी किया करता था लेकिन बगावत के जिस खतरे को देखते हुए बैरम खान ने एक छोटी सी उम्र के अकबर को सुल्तान बना दिया था वो खतरा अकबर के सुल्तान बनने के बाद भी नहीं टला। Second battle of panipat | पानीपत का दूसरा युद्ध PaniPat Second Battle : सूरी सल्तनत की जिसे चंद दिन पहले ही हुमायूँ ने अपनी सल्तनत को वापस छीना था उसी सल्तनत के एक हिंदू सिपाह- सालार जिसका नाम हेमू था उसने बगावत कर दी और वो अपनी पूरी फौज लेकर दिल्ली की तरफ रवाना हुआ और दूसरी तरफ बैरम खान को जब इस बात की खबर हुई कि वो अपनी बड़ी फौज लेकर हमारी सल्तनत की तरफ रवाना हो गया है तो वह भी अपनी फौज लेकर दिल्ली से रवाना हो गया दोनों का आमना-सामना पानीपत के इतिहासिक मैदान में हुआ और बहुत जबरदस्त जुंग TS HISTORICAL The study of the past is called history. Prehistory refers to events that took place before the invention of writing systems. Past events, as well as memorabilia, discoveries, collections, structures, presentations, and interpretations of these events, are all covered under the term “history”. Knowledge will be given, and all information will be given to you in both Hindi and English. You will get new information about daily history in our blog, in our blog we will upload the actual blog only after verifying the complete history. Our aim is to bring real history to you so that you can get good knowledge of history and help you in future.     C AT EG OR IES American history Argead Dynasty ayyubi sultanate Battles/Wars Biographics British Civil War Egypt History Empires Empires battle Europion History Germany History Historical kings History History of Monuments History of States Indian History Italy Macedonia Mayans Mongol Empire Monuments
  • 3. Bairam Khan हुई, शुरू में तो ऐसा महसूस होने लगा था कि हेमू की फौज मुग़ल फौज को बड़ी आसानी से ही हरा देगी लेकिन पर अचानक से मुगलो की तरफ से चलाया हुआ एक तीर डायरेक्ट हेमू के जिस्म पर जाकर लगा जिसकी वजह से हेमू की मौत हो गई। हेमू के सिपाहियों को जब इस बात की खबर हुई के हेमू की मौत हो चुकी है तो उन्होंने पीठ दिखाकर भागना शुरू कर दिया और इस तरह से बैरम खान की सिपहसालार में मुगल सल्तनत की फौज को जीत हासिल हुई। कहा जाता है कि जिस तीर से हेमु की मौत हुई थी वह तीर अकबर ने ही चलाया था। Bairam Khan की मौत कै से हुई 1556 से लेकर 1560 तक यानी तकरीबन 4 साल तक अकबर भले ही शहंशाह की गद्दी पर बैठा रहा लेकिन पूरी संतलत को बैरम खान हीं चलाता रहा लेकिन जब धीरे- धीरे अकबर की उम्र 17-18 वर्ष की हुई और अकबर समझदार हुआ तो अकबर को ये महसूस होने लगा कि बैरम खान मुझे गलत तरीके से कं ट्रोल करने की कोशिश कर रहा है क्योंकि बैरम खान ऐसे बहुत सारे फै सले खुद जारी कर दिया करता था जिस पर अकबर राजी नहीं हुआ करता था और जाहिर है कि अब अकबर समझदार हो चुका था इसलिए वह भी चुप बैठने वाला नहीं था। बैरम खान की तरफ से पानी सर से ऊपर जा चुका है और इसलिए अकबर ने बैरम खान को चुका था लेकिन वो बैरम खान की बहुत इज्जत किया करता था और बैरम खान को बाबा कहकर बुलाता था। अकबर ने जब बेरुम खान को वज़ीर-ए-आज़म की पद से हटा दिया और बैरम खान को बहुत सारा मालो-दौलत देकर यह मशवरा दिया कि आप हज करने चले जाएं क्योंकि भले ही अकबर सियासी मामले में बैरम खान से मुखालिफ हो चुका था लेकिन वो बैरम खान की बहुत इज्जत किया करता था और बैरम खान को बाबा कहकर बुलाता था। अकबर ने जब बेरुम खान को वज़ीर-ए-आज़म के ओहदे से हटा दिया था तो यह बात बेरुम खान को बहुत बुरी लगी वह सोचता था कि अकबर अभी भी नादान है इसी वजह से उसने यह फै सला लिया है और फिर बेरुम खान ने अकबर के खिलाफ बगावत कर दी लेकिन क्योंकि अकबर अब बहुत समझदार और होशियार हो चुका था तो उसने चंद लम्हों में ही बैरम खान को शिकस्त दे दी। अकबर के सिपाही बैरम खान को पकड़कर उनके सामने ले आये और अकबर बैरम खान की बहुत इज्जत किया करता था तो इसीलिए अकबर ने दोबारा बगावत करने के बावजूद भी बैरम खान के खिलाफ कोई भी हुकु म जारी नहीं किया। बल्कि उनको इज्जत के साथ बिठाकर दोबारा मशवरा दिया और कहा कि मेहरबानी करके हज करने चले जाएं इस बार बैरम खान हज करने के लिए रवाना हो गए लेकिन कहा जाता है कि 31 जनवरी 1561 को गुजरात के रास्ते से जाते हुए मुबारक खान लोहानी की लीडरशिप में अफगानों के एक ग्रुप ने अनहिलवाड़ पाटन के पास बैरम खान पर हमला कर दिया अफ़ग़ानिओ के हमला करने के पीछे की वजह ये बताई जाती है की उनके पिता 1555 में माछीवाड़ा की लड़ाई में मुगलों से लड़ते हुए मारे गए थे। और इसलिए अफगानो ने बैरम खान की हत्या करके अपना इन्तेक़ाम लिया था। Din-i Ilahi | दीन-ए इलाही अकबर जितना बहादुर था उससे कहीं ज्यादा होशियार था और यही वजह थी कि वह अपने दुश्मन को मैदान में हराने की बजाय उसे दिमागी तौर पर हराने को ज्यादा तरजी दिया करता था उसने हिंदुस्तान की ज्यादातर इलाके अपनी ताकत के जरिए से ही जीत लिए थे जिन इलाकों के बारे में उसे ये महसूस होता था कि वह उनको ताकत के तरीके से नहीं जीत सकता है उन तमाम इलाकों को उसने सियासत के जरिए से जीत लिया था उसने राजपूतों की एक बेटी जोधाबाई से शादी कर ली थी। जिसकी वजह से महाराणा प्रताप के अलावा हिंदुस्तान के तमाम राजपूतों ने अकबर की बादशाहत को कबूल कर लिया था अकबर ने अपने महलों में गैर मुस्लिमों को बहुत बड़े बड़े पद Mughal Empire Mumbai Ottoman Empire Politicians History Roman Empire Spanish History tomb TS HISTORICAL Uruk World World History World Wars A R C HIV ES January 2022 December 2021 November 2021 October 2021 September 2021 August 2021 July 2021
  • 4. दे रखे थे उसकी सल्तनत के दौर में उसके महल में बड़ी बड़ी पोस्ट पर हिंदू लोग बैठे हुए थे यहां तक कि अकबर कि वह टीम जिसे नवरत्न के नाम से जाना जाता है यानी जिसमें 9 वजीर थे उनमें भी तकरीबन 3 लोग हिंदू थे जिनमें से एक का नाम बीरबल एक का नाम मानसिंह और एक का नाम राजा टोडरमल था कहा जाता है कि अकबर कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले अपने टीम के इन्हीं 9 लोगों से मशवरा लिया करता था और वो लोग भी हमेशा ही अकबर के साथ जुड़े रहते थे। बैरम खान की मौत के बाद जब अकबर सल्तनत पर शासन करने के लिए पूरी तरह से आजाद हुआ तो अकबर ने अपने नवरत्न में से एक वजीर जिसका नाम अबुल फजल था उससे मशवरा कर के एक नए दिन की स्थापना की जिसका नाम Din-i Ilahi | दीन-ए इलाही था। अकबर का यह मानना था कि हर मजहब में कोई न कोई अच्छी बातें जरूर है तो इसीलिए क्यों ना हर मजहब की कु छ कु छ अच्छी बातों को निकाल कर एक नया मजहब तैयार किया जिसके जरिए तमाम मजहबी झगड़े भी खत्म हो जाएंगे अकबर ने इसी सोच को मद्देनजर रखते हुए दिन-ए-इलाही नाम के ने एक नये मजहब को तैयार किया इस मजहब में इस्लाम के साथ-साथ और दूसरे मजहब की बहुत सारी चीजों को भी शामिल किया गया था जिसे अकबर अच्छा मानता था अकबर के इस मजहब को सबसे पहले बीरबल और अबू फज़ल ने ही कु बूल किया था लेकिन अकबर के इस मजहब को हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों ने पसंद नहीं किया था अकबर के दौर मे हिंदू धर्म से तालुक रखने वाले लोग अकबर को बहुत ज्यादा अच्छा मानने लगे थे बहुत से लोग अकबर की पूजा किया करते थे और अकबर के दरबार के बाहर लोग मन्नतें मांगने आया करते थे क्योंकि अकबर का यह नजरिया था कि हर मजहब में अच्छाई और बुराई दोनों चीजें होती हैं इसीलिए वो ईसाइयो के साथ भी पूजा किया करता था और हिंदुओं के साथ भी पूजा किया करता था और मुसलमानों के साथ मस्जिद में नमाज भी अदा किया करता था। Battle of Haldighati | हल्दीघाटी का युद्ध Haldighati ka yudh: महाराणा प्रताप के अलावा हिंदुस्तान के तमाम राजपूतों ने अकबर की बहादुरी और होशियारी देखते हुए अकबर की बादशाहत को कु बूल कर लिया था लेकिन महाराणा प्रताप एक ऐसे राजा थे जो आखिर तक अकबर को बादशाह मानने के लिए तैयार नहीं थे भले ही महाराणा प्रताप अकबर के खिलाफ कामयाब नहीं हो पाए लेकिन वह अपनी आखिरी जिंदगी तक अकबर के खिलाफ लड़ते रहे जिससे यकीनन उनकी बहादुरी साबित होती है। आज बहुत से लोग हल्दीघाटी के युद्ध को हिंदू vs मुस्लिम के तौर पर देखते हैं लेकिन सच्चाई इसके बिलकु ल उलट है आपको जानकर शायद थोड़ी हैरानी होगी कि जिस वक्त महाराणा प्रताप की मुगलों से जंग हुई थी उस वक्त फौज में अकबर खुद मौजूद नहीं थे अकबर की फौज को उस वक्त अकबर की 9 खास वज़ीरो में से एक वज़ीर जिसका नाम मानसिंह था वह लीड कर रहा था जो एक हिंदू था इससे से यह बात तो क्लियर हो जाती है कि इस जंग में दोनों फौजियों के कमांडर हिंदू ही थे जिससे हिंदू vs मुस्लिम का तो सवाल ही पैदा ही नहीं होता और दूसरी हैरानी की बात यह है कि जहां एक तरफ मुग़लो की फौज मे बहुत सारे हिंदू मौजूद थे जो महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़ रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ महाराणा प्रताप की फौज में भी बहुत से मुस्लिम मौजूद थे बल्कि महाराणा प्रताप की फौज में तो हकीम खान सूर जैसे बड़े-बड़े मुस्लिम सरदार भी मौजूद थे जो इस बात को साबित करते हैं कि यह लड़ाई हिंदू vs मुस्लिम की नहीं थी लेकिन अगर बात की जाए इस लड़ाई के नतीजे के बारे में तो ये लड़ाई मानसिंह यानी मुग़ल फ़ौज़ ने जीत ली थी और महाराणा प्रताप की इस जंग में हार हुई थी और इस हार के साथ ही मुग़लो के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट यानी महाराणा प्रताप भी हट चुका था। Akbarnama | अकबरनामा अकबरनामा, या द बुक ऑफ अकबर, अकबर के शासनकाल का इतिहास है, तीसरा मुगल सम्राट,जिसे खुद अकबर ने बनवाया था और इसे दरबारी इतिहासकार और जीवनी लेखक अबुल-फजल इब्न मुबारक ने लिखा था। अकबरनामा का पहला शब्द अकबर के जन्म, तैमूर की पारिवारिक इतिहास ,बाबर और हुमायूँ के शासनकाल और दिल्ली के सूरी
  • 5. सुल्तानों के बारे में है। दूसरा भाग 1602 के बाद से अकबर के शासनकाल के साथ-साथ उसके पूरे शासनकाल में हुई घटनाओं और बदलाव के बारे मे बताता है। Death of Akbar | Tomb of Akbar | अकबर की मौत कै से हुई मुगल सम्राट अकबर की मृत्यु 27 अक्टूबर, 1605 को हुई थी। महान मुगल बादशाह अकबर की उनके 63वें जन्मदिन के दस दिन बाद उनकी राजधानी आगरा में पेचिश से मृत्यु हो गई थी। अकबर को सिकं दरा (आगरा) के मकबरे में दफनाया गया था। AKBAR AKBAR BIRBAL AKBAR HISTORY AKBAR HISTORY IN HINDI AKBAR KA JEEVAN PARICHYA AKBAR KI DEATH KAISA HUI AKBAR SPOUSE AKBAR THE GREAT AKBAR V AKBAR'S TOMB AKBARNAMA BAIRAM KHAN BATTLE OF HALDIGHATI DEATH OF AKBAR DIN-I LLAHI FATHER OF AKBAR HALIGHATI KA YUDH HEMU VS AKBAR HISTORY OF AKBAR HUMAYUN JODHA AKBAR JODHA BAI MAHARANA PRATAP MUGHAL EMPIRE PANIPAT KA DUSRA YUDH SECOND BATTLE OF PANIPAT THE GREAT AKBAR TOMB OF AKBAR 7 COMMENTS SUDHIR IDRISHI SEPT EMB ER 2 4, 2 02 1  AT   3 : 3 0 A M Akbar is best king all time. REPLY SHREYA SEHGAL O CT O B ER 2 1, 2 02 1  AT   4: 5 7 A M Akbar is very Great king of all time he is ral hero of india. REPLY
  • 6. MARIJUANA DOCTOR NJ D ECEMB ER 12 , 2 02 1  AT   8: 5 3 PM I cannot consider everything we get annoyed about in our lives makes a difference. Constantly put in thinking about the various things that we deal with just about every day is without question undoubtedly necessary, as no other person will probably encounter existence for us. Personally I think that people young and old need to be a whole lot more mentally stable. Knowledge is excellent, nevertheless a lot of whatever you think about is indeed abstract. Having a cup of tea is a zen activity that takes one back again to the present few moments. We need to be more in the here and now, without being overwhelmed by life and the drama we experience each day. https://twitter.com/search? q=cannabistical REPLY AUTO APPROVE LIST JA NU A RY 7, 2 02 2   AT   8: 2 2 PM I’m really enjoying the design and layout of your blog. It’s a very easy on the eyes which makes it much more enjoyable for me to come here and visit more often. Did you hire out a developer to create your theme? Exceptional work! REPLY TANISHSAIFI51 JA NU A RY 8, 2 02 2   AT   2 : 2 5 PM This theme is designed by myself. REPLY JOKER123.NET JA NU A RY 8, 2 02 2   AT   3 : 17 PM After looking into a handful of the articles on your site, I honestly like your way of writing a blog. I added it to my bookmark site list and will be checking back soon. Please visit my web site too and let me know what you think. REPLY TANISHSAIFI51 JA NU A RY 8, 2 02 2   AT   3 : 5 7 PM Thanx REPLY
  • 7. Your email address will not be published. Required fields are marked * Comment Name * Email * Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Submit LEAVE A REPLY Copyright © 2021 | Powered by WordPress | Designexo theme by ThemeArile