1. Chapter 15 - महावीर प्रसाद द्वववेदी (प्रश्न अभ्यास)
Question 1:
कु छ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के ववरोधी थे। द्वववेदी जी
ने क्या-क्या तकक देकर रिी-शिक्षा कासमथकन ककया?
कु छ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्वििेदी जी
ने अनेक तकों के द्िारा उनके विचारों का खंडन ककया है -
(1) प्राचीन काल में भी स्त्रियााँ शिक्षा ग्रहण कर सकती थीं।
सीता, िकुं तला, रुकमणी, आदद मदहलाएाँ इसका उदाहरण हैं।
िेदों, पुराणों में इसका प्रमाण भी शमलता है।
(2) प्राचीन युग में अनेक पदों की रचना भी रिी ने की है।
(3) यदद गृह कलह स्त्रियों की शिक्षा का ही पररणाम है तो मदों की
शिक्षा पर भी प्रततबंध लगाना चादहए। क्योंकक चोरी, डकै ती, ररश्ित
लेना, हत्या जैसे दंडनीय अपराध भी मदों की शिक्षा का ही पररणाम
है।
(4) जो लोग यह कहते हैं कक पुराने ज़माने में स्त्रियााँ नहीं पढ़ती थीं।
िे या तो इततहास से अनशभज्ञ हैं या किर समाज के लोगों को धोखा
देते हैं।
(5) अगर ऐसा था भी कक पुराने ज़माने की स्त्रियों की शिक्षा पर रोक
थी तो उस तनयम को हमें तोड़ देना चादहए क्योंकक ये समाज की
उन्नतत में बाधक है।
Question 2:
2. बिस्त्रमल्ला खााँ
को िहनाई की मंगलध्वनन का नायक क्यों कहा गया है?
िहनाई मुख्यत: मांगशलक अिसरों पर ही बजाया जाता है।
बबस्त्रमल्ला खााँ िहनाई बजाते थे और िहनाई िादक के रुप में
उनका रथान सिवश्रेष्ठ है। 15 अगरत, 26 जनिरी, िादी अथिा
मंददर जैसे मांगशलक रथलों में िहनाई बजाकर िहनाई के क्षेि में
इन्होंने िोहरत हाशसल की है। इसशलए इन्हें िहनाई की मंगलध्ितन
का नायक कहा गया है।
Question 3:
द्वववेदी जी ने रिी-
शिक्षा ववरोघी कु तकों का खंडन करने के शलए व्यंग्य का सहारा शलया
है -
जैसे 'यहसि पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़तीं, न वे पूजनीय पु
रूषों का मुकािला करतीं।' आप ऐसे अन्यअंिों को ननिंध में से छााँट
कर समझिए और शलझखए।
रिी शिक्षा से सम्बस्त्न्धत कु छ व्यंग्य जो द्वििेदी जी द्िारा ददए गए
हैं -
(1) स्त्रियों के शलए पढ़ना कालकू ट और पुरुषों के शलए पीयूष का
घूाँट! ऐसी ही दलीलों और दृष्टांतो के आधार पर कु छ लोग स्त्रियों को
अपढ़ रखकर भारतिषव का गौरि बढ़ाना चाहते हैं।
(2) स्त्रियों का ककया हुआ अनथव यदद पढ़ाने ही का पररणाम है तो
पुरुषों का ककया हुआ अनथव भी उनकी विद्या और शिक्षा का ही
3. पररणाम समझना चादहए।
(3) "आयव पुि, िाबाि! बड़ा अच्छा काम ककया जो मेरे साथ गांधिव-
वििाह करके मुकर गए। नीतत,न्याय, सदाचार और धमव की आप
प्रत्यक्ष मूततवहैं!"
(4) अबि की पत्नी पत्नी-धमव पर व्याख्यान देते समय घंटो पांडडत्य
प्रकट करे, गागी बड़े-बड़े ब्रह्मिाददयों को हरा दे, मंडन शमश्र की
सहधमवचाररणी िंकराचायव के छक्के छु ड़ा दे! गज़ब! इससे अधधक
भयंकर बात और क्या हो सके गी!
(5) स्त्जन पंडडतों ने गाथा-सप्तिती, सेतुबंध-महाकाव्य और
कु मारपालचररत आदद ग्रंथ प्राकृ त में बनाए हैं, िे यदद अपढ़ और
गाँिार थे तो दहंदी के प्रशसद्ध से भी प्रशसद्ध अख़बार का संपादक को
इस ज़माने में अपढ़ और गाँिार कहा जा सकता है; क्योंकक िह अपने
ज़माने की प्रचशलत भाषा में अख़बार शलखता है।
Question 4:
पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृ त भाषा में िोलना क्या उनके अप
ढ़ होने का सिूत है - पाठ के आधारपर रपष्ट कीस्त्जए।
पुराने ज़माने की स्त्रियों द्िारा प्राकृ त में बोलना उनके अपढ़ होने
का प्रमाण नहीं है। स्त्जस तरह आज दहंदी जन साधारण की भाषा है।
यदद दहंदी बोलना और शलखना अपढ़ और अशिक्षक्षत होने का प्रमाण
नहीं है तो उस समय प्राकृ त बोलने िाले भी अपढ़ या गाँिार नहीं हो
सकते। यदद ऐसा होता तो बौद्धों तथा जैनों के हज़ारों ग्रंथ प्राकृ त में
4. क्यों शलखे जाते? इसका एकमाि कारण यही है कक प्राकृ त उस
समय की सिवसाधारण की भाषा थी। अत: उस समय की स्त्रियों का
प्राकृ त भाषा में बोलना उनके अपढ़ होने का सबूत नहीं है।
Question 5:
परंपरा के उन्हीं पक्षों को रवीकार ककया जाना चाहहए जो रिी-
पुरुष समानता को िढ़ाते हों-तकक सहहत उत्तर दीस्त्जए।
रिी तथा पुरुष दोनों ही एक समान हैं। समाज की उन्नतत के शलए
दोनों का सहयोग ज़रुरी है। ऐसे में स्त्रियों का कम महत्ि समझना
गलत है, इसे रोकना चादहए। जहााँ तक परंपरा का प्रश्न है, परंपराओं
का रिरुप पहले से बदल गया है। अत: रिी तथा पुरुष की
असमानता की परंपरा को भी बदलना ज़रुरी है।
Question 6:
ति की शिक्षा प्रणाली और अि की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है?
रपष्ट करें।
पहले की शिक्षा प्रणाली और आज की शिक्षा प्रणाली में बहुत
पररितवन आया है। पहले शिक्षा प्राप्त करने के शलए गुरुकु ल में
रहना ज़रूरी था। परन्तु आज शिक्षा प्राप्त करने के शलए विद्यालय
है। पहले शिक्षा एक िगव तक सीशमत थी। लेककन आज ककसी भी
जातत के तथा िगव के लोग शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।