वशीकरण पूजा, हिन्दू धर्म मैं पूजा का बहुत महत्व है. मनचाहे कार्य हेतु हिन्दू धर्म मैं पूजा करवाई जाती है. पूजा के द्वारा आप पूजा से सम्बंधित देवता का आव्हान करके उनको प्रसन करते है
1. 6/8/2017 वशीकरण पूजा
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संतान ाि केअचूक उपाय
संतान ाि केअचूक उपाय, संतान ाि केटोटके/मं, संतान ाि केयोग- येक ववा हत जोड़ा ववाह के
उपरांत आमोद- मोद वाली अविध गुजर जानेपर संतान ाि क इ छा रखता ह है| यह वाभा वक भी है| य द
ववाह केकई वष केबाद भी संतान सुख नह िमलेतो सीधे ी पर बांझ होनेका आरोप लगानेक बजाय सबसे
पहलेिच क सक केपास जाना ेय कर है| य द ी-पुष दोन म कसी कार का िच क सक य दोष न हो तो
िनसंदेह इसकेपीछेह-न क भूिमका हो सकती है| इसिलए सव थम पित-प ी दोन केकुंडली क जांच
आव यक है|
संतान ाि केअचूक उपाय
गभधारण म अवरोधक थित
योितष शा केअनुसार कुछ वशेष ह दशा क थित म गभधारण करनेम कावट आती है| उदाहरण के
िलए –
ववाह केसमय य द दूहा अथवा दुहन दोन म सेकसी क कुंडली म पंचम थान पर राहुबैठा हो, तो
िमसकरेज(गभ िगर जाना) जैसी सम या आती है| य द अ यिधक वलंब केबाद संतान हो भी तो वह क या
होती है| धमशा केअनुसार संतान न होनेका कारण सप का ाप माना जाता है| अथात वतमान अथवा
वगत ज म म साँप अथवा उसकेब चेको मार देनेयह ाप भावी होता है| अतएव, इस दोष को दूर करनेके
िलए नाग देवता क विधवत पूजा करेचा हए|
मह ष गग केअनुसार ‘पुेकेतो जाहानी - वधा ान वव जत। भय ासी सदा दुखी वदेशगमनेरतः।।” अथात
य द पंचम भाव म य द केतुवराजमान हो तो संतान को हािन होती है| इस थित म भी िमसकरेज क
संभावना होती है|
पंचम थान म सूय क उप थती भी संतान ाि म बाधक है| धम शा म कहा गया है–“ अंसुतः धनव जत:
कोण।। अथात जस जातक केपंचम भाव म सूय हो वह पुह न तथा धनह न होता है|
इसी कार पंचम भाव म शिन तथा मंगल का होना भी अशुभकारक है|
संतान ाि केयोग
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योितष शा केअनुसार कुछ वशेष ह दशाएँगभधारण हेतुअनुकूल थितयांिनिमत करती ह जैसे–
य द पंचम भाव म शुभ ह वराजमान ह तो गभधारण क थित बनती है| गभाधान हेतुपंचम भाव तथा
पंचमेश क जांच आव यक है|
य म रजोधम कारक च तथा मंगल माना जाता है, य द चं ी क रािश सेअनुपचय थान सेगोचर
करेऔर उस पर मंगल क हो तो ी म गभ धारण क संभावना बनती है|
पुष क रािश म य द चंउपचय थान सेगोचर करता हो तथा उस पर शुतथा गुक भी हो तो उस
पुष का वीय संतानो प म समथ होता है|
संतान ाि केअचूक उपाय
संतान न होनेकेपीछेय द योितषीय कारण त व क जांच क जाए तो ी-पुष दोन क कुंडिलय दोष के
अित र भी कई कारण हो सकतेह| जैसेकई दु वृ केलोग कोख पर ह बुर नज़र डालतेहुए तांक या
करवा देतेह| ऐसी थित म ह-न का कोई दोष नह ंहोता फर भी बार-बार िमसकरेज हो जाता है| ऐसी
थित म सव थम कुंडली जांच केबाद ह शांित करवाएँ, ह दोष न हो तो गभ धारण करतेह कोख बांधनेक
यव था कर| यह गभ केिलए कवच का काम करता है| कभी-कभी कोई दोष न होतेहुए भी अपनी लापरवाह से
दंप संतान सुख सेवंिचत रह जातेह, जसका ितकार मा िच क सक केपास होता है| इसकेबाद नीचेिलखे
उपाय को आज़माएँ–
रामेरम जाकर सप दोष िनवारण करवाएँ|
य द ी म कसी कार का दोष हो तो लाल अथवा भूरा ान पाल, लाल गाय-बछड़ेक सेवा कर|
शुवार केदन मदार क जड़ उखाड़ कर लाएँतथा उसेअपनेकमर सेबांधे| यह उपाय य केिलए है|
बार-बार िमसकरेज होनेक थित म एक गोमती च कसी लाल कपड़ेम बांधकर ी अपनेकमर म बांध
ले| गभपात का खतरा टल जाता है|
मंगलवार केदन 21 पान केप ेलाकर उस पर िसंदूर सेराम नाम िलखकर हनुमान जी को चढ़ा द | िनरमाल
(चढ़ाए गए पान केप े) को लाल कपड़ेम बांधकर बहतेहुए जल म वा हत कर द|
अपनेघर अथवा आस-पड़ोस के2-3 वष क आयुवालेब च केसाथ भोजन कर| संभव हो तो उनका झूठन खा
ल|
शुल प केर ववार को ल डूगोपाल क छोट सी पीतल सेबनी ितमा लेकर आएँतथा मंदर म उ ह उसी
कार रख जस कार माता- पता अपनेब चो को रखती है| िन य नान करवाएँ, व छ व पहनाएँ, भोग
लगाएँ, तदुपरा त खुद भोजन हण कर|
गुवार का त पूर ा सेकर| त केदौरान पीलेव धारण कर, पीली व तुओंका दान कर| यह उपाय पित-
प ी दोन िमलकर कर|
गेहूंकेआटेम भीगेचनेपीसकर थोड़ सी ह द िमला द| अब इसक दो मोट रो टयाँबनाकर गौ माता को
खलाएँ| यह उपाय य केिलए है|
कसी भी गुवार को संतान इ छुक ी क कमर म पीली कौड़ बांध द|
िनयम िन ा सेपारद िशविलंग का दुध अिभषेक करनेसेउ म संतान क ाि होती है|
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संतान ाि केमं
इस उपाय को पित-प ी दोन को िमलकार करना चा हए| बुधवार केदन दोन ह मुहूत म उठकर बाल
गणेश क विधवत पूजन कर तथा िन निल खत मंका जाप हरेप नेक माला पर कर –
संतान गणपतयेनम: गभदोषहो नम: पुपौ ाय नम:।
इस पूजा म बैठनेकेिलए कुशासन का उपयोग कर, बाल गणेश को उनक य व तुअ पत कर -जैसेदूवा, मोदक
आ द| मुय दरवाजेपर बाल गणेश क मूित लगाएँता क आते-जातेदशन लाभ होता रहे|
संतान गोपाल यंसाधना: संतान ाि केिलए यह साधना अचूक मानी जाती है, इसिलए यह अ यंत िस
है| इस साधना केिलए गुपुय न म ल डूगोपाल क ितमा केसाथ-साथ संतान गोपाल यंभी था पत
कर| िन य पूजन केउपरांत संतान गोपाल तो का िनयिमत पाठ कर| यह शी फिलत होनेवाली विध है|
गोशाला म संतान गोपाल यं था पत कर िन निल खत संतान गोपाल मंका पाठ कर –
“देवक सुत गो व द वासुदेव जग पते। देह मेतनयंकृण वामहंशरणंगत:।।”
उ मंका जाप पित-प ी दोन कसी शुभ दन िनराहार रहकर कर| संया काल म खीर का भोग लगाएँतथा
वह आहार केप म हण कर|