रेकी या स्पर्श-चिकित्सा
रेकी क्या है
रेकी या स्पर्श चिकित्सा में हाथों के द्वारा एक विशेष रीति से रोगी अथवा रोग से ग्रसित अंग को ब्रह्माण्डीय जीवन ऊर्जा या दिव्य प्राण शक्ति देकर बीमारी को दूर किया जाता है। रेकी शब्द दो जापानी शब्दों ' रे ' और ' की ' से बना है। ' रे ' का मतलब ब्रह्म बोध या दिव्य ज्ञान और ' की ' का मतलब जीवन ऊर्जा होता है (संस्कृत में की को प्राण कहते हैं)। यही जीवन ऊर्जा हमारे शरीर को चेतना प्रदान करती है और इस पूरे ब्रह्माण्ड में हमारे चारों तरफ विद्यमान है। रेकी शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करती है। जब हम बुजुर्गों के पैर छूते हैं और वे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं, वह भी रेकी का ही रूप है। वास्तव में वे हमें जीवन ऊर्जा देकर अनुग्रहीत करते हैं।
यह बहुत आसान, अचूक, कारगर तथा एक सफल वैकल्पिक उपचार है। कोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह आवश्यक नहीं कि रेकी सीखने वाला व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, योगी, संत-सन्यासी या आध्यात्मिक क्षेत्र का पहुंचा हुआ व्यक्ति हो। अभ्यास और एकाग्रता के बल पर कोई भी इसे सीख सकता है। न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। इसे सीखने के लिए कई वर्षों के लम्बे अभ्यास की आवश्यकता भी नहीं होती। रेकी एक ऐसा अद्भुत तरीका है, जिसमें रोगी और रोग से ग्रसित अंग को रेकी उपचारक द्वारा दिव्य प्राण ऊर्जा देकर बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।
इशरत जहां, इंसाफ कहाँ ?
इशरत के हत्यारों को बचाने के लिए सुनियोजित तरीके से झूठे बयान दिलवाए जा रहे हैं- रिहाई मंच
.............................
पुलिस की बर्बरताः सोनू और कल्लू को हीटर पर कराई पेशाब, गुप्तांगों में डाला पेट्रोल
..............................
अपराधियों को बचाने के लिए दूर से निशाना
............................
मिलिट्री एक्सरसाइज में भारतीय दल की अगुआई करने वाली पहली महिला बनी सोफिया कुरैशी
मैं मानता हूँ कि मेरी कलम किसी को न्याय नहीं दे सकती है. मगर अपनी कलम से पूरी ईमानदारी के साथ यदि किसी के ऊपर अन्याय हो रहा है. तब उसको लेखन द्वारा उच्च अधिकारीयों तक पहुंचा दूँ. इस अख़बार के प्रथम पेज पर छपी खबर(मोबाईल चोरी के शक में युवक की तार से गला घोंटकर हत्या ) के बारें में मुझे जब अपने विश्वनीय सूत्रों से मालूम हुआ कि उपरोक्त केस पुलिस पैसे लेकर रफा-दफा करने के चक्कर में है. तभी मैंने थाने में जाकर उपरोक्त घटना का पूरा विवरण लिया उसके बाद पीड़ित पक्ष से मिला और अपने अख़बार में छपने से पहले हर रोज के अख़बारों के पत्रकारों के माध्यम से राष्ट्रिय अख़बारों में उपरोक्त घटना को प्रिंट करवाया. जिससे पुलिस के ऊपर दबाब बना और उसको आरोपितों की गिरफ्तारी दिखानी पड़ी. मेरी पत्रकारिता में काफी ऐसे अवसर आये है कि मेरे सूत्रों और आम आदमी ने किसी घटना की सूचना पुलिस को देने से पहले मुझे दी और अनेक बार मैंने पुलिस को फोन करके घटनास्थल पर बुलाया था. मैंने अपनी पत्रकारिता को लेकर सूत्रों और आम आदमी में यह विश्वास कायम किया था कि आपका नाम का जिक्र कभी नहीं आएगा. बेशक कोई कुत्ते की मौत मारे या धोखे से कभी मुझे मरवा दें. आप बिना झिझक के मुझे घटना और उसकी सच्चाई से अवगत करवाएं. मेरे बारें में यह मशहूर था कि एक बार कोई ख़बर सिरफिरे को पता चल जाये फिर खबर को खरीद या दबा नहीं सकता है, क्योंकि मुझे पत्रकारिता के शुरू से धन-दौलत से इतना मोह नहीं रहा है. हाँ, अपनी मेहनत और पसीने की कमाई का एक रुपया किसी के पास नहीं छोड़ता था. यदि शुरू में किसी ताकतवर व्यक्ति ने या किसी ने अपनी दबंगता के चलते रख भी लिए तो मैंने उसका कभी कोई अहित नहीं किया. मगर मेरे पैसे उसके पाप के घड़े की आखिरी बूंद साबित हुए. भगवान ने उनको ऐसी सजा दी कि काफी लोग तो दस-पन्दह साल तक भी उबर नहीं पायें. इसल
ऊर्जा-विज्ञान (Aura Healing)
कैंसर सहित सभी रोग शरीर में ऊर्जा के उन्मुक्त प्रवाह में आई रुकावट के कारण होते हैं।
शरीर क्या है? मनुष्य क्या है? प्राचीन काल से भौतिकशास्त्री यह कहते आये हैं कि बुनियादी स्तर से देखें तो हमारा यह शरीर शुद्ध रूप से सिर्फ एक ऊर्जा है। भौकिशास्त्री बारबरा ब्रेनान ने शरीर के बहुस्तरीय ऊर्जा क्षेत्र के अस्तित्व को सिद्ध किया है। इसे प्रभा-मण्डल, आभा-मण्डल या ओरा कहते हैं। इन्होंने वर्षों तक शोध करके इस ऊर्जा-चिकित्सा (Aura Healing) से दैहिक और भावनात्मक विकारों के उपचार की कला को विकसित किया है।
ऊर्जा-चिकित्सा - जीवन शक्ति ऊर्जा
भारत में इस ऊर्जा को ' प्राण ' तो चीन में इसे ' ची ' कहते हैं। भले इसकी सत्यता को वैज्ञानिक सिद्ध नहीं कर सके हों लेकिन चीन में एक ऐसा चिकित्सालय है जहां ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं से हजारों रोगियों का उपचार होता है। यहां कई चमत्कार होते हैं। यहां पर उपचार इतना प्रभावशाली है कि एक रोगी के कैंसर की गांठ देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में गायब हो गई और यह नजारा सोनोग्राफी मशीन के पटल पर स्पष्ट देखा व अंकित किया गया था। ऐसा लगता है कि भविष्य में रोगों के उपचार में ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं जैसे एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, ई.एफ.टी., प्रकाश, ध्वनि, रंग या रैकी का महत्व बहुत अधिक होगा। भौतिक-विज्ञान में कोई कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं, जिसे हम देख और नाप सकते हैं। लेकिन ऊर्जा चिकित्सक इस सर्वव्यापी जीवन शक्ति को ऊर्जा की संज्ञा देते हैं।
बारबरा ब्रेनान ने बड़े विवेकपूर्ण ढंग से आध्यात्मिकता और विज्ञान के समन्वय की कौशिश की है। ये अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं और नासा में शोध-वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर चुकी हैं। ये भौतिकशास्त्री और मनोचिकित्सक हैं और 20 वर्षों से प्रभा-मण्डल और ऊर्जा-चिकित्सा पर अ
रेकी या स्पर्श-चिकित्सा
रेकी क्या है
रेकी या स्पर्श चिकित्सा में हाथों के द्वारा एक विशेष रीति से रोगी अथवा रोग से ग्रसित अंग को ब्रह्माण्डीय जीवन ऊर्जा या दिव्य प्राण शक्ति देकर बीमारी को दूर किया जाता है। रेकी शब्द दो जापानी शब्दों ' रे ' और ' की ' से बना है। ' रे ' का मतलब ब्रह्म बोध या दिव्य ज्ञान और ' की ' का मतलब जीवन ऊर्जा होता है (संस्कृत में की को प्राण कहते हैं)। यही जीवन ऊर्जा हमारे शरीर को चेतना प्रदान करती है और इस पूरे ब्रह्माण्ड में हमारे चारों तरफ विद्यमान है। रेकी शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करती है। जब हम बुजुर्गों के पैर छूते हैं और वे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं, वह भी रेकी का ही रूप है। वास्तव में वे हमें जीवन ऊर्जा देकर अनुग्रहीत करते हैं।
यह बहुत आसान, अचूक, कारगर तथा एक सफल वैकल्पिक उपचार है। कोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह आवश्यक नहीं कि रेकी सीखने वाला व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, योगी, संत-सन्यासी या आध्यात्मिक क्षेत्र का पहुंचा हुआ व्यक्ति हो। अभ्यास और एकाग्रता के बल पर कोई भी इसे सीख सकता है। न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। इसे सीखने के लिए कई वर्षों के लम्बे अभ्यास की आवश्यकता भी नहीं होती। रेकी एक ऐसा अद्भुत तरीका है, जिसमें रोगी और रोग से ग्रसित अंग को रेकी उपचारक द्वारा दिव्य प्राण ऊर्जा देकर बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।
इशरत जहां, इंसाफ कहाँ ?
इशरत के हत्यारों को बचाने के लिए सुनियोजित तरीके से झूठे बयान दिलवाए जा रहे हैं- रिहाई मंच
.............................
पुलिस की बर्बरताः सोनू और कल्लू को हीटर पर कराई पेशाब, गुप्तांगों में डाला पेट्रोल
..............................
अपराधियों को बचाने के लिए दूर से निशाना
............................
मिलिट्री एक्सरसाइज में भारतीय दल की अगुआई करने वाली पहली महिला बनी सोफिया कुरैशी
मैं मानता हूँ कि मेरी कलम किसी को न्याय नहीं दे सकती है. मगर अपनी कलम से पूरी ईमानदारी के साथ यदि किसी के ऊपर अन्याय हो रहा है. तब उसको लेखन द्वारा उच्च अधिकारीयों तक पहुंचा दूँ. इस अख़बार के प्रथम पेज पर छपी खबर(मोबाईल चोरी के शक में युवक की तार से गला घोंटकर हत्या ) के बारें में मुझे जब अपने विश्वनीय सूत्रों से मालूम हुआ कि उपरोक्त केस पुलिस पैसे लेकर रफा-दफा करने के चक्कर में है. तभी मैंने थाने में जाकर उपरोक्त घटना का पूरा विवरण लिया उसके बाद पीड़ित पक्ष से मिला और अपने अख़बार में छपने से पहले हर रोज के अख़बारों के पत्रकारों के माध्यम से राष्ट्रिय अख़बारों में उपरोक्त घटना को प्रिंट करवाया. जिससे पुलिस के ऊपर दबाब बना और उसको आरोपितों की गिरफ्तारी दिखानी पड़ी. मेरी पत्रकारिता में काफी ऐसे अवसर आये है कि मेरे सूत्रों और आम आदमी ने किसी घटना की सूचना पुलिस को देने से पहले मुझे दी और अनेक बार मैंने पुलिस को फोन करके घटनास्थल पर बुलाया था. मैंने अपनी पत्रकारिता को लेकर सूत्रों और आम आदमी में यह विश्वास कायम किया था कि आपका नाम का जिक्र कभी नहीं आएगा. बेशक कोई कुत्ते की मौत मारे या धोखे से कभी मुझे मरवा दें. आप बिना झिझक के मुझे घटना और उसकी सच्चाई से अवगत करवाएं. मेरे बारें में यह मशहूर था कि एक बार कोई ख़बर सिरफिरे को पता चल जाये फिर खबर को खरीद या दबा नहीं सकता है, क्योंकि मुझे पत्रकारिता के शुरू से धन-दौलत से इतना मोह नहीं रहा है. हाँ, अपनी मेहनत और पसीने की कमाई का एक रुपया किसी के पास नहीं छोड़ता था. यदि शुरू में किसी ताकतवर व्यक्ति ने या किसी ने अपनी दबंगता के चलते रख भी लिए तो मैंने उसका कभी कोई अहित नहीं किया. मगर मेरे पैसे उसके पाप के घड़े की आखिरी बूंद साबित हुए. भगवान ने उनको ऐसी सजा दी कि काफी लोग तो दस-पन्दह साल तक भी उबर नहीं पायें. इसल
ऊर्जा-विज्ञान (Aura Healing)
कैंसर सहित सभी रोग शरीर में ऊर्जा के उन्मुक्त प्रवाह में आई रुकावट के कारण होते हैं।
शरीर क्या है? मनुष्य क्या है? प्राचीन काल से भौतिकशास्त्री यह कहते आये हैं कि बुनियादी स्तर से देखें तो हमारा यह शरीर शुद्ध रूप से सिर्फ एक ऊर्जा है। भौकिशास्त्री बारबरा ब्रेनान ने शरीर के बहुस्तरीय ऊर्जा क्षेत्र के अस्तित्व को सिद्ध किया है। इसे प्रभा-मण्डल, आभा-मण्डल या ओरा कहते हैं। इन्होंने वर्षों तक शोध करके इस ऊर्जा-चिकित्सा (Aura Healing) से दैहिक और भावनात्मक विकारों के उपचार की कला को विकसित किया है।
ऊर्जा-चिकित्सा - जीवन शक्ति ऊर्जा
भारत में इस ऊर्जा को ' प्राण ' तो चीन में इसे ' ची ' कहते हैं। भले इसकी सत्यता को वैज्ञानिक सिद्ध नहीं कर सके हों लेकिन चीन में एक ऐसा चिकित्सालय है जहां ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं से हजारों रोगियों का उपचार होता है। यहां कई चमत्कार होते हैं। यहां पर उपचार इतना प्रभावशाली है कि एक रोगी के कैंसर की गांठ देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में गायब हो गई और यह नजारा सोनोग्राफी मशीन के पटल पर स्पष्ट देखा व अंकित किया गया था। ऐसा लगता है कि भविष्य में रोगों के उपचार में ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं जैसे एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, ई.एफ.टी., प्रकाश, ध्वनि, रंग या रैकी का महत्व बहुत अधिक होगा। भौतिक-विज्ञान में कोई कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं, जिसे हम देख और नाप सकते हैं। लेकिन ऊर्जा चिकित्सक इस सर्वव्यापी जीवन शक्ति को ऊर्जा की संज्ञा देते हैं।
बारबरा ब्रेनान ने बड़े विवेकपूर्ण ढंग से आध्यात्मिकता और विज्ञान के समन्वय की कौशिश की है। ये अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं और नासा में शोध-वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर चुकी हैं। ये भौतिकशास्त्री और मनोचिकित्सक हैं और 20 वर्षों से प्रभा-मण्डल और ऊर्जा-चिकित्सा पर अ
30. ikuh dh leL;k yxkrkj
xHkhj
xaHkhj curh tk jgh g A
gS
31. Hkfe d uhps ls vf/kd ikuh
kwfe ds uhp l
fudkyu
fudkyus dh otg ls cgr ls ns’kksa
l cgqr l n’kk
e
esa tehuh ikuh yxHkx lekIr dh
yx kx lek r
vkj gS
vksj g A
32. vukt dh iSnkokj ea deha ls Hkkstu dh
inkokj es deh l Hkktu
leL;k vkSSj mudhh dher dkQhh Å¡¡ph
h
g ,
gks tk,xh A