इस पुस्तक में अल्लाह, उसके फरिश्तों, उतकी किताबों, उसके रसूलों, आख़िरत के दिन और अच्छी व बुरी तक़्दीर पर ईमान के विषय में क़ुर्आन व हदीस की रोशनी में अहले सुन्नत वल-जमाअत का अक़ीदा तथा अक़ीदा के लाभ का उल्लेख किया गया है।
5. 3
संक्षिप्त परिचय
अहले सुन्नत वल-जमाअत का अक़ीदाः शैख़
मुह़म्मद बबन सालेह अल-उसैमीन िहह़महुल्लाह क़ी
इस पुस्तक में अल्लाह, उसक
े फ़रिश्तों, उसक़ी
ककताबों, उसक
े िसूलों, आखख़ित क
े हदन औि अच्छी
तथा बुिी तक़्दीि पि ईमान क
े ववषय में क
ु आआन एवं
ह़दीस क़ी िोशनी में अहले सुन्नत वल-जमाअत का
अक़ीदा तथा अक़ीदा क
े लाभ का उल्लेख ककया गया
है।
6. 4
प्रस्तावना
समस्त प्रशंसा क
े वल अल्लाह क
े मलए है, औि दुरूद
तथा सलमा नाज़िल हो उनपि जजनक
े बाद कोई
नबी नहीं आने वाला है, तथा उनक
े परिवाि-परिजन
औि सह़ाबा ककिाम पि।
मुझे ʻअक़ीदाʼ (ववश्वास) संबंधी इस मूल्यवान
संक्षिप्त पुस्तक क़ी सूचना ममली, जजसे हमािे भाई
फ़़िीलतुश शैख़ अल्लामा मुह़म्मद बबन सालेह़ अल-
ओसैमीन ने संकलन ककया है। हमने इस पुस्तक को
शुरू से अन्त तक पढ़वाकि सुना, तो इसे अल्लाह
क़ी तौह़ीद, उसक
े नामों, गुणों, फ़रिश्तों, पुस्तकों,
िसूलों, आखख़ित (पिलोक) क
े हदन औि भाग्य क
े
अच्छे एवं बुिे होने पि ईमान क
े अध्यायों में 'अहले
सुन्नत वल जामाअत' क
े ʻअकायदʼ का ववशाल
संग्रह पाया। इसमें कोई संदेह नहीं कक लेखक
महोदय ने बडी उत्तमता से इसे एकत्र ककया एवं
उपकाि योग्य बनाया है। इस पुस्तक में उन्होंने उन
ची़िों का उल्लेख ककया है, जो एक ववद्याथी एवं
7. 5
साधािण मुसलमान क
े मलए अल्लाह, उसक
े फ़रिश्तों,
ककताबों, िसूलों, अंततम हदन औि भाग्य क
े अच्छे
एवं बुिे होने पि ईमान क
े संबंध में आवश्यक्ता
होती है, तथा इसक
े साथ-साथ उन्होंने अक़ीदा
सम्बन्धी ऐसी लाभजनक बातों का भी वणआन ककया
है, जो कभी-कभी अक़ीदे क
े बािे में मलखी गई बहुत
सािी पुस्तकों में नहीं ममलतीं। अल्लाह तआला
लेखक महोदय को इसका अच्छा बदला दे तथा
मशिापूणआ ज्ञान से सम्मातनत किे। इस पुस्तक तथा
उनक़ी अन्य पुस्तकों को साधािण लोगों क
े मलए
हहतकि एवं लाभदायक बनाए तथा उन्हें, हमें औि
हमािे सभी भाइयों को हहदायत पाने वालों औि ज्ञान
क
े साथ, उसक़ी तिफ़ दअवत देने वालों में बनाये।
तनःसंदेह वह सुनने वाला एवं अत्यन्त तनकट है।
आमीन!
दुरूद एवं सलमाम नाज़िल हो हमािे नबी मुह़म्मद
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम, उनक
े परिवाि-परिजन
एवं सह़ाबा ककिाम पि।
8. 6
अल्लाह तआला क़ी िह़मत एवं
मग़कफ़ित का मभखािी
अब्दुल अ़िी़ि बबन अब्दुल्लाह
बबन बा़ि (िहह़महुल्लाह)
महाध्यि
इस्लामी वैज्ञातनक अनुसंधान, इफ़्ता,
दावह् तथा मागआदशआन संस्थान, रियाद,
सऊदी अिब
9. 7
भूममका
समस्त प्रशंसा सािे जहान क
े पालनहाि क
े मलए है,
अजन्तम सफलता अल्लाह से डिने वालों क
े मलए है
औि अत्याचाि क
े वल अत्याचारियों पि है। मैं गवाही
देता हूूँ कक अल्लाह क
े अततरिक्त कोई सत्य मअबूद
(पूज्य) नहीं है, वह अक
े ला है, असका कोई शिीक
(साझी) नहीं, वह ममलक (बादशाह) है, ह़क़्क (सत्य)
है, मुबीन (प्रकट किने वाला) है। औि गवाही देता हूूँ
कक मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम, उसक
े
बन्दे तथा उसक
े िसूल (संदेष्टा) हैं, जो समस्त
नबबयों में अजन्तम हैं औि सदाचारियों क
े अगुवा हैं।
अल्लाह तआला क़ी कृ पा नाज़िल हो उनपि, उनक
े
परिवाि-परिजन पि, उनक
े अस्ह़ाब (साथथयों) पि
औि बदले क
े हदन तक भलाई क
े साथ उनका
अनुसिण किने वालों पि। अम्मा बाद!
अल्लाह तआला ने अपने िसूल मुह़म्मद सल्लल्लाहू
अलैहह व सल्लम को हहदायत (मागआदशआन) तथा
सत्य धमआ देकि, सम्पूणआ जगत क
े मलए िह़मत
10. 8
(कृ पा), अच्छे कमआ किने वालों क
े मलए आदशआ तथा
तमाम बन्दों पि ह़ुज्जत (प्रमाण) बनाकि भेजा।
आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क
े ़िरिया तथा
आपपि अवतरित पुस्तक (क
ु आआन) द्वािा अल्लाह
तआला ने वह सब क
ु छ बयान कि हदया, जजसमें
बन्दों क
े मलए कल्याण तथा उनक
े सांसरिक एवं
धाममआक मामलों क़ी भलाई तनहहत है। जैसे सही
अकायद, पुण्य क
े कमआ, उत्तम आचिण तथा
नैततकता से परिपूणआ सभ्यता।
तथा प्यािे नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम अपनी
उम्मत को उस प्रकाशमान मागआ पि छोडकि इस
संसाि से गये हैं, जजसक़ी िात भी हदन क़ी तिसह
प्रकाशमान है, क
े वल क
ु कमी एवं पापी ही इस मागआ
से भटक सकता है।
चुनांचे इस मागआ पि आपक़ी उम्मत क
े वह लोग
दृढ़ता से कायम िहे, जजन्होंने अल्लाह औि उसक
े
िसूल सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क
े आह्वान को
स्वीकाि ककया। वह सह़ाबए ककिाम, ताबेईने इ़िाम
औि सुचारु रूप से उनका अनुसिण किने वालों क़ी
11. 9
जमाअत थी। वे, सभी मनुष्यों में श्रेष्ठ एवं शुध्द
आत्मा वाले थे। उन्होंने प्यािे नबी सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम क़ी शिीअत क
े अनुसाि कमआ ककये,
सुन्नत को दृढ़ता से थामे िखा औि अक़ीदा,
उपासना (इबादत) तथा सदव्यवहाि को पूणआतः अपने
ऊपि लागू ककया। इसीमलए वे, वह कल्याणकािी दल
घोवषत हुए, जो सदा सत्य पि जस्थि िहेंगे, उनका
वविोध एवं तनन्दा किने वाले उन्हें कोई हातन नहीं
पहुूँचा सकते, यहाूँ तक कक महाप्रलय आ जाएगी
औि वह इसी मागआ पि कायम िहेंगे।
औि हम भी –अल्-ह़मदु मलल्-लाह- उन्हीं क
े मागआ
पि चल िहे हैं तथा उनक
े तिीक
े को अपनाये हुए हैं,
जजसे अल्लाह क़ी ककताब औि िसूल क़ी सुन्नत का
समथआन प्राप्त है। हम इसक़ी चचाआ अल्लाह क़ी
नेमत को बयान किने क
े मलए औि यह बताने क
े
मलए कि िहे हैं कक हि ईमानदाि पि आवश्यक है
कक वह इस तिीक
े को अपनाये।
हम अल्लाह तआला से दुआ किते हैं कक हमें तथा
हमािे मुसलमान भाइयों को लोक-पिलोक में
12. 10
ʻकमलमए तौह़ीदʼ पि दृढ़ता क
े साथ कायम िखे
तथा हमें अपनी कृ पा से सम्मातनत किे। तनःसंदेह
वह बहुत ही दया एवं कृ पा किने वाला है।
इस ववषय क
े महत्व को सामने िखकि औि इस
बािे में लोगों क़ी प्रवृजत्त क़ी ववभजक्त क
े कािण मैंने
बेहति समझा कक अहले सुन्नत वल-जमाअत क
े
अक़ीदे को, जजस पि हम चल िहे हैं, संक्षिप्त तौि
पि मलवपबध्द कि दूूँ। अहले सुन्नत वल-जमाअत
का अक़ीदा हैः अल्लाह तआला, उसक
े फ़रिश्तों,
उसक़ी ककताबों, उसक
े िसूलों, कयामत क
े हदन एवं
भाग्य क
े अच्छे एवं बुिे होने पि ईमान लाना।
मैं अल्लाह तआला से दुआ किता हूूँ कक वह इस
कायआ को मसफ
आ अपने मलए किने का सामर्थयआ दे,
इसका शुमाि वप्रय कमों में किे तथा अपने बन्दों क
े
मलए लाभदायक बनाये। आमीन या िब्बल आलमीन!
13. 11
अध्यायः 1
हमािा अक़ीदा (ववश्वास)
हमािा अक़ीदाः अल्लाह, उसक
े फ़रिश्तों, उसक़ी
ककताबों, उसक
े िसूलों, आखख़ित क
े हदन औि
तकदीि क़ी भलाई-बुिाई पि ईमान लाना।
अल्लाह तआला पर ईमान
हम अल्लाह तआला क़ी ʻरुबूबबयतʼ पि ईमान िखते
हैं। अथाआत इस बात पि ववश्वास िखते हैं कक क
े वल
वही पालने वाला, पैदा किने वाला, हि ची़ि का
स्वामी तथा सभी कायों का उपाय किने वाला है।
औि हम अल्लाह तआला क़ी ʻउलूहहयतʼ (पूज्य
होने) पि ईमान िखते हैं। अथाआत इस बात पि
ववश्वास िखते हैं कक वही सच्चा मअबूद है औि
उसक
े अततरिक्त तमाम मअबूद असत्य तथा बाततल
हैं।
अल्लाह तआला क
े नामों तथा उसक
े गुणों पि भी
हमािा ईमान है। अथाआत इस बात पि हमािा ववश्वास
14. 12
है कक अच्छे से अच्छे नाम औि उच्चतम तथा
पूणआतम गुण उसी क
े मलए हैं।
औि हम इन मामलों में उसक़ी वह़दातनय
(एकत्ववाद) पि ईमान िखते हैं। अथाआत इस बात
पि ईमान िखते हैं कक उसक़ी रूबूबबयत, उलूहहयत
तथा असमा व मसफ़ात (नाम व गुण) में उसका
कोई शिीक नहीं। अल्लाह तआला ने फ़िमायाः
﴿
ِۦهِتَدَٰ َ
بِعِل أ
ِ
ِب َ
ط أ
ٱصَو ُهأدُب
أ
ٱع
َ
ف اَمُهَنأيَب اَمَو ِ
ۡرض
َ أ
ٱۡلَو ِ
تَٰ َوَٰ َم َّٱلس ُّ
بَّر
أ
ل
َ
ه
﴾1
ايِمَس ۥُ َ
َل ُم
َ
لأع
َ
ت
“वह आकाशों एवं धिती का तथा जो क
ु छ उन दोनों
क
े बीच है, सबका प्रभु है, इसमलए उसीक़ी उपासना
किो तथा उसीक़ी उपासना पि दृढ़ िहो। क्या तुम
उसका कोई समनाम जानते हो?”
औि हमािा ईमान है ककः
﴿
ٱ
ةَِنس ۥُه
ُ
ذ
ُ
خ
أ
أ
َ
ت
َ
َل ُومُّي
َ
ق
أ
ٱل ُّ َ
َح
أ
ٱلَو
ُ
ه
َّ
َلِإ َهََٰ
لِإ
ٓ َ
َل ُ َّ
َّلل
مأو
َ
ن
َ
َلَو
ِ
ِف اَم ۥُ َّ
َل
ِ
تَٰ َوَٰ َم َّٱلس
اَم ُم
َ
لأعَي ِۦهِن
أ
ذِإِب
َّ
َلِإ ٓۥُهَِندع ُع
َ
ف
أ
شَي ِي
َّ
ٱَّل ا
َ
ذ نَم ِۗ ِ
ۡرض
َ أ
ٱۡل ِ
ِف اَمَو
1 सूिह मयआमः 65
15. 13
ء أ َ
َشِب
َ
ون ُ
ِيط
ُ
ُي
َ
َلَو ۡۖأمُه
َ
ف
أ
ل
َ
خ اَمَو أمِهِيدأي
َ
أ َ أ
ۡيَب
َّ
َلِإ ِٓۦهِم
أ
ِلع أِنم
َو ِ
تَٰ َوَٰ َم َّٱلس ُهُِّيسأر
ُ
ك َِعسَو َء
ٓ
ا
َ
ش اَمِب
َ
ي
َ
َلَو ۡۖ
َ
ۡرض
َ أ
ٱۡل
ُ
ُّ ِ
ِلَع
أ
ٱل َو
ُ
هَو اَمُه
ُ
ظ
أ
ِفح ۥُه
ُ
ود
ُيمِظَع
أ
ٱل
2
﴾
“अल्लाह तआला ही सत्य मअबूद है, उसक
े
अततरिक्त कोई उपासना क
े योग्य नहीं। वह जीववत
है। सदैव स्वयं जस्थि िहने वाला है। उसे न ऊ
ूँ घ
आती है औि न ही नींद। जो क
ु छ आकाशों तथा
धिती में है, उसी का है। कौन है, जो उसक़ी आज्ञा
क
े बबना उसक
े सामने ककसी क़ी मसफ़ारिश
(अमभस्ताव) कि सक
े ? जो क
ु छ लोगों क
े सामने हो
िहा है तथा जो क
ु छ उनक
े पीछे हो चुका है, वह
सब जानता है। औि वह उसक
े ज्ञान में से ककसी
ची़ि का घेिा नहीं कि सकते, पिन्तु वह जजतना
चाहे। उसक़ी क
ु सी क़ी परिथध ने आकाश एवं धिती
को घेिे में ले िखा है। तथा उसक
े मलए इनक़ी ििा
कहठन नहीं। वह तो उच्च एवं महान है।”
औि हमािा ईमान है ककः
2 सूिह अल्-बकिाः 255
16. 14
﴿
ُِيمحَّٱلر ُنَٰ َمأحَّٱلر َو
ُ
هِِۖةَدَٰ َه
َّ
ٱلشَو ِ
بأي
َ
غ
أ
ٱل ُِملَٰ َ
عۡۖ
َو
ُ
ه
َّ
َلِإ َهََٰ
لِإ
ٓ َ
َل ِي
َّ
ٱَّل ُ َّ
ٱَّلل َو
ُ
ه
٢٢
َو
ُ
ه
ٓ َ
َل ِي
َّ
ٱَّل ُ َّ
ٱَّلل
ُ
ِكلَم
أ
ٱل َو
ُ
ه
َّ
َلِإ َهََٰ
لِإ
ُنِمأيَهُم
أ
ٱل ُِنم
أ
ؤُم
أ
ٱل ُمَٰ َ
ل َّٱلس ُ
وسُّد
ُ
ق
أ
ٱل
َ
ون
ُ
كِ
أ
ۡشُي اَّم
َ
ع ِ
َّ
ٱَّلل َنَٰ َ
حأبُس ُ
ِ
ِب
َ
كَتُم
أ
ٱل ُارَّبَ أ
ٱۡل ُيزِزَع
أ
ٱل
٢٣
ُِقلَٰ َ
خ
أ
ٱل ُ َّ
ٱَّلل َو
ُ
ه
ى َٰ َ
ن أسُ أ
ٱۡل ُء
ٓ
اَمأس
َ أ
ٱۡل ُ َ
َلۡۖ ُرِو َ
صُم
أ
ٱل
ُ
ئِارَ أ
ٱۡل
ِۖ ِ
ۡرض
َ أ
ٱۡلَو ِ
تَٰ َوَٰ َم َّٱلس ِ
ِف اَم ۥُ َ
َل ُحِب َسُي
ُِيمكَ أ
ٱۡل ُيزِزَع
أ
ٱل َو
ُ
هَو
3
﴾
“वही अल्लाह है, जजसक
े अततरिक्त कोई सत्य
मअबूद नहीं। प्रोि तथा प्रत्यि का जानने वाला है।
वह बहुत बडा दयावान एवं अतत कृ पालु है। वह
अल्लाह है, जजसक
े अततरिक्त कोई उपासना क
े
योग्य नहीं। स्वामी, अत्यंत पववत्र, सभी दोषों से
मुक्त, शाजन्त किने वाला, ििक, बमलष्ठ,
प्रभावशाली है। लोग जो साझीदाि बनाते हैं, अल्लाह
उससे पाक एवं पववत्र है। वही अल्लाह सृजष्टकताआ,
आववष्कािक, रूप देने वाला है। अच्छे-अच्छे नाम
उसी क
े मलए हैं। आकाशों एवं धिती में जजतनी ची़िें
हैं, सब उसक़ी तस्बीह़ (पववत्रता) बयान किती हैं
औि वही प्रभावशाली एवं हह़क्मत वाला है।”
3 सूिह अल्-ह़श्रः 22-24
17. 15
औि हमािा ईमान है कक आकाशों तथा धिती का
िाजत्व उसी क
े मलए हैः
﴿
ُ
ك
أ
لُمِ
َّ
ِ
َّلل
َ
شَي نَِمل ُ
بَهَي ُء
ٓ
ا
َ
شَي اَم ُ
ق
ُ
ل
أ َ
َي ى ِ
ۡرض
َ أ
ٱۡلَو ِ
تَٰ َوَٰ َم َّٱلس
ُ
بَهَيَو اثَٰ َ
نِإ ُء
ٓ
ا
َور
ُ
ك
ُّ
ٱَّل ُء
ٓ
ا
َ
شَي نَِمل
٤٩
اًيمِق
َ
ع ُء
ٓ
ا
َ
شَي نَم
ُ
لَعأجَيَوۡۖاثَٰ َ
ِإَون اانَر
أ
ك
ُ
ذ أمُهُجِوَزُي أو
َ
أ
ِيرد
َ
ق ِيمل
َ
ع ۥُه
َّ
نِإ
4
﴾
“आकाशो एवं धिती क़ी बादशाही क
े वल उसी क
े
मलए है। वह जो चाहे पैदा किता है, जजसे चाहता है
बेहटयाूँ देता है औि जजसे चाहता है बेटा देता है, या
उनको बेटे औि बेहटयाूँ दोनों प्रदान किता है औि
जजसे चाहता है तनःसंतान िखता है। तनःसंदेह वह
जानने वाला तथा शजक्त वाला है।”
औि हमािा ईमान है ककः
﴿
ُري ِ
صَ أ
ٱۡل ُيعِم َّٱلسَو
ُ
هَوۡۖء أ َ
َش ِۦهِل
أ
ثِم
َ
ك َ
سأي
َ
ل
١١
ٱل ُد ِ
اِل
َ
قَم ۥُ َ
َل
ِتَٰ َوَٰ َم َّس
﴾5
ِيمل
َ
ع ٍء أ َ
َش ِل
ُ
كِب ۥُه
َّ
نِإ ُِرد
أ
قَيَو ُء
ٓ
ا
َ
شَي نَِمل
َ
قأزِٱلر ُ
ط ُسأبَي ِۖ ِ
ۡرض
َ أ
ٱۡلَو
4 सूिह अश्-शूिाः 49-50
5 सूिह अश्-शूिाः 1 1 -1 2
18. 16
“उस जैसी कोई ची़ि नहीं, वह ख़ूब सुनने वाला,
देखने वाला है। आकाशों एवं धिती क़ी क
ुं जजयाूँ उसी
क
े पास हैं। वह जजसक
े मलए चाहता है, जीववका
ववस्तृत कि देता है तथा (जजसक
े मलए चाहता है)
थोडा कि देता है। तनःसंदेह वह प्रत्येक वस्तु का
जानने वाला है।”
औि हमािा ईमान है ककः
﴿
ةَّٓاب
َ
د ِنم اَمَو
ٱ
َ َ
لَع
َّ
َلِإ ِ
ۡرض
َ أ
ٱۡل ِ
ِف
ا
َ
هَّر
َ
قَت أسُم ُم
َ
لأعَيَو اَه
ُ
قأزِر ِ
َّ
َّلل
ُ
ك اَه
َ
ع
َ
دأوَت أسُمَو
بَٰ َ
ِتك ِ
ِف
ۡيِبُّم
6
﴾
“धिती पि कोई चलने-कफिने वाला नहीं, मगि
उसक़ी जीववका अल्लाह क
े ज़िम्मे है। वही उनक
े
िहने-सहने का स्थान भी जानता है तथा उनको
अवपआत ककये जाने का स्थान भी। यह सब क
ु छ खुली
ककताब (लौह़े मह़फ़
ू ़ि) में मौजूद है।”
औि हमािा ईमान है ककः
6 सूिह हूदः 6
19. 17
﴿
اَمَو ىِرأحَ أ
ٱۡلَو ِ
َ
ِب
أ
ٱل ِ
ِف اَم ُم
َ
لأعَيَو َو
ُ
ه
َّ
َلِإ
ٓ
اَهُم
َ
لأعَي
َ
َل ِبأي
َ
غ
أ
ٱل ُِحتا
َ
فَم ۥُهَِندعَو
ةَّبَح
َ
َلَو اَهُم
َ
لأعَي
َّ
َلِإ ٍة
َ
قَرَو ِنم ُ
ط
ُ
ق أس
َ
ت
ِ
تَٰ َم
ُ
ل
ُ
ظ ِ
ِف
ب أ
طَر
َ
َلَو ِ
ۡرض
َ أ
ٱۡل
َ
َلَو
بَٰ َ
ِتك ِ
ِف
َّ
َلِإ ٍ
سِابَي
ۡيِبُّم
7
﴾
“तथा उसी क
े पास पिोि क़ी क
ुं जजयाूँ हैं, जजनको
उसक
े अततरिक्त कोई नहीं जानता। तथा उसे थल
एवं जल क़ी तमाम ची़िों का ज्ञान है। तथा कोई
पत्ता भी झडता है तो वह उसको जानता है। तथा
धिती क
े अन्धेिों में कोई अन्न तथा हिी या सूखी
ची़ि नहीं, मगि उसका उल्लेख खुली ककताब (लौह़े
मह़फ़
ू ़ि) में है।”
औि हमािा ईमान है ककः
﴿
اَمَوِِۖامَحأر
َ أ
ٱۡل ِ
ِف اَم ُم
َ
لأعَيَو
َ
ثأي
َ
غ
أ
ٱل
ُ
لِ
َ
نُيَو ِة
َ
اع َّٱلس ُم
أ
ِلع ۥُهَِندع َ َّ
ٱَّلل
َّ
نِإ
س
أ
ف
َ
ن يِرأد
َ
ت
د
َ
غ ُ
ِبس
أ
ك
َ
ت ا
َ
اذَّم
ۡۖا
ۡرض
َ
أ ِي
َ
أِب ُۢ ُ
س
أ
ف
َ
ن يِرأد
َ
ت اَمَو
َّ
نِإ ُ
وتُم
َ
ت
ٱ
ُۢ ُريِب
َ
خ ٌِيمل
َ
ع َ َّ
َّلل
8
﴾
7 सूिह अल्-अन ्आमः 59
8 सूिह लुक़्मानः 34
20. 18
“तनःसंदेह अल्लाह ही क
े पास कयामत (महाप्रलय)
का ज्ञान है। तथा वही वषाआ देता है, तथा जो क
ु छ
गभाआशय में है (उसक़ी वास्तववकता) वही जानता है,
तथा कोई नहीं जानता कक कल क्या कमायेगा, तथा
कोई जीवधािी नहीं जानता कक धिती क
े ककस िेत्र
में उसक़ी मृत्यु होगी। तनःसंदेह अल्लाह ही पूणआ
ज्ञान वाला एवं सही ख़बिों वाला है।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला जो चाहे,
जब चाहे तथा जैसे चाहे, कलाम (बात) किता है।
﴾9
اِيمل
أ
ك
َ
ت َٰ َ
وَسُم ُ َّ
ٱَّلل َم
َّ َ
َكَ﴿و
“औि अल्लाह ने मूसा अलैहहस्सलाम से बात क़ी।”
﴾10ُهُّبَر ۥُهَم
َّ َ
َكَو اَنِتَٰ َ
يقِمِل َٰ َ
وَسُم َء
ٓ
اَج اَّم
َ
لَ﴿و
“औि जब मूसा अलैहहस्सलाम हमािे समय पि (तूि
पहाड पि) आये औि उनक
े िब ने उनसे बातें क़ीं।”
﴾11
ايِ
َ
َن ُهَٰ َ
نأبَّر
َ
قَو ِنَمأي
َ أ
ٱۡل ِور ُّ
ٱلط ِ
ِبناَج ِنم ُهَٰ َ
نأيَدَٰ َ
نَ﴿و
9 सूिह तनसाः 1 64
10 सूिह अल्-आिाफ़ः 1 43
21. 19
“औि हमने उनको तूि क़ी दायें ओि से पुकािा औि
गुप्त बात कहने क
े मलए तनकट बुलाया।”
औि हमािा ईमान है ककः
﴿
ادَِدم ُرأحَ أ
ٱۡل
َ
ن
َ
َك أو
َّ
ل
َدِفَ َ
َل ِ
ّبَر ِ
تَٰ َِم
َ
َِكل ا
ُ
تَٰ َِم
َ
َك َد
َ
نف
َ
ت ن
َ
أ
َ
لأب
َ
ق ُرأحَ أ
ٱۡل
﴾12
ادَدَم ِۦهِل
أ
ثِمِب اَنأئِج أو
َ
لَو ِ
ّبَر
“यहद समुद्र मेिे प्रभु क़ी बातों को मलखने क
े मलए
स्याही बन जाय, तो पूवआ इसक
े कक मेिे प्रभु क़ी बातें
समाप्त हों, समुद्र समाप्त हो जाय।”
﴿
َّ
ن
َ
أ أو
َ
لَو
مَٰ َ
ل
أ
ق
َ
أ ٍةَرَج
َ
ش ِنم ِ
ۡرض
َ أ
ٱۡل ِ
ِف اَم
ُ
ةَعأبَس ِۦهِدأعَب ُۢنِم ۥُهُّدُمَي ُرأحَ أ
ٱۡلَو
رُ أ
ۡب
َ
أ
ِ
َّ
ٱَّلل ُ
تَٰ َِم
َ
َك
أ
تَدِف
َ
ن اَّم
ِيمكَح ٌيزِز
َ
ع َ َّ
ٱَّلل
َّ
نِإ
13
﴾
“यहद ऐसा हो कक धिती पि जजतने वृि हैं, सब
कलम हों तथा समुद्र स्याही हो तथा उसक
े बाद
सात समुद्र औि स्याही हो जायें, कफि भी अल्लाह
11 सूिह मयआमः 52
12 सूिह अल्-कह्फ़ः 1 09
13 सूिह लुक़्मानः 27
22. 20
क़ी बातें समाप्त नहीं हो सकतीं। तनःसंदेह अल्लाह
प्रभावशाली एवं हह़क्मत वाला है।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला क़ी बातें
सूचनाओं क
े एतबाि से पूणआतः सत्य, ववथध-ववधान
क
े एतबाि से न्याय संबमलत तथा सब बातों से
सुन्दि हैं। अल्लाह तआला ने फ़िमायाः
﴾14
َلأد
َ
عَو اقأد ِص
َ
كِبَر ُ
تَِم
َ
َك أ
تَّم
َ
تَ﴿و
“तथा तुम्हािे प्रभु क़ी बातें सत्य एवं न्याय से
परिपूणआ हैं।”
औि फ़िमायाः
﴾15
اِيثدَح ِ
َّ
ٱَّلل َِنم
ُ
قَد أ
ص
َ
أ أنَمَ﴿و
“तथा अल्लाह से बढ़कि सत्य बात कहने वाला
कौन है?”
तथा हम इस पि भी ईमान िखते हैं कक क
ु आआन
किीम अल्लाह का शुभ कथन है। तनःसंदेह उसने
14 सूिह अल्-अन ्आमः 1 1 5
15 सूिह अन ्-तनसाः 87
23. 21
बात क़ी औि जजब्रील अलैहहस्सलाम पि ʻइल्काʼ
(वह बात जो अल्लाह ककसी क
े हदल में डालता है)
ककया, कफि जजब्रील अलैहहस्सलाम ने प्यािे नबी क
े
हदल में उतािा। अल्लाह तआला ने फ़िमायाः
﴾16
ِقَ أ
ٱۡلِب
َ
كِبَّر ِنم ِ
سُد
ُ
ق
أ
ٱل ُوحُر ۥُ َ
َلَّز
َ
ن
أ
ل
ُ
﴿ق
“कह दीजजए, उसको ʻरूह़ूल क
ु दुसʼ (जजब्रील
अलैहहस्सलाम) तुम्हािे प्रभु क़ी ओि से सत्यता क
े
साथ लेकि आये हैं।”
﴿
ِ
بَر
ُ
يلِنَ َ
َل ۥُه
َّ
ِإَون
َۡيِم
َ
لَٰ َ
ع
أ
ٱل
١٩٢
ِهِب
َ
لَز
َ
ن
ُِۡيم
َ أ
ٱۡل ُوحُّٱلر
١٩٣
َ
كِب
أ
ل
َ
ق َٰ َ َ
لَع
﴾17
ۡيِبُّم ِ
ّبَر
َ
ع ٍان َِسلِب ١٩٤ َينِِرذنُم
أ
ٱل َِنم
َ
ون
ُ
كَ َِل
“औि यह (पववत्र क
ु आआन) सािे जहान क
े पालनहाि
क़ी ओि से अवतरित ककया हुआ है, जजसे लेकि
ʻरूह़ुल अमीनʼ (जजब्रील अलैहहस्सलाम) आये, तुम्हािे
हदल में डाला, ताकक तुम लोगों को डिाने वालों में
से हो जाओ। (यह क
ु आआन) स्वच्छ अिबी भाषा में
है।”
16 सूिह अन ्-नह़्लः 1 02
17 सूिह अश्-शुअिाः 1 92-1 95
24. 22
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला अपनी
़िात एवं गुणों में अपनी सृजष्ट से ऊ
ूँ चा है। उसने
स्वयं फ़िमायाः
﴾18ُيمِظَع
أ
ٱل ُّ ِ
ِلَع
أ
ٱل َو
ُ
هَ﴿و
“वह बहुत उच्च एवं बहुत महान है।”
औि फ़िमायाः
﴾19ُريِبَ أ
ٱۡل ُِيمكَ أ
ٱۡل َو
ُ
هَو ِۦهِداَِبع
َ
قأو
َ
ف ُِرها
َ
ق
أ
ٱل َو
ُ
هَ﴿و
“तथा वह अपने बन्दों पि प्रभावशाली है, औि वह
बडी हह़क्मत वाला औि पूिी ख़बि िखने वाला है।”
औि हमािा ईमान है ककः
﴿
ٱ ُم
ُ
كَّبَر
َّ
نِإ
امَّي
َ
أ ِةَِّتس ِ
ِف
َ
ۡرض
َ أ
ٱۡلَو ِ
تَٰ َوَٰ َم َّٱلس َ
ق
َ
ل
َ
خ ِي
َّ
ٱَّل ُ َّ
َّلل
َّم
ُ
ث
﴾20
ۡۖ َرأم
َ أ
ٱۡل ُرِبَدُي ِۖ ِ
شأرَع
أ
ٱل
َ َ
لَع َٰىَوَتأٱس
18 सूिह अल्-बकिाः 1 55
19 सूिह अल्-अन ्आमः 1 8
20 सूिह यूनुसः 3
25. 23
“तनःसंदेह तुम्हािा पालक अल्लाह ही है, जजसने
आकाशों तथा धिती को छः हदनों में बनाया, कफि
अशआ पि उच्चय हुआ, वह प्रत्येक कायआ क़ी व्यवस्था
किता है।”
अल्लाह तआला क
े अशआ पि उच्चय होने का अथआ
यह है कक अपनी ़िात क
े साथ उसपि बुलंद व
बाला हुआ, जजस प्रकाि क़ी बुलंदी उसक़ी शान तथा
महानता क
े योग्य है, जजसक़ी जस्थतत का ववविण
उसक
े अततरिक्त ककसी को मालूम नहीं।
औि हम इस पि भी ईमान िखते हैं कक अल्लाह
तआला अशआ पि िहते हुए भी (अपने ज्ञान क
े
माध्यम से) अपनी सृजष्ट क
े साथ होता है। उनक़ी
दशाओं को जानता है, बातों को सुनता है, कायों को
देखता है तथा उनक
े सभी कायों का उपाय किता है,
मभिुक को जीववका प्रदान किता है, तनबआल को
शजक्त एवं बल देता है, जजसे चाहे सम्मान देता है
औि जजसे चाहे अपमातनत किता है, उसी क
े हाथ में
कल्याण है औि वह प्रत्येक ची़ि पि सामर्थयआ िखता
है। औि जजसक़ी यह शान हो, वह अशआ पि िहते हुए
26. 24
भी (अपने ज्ञान क
े माध्यम से) ह़क़ीकत में अपनी
सृजष्ट क
े साथ िह सकता है।
﴾21ُري ِ
صَ أ
ٱۡل ُيعِم َّٱلس َو
ُ
هَوۡۖء أ َ
َش ِۦهِل
أ
ثِم
َ
ك َ
سأي
َ
﴿ل
“उस जैसी कोई ची़ि नहीं। वह ख़ूब सुनने वाला,
देखने वाला है।”
लेककन हम जहममया समुदाय क
े एक कफ़काआ
ह़ुलूमलया क़ी तिह यह नहीं कहते कक वह धिती में
अपनी सृजष्ट क
े साथ है। हमािा ववचाि यह है कक
जो व्यजक्त ऐसा कहे, वह या तो गुमिाह है या कफि
काकफ़ि। क्योंकक उसने अल्लाह तआला को ऐसे
अपूणआ गुणों क
े साथ ववशेवषत कि हदया, जो उसक़ी
शान क
े योग्य नहीं हैं।
औि हमािा, प्यािे नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
क़ी बताई हुई इस बात पि भी ईमान है कक अल्लाह
तआला हि िात, आखख़िी ततहाई में, पृर्थवी से तनकट
आकाश पि नाज़िल होता है औि कहता हैः (( कौन
है, जो मुझे पुकािे कक मैं उसक़ी पुकाि सुनूूँ? कौन
21 सूिह अश्-शूिाः 1 1
27. 25
है, जो मुझसे माूँगे कक मैं उसको दूूँ? कौन है, जो
मुझसे माफ़़ी तलब किे कक मैं उसे माफ़ कि दूूँ?))
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला कयामत
क
े हदन बन्दों क
े बीच फ़
ै सला किने क
े मलए
आयेगा। अल्लाह तआला ने फ़िमायाः
﴿
ۡۖ
ٓ َّ َ
َك
اك
َ
د اك
َ
د
ُ
ۡرض
َ أ
ٱۡل ِ
ت
َّ
ك
ُ
د ا
َ
ذِإ
٢١
اف َ
ص اف َ
ص
ُ
ك
َ
لَم
أ
ٱلَو
َ
كُّبَر َء
ٓ
اَجَو
٢٢
اِجَو
َمَّنَهَ
ِ
ِب ِۢذِئَمأوَي َءٓي
َٰ َّ
ّن
َ
أَو ُنَٰ َ
نسِ
أ
ٱۡل ُر
َّ
ك
َ
ذَتَي ذِئَمأوَي
ىَر
أ
ِكٱَّل ُ َ
َل
22
﴾
“तनःसंदेह जब धिती क
ू ट-क
ू ट कि समतल कि दी
जायेगी, तथा तुम्हािा िब (प्रभु) आयेगा औि फ़रिश्ते
पंजक्तबध्द होकि आयेंगे, तथा उस हदन निक
(दो़िख़) को लाया जायेगा, तो मनुष्य को उस हदन
मशिा ग्रहण किने से क्या लाभ होगा?”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआलाः
﴾23 ُيدِرُي اَِمل الَّع
َ
﴿ف
“वह जो चाहे उसे कि देने वाला है।”
22 सूिह अल्-फ़ज्रः 21 -23
23 सूिह अल्-बुरूजः 1 6
28. 26
औि हम इसपि भी ईमान िखते हैं कक उसक
े इिादे
क़ी दो ककस्में हैं:
1. इिादए कौतनयाः
इसी से अल्लाह तआला क़ी इच्छा अमल में आती
है। अल्बत्ता यह ़िरूिी नहीं कक यह उसे पसंद भी
हो। यही इिादा है, जो ʻमशीयते इलाहीʼ अथाआत
ʻईश्विेच्छाʼ कहलाती है। जैसा कक अल्लाह तआला
का फ़िमान हैः
﴿
اَم
ُ
لَع
أ
فَي َ َّ
ٱَّلل َّنِكََٰ
لَو وا
ُ
لَتَت
أ
ٱق اَم ُ َّ
ٱَّلل َء
ٓ
ا
َ
ش أو
َ
لَو
﴾24 ُيدِرُي
“औि यहद अल्लाह चाहता, तो यह लोग आपस में
न लडते, ककन्तु अल्लाह जो चाहता है, किता है।”
﴿
ُيدِرُي ُ َّ
ٱَّلل
َ
ن
َ
َك نِإ أم
ُ
ك
َ
ل َح َ
نص
َ
أ
أ
ن
َ
أ
ُّ
دتَر
َ
أ
أ
نِإ ٓ ِ
َح أ
ص
ُ
ن أم
ُ
كُع
َ
نفَي
َ
َلَو
ن
َ
أ
أم
ُ
كَيِو
أ
غُي
َ
ونُعَجأر
ُ
ت ِهأ َ
ِإَوِل أم
ُ
كُّبَر َو
ُ
ه
﴾
25
24 अल्-बकिाः 253
25 सूिह हूदः 34
29. 27
“तुम्हें मेिी शुभथचन्ता क
ु छ भी लाभ नहीं पहुूँचा
सकती, चाहे मैं जजतना ही तुम्हािा शुभथचन्तक क्यों
न हूूँ, यहद अल्लाह क़ी इच्छा तुम्हें भटकाने क़ी हो।
वही तुम सबका प्रभु है तथा उसी क़ी ओि लौटकि
जाओगे।”
2. इिादए शिईयाः
आवश्यक नहीं कक यह प्रकट ही हो जाये। औि
इसमें उहिष्ट ववषय अल्लाह को वप्रय ही होता है।
जैसा कक अल्लाह तआला ने फ़िमायाः
﴾26أم
ُ
كأي
َ
ل
َ
ع َ
وبُتَي ن
َ
أ ُيدِرُي ُ َّ
ٱَّللَ﴿و
“औि अल्लाह तआला चाहता है कक तुम्हािी तौबा
कबूल किे।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला का इिादा
चाहे ʻकौनीʼ हो या ʻशिईʼ, उसक़ी हह़क्मत क
े
अधीन है। अतः हि वह कायआ, जजसका फ़
ै सला
अल्लाह तआला ने अपनी इच्छानुसाि मलया अथवा
26 सूिह अन ्-तनसाः 27
30. 28
उसक़ी सृजष्ट ने शिई तौि पि उसपि अमल ककया,
वह ककसी हह़क्मत क
े कािण तथा हह़क्मत क
े
मुताबबक होता है। चाहे हमें उसका ज्ञान हो अथवा
हमािी बुजध्द उसको समझने में असमथआ हो।
﴾27 َۡيِمِكَٰ َ
ح
أ
ٱل ِم
َ
كأح
َ
أِب ُ َّ
ٱَّلل َ
سأي
َ
ل
َ
﴿أ
“क्या अल्लाह समस्त ह़ाककमों का ह़ाककम नहीं है?”
﴾28 َ
ونُِنقوُي مأو
َ
ِقل ام
أ
كُح ِ
َّ
ٱَّلل َِنم ُن َسأح
َ
أ أنَمَ﴿و
“तथा जो ववश्वास िखते हैं, उनक
े मलए अल्लाह से
बढ़कि उत्तम तनणआय किने वाला कौन हो सकता
है?”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला अपने
औमलया से मुह़ब्बत किता है तथा वह भी अल्लाह
से मुह़ब्बत किते हैं।
﴾29ُ َّ
ٱَّلل ُم
ُ
كأبِب
أ ُ
ُي ِ
وِنُعِب
َّ
ٱت
َ
ف َ َّ
ٱَّلل
َ
ونُِّب
ُ
ُت أمُنت
ُ
ك نِإ
أ
ل
ُ
﴿ق
27 सूिह अत ्-तीनः 8
28 सूिह अल्-माइदाः 50
29 सूिह आले-इम्रानः 31
31. 29
“कह दीजजए कक यहद तुम अल्लाह से मुह़ब्बत किते
हो, तो मेिा अनुसिण किो, अल्लाह तुमसे मुह़ब्बत
किेगा।”
﴾30
ۥُه
َ
ونُّبِحُيَو أمُهُِّب
ُ
ُي مأو
َ
قِب ُ َّ
ٱَّلل ِ
ِت
أ
أَي
َ
فأو َس
َ
﴿ف
“तो अल्लाह तआला ऐसे लोगों को पैदा कि देगा,
जजनसे वह मुह़ब्बत किेगा तथा वह उससे मुह़ब्बत
किेंगे।”
﴾31 َينِ ِ
ِبَٰ َّ
ٱلص ُّ
ِب
ُ
ُي ُ َّ
ٱَّللَ﴿و
“तथा अल्लाह धैयआ िखने वालों से मुह़ब्बत किता
है।”
﴾32 َۡيِطِس
أ
قُم
أ
ٱل ُّ
ِب
ُ
ُي َ َّ
ٱَّلل
َّ
نِإ ۡۖ
آو ُ
ِطس
أ
ق
َ
أَ﴿و
“तथा न्याय से काम लो, तनःसंदेह अल्लाह न्याय
किने वालों से मुह़ब्बत किता है।”
﴾33 َۡيِنِسأحُم
أ
ٱل ُّ
ِب
ُ
ُي َ َّ
ٱَّلل
َّ
نِإ آوُِنسأح
َ
أَ﴿و
30 सूिह अल्-माइदाः 54
31 सूिह आले-इम्रानः 1 46
32 सूिह अल्-ह़ुजुिातः 9
32. 30
“औि एह़सान किो, तनःसंदेह अल्लाह एह़सान किने
वालों से मुह़ब्बत किता है।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला ने जजन
कमों तथा कथनों को धमाआनुक
ू ल ककया है, वह उसे
वप्रय हैं औि जजनसे िोका है, वह उसे अवप्रय हैं।
﴿
َ َّ
ٱَّلل
َّ
نِإ
َ
ف واُر
ُ
ف
أ
ك
َ
ت نِإ
ِإَونۡۖ َر
أ
ف
ُ
ك
أ
ٱل ِهِداَبِعِل َٰ َ
َضأرَي
َ
َلَو ۡۖأم
ُ
نك
َ
ع ٌّ
ِ
ن
َ
غ
﴾34أم
ُ
ك
َ
ل ُه
َ
ضأرَي واُر
ُ
ك
أ
ش
َ
ت
“यहद तुम कृ तघ्नता व्यक्त किोगे, तो अल्लाह
तुमसे तनस्पृह है। वह अपने बन्दों क
े मलए कृ तघ्नता
पसन्द नहीं किता है, औि यहद कृ तज्ञता किोगे, तो
वह उसको तुम्हािे मलए पसंद किेगा।”
﴾35 َِيندِعَٰ َ
ق
أ
ٱل َعَم واُدُع
أ
ٱق
َ
ِيلقَو أمُه َ
طَّب
َ
ث
َ
ف أمُه
َ
اثَعِبٱۢن ُ َّ
ٱَّلل َهِر
َ
ك نِكََٰ
لَ﴿و
“पिन्तु, अल्लाह तआला ने उनक
े उठने को वप्रय न
माना, इसमलए उन्हें हहलने-डोलने ही न हदया औि
33 सूिह अल्-बकिाः 1 95
34 सूिह अ़ि्-़िुमिः 7
35 सूिह अत ्-तौबाः 46
33. 31
उनसे कहा गया कक तुम बैठने वालों क
े साथ बैठे ही
िहो।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला ईमान
लाने वालों तथा नेक अमल किने वालों से प्रसन्न
होता है।
﴾36
ۥُهَّبَر َ ِ
َش
َ
خ أنَِمل
َ
ِكلََٰ
ذ ُه
أ
ن
َ
ع وا
ُ
ضَرَو أمُه
أ
ن
َ
ع ُ َّ
ٱَّلل َ ِ
َضَّ﴿ر
“अल्लाह उनसे प्रसन्न हुआ तथा वह अल्लाह से
प्रसन्न हुए। यह उसक
े मलए है, जो अपने प्रभु से
डिे।”
औि हमािा ईमान है कक काकफ़ि इत्याहदयों में से जो
क्रोध क
े अथधकािी हैं, अल्लाह उनपि क्रोध प्रकट
किता है।
﴿
ُ َّ
ٱَّلل َ
ب ِ
ض
َ
غَوِِۖءأو َّٱلس ُةَرِئ
ٓ
ا
َ
د أمِهأي
َ
ل
َ
ع ىِءأو َّٱلس َّن
َ
ظ ِ
َّ
ٱَّللِب َِۡيٓان
َّ
ٱلظ
﴾37أمِهأي
َ
ل
َ
ع
36 सूिह अल्-बजययनाः 8
37 सूिह अल्-फ़त्ह़ः 6
34. 32
“जो लोग अल्लाह क
े सम्बन्ध में बुिे गुमान िखने
वाले हैं, उन्हीं पि बुिाई का चक्र है तथा अल्लाह
उनसे क्रोथधत हुआ।”
﴿
رأد َ
ص ِر
أ
ف
ُ
ك
أ
ٱلِب َحَ َ
َش نَّم نِكََٰ
لَو
ٱ َِنم ب
َ
ض
َ
غ أمِهأي
َ
لَع
َ
ف ا
أمُه
َ
لَو ِ
َّ
َّلل
﴾38
يمِظ
َ
ع ٌ
اب
َ
ذ
َ
ع
“पिन्तु, जो लोग खुले हदल से क
ु फ़्र किें, तो उनपि
अल्लाह का क्रोध है तथा उन्हीं क
े मलए बहुत बडी
यातना है।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह का मुख है, जो
महानता तथा सम्मान से ववशेवषत है।
﴾39
٢٧ ِامَر
أ
كِ
أ
ٱۡلَو ِلَٰ َ
لَ أ
ٱۡل و
ُ
ذ
َ
كِبَر ُهأجَو َٰ َ
َقأبَيَ﴿و
“तथा तेिे प्रभु का मुख जो महान एवं सम्मातनत है,
बाक़ी िहेगा।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला क
े महान
एवं कृ पा वाले दो हाथ हैं।
38 सूिह अन ्-नह़्लः 1 06
39
सूिह अि्-िह़मानः 27
35. 33
﴾40ُء
ٓ
ا
َ
شَي
َ
فأي
َ
ك ُقِفنُي ِانَت َ
وط ُسأبَم ُاهَدَي
أ
لَ﴿ب
“बजल्क उसक
े दोनों हाथ खुले हुए हैं। वह जजस
प्रकाि चाहता है, ख़चआ किता है।”
﴿
ۥُهُت
َ
ضأب
َ
ق اِيع
َ
َج
ُ
ۡرض
َ أ
ٱۡلَو ِۦهِرأد
َ
ق َّ
قَح َ َّ
ٱَّلل واُرَد
َ
ق اَمَو
ِةَمَٰ َ
يِق
أ
ٱل َمأوَي
﴾41
٦٧
َ
ون
ُ
كِ
أ
ۡشُي اَّم
َ
ع َٰ َ
ِلَٰ َ
ع
َ
تَو ۥُهَنَٰ َ
حأبُس ِۦهِنيِمَيِب ُۢ ُ
تَٰ َّ
يِو أ
طَم ُ
تَٰ َوَٰ َم َّٱلسَو
“तथा उन्होंने अल्लाह का जजस प्रकाि सम्मान
किना चाहहए था, नहीं ककया। कयामत क
े हदन
सम्पूणआ धिती उसक़ी मुट्ठी में होगी तथा आकाश
उसक
े दायें हाथ में लपेटे होंगे, वह उन लोगों क
े
मशक
आ से पववत्र एवं सवोपरि है।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला क़ी दो
वास्तववक आूँखें हैं। अल्लाह तआला ने फ़िमायाः
﴾42
اَنِيأحَوَو اَنِنُي
أ
ع
َ
أِب
َ
ك
أ
ل
ُ
ف
أ
ٱل ِعَن أ
ٱصَ﴿و
40
सूिह अल्-माइदाः 64
41
सूिह अ़ि्-़िुमिः 67
42 सूिह हूदः 37
36. 34
“तथा एक नाव हमािी आूँखों क
े सामने औि हमािे
हुक्म से बनाओ।”
औि नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने फ़िमयाः
((
ُهُ َ
َصَب ِهْ َ
إيل
َ
َهَت
ْ
ان اَم ِهِه
ْ
جَو
ُ
اتَحُبُس ْ
ت
َ
قَر
ْ
ح
َ َ
َل
ُ
ه
َ
ف
َ
ش
َ
ك ْو
َ
ل ُرْوّانل
ُ
هُابَجِح
43
))ِهِق
ْ
ل
َ
خ ْنِم
((अल्लाह तआला का पदाआ नूि (ज्योतत) है, यहद उसे
उठा दे, तो उसक
े मुख क़ी ज्योततयों से उसक़ी सृष्टी
जलकि िाख हो जाये।))
तथा सुन्नत का अनुसिण किने वालों का इस बात
पि इजमा (एकमत) है कक अल्लाह तआला क़ी आूँखें
दो हैं, जजसक़ी पुजष्ट दज्जाल क
े बािे में नबी
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क
े इस फ़माआन से होती
हैः
((
ْم
ُ
كَّبَر
َّ
نِوإ ،ُرَو
ْ
ع
َ
أ
ُ
ه
َّ
نِإ
ْ
ع
َ
أِب َ
س
ْ
ي
َ
ل
))َرَو
((दज्जाल काना है तथा तुम्हािा प्रभु काना नहीं है।)
औि हमािा ईमान है ककः
43 सह़ीह़ मुजस्लमः 293
37. 35
﴾44ُريِبَ أ
ٱۡل
ُ
يفِط
َّ
ٱلل َو
ُ
هَوۡۖ َرَٰ َ
صأب
َ أ
ٱۡل ُكِرأدُي َو
ُ
هَو ُرَٰ َ
صأب
َ أ
ٱۡل ُه
ُ
كِرأد
ُ
ت
َّ
﴿َل
“तनगाहें उसका परिवेष्टन नहीं कि सकतीं तथा वि
सब तनगाहों का परिवेष्टन किता है, औि वह
सूक्ष्मदशी तथा सवआसूथचत है।”
औि हमािा ईमान है कक ईमानदाि लोग कयामत क
े
हदन अपने प्रभु को देखेंगे।
﴾45
٢٣ ةَِرظا
َ
ن اَهِبَر َٰ َ
َلِإ ٢٢ ٌةَ ِ
اِض
َّ
ن ذِئَمأوَي وهُجُ﴿و
“उस हदन बहुत-से मुख प्रफ
ु जल्लत होंगे, अपने प्रभु
क़ी ओि देख िहे होंगे।”
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह क
े गुणों क
े
परिपूणआ होने क
े कािण, उसका समकि कोई नहीं
है।
﴾46ُري ِ
صَ أ
ٱۡل ُيعِم َّٱلس َو
ُ
هَوۡۖء أ َ
َش ِۦهِل
أ
ثِم
َ
ك َ
سأي
َ
﴿ل
44 सूिह अल्-अन ्आमः 1 03
45 सूिह अल्-ककयामाः 22-23
46 सूिह अश्-शूिाः 1 1
38. 36
“उस जैसी कोई ची़ि नहीं। वह ख़ूब सुनने वाला,
देखने वाला है।”
औि हमािा ईमान है ककः
﴾47
مأو
َ
ن
َ
َلَو ةَِنس ۥُه
ُ
ذ
ُ
خ
أ
أ
َ
ت
َ
﴿َل
“उसे न ऊ
ूँ घ आती है औि न ही नींद।”
क्योंकक उसमें जीवन तथा जस्थिता का गुण परिपूणआ
है।
औि हमािा ईमान है कक वह अपने पूणआ न्याय एवं
इन्साफ़ क
े गुणों क
े कािण ककसी पि अत्याचाि नहीं
किता। तथा उसक़ी तनगिानी एवं परिवेष्टन क़ी
पूणआता क
े कािण वह अपने बन्दों क
े कमों से बेख़बि
नहीं है।
औि हमािा ईमान है कक उसक
े पूणआ ज्ञान एवं िमता
क
े कािण आकाश तथा धिती क़ी कोई ची़ि उसे
लाचाि नहीं कि सकती।
﴾48 ُ
نو
ُ
كَي
َ
ف ن
ُ
ك ُ َ
َل
َ
لو
ُ
قَي ن
َ
أ اًئي
َ
ش
َ
ادَر
َ
أ ا
َ
ذِإ ُهُرم
َ
أ اَم
َّ
نِإ﴿
47 सूिह अल्-बकिाः 255
39. 37
“उसक़ी शान यह है कक वह जब ककसी ची़ि का
इिादा किता है, तो कह देता है कक हो जा, तो हो
जाता है।”
औि हमािा ईमान है कक उसक़ी शजक्त क़ी पूणआता क
े
कािण, उसे कभी लाचािी एवं थकावट का सामना
नहीं किना पडता है।
﴿
َّالس اَنق
َ
ل
َ
خ د
َ
ق
َ
لَو
َٰوَٰم
ِت
ِنم اَن َّسَم اَمَو ٍماَّي
َ
أ ِةَِّتس ِ
ِف اَمُهَنيَب اَمَو
َ
ضر
َ
اۡلَو
ٍ
بو
ُ
غ
ُ
ل
49
﴾
“औि हमने आकाशों एवं धिती को तथा उनक
े
अन्दि जो क
ु छ है, सबको, छः हदन में पैदा कि
हदया औि हमें ़ििा भी थकावट नहीं हुई।”
औि हमािा ईमान अल्लाह तआला क
े उन नामों एवं
गुणों पि है, जजनका प्रमाण स्वयं अल्लाह तआला
क
े कलाम अथवा उसक
े िसूल सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम क़ी ह़दीसों से ममलता है। ककन्तु हम दो बडी
त्रुहटयों से अपने आपको बचाते हैं, जो यह हैं:
48 सूिह यासीनः 82
49 सूिह काफ़ः 38
40. 38
1. समानताः अथाआत हदल या ़िुबान से यह
कहना कक अल्लाह तआला क
े गुण मनुष्य क
े
गुणों क
े समान हैं।
2. अवस्थाः अथाआत हदल या ़िुबान से यह कहना
कक अल्लाह तआला क
े गुणों क़ी क
ै कफ़यत इस
प्रकाि है।
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला उन सब
गुणों से पाक एवं पववत्र है, जजन्हें अपनी ़िात क
े
सम्बन्ध में उसने स्वयं या उसक
े िसूल सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम ने अस्वीकाि ककया है। ध्यान िहे
कक इस अस्वीकृ तत में, सांक
े ततक रूप से उनक
े
ववपिीत पूणआ गुणों का प्रमाण भी मौजूद है। औि
हम उन गुणों से ख़ामोशी अजततयाि किते हैं,
जजनसे अल्लाह औि उसक
े िसूल सल्लल्लाहु अलैहह
व सल्लम ख़ामोश हैं।
हम समझते हैं कक इसी मागआ पि चलना अतनवायआ
है। इसक
े बबना कोई चािा नहीं। क्योंकक जजन ची़िों
को स्वयं अल्लाह तआला ने अपने मलए साबबत
ककया या जजनका इन्काि ककया, वह ऐसी सूचना है,
41. 39
जो उसने अपने संबंध में दी है। औि अल्लाह अपने
बािे में सबसे ज़्यादा जानने वाला, सबसे ज़्यादा सच
बोलने वाला है औि सबसे उत्तम बात किने वाला
है। जबकक बन्दों का ज्ञान उसका परिवेष्टन कदावप
नहीं कि सकता।
तथा अल्लाह तआला क
े मलए उसक
े िसूल
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने जजन ची़िों को
साबबत ककया या जजनका इन्काि ककया है, वह भी
ऐसी सूचना है जो आपने अल्लाह क
े संबंध में दी
है। औि आप अपने प्रभु क
े बािे में लोगों में सबसे
ज़्यादा जानकाि, सबसे ज़्यादा शुभथचंतक, सबसे
ज़्यादा सच बोलने वाले औि सबसे ज़्यादा
ववशुध्दभाषी हैं।
अतः अल्लाह औि उसक
े िसूल सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम क
े कलाम में ज्ञान, सच्चाई तथा ववविण
क़ी पूणआता है। इसमलए उसे अस्वीकाि किने या उसे
मानने में हहचककचाने का कोई कािण नहीं।
42. 40
अध्यायः 2
अल्लाह तआला क
े वह सभी गुण, जजनक़ी चचाआ
हमने वपछले पृष्ठों में क़ी है, ववस्तृत रूप से हो या
संिेप में तथा प्रमाखणक किक
े हो या अस्कवीकृ त
किक
े , उनक
े बािे में हम अपने प्रभु क़ी ककताब
(क
ु आआन) तथा अपने प्यािे नबी सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम क़ी सुन्नत (ह़दीस) पि आथश्रत हैं औि इस
ववषय में उम्मत क
े सलफ़ तथा उनक
े बाद आने
वाले इमामों क
े मन्हज (तिीक
े ) पि चलते हैं।
हम ़िरूिी समझते हैं कक अल्लाह तआला क़ी
ककताब औि िसूलुल्लाह क़ी सुन्नत क
े नुसूस
(क
ु आआन ह़दीस क़ी वाणी) को, उनक
े ़िाहहिी (प्रत्यि)
अथआ में मलया जाय औि उनको उस ह़क़ीकत पि
मह़मूल ककया जाय (यानी प्रकृ ताथआ में मलया जाय),
43. 41
जो अल्लाह तआला क
े मलए उथचत तथा मुनामसब
है।
हम फ
े ि-बदल किने वालों क
े तिीकों से ख़ुद को
अलग किते हैं, जजन्होंने ककताब व सुन्नत क
े उन
नुसूस को, उस तिफ़ फ
े ि हदया, जो अल्लाह औि
उसक
े िसूल सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क़ी इच्छा
क
े ववपिीत है।
औि हम ख़ुद को अलग किते हैं (अल्लाह तआला
क
े गुणों का) इन्काि किने वालों क
े आचिण से,
जजन्होंने उन नुसूस को उन अथों से हटा हदया, जो
अथआ अल्लाह औि उसक
े िसूल सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम ने मलए हैं।
औि हम ख़ुद को अलग किते हैं उन ग़ुलू
(अततिंजन) किने वालों क़ी शैली से, जजन्होंने उन
नुसूस को समानता क
े अथआ में मलया है या उनक़ी
क
ै कफ़यत बयान क़ी है।
हमें यक़ीनी तौि पि मालूम है कक जो क
ु छ अल्लाह
क़ी ककताब तथा उसक
े नबी सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम क़ी सुन्नत में मौजूद है, वह सत्य है। उसमें
44. 42
पािस्परिक टकिाव नहीं है। इसमलए कक अल्लाह
तआला ने फ़िमायाः
﴿
َ
ٓانر
ُ
قال
َ
نوُرَّبَدَتَي
َ
َل
َ
ف
َ
أ
دَجَوَل ِهللا ِْريَغ ِدْنِع ْنِم َانَك ْوَلَو
اًف َ
َلِتْاخ ِهْيِف اْو
ًارْيِثَك
50
﴾
“भला यह लोग क
ु आआन में ग़ौि क्यों नहीं किते?
यहद यह अल्लाह क
े अततरिक्त ककसी औि क़ी ओि
से होता, तो इसमें बहुत ज़्यादा पािस्परिक टकिाव
पाते।”
क्योंकक सूचनाओं में पािस्परिक टकिाव, उनमें से
एक को दूसिे क
े द्वािा ममर्थया साबबत किता है।
जबकक यह बात अल्लाह औि उसक
े िसूल
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क
े द्वािा दी गयी
सूचनाओं में असम्भव है।
जो व्यजक्त यह दावा किे कक अल्लाह क़ी ककताब,
उसक
े िसूल सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क़ी
सुन्नत या उन दोनों में पािस्परिक टकिाव है, तो
उसका यह दावा, उसक
े क
ु धािणा तथा उसक
े हदल क
े
50 सूिह अन ्-तनसाः 82
45. 43
टेढ़ेपन क
े प्रमाण है। इसमलए उसे अल्लाह तआला
से िमा याचना किना तथा अपनी गुमिाही से बा़ि
आना चाहहए।
जो व्यजक्त इस भ्रम में है कक अल्लाह क़ी ककताब,
उसक
े िसूल सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क़ी
सुन्नत या उन दोनों में पािस्परिक टकिाव है, तो
यह उसक
े ज्ञान क़ी कमी, समझने में असमथआता
अथवा ग़ौि व कफ़क्र क़ी कोताही का प्रमाण है। अतः
उसक
े मलए आवश्यक है कक ज्ञान अजजआत किे औि
ग़ौि व कफ़क्र क़ी सलाहहयत पैदा किे, ताकक सत्य
स्पष्ट हो सक
े । औि अगि सत्य स्पष्ट न हो पाये,
तो मामला उसक
े जानने वाले को सौंप दे, भ्रम क़ी
जस्थतत से बाहि आये औि कहे, जजस तिह पूणआ एवं
दृढ़ ज्ञान वाले कहते हैं:
﴾51
اَنِبَر ِدِنع ِنم
ٌّ ُ
ك ِۦهِب اَّنَامَ﴿ء
“हम उसपि ईमान लाये, यह सब क
ु छ हमािे प्रभु क
े
यहाूँ से आया है।”
51 सूिह आले इम्रानः 7
46. 44
औि जान ले कक न ककताब में, न सुन्नत में औि
न इन दोनों क
े बीच कोई मभन्नता औि टकिाव है।
47. 45
अध्यायः 3
फ़रिश्तों पि ईमान
हम अल्लाह ताआला क
े फ़रिश्तों पि ईमान िखते हैं
औि यह कक वेः
﴾52 َ
نو
ُ
لَمعَي ِۦهِرم
َ
أِب م
ُ
ه َو ِلو
َ
قالِب ُه
َ
نو
ُ
قِبسَي
َ
َل ٢٦
َ
نوُمَركُّم
ٌ
ادَِبع﴿
“सम्मातनत बन्दे हैं, उसक
े समि बढ़कि नहीं बोलते
औि उसक
े आदेशों पि कायआ किते हैं।”
अल्लाह तआला ने उन्हें पैदा फ़िमाया, तो वे उसक़ी
उपासना में लग गए तथा आज्ञा पालन क
े मलए
आत्म समपआण कि हदए।
﴿
ِۦهِت
َ
ادَِبع ن
َ
ع
َ
نوُ
ِ
ِبكَتسَي
َ
َل
َ
نوُ ِ
ِسحَتسَي
َ
َلَو
١٩
َ
لي
َّ
الل
َ
نوُحِب َسُي
َ
نوُ َ
َتفَي
َ
َل َارَهَّاَلَو
53
﴾
52 सूिह अल्-अजम्बयाः 26-27
53 सूिह अल्-अजम्बयाः 1 9-20
48. 46
“वे उसक़ी उपासना से न अहंकाि किते हैं औि न
ही थकते हैं। हदन-िात उसक़ी पववत्रता वणआन किते
हैं औि ़ििा सी भी सुस्ती नहीं किते।”
अल्लाह तआला ने उन्हें हमािी ऩििों से ओझल
िखा है, इसमलए हम उन्हें देख नहीं सकते।
अल्बत्ता, कभी-कभी अल्लाह तआला अपने क
ु छ
बन्दों क
े मलए उन्हें प्रकट भी कि देता है। जैसा कक
नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने जजब्रील
अलैहहस्सलाम को उनक
े असली रूप में देखा। उनक
े
छः सौ पंख थे, जो क्षिततज (उफ़
ु क) को ढाूँपे हुए थे।
इसी प्रकाि जजब्रील अलैहहस्सलाम मियम
अलैहस्सलाम क
े पास सम्पूणआ आदमी का रूप धािण
किक
े आये, तो मियम अलैहस्सलाम ने उनसे बातें
क़ीं तथा उन्हें उनका उत्ति हदया।
औि एक बाि प्यािे नबी सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम क
े पास सह़ाबा ककिाम मौजूद थे कक जजब्रील
अलैहहस्सलाम एक मनुष्य का रूप धािण किक
े आ
गये, जजन्हें न कोई नहीं पहचानता था औि न
उनपि यात्रा का कोई प्रभाव हदखाई दे िहा था।
49. 47
कपडे बबल्क
ु ल उजले औि बाल बबल्क
ु ल काले थे।
वह नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क
े सामने
घुटना से घुटना ममलाकि बैठ गए औि अपने दोनों
हाथों को आपक
े दोनों िानों पि िखकि आपसे
सम्बोथधत हुए। नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने
उनक
े जाने क
े पश्चात सह़ाबा को बताया कक वह
जजब्रील अलैहहस्सलाम थे।
औि हमािा ईमान है कक फ़रिश्तों क
े ज़िम्मे क
ु छ
काम लगाये गये हैं।
उनमें से एक जजब्रील अलैहहस्सलाम हैं, जजनको
वह़्य का कायआभाि सोंपा गया है, जजसे वह अल्लाह
क
े पास से लाते हैं तथा अंबबया एवं िसूलों में से
जजसपि अल्लाह तआला चाहता है, नाज़िल किते हैं।
तथा उनमें से एक मीकाईल अलैहहस्लाम हैं, जजनको
वषाआ एवं वनस्पतत क़ी ज़िम्मेदािी सौंपी गयी है।
तथा उनमें से एक इस्राफ़़ील अलैहहस्सलाम हैं, जजन्हें
कयामत आने पि पहले लोगों को बेहोशी क
े मलए
कफि दोबािा ज़िन्दा किने क
े मलए सूि फ
ूूँ कने का
कायआभाि हदया गया है।
50. 48
तथा एक मलक
ु ल-मौत हैं, जजन्हें मृत्यु क
े समय
प्राण तनकालने का काम सोंपा गया है।
तथा उनमें से एक मामलक हैं, जो जहन्नम क
े
दािोगा हैं।
तथा क
ु छ फ़रिश्ते उनमें से माूँ क
े पेट में बच्चों क
े
कायों पि तनयुक्त ककए गये हैं। तथा क
ु छ फ़रिश्ते
आदम अलैहहस्सलाम क़ी संतान क़ी ििा क
े मलए
तनयुक्त हैं।
तथा क
ु छ फ़रिश्तों क
े ज़िम्मे मनुष्य क
े कमों का
लेखन कक्रया है। हिेक व्यजक्त पि दो-दो फ़रिश्ते
तनयुक्त हैं।
﴿
ِن
َ
ع
ٌديِع
َ
ق ِلاَمِالش ِن
َ
ع َو ِۡيِمَاِل
١٧
ٌ
بِيقَر ِهيَ َ
َل
َّ
َلِإ ٍلو
َ
ق ِنم
ُ
ظِفلَي اَم
﴾١٨54 ٌديِت
َ
ع
“जो दायें-बायें बैठे हैं, उनक़ी (मनुष्य क़ी) कोई बात
़िुबान पि नहीं आती, पिन्तु ििक उसक
े पास
मलखने को तैयाि िहता है।”
54 सूिह काफ़ः 1 7-1 8
51. 49
उनमें से एक थगिोह मैतयत से सवाल किने पि
तनयुक्त है। जब मैतयत को मृत्यु क
े पश्चात अपने
हठकाने पि पहुूँचा हदया जाता है, तो उसक
े पास दो
फ़रिश्ते आते हैं औि उससे उसक
े प्रभु, उसक
े दीन
तथा उसक
े नबी क
े सम्बंध में प्रश्न किते हैं, तोः
﴿
ِتِابَّالث ِل ْ
وَقْالِب ا ْ
وُنَماَء َْنيِذَّلا ُهللا ُِّتبَثُي
َحْال ِىف
ي
ِىف َ
و اَيْنُّدال ِةو
ِةَِرخ ْ
اْل
ۖ
َْنيِملاَّالظ ُهللا ُّل ُِضي َ
و
ۖ
ُءاَشَي اَم ُهللا ُلَعْفَي َ
و
55
﴾
“अल्लाह तआला ईमानदािों को पक्क़ी बात पि दृढ़
िखता है सांसारिक जीवन में भी तथा पिलोककक
जीवन में भी। तथा अल्लाह तआला अन्याय किने
वालों को भटका देता है। औि अल्लाह तआला जो
चाहता है, किता है।”
औि उनमें से चंद फ़रिश्ते जन्नततयों क
े यहाूँ
तनयुक्त हैं।
﴿
ابَب ِ
ُ
ك ِنم مِهأي
َ
ل
َ
ع
َ
ون
ُ
ل
ُ
خأدَي
ُ
ة
َ
كِئَٰٓ َ
لَم
أ
ٱلَو
٢٣
أم
ُ
تأ َ
ِب َ
ص اَمِب م
ُ
كأي
َ
ل
َ
ع ٌمَٰ َ
لَس
ِارَّٱَل َ
َب
أ
ق
ُ
ع َمأِعن
َ
ف
٢٤
56
﴾
55 सूिह इब्राहीमः 27
52. 50
“फ़रिश्ते हिेक द्वाि से उनक
े पास आयेंगे औि
कहेंगेः सलामती हो तुमपि तुम्हािे धैयआ क
े बदले,
पिलोककक घि क्या ही अच्छा है!”
तथा प्यािे नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने
बताया कक आकाश में बैतुल मामूि है, जजसमें
िो़िाना सत्ति ह़िाि फ़रिश्ते प्रवेश किते हैं –एक
रिवायत क
े अनुसाि उसमें नमा़ि पढ़ते है- औि जो
एक बाि प्रवेश कि जाते हैं, उनक़ी बािी दोबािा कभी
नहीं आती।
अध्यायः 4
ककताबों पि ईमान
56 सूिह अि-िअदः 23-24
53. 51
हमािा ईमान है कक जगत पि ह़ुज्जत कायम किने
तथा अमल किने वालों को िास्ता हदखाने क
े मलए
अल्लाह तआला ने अपने िसूलों पि ककताबें नाज़िल
फ़िमाईं। पैग़म्बि इन ककताबों क
े द्वािा लोगों को
धमआ क़ी मशिा देते तथा उनक
े हदलों क़ी सफ़ाई
किते थे।
औि हमािा ईमान है कक अल्लाह तआला ने हि
िसूल क
े साथ एक ककताब नाज़िल फ़िमाई। इसक़ी
दलील अल्लाह तआला का यह फिमान हैः
﴿
َ
بَٰ َ
ِتك
أ
ٱل ُمُهَعَم اَ أ
َلَنز
َ
أَو ِ
تَٰ َ
نِيَ أ
ٱۡلِب اَن
َ
لُسُر اَن
أ
لَسأر
َ
أ أد
َ
ق
َ
ل
َوم
ُ
قَ ِ
ِل
َ
انَزيِم
أ
ٱلَو
ِ
ط أسِق
أ
ٱلِب ُ
اسَّٱَل
57
﴾
“तनःसंदेह हमने अपने पैग़म्बिों को खुली तनशातनयाूँ
देकि भेजा औि उनपि ककताब तथा न्याय (तुला)
नाज़िल क़ी, ताकक लोग न्याय पि कायम िहें।”
हमें उनमें से तनम्नमलखखत ककताबों का ज्ञान हैः
1. तौिातः
57 सूिह अल्-ह़दीदः 25