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CONTENTS
 1) मध्य प्रदेश 3
 2) मध्यप्रदेश के बारे में 4
 3) वन्य जीवन के चमत्कार 6
 4) पययटन 7
 5) मध्यप्रदेश की स्थलाकृ ति 9
 6) रूपरेखा 11
 7) मौसम 14
 8) जनजीवन 16
 9) अथयव्यवस्था 18
 10) भोपाल 19
 11) टेक्सटाइल 21
मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश को “भारत का हृदय” कहा जाता है तथा यह
देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। इस राज्य का इततहास,
भौगोलिक स्थथतत, प्राकृ ततक सुंदरता, साुंथकृ ततक विरासत
और यहााँ के िोग इसे भारत के सिवश्रेष्ठ पयवटन थथिों में
से एक बनाते हैं। इसकी राजधानी भोपाि है, जो झीिों के
शहर के नाम से प्रलसद्ध है। मध्य प्रदेश पयवटन पयवटकों
को तिाशने और आनुंददत करने के लिए पयवटन के सभी
पहिू प्रदान करता है। बाुंधिगढ़ नेशनि पाकव में टाइगर
देखने से िेकर खजराहो के मुंददर की मूततवयों में आप
िाथतविक भारत को खोज सकते हैं।
मध्यप्रदेश के बारे में – “अतल्य भारत का ह्रदय”
 मध्यप्रदेश राज्य भारि के के न्र में
स्स्थि है| अिः अक्सर इसे "भारत
का ह्रदय" कहा जािा है| यह राज्य
एक समृद्ध साांस्कृ तिक ववरासि
का घर है और व्यवहाररक रूप से
यहााँ सब कु छ है; जैसे कक बडे
पठार, शानदार पवयि श्ृांखला,
मीलों िक फै ले घने जांगलों के बीच
चकरा देने वाली नददयाां, वनवासी
पररवेश में वन्य जीवों की रोमाांचक
चचत्रमाला, अनचगनि स्मारक|
.
वन्य जीवन के मामले में मध्यप्रदेश बहुत ही समृद्ध राज्य है। वनस्पततय ों और
जीव ों की समृद्धतम तवतवधता के साथ मध्यप्रदेश, भारत के ऐसे चुतनोंदा राज्य ों मे
से एक है, जहाों सैर करना प्रकृ तत-प्रेतमय ों और छु ट्टी पर जानेवाल ों के तलए एक
र चक अनुभव ह ता है। यहााँ जोंगल ों का कररश्मा है, ज ल ग ों क बार-बार यहाों
आने का सोंके त देता है। यहााँ शानदार नजारे तदखाई देते है। यहाों के पाकों में
तबताए हुए पल यादगार और अतवस्मरणीय अनुभव देते हैं।
तनवेशक ों के तलए भी यहााँ समान रूप से अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। पययटन के
क्षेत्र में तवकास के तलए मध्यप्रदेश अपने वन्यजीव सोंसाधन का सचेत और
सातियता के साथ उपय ग कर रहा है। तनवेशक अनुकू ल नीततय ों के साथ, तनजी
उद्यम द्वारा अपने तवकास क आगे बढाने के तलए राज्य उत्सुक है। आप चाहे
यात्री ह या तनवेशक, देश पूरे तदल से आपका स्वागत करता है।
वन्य जीवन के चमत्कार

 महाकवव काललदास ने अपनी श्ेष्ठ रचना 'मेघदूि' में उज्जैन का बहुि
ही सुांदर वर्यन करिे हुए कहा है कक जब स्वगीय जीवों को अपना पुण्य
क्षीर् हो जाने पर पृथ्वी पर आना पडा, िब उन्होंने ववचार ककया कक
हम अपने साथ स्वगय का एक खांड ले चलिे हैं। उज्जैन वही स्वगयखांड
है। महाकवव ने ललखा है कक उज्जैन भारि का वह प्रदेश है जहाां के गाांव
में बसे बडे-बुढे लोग खुशी और प्रेम की गाथा सुनािे है।
 इस िरह मध्य प्रदेश का सौंदयय सददयों से यात्रत्रयों को आकवषयि करिा
रहा है। वियमान में मध्य प्रदेश ने न के वल अपने प्राचीन सुांदर रूप को
सालों पहले सा बनाए रखा, बस्कक इस समय के यात्रत्रयों के ललए भी
यह एक लुभावना गांिव्य है। पहाड, जांगल, नददयाां, समृद्ध ववरासि,
रोमाांचक वन्य जीवन और साांस्कृ तिक ववववधिा से सजी इस राज्य
की प्राकृ तिक रचना, इसे वैभवशाली भूलम बना देिी है।

पयवटन
तवोंध्य और सतपुडा की पहाडी श्ृोंखलाओों के साथ मध्य प्रदेश देदी्यममान है और पूरी
तरह हरे रोंग में सराब र है। नमयदा, ताप्ती, तशप्रा, बेतवा, चोंबल, स न और कई अन्य
नतदयाों अपने साथ अपनी तकों वदोंततय ों और इततहास क साथ लेकर बहते हुए पररदृश्य
क गहरा अथय प्रदान करती है। अपनी लहराती नतदय ों, पहाड ों, झील ों और जोंगल ों के
साथ मध्य प्रदेश की तवतवधतापूणय प्राकृ ततक रचना में सम्म तहत करनेवाला स ोंदयय
तदखाई देता है।
यहााँ के जोंगल भव्य हैं और वन्य जीवन की एक अनूठी और र माोंचक तचत्रमाला के
समान है। रेबा तजले में बाोंधवगढ, सफे द बाघ ों की अभूतपूवय और एकान्त पररसोंपति के
तलए पूरे तवश्व में प्रतसद्ध है। कान्हा, बाोंधवगढ, पेंच, तशवपुरी, पन्ना और कई अन्य राष्ट्र ीय
उद्यान ल ग ों क वन्य जीवन क देखने का दुलयभ, र माोंचपूणय अवसर प्रदान करते हैं।
राज्य ने वर्य 2006 में अपने अस्तित्व का स्वणय जयोंती समार ह मनाया है, लेतकन यह
पहातडय ों तजतना पुराना है, ज कई सभ्यताओों का गवाह है। गुफाओों से लेकर
वािुकला से सजे तकल ों, महल ों, मोंतदर ों, पायदान ों और अन्य असोंख्य स्मारक ों के साथ
इततहास ने कई प्रतततित तनशान यहाों रख छ डे है।
यह कु छ शानदार स्थान है, ज पययटन नक्शे पर मध्य प्रदेश की चमक बनाए रखते है।
मध्यप्रदेश की स्थलाकृ ति
 राज्य की कें रीय स्स्थति िथा साथ ही साथ समृद्ध प्राकृ तिक
ववववधिा इसे सांपूर्य पययटन गांिव्य बनािे हैं। उच्च पवयि श्ेणर्यों,
नददयों और झीलों से युक्ि हरे भरे जांगल प्रकृ ति के ववलभन्न ित्वों के
बीच एक सुांदर सामांजस्य प्रदान करिे हैं। नमयदा और िाप्िी नददयाां
दो पहाडों ववांध्य और सिपुडा के बीच एक दूसरे के समानाांिर चलिी
है। ववलभन्न प्रकार के पशु पक्षी और पौधे िथा यहााँ की प्राकृ तिक
सुांदरिा मध्य प्रदेश के पययटन की ववशेषिा है।
मध्य प्रदेश का इततहास और साुंथकृ ततक विरासत
ववांध्य और सिपुडा के पवयि और हरे भरे जांगल अनेक प्रजातियों को
आवास प्रदान करिे हैं। मध्य प्रदेश पययटन के प्रमुख आकषयर् वन्य
जीवन अभयारण्य और वन्यजीव राष्रीय उद्यान हैं। बाांधवग
राष्रीय उद्यान, पेंच राष्रीय उद्यान,वन ववहार राष्रीय उद्यान,
कान्हा राष्रीय उद्यान, सिपुडा राष्रीय उद्यान, माधव राष्रीय
उद्यान, पन्ना राष्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के कु छ प्रलसद्ध पययटन
स्थलों में से हैं। इन स्थानों पर पक्षक्षयों, जानवरों और पौधों की
ववस्िृि ववववधिा देखी जा सकिी है। नीमच में स्स्थि गाांधी सागर
अभ्यारर् भी एक प्रलसद्ध वन्य जीव अभयारण्य है। वियमान में
मध्य प्रदेश एक प्रलसद्ध पाररस्स्थतिकी पययटन गांिव्य है।
रूपरेखा
3,08,000 िगव ककिोमीटर क्षेत्र के साथ मध्यप्रदेश,
राजथथान के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।
यह भारत के उत्तर-मध्य दहथसे में बसा प्रायद्िीपीय पठार
का एक दहथसा है, स्जसकी उत्तरी सीमा पर गुंगा-यमना के
मैदानी इिाके है, पस्चिम में अराििी, पूिव में छत्तीसगढ़
मैदानी इिाके तथा दक्षक्षण में तप्ती घाटी और महाराष्र
के पठार है।मध्यप्रदेश की थथिाकृ तत नमवदा-सोन घाटी
द्िारा सतनस्चित होती है। यह एक सुंकीणव और िुंबी घाटी
है, स्जसका विथतार पूरे राज्य में पूिव से पस्चिम तक फै िा
हआ है। सोन घाटी से ऊपरी भाग बनता है, शहडोि और
सीधी स्जिें इस घाटी में बसे हैं। तनििे दहथसे से नमवदा
घाटी बनती है। यहाुं की औसत ऊुं िाई एमएसएि से ऊपर
300 मीटर है और यहाुं की भूलम जिोढ़ लमट्टी से
आच्छाददत है।
घाटी के उिर में मध्यवती पहाडी इलाका, दतक्षण में सतपुडा-मैकल
पवयतमाला और दतक्षण-पूवय में पूवी पठार है। राज्य इन तीन तहस् ों में,
प्राकृ ततक भ ग तलक क्षेत्र ों में तवभातजत है | के न्द्रीय पहाडी इलाके , नमयदा-
स न घाटी और अरावली पवयतमाला के बीच तत्रक णीय रूप में पतिम में
फै ले हुए हैं। पहाडी इलाके उिर की ओर ढलते हुए यमुना में समा जाते
है। राज्य के के न्द्रीय पहाडी इलाके , तनम्नतलस्तखत चार ऊपरी भूभाग में
शातमल हैं: तवोंध्य पठार के रूप में भी पहचाना जानेवाला रीवा-पन्ना पठार,
के न्द्रीय पहाडी इलाक ों के उिर-पूवी भाग में स्तस्थत है। इस क्षेत्र में
बहनेवाली मुख्य नतदय ों में के न, स नार, बनाय और टन शामील है। इस क्षेत्र
में रीवा, पन्ना, सतना, दम ह और सागर यह तजले आते है|
रीवा-पन्ना पठार के उिर पतिम में स्तस्थत बुोंदेलखोंड, एक अन्य पठार है।
इस क्षेत्र में बसे दततया, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ और गुना तथा तशवपुरी
तजल ों से राज्य का उिरी भाग बना है। यह पठार उिर-पूवय में तवोंध्य अथवा
रीवा-पन्ना पठार की कु दरती ढाल से तघरा हुआ है। क्षेत्र की औसत ऊों चाई
एमएसएल से ऊपर 350-450 मीटर है और इसकी सामान्य ढलान उिर की
ओर है। बेतवा, धसन और जामनेर इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नतदयाों है,
ज अोंत में यमुना में तमल जाती हैं। बुोंदेलखोंड पठार के पतिम में स्तस्थत मध्य
भारत, ततसरा पठार है। इस क्षेत्र में तशवपुरी, मुरैना और ग्वातलयर तजले
म जूद हैं। इस पठार के पहाडी इलाके 150-450 मीटर की औसत ऊों चाई
पर है और घातटय ों में एमएसएल से ऊपर 450 मीटर की औसत ऊों चाई पर
है। चोंबल, काली तसोंध और पावयती, इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नतदयाों हैं|
च थे मालवा पठार में लगभग पूरा पतिमी मध्यप्रदेश शातमल ह जाता हैं।
पठार के उिर में चोंबल और दतक्षण में नमयदा है। पवयतमाला की औसत
ऊों चाई एमएसएल से ऊपर 300-500 मीटर है।
मौसम
भारत के अन्य भाग ों की तरह, मध्यप्रदेश में भी तीन
प्रमुख म सम है – ग्रीष्म, मानसून और सतदययाों।
गतमयय ों के द रान (माचय-जून), पूरे राज्य का तापमान
29.4 तडग्री सेस्तियस से ऊपर चला जाता है।
सामान्य त र पर मध्यप्रदेश के पतिमी भाग ों की
तुलना में पूवी भाग अतधक गमय हैं। मई महीने में
ग्वातलयर, मुरैना और दततया जैसे क्षेत्र ों में 42 तडग्री
सेस्तियस तापमान ररकॉडय ह ता है। अपेक्षाकृ त नमी
बहुत कम ह ती है और इस क्षेत्र में आम त र पर
अक्सर धूल के हल्के तूफान भी आते है। । मोंडला,
बालाघाट, सीधी, जबलपुर और अन्य चरम पूवी
भाग ों में 150 सेमी से अतधक वर्ाय ह ती है। पतिमी
मध्यप्रदेश के तजल ों में 80 सेमी से भी कम वर्ाय
ह ती है।
सददययों का मौसम नवांबर के महीने से शुरू होिा है। राज्य के दक्षक्षर्ी भागों की िुलना में उत्तरी भागों
में िापमान कम रहिा है। उत्तरी क्षेत्र के अचधकाांश भाग में जनवरी महीने का दैतनक अचधकिम
िापमान 15 और 18 डडग्री सेस्कसयस के बीच रहिा है। मौसम आमिौर पर शुष्क और साफ
आसमान के साथ सुखद रहिा है।
जनजीवन
मध्यप्रदेश की आबादी 7 कर ड से अतधक है। इनमे से 75% से अतधक ल ग गाोंव ों में
रहते है, तजनका मुख्य व्यवसाय खेती ह ता है, जबतक अन्य ल ग शहर ों में रहते है।
तहोंदू ओों की आबादी सबसे अतधक है, जबकी अल्पसोंख्यक समुदाय में मुसलमान ों की
सोंख्या अतधक है। मध्यप्रदेश राज्य की जनसोंख्या का 20% से अतधक तहस्ा
जनजाततय ों का हैं ज मुख्य रूप से राज्य के दतक्षणी, दतक्षणी-पतिमी और पूवी भाग ों में
बसा हुआ है। तनवास स्थान और भ ग तलक पररस्तस्थततय ों में पररवतयन के कारण तवतभन्न
जाततय ों और जनजाततय ों के बीच प्रचतलत सामातजक ररवाज एक-दुसरे से अलग ह ते
है। आय के तलए वे कृ तर्, वन उपज और स्थानीय कला पर तनभयर रहते हैं। बेहतर सोंचार
और अथयव्यवस्था में तवकास के कारण आतदवासी का जीवन बदल रहा है।
जनजीवन
मध्यप्रदेश की आबादी 7 कर ड से अतधक है। इनमे से 75% से अतधक ल ग
गाोंव ों में रहते है, तजनका मुख्य व्यवसाय खेती ह ता है, जबतक अन्य ल ग शहर ों
में रहते है। तहोंदू ओों की आबादी सबसे अतधक है, जबकी अल्पसोंख्यक समुदाय में
मुसलमान ों की सोंख्या अतधक है। मध्यप्रदेश राज्य की जनसोंख्या का 20% से
अतधक तहस्ा जनजाततय ों का हैं ज मुख्य रूप से राज्य के दतक्षणी, दतक्षणी-
पतिमी और पूवी भाग ों में बसा हुआ है। तनवास स्थान और भ ग तलक
पररस्तस्थततय ों में पररवतयन के कारण तवतभन्न जाततय ों और जनजाततय ों के बीच
प्रचतलत सामातजक ररवाज एक-दुसरे से अलग ह ते है। आय के तलए वे कृ तर्, वन
उपज और स्थानीय कला पर तनभयर रहते हैं। बेहतर सोंचार और अथयव्यवस्था में
तवकास के कारण आतदवासी का जीवन बदल रहा है।
अर्थव्यवस्र्ा
मध्यप्रदेश, भारत का दू सरा सबसे बडा राज्य है, ज देश के 9.38% क्षेत्र पर बसा है
और ज खतनज सोंसाधन ों के मामले में भी दू सरा समृद्धतम राज्य है। मुख्यत: यहाों कृ तर्
और देहाती अथयव्यवस्था है। इोंद र, भ पाल, ग्वातलयर और जबलपुर जैसे अतधक अतग्रम
तजल ों में मुख्य रूप से औद्य तगक तवकास कें तित हुआ है।
मध्यप्रदेश ने भारत के खतनज उत्पादन में बडा य गदान तदया है। तभलाई और
तछन्दवाडा तजले में मैंगनीज के बडे भोंडार पाए जाते हैं। भारत के कु ल बॉक्साइट
उत्पादन मे से 45% उत्पादन, राज्य में जबलपुर, मोंडला, शहड ल, सतना और रीवा
जैसे महत्वपूणय बॉक्साइट उत्पादन के न्द्र ों से प्राप्त ह ता है। बालाघाट, जबलपुर और
मोंडला तजल ों में ल ह अयस्क पाया जाता हैं। मध्यप्रदेश राज्य के पूवोिर और सतपुडा
क्षेत्र ों में क यले का समृद्ध भोंडार है। पन्ना और छिीसगढ तजल ों में हीरे का उत्पादन
देनेवाला मध्यप्रदेश, भारत में हीरे का उत्पादन लेनेवाला इकल ता राज्य है।
भोपाि
मध्य प्रदेश की राजधानी का सुोंदर शहर भ पाल, द शानदार झील ों के आसपास
सुरम्य रचना में बसा हुआ है। यह शहर सचमुच भारत के तदल में बसा हुआ है
और आगोंतुक पर आते साथ अपना जादू तदखाने लगता है। ऐततहातसक स्मारक,
पुरानी मस्तिदें और महल, झीलें, अच्छी तरह से रखरखाव तकए हुए बगीचें और
उद्यान, पुराने बाजार की हलचल और नया शहर पययटक ों क ों अपनी ओर
आकतर्यत करता हैं।
भ पाल शहर का नाम, इसके सोंस्थापक राजा भ ज के नाम से तदया गया। वे 10
वीों सदी के परमार वोंश के प्रतसद्ध शासक थे और माना जाता है की उन्ही ने
भ पाल की बडी झील का तनमायण तकया था। 15 वीों सदी में मालवा के सुल्तान
ह शोंगशाह ने इस ग रवशाली शहर क नष्ट् कर तदया था। म जूदा शहर क एक
अफगान शासक, द ि म हम्मद खान ने बनाया था, तजसने औरोंगजेब की मृत्यु
के बाद मुगल साम्राज्य पर हुकु मत की और अपने स्वयों के वोंश की, भ पाल के
1947 में भारत की आजादी के बाद, 26 जनवरी, 1950 के तदन भारतीय गणराज्य
के गठन के साथ सैकड ों ररयासत ों का सोंघ में तवलय तकया गया था। राज्य ों के
पुनगयठन के साथ सीमाओों क तकय सोंगत बनाया गया। 1950 में पूवय तितटश कें िीय
प्राोंत और बरार, मकाराई के राजसी राज्य और छिीसगढ तमलाकर मध्यप्रदेश का
तनमायण हुआ तथा नागपुर क राजधानी बनाया गया। सेंटरल इोंतडया एजेंसी द्वारा
मध्य भारत, तवोंध्य प्रदेश और भ पाल जैसे नए राज्य ों का गठन तकया गया। राज्य ों
के पुनगयठन के पररणाम स्वरूप 1956 में, मध्य भारत, तवोंध्य प्रदेश और भ पाल
राज्य ों क मध्यप्रदेश में तवलीन कर तदया गया, तत्कालीन सी.पी. और बरार के
कु छ तजल ों क महाराष्ट्र में स्थानाोंतररत कर तदया गया तथा राजस्थान, गुजरात
और उिर प्रदेश में मामूली समाय जन तकए गए। तफर भ पाल राज्य की नई
राजधानी बन गया। शुरू में राज्य के 43 तजले थे। इसके बाद, वर्य 1972 में द बडे
तजल ों का बोंटवारा तकया गया, सीह र से भ पाल और दुगय से राजनाोंदगाोंव अलग
तकया गया। तब तजल ों की कु ल सोंख्या 45 ह गई। वर्य 1998 में, बडे तजल ों से 16
अतधक तजले बनाए गए और तजल ों की सोंख्या 61 बन गई। नवोंबर 2000 में, राज्य
का दतक्षण-पूवी तहस्ा तवभातजत कर छिीसगढ का नया राज्य बना। इस प्रकार,
वतयमान मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया, ज देश का दू सरा सबसे बडा राज्य है
और ज 308 लाख हेक्टेयर भ ग तलक क्षेत्र पर फै ला हुआ है|
__________________________________________________________
टेक्सटाइल
मध्यप्रदेश के ल ग ों में रचनात्मक दृतष्ट् और कलात्मक क शल क लेकर हमेशा
से जुनून रहा है। कारीगर ों की अद् भुत रचनाएों और कला के तवतवध रूप,
मध्यप्रदेश में कई सतदय ों से अपना स्थान बनाए हुए है। ल हे का धातु, लकडी
की उपलब्धता, पीतल की चमक, चमडे की सरगमी, कागज की लुगदी जैसी
सारी चीजें कारीगर ों के हाथ ों में तपघल जाती हैं और आकर्यक रचना के साथ
एक खुबसूरत रूप ले लेती है।
चोंदेरी, टसर, महेश्वर जैसी हाथ की बुनी सातडया, टाई एन्ड डाई, बाटीक,
आभूर्ण, धातु और चमडे की कलात्मक चीजें, टेराक टा, काोंच और स्ट नवकय
जैसी चीजें कलात्मकता की एक सुोंदर दुतनया बनाती है।
आलोंकाररक आकृ ततय ों के साथ हैन्ड ब्लॉक तप्रोंटेड कपडा, मध्यप्रदेश की
तवशेर्ता रहा है। साडी, ओढनी, टेबल क्लॉथ, बेड कवर और अन्य कपड ों पर
इन छाप ों का मुिण तकया जाता है। । रोंग पूरी तरह से कपडे में समा जाए,
इसतलए राल, म म और तेल का प्रय ग तकया जाता है। मुिण ब्लॉक (छापे)
साग न की लकडी से बनते है, तजन पर पारोंपररक लकडी नक़्काश जतटल
तडजाइन बनाते हैं।

 "अजुयन", "सफा" और "साई" वृक्षों पर ववशेष रूप से पाले गए
कोश से प्राप्ि ‘टसर' को गहरे पीले, सोने जैसे, शहद जैसे और
क्रीम रांगों मे पाया जािा है। पववत्रिा, सुांदरिा और वैभव का
प्रिीक मानी जानेवाली ‘टसर' साडी उत्सव के दौरान मदहलाओां
के ललए सबसे पसांदीदा ववककप बनी रही है। बदलिे समय के
साथ ‘टसर' ने अपने पररवेश से रांग लेकर सवयां में बदलाव
लाया है। भव्य और सुांदर ‘टसर' साडी, पारांपररक िथा
आधुतनक डडजाइनरों की भी पहली पसांद रही हैं
 18 वीां सदी ने रानी अदहकयाबाई होलकर की प्रतिभा से प्रेररि
कला के इस रूप को णखलिे देखा। यह माहेश्वरी साडी, जरी से
अलांकृ ि थी स्जसमें रेशम और कपास का सुांदर मेल था। अपने
सामथ्यय और लचचलेपन के उत्कृ ष्ट सांयोजन के कारर् इसने
दुतनया भर में प्रशांसक पाए है। "गुलदस्िाां", "घुांघरू", "मयूर",
"चान्द िारा" जैसे इस साडी की ककस्मों के नाम भी अपने
आप में कवविा है। इसके रांग कोमलिा से कानाफू सी करिे है।
आकषयकिा और दीस्प्ि, माहेश्वरी साडी साडी की पहचान हैं।

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मा
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Madhya pradesh hindi ppt

  • 1. Project Submitted as partial fulfillment of FA 2 requirements , Elizabeth & Team
  • 2. CONTENTS  1) मध्य प्रदेश 3  2) मध्यप्रदेश के बारे में 4  3) वन्य जीवन के चमत्कार 6  4) पययटन 7  5) मध्यप्रदेश की स्थलाकृ ति 9  6) रूपरेखा 11  7) मौसम 14  8) जनजीवन 16  9) अथयव्यवस्था 18  10) भोपाल 19  11) टेक्सटाइल 21
  • 3. मध्य प्रदेश मध्यप्रदेश को “भारत का हृदय” कहा जाता है तथा यह देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। इस राज्य का इततहास, भौगोलिक स्थथतत, प्राकृ ततक सुंदरता, साुंथकृ ततक विरासत और यहााँ के िोग इसे भारत के सिवश्रेष्ठ पयवटन थथिों में से एक बनाते हैं। इसकी राजधानी भोपाि है, जो झीिों के शहर के नाम से प्रलसद्ध है। मध्य प्रदेश पयवटन पयवटकों को तिाशने और आनुंददत करने के लिए पयवटन के सभी पहिू प्रदान करता है। बाुंधिगढ़ नेशनि पाकव में टाइगर देखने से िेकर खजराहो के मुंददर की मूततवयों में आप िाथतविक भारत को खोज सकते हैं।
  • 4. मध्यप्रदेश के बारे में – “अतल्य भारत का ह्रदय”  मध्यप्रदेश राज्य भारि के के न्र में स्स्थि है| अिः अक्सर इसे "भारत का ह्रदय" कहा जािा है| यह राज्य एक समृद्ध साांस्कृ तिक ववरासि का घर है और व्यवहाररक रूप से यहााँ सब कु छ है; जैसे कक बडे पठार, शानदार पवयि श्ृांखला, मीलों िक फै ले घने जांगलों के बीच चकरा देने वाली नददयाां, वनवासी पररवेश में वन्य जीवों की रोमाांचक चचत्रमाला, अनचगनि स्मारक| .
  • 5.
  • 6. वन्य जीवन के मामले में मध्यप्रदेश बहुत ही समृद्ध राज्य है। वनस्पततय ों और जीव ों की समृद्धतम तवतवधता के साथ मध्यप्रदेश, भारत के ऐसे चुतनोंदा राज्य ों मे से एक है, जहाों सैर करना प्रकृ तत-प्रेतमय ों और छु ट्टी पर जानेवाल ों के तलए एक र चक अनुभव ह ता है। यहााँ जोंगल ों का कररश्मा है, ज ल ग ों क बार-बार यहाों आने का सोंके त देता है। यहााँ शानदार नजारे तदखाई देते है। यहाों के पाकों में तबताए हुए पल यादगार और अतवस्मरणीय अनुभव देते हैं। तनवेशक ों के तलए भी यहााँ समान रूप से अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। पययटन के क्षेत्र में तवकास के तलए मध्यप्रदेश अपने वन्यजीव सोंसाधन का सचेत और सातियता के साथ उपय ग कर रहा है। तनवेशक अनुकू ल नीततय ों के साथ, तनजी उद्यम द्वारा अपने तवकास क आगे बढाने के तलए राज्य उत्सुक है। आप चाहे यात्री ह या तनवेशक, देश पूरे तदल से आपका स्वागत करता है। वन्य जीवन के चमत्कार
  • 7.   महाकवव काललदास ने अपनी श्ेष्ठ रचना 'मेघदूि' में उज्जैन का बहुि ही सुांदर वर्यन करिे हुए कहा है कक जब स्वगीय जीवों को अपना पुण्य क्षीर् हो जाने पर पृथ्वी पर आना पडा, िब उन्होंने ववचार ककया कक हम अपने साथ स्वगय का एक खांड ले चलिे हैं। उज्जैन वही स्वगयखांड है। महाकवव ने ललखा है कक उज्जैन भारि का वह प्रदेश है जहाां के गाांव में बसे बडे-बुढे लोग खुशी और प्रेम की गाथा सुनािे है।  इस िरह मध्य प्रदेश का सौंदयय सददयों से यात्रत्रयों को आकवषयि करिा रहा है। वियमान में मध्य प्रदेश ने न के वल अपने प्राचीन सुांदर रूप को सालों पहले सा बनाए रखा, बस्कक इस समय के यात्रत्रयों के ललए भी यह एक लुभावना गांिव्य है। पहाड, जांगल, नददयाां, समृद्ध ववरासि, रोमाांचक वन्य जीवन और साांस्कृ तिक ववववधिा से सजी इस राज्य की प्राकृ तिक रचना, इसे वैभवशाली भूलम बना देिी है।  पयवटन
  • 8. तवोंध्य और सतपुडा की पहाडी श्ृोंखलाओों के साथ मध्य प्रदेश देदी्यममान है और पूरी तरह हरे रोंग में सराब र है। नमयदा, ताप्ती, तशप्रा, बेतवा, चोंबल, स न और कई अन्य नतदयाों अपने साथ अपनी तकों वदोंततय ों और इततहास क साथ लेकर बहते हुए पररदृश्य क गहरा अथय प्रदान करती है। अपनी लहराती नतदय ों, पहाड ों, झील ों और जोंगल ों के साथ मध्य प्रदेश की तवतवधतापूणय प्राकृ ततक रचना में सम्म तहत करनेवाला स ोंदयय तदखाई देता है। यहााँ के जोंगल भव्य हैं और वन्य जीवन की एक अनूठी और र माोंचक तचत्रमाला के समान है। रेबा तजले में बाोंधवगढ, सफे द बाघ ों की अभूतपूवय और एकान्त पररसोंपति के तलए पूरे तवश्व में प्रतसद्ध है। कान्हा, बाोंधवगढ, पेंच, तशवपुरी, पन्ना और कई अन्य राष्ट्र ीय उद्यान ल ग ों क वन्य जीवन क देखने का दुलयभ, र माोंचपूणय अवसर प्रदान करते हैं। राज्य ने वर्य 2006 में अपने अस्तित्व का स्वणय जयोंती समार ह मनाया है, लेतकन यह पहातडय ों तजतना पुराना है, ज कई सभ्यताओों का गवाह है। गुफाओों से लेकर वािुकला से सजे तकल ों, महल ों, मोंतदर ों, पायदान ों और अन्य असोंख्य स्मारक ों के साथ इततहास ने कई प्रतततित तनशान यहाों रख छ डे है। यह कु छ शानदार स्थान है, ज पययटन नक्शे पर मध्य प्रदेश की चमक बनाए रखते है।
  • 9. मध्यप्रदेश की स्थलाकृ ति  राज्य की कें रीय स्स्थति िथा साथ ही साथ समृद्ध प्राकृ तिक ववववधिा इसे सांपूर्य पययटन गांिव्य बनािे हैं। उच्च पवयि श्ेणर्यों, नददयों और झीलों से युक्ि हरे भरे जांगल प्रकृ ति के ववलभन्न ित्वों के बीच एक सुांदर सामांजस्य प्रदान करिे हैं। नमयदा और िाप्िी नददयाां दो पहाडों ववांध्य और सिपुडा के बीच एक दूसरे के समानाांिर चलिी है। ववलभन्न प्रकार के पशु पक्षी और पौधे िथा यहााँ की प्राकृ तिक सुांदरिा मध्य प्रदेश के पययटन की ववशेषिा है।
  • 10. मध्य प्रदेश का इततहास और साुंथकृ ततक विरासत ववांध्य और सिपुडा के पवयि और हरे भरे जांगल अनेक प्रजातियों को आवास प्रदान करिे हैं। मध्य प्रदेश पययटन के प्रमुख आकषयर् वन्य जीवन अभयारण्य और वन्यजीव राष्रीय उद्यान हैं। बाांधवग राष्रीय उद्यान, पेंच राष्रीय उद्यान,वन ववहार राष्रीय उद्यान, कान्हा राष्रीय उद्यान, सिपुडा राष्रीय उद्यान, माधव राष्रीय उद्यान, पन्ना राष्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के कु छ प्रलसद्ध पययटन स्थलों में से हैं। इन स्थानों पर पक्षक्षयों, जानवरों और पौधों की ववस्िृि ववववधिा देखी जा सकिी है। नीमच में स्स्थि गाांधी सागर अभ्यारर् भी एक प्रलसद्ध वन्य जीव अभयारण्य है। वियमान में मध्य प्रदेश एक प्रलसद्ध पाररस्स्थतिकी पययटन गांिव्य है।
  • 11. रूपरेखा 3,08,000 िगव ककिोमीटर क्षेत्र के साथ मध्यप्रदेश, राजथथान के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। यह भारत के उत्तर-मध्य दहथसे में बसा प्रायद्िीपीय पठार का एक दहथसा है, स्जसकी उत्तरी सीमा पर गुंगा-यमना के मैदानी इिाके है, पस्चिम में अराििी, पूिव में छत्तीसगढ़ मैदानी इिाके तथा दक्षक्षण में तप्ती घाटी और महाराष्र के पठार है।मध्यप्रदेश की थथिाकृ तत नमवदा-सोन घाटी द्िारा सतनस्चित होती है। यह एक सुंकीणव और िुंबी घाटी है, स्जसका विथतार पूरे राज्य में पूिव से पस्चिम तक फै िा हआ है। सोन घाटी से ऊपरी भाग बनता है, शहडोि और सीधी स्जिें इस घाटी में बसे हैं। तनििे दहथसे से नमवदा घाटी बनती है। यहाुं की औसत ऊुं िाई एमएसएि से ऊपर 300 मीटर है और यहाुं की भूलम जिोढ़ लमट्टी से आच्छाददत है।
  • 12. घाटी के उिर में मध्यवती पहाडी इलाका, दतक्षण में सतपुडा-मैकल पवयतमाला और दतक्षण-पूवय में पूवी पठार है। राज्य इन तीन तहस् ों में, प्राकृ ततक भ ग तलक क्षेत्र ों में तवभातजत है | के न्द्रीय पहाडी इलाके , नमयदा- स न घाटी और अरावली पवयतमाला के बीच तत्रक णीय रूप में पतिम में फै ले हुए हैं। पहाडी इलाके उिर की ओर ढलते हुए यमुना में समा जाते है। राज्य के के न्द्रीय पहाडी इलाके , तनम्नतलस्तखत चार ऊपरी भूभाग में शातमल हैं: तवोंध्य पठार के रूप में भी पहचाना जानेवाला रीवा-पन्ना पठार, के न्द्रीय पहाडी इलाक ों के उिर-पूवी भाग में स्तस्थत है। इस क्षेत्र में बहनेवाली मुख्य नतदय ों में के न, स नार, बनाय और टन शामील है। इस क्षेत्र में रीवा, पन्ना, सतना, दम ह और सागर यह तजले आते है| रीवा-पन्ना पठार के उिर पतिम में स्तस्थत बुोंदेलखोंड, एक अन्य पठार है।
  • 13. इस क्षेत्र में बसे दततया, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ और गुना तथा तशवपुरी तजल ों से राज्य का उिरी भाग बना है। यह पठार उिर-पूवय में तवोंध्य अथवा रीवा-पन्ना पठार की कु दरती ढाल से तघरा हुआ है। क्षेत्र की औसत ऊों चाई एमएसएल से ऊपर 350-450 मीटर है और इसकी सामान्य ढलान उिर की ओर है। बेतवा, धसन और जामनेर इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नतदयाों है, ज अोंत में यमुना में तमल जाती हैं। बुोंदेलखोंड पठार के पतिम में स्तस्थत मध्य भारत, ततसरा पठार है। इस क्षेत्र में तशवपुरी, मुरैना और ग्वातलयर तजले म जूद हैं। इस पठार के पहाडी इलाके 150-450 मीटर की औसत ऊों चाई पर है और घातटय ों में एमएसएल से ऊपर 450 मीटर की औसत ऊों चाई पर है। चोंबल, काली तसोंध और पावयती, इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नतदयाों हैं| च थे मालवा पठार में लगभग पूरा पतिमी मध्यप्रदेश शातमल ह जाता हैं। पठार के उिर में चोंबल और दतक्षण में नमयदा है। पवयतमाला की औसत ऊों चाई एमएसएल से ऊपर 300-500 मीटर है।
  • 14. मौसम भारत के अन्य भाग ों की तरह, मध्यप्रदेश में भी तीन प्रमुख म सम है – ग्रीष्म, मानसून और सतदययाों। गतमयय ों के द रान (माचय-जून), पूरे राज्य का तापमान 29.4 तडग्री सेस्तियस से ऊपर चला जाता है। सामान्य त र पर मध्यप्रदेश के पतिमी भाग ों की तुलना में पूवी भाग अतधक गमय हैं। मई महीने में ग्वातलयर, मुरैना और दततया जैसे क्षेत्र ों में 42 तडग्री सेस्तियस तापमान ररकॉडय ह ता है। अपेक्षाकृ त नमी बहुत कम ह ती है और इस क्षेत्र में आम त र पर अक्सर धूल के हल्के तूफान भी आते है। । मोंडला, बालाघाट, सीधी, जबलपुर और अन्य चरम पूवी भाग ों में 150 सेमी से अतधक वर्ाय ह ती है। पतिमी मध्यप्रदेश के तजल ों में 80 सेमी से भी कम वर्ाय ह ती है।
  • 15. सददययों का मौसम नवांबर के महीने से शुरू होिा है। राज्य के दक्षक्षर्ी भागों की िुलना में उत्तरी भागों में िापमान कम रहिा है। उत्तरी क्षेत्र के अचधकाांश भाग में जनवरी महीने का दैतनक अचधकिम िापमान 15 और 18 डडग्री सेस्कसयस के बीच रहिा है। मौसम आमिौर पर शुष्क और साफ आसमान के साथ सुखद रहिा है।
  • 16. जनजीवन मध्यप्रदेश की आबादी 7 कर ड से अतधक है। इनमे से 75% से अतधक ल ग गाोंव ों में रहते है, तजनका मुख्य व्यवसाय खेती ह ता है, जबतक अन्य ल ग शहर ों में रहते है। तहोंदू ओों की आबादी सबसे अतधक है, जबकी अल्पसोंख्यक समुदाय में मुसलमान ों की सोंख्या अतधक है। मध्यप्रदेश राज्य की जनसोंख्या का 20% से अतधक तहस्ा जनजाततय ों का हैं ज मुख्य रूप से राज्य के दतक्षणी, दतक्षणी-पतिमी और पूवी भाग ों में बसा हुआ है। तनवास स्थान और भ ग तलक पररस्तस्थततय ों में पररवतयन के कारण तवतभन्न जाततय ों और जनजाततय ों के बीच प्रचतलत सामातजक ररवाज एक-दुसरे से अलग ह ते है। आय के तलए वे कृ तर्, वन उपज और स्थानीय कला पर तनभयर रहते हैं। बेहतर सोंचार और अथयव्यवस्था में तवकास के कारण आतदवासी का जीवन बदल रहा है। जनजीवन
  • 17. मध्यप्रदेश की आबादी 7 कर ड से अतधक है। इनमे से 75% से अतधक ल ग गाोंव ों में रहते है, तजनका मुख्य व्यवसाय खेती ह ता है, जबतक अन्य ल ग शहर ों में रहते है। तहोंदू ओों की आबादी सबसे अतधक है, जबकी अल्पसोंख्यक समुदाय में मुसलमान ों की सोंख्या अतधक है। मध्यप्रदेश राज्य की जनसोंख्या का 20% से अतधक तहस्ा जनजाततय ों का हैं ज मुख्य रूप से राज्य के दतक्षणी, दतक्षणी- पतिमी और पूवी भाग ों में बसा हुआ है। तनवास स्थान और भ ग तलक पररस्तस्थततय ों में पररवतयन के कारण तवतभन्न जाततय ों और जनजाततय ों के बीच प्रचतलत सामातजक ररवाज एक-दुसरे से अलग ह ते है। आय के तलए वे कृ तर्, वन उपज और स्थानीय कला पर तनभयर रहते हैं। बेहतर सोंचार और अथयव्यवस्था में तवकास के कारण आतदवासी का जीवन बदल रहा है।
  • 18. अर्थव्यवस्र्ा मध्यप्रदेश, भारत का दू सरा सबसे बडा राज्य है, ज देश के 9.38% क्षेत्र पर बसा है और ज खतनज सोंसाधन ों के मामले में भी दू सरा समृद्धतम राज्य है। मुख्यत: यहाों कृ तर् और देहाती अथयव्यवस्था है। इोंद र, भ पाल, ग्वातलयर और जबलपुर जैसे अतधक अतग्रम तजल ों में मुख्य रूप से औद्य तगक तवकास कें तित हुआ है। मध्यप्रदेश ने भारत के खतनज उत्पादन में बडा य गदान तदया है। तभलाई और तछन्दवाडा तजले में मैंगनीज के बडे भोंडार पाए जाते हैं। भारत के कु ल बॉक्साइट उत्पादन मे से 45% उत्पादन, राज्य में जबलपुर, मोंडला, शहड ल, सतना और रीवा जैसे महत्वपूणय बॉक्साइट उत्पादन के न्द्र ों से प्राप्त ह ता है। बालाघाट, जबलपुर और मोंडला तजल ों में ल ह अयस्क पाया जाता हैं। मध्यप्रदेश राज्य के पूवोिर और सतपुडा क्षेत्र ों में क यले का समृद्ध भोंडार है। पन्ना और छिीसगढ तजल ों में हीरे का उत्पादन देनेवाला मध्यप्रदेश, भारत में हीरे का उत्पादन लेनेवाला इकल ता राज्य है।
  • 19. भोपाि मध्य प्रदेश की राजधानी का सुोंदर शहर भ पाल, द शानदार झील ों के आसपास सुरम्य रचना में बसा हुआ है। यह शहर सचमुच भारत के तदल में बसा हुआ है और आगोंतुक पर आते साथ अपना जादू तदखाने लगता है। ऐततहातसक स्मारक, पुरानी मस्तिदें और महल, झीलें, अच्छी तरह से रखरखाव तकए हुए बगीचें और उद्यान, पुराने बाजार की हलचल और नया शहर पययटक ों क ों अपनी ओर आकतर्यत करता हैं। भ पाल शहर का नाम, इसके सोंस्थापक राजा भ ज के नाम से तदया गया। वे 10 वीों सदी के परमार वोंश के प्रतसद्ध शासक थे और माना जाता है की उन्ही ने भ पाल की बडी झील का तनमायण तकया था। 15 वीों सदी में मालवा के सुल्तान ह शोंगशाह ने इस ग रवशाली शहर क नष्ट् कर तदया था। म जूदा शहर क एक अफगान शासक, द ि म हम्मद खान ने बनाया था, तजसने औरोंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य पर हुकु मत की और अपने स्वयों के वोंश की, भ पाल के
  • 20. 1947 में भारत की आजादी के बाद, 26 जनवरी, 1950 के तदन भारतीय गणराज्य के गठन के साथ सैकड ों ररयासत ों का सोंघ में तवलय तकया गया था। राज्य ों के पुनगयठन के साथ सीमाओों क तकय सोंगत बनाया गया। 1950 में पूवय तितटश कें िीय प्राोंत और बरार, मकाराई के राजसी राज्य और छिीसगढ तमलाकर मध्यप्रदेश का तनमायण हुआ तथा नागपुर क राजधानी बनाया गया। सेंटरल इोंतडया एजेंसी द्वारा मध्य भारत, तवोंध्य प्रदेश और भ पाल जैसे नए राज्य ों का गठन तकया गया। राज्य ों के पुनगयठन के पररणाम स्वरूप 1956 में, मध्य भारत, तवोंध्य प्रदेश और भ पाल राज्य ों क मध्यप्रदेश में तवलीन कर तदया गया, तत्कालीन सी.पी. और बरार के कु छ तजल ों क महाराष्ट्र में स्थानाोंतररत कर तदया गया तथा राजस्थान, गुजरात और उिर प्रदेश में मामूली समाय जन तकए गए। तफर भ पाल राज्य की नई राजधानी बन गया। शुरू में राज्य के 43 तजले थे। इसके बाद, वर्य 1972 में द बडे तजल ों का बोंटवारा तकया गया, सीह र से भ पाल और दुगय से राजनाोंदगाोंव अलग तकया गया। तब तजल ों की कु ल सोंख्या 45 ह गई। वर्य 1998 में, बडे तजल ों से 16 अतधक तजले बनाए गए और तजल ों की सोंख्या 61 बन गई। नवोंबर 2000 में, राज्य का दतक्षण-पूवी तहस्ा तवभातजत कर छिीसगढ का नया राज्य बना। इस प्रकार, वतयमान मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया, ज देश का दू सरा सबसे बडा राज्य है और ज 308 लाख हेक्टेयर भ ग तलक क्षेत्र पर फै ला हुआ है| __________________________________________________________
  • 21. टेक्सटाइल मध्यप्रदेश के ल ग ों में रचनात्मक दृतष्ट् और कलात्मक क शल क लेकर हमेशा से जुनून रहा है। कारीगर ों की अद् भुत रचनाएों और कला के तवतवध रूप, मध्यप्रदेश में कई सतदय ों से अपना स्थान बनाए हुए है। ल हे का धातु, लकडी की उपलब्धता, पीतल की चमक, चमडे की सरगमी, कागज की लुगदी जैसी सारी चीजें कारीगर ों के हाथ ों में तपघल जाती हैं और आकर्यक रचना के साथ एक खुबसूरत रूप ले लेती है। चोंदेरी, टसर, महेश्वर जैसी हाथ की बुनी सातडया, टाई एन्ड डाई, बाटीक, आभूर्ण, धातु और चमडे की कलात्मक चीजें, टेराक टा, काोंच और स्ट नवकय जैसी चीजें कलात्मकता की एक सुोंदर दुतनया बनाती है। आलोंकाररक आकृ ततय ों के साथ हैन्ड ब्लॉक तप्रोंटेड कपडा, मध्यप्रदेश की तवशेर्ता रहा है। साडी, ओढनी, टेबल क्लॉथ, बेड कवर और अन्य कपड ों पर इन छाप ों का मुिण तकया जाता है। । रोंग पूरी तरह से कपडे में समा जाए, इसतलए राल, म म और तेल का प्रय ग तकया जाता है। मुिण ब्लॉक (छापे) साग न की लकडी से बनते है, तजन पर पारोंपररक लकडी नक़्काश जतटल तडजाइन बनाते हैं।
  • 22.   "अजुयन", "सफा" और "साई" वृक्षों पर ववशेष रूप से पाले गए कोश से प्राप्ि ‘टसर' को गहरे पीले, सोने जैसे, शहद जैसे और क्रीम रांगों मे पाया जािा है। पववत्रिा, सुांदरिा और वैभव का प्रिीक मानी जानेवाली ‘टसर' साडी उत्सव के दौरान मदहलाओां के ललए सबसे पसांदीदा ववककप बनी रही है। बदलिे समय के साथ ‘टसर' ने अपने पररवेश से रांग लेकर सवयां में बदलाव लाया है। भव्य और सुांदर ‘टसर' साडी, पारांपररक िथा आधुतनक डडजाइनरों की भी पहली पसांद रही हैं  18 वीां सदी ने रानी अदहकयाबाई होलकर की प्रतिभा से प्रेररि कला के इस रूप को णखलिे देखा। यह माहेश्वरी साडी, जरी से अलांकृ ि थी स्जसमें रेशम और कपास का सुांदर मेल था। अपने सामथ्यय और लचचलेपन के उत्कृ ष्ट सांयोजन के कारर् इसने दुतनया भर में प्रशांसक पाए है। "गुलदस्िाां", "घुांघरू", "मयूर", "चान्द िारा" जैसे इस साडी की ककस्मों के नाम भी अपने आप में कवविा है। इसके रांग कोमलिा से कानाफू सी करिे है। आकषयकिा और दीस्प्ि, माहेश्वरी साडी साडी की पहचान हैं।  ट स र मा हे चि री