SlideShare a Scribd company logo
1 of 1480
Download to read offline
Prof. David Koilpillai
Electrical Engineering
IIT Madras
INTRODUCTION TO WIRELESS AND
CELLULAR COMMUNICATIONS
INDEX
SI.No Topics Page No.
Week 1
सेल्युलर इवोल्यूशन और वायरलेस टेक्नोलॉजीज का ओवरव्यु
(Overview of Cellular Evolution and Wireless
Technologies)
1
सेल्युलर सिस्टम्स (Cellular Systems) का ओवरव्यु (Overview) -
भाग १
6
2
सेल्युलर सिस्टम्स (Cellular Systems) का ओवरव्यु (Overview) -
भाग २
44
3
सेल्युलर सिस्टम्स (Cellular Systems) का ओवरव्यु (Overview) -
भाग ३
80
4 5G और अन्य वायरलेस टेक्नोलोजीस (Wireless Technologies) 118
Week 2
वायरलेस प्रोपगेशन और सेल्युलर कॉन्सेप्ट्स
(Wireless Propagation and Cellular Concepts)
5 बेजिक सेल्युलर शब्दावली (Basic Cellular Terminology) 155
6
ऐंटेनास (Antennas) और प्रोपोगेशन मॉडस (Propagation Modes) का
परिचय
182
7
लिंक बजट (Link budget), फ
े डिंग मार्जिन (Fading margin), आउटेज
(Outage)
207
8 सेल्युलर कॉन्सेप्ट (Cellular Concept) 233
9 सेल्युलर सिस्टम डिजाइन (Cellular system design) और विश्लेषण 263
1
Week 3
सेल्युलर सिस्टम डिज़ाइन, क्षमता, हैंडऑफ़ और आउटेज
(Cellular System Design, Capacity, Handoff and Outage)
10 सेल्युलर ज्यामिति और सिस्टम डिज़ाइन 289
11 सेल्युलर सिस्टम की क्षमता (Capacity), ट्रंकिं ग (Trunking) 315
12 हैंडऑफ़ (Handoff) और गतिशीलता (Mobility) 347
13 हैंडऑफ़ भाग २, सिग्नल वेरिएशन (Signal Variation) का वर्गीकरण 376
14 छायांकन (Shadowing), आउटेज (Outage), मल्टीपाथ (Multipath) 406
Week 4
मल्टिपाथ फ
े डिंग एन्वायरमेन्ट (Multipath Fading Environment)
15
रेले फ
े डिंग (Rayleigh Fading) और सांख्यिकीय विशेषता (Statistical
Characterization)
434
16 रेले फ
े डिंग क
े लक्षण (Properties) 462
17
फ
े डिंग में BER, नेरोबेंड (Narrowband) बनाम वाइडबैंड (Wideband)
चेनल्स
487
18 मल्टिपाथ फ
े डिंग चेनल्स का चरित्रांकन (Characterisation) 513
19 मोड्युलेशन की पसंद (Choice of Modulation) 536
Week 5
फ
े डिंग चैनल्स में BER प्रदर्शन
(BER Performance in Fading Channels)
20 कोहेरेंट (Coherent) बनाम डिफरेंशियल (Differential) डिटेक्शन 564
21 व्याख्यान १- १९ की समीक्षा (Review of Lecture 1-19) 591
22 कोहेरट बनाम डफर शयल डटे शन-भाग २ और फ
े डंग (Fading) मBER 621
2
23 फ
े डिंग में BER - भाग २, राइसीयन फ
े डिंग (Ricean Fading) 648
24
राइसीयन और नाकागामी (Nakagami) फ
े डिंग, मोमेंट जनरेटिंग फ
ं क्शन
(Moment Generating Function - MGF)
673
Week 6
वाइड सेंस स्टेशनरी अनकोरिलेटेड स्क
ै टरिंग (WSSUS) चैनल मॉडल
(Wide Sense Stationary Uncorrelated Scattering Channel
Model)
25 MGF भाग - २, WSSUS मॉडल 700
26
WSSUS भाग - २, कोहेरेन्स टाइम (Coherence Time), डोपलर
स्पेक्ट्रम (Doppler Spectrum)
723
27
डोपलर, ऑफ़ फ
े डिंग चैनल्स (Fading Channels) की टेम्पोरल
करैक्टरिस्टिक्स (Temporal Characteristics)
747
28
टाइम डिस्पर्सिव्स फ
े डिंग (Time Dispersives Fading) चैनल्स का
क
ै रेक्टराइजेशन
774
29 फ
े डिंग चैनल्स का वर्गीकरण (Classification of Fading channels) 799
Week 7
रेले फ
े डिंग (Rayleigh Fading) का कम्प्यूटर सिमुलेशन (Computer
Simulation), ऐन्टेना डायवर्सिटी (Antenna Diversity)
30
प्रैक्टिकल चैनल मॉडल (ITU, COST), रेले फ
े डिंग का कोम्प्युटर
जनरेशन (Computer generation)
827
31
रेले फ
े डिंग सिमुलेशन - क्लार्क (Clark) और गांस मेथड (Gans
Method), जेक मेथड (Jake’s Method)
849
32 जेक मेथड की प्रॉपर्टीज (Jakes’ Method Properties) 870
3
33
डायवर्सिटी (Diversity) का परिचय, ऐन्टेना चयन डायवर्सिटी (Antenna
selection diversity)
893
34
स्टैटिस्टिकल क
ै रेक्टराइजेशन ((Statistical Characterization) ऑफ़
ऐन्टेना डाइवर्सिटी (Antenna Diversity), इष्टतम डाइवर्सिटी संयोजन
(Optimal Diversity Combining)
920
Week 8
फ
े डिंग चैनल्स-डायवर्सिटी और क
ै पेसिटी
(Fading Channels - Diversity and Capacity)
35 फ
े डिंग में BER, इक्वल गेन कम्बाइनिंग (Equal Gain Combining) 956
36
ऐरे गेन (Array Gain), डाइवर्सिटी गेन (Diversity Gain), अलामूटी
स्कीम (Alamouti Scheme)
980
37
अलामूटी योजना (Alamouti Scheme) - भाग २, चैनल क्षमता
(Channel Capacity)
1005
38 फ
े डिंग चैनल्स की क
े पेसिटी, आउटेज (outage) क
े साथ क
े पेसिटी 1029
39
चैनल स्टेट इन्फर्मेशन (Channel State Information), ऑप्टिमम पावर
अलोक
े शन (Optimum Power Allocation)
1053
Week 9
वायरलेस चैनल क्षमता - वोटर फिलींग
(Wireless Channel Capacity - Water filling)
40 L19-36 की समीक्षा (Review of L19-36) 1077
41 ऑप्टिमम पावर एलोक
े शन - वोटर फिलींग (Water filling) 1108
42 ऑप्टिमम पावर एलोक
े शन - वोटर फिलींग - भाग २ 1133
43
डायरेक्ट सिकवन्स स्प्रेड स्पेक्ट्रम (Direct Sequence Spread
Spectrum) कम्युनिक
े शन्स का परिचय
1158
4
Week 10
CDMA
44 स्प्रेडिंग सिकवंसिस क
े लक्षण (Properties of Spreading Sequences) 1181
45 स्प्रेडिंग सिकवंसिस क
े लक्षण - भाग २ 1206
46 CDMA का परिचय (Introduction to CDMA) 1232
47 CDMA 2000 की विशेषताएं और WCDMA 1257
Week 11
CDMA रिसीवर्स (CDMA Receivers)
48
मल्टीपल चेनल्स (multiple channels) क
े लिए रेक रिसीवर (Rake
Receiver)
1279
49 मल्टीयूज़र एनवायरमेन्ट (Multiuser environment) 1301
50 CDMA सिस्टम क
े पेसिटी 1323
51 CDMA मल्टीयूज़र डिटेक्टर्स (CDMA Multiuser Detectors) - भाग १ 1350
52 CDMA मल्टीयूज़र डिटेक्टर्स - भाग २ 1372
Week 12
53 MIMO सिस्टम (MIMO System) 1396
54 MIMO सिस्टम की क
े पेसिटी - भाग १ 1419
55 MIMO सिस्टम की क
े पेसिटी - भाग २ 1441
56 MIMO सिस्टम की क
े पेसिटी - भाग ३ 1459
5
वायरलेस और सेल्युलर संचार का परिचय
(Introduction to Wireless and Cellular Communication)
प्रोफ. डेविड कोईलपिल्लई (Prof. David Koilpillai)
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग (Department of Electrical Engineering)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (Indian Institute of Technology, Madras)
व्याख्यान - ०१ (Lecture - 01)
सेल्युलर इवोल्यूशन और वायरलेस टेक्नोलॉजीज का ओवरव्यु
(Overview of Cellular Evolution and Wireless Technologies)
सेल्युलर सिस्टम्स का ओवरव्यु - भाग १ (Overview of Cellular Systems – Part I)
शुभ संध्या और EE5141:वायरलेस और सेल्युलर कम्युनिक
े शन्स (wireless and cellular
communications) क
े परिचय में आपका स्वागत हैं। मैं प्रोफ
े सर डेविड कोइलपिल्लई हूं और इस बैच क
े लिए
इस पाठ्यक
् रम को पढ़ाने का अवसर पाकर बहुत खुश हूं। मैं पाठ्यक
् रम क
े बारे में क
ु छ शब्द कहकर शुरू करू
ं गा,
लेकिन इससे पहले एक सवाल का जवाब देदु जो आपक
े दिमाग में होगा - "स्टूडियो (studio) में क्यों?" हमें कई
वर्षों से फीडबैक (feedback) प्राप्त हुआ है कि छात्रों को एक ही समय पर बोर्ड (board) में क्या है वह लिखना
और सुनना बहुत कठिन लगता है, क्योंकि बहुत तेज गति से पढाया जा रहा होता है।
इसलिए, सुझाव था कि व्याख्यान समाप्त होने क
े बाद कम से कम हमारे पास नोट्स (notes) तो हो और दुर्भाग्यवश
कई बार बोर्ड (board) पर जो लिखा जाता है, वो जो मेरे शीट (sheet) पर है उससे बहुत अलग होता हैं क्योंकि
आप जानते हैं कि क
ु छ चीजें प्रक्रिया क
े कारण बदल जाती हैं। इसलिए, मैंने सोचा कि सबसे अच्छा तरीका यह
होगा कि हम एक उपकरण या ऐसा तरीका खोजें जिससे हम कक्षा में जो क
ु छ भी हो रहा है उसे अभिलेख कर सकें,
बोर्ड (board) पर जो क
ु छ भी है उसी समय एक पावर पॉइंट (power point) या MATLAB सिम्युलेशन
(simulation) या एक एनीमेशन (animation) पेश करने क
े लिए प्रबंध हो, उन चीजों को हम एक पारंपरिक
कक्षा में नहीं कर सकते। ESB कक्षाओं में हमारे पास प्रोजेक्टर (projector) हैं, लेकिन उसे आगे पीछे करना
आसान नहीं है। इसलिए, यह एक तरीका है जिससे हम सभी विभिन्न रूपों में जानकारी का उपयोग कर सकते हैं,
और व्याख्यान क
े अंत में आपक
े पास संदर्भ में लेने क
े लिए क
ु छ होगा।
स्क
् रीन (screen) पर क
ु छ आने से पहले, मैं क
ु छ समय क
े बारे में उल्लेख करना चाहता था कि यह एक F स्लॉट
(F slot) का कोर्स (course) है, और इस कोर्स (course) क
े 4 क
् रेडिट (credit) है।
(Refer Slide Time: 02:13)
1
6
सुबह क
े स्लॉट (slot) क
े अलावा हमारे पास दोपहर का स्लॉट (slot) है जो मंगलवार को है, 4:50 से 5:40 तक
और हम अभी इस स्लॉट (slot) को बनाए रखेंगे। देखते हैं कि हम इसे पहले वाले स्लॉट (slot) में शिफ्ट (shift)
कर सकते हैं या नहीं, यदि यह हमारे लिए उपलब्ध है। तो, व्याख्यान पर नज़र रखने का एक तरीका मुझे पसंद है,
जो की है क्वाडरेंट (quadrant), जहां सूचित करता है कि कक्षा में क्या शामिल होने जा रहा है। तो, मैने पहले ही
दो चीज़ो को संबोधित किया - ‘स्टूडियो (studio) क्यों’, उम्मीद है कि आप पाठ्यक
् रम क
े अंत में पुष्टि कर पाएंगे
कि यह एक करने योग्य प्रयोग था। मै कोर्स फ्लायर (course flyer) क
े साथ शुरू करता हूँ। मेरा कमरा
ESB339A है, अगर आपको कभी क
ु छ पुछना है तो किसी भी समय आपका स्वागत है।
(Refer Slide Time: 03:08)
2
7
मैं आपको पाठ्यक
् रम की जानकारी देता हूँ और हम क
े वल इस बात पर जोर डालेंगे कि हमे पाठ्यक
् रम में क्या पूरा
करना है क्योंकि यह जानना हमेशा अच्छा होता है पाठ्यक
् रम में क्या शामिल हैं। पहले हफ्ते मतलब इस हफ्ते हम
पेश करने जा रहे हैं - सेल्युलर (cellular) प्रणाली का अवलोकन और वायरलेस कम्युनिक
े शन (wireless
communication) का परिचय। यह आपक
े लिए एक परिचित विषय होगा, लेकिन बस जानकारी साझा करने
तक प्रतीक्षा करें क्योंकि सेल्युलर (cellular) क
े क्षेत्र में बहुत सारी गतिविधि हो रही है और यह हमारे लिए एक
व्यापक दृष्टिकोण पाने क
े लिए अच्छा है। वायरलेस (wireless) पाठ्यक
् रम एक विशिष्ट पहलू पर ध्यान केंद्रित
कर रहा है, लेकिन इसकी 3G, 4G, 5G जैसी शब्दावली क
े साथ में क्या हो रहा है, वह जानना आपक
े लिए अच्छा
है।
विशेष रूप से वायरलेस चैनल (wireless channel) से संबंधित कई बातें हम करने जा रहे हैं। इसलिए, में
चाहूँगा की छात्र बेसलाइन डिजिटल कम्युनिक
े शन्स लिंक (baseline digital communications link) से
परिचित हो, जिसको आपने अपने डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) पाठ्यक
् रम में पढ़ा
होगा, फिर हम जो पढ़ने जा रहे हैं, उसक
े अनुसार हम चैनल (channel) का प्रारूप बदल देंगे।
हम इस बारे में आगे थोड़ी और बात करेंगे। पहले सप्ताह में बेसलाइन (baseline) MATLAB या C सिम्युलेशन
(simulation) एक असाइनमेंट (assignment) का हिस्सा होगा। फिर हम सेल्युलर (cellular) उपयोग आज
किस तरह होता है उसको समझने का प्रयास करेंगे। ‘सेल्युलर’ (cellular) शब्द कहां से आया और इसकी क
ु छ
मुख्य विशेषताएं जिसमे सबसे महत्वपूर्ण हैं इन सेल्स (cells) की डिज़ाइन (design), सेल्स (cells) को उपयोग
करने का तरीका, जब आप एक सेल (cell) से दूसरे सेल (cell) में जाते हैं, तो क्या होता है, हैंडऑफ़ (handoff)
का पहलू और फिर नोशनस ऑफ़ क
ै पेसिटी (notions of capaity) - सेल्युलर (cellular) प्रणाली की क्षमता
क्या है? यह सब समझने का प्रयास करेंगे।
अब सेल्युलर (cellular) समझने क
े बाद, हम पाठ्यक
् रम की जड़ में जाते हैं, जो है कि “मैं वायरलेस चैनल
(wireless channel) को क
ै से समझ सकता हूं?” हम इसे प्रोपेगेशन (propagation) कहते हैं, और छोटे
पैमाने पर प्रभाव क
े संदर्भ में प्रोपेगेशन (propagation) क
े प्रभावों को समझते है और हम आज की प्रस्तुति
में इसक
े बारे में बात करेंगे कि क
ु छ विशेषताएं क्या हैं जिसकी वजह से यह AWGN चैनल (channel) से अलग
है, जिसका आपने शायद अध्ययन किया होगा। इसलिए, यहां क
ु छ पहलू दिए गए हैं, जिनक
े बारे में हम विस्तार से
जानकारी देंगे और क
ं प्यूटर सिम्युलेशन (computer simulation) अब एक बुनियादी डिजिटल कम्युनिक
े शन
लिंक (digital communication link) से एक वायरलेस चैनल (wireless channel) की और, वायरलेस
चैनल (wireless channel) की हानियो का ध्यान रखते हुए रुख करेगा, यह दूसरा चरण है।
(Refer Slide Time: 05:56)
3
8
वायरलेस प्रणाली (wireless system) क
े संदर्भ में एक से ज्यादा ऐंटेनास (antennas) एक महत्वपूर्ण लाभ
है। एक, इससे हमारे पास डाइवर्सिटी (diversity) जैसी सुविधा हो सकती है, यह हमें क्षमता क
े संदर्भ में भी मदद
करता है - हम क
ै से एक प्रणाली की क्षमता का सुधार कर सकते हैं। तो, डाइवर्सिटी (diversity) और क्षमता एक
दूसरे से जुड़े हुए है, और डाइवर्सिटी (diversity) क
े साथ में अगर ट्रांसमीटर (transmitter) और रिसीवर
(receiver) दोनों में एक से ज्यादा ऐंटेनास (antennas) होते हैं तो उनको MIMO सिस्टम्स (MIMO
systems) कहते हैं। हम फ
े डिंग चैनल (fading channel) को पूरी तरह से समझेंगे, रिसीवर (receiver) में
कई एंटेना (antenna) होने क
े फायदे क्या हैं यह भी समझेंगे, एक प्रणाली की क्षमता क्या हैं, क्या होगा यदि
आपक
े पास ट्रांसमीटर (transmitter) और रिसीवर (receiver) दोनों में कई एंटेना (antenna) हैं जो कि
MIMO सिस्टम (MIMO system) होगा, और फिर हम सेल्युलर प्रणाली (cellular system) क्या है वह
देखेंगे, CDMA क
े मूल क
ं सेप्ट्स (concepts) जो 3G प्रणाली है, तथा OFDM जो 4G और 5G की
प्रणाली है, और यह काफी हद तक हमारा पाठ्यक
् रम है।
लेकिन एक बहुत महत्वपूर्ण बात है जो कि आपको एक छात्र क
े रूप में जाननी चाहिए, जब आप वायरलेस
कम्युनिक
े शन्स (wireless communications) पढ़ रहे है, कि जब एक स्थान पर में टॉवर (tower) स्थापित
करता हूं और इसे इमारत क
े अंदर प्राप्त करने की कोशिश करता हु, मूल रूप से दीवारों क
े कारण क्या होता है,
इमारतों क
े कारण क्या होता है - जिसे हम बड़े पैमाने पर प्रोपगेशन (propagation) कहते हैं जो की अच्छी
तरह से समझे, और अच्छी तरह से अध्ययन किये हुए है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यदि आपको कोई वायरलेस
प्रणाली (wireless system) डिजाइन करने क
े लिए कहे, तो आपको पता हो कि वास्तव में कितने पावर
(power) का उपयोग करना है और ऐंटेना (antenna) का किस ऊ
ं चाई पर उपयोग करना है और यह सब अच्छी
तरह से समझ आ जाएगा। ठीक है?
4
9
तो, यह पाठ्यक
् रम का सार है। जब आपको मौका मिले तो आप विस्तार में जा सकते हैं। यदि आपक
े पास कोई
प्रश्न है तो आप प्रश्न पूछने क
े लिए स्वतंत्र है। पूरे पाठ्यक
् रम क
े लिए कोई एक किताब नहीं है। हम पुस्तकों का
संयोजन उपयोग करेंगे।
(Refer Slide Time: 07:51)
ज़्यादातर जानकारी रप्पापोर्ट (Rappaport) में है, क
ु छ संदर्भ गोल्डस्मिथ (Goldsmith), मोलिस्च (Molisch),
त्से (Tse) और विश्वनाथ (Vishwanath) से लिए गये है, CDMA क
े क
ु छ हिस्से हेकिन (Haykin) से लिये
जाएंगे। और डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) क
े बारे में पढ़ने क
े लिये प्रोकिस
(Proakis) का उपयोग किया जाएगा।
(Refer Slide Time: 08:12)
5
10
फ़्लायर (flyer) में पाठ्यक
् रम की योजना दी गई है जिसमे आप देख सकते हैं कि लगभग कितना समय आप खर्च
करेंगे। क
ु ल पाठ्यक
् रम में 56 व्याख्यान है - अगर किसी विषय पर थोड़ा अतिरिक्त समय बिताने की आवश्यकता
लगी तो उसक
े लिए चार अतिरिक्त व्याख्यान रखे गए है।
तो, पाठ्यक
् रम की रूपरेखा क्या होने जा रही है वह यहा एक त्वरित रूप में दिखाया गया है। मैं क
ु छ मिनट का
उपयोग पाठ्यक
् रम का तत्त्वज्ञान साझा करने क
े लिए करू
ँ गा। ज्यादातर छात्र जिन्होंने इस पाठ्यक
् रम को लिया
है, उन्होंने डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) IIT या किसी अन्य संस्थान से किया है।
इसलिए, हम यहां डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) को नींव बनाक
े आगे बढ़ेंगे। इसलिए,
आप यहाँ वायरलेस चैनल (wireless channel) लागू करेंगे, इसक
े वायरलेस (wireless) भाग और इसक
े बारे
में समझ का विस्तार करेंगे, और फिर हम संपूर्ण रूपरेखा का उसक
े आसपास विकास करेंगे।
इसलिए, आपने डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) में जो क
ु छ भी पढ़ा है, उदाहरण क
े लिए
आपने इनफर्मेशन थियरी (information theory) पढ़ा है, संक
े तों का प्रतिनिधित्व क
ै से करें, संक
े तों को क
ै से
क
ं प्रेस (compress) करें, चैनल कोडिंग (channel coding), मॉड्यूलेशन (modulation) क
ै से करें, तो मैं
यह मानकर चलुंगा की ये सब आप जानते है, और हम वहां से आगे बढ़ेंगे, और फिर बताएंगे कि हम इसे वायरलेस
(wireless) क
े संदर्भ में क
ै से लागू करते हैं, वे कौन सी चीजें हैं जो लाभप्रद हैं? वे कौन सी चीजें हैं जो कठिन हैं?
आमतौर पर डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) पाठ्यक
् रम में आपने देखा होगा AWGN
की हानि (impairment) क्या है, इसक
े अलावा मुझे यकीन है कि आपने चैनलों (channels) का अध्ययन
किया होगा जिनमे इंटर सिंबल इंटरफ
े रेंस (inter symbol interference) है। तो, हम यह दोनों हानि को
वायरलेस चैनल (wireless channel) क
े पहलुओं क
े साथ जोड़ दे, जिसको हम फ
े डिंग (fading), मल्टीपाथ
(multipath), डोप्पलर (doppler) से उल्लेख करेंगे - हम इन सभी क
े बारे में देखेंगे। तो हम डिजिटल
6
11
कम्युनिक
े शन्स (digital communications) से छात्र थोड़े अवगत है यह मानकर, जब जरुरत हो त्वरित
समीक्षा करक
े और फिर वायरलेस (wireless) पक्ष पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) में रिसीवर (receiver) की ओर, हम आमतौर पर
अध्ययन करते हैं कि रिसीवर (receiver) का निर्माण क
ै से किया जाए, सिंक
् रोनाइज़ेशन (synchronization)
क
े बारे में बात करते हैं, टाइमिंग (timing) क
ै से करते हैं, डिमॉड्यूलेशन (demodulation), डिकोडिंग
(decoding) क
ै से करते हैं, - हम समझते हैं कि सबको यह अच्छी तरह से पता है। हम वहीं से आगे बढ़ेंगे। तो,
हम डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) भाग से वायरलेस कम्युनिक
े शन्स (wireless
communications) में आगे बढ़ेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हम उसक
े सभी पहलुओं क
े साथ सहज हैं। में इस
पाठ्यक
् रम क
े आउटकम (outcome) क
े बारे में बताता हूँ। एक शिक्षक क
े दृष्टिकोण से आउटकम (outcome)
बहुत अच्छे होंगे कि यह पाठ्यक
् रम आपको एक संसर्ग (exposure) देगा। तो, आउटकम (outcome) वर्तमान
सेल्युलर प्रणालियों (cellular systems) और वायरलेस (wireless) की दुनिया में क्या हो रहा है उसका
संसर्ग (exposure) देगा। दूसरा भाग वायरलेस चैनल (wireless channel) की विश्लेषणात्मक समझ होगी।
तो, हम उसका भौतिक, गणितीय या विश्लेषणात्मक क
े पहलुओं को देखेंगे और उसक
े साथ सहजज्ञान (intuition)
भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वायरलेस (wireless) सहजज्ञान (intuitive) होने क
े बारे में है - कि एक
वायरलेस सिस्टम (wireless system) क
े संदर्भ में अच्छी तरह से क्या काम करता है। फिर है - सिम्युलेशन
(simulation) पहलु। मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण तत्व है, जिसे मैं अपने पाठ्यक
् रम में बताना चाहूंगा,
और समस्या को हल करने क
े पहलु क
े बारे में भी बात करेंगे। हम उन विभिन्न विषयों पर असाइनमेंट
(assignment) करेंगे, जिनका हम अध्ययन कर रहे हैं।
(Refer Slide Time: 12:17)
7
12
और अंत में, उम्मीद है कि हम इसमें जो क
ु छ भी करते हैं वह आगे क
े अध्ययन क
े लिए एक तैयारी है, आगे क
े
प्रोजेक्ट (project) या रिसर्च (research) क
े लिए, या आपको एक व्यवसायी (practitioner) क
े रूप में ये
आपको तैयार करेंगा।
यह एक पारंपरिक पाठ्यक
् रम है, जिसका मूल्यांकन बहुत हद तक पारंपरिक पहलुओं क
े साथ होगा। इसमें दो
प्रश्नोत्तरी (quiz) होंगी - प्रश्नोत्तरी (quiz) 1, प्रश्नोत्तरी (quiz) 2 और अंत सेमेस्टर परीक्षा (end
semester exam) भी होगी। प्रश्नोत्तरी (quiz) 1 क
े लिए 20 %, प्रश्नोत्तरी (quiz) 2 क
े लिए 20 %, अंत
सेमेस्टर परीक्षा (end semester exam) क
े लिए 45 % होंगे। हमारा पाठ्यक
् रम असाइनमेंट
(assignment) आधारित है, जिसक
े 15 % होंगे। हम आपको थोड़ा और असाइनमेंट (assignment) क
े
बारे में जानकारी देंगे, क
े उसे क
ै से पूरा करना है। इसक
े लिए बहुत ज़्यादा कम्प्यूटर सिम्युलेशन (computer
simulation) का उपयोग किया जाएगा, यह आपको ऑनलाइन (online) देना होगा। लिखित असाइनमेंट
(assignment) परीक्षा कक्षा में होगी।
तो, यह उस अर्थ में एक पारंपरिक पाठ्यक
् रम की तरह है। मुझे लगा कि मुझे आपको यह रणनीति क
े बारे में थोड़ा
साझा करना चाहिए। एक छात्र क
े रूप में आपको पाठ्यक
् रम की रणनीति क्या है वह पता होना चाहिए इसलिए
शायद मुझे यह आपक
े साथ साझा करना चाहिए। क
ृ पया कक्षा में बराबर साथ रहें क्योंकि यह एक ऐसा कोर्स
(course) है जो वास्तव में बहुत क
ु छ कवर (cover) करता है - और तेज गति से कवर (cover) करता है।
इसलिए, क
ृ पया सतर्क रहें, आप किताबों को भी साथ में पढ़ते रहे, पांच पुस्तकें होने का एक फायदा है की आप
हमेशा क
् रोस रिफर (cross refer) कर सकते हैं और वायरलेस (wireless) की बहुत समृद्ध समझ ले सकते हैं
क्योंकि हमने जिन पाँच पुस्तकों की बात की है उनमें से प्रत्येक पुस्तक बहुत ही विशिष्ट दृष्टिकोण क
े साथ
8
13
लिखा गया है। इसलिए, जब आप आउटकम (outcome) को देखते हैं तो आप पुस्तक को उससे जोड़ सकते हैं,
आप जानते हैं कि यह पुस्तक आपको एक अच्छा एक संसर्ग (exposure) देगी, यह आपको विश्लेषणात्मक
उपकरण (analytical tools) देगी, यह आपको सिम्युलेशन (simulation) देगी।
इसलिए, मुझे लगता है कि आप यह लगभग समझ सकते हैं। इसे परिप्रेक्ष्य में रखते हुए, मैं एक प्रस्तुति साझा
करता हूं जो मैंने पाठ्यक
् रम क
े लिए विशेष रूप से तैयार की है जिससे हमें थोड़ा संवाद करने का अवसर मिले।
तो, यह एक ऐसा तरीका है जिसक
े द्वारा बहुत ही संक्षेप में आप पूरे वायरलेस डोमेन (wireless domain) को
समझ सकते हैं और तब हम उन विषयों क
े विशिष्ट पहलुओं को गहराई से देखेंगे जिनमें हम रुचि रखते हैं।
आगे का सोचना हमेशा अच्छा होता है, लेकिन पीछे देखना भी उतना ही अच्छा होता है, तो मैं आपको क
ु छ देर क
े
लिए पिछले समय की यात्रा पर ले जाता हूं।
(Refer Slide Time: 05:14)
बहुत बार जब वायरलेस (wireless) का आविष्कार किसने किया, सवाल आता है, तो लगता है उत्तर मार्कोनी
(Marconi) है। लेकिन अगर आप IEEE की साइट (site) देखे, तो इसका श्रेय अब आधिकारिक तौर पर
जे.सी.बोझ (J.C Bose) को दिया गया है, क्योंकि मार्कोनी (Marconi) का प्रयोग 1897 का था,
ट्रान्सटलांटिक (transatlantic) प्रयोग से कई साल पहले का था। लेकिन लगभग उसक
े दो साल पहले
जे.सी.बोझ ने कोलकाता शहर में वायरलेस प्रदर्शन (wireless demonstration) किया था। बाद में
जे.सी.बोझ और मार्कोनी ब्रिटेन में मिले, लेकिन उस समय पर जे.सी.बोझ अन्य चीजों पर काम कर रहे थे -
9
14
उन्होंने वायरलेस (wireless) क
े बारे में ज्यादा काम नहीं किया था, लेकिन मार्कोनी वायरलेस (wireless) पर
काम कर रहे थे और बाकी सब अब इतिहास है, लेकिन पहले प्रदर्शन का श्रेय मार्कोनी को जाता है।
(Refer Slide Time: 16:07)
आज सेल्युलर (cellular) एक आम आदमी की तकनीक है। तो, अगर आपको छवियों क
े लिए पूछा जाए क
े
सेल्युलर (cellular) का वर्णन करें, तो शायद आप अपने पड़ोस क
े एक टावर (tower) क
े बारे में सोचे या आप
सिम कार्ड (sim card) क
े बारे में सोचेंगे या आप गूगल मेप्स (Google maps) क
े बारे में सोचेंगे या आप बस
उन लोगों क
े बारे में सोचेंगे जो जानकारी ढूंढ रहे हैं और विविध हैंडसेट (handset) क
े बारे में सोचेंगे। आज यह
एक आम आदमी की तकनीक हो गयी है।
(Refer Slide Time: 06:38)
10
15
लेकिन वास्तव में यह कब शुरू हुआ और इसका ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य क्या हे? 1895 में जे.सी.बोझ का पहला
प्रयोग था, मार्कोनी द्वारा ट्रान्साटलांटिक (transatlantic) प्रयोग संचरण 1902 में किया गया था। वायरलेस
कम्युनिक
े शन्स (wireless communications) क
े पहले उपयोगकर्ता दोनों विश्व युद्ध क
े दौरान पुलिस और
सशस्त्र बल थे, लेकिन बड़े पैमाने पर सेल्युलर (cellular) का व्यावसायिक उपयोग तब तक बहुत शुरू नहीं हुआ
था।
पहली एनालॉग (analog) प्रणाली, जिसे हम सेल्युलर (cellular) की 1G प्रणाली क
े रूप में संदर्भित करते हैं,
वो 1981 में अस्तित्व में आई थी। प्रौद्योगिकी क
े विकास क
े संदर्भ में वायरलेस (wireless) तकनीकी का
आविष्कार या सेल्युलर (cellular) की अवधारणा का मूल श्रेय बेल प्रयोगशाला (Bell laboratories) को
जाता है, जो AT& T क
ं पनी की प्रसिद्ध प्रयोगशाला हैं।
पहली बार डिजिटल सेल्युलर (digital cellular) 1991 में पेश किया गया था और उसक
े बाद हमने डिजिटल
सेल्युलर (digital cellular) का विकास देखा, CDMA सिस्टम 2002 में आया, वह 3G है। आप कह सकते हैं
की 3G को क
ु छ साल पहले तक भारत में लागू नहीं किया गया था, यह वैश्विक परिप्रेक्ष्य है। हम भारत का
दृष्टिकोण भी देखेंगे, लेकिन यह विश्व स्तर पर हुआ है और जबकि हमने 3G तक लागू नहीं किया था, दुनिया पहले
से ही 4G को पेश कर रही थी और अब हमारे भारत में 4G को बहुत आक
् रामक तरीक
े से लागू किया जा रहा है,
हम 5G की चर्चा में भी भाग ले रहे हैं। अंतिम लाइन (line) आपको बताती है कि सेल्युलर प्रणाली (cellular
system) का बाजार कितना मजबूत हुआ है। जो कोई भी व्यवसाय में रुचि रखता है वह हमेशा आपसे यह जानना
पसंद करते हैं कि बाजार का साइज़ (size) कितना है? क्योंकि यह रेवन्यू (revenues) क
े लिए आपकी क्षमता
11
16
बताता है और बताता है की बाजार कितना आकर्षक है। 2011 में सेल्युलर (cellular) क
े लिए क
ु ल वैश्विक बाजार
6 बिलियन पार कर गया था; इसलिए यह सब लिहाज से एक बड़ा बाजार है।
(Refer Slide Time: 19:01)
भारतीय परिदृश्य क
े हिसाब से जानकारी का एक बहुत विश्वसनीय स्रोत TRAI (Telecom Regulatory
Authority of India) है, वे एक त्रैमासिक विवरण (quarterly report) प्रकाशित करते हैं - हम मूडल
वेबसाइट (Moodle website) पे नवीनतम त्रैमासिक रिपोर्ट (quarterly report) अपलोड (upload) करेंगे,
लेकिन मुझे उसका साइज़ (size) देखना होगा क्योंकि वह डॉक्युमेंट्स (documents) साइज़ (size) क
े मामले
में थोड़े बड़े हैं, लेकिन आप इसे डाउनलोड (download) कर सकते हैं, यह जानकारी बहुत ही अच्छी है। मैंने
सबसे महत्वपूर्ण और प्रासंगिक जानकारी निकाली है और उम्मीद है कि जो हो रहा है उससे हमें एक अच्छा एहसास
मिलेगा। ठीक है?
(Refer Slide Time: 19:29)
12
17
अब भारत में सेल्युलर (cellular) की वृद्धि देखते है, आप देख सकते हैं कि भारत में बहुत ज्यादा तेजी से सेल्युलर
(cellular) की वृद्धि हुई है, हमने 2014 में 930 मिलियन क
े आंकड़े को पार कर लिया था, मई 2015 में भारत ने
1 बिलियन सदस्यताओ (subscriptions) को पार कर लिया, और इस देश में मौजूद वायरलेस (wireless) की
मात्रा दिलचस्प है। पूरे नीले खंड और बरगंडी खंड एक साथ वायरलेस (wireless) का प्रतिनिधित्व करते हैं और
छोटा टुकड़ा वायर लाइन (wire line) है और वह घट रहा है। हमारी वायर लाइन (wire line) नीचे जा रही है,
जबकि सेल्युलर (cellular) ऊपर जा रहा है। एक और बहुत दिलचस्प डेटा (data) जो ध्यान में रखना अच्छा है
वह यह है कि आज जब हम बात करते हैं ब्रॉडबैंड (broadband) की और भारत में लोग क
ै से ब्रॉडबैंड
(broadband) इस्तेमाल कर रहे हैं, 93 % उपयोगकर्ता वायरलेस (wireless) उपकरणों पर ब्रॉडबैंड
(broadband) का उपयोग कर रहे हैं।
इसलिए, यहां फिर से एक बहुत ही दिलचस्प या बहुत सम्मोहक कहानी है कि हम भारतीयो को क्यों वायरलेस
(wireless) में बहुत रुचि होनी चाहिए, न क
े वल यह विश्व स्तर पर एक बड़ा बाजार है जो कि परिभाषित करता है
कि हम तकनीक का उपयोग क
ै से करते हैं और साथ ही साथ आपको पता लगेगा कि ब्रॉडबैंड (broadband) का
भविष्य में इस्तेमाल क
ै से होगा - कितना दिलचस्प परिप्रेक्ष्य !
(Refer Slide Time: 21:06)
13
18
अब देखते है कि सेल्युलर (cellular) वायरलेस (wireless) में कहां उचित बैठता है, वायरलेस (wireless)
और सेल्युलर (cellular) बराबर नहीं है- वायरलेस (wireless) सेल्युलर (cellular) से बहुत बड़ा है, लेकिन
सेल्युलर (cellular) एक प्रमुख तकनीकी है। तो, अगर आप वायरलेस (wireless) प्रणाली की सीमा या
पदानुक
् रम की ओर देखे, तो शुरुआत ब्लूटूथ (bluetooth) से करते हैं, मुझे यकीन है कि आप सभी ब्लूटूथ
(bluetooth) और ज़िगबी (zigbee) से परिचित हैं, उन्हें आप पर्सनल एरिया नेटवर्क (personal area
network) क
े रूप में संदर्भित करेंगे, आमतौर पर इनकी सीमा 10 मीटर की होती है।
पदानुक
् रम में अगला लोकल एरिया नेटवर्क (LAN - local area network) है, ज़ाहिर है, यह हमारी सभी
वायरलेस तकनीक (wireless technology) है। तो, यह वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्क (wireless
personal area network), वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क (wireless local area networks) जैसे की
Wi-Fi है। इसलिए, यह दूरी क
े संदर्भ में अगला पदानुक
् रम है। फिर सेल्युलर (cellular) कहां से आया?
सेल्युलर (cellular) एक पर्सनल एरिया नेटवर्क (personal area network) या एक लोकल एरिया नेटवर्क
(local area network) से बहुत अधिक है - यह बड़े भौगोलिक क्षेत्रों, वाइड एरिया नेटवर्क (wide area
network) को आच्छादित कर सकता है जो हमारा सेल्युलर (cellular) है। अब जो सेल्युलर (cellular) से
बड़ा है वह रीजनल एरिया नेटवर्क (RAN - regional area network) है, आमतौर पर उनको आप उपग्रह
(satellite) क
े संदर्भ में संदर्भित करते है, वे महाद्वीपीय कवरेज (continental coverage) को आच्छादित
करते है। यह हमारा मुख्य विषय नहीं है और क
ु छ ऐसे भी हैं जो हैं शहरी क्षेत्र से छोटे हैं उन्हें मेट्रोपोलिटन एरिया
नेटवर्क (MAN - metropolitan area network) कहा जाता है। तो, थोड़ा दायरे क
े संदर्भ में कम सीमित,
सेल्युलर (cellular) क
े कम व्यापक को मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN - metropolitan area
network) कहा जाता है। हमारे लिए तीन तकनीक
े बहुत महत्वपूर्ण या दिलचस्प होंगी, पर्सनल एरिया
14
19
(personal area), लोकल एरिया (local area), वाइड एरिया (wide area) और सेल्युलर (cellular) उस
सीमा में है।
भारत में सेल्युलर (cellular) क
े बारे में एक बहुत ही रोचक तथ्य है कि बेस स्टेशन (base stations) एक
बुनियादी ढांचा हैं जिसक
े साथ आप जुड़ते हैं, हमने उन्हें 4 से 5 km दूर रखते थे, फिर उनको हम 3 km, 2
km, 1 km तक ले गए। अब शहरी क्षेत्रों में इंटर बेस स्टेशन (inter base stations) की दूरी 500 मीटर से
भी कम है। तो, हर 500 मीटर पर औसत आपको क
ु छ प्रकार क
े सेल्युलर (cellular) ढांचे दिखने की उम्मीद है,
और इसक
े लिए उद्देश्य क्षमता है। क्षमता बढ़ाने का हमारे पास एक ही तरीका है, टावर (tower) की या सेल (cell)
की संख्या बढ़ाना, हम इसक
े बारे आगे बात करेंगे, लेकिन यह एक कीमत पर आता है और वो कीमत है, इंटरफ
े रेंस
(interferance) की मात्रा, जो आप पैदा कर रहे हैं। इसलिए, एक डिज़ाइन (design) क
े नजरिए से, क्षमता
अच्छी बात है, लेकिन इंटरफ
े रेंस (interferance) बुरा है, परंतु दुर्भाग्य है इनक
े बीच एक अच्छा संतुलन तलाशना
ही हमारे पास एकमात्र तरीका है।
एक और दिलचस्प बात है जिसपे आप ध्यान देना चाहेंगे, वह यह है कि सेल्युलर (cellular) एक लाइसेंस
प्रौद्योगिकी (license technology) है, आप बिना अधिकारिक लाइसेंस (license) क
े सेल्युलर बैंड (cellular
band) में ट्रान्समीट (transmit) नहीं कर सकते हैं, जबकि ब्लूटूथ (buetooth) और वायरलेस (wireless)
LAN बिना लाइसेंस (license) वाली तकनीकें है। लाइसेंस (license) वाली तकनीकों क
े में ऑपरेटर
(operator) द्वारा संचालन शुरू करने से पहले लाइसेंस (license) शुल्क भुगतान किया जाना चाहिए।
(Refer Slide Time: 24:13)
15
20
आप में से बहुत से लोगों क
े पास शायद पहला फोन एक स्मार्टफोन (smart phone) होगा। काफी लोगों ने
इससे पहले फोन क
ै से थे वह नहीं देखा होगा, फोन क
ै सा दिखता था यह आपको बताने क
े लिए हम बस क
ु छ मिनट
बिताएंगे।
(Refer Slide Time: 24:35)
आपकी बाईं ओर 1920 का एक रोटरी फोन (rotary phone) है जो 60 वर्षों तक चला था। यहां तक ​
​
कि
1980 तक हमारे पास रोटरी फोन (rotary phone) थे। यह लैंडलाइन फोन (landline phone) है।
पहले प्रकार क
े वायरलेस फोन (wireless phones) सेना द्वारा उपयोग किए जाते थे। आप यहाँ पुराने सैन्य
फोन (military phone) देख सकते है। उन्हें हवा से पर्याप्त चार्ज (charge) उत्पन्न करना होता ताकि वे संवाद
कर सकें, लेकिन वह बहुत मजबूत था। मोटोरोला (Motorola) पहली क
ं पनी (company) थी जिसने इन
उपकरणों को बनाया था और यह विक्ट्रोला (Victrola) नाम की क
ं पनी (company) हुआ करती थी, लेकिन
क्योंकि उन्होंने मोबाइल बनाने वाले उपकरणों को बनाया, जो चलती-फिरती डिवाइस (device) हैं, तो उन्होंने
नाम बदल क
े मोटोरोला (Motorola) रखा। इसलिए, वे एक अग्रणी रहे हैं और कई वर्षों में वे उन क
ं पनियों
(companies) में से एक रहे हैं जिन क
ं पनियों (companies) ने प्रौद्योगिकी क
े आवरण (envelope) को
आगे बढ़ाया है। पहला फोन लगभग एक फु ट ऊ
ँ चा था, जो 1973 में मोटोरोला ने बनाया था, जैसा कि आप यहाँ
देख सकते हैं, लेकिन वह बहुत पावर (power) का उपयोग करता था जिसकी वजह से वह क
ु छ ही मिनट तक
चलता था, उसकी बैटरी लाइफ (battery life) एक घंटे से भी कम थी।
उसको हमेशा चार्जिंग (charging) में रखना पड़ता था और यह प्रवेश बिंदु (entry point) था। तो लोगो को
लगा क्या यह कभी एक व्यावसायिक तकनीक (commercial technology) बन जाएगा? कहां यह एक बड़े
16
21
पैमाने पर बिक
े गा? तब अनुमान लगाया गया क
े ऐसा कभी नहीं हो पायेगा, कोई भी इसक
े जैसे बड़े उपकरण को
संभाल नहीं सकता है। यह क्या होने जा रहा है? यह अमीरी का प्रतीक बनने जा रहा है। जहां बहुत अमीर लोग
उनकी कारों में इस तरह क
े फोन रखेंगे। यह आम आदमी की तकनीक होगी ऐसा किसीने नहीं सोचा था। तो, यह
एक बैटरी पैक (battery pack) विशाल बैग की तरह दिखता था और यह बैटरी पैक (battery pack) को कार
की डिक्की में स्थापित किया जाता था और फिर आपकी ड्राइवर सीट (driver seat) क
े पास फोन होगा, तो इस
तरह से शुरुआत हुई।
(Refer Slide Time: 26:53)
तो, अगर आप चाहते हैं कि आपका फोन चोरी ना हो जाए, तो आपको बैटरी पैक (battery pack) को अपने साथ
रखना पड़ता होगा, ज़्यादा समय तक संवाद करना भी कठिन होगा। लेकिन सौभाग्य से आकार छोटा हो गया और
फोन की बैटरी लाइफ (battery life) बढ़ गई।
(Refer Slide Time: 27:13)
17
22
हथेली क
े आकार का पहला फोन, 1989 में फिर से मोटोरोला से आया; यह एक उपकरण था जो इतना छोटा था
कि आप इसे अपने कान क
े पास रखते थे तो माइक
् रोफोन (microphone) मुंह तक नहीं पहुंचता था। तो,
मोटोरोला एक बहुत चतुर तकनीक क
े साथ आया था जिसे वे इसे फ्लिप (flip) तकनीक कहते हैं। फ्लिप (flip)
बाहर खोला जाता और माइक
् रोफोन (microphone) यहाँ स्थित था।
तो, यह एकमात्र तरीका है जिससे वे कान और माइक
् रोफोन (microphone) क
े बीच की दूरी बना सकते हैं।
इसलिए, इतिहास का यह एक बहुत दिलचस्प हिस्सा है और इसने बहुत अच्छे उद्देश्य से काम किया है क्योंकि एक
बार जब आप इसे बंद कर देते हैं तो आप गलती से स्विच (switch) को दबा नहीं सकते हैं, यह एक प्रकार का
स्वनिर्मित कीपैड लॉक संरक्षण (in-built keypad lock protection) था। फिर एक श्रृंखला आई ... वैसे
इसमें एक लाइन डिस्प्ले (line display) था, सिर्फ अंक ही इससे प्रदर्शित कर सकते थे। बड़ी छलांग तब आई
जब उन्हें तीन लाइन का डिस्प्ले (three line display) मिला- डॉट मैट्रिक्स डिस्प्ले (dot matrix display),
तो 1992 तक हमारे पास क
ु छ अक्षर आ गये, हम बार की संख्या देखकर सिग्नल मजबूती (signal) और बैटरी
लाइफ (battery life) देख सकते थे।
(Refer Slide Time: 28:21)
18
23
फिर मोटोरोला स्टारटैक (StarTAC) नामक एक और बदलाव क
े साथ आया, पेहले माउथपीस (mouthpiece)
बाहर खुलता था, अब इसमें इयरपीस (earpiece) बाहर खुल रहा था - फिर से बहुत दिलचस्प डिजाइन
(design)।
लेकिन शायद शुरुआती पीढ़ियों में, 1998 से 2000 तक सबसे ज्यादा बिकने वाला फोन नोकिया फोन (Nokia
phone) था। उसी समय क
े आसपास लोग कहने लगे, आप जानते हैं, 'सेल फोन कैंसर (cancer) का कारण
बनते हैं।' मैं यह नहीं जानता वह एक बड़ी चिंता बन गई या नहीं, क्योंकि आप जानते हैं कि यह अब बड़े पैमाने पर
का बाजार बन चूका था और नोकिया ने शानदार रणनीति बनाई। उन्होंने ऐंटेना (antenna) को अंदर रखा, और
क
ु छ लोगों ने सोचा कि इसमें ऐंटेना (antenna) नहीं होता है, तो कैंसर (cancer) की चिंता मत करो। सब
क
ु छ ठीक है। लेकिन बाहरी ऐंटेना (antenna) वास्तव में एक बेहतर डिज़ाइन (design) है, क्योंकि यह आपको
बेहतर लिंक मार्जिन (link margin) देता है। हम इसक
े बारे में बात करेंगे, लेकिन डिजाइन (design) क
े
अनुसार आज यह फोन क
े अंदर रखे जाते हैं, ताकि वह दिखने में अच्छा लगे।
(Refer Slide Time: 29:34)
19
24
पहला क्वेर्टी कीपैड (qwerty keypad) 2002 में आया था और जब 2007 में iPhone आया तब से स्मार्ट फोन
(smart phone) की शुरुआत हुई। आप दाहिनी तरफ देख रहे हैं कि एरिक्सन (Ericsson) बड़े फोन क
े साथ
आया और फिर फोन छोटा होता गया और मुझे लगता है कि अब हम फिर से मध्यम आकार में आ गए हैं। तो यह
सेल्युलर हैंडसेट (cellular handset) क
े संदर्भ में एक बहुत ही दिलचस्प विकास है।
(Refer Slide Time: 30:04)
20
25
लेकिन यह एक प्रौद्योगिकी पाठ्यक
् रम हैं, सेल फोन (cell phones) तो एक पहलू हैं, लेकिन इन उपकरणों में
से प्रत्येक ने क्या कार्यक्षमता दी? 1G आवाज क
े बारे में था, आवाज को एक एनालॉग वेवफॉर्म (analog
waveform) क
े रूप में लिया गया जहा FM प्रकार क
े ट्रांसमिशन (transmission) का उपयोग हुआ था और
पूरा ध्यान सिर्फ आवाज प्रदान करने पर केंद्रित किया गया था।
जिस क्षण आवाज क
े साथ डिजिटल (digital) आया तब वह एक वेवफॉर्म कोडिंग (waveform coding) नहीं
रहा, वह वोकोडर (vocoder) था, जो एक स्पीच कोडर (speech coder) का उपयोग करक
े आवाज का
निरूपण करता है, जिसका अर्थ है कि अब आप आवाज का डिजिटल निरूपण (digital representation) कर
रहे हैं। इसलिए, इसे हम डिजिटली कम्प्रेस्ड आवाज (digitally compressed voice) क
े रूप में संदर्भित
करते हैं। और उसमे 9.6 kbps का सर्किट स्विच डेटा (circuits switch data) था। तब एक चर्चा थी कि
हमारे पास SMS होना चाहिए या नहीं क्योंकि किसीको भी अंदाज़ा नहीं था कि SMS का उपयोग किस लिए
किया जा सकता है। तो, अंततः उन्होंने तय किया कि इसे वहाँ रखना चाहिए क्योंकि किसी दिन इसका उपयोग
करने का एक तरीका मिल सकता है। तो, इस तरह से SMS आया, लेकिन निश्चित रूप से, आज यह एक अलग
कहानी है। SMS एक प्रमुख चीज़ है। सर्किट स्विच्ड वॉइस (circuits switched voice) 2.5G में पैक
े ट
स्विच्ड वॉइस (packet switched voice) से बदल दिया गया, आप में से कई GPRS से परिचित हैं - जनरल
पैक
े ट रेडियो सर्विस (general packet radio service), तब पहली बार रेडियो पैक
े ट स्विचड डेटा (packet
switched data) को पेश किया गया था। सर्किट स्विचिंग (circuit switching) क
े लिए जो 9.6 kbps का
डेटा रेट (data rate) मिल रहा था, वह पैक
े ट स्विचिंग (packet switching) मैं बढ़कर 14.4 kbps जितना
हो गया।
3G में यह समझ आ गया कि अब पैक
े ट स्विचिंग (packet switching) में ही विकास होने वाला है। डेटा दर
(data rate) 384 kbps से बढ़कर 2 Mbps हो गया, आवाज में काफी सुधार हुआ, और फिर हमने अधिक से
अधिक डेटा अनुप्रयोगों (data applications) को देखना शुरू कर दिया, उन सभी में पैक
े ट स्विचड डेटा
(packet switched data) का उपयोग किया गया। 3.5G ने 14 Mbps तक की स्पीड (speed) दी; 4G
ने इस से भी उच्चतर स्तर प्राप्त किया, अब 5G में हम 100 Mbps क
े बारे में बात कर रहे हैं। तो, अब, सवाल
अक्सर पूछा जाता है कि ‘अच्छा आपक
े पास 100 Mbps पर चलने वाला कौनसा एप्लिक
े शन (application) है
जिसक
े लिए 100 Mbps की आवश्यकता होती है? उत्तर बहुत सरल है। याद है वायरलेस (wireless) एक
साझा उपकरण, साझा माध्यम है। तो, हवा में 100 Mbps का यह मतलब नहीं है कि अक
े ले आपक
े डिवाइस
(device) को 100 Mbps मिल रहा है; वहां कई लोग हैं जो 100 Mbps क
े लिए संघर्ष कर रहे हैं।
तो, आखिरकार आपक
े लिए, यह उपयोगकर्ताओं की संख्या पर निर्भर करता है और इसलिए, व्यक्तिगत डेटा दरें
(data rates) अभी भी मामूली हैं क्योंकि वे एक समर्पित दर (dedicated rate) नहीं है और यही कारण है कि
प्रेरणा हमेशा रही है - आइए देखें कि क्या हम डेटा दरों (data rates) को थोड़ा अधिक बढ़ा सकते हैं।
21
26
(Refer Slide Time: 33:10)
सेल्युलर क
् रांति (cellular revolution) को अच्छे से ध्यान में रखने क
े लिए आपक
े पास एक बहुत अच्छा तरीका
है, जब आपको मौका मिले तो एक एक
् रोनिम्स शीट (acronyms sheet) बनाएं, जिनमे आप इन सभी एक
् रोनिम्स
(acronyms) का उल्लेख करे, 2G में GSM तकनीक थी, यानी - ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल
कम्युनिक
े शन्स (global system for mobile communications), GPRS - जनरल पैक
े ट रेडियो सर्विस
(general packet radio service), जो वाइडबैंड CDMA (wideband CDMA) नामक एक तकनीक में
चली गई, जो 3G की एक तकनीक थी। फिर हमने 3.5G की शुरुआत की और फिर 4G क
े लिए LTE नामक
एक प्रणाली थी, नाम बहुत तार्किक नहीं हैं - इसे लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन (long term evolution) कहा जाता है।
और एक बहुत दिलचस्प घटना देख सकते हैं, GSM और CDMA वास्तव में प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकि थी, आप में
से क
ु छ को पता हो सकता है कि ऑपरेटर (operators) भी प्रतिस्पर्धी थे। वे प्रत्येक अपने स्वयं क
े मार्ग पर
विकसित हो रहे थे, लेकिन जब यह 4G आया, तब उनका एक प्रणाली में विलय हो गया है जो लॉन्ग टर्म
एवोल्यूशन (long term evolution) है।
तो, लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन (long term evolution) 4.5G में चला गया जिसे लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन एडवांस्ड
(long term evolution advanced) या LTE एडवांस्ड (LTE advanced) कहा जाता है, और फिर अब
5G क
े बारे में बात करते हैं जो भविष्य में आएगा, शायद वर्ष 2020 में। तो, एवोल्यूशन (evolution) क
े मुख्य
पहलू में हम देख सकते हैं कि पैक
े ट डेटा गति (packet data speed) की संख्या में वृद्धि हो रही है। पैक
े ट डेटा
गति (packet data speed) क
े साथ साथ दुनिया भर में उपयोगकर्ताओं में भी कई गुना वृद्धि हुई है। तो,
उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या को आप क
ै से सपोर्ट (support) करेंगे, प्रत्येक उपयोगकर्ता अधिक से अधिक
डेटा दर (data rate) मांगता है और उपलब्ध स्पेक्ट्रम (spectrum) अभी भी बहुत सीमित है। तो, चुनौती
हमेशा से रही है कि आप क
ै से दिए गए बैंडविड्थ (bandwidth) क
े भीतर अधिक उपयोगकर्ताओं, उच्च डेटा दरों
22
27
(data rate) को सपोर्ट (support) करते हैं, जिसे हम स्पेक्ट्रल एफिसियन्सी (spectral efficiency) क
े
रूप में संदर्भित करते हैं और हम यह अध्ययन करेंगे कि यह हमारे पाठ्यक
् रम क
े लिए भी बहुत महत्वपूर्ण विषय है।
क
ु छ वैचारिक चित्रों (conceptual pictures) को ध्यान में रखना है, जैसे कि सेल्युलर (cellular) बनाम अन्य
प्रौद्योगिकियों का क्या ट्रेंड (trend) है।
(Refer Slide Time: 35:18)
आपको याद होगा कि हमने र्सनल एरिया नेटवर्क (personal area network) क
े बारे में बात की है; ज़िगबी
(zigbee) और ब्लूटूथ (bluetooth) जैसे पर्सनल एरिया नेटवर्क (personal area network), का आप
सेल्युलर (cellular) क
े संबंध में क
ै से वर्णन करेंगे? एक तरीका है क
े एक चार्ट (chart) पर x अक्ष पर डेटा दर
(data rate) रखे, जो Mbps में होगा, y अक्ष पर कवरेज (coverage) या मोबिलिटी (mobility) को रखे -
जो दर्शाता है की एक उपयोगकर्ता एक ही प्रणाली से जुड़ते हुए कितना चल सकता हैl
तो, ज़िगबी (zigbee) और ब्लूटूथ (bluetooth) मूलभूत प्रणाली (fundamental systems) हैं जो हैंडऑफ़
(handoff) या मोबिलिटी (mobility) प्रदान नहीं करते हैं। अगर आप एक कमरे क
े भीतर या किसी इमारत क
े
भीतर हैं, तो ब्लूटूथ (bluetooth) में डेटा दरें (data rates) Mbps तक और ब्लूटूथ (bluetooth) क
े नए
एवोल्युशन्स (evolutions) में थोड़ा अधिक भी मिल सकती है। अब, उस की तुलना में GSM या CDMA में
आपको देश भर में कवरेज (coverage) मिलती है। मूल रूप से आपको राष्ट्रव्यापी फ
ू टप्रिंट्स (nationwide
footprint) मिल सकते हैं। इसलिए, आपक
े पास पूरी मोबिलिटी (mobility) हो सकती है, कम गति से लेकर तेज
चलने वाली कार या रेल गाडी में आप उच्च गति प्राप्त कर सकते हैं। तो, आपक
े पास मोबिलिटी (mobility) और
वैश्विक, राष्ट्रीय कवरेज (coverage) हो सकता है, लेकिन डेटा दर 9.6 kbps जितनी मामूली होगी। तो, आप
23
28
देख सकते हैं यह y आयाम पर बहुत मजबूत होगा, x आयाम पर इतना मजबूत नहीं होगा। मूल रूप से सेल्युलर
प्रौद्योगिकियों (cellular technologies) में इसे ठीक करने की आवश्यकता महसूस हुई क्योंकि लगा की
लोगो को और उच्च डेटा दर (data rate) चाहिए होगा, और हम सेल्युलर सिस्टम (cellular system) में हमारे
पास जो लाभ है उसे खोना नहीं चाहेंगे, हमारे पास मोबिलिटी (mobility) और विस्तृत कवरेज (coverage) क्षेत्र
है।
तो, 2G, 3G से 4G तक आप देख सकते हैं, मूल रूप से कर्व (curve) मोबिलिटी (mobility) या कवरेज
(coverage) पर समझौता किये बिना दाईं ओर स्थानांतरित हो रहा है, लेकिन डेटा दर (data rate) क
े संदर्भ में
हमेशा बढोतरी हो रही है। दूसरी ओर वायरलेस LAN तकनीक (wireless LAN technology) 802.11
हमेशा सेल्युलर (cellular) से एक कदम आगे लगती है, सेल्युलर (cellular) जब 1 Mbps पर आया तब वे 50
Mbps पर थे । तो, मूल रूप से वायरलेस LAN तकनीक (wireless LAN technologies) y अक्ष पर
अधिक मजबूत हैं, लेकिन फिर से उनकी मोबिलिटी (mobility) या समग्र कवरेज (coverage) क्षेत्र सीमित हैं।
यह अभी भी एक इमारत क
े अंदर होगा का। तो, यह सेल्युलर प्रणाली (cellular system) क
ै से विकसित हो रहे
हैं, क
ै से अन्य वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्क (wireless personal area networks), लोकल एरिया
नेटवर्क (local area networks) प्रौद्योगिकियां विकसित हो रहे है, यह एक रसप्रद डायनेमिक्स
(dynamics) हैl जो क
ु छ भी हम पहले से जानते हैं, उसक
े संदर्भ में क
ु छ देखते हैं। तो, डिजिटल कम्युनिक
े शन्स
सिस्टम (digital communications system) क
े घटक क्या हैं?
तो, यह समीक्षा है। इसलिए, उम्मीद है कि इन सभी विषय को संदर्भित करने जा रहे हैं वह आप पहले से ही एक
पाठ्यक
् रम में अध्ययन कर चुक
े होंगे।
(Refer Slide Time: 38:16)
24
29
अगर में आपसे ट्रांसमीटर (transmitter) का ब्लॉक डायाग्राम (block diagram) बनाने को कहु, तो मुझे
यकीन है कि आपमें से अधिकांश बना सकेंगे, लेकिन थोड़ा मेरे साथ रहे। आपक
े पास एक जानकारी स्रोत
(information source) है जो आप सोर्स कोडिंग (source coding) या कम्प्रेशन (compression) करने
क
े लिए लागू करेंगे, मूल रूप से यहा स्पीच (speech) जो की एक एनालॉग (analog) स्रोत है, उसे डिजिटाइज़
(digitize) किया जाता हैं, आप इसे कम्प्रेस (compress) करते हैं। वह आपका पहला कदम है। दूसरा कदम
गोपनीयता होगा - जानकारी को एन्क्रिप्ट (encrypt) करना। फिर आप इसे एक चैनल (channel) पर भेजने जा
रहे हैं जिससे आप एरर प्रोटेक्शन (error protection) करना चाहते हैं। हम क
ै र्रिएर मॉडुलेशन (carrier
modulation) कर रहे हैं, इसलिए, आपको एक क
ै र्रिएर (carrier) पर जानकारी डालनी होगी, वह मॉडुलेशन
(modulation) का पहलू होगा।
पल्स शेपिंग (pulse shaping) बैंडविड्थ (bandwidth) को क
ु शल (efficient) बनाने क
े लिए है। तो, पल्स
शेपिंग (pulse shaping) हमारा ट्रांसमिट (transmit) फ़िल्टरिंग (filtering) करक
े सुनिश्चित करते है कि
हमारा ट्रांसमिट स्पेक्ट्रम (transmit spectrum) यथासंभव छोटा (compact) है। यह इस बात पर निर्भर
करता है कि आप अपने ट्रांसमीटर (transmitter) को क
ै से लागू करते हैं, संभवतः पल्स शेपिंग (pulse
shaping) एक DSP में किया जाता है, फिर उसक
े बाद आप इसे एक एनालॉग तरंग (analog waveform) में
परिवर्तित करते हैं फिर इसे RF में रूपांतरित करते हैं, फिर पावर एम्पलीफिक
े शन (power amplification)
करते हैं और फिर आप इसे रेडिएशन (radiation) क
े लिए एक ऐंटेना (antenna) से कनेक्ट (connect) करते
हैं। तो, यह डिजिटल कम्युनिक
े शन्स (digital communications) का ब्लॉक डायाग्राम (block diagram)
है।
(Refer Slide Time: 39:50)
25
30
अगर आप आवाज़ को 8 किलो सेम्पल्स प्रति सेक
ं ड (kilo samples per second), 8 बिट प्रति सेम्पल
(bits per sample) से सेम्पल (sample) करे, तो आपक
े पास 64 kbps होगा। यह आपका ट्रान्समिशन दर
(transmission rate) या सूचना दर (information rate) होगा।
GSM क
े मामले में कम्प्रेशन (compression) करक
े 64 kbps से कम करक
े 12 kbps करना है। और वह
आवाज कोडर (voice coder) या वोकोडर (vocoder) है जो हम जानकारी प्रसारित करने क
े लिए उपयोग
करते हैं। एरर प्रोटेक्शन (error protection) क
े लिए बहुत परिष्क
ृ त कोडस (sophisticated codes)
उपलब्ध हैं। क
ु छ एरर प्रोटेक्शन कोडस (error protection codes) टर्बो कोडस (turbo codes), LDPC
कोडस (LDPC codes) है। लेकिन जिसे हम पहले से ही जानते हैं और समझने में सबसे आसान है वह
रिपीटिशन कोड (repetition code) है। जिसमे आप मूल रूप से जानकारी को दोहराते हैं और अपनी जानकारी
की रक्षा करते हैं ताकि आपका रिसीवर (receiver) हमेशा मूल जानकारी को पुनर्प्राप्त कर सक
े ।
मॉड्यूलेशन (modulation) - मॉड्यूलेशन (modulation) कई प्रकार क
े है। वायरलेस (wireless) में
अधिकांश मॉड्यूलेशन तकनीकें (modulation techniques) एंप्लीट्यूड (amplitude) और फ
े ज (phase)
दोनों का उपयोग करती हैं। मैंने आपको 8 PSK कॉन्स्टेलशन (constellation) दिखाया है, 16QAM एक
और कॉन्स्टेलशन (constellation) है। लेकिन आप देखेंगे कि बहुत सारे वायरलेस सिस्टम (wireless
systems) वास्तव में QPSK क
े साथ काम करते हैं, और आशा है कि पाठ्यक
् रम क
े अंत तक आप मुझे जवाब
देंगे की 64 QAM या 256 QAM का उपयोग क्यों नहीं करते।
(Refer Slide Time: 41:13)
26
31
अब, रिसीवर (receiver) पर का ब्लॉक डायाग्राम (block diagram) देखते है। वैसे तीर की दिशा पर ध्यान
दें, सूचना स्रोत से ऐंटेना (antenna) तक जा रहा है। रिसीवर (receiver) मूल रूप से उलटी दिशा में कार्य
करता है। आप को सिग्नल (signal) मिलता हैं, आप फ़िल्टर (filter) करते हैं। वह आपका रिसीव फ़िल्टर
(receive filter) है। जो सभी अवांछित जानकारी को बाहर फेंक देंता है। क
े वल पसंद का सिग्नल (signal)
लेंकर, उसे एम्प्लिफाय (amplify) करता है। हम इसे लो नॉइज़ एम्प्लिफायर (low noise amplifier) कहते
हैं। एक सवाल यह है कि ये 'लो नॉइज़ (low noise)’ क्यों होना चाहिए? लेकिन मुझे यकीन है कि आप इसका
जवाब जानते हैं। फिर उसे RF से बेसबैंड (baseband) में, एक चरण में या कई चरणों में, हेट्रोडाइन
(heterodyne) या होमोडाइन रिसीवर (homodyne receiver) से बदला जाता है। फिर उसे डिजिटल
(digital) में रूपान्तरीत किया जाता हैl फिर उसे एक मेच्ड फ़िल्टर (matched filter) से पास (pass) किया
जाता है।
अगर आपने ट्रान्समीटर (transmitter) पे स्क्वेर रुट राईज़ेड कोसाइन (square root raised cosine) का
उपयोग किया है, मेच्ड फ़िल्टर (matched filter) आपको बहुत अच्छा SNR देगा, फिर डिमॉड्यूलेशन
(demodulation) होता है और उसक
े बाद चैनल डिकोडिंग (channel decoding) करक
े जो जानकारी
चाहिए उसको अलग किया जाता है, फिर डिक्रिप्शन (decryption) करक
े जानकारी को री-एन्कोड
(re-encode) किया जाता है, ताकि आप फिर उसे वापस चला सकते हैं।
(Refer Slide Time: 42:25)
27
32
इसलिए, क
ु छ रिसीवर (receiver) सिंक
् रोनाइजेशन (synchronization) की जरूरत होती है - फ्रिकवन्सी
(frequency) और समय सिंक
् रोनाइजेशन (synchronization) दोनों। यदि कोहेरेंट रिसीवर (coherent
receiver) है, तो आपको चैनल एस्टिमेशन (channel estimation) करना होगा। यदि आपक
े चैनल
(channel) में ISI है, तो आपको इक्वलाईजेशन (equalization) करना होगा और फिर, चैनल डिकोडिंग
(channel decoding) होगा। लेकिन आखिर में शायद आपको अंदर क्या हो रहा है, इस बात की परवाह नहीं
होगी। यदि आपकी दिलचस्पी MP3 प्लेयर (MP3 player) या क
ै मरा (camera) में है, तो यहाँ शायद
एप्लिक
े शन (application) अंतिम उपयोगकर्ता क
े दृष्टिकोण से ज़्यादा दिलचस्प है। लेकिन एक कम्युनिक
े शन
इंजीनियर (communications engineer) क
े नजरिए से हमारे लिए ट्रांसमीटर (transmitter) और रिसीवर
(receiver) ज़्यादा महत्वपूर्ण है।
तो, इसमें अब हमारा कोर्स (course) कहां है? यह सब पहले से ही अध्ययन किया गया है। हमारा कोर्स
(course) ट्रांसमीटर (transmitter) से शुरू होता है, जहा रेडिएटेड सिग्नल (radiated signal) है, दूसरे
छोर पर, रिसीवर (receiver), यह रेडिएटेड (radiated) जानकारी को उठाता है।
(Refer Slide Time: 43:03)
28
33
तो, चलो हम मानते हैं कि यह एक ऑडियो (audio) स्रोत था। आपने माइक
् रोफ़ोन (microphone) में बोला।
यहाँ स्पीकर (speaker) बज रहा है। जो बीच में है वह वायरलेस चैनल (wireless channel) है। यह
पाठ्यक
् रम का फोकस (focus) है और आपको लग रहा होगा, ‘इसमें इतना मुश्किल क्या हो सकता है? सिर्फ
ट्रान्समीट (transmit) हो रहा है, और रिसीव (receive) ही तो होरहा है। यहां क्या चुनौतियां हैं? लेकिन यही
इस पाठ्यक
् रम का जड़ है, और वो मैं आपक
े साथ अगली क
ु छ स्लाइड्स (slides) में साझा करुं गा। वायरलेस
चैनल (wireless channel) को क्या अलग बनाता है? इसक
े साथ काम करना कितना मुश्किल है? ऐसा क्यों
है कि हमें सिर्फ वायरलेस चैनल (wireless channel) क
े बारे में अध्ययन करने क
े लिए पूरा एक कोर्स
(course) करना पड़ रहा है, और अभी भी शायद बहुत सी चीजों को हम कवर (cover) नहीं कर पाएंगे।
हमारा ध्यान वायरलेस चैनल (wireless channel) क
े आसपास केंद्रित होगा। डिजिटल कम्युनिक
े शन्स
(digital communications) में आपक
े द्वारा पढ़ी गई सभी चीजों का उपयोग करें, लेकिन इसे वायरलेस
(wireless) क
े संदर्भ में लागू करें। अगली क
ु छ स्लाइड्स (slides) में मैं आपको दिखाऊ
ं गा कि वायरलेस चैनल
(wireless channel) अलग और चुनौतीपूर्ण है।
(Refer Slide Time: 44:31)
29
34
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf
106106167.pdf

More Related Content

Featured

AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdfAI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdfmarketingartwork
 
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024Neil Kimberley
 
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)contently
 
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024Albert Qian
 
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie InsightsSocial Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie InsightsKurio // The Social Media Age(ncy)
 
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024Search Engine Journal
 
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
5 Public speaking tips from TED - Visualized summarySpeakerHub
 
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd Clark Boyd
 
Getting into the tech field. what next
Getting into the tech field. what next Getting into the tech field. what next
Getting into the tech field. what next Tessa Mero
 
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search IntentGoogle's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search IntentLily Ray
 
Time Management & Productivity - Best Practices
Time Management & Productivity -  Best PracticesTime Management & Productivity -  Best Practices
Time Management & Productivity - Best PracticesVit Horky
 
The six step guide to practical project management
The six step guide to practical project managementThe six step guide to practical project management
The six step guide to practical project managementMindGenius
 
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...RachelPearson36
 
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...Applitools
 
12 Ways to Increase Your Influence at Work
12 Ways to Increase Your Influence at Work12 Ways to Increase Your Influence at Work
12 Ways to Increase Your Influence at WorkGetSmarter
 

Featured (20)

AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdfAI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
 
Skeleton Culture Code
Skeleton Culture CodeSkeleton Culture Code
Skeleton Culture Code
 
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
 
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
 
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
 
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie InsightsSocial Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
 
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
 
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
 
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
 
Getting into the tech field. what next
Getting into the tech field. what next Getting into the tech field. what next
Getting into the tech field. what next
 
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search IntentGoogle's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
 
How to have difficult conversations
How to have difficult conversations How to have difficult conversations
How to have difficult conversations
 
Introduction to Data Science
Introduction to Data ScienceIntroduction to Data Science
Introduction to Data Science
 
Time Management & Productivity - Best Practices
Time Management & Productivity -  Best PracticesTime Management & Productivity -  Best Practices
Time Management & Productivity - Best Practices
 
The six step guide to practical project management
The six step guide to practical project managementThe six step guide to practical project management
The six step guide to practical project management
 
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
 
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...
Unlocking the Power of ChatGPT and AI in Testing - A Real-World Look, present...
 
12 Ways to Increase Your Influence at Work
12 Ways to Increase Your Influence at Work12 Ways to Increase Your Influence at Work
12 Ways to Increase Your Influence at Work
 
ChatGPT webinar slides
ChatGPT webinar slidesChatGPT webinar slides
ChatGPT webinar slides
 
More than Just Lines on a Map: Best Practices for U.S Bike Routes
More than Just Lines on a Map: Best Practices for U.S Bike RoutesMore than Just Lines on a Map: Best Practices for U.S Bike Routes
More than Just Lines on a Map: Best Practices for U.S Bike Routes
 

106106167.pdf

  • 1. Prof. David Koilpillai Electrical Engineering IIT Madras INTRODUCTION TO WIRELESS AND CELLULAR COMMUNICATIONS
  • 2. INDEX SI.No Topics Page No. Week 1 सेल्युलर इवोल्यूशन और वायरलेस टेक्नोलॉजीज का ओवरव्यु (Overview of Cellular Evolution and Wireless Technologies) 1 सेल्युलर सिस्टम्स (Cellular Systems) का ओवरव्यु (Overview) - भाग १ 6 2 सेल्युलर सिस्टम्स (Cellular Systems) का ओवरव्यु (Overview) - भाग २ 44 3 सेल्युलर सिस्टम्स (Cellular Systems) का ओवरव्यु (Overview) - भाग ३ 80 4 5G और अन्य वायरलेस टेक्नोलोजीस (Wireless Technologies) 118 Week 2 वायरलेस प्रोपगेशन और सेल्युलर कॉन्सेप्ट्स (Wireless Propagation and Cellular Concepts) 5 बेजिक सेल्युलर शब्दावली (Basic Cellular Terminology) 155 6 ऐंटेनास (Antennas) और प्रोपोगेशन मॉडस (Propagation Modes) का परिचय 182 7 लिंक बजट (Link budget), फ े डिंग मार्जिन (Fading margin), आउटेज (Outage) 207 8 सेल्युलर कॉन्सेप्ट (Cellular Concept) 233 9 सेल्युलर सिस्टम डिजाइन (Cellular system design) और विश्लेषण 263 1
  • 3. Week 3 सेल्युलर सिस्टम डिज़ाइन, क्षमता, हैंडऑफ़ और आउटेज (Cellular System Design, Capacity, Handoff and Outage) 10 सेल्युलर ज्यामिति और सिस्टम डिज़ाइन 289 11 सेल्युलर सिस्टम की क्षमता (Capacity), ट्रंकिं ग (Trunking) 315 12 हैंडऑफ़ (Handoff) और गतिशीलता (Mobility) 347 13 हैंडऑफ़ भाग २, सिग्नल वेरिएशन (Signal Variation) का वर्गीकरण 376 14 छायांकन (Shadowing), आउटेज (Outage), मल्टीपाथ (Multipath) 406 Week 4 मल्टिपाथ फ े डिंग एन्वायरमेन्ट (Multipath Fading Environment) 15 रेले फ े डिंग (Rayleigh Fading) और सांख्यिकीय विशेषता (Statistical Characterization) 434 16 रेले फ े डिंग क े लक्षण (Properties) 462 17 फ े डिंग में BER, नेरोबेंड (Narrowband) बनाम वाइडबैंड (Wideband) चेनल्स 487 18 मल्टिपाथ फ े डिंग चेनल्स का चरित्रांकन (Characterisation) 513 19 मोड्युलेशन की पसंद (Choice of Modulation) 536 Week 5 फ े डिंग चैनल्स में BER प्रदर्शन (BER Performance in Fading Channels) 20 कोहेरेंट (Coherent) बनाम डिफरेंशियल (Differential) डिटेक्शन 564 21 व्याख्यान १- १९ की समीक्षा (Review of Lecture 1-19) 591 22 कोहेरट बनाम डफर शयल डटे शन-भाग २ और फ े डंग (Fading) मBER 621 2
  • 4. 23 फ े डिंग में BER - भाग २, राइसीयन फ े डिंग (Ricean Fading) 648 24 राइसीयन और नाकागामी (Nakagami) फ े डिंग, मोमेंट जनरेटिंग फ ं क्शन (Moment Generating Function - MGF) 673 Week 6 वाइड सेंस स्टेशनरी अनकोरिलेटेड स्क ै टरिंग (WSSUS) चैनल मॉडल (Wide Sense Stationary Uncorrelated Scattering Channel Model) 25 MGF भाग - २, WSSUS मॉडल 700 26 WSSUS भाग - २, कोहेरेन्स टाइम (Coherence Time), डोपलर स्पेक्ट्रम (Doppler Spectrum) 723 27 डोपलर, ऑफ़ फ े डिंग चैनल्स (Fading Channels) की टेम्पोरल करैक्टरिस्टिक्स (Temporal Characteristics) 747 28 टाइम डिस्पर्सिव्स फ े डिंग (Time Dispersives Fading) चैनल्स का क ै रेक्टराइजेशन 774 29 फ े डिंग चैनल्स का वर्गीकरण (Classification of Fading channels) 799 Week 7 रेले फ े डिंग (Rayleigh Fading) का कम्प्यूटर सिमुलेशन (Computer Simulation), ऐन्टेना डायवर्सिटी (Antenna Diversity) 30 प्रैक्टिकल चैनल मॉडल (ITU, COST), रेले फ े डिंग का कोम्प्युटर जनरेशन (Computer generation) 827 31 रेले फ े डिंग सिमुलेशन - क्लार्क (Clark) और गांस मेथड (Gans Method), जेक मेथड (Jake’s Method) 849 32 जेक मेथड की प्रॉपर्टीज (Jakes’ Method Properties) 870 3
  • 5. 33 डायवर्सिटी (Diversity) का परिचय, ऐन्टेना चयन डायवर्सिटी (Antenna selection diversity) 893 34 स्टैटिस्टिकल क ै रेक्टराइजेशन ((Statistical Characterization) ऑफ़ ऐन्टेना डाइवर्सिटी (Antenna Diversity), इष्टतम डाइवर्सिटी संयोजन (Optimal Diversity Combining) 920 Week 8 फ े डिंग चैनल्स-डायवर्सिटी और क ै पेसिटी (Fading Channels - Diversity and Capacity) 35 फ े डिंग में BER, इक्वल गेन कम्बाइनिंग (Equal Gain Combining) 956 36 ऐरे गेन (Array Gain), डाइवर्सिटी गेन (Diversity Gain), अलामूटी स्कीम (Alamouti Scheme) 980 37 अलामूटी योजना (Alamouti Scheme) - भाग २, चैनल क्षमता (Channel Capacity) 1005 38 फ े डिंग चैनल्स की क े पेसिटी, आउटेज (outage) क े साथ क े पेसिटी 1029 39 चैनल स्टेट इन्फर्मेशन (Channel State Information), ऑप्टिमम पावर अलोक े शन (Optimum Power Allocation) 1053 Week 9 वायरलेस चैनल क्षमता - वोटर फिलींग (Wireless Channel Capacity - Water filling) 40 L19-36 की समीक्षा (Review of L19-36) 1077 41 ऑप्टिमम पावर एलोक े शन - वोटर फिलींग (Water filling) 1108 42 ऑप्टिमम पावर एलोक े शन - वोटर फिलींग - भाग २ 1133 43 डायरेक्ट सिकवन्स स्प्रेड स्पेक्ट्रम (Direct Sequence Spread Spectrum) कम्युनिक े शन्स का परिचय 1158 4
  • 6. Week 10 CDMA 44 स्प्रेडिंग सिकवंसिस क े लक्षण (Properties of Spreading Sequences) 1181 45 स्प्रेडिंग सिकवंसिस क े लक्षण - भाग २ 1206 46 CDMA का परिचय (Introduction to CDMA) 1232 47 CDMA 2000 की विशेषताएं और WCDMA 1257 Week 11 CDMA रिसीवर्स (CDMA Receivers) 48 मल्टीपल चेनल्स (multiple channels) क े लिए रेक रिसीवर (Rake Receiver) 1279 49 मल्टीयूज़र एनवायरमेन्ट (Multiuser environment) 1301 50 CDMA सिस्टम क े पेसिटी 1323 51 CDMA मल्टीयूज़र डिटेक्टर्स (CDMA Multiuser Detectors) - भाग १ 1350 52 CDMA मल्टीयूज़र डिटेक्टर्स - भाग २ 1372 Week 12 53 MIMO सिस्टम (MIMO System) 1396 54 MIMO सिस्टम की क े पेसिटी - भाग १ 1419 55 MIMO सिस्टम की क े पेसिटी - भाग २ 1441 56 MIMO सिस्टम की क े पेसिटी - भाग ३ 1459 5
  • 7. वायरलेस और सेल्युलर संचार का परिचय (Introduction to Wireless and Cellular Communication) प्रोफ. डेविड कोईलपिल्लई (Prof. David Koilpillai) इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग (Department of Electrical Engineering) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (Indian Institute of Technology, Madras) व्याख्यान - ०१ (Lecture - 01) सेल्युलर इवोल्यूशन और वायरलेस टेक्नोलॉजीज का ओवरव्यु (Overview of Cellular Evolution and Wireless Technologies) सेल्युलर सिस्टम्स का ओवरव्यु - भाग १ (Overview of Cellular Systems – Part I) शुभ संध्या और EE5141:वायरलेस और सेल्युलर कम्युनिक े शन्स (wireless and cellular communications) क े परिचय में आपका स्वागत हैं। मैं प्रोफ े सर डेविड कोइलपिल्लई हूं और इस बैच क े लिए इस पाठ्यक ् रम को पढ़ाने का अवसर पाकर बहुत खुश हूं। मैं पाठ्यक ् रम क े बारे में क ु छ शब्द कहकर शुरू करू ं गा, लेकिन इससे पहले एक सवाल का जवाब देदु जो आपक े दिमाग में होगा - "स्टूडियो (studio) में क्यों?" हमें कई वर्षों से फीडबैक (feedback) प्राप्त हुआ है कि छात्रों को एक ही समय पर बोर्ड (board) में क्या है वह लिखना और सुनना बहुत कठिन लगता है, क्योंकि बहुत तेज गति से पढाया जा रहा होता है। इसलिए, सुझाव था कि व्याख्यान समाप्त होने क े बाद कम से कम हमारे पास नोट्स (notes) तो हो और दुर्भाग्यवश कई बार बोर्ड (board) पर जो लिखा जाता है, वो जो मेरे शीट (sheet) पर है उससे बहुत अलग होता हैं क्योंकि आप जानते हैं कि क ु छ चीजें प्रक्रिया क े कारण बदल जाती हैं। इसलिए, मैंने सोचा कि सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि हम एक उपकरण या ऐसा तरीका खोजें जिससे हम कक्षा में जो क ु छ भी हो रहा है उसे अभिलेख कर सकें, बोर्ड (board) पर जो क ु छ भी है उसी समय एक पावर पॉइंट (power point) या MATLAB सिम्युलेशन (simulation) या एक एनीमेशन (animation) पेश करने क े लिए प्रबंध हो, उन चीजों को हम एक पारंपरिक कक्षा में नहीं कर सकते। ESB कक्षाओं में हमारे पास प्रोजेक्टर (projector) हैं, लेकिन उसे आगे पीछे करना आसान नहीं है। इसलिए, यह एक तरीका है जिससे हम सभी विभिन्न रूपों में जानकारी का उपयोग कर सकते हैं, और व्याख्यान क े अंत में आपक े पास संदर्भ में लेने क े लिए क ु छ होगा। स्क ् रीन (screen) पर क ु छ आने से पहले, मैं क ु छ समय क े बारे में उल्लेख करना चाहता था कि यह एक F स्लॉट (F slot) का कोर्स (course) है, और इस कोर्स (course) क े 4 क ् रेडिट (credit) है। (Refer Slide Time: 02:13) 1 6
  • 8. सुबह क े स्लॉट (slot) क े अलावा हमारे पास दोपहर का स्लॉट (slot) है जो मंगलवार को है, 4:50 से 5:40 तक और हम अभी इस स्लॉट (slot) को बनाए रखेंगे। देखते हैं कि हम इसे पहले वाले स्लॉट (slot) में शिफ्ट (shift) कर सकते हैं या नहीं, यदि यह हमारे लिए उपलब्ध है। तो, व्याख्यान पर नज़र रखने का एक तरीका मुझे पसंद है, जो की है क्वाडरेंट (quadrant), जहां सूचित करता है कि कक्षा में क्या शामिल होने जा रहा है। तो, मैने पहले ही दो चीज़ो को संबोधित किया - ‘स्टूडियो (studio) क्यों’, उम्मीद है कि आप पाठ्यक ् रम क े अंत में पुष्टि कर पाएंगे कि यह एक करने योग्य प्रयोग था। मै कोर्स फ्लायर (course flyer) क े साथ शुरू करता हूँ। मेरा कमरा ESB339A है, अगर आपको कभी क ु छ पुछना है तो किसी भी समय आपका स्वागत है। (Refer Slide Time: 03:08) 2 7
  • 9. मैं आपको पाठ्यक ् रम की जानकारी देता हूँ और हम क े वल इस बात पर जोर डालेंगे कि हमे पाठ्यक ् रम में क्या पूरा करना है क्योंकि यह जानना हमेशा अच्छा होता है पाठ्यक ् रम में क्या शामिल हैं। पहले हफ्ते मतलब इस हफ्ते हम पेश करने जा रहे हैं - सेल्युलर (cellular) प्रणाली का अवलोकन और वायरलेस कम्युनिक े शन (wireless communication) का परिचय। यह आपक े लिए एक परिचित विषय होगा, लेकिन बस जानकारी साझा करने तक प्रतीक्षा करें क्योंकि सेल्युलर (cellular) क े क्षेत्र में बहुत सारी गतिविधि हो रही है और यह हमारे लिए एक व्यापक दृष्टिकोण पाने क े लिए अच्छा है। वायरलेस (wireless) पाठ्यक ् रम एक विशिष्ट पहलू पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, लेकिन इसकी 3G, 4G, 5G जैसी शब्दावली क े साथ में क्या हो रहा है, वह जानना आपक े लिए अच्छा है। विशेष रूप से वायरलेस चैनल (wireless channel) से संबंधित कई बातें हम करने जा रहे हैं। इसलिए, में चाहूँगा की छात्र बेसलाइन डिजिटल कम्युनिक े शन्स लिंक (baseline digital communications link) से परिचित हो, जिसको आपने अपने डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) पाठ्यक ् रम में पढ़ा होगा, फिर हम जो पढ़ने जा रहे हैं, उसक े अनुसार हम चैनल (channel) का प्रारूप बदल देंगे। हम इस बारे में आगे थोड़ी और बात करेंगे। पहले सप्ताह में बेसलाइन (baseline) MATLAB या C सिम्युलेशन (simulation) एक असाइनमेंट (assignment) का हिस्सा होगा। फिर हम सेल्युलर (cellular) उपयोग आज किस तरह होता है उसको समझने का प्रयास करेंगे। ‘सेल्युलर’ (cellular) शब्द कहां से आया और इसकी क ु छ मुख्य विशेषताएं जिसमे सबसे महत्वपूर्ण हैं इन सेल्स (cells) की डिज़ाइन (design), सेल्स (cells) को उपयोग करने का तरीका, जब आप एक सेल (cell) से दूसरे सेल (cell) में जाते हैं, तो क्या होता है, हैंडऑफ़ (handoff) का पहलू और फिर नोशनस ऑफ़ क ै पेसिटी (notions of capaity) - सेल्युलर (cellular) प्रणाली की क्षमता क्या है? यह सब समझने का प्रयास करेंगे। अब सेल्युलर (cellular) समझने क े बाद, हम पाठ्यक ् रम की जड़ में जाते हैं, जो है कि “मैं वायरलेस चैनल (wireless channel) को क ै से समझ सकता हूं?” हम इसे प्रोपेगेशन (propagation) कहते हैं, और छोटे पैमाने पर प्रभाव क े संदर्भ में प्रोपेगेशन (propagation) क े प्रभावों को समझते है और हम आज की प्रस्तुति में इसक े बारे में बात करेंगे कि क ु छ विशेषताएं क्या हैं जिसकी वजह से यह AWGN चैनल (channel) से अलग है, जिसका आपने शायद अध्ययन किया होगा। इसलिए, यहां क ु छ पहलू दिए गए हैं, जिनक े बारे में हम विस्तार से जानकारी देंगे और क ं प्यूटर सिम्युलेशन (computer simulation) अब एक बुनियादी डिजिटल कम्युनिक े शन लिंक (digital communication link) से एक वायरलेस चैनल (wireless channel) की और, वायरलेस चैनल (wireless channel) की हानियो का ध्यान रखते हुए रुख करेगा, यह दूसरा चरण है। (Refer Slide Time: 05:56) 3 8
  • 10. वायरलेस प्रणाली (wireless system) क े संदर्भ में एक से ज्यादा ऐंटेनास (antennas) एक महत्वपूर्ण लाभ है। एक, इससे हमारे पास डाइवर्सिटी (diversity) जैसी सुविधा हो सकती है, यह हमें क्षमता क े संदर्भ में भी मदद करता है - हम क ै से एक प्रणाली की क्षमता का सुधार कर सकते हैं। तो, डाइवर्सिटी (diversity) और क्षमता एक दूसरे से जुड़े हुए है, और डाइवर्सिटी (diversity) क े साथ में अगर ट्रांसमीटर (transmitter) और रिसीवर (receiver) दोनों में एक से ज्यादा ऐंटेनास (antennas) होते हैं तो उनको MIMO सिस्टम्स (MIMO systems) कहते हैं। हम फ े डिंग चैनल (fading channel) को पूरी तरह से समझेंगे, रिसीवर (receiver) में कई एंटेना (antenna) होने क े फायदे क्या हैं यह भी समझेंगे, एक प्रणाली की क्षमता क्या हैं, क्या होगा यदि आपक े पास ट्रांसमीटर (transmitter) और रिसीवर (receiver) दोनों में कई एंटेना (antenna) हैं जो कि MIMO सिस्टम (MIMO system) होगा, और फिर हम सेल्युलर प्रणाली (cellular system) क्या है वह देखेंगे, CDMA क े मूल क ं सेप्ट्स (concepts) जो 3G प्रणाली है, तथा OFDM जो 4G और 5G की प्रणाली है, और यह काफी हद तक हमारा पाठ्यक ् रम है। लेकिन एक बहुत महत्वपूर्ण बात है जो कि आपको एक छात्र क े रूप में जाननी चाहिए, जब आप वायरलेस कम्युनिक े शन्स (wireless communications) पढ़ रहे है, कि जब एक स्थान पर में टॉवर (tower) स्थापित करता हूं और इसे इमारत क े अंदर प्राप्त करने की कोशिश करता हु, मूल रूप से दीवारों क े कारण क्या होता है, इमारतों क े कारण क्या होता है - जिसे हम बड़े पैमाने पर प्रोपगेशन (propagation) कहते हैं जो की अच्छी तरह से समझे, और अच्छी तरह से अध्ययन किये हुए है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यदि आपको कोई वायरलेस प्रणाली (wireless system) डिजाइन करने क े लिए कहे, तो आपको पता हो कि वास्तव में कितने पावर (power) का उपयोग करना है और ऐंटेना (antenna) का किस ऊ ं चाई पर उपयोग करना है और यह सब अच्छी तरह से समझ आ जाएगा। ठीक है? 4 9
  • 11. तो, यह पाठ्यक ् रम का सार है। जब आपको मौका मिले तो आप विस्तार में जा सकते हैं। यदि आपक े पास कोई प्रश्न है तो आप प्रश्न पूछने क े लिए स्वतंत्र है। पूरे पाठ्यक ् रम क े लिए कोई एक किताब नहीं है। हम पुस्तकों का संयोजन उपयोग करेंगे। (Refer Slide Time: 07:51) ज़्यादातर जानकारी रप्पापोर्ट (Rappaport) में है, क ु छ संदर्भ गोल्डस्मिथ (Goldsmith), मोलिस्च (Molisch), त्से (Tse) और विश्वनाथ (Vishwanath) से लिए गये है, CDMA क े क ु छ हिस्से हेकिन (Haykin) से लिये जाएंगे। और डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) क े बारे में पढ़ने क े लिये प्रोकिस (Proakis) का उपयोग किया जाएगा। (Refer Slide Time: 08:12) 5 10
  • 12. फ़्लायर (flyer) में पाठ्यक ् रम की योजना दी गई है जिसमे आप देख सकते हैं कि लगभग कितना समय आप खर्च करेंगे। क ु ल पाठ्यक ् रम में 56 व्याख्यान है - अगर किसी विषय पर थोड़ा अतिरिक्त समय बिताने की आवश्यकता लगी तो उसक े लिए चार अतिरिक्त व्याख्यान रखे गए है। तो, पाठ्यक ् रम की रूपरेखा क्या होने जा रही है वह यहा एक त्वरित रूप में दिखाया गया है। मैं क ु छ मिनट का उपयोग पाठ्यक ् रम का तत्त्वज्ञान साझा करने क े लिए करू ँ गा। ज्यादातर छात्र जिन्होंने इस पाठ्यक ् रम को लिया है, उन्होंने डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) IIT या किसी अन्य संस्थान से किया है। इसलिए, हम यहां डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) को नींव बनाक े आगे बढ़ेंगे। इसलिए, आप यहाँ वायरलेस चैनल (wireless channel) लागू करेंगे, इसक े वायरलेस (wireless) भाग और इसक े बारे में समझ का विस्तार करेंगे, और फिर हम संपूर्ण रूपरेखा का उसक े आसपास विकास करेंगे। इसलिए, आपने डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) में जो क ु छ भी पढ़ा है, उदाहरण क े लिए आपने इनफर्मेशन थियरी (information theory) पढ़ा है, संक े तों का प्रतिनिधित्व क ै से करें, संक े तों को क ै से क ं प्रेस (compress) करें, चैनल कोडिंग (channel coding), मॉड्यूलेशन (modulation) क ै से करें, तो मैं यह मानकर चलुंगा की ये सब आप जानते है, और हम वहां से आगे बढ़ेंगे, और फिर बताएंगे कि हम इसे वायरलेस (wireless) क े संदर्भ में क ै से लागू करते हैं, वे कौन सी चीजें हैं जो लाभप्रद हैं? वे कौन सी चीजें हैं जो कठिन हैं? आमतौर पर डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) पाठ्यक ् रम में आपने देखा होगा AWGN की हानि (impairment) क्या है, इसक े अलावा मुझे यकीन है कि आपने चैनलों (channels) का अध्ययन किया होगा जिनमे इंटर सिंबल इंटरफ े रेंस (inter symbol interference) है। तो, हम यह दोनों हानि को वायरलेस चैनल (wireless channel) क े पहलुओं क े साथ जोड़ दे, जिसको हम फ े डिंग (fading), मल्टीपाथ (multipath), डोप्पलर (doppler) से उल्लेख करेंगे - हम इन सभी क े बारे में देखेंगे। तो हम डिजिटल 6 11
  • 13. कम्युनिक े शन्स (digital communications) से छात्र थोड़े अवगत है यह मानकर, जब जरुरत हो त्वरित समीक्षा करक े और फिर वायरलेस (wireless) पक्ष पर ध्यान केंद्रित करेंगे। डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) में रिसीवर (receiver) की ओर, हम आमतौर पर अध्ययन करते हैं कि रिसीवर (receiver) का निर्माण क ै से किया जाए, सिंक ् रोनाइज़ेशन (synchronization) क े बारे में बात करते हैं, टाइमिंग (timing) क ै से करते हैं, डिमॉड्यूलेशन (demodulation), डिकोडिंग (decoding) क ै से करते हैं, - हम समझते हैं कि सबको यह अच्छी तरह से पता है। हम वहीं से आगे बढ़ेंगे। तो, हम डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) भाग से वायरलेस कम्युनिक े शन्स (wireless communications) में आगे बढ़ेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हम उसक े सभी पहलुओं क े साथ सहज हैं। में इस पाठ्यक ् रम क े आउटकम (outcome) क े बारे में बताता हूँ। एक शिक्षक क े दृष्टिकोण से आउटकम (outcome) बहुत अच्छे होंगे कि यह पाठ्यक ् रम आपको एक संसर्ग (exposure) देगा। तो, आउटकम (outcome) वर्तमान सेल्युलर प्रणालियों (cellular systems) और वायरलेस (wireless) की दुनिया में क्या हो रहा है उसका संसर्ग (exposure) देगा। दूसरा भाग वायरलेस चैनल (wireless channel) की विश्लेषणात्मक समझ होगी। तो, हम उसका भौतिक, गणितीय या विश्लेषणात्मक क े पहलुओं को देखेंगे और उसक े साथ सहजज्ञान (intuition) भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वायरलेस (wireless) सहजज्ञान (intuitive) होने क े बारे में है - कि एक वायरलेस सिस्टम (wireless system) क े संदर्भ में अच्छी तरह से क्या काम करता है। फिर है - सिम्युलेशन (simulation) पहलु। मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण तत्व है, जिसे मैं अपने पाठ्यक ् रम में बताना चाहूंगा, और समस्या को हल करने क े पहलु क े बारे में भी बात करेंगे। हम उन विभिन्न विषयों पर असाइनमेंट (assignment) करेंगे, जिनका हम अध्ययन कर रहे हैं। (Refer Slide Time: 12:17) 7 12
  • 14. और अंत में, उम्मीद है कि हम इसमें जो क ु छ भी करते हैं वह आगे क े अध्ययन क े लिए एक तैयारी है, आगे क े प्रोजेक्ट (project) या रिसर्च (research) क े लिए, या आपको एक व्यवसायी (practitioner) क े रूप में ये आपको तैयार करेंगा। यह एक पारंपरिक पाठ्यक ् रम है, जिसका मूल्यांकन बहुत हद तक पारंपरिक पहलुओं क े साथ होगा। इसमें दो प्रश्नोत्तरी (quiz) होंगी - प्रश्नोत्तरी (quiz) 1, प्रश्नोत्तरी (quiz) 2 और अंत सेमेस्टर परीक्षा (end semester exam) भी होगी। प्रश्नोत्तरी (quiz) 1 क े लिए 20 %, प्रश्नोत्तरी (quiz) 2 क े लिए 20 %, अंत सेमेस्टर परीक्षा (end semester exam) क े लिए 45 % होंगे। हमारा पाठ्यक ् रम असाइनमेंट (assignment) आधारित है, जिसक े 15 % होंगे। हम आपको थोड़ा और असाइनमेंट (assignment) क े बारे में जानकारी देंगे, क े उसे क ै से पूरा करना है। इसक े लिए बहुत ज़्यादा कम्प्यूटर सिम्युलेशन (computer simulation) का उपयोग किया जाएगा, यह आपको ऑनलाइन (online) देना होगा। लिखित असाइनमेंट (assignment) परीक्षा कक्षा में होगी। तो, यह उस अर्थ में एक पारंपरिक पाठ्यक ् रम की तरह है। मुझे लगा कि मुझे आपको यह रणनीति क े बारे में थोड़ा साझा करना चाहिए। एक छात्र क े रूप में आपको पाठ्यक ् रम की रणनीति क्या है वह पता होना चाहिए इसलिए शायद मुझे यह आपक े साथ साझा करना चाहिए। क ृ पया कक्षा में बराबर साथ रहें क्योंकि यह एक ऐसा कोर्स (course) है जो वास्तव में बहुत क ु छ कवर (cover) करता है - और तेज गति से कवर (cover) करता है। इसलिए, क ृ पया सतर्क रहें, आप किताबों को भी साथ में पढ़ते रहे, पांच पुस्तकें होने का एक फायदा है की आप हमेशा क ् रोस रिफर (cross refer) कर सकते हैं और वायरलेस (wireless) की बहुत समृद्ध समझ ले सकते हैं क्योंकि हमने जिन पाँच पुस्तकों की बात की है उनमें से प्रत्येक पुस्तक बहुत ही विशिष्ट दृष्टिकोण क े साथ 8 13
  • 15. लिखा गया है। इसलिए, जब आप आउटकम (outcome) को देखते हैं तो आप पुस्तक को उससे जोड़ सकते हैं, आप जानते हैं कि यह पुस्तक आपको एक अच्छा एक संसर्ग (exposure) देगी, यह आपको विश्लेषणात्मक उपकरण (analytical tools) देगी, यह आपको सिम्युलेशन (simulation) देगी। इसलिए, मुझे लगता है कि आप यह लगभग समझ सकते हैं। इसे परिप्रेक्ष्य में रखते हुए, मैं एक प्रस्तुति साझा करता हूं जो मैंने पाठ्यक ् रम क े लिए विशेष रूप से तैयार की है जिससे हमें थोड़ा संवाद करने का अवसर मिले। तो, यह एक ऐसा तरीका है जिसक े द्वारा बहुत ही संक्षेप में आप पूरे वायरलेस डोमेन (wireless domain) को समझ सकते हैं और तब हम उन विषयों क े विशिष्ट पहलुओं को गहराई से देखेंगे जिनमें हम रुचि रखते हैं। आगे का सोचना हमेशा अच्छा होता है, लेकिन पीछे देखना भी उतना ही अच्छा होता है, तो मैं आपको क ु छ देर क े लिए पिछले समय की यात्रा पर ले जाता हूं। (Refer Slide Time: 05:14) बहुत बार जब वायरलेस (wireless) का आविष्कार किसने किया, सवाल आता है, तो लगता है उत्तर मार्कोनी (Marconi) है। लेकिन अगर आप IEEE की साइट (site) देखे, तो इसका श्रेय अब आधिकारिक तौर पर जे.सी.बोझ (J.C Bose) को दिया गया है, क्योंकि मार्कोनी (Marconi) का प्रयोग 1897 का था, ट्रान्सटलांटिक (transatlantic) प्रयोग से कई साल पहले का था। लेकिन लगभग उसक े दो साल पहले जे.सी.बोझ ने कोलकाता शहर में वायरलेस प्रदर्शन (wireless demonstration) किया था। बाद में जे.सी.बोझ और मार्कोनी ब्रिटेन में मिले, लेकिन उस समय पर जे.सी.बोझ अन्य चीजों पर काम कर रहे थे - 9 14
  • 16. उन्होंने वायरलेस (wireless) क े बारे में ज्यादा काम नहीं किया था, लेकिन मार्कोनी वायरलेस (wireless) पर काम कर रहे थे और बाकी सब अब इतिहास है, लेकिन पहले प्रदर्शन का श्रेय मार्कोनी को जाता है। (Refer Slide Time: 16:07) आज सेल्युलर (cellular) एक आम आदमी की तकनीक है। तो, अगर आपको छवियों क े लिए पूछा जाए क े सेल्युलर (cellular) का वर्णन करें, तो शायद आप अपने पड़ोस क े एक टावर (tower) क े बारे में सोचे या आप सिम कार्ड (sim card) क े बारे में सोचेंगे या आप गूगल मेप्स (Google maps) क े बारे में सोचेंगे या आप बस उन लोगों क े बारे में सोचेंगे जो जानकारी ढूंढ रहे हैं और विविध हैंडसेट (handset) क े बारे में सोचेंगे। आज यह एक आम आदमी की तकनीक हो गयी है। (Refer Slide Time: 06:38) 10 15
  • 17. लेकिन वास्तव में यह कब शुरू हुआ और इसका ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य क्या हे? 1895 में जे.सी.बोझ का पहला प्रयोग था, मार्कोनी द्वारा ट्रान्साटलांटिक (transatlantic) प्रयोग संचरण 1902 में किया गया था। वायरलेस कम्युनिक े शन्स (wireless communications) क े पहले उपयोगकर्ता दोनों विश्व युद्ध क े दौरान पुलिस और सशस्त्र बल थे, लेकिन बड़े पैमाने पर सेल्युलर (cellular) का व्यावसायिक उपयोग तब तक बहुत शुरू नहीं हुआ था। पहली एनालॉग (analog) प्रणाली, जिसे हम सेल्युलर (cellular) की 1G प्रणाली क े रूप में संदर्भित करते हैं, वो 1981 में अस्तित्व में आई थी। प्रौद्योगिकी क े विकास क े संदर्भ में वायरलेस (wireless) तकनीकी का आविष्कार या सेल्युलर (cellular) की अवधारणा का मूल श्रेय बेल प्रयोगशाला (Bell laboratories) को जाता है, जो AT& T क ं पनी की प्रसिद्ध प्रयोगशाला हैं। पहली बार डिजिटल सेल्युलर (digital cellular) 1991 में पेश किया गया था और उसक े बाद हमने डिजिटल सेल्युलर (digital cellular) का विकास देखा, CDMA सिस्टम 2002 में आया, वह 3G है। आप कह सकते हैं की 3G को क ु छ साल पहले तक भारत में लागू नहीं किया गया था, यह वैश्विक परिप्रेक्ष्य है। हम भारत का दृष्टिकोण भी देखेंगे, लेकिन यह विश्व स्तर पर हुआ है और जबकि हमने 3G तक लागू नहीं किया था, दुनिया पहले से ही 4G को पेश कर रही थी और अब हमारे भारत में 4G को बहुत आक ् रामक तरीक े से लागू किया जा रहा है, हम 5G की चर्चा में भी भाग ले रहे हैं। अंतिम लाइन (line) आपको बताती है कि सेल्युलर प्रणाली (cellular system) का बाजार कितना मजबूत हुआ है। जो कोई भी व्यवसाय में रुचि रखता है वह हमेशा आपसे यह जानना पसंद करते हैं कि बाजार का साइज़ (size) कितना है? क्योंकि यह रेवन्यू (revenues) क े लिए आपकी क्षमता 11 16
  • 18. बताता है और बताता है की बाजार कितना आकर्षक है। 2011 में सेल्युलर (cellular) क े लिए क ु ल वैश्विक बाजार 6 बिलियन पार कर गया था; इसलिए यह सब लिहाज से एक बड़ा बाजार है। (Refer Slide Time: 19:01) भारतीय परिदृश्य क े हिसाब से जानकारी का एक बहुत विश्वसनीय स्रोत TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) है, वे एक त्रैमासिक विवरण (quarterly report) प्रकाशित करते हैं - हम मूडल वेबसाइट (Moodle website) पे नवीनतम त्रैमासिक रिपोर्ट (quarterly report) अपलोड (upload) करेंगे, लेकिन मुझे उसका साइज़ (size) देखना होगा क्योंकि वह डॉक्युमेंट्स (documents) साइज़ (size) क े मामले में थोड़े बड़े हैं, लेकिन आप इसे डाउनलोड (download) कर सकते हैं, यह जानकारी बहुत ही अच्छी है। मैंने सबसे महत्वपूर्ण और प्रासंगिक जानकारी निकाली है और उम्मीद है कि जो हो रहा है उससे हमें एक अच्छा एहसास मिलेगा। ठीक है? (Refer Slide Time: 19:29) 12 17
  • 19. अब भारत में सेल्युलर (cellular) की वृद्धि देखते है, आप देख सकते हैं कि भारत में बहुत ज्यादा तेजी से सेल्युलर (cellular) की वृद्धि हुई है, हमने 2014 में 930 मिलियन क े आंकड़े को पार कर लिया था, मई 2015 में भारत ने 1 बिलियन सदस्यताओ (subscriptions) को पार कर लिया, और इस देश में मौजूद वायरलेस (wireless) की मात्रा दिलचस्प है। पूरे नीले खंड और बरगंडी खंड एक साथ वायरलेस (wireless) का प्रतिनिधित्व करते हैं और छोटा टुकड़ा वायर लाइन (wire line) है और वह घट रहा है। हमारी वायर लाइन (wire line) नीचे जा रही है, जबकि सेल्युलर (cellular) ऊपर जा रहा है। एक और बहुत दिलचस्प डेटा (data) जो ध्यान में रखना अच्छा है वह यह है कि आज जब हम बात करते हैं ब्रॉडबैंड (broadband) की और भारत में लोग क ै से ब्रॉडबैंड (broadband) इस्तेमाल कर रहे हैं, 93 % उपयोगकर्ता वायरलेस (wireless) उपकरणों पर ब्रॉडबैंड (broadband) का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए, यहां फिर से एक बहुत ही दिलचस्प या बहुत सम्मोहक कहानी है कि हम भारतीयो को क्यों वायरलेस (wireless) में बहुत रुचि होनी चाहिए, न क े वल यह विश्व स्तर पर एक बड़ा बाजार है जो कि परिभाषित करता है कि हम तकनीक का उपयोग क ै से करते हैं और साथ ही साथ आपको पता लगेगा कि ब्रॉडबैंड (broadband) का भविष्य में इस्तेमाल क ै से होगा - कितना दिलचस्प परिप्रेक्ष्य ! (Refer Slide Time: 21:06) 13 18
  • 20. अब देखते है कि सेल्युलर (cellular) वायरलेस (wireless) में कहां उचित बैठता है, वायरलेस (wireless) और सेल्युलर (cellular) बराबर नहीं है- वायरलेस (wireless) सेल्युलर (cellular) से बहुत बड़ा है, लेकिन सेल्युलर (cellular) एक प्रमुख तकनीकी है। तो, अगर आप वायरलेस (wireless) प्रणाली की सीमा या पदानुक ् रम की ओर देखे, तो शुरुआत ब्लूटूथ (bluetooth) से करते हैं, मुझे यकीन है कि आप सभी ब्लूटूथ (bluetooth) और ज़िगबी (zigbee) से परिचित हैं, उन्हें आप पर्सनल एरिया नेटवर्क (personal area network) क े रूप में संदर्भित करेंगे, आमतौर पर इनकी सीमा 10 मीटर की होती है। पदानुक ् रम में अगला लोकल एरिया नेटवर्क (LAN - local area network) है, ज़ाहिर है, यह हमारी सभी वायरलेस तकनीक (wireless technology) है। तो, यह वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्क (wireless personal area network), वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क (wireless local area networks) जैसे की Wi-Fi है। इसलिए, यह दूरी क े संदर्भ में अगला पदानुक ् रम है। फिर सेल्युलर (cellular) कहां से आया? सेल्युलर (cellular) एक पर्सनल एरिया नेटवर्क (personal area network) या एक लोकल एरिया नेटवर्क (local area network) से बहुत अधिक है - यह बड़े भौगोलिक क्षेत्रों, वाइड एरिया नेटवर्क (wide area network) को आच्छादित कर सकता है जो हमारा सेल्युलर (cellular) है। अब जो सेल्युलर (cellular) से बड़ा है वह रीजनल एरिया नेटवर्क (RAN - regional area network) है, आमतौर पर उनको आप उपग्रह (satellite) क े संदर्भ में संदर्भित करते है, वे महाद्वीपीय कवरेज (continental coverage) को आच्छादित करते है। यह हमारा मुख्य विषय नहीं है और क ु छ ऐसे भी हैं जो हैं शहरी क्षेत्र से छोटे हैं उन्हें मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN - metropolitan area network) कहा जाता है। तो, थोड़ा दायरे क े संदर्भ में कम सीमित, सेल्युलर (cellular) क े कम व्यापक को मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN - metropolitan area network) कहा जाता है। हमारे लिए तीन तकनीक े बहुत महत्वपूर्ण या दिलचस्प होंगी, पर्सनल एरिया 14 19
  • 21. (personal area), लोकल एरिया (local area), वाइड एरिया (wide area) और सेल्युलर (cellular) उस सीमा में है। भारत में सेल्युलर (cellular) क े बारे में एक बहुत ही रोचक तथ्य है कि बेस स्टेशन (base stations) एक बुनियादी ढांचा हैं जिसक े साथ आप जुड़ते हैं, हमने उन्हें 4 से 5 km दूर रखते थे, फिर उनको हम 3 km, 2 km, 1 km तक ले गए। अब शहरी क्षेत्रों में इंटर बेस स्टेशन (inter base stations) की दूरी 500 मीटर से भी कम है। तो, हर 500 मीटर पर औसत आपको क ु छ प्रकार क े सेल्युलर (cellular) ढांचे दिखने की उम्मीद है, और इसक े लिए उद्देश्य क्षमता है। क्षमता बढ़ाने का हमारे पास एक ही तरीका है, टावर (tower) की या सेल (cell) की संख्या बढ़ाना, हम इसक े बारे आगे बात करेंगे, लेकिन यह एक कीमत पर आता है और वो कीमत है, इंटरफ े रेंस (interferance) की मात्रा, जो आप पैदा कर रहे हैं। इसलिए, एक डिज़ाइन (design) क े नजरिए से, क्षमता अच्छी बात है, लेकिन इंटरफ े रेंस (interferance) बुरा है, परंतु दुर्भाग्य है इनक े बीच एक अच्छा संतुलन तलाशना ही हमारे पास एकमात्र तरीका है। एक और दिलचस्प बात है जिसपे आप ध्यान देना चाहेंगे, वह यह है कि सेल्युलर (cellular) एक लाइसेंस प्रौद्योगिकी (license technology) है, आप बिना अधिकारिक लाइसेंस (license) क े सेल्युलर बैंड (cellular band) में ट्रान्समीट (transmit) नहीं कर सकते हैं, जबकि ब्लूटूथ (buetooth) और वायरलेस (wireless) LAN बिना लाइसेंस (license) वाली तकनीकें है। लाइसेंस (license) वाली तकनीकों क े में ऑपरेटर (operator) द्वारा संचालन शुरू करने से पहले लाइसेंस (license) शुल्क भुगतान किया जाना चाहिए। (Refer Slide Time: 24:13) 15 20
  • 22. आप में से बहुत से लोगों क े पास शायद पहला फोन एक स्मार्टफोन (smart phone) होगा। काफी लोगों ने इससे पहले फोन क ै से थे वह नहीं देखा होगा, फोन क ै सा दिखता था यह आपको बताने क े लिए हम बस क ु छ मिनट बिताएंगे। (Refer Slide Time: 24:35) आपकी बाईं ओर 1920 का एक रोटरी फोन (rotary phone) है जो 60 वर्षों तक चला था। यहां तक ​ ​ कि 1980 तक हमारे पास रोटरी फोन (rotary phone) थे। यह लैंडलाइन फोन (landline phone) है। पहले प्रकार क े वायरलेस फोन (wireless phones) सेना द्वारा उपयोग किए जाते थे। आप यहाँ पुराने सैन्य फोन (military phone) देख सकते है। उन्हें हवा से पर्याप्त चार्ज (charge) उत्पन्न करना होता ताकि वे संवाद कर सकें, लेकिन वह बहुत मजबूत था। मोटोरोला (Motorola) पहली क ं पनी (company) थी जिसने इन उपकरणों को बनाया था और यह विक्ट्रोला (Victrola) नाम की क ं पनी (company) हुआ करती थी, लेकिन क्योंकि उन्होंने मोबाइल बनाने वाले उपकरणों को बनाया, जो चलती-फिरती डिवाइस (device) हैं, तो उन्होंने नाम बदल क े मोटोरोला (Motorola) रखा। इसलिए, वे एक अग्रणी रहे हैं और कई वर्षों में वे उन क ं पनियों (companies) में से एक रहे हैं जिन क ं पनियों (companies) ने प्रौद्योगिकी क े आवरण (envelope) को आगे बढ़ाया है। पहला फोन लगभग एक फु ट ऊ ँ चा था, जो 1973 में मोटोरोला ने बनाया था, जैसा कि आप यहाँ देख सकते हैं, लेकिन वह बहुत पावर (power) का उपयोग करता था जिसकी वजह से वह क ु छ ही मिनट तक चलता था, उसकी बैटरी लाइफ (battery life) एक घंटे से भी कम थी। उसको हमेशा चार्जिंग (charging) में रखना पड़ता था और यह प्रवेश बिंदु (entry point) था। तो लोगो को लगा क्या यह कभी एक व्यावसायिक तकनीक (commercial technology) बन जाएगा? कहां यह एक बड़े 16 21
  • 23. पैमाने पर बिक े गा? तब अनुमान लगाया गया क े ऐसा कभी नहीं हो पायेगा, कोई भी इसक े जैसे बड़े उपकरण को संभाल नहीं सकता है। यह क्या होने जा रहा है? यह अमीरी का प्रतीक बनने जा रहा है। जहां बहुत अमीर लोग उनकी कारों में इस तरह क े फोन रखेंगे। यह आम आदमी की तकनीक होगी ऐसा किसीने नहीं सोचा था। तो, यह एक बैटरी पैक (battery pack) विशाल बैग की तरह दिखता था और यह बैटरी पैक (battery pack) को कार की डिक्की में स्थापित किया जाता था और फिर आपकी ड्राइवर सीट (driver seat) क े पास फोन होगा, तो इस तरह से शुरुआत हुई। (Refer Slide Time: 26:53) तो, अगर आप चाहते हैं कि आपका फोन चोरी ना हो जाए, तो आपको बैटरी पैक (battery pack) को अपने साथ रखना पड़ता होगा, ज़्यादा समय तक संवाद करना भी कठिन होगा। लेकिन सौभाग्य से आकार छोटा हो गया और फोन की बैटरी लाइफ (battery life) बढ़ गई। (Refer Slide Time: 27:13) 17 22
  • 24. हथेली क े आकार का पहला फोन, 1989 में फिर से मोटोरोला से आया; यह एक उपकरण था जो इतना छोटा था कि आप इसे अपने कान क े पास रखते थे तो माइक ् रोफोन (microphone) मुंह तक नहीं पहुंचता था। तो, मोटोरोला एक बहुत चतुर तकनीक क े साथ आया था जिसे वे इसे फ्लिप (flip) तकनीक कहते हैं। फ्लिप (flip) बाहर खोला जाता और माइक ् रोफोन (microphone) यहाँ स्थित था। तो, यह एकमात्र तरीका है जिससे वे कान और माइक ् रोफोन (microphone) क े बीच की दूरी बना सकते हैं। इसलिए, इतिहास का यह एक बहुत दिलचस्प हिस्सा है और इसने बहुत अच्छे उद्देश्य से काम किया है क्योंकि एक बार जब आप इसे बंद कर देते हैं तो आप गलती से स्विच (switch) को दबा नहीं सकते हैं, यह एक प्रकार का स्वनिर्मित कीपैड लॉक संरक्षण (in-built keypad lock protection) था। फिर एक श्रृंखला आई ... वैसे इसमें एक लाइन डिस्प्ले (line display) था, सिर्फ अंक ही इससे प्रदर्शित कर सकते थे। बड़ी छलांग तब आई जब उन्हें तीन लाइन का डिस्प्ले (three line display) मिला- डॉट मैट्रिक्स डिस्प्ले (dot matrix display), तो 1992 तक हमारे पास क ु छ अक्षर आ गये, हम बार की संख्या देखकर सिग्नल मजबूती (signal) और बैटरी लाइफ (battery life) देख सकते थे। (Refer Slide Time: 28:21) 18 23
  • 25. फिर मोटोरोला स्टारटैक (StarTAC) नामक एक और बदलाव क े साथ आया, पेहले माउथपीस (mouthpiece) बाहर खुलता था, अब इसमें इयरपीस (earpiece) बाहर खुल रहा था - फिर से बहुत दिलचस्प डिजाइन (design)। लेकिन शायद शुरुआती पीढ़ियों में, 1998 से 2000 तक सबसे ज्यादा बिकने वाला फोन नोकिया फोन (Nokia phone) था। उसी समय क े आसपास लोग कहने लगे, आप जानते हैं, 'सेल फोन कैंसर (cancer) का कारण बनते हैं।' मैं यह नहीं जानता वह एक बड़ी चिंता बन गई या नहीं, क्योंकि आप जानते हैं कि यह अब बड़े पैमाने पर का बाजार बन चूका था और नोकिया ने शानदार रणनीति बनाई। उन्होंने ऐंटेना (antenna) को अंदर रखा, और क ु छ लोगों ने सोचा कि इसमें ऐंटेना (antenna) नहीं होता है, तो कैंसर (cancer) की चिंता मत करो। सब क ु छ ठीक है। लेकिन बाहरी ऐंटेना (antenna) वास्तव में एक बेहतर डिज़ाइन (design) है, क्योंकि यह आपको बेहतर लिंक मार्जिन (link margin) देता है। हम इसक े बारे में बात करेंगे, लेकिन डिजाइन (design) क े अनुसार आज यह फोन क े अंदर रखे जाते हैं, ताकि वह दिखने में अच्छा लगे। (Refer Slide Time: 29:34) 19 24
  • 26. पहला क्वेर्टी कीपैड (qwerty keypad) 2002 में आया था और जब 2007 में iPhone आया तब से स्मार्ट फोन (smart phone) की शुरुआत हुई। आप दाहिनी तरफ देख रहे हैं कि एरिक्सन (Ericsson) बड़े फोन क े साथ आया और फिर फोन छोटा होता गया और मुझे लगता है कि अब हम फिर से मध्यम आकार में आ गए हैं। तो यह सेल्युलर हैंडसेट (cellular handset) क े संदर्भ में एक बहुत ही दिलचस्प विकास है। (Refer Slide Time: 30:04) 20 25
  • 27. लेकिन यह एक प्रौद्योगिकी पाठ्यक ् रम हैं, सेल फोन (cell phones) तो एक पहलू हैं, लेकिन इन उपकरणों में से प्रत्येक ने क्या कार्यक्षमता दी? 1G आवाज क े बारे में था, आवाज को एक एनालॉग वेवफॉर्म (analog waveform) क े रूप में लिया गया जहा FM प्रकार क े ट्रांसमिशन (transmission) का उपयोग हुआ था और पूरा ध्यान सिर्फ आवाज प्रदान करने पर केंद्रित किया गया था। जिस क्षण आवाज क े साथ डिजिटल (digital) आया तब वह एक वेवफॉर्म कोडिंग (waveform coding) नहीं रहा, वह वोकोडर (vocoder) था, जो एक स्पीच कोडर (speech coder) का उपयोग करक े आवाज का निरूपण करता है, जिसका अर्थ है कि अब आप आवाज का डिजिटल निरूपण (digital representation) कर रहे हैं। इसलिए, इसे हम डिजिटली कम्प्रेस्ड आवाज (digitally compressed voice) क े रूप में संदर्भित करते हैं। और उसमे 9.6 kbps का सर्किट स्विच डेटा (circuits switch data) था। तब एक चर्चा थी कि हमारे पास SMS होना चाहिए या नहीं क्योंकि किसीको भी अंदाज़ा नहीं था कि SMS का उपयोग किस लिए किया जा सकता है। तो, अंततः उन्होंने तय किया कि इसे वहाँ रखना चाहिए क्योंकि किसी दिन इसका उपयोग करने का एक तरीका मिल सकता है। तो, इस तरह से SMS आया, लेकिन निश्चित रूप से, आज यह एक अलग कहानी है। SMS एक प्रमुख चीज़ है। सर्किट स्विच्ड वॉइस (circuits switched voice) 2.5G में पैक े ट स्विच्ड वॉइस (packet switched voice) से बदल दिया गया, आप में से कई GPRS से परिचित हैं - जनरल पैक े ट रेडियो सर्विस (general packet radio service), तब पहली बार रेडियो पैक े ट स्विचड डेटा (packet switched data) को पेश किया गया था। सर्किट स्विचिंग (circuit switching) क े लिए जो 9.6 kbps का डेटा रेट (data rate) मिल रहा था, वह पैक े ट स्विचिंग (packet switching) मैं बढ़कर 14.4 kbps जितना हो गया। 3G में यह समझ आ गया कि अब पैक े ट स्विचिंग (packet switching) में ही विकास होने वाला है। डेटा दर (data rate) 384 kbps से बढ़कर 2 Mbps हो गया, आवाज में काफी सुधार हुआ, और फिर हमने अधिक से अधिक डेटा अनुप्रयोगों (data applications) को देखना शुरू कर दिया, उन सभी में पैक े ट स्विचड डेटा (packet switched data) का उपयोग किया गया। 3.5G ने 14 Mbps तक की स्पीड (speed) दी; 4G ने इस से भी उच्चतर स्तर प्राप्त किया, अब 5G में हम 100 Mbps क े बारे में बात कर रहे हैं। तो, अब, सवाल अक्सर पूछा जाता है कि ‘अच्छा आपक े पास 100 Mbps पर चलने वाला कौनसा एप्लिक े शन (application) है जिसक े लिए 100 Mbps की आवश्यकता होती है? उत्तर बहुत सरल है। याद है वायरलेस (wireless) एक साझा उपकरण, साझा माध्यम है। तो, हवा में 100 Mbps का यह मतलब नहीं है कि अक े ले आपक े डिवाइस (device) को 100 Mbps मिल रहा है; वहां कई लोग हैं जो 100 Mbps क े लिए संघर्ष कर रहे हैं। तो, आखिरकार आपक े लिए, यह उपयोगकर्ताओं की संख्या पर निर्भर करता है और इसलिए, व्यक्तिगत डेटा दरें (data rates) अभी भी मामूली हैं क्योंकि वे एक समर्पित दर (dedicated rate) नहीं है और यही कारण है कि प्रेरणा हमेशा रही है - आइए देखें कि क्या हम डेटा दरों (data rates) को थोड़ा अधिक बढ़ा सकते हैं। 21 26
  • 28. (Refer Slide Time: 33:10) सेल्युलर क ् रांति (cellular revolution) को अच्छे से ध्यान में रखने क े लिए आपक े पास एक बहुत अच्छा तरीका है, जब आपको मौका मिले तो एक एक ् रोनिम्स शीट (acronyms sheet) बनाएं, जिनमे आप इन सभी एक ् रोनिम्स (acronyms) का उल्लेख करे, 2G में GSM तकनीक थी, यानी - ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिक े शन्स (global system for mobile communications), GPRS - जनरल पैक े ट रेडियो सर्विस (general packet radio service), जो वाइडबैंड CDMA (wideband CDMA) नामक एक तकनीक में चली गई, जो 3G की एक तकनीक थी। फिर हमने 3.5G की शुरुआत की और फिर 4G क े लिए LTE नामक एक प्रणाली थी, नाम बहुत तार्किक नहीं हैं - इसे लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन (long term evolution) कहा जाता है। और एक बहुत दिलचस्प घटना देख सकते हैं, GSM और CDMA वास्तव में प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकि थी, आप में से क ु छ को पता हो सकता है कि ऑपरेटर (operators) भी प्रतिस्पर्धी थे। वे प्रत्येक अपने स्वयं क े मार्ग पर विकसित हो रहे थे, लेकिन जब यह 4G आया, तब उनका एक प्रणाली में विलय हो गया है जो लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन (long term evolution) है। तो, लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन (long term evolution) 4.5G में चला गया जिसे लॉन्ग टर्म एवोल्यूशन एडवांस्ड (long term evolution advanced) या LTE एडवांस्ड (LTE advanced) कहा जाता है, और फिर अब 5G क े बारे में बात करते हैं जो भविष्य में आएगा, शायद वर्ष 2020 में। तो, एवोल्यूशन (evolution) क े मुख्य पहलू में हम देख सकते हैं कि पैक े ट डेटा गति (packet data speed) की संख्या में वृद्धि हो रही है। पैक े ट डेटा गति (packet data speed) क े साथ साथ दुनिया भर में उपयोगकर्ताओं में भी कई गुना वृद्धि हुई है। तो, उपयोगकर्ताओं की बढ़ती संख्या को आप क ै से सपोर्ट (support) करेंगे, प्रत्येक उपयोगकर्ता अधिक से अधिक डेटा दर (data rate) मांगता है और उपलब्ध स्पेक्ट्रम (spectrum) अभी भी बहुत सीमित है। तो, चुनौती हमेशा से रही है कि आप क ै से दिए गए बैंडविड्थ (bandwidth) क े भीतर अधिक उपयोगकर्ताओं, उच्च डेटा दरों 22 27
  • 29. (data rate) को सपोर्ट (support) करते हैं, जिसे हम स्पेक्ट्रल एफिसियन्सी (spectral efficiency) क े रूप में संदर्भित करते हैं और हम यह अध्ययन करेंगे कि यह हमारे पाठ्यक ् रम क े लिए भी बहुत महत्वपूर्ण विषय है। क ु छ वैचारिक चित्रों (conceptual pictures) को ध्यान में रखना है, जैसे कि सेल्युलर (cellular) बनाम अन्य प्रौद्योगिकियों का क्या ट्रेंड (trend) है। (Refer Slide Time: 35:18) आपको याद होगा कि हमने र्सनल एरिया नेटवर्क (personal area network) क े बारे में बात की है; ज़िगबी (zigbee) और ब्लूटूथ (bluetooth) जैसे पर्सनल एरिया नेटवर्क (personal area network), का आप सेल्युलर (cellular) क े संबंध में क ै से वर्णन करेंगे? एक तरीका है क े एक चार्ट (chart) पर x अक्ष पर डेटा दर (data rate) रखे, जो Mbps में होगा, y अक्ष पर कवरेज (coverage) या मोबिलिटी (mobility) को रखे - जो दर्शाता है की एक उपयोगकर्ता एक ही प्रणाली से जुड़ते हुए कितना चल सकता हैl तो, ज़िगबी (zigbee) और ब्लूटूथ (bluetooth) मूलभूत प्रणाली (fundamental systems) हैं जो हैंडऑफ़ (handoff) या मोबिलिटी (mobility) प्रदान नहीं करते हैं। अगर आप एक कमरे क े भीतर या किसी इमारत क े भीतर हैं, तो ब्लूटूथ (bluetooth) में डेटा दरें (data rates) Mbps तक और ब्लूटूथ (bluetooth) क े नए एवोल्युशन्स (evolutions) में थोड़ा अधिक भी मिल सकती है। अब, उस की तुलना में GSM या CDMA में आपको देश भर में कवरेज (coverage) मिलती है। मूल रूप से आपको राष्ट्रव्यापी फ ू टप्रिंट्स (nationwide footprint) मिल सकते हैं। इसलिए, आपक े पास पूरी मोबिलिटी (mobility) हो सकती है, कम गति से लेकर तेज चलने वाली कार या रेल गाडी में आप उच्च गति प्राप्त कर सकते हैं। तो, आपक े पास मोबिलिटी (mobility) और वैश्विक, राष्ट्रीय कवरेज (coverage) हो सकता है, लेकिन डेटा दर 9.6 kbps जितनी मामूली होगी। तो, आप 23 28
  • 30. देख सकते हैं यह y आयाम पर बहुत मजबूत होगा, x आयाम पर इतना मजबूत नहीं होगा। मूल रूप से सेल्युलर प्रौद्योगिकियों (cellular technologies) में इसे ठीक करने की आवश्यकता महसूस हुई क्योंकि लगा की लोगो को और उच्च डेटा दर (data rate) चाहिए होगा, और हम सेल्युलर सिस्टम (cellular system) में हमारे पास जो लाभ है उसे खोना नहीं चाहेंगे, हमारे पास मोबिलिटी (mobility) और विस्तृत कवरेज (coverage) क्षेत्र है। तो, 2G, 3G से 4G तक आप देख सकते हैं, मूल रूप से कर्व (curve) मोबिलिटी (mobility) या कवरेज (coverage) पर समझौता किये बिना दाईं ओर स्थानांतरित हो रहा है, लेकिन डेटा दर (data rate) क े संदर्भ में हमेशा बढोतरी हो रही है। दूसरी ओर वायरलेस LAN तकनीक (wireless LAN technology) 802.11 हमेशा सेल्युलर (cellular) से एक कदम आगे लगती है, सेल्युलर (cellular) जब 1 Mbps पर आया तब वे 50 Mbps पर थे । तो, मूल रूप से वायरलेस LAN तकनीक (wireless LAN technologies) y अक्ष पर अधिक मजबूत हैं, लेकिन फिर से उनकी मोबिलिटी (mobility) या समग्र कवरेज (coverage) क्षेत्र सीमित हैं। यह अभी भी एक इमारत क े अंदर होगा का। तो, यह सेल्युलर प्रणाली (cellular system) क ै से विकसित हो रहे हैं, क ै से अन्य वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्क (wireless personal area networks), लोकल एरिया नेटवर्क (local area networks) प्रौद्योगिकियां विकसित हो रहे है, यह एक रसप्रद डायनेमिक्स (dynamics) हैl जो क ु छ भी हम पहले से जानते हैं, उसक े संदर्भ में क ु छ देखते हैं। तो, डिजिटल कम्युनिक े शन्स सिस्टम (digital communications system) क े घटक क्या हैं? तो, यह समीक्षा है। इसलिए, उम्मीद है कि इन सभी विषय को संदर्भित करने जा रहे हैं वह आप पहले से ही एक पाठ्यक ् रम में अध्ययन कर चुक े होंगे। (Refer Slide Time: 38:16) 24 29
  • 31. अगर में आपसे ट्रांसमीटर (transmitter) का ब्लॉक डायाग्राम (block diagram) बनाने को कहु, तो मुझे यकीन है कि आपमें से अधिकांश बना सकेंगे, लेकिन थोड़ा मेरे साथ रहे। आपक े पास एक जानकारी स्रोत (information source) है जो आप सोर्स कोडिंग (source coding) या कम्प्रेशन (compression) करने क े लिए लागू करेंगे, मूल रूप से यहा स्पीच (speech) जो की एक एनालॉग (analog) स्रोत है, उसे डिजिटाइज़ (digitize) किया जाता हैं, आप इसे कम्प्रेस (compress) करते हैं। वह आपका पहला कदम है। दूसरा कदम गोपनीयता होगा - जानकारी को एन्क्रिप्ट (encrypt) करना। फिर आप इसे एक चैनल (channel) पर भेजने जा रहे हैं जिससे आप एरर प्रोटेक्शन (error protection) करना चाहते हैं। हम क ै र्रिएर मॉडुलेशन (carrier modulation) कर रहे हैं, इसलिए, आपको एक क ै र्रिएर (carrier) पर जानकारी डालनी होगी, वह मॉडुलेशन (modulation) का पहलू होगा। पल्स शेपिंग (pulse shaping) बैंडविड्थ (bandwidth) को क ु शल (efficient) बनाने क े लिए है। तो, पल्स शेपिंग (pulse shaping) हमारा ट्रांसमिट (transmit) फ़िल्टरिंग (filtering) करक े सुनिश्चित करते है कि हमारा ट्रांसमिट स्पेक्ट्रम (transmit spectrum) यथासंभव छोटा (compact) है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने ट्रांसमीटर (transmitter) को क ै से लागू करते हैं, संभवतः पल्स शेपिंग (pulse shaping) एक DSP में किया जाता है, फिर उसक े बाद आप इसे एक एनालॉग तरंग (analog waveform) में परिवर्तित करते हैं फिर इसे RF में रूपांतरित करते हैं, फिर पावर एम्पलीफिक े शन (power amplification) करते हैं और फिर आप इसे रेडिएशन (radiation) क े लिए एक ऐंटेना (antenna) से कनेक्ट (connect) करते हैं। तो, यह डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) का ब्लॉक डायाग्राम (block diagram) है। (Refer Slide Time: 39:50) 25 30
  • 32. अगर आप आवाज़ को 8 किलो सेम्पल्स प्रति सेक ं ड (kilo samples per second), 8 बिट प्रति सेम्पल (bits per sample) से सेम्पल (sample) करे, तो आपक े पास 64 kbps होगा। यह आपका ट्रान्समिशन दर (transmission rate) या सूचना दर (information rate) होगा। GSM क े मामले में कम्प्रेशन (compression) करक े 64 kbps से कम करक े 12 kbps करना है। और वह आवाज कोडर (voice coder) या वोकोडर (vocoder) है जो हम जानकारी प्रसारित करने क े लिए उपयोग करते हैं। एरर प्रोटेक्शन (error protection) क े लिए बहुत परिष्क ृ त कोडस (sophisticated codes) उपलब्ध हैं। क ु छ एरर प्रोटेक्शन कोडस (error protection codes) टर्बो कोडस (turbo codes), LDPC कोडस (LDPC codes) है। लेकिन जिसे हम पहले से ही जानते हैं और समझने में सबसे आसान है वह रिपीटिशन कोड (repetition code) है। जिसमे आप मूल रूप से जानकारी को दोहराते हैं और अपनी जानकारी की रक्षा करते हैं ताकि आपका रिसीवर (receiver) हमेशा मूल जानकारी को पुनर्प्राप्त कर सक े । मॉड्यूलेशन (modulation) - मॉड्यूलेशन (modulation) कई प्रकार क े है। वायरलेस (wireless) में अधिकांश मॉड्यूलेशन तकनीकें (modulation techniques) एंप्लीट्यूड (amplitude) और फ े ज (phase) दोनों का उपयोग करती हैं। मैंने आपको 8 PSK कॉन्स्टेलशन (constellation) दिखाया है, 16QAM एक और कॉन्स्टेलशन (constellation) है। लेकिन आप देखेंगे कि बहुत सारे वायरलेस सिस्टम (wireless systems) वास्तव में QPSK क े साथ काम करते हैं, और आशा है कि पाठ्यक ् रम क े अंत तक आप मुझे जवाब देंगे की 64 QAM या 256 QAM का उपयोग क्यों नहीं करते। (Refer Slide Time: 41:13) 26 31
  • 33. अब, रिसीवर (receiver) पर का ब्लॉक डायाग्राम (block diagram) देखते है। वैसे तीर की दिशा पर ध्यान दें, सूचना स्रोत से ऐंटेना (antenna) तक जा रहा है। रिसीवर (receiver) मूल रूप से उलटी दिशा में कार्य करता है। आप को सिग्नल (signal) मिलता हैं, आप फ़िल्टर (filter) करते हैं। वह आपका रिसीव फ़िल्टर (receive filter) है। जो सभी अवांछित जानकारी को बाहर फेंक देंता है। क े वल पसंद का सिग्नल (signal) लेंकर, उसे एम्प्लिफाय (amplify) करता है। हम इसे लो नॉइज़ एम्प्लिफायर (low noise amplifier) कहते हैं। एक सवाल यह है कि ये 'लो नॉइज़ (low noise)’ क्यों होना चाहिए? लेकिन मुझे यकीन है कि आप इसका जवाब जानते हैं। फिर उसे RF से बेसबैंड (baseband) में, एक चरण में या कई चरणों में, हेट्रोडाइन (heterodyne) या होमोडाइन रिसीवर (homodyne receiver) से बदला जाता है। फिर उसे डिजिटल (digital) में रूपान्तरीत किया जाता हैl फिर उसे एक मेच्ड फ़िल्टर (matched filter) से पास (pass) किया जाता है। अगर आपने ट्रान्समीटर (transmitter) पे स्क्वेर रुट राईज़ेड कोसाइन (square root raised cosine) का उपयोग किया है, मेच्ड फ़िल्टर (matched filter) आपको बहुत अच्छा SNR देगा, फिर डिमॉड्यूलेशन (demodulation) होता है और उसक े बाद चैनल डिकोडिंग (channel decoding) करक े जो जानकारी चाहिए उसको अलग किया जाता है, फिर डिक्रिप्शन (decryption) करक े जानकारी को री-एन्कोड (re-encode) किया जाता है, ताकि आप फिर उसे वापस चला सकते हैं। (Refer Slide Time: 42:25) 27 32
  • 34. इसलिए, क ु छ रिसीवर (receiver) सिंक ् रोनाइजेशन (synchronization) की जरूरत होती है - फ्रिकवन्सी (frequency) और समय सिंक ् रोनाइजेशन (synchronization) दोनों। यदि कोहेरेंट रिसीवर (coherent receiver) है, तो आपको चैनल एस्टिमेशन (channel estimation) करना होगा। यदि आपक े चैनल (channel) में ISI है, तो आपको इक्वलाईजेशन (equalization) करना होगा और फिर, चैनल डिकोडिंग (channel decoding) होगा। लेकिन आखिर में शायद आपको अंदर क्या हो रहा है, इस बात की परवाह नहीं होगी। यदि आपकी दिलचस्पी MP3 प्लेयर (MP3 player) या क ै मरा (camera) में है, तो यहाँ शायद एप्लिक े शन (application) अंतिम उपयोगकर्ता क े दृष्टिकोण से ज़्यादा दिलचस्प है। लेकिन एक कम्युनिक े शन इंजीनियर (communications engineer) क े नजरिए से हमारे लिए ट्रांसमीटर (transmitter) और रिसीवर (receiver) ज़्यादा महत्वपूर्ण है। तो, इसमें अब हमारा कोर्स (course) कहां है? यह सब पहले से ही अध्ययन किया गया है। हमारा कोर्स (course) ट्रांसमीटर (transmitter) से शुरू होता है, जहा रेडिएटेड सिग्नल (radiated signal) है, दूसरे छोर पर, रिसीवर (receiver), यह रेडिएटेड (radiated) जानकारी को उठाता है। (Refer Slide Time: 43:03) 28 33
  • 35. तो, चलो हम मानते हैं कि यह एक ऑडियो (audio) स्रोत था। आपने माइक ् रोफ़ोन (microphone) में बोला। यहाँ स्पीकर (speaker) बज रहा है। जो बीच में है वह वायरलेस चैनल (wireless channel) है। यह पाठ्यक ् रम का फोकस (focus) है और आपको लग रहा होगा, ‘इसमें इतना मुश्किल क्या हो सकता है? सिर्फ ट्रान्समीट (transmit) हो रहा है, और रिसीव (receive) ही तो होरहा है। यहां क्या चुनौतियां हैं? लेकिन यही इस पाठ्यक ् रम का जड़ है, और वो मैं आपक े साथ अगली क ु छ स्लाइड्स (slides) में साझा करुं गा। वायरलेस चैनल (wireless channel) को क्या अलग बनाता है? इसक े साथ काम करना कितना मुश्किल है? ऐसा क्यों है कि हमें सिर्फ वायरलेस चैनल (wireless channel) क े बारे में अध्ययन करने क े लिए पूरा एक कोर्स (course) करना पड़ रहा है, और अभी भी शायद बहुत सी चीजों को हम कवर (cover) नहीं कर पाएंगे। हमारा ध्यान वायरलेस चैनल (wireless channel) क े आसपास केंद्रित होगा। डिजिटल कम्युनिक े शन्स (digital communications) में आपक े द्वारा पढ़ी गई सभी चीजों का उपयोग करें, लेकिन इसे वायरलेस (wireless) क े संदर्भ में लागू करें। अगली क ु छ स्लाइड्स (slides) में मैं आपको दिखाऊ ं गा कि वायरलेस चैनल (wireless channel) अलग और चुनौतीपूर्ण है। (Refer Slide Time: 44:31) 29 34