2. पहले एक प्रेरणादायक कहानी....
एक बार एक बेटी अपने
पपता से शिकायत करती
है कक उसके जीवन में
बहुत कठिनाइयााँ हैं और
वह जानती नहीीं की उन्हें
वह कै से हल करे।
3. पपताजी चुप-चाप सब सुनते
रहे। उन्होंने किर पानी से तीन
बततन भरे, और किर बततनों को
तेज़ आाँच पर रख ठिया। जब
पानी उबलने लगा, तब उन्होंने
एक में आलू, िूसरे में अींडा,
और तीसरे में कॉिी डाल िी।
4. बीस शमनट बाि, पपताजी ने तीनों चीज़ों को पानी
से ननकाला ओर बेटी को उन चीज़ों को गौर से
िेखने को कहा। करीब से िेखने पर पता चला कक
आलू नरम हो गया था, अींडा उबल गया था और
पानी में कॉिी घुल गई थी।
5. पपताजी ने बेटी को अब समझाया कक आलू
पानी में उबलने से पहले कड़क था, लेककन अब
वह नरम हो गया था। अींडा उबलने से पहले
नाज़ुक था, लेककन वह अींिर से बलिाली होकर
ननकाला। कॉिी ने पानी में घुलकर उसका स्वाि
बढाया। बेटी को अब समझ आया। पपताजी ने
किर पूछा, “जब पवपरीत पररस्स्थनतयााँ आपके
िरवाजे पर िस्तक िेती है, तो आप कै से
प्रनतकिया व्यक्त करोगे? आलू की तरह, अींडे की
तरह, या कॉिी की तरह?”
6. कहानी का नैतिक
जीवन में, चीज़ें हमारे आसपास होती है, चीजें
हमको भी होती है, लेककन वास्तव में जो चीज़
मायने रखती है, वह है के वल पररस्स्थनत, उस
पर हमारी प्रनतकिया और उससे शमली सीख।
पररस्स्थनत को अपनाना, उससे सीखना, और
उसे एक सकारात्मक अनुभव बनाना, यही तो
स्ज़न्िगी हैं !!
7. महापुरुर्ों की जुबानी....
oयठि कोई सींघर्त नहीीं है तो कोई प्रगनत नहीीं है।
— फ्रे डररक डगलस
oबबना सींघर्त के िायि ही कोई जूनून है।
—ऐल्बटत कै मस
oसींघर्त वो आहार है स्जससे बिलाव आता है, और
सींघर्त से सबसे अधिक लाभ उिाने का समय तब है
जब वो िीक आपके सामने हो।
— डैनी ड्रेयर