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शुरुाअत...
मममथलेश की कलम से
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... लिखने का शौक मुझे कब िगा , यह कु छ ठीक याद नहीं है , परन्तु मेरे लपताजी
मुझे खूब पत्र भेजते थे. वह आमी से ररटायर हैं, और जब वह सेवा में थे, तब मैं अपने
भाइयों के साथ घर से दूर पढाई करता था. पहिे हॉस्टि में , लिर रूम िेकर आगे
की पढाई के समय में लपताजी का पत्र बड़ा सम्बि था. बड़े िम्बे-िम्बे पत्र और
छोटी-छोटी लिखावट में ऐसा प्रतीत होता था लक वह बहुत कु छ हमें बताना चाहते हैं.
मुझे लवश्वास है लक िेखन की आदत तभी से िगी होगी और समयानुसार इसमें
सुधार आता गया. पढाई के बाद लदल्िी में उत्तम सालहत्यकारों का सालनध्य लमिा ,
लजसमें गुरुवर डॉ.लवनोद बब्बर का नाम प्रमुख है. यह सभी िेख मेरी वेबसाइट
(www.mithilesh2020.com) पर संकलित हैं और समय-समय पर जागरण ,
नवभारत टाइम्स इत्यालद ऑनिाइन माध्यमों के साथ लवलभन्न छोटी-बड़ी पत्र-
पलत्रकाओंमें भी प्रकालशत होते रहे हैं. िेखनी में रोज नए शब्दों से पररचय होता है
और लवलभन्न शब्दों के अथथ लवलभन्न प्रकार से प्रयोग हुए दीखते हैं. सीखने के क्रम
में अपने भाई, अपनी पत्नी को अपने िेख पढ़वा िेता हूँ , और दो चार शुभलचंतक
िे सबुक पर उत्साह बढ़ाते रहते हैं. आप सभी का आशीवाथद मेरे उत्साह को कई
गुणा बढ़ा देगा , ऐसा मुझे लवश्वास है. यलद एक भी िेख आप पढ़ें और उसमें कहीं
सटीकता िगे तो अपनी प्रलतलक्रया से जरूर अवगत कराएं.
आपका अपना-
मममथलेश.
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मिषय - सूची
1. जन-ाअन्दोलन के मनमहताथथ (Page… 7)
2. राजनीमत (Page… 11)
3. व्यमभचार : सामामजक, राजनीमतक, न्यामयक ाऄथिा व्यमिगत, एक
ाऄिलोकन (Page… 15)
4. प्रणब दा… सफल राजनीमत से ाअदशथ चुनौमतयों तक (Page… 19)
5. भ्रष्टाचार (Page… 23)
6. छत्रपमत मशिाजी (Page… 26)
7. राहुल गाांधी नए सोच िाले हो गए हैं! (Page… 31)
8. मोदी मन्त्र : योजना या लफ्फाजी (Page… 32)
9. जहरीली राजनीमत (Page… 34)
10.के जरीिाल का मास्टरस्रोक (Page… 36)
11.सिालों में राष्ट्रीय स्ियांसेिक सांघ, िही पुराना राग (Page… 38)
12.राजनीमत, सांिैधामनकता एिां जनलोकपाल मबल (Page… 40)
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13.ाअमखर बेदाग़ क्यों हैं धोनी? (Page… 42)
14.मजम्मेिार को सामने लाओ (Page… 44)
15.हक़ तो ाईनको भी है (Page… 46)
16.ाईम्मीदिारों को भी देमखये (Page… 48)
17.मोदी को रोकने की बात ही क्यों? (Page… 49)
18.िृद्धों की दशा: सांस्कारमिहीनता एिां पीमियों का ाऄांतर (Page… 51)
19.ाऄथोपाजथन की भाषा बने महांदी (Page… 54)
20.खेलों पर एकामधकार और भ्रष्टाचार (Page… 56)
21.देश के कानून से ाउपर नहीं है कोाइ (Page… 58)
22.गुजरात : मिकास एिां सांस्कृ मत का सांगम (Page… 60)
23.लोक-सांस्कृ मत का सांिाहक है सांयुि पररिार (Page… 63)
24.धृतराष्ट्र और ाईसका दुयोधन (Page… 66)
25.मिधानसभा चुनाि पररणाम, सभी को सबक ‫‏‬‫‏‬(Page… 68)
26.पटाखों का करें मिरोध, समृमद्ध ाअएगी मनमिथरोध (Page… 71)
27.जम्मू कश्मीर मिलय मदिस का औमचत्य '२६ ाऄक्टूबर' (Page… 73)
28.समरसता का महापिथ 'छठ-पूजा' (Page… 75)
29.देश के लौह-पुरुष एिां लौह-ममहला की चाररमत्रक समानताएां (Page… 77)
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30.भारतीय समाज की कमथत 'ाअधुमनकता' एिां कामकाजी ममहलाएां (Page… 79)
31.काला धन, शेषनाग और प्रधान सेिक! (Page… 82)
32.स्िास््य सेिाओांका ितथमान स्िरुप एिां स्िच्छता ाऄमभयान (Page… 85)
33.सांत न छोडे सांताइ (Page… 88)
34.ाऄमत का भला न ... (Page… 90)
35.ाऄनाथों का नाथ बनें; सीखें मबगडैल से... (Page… 93)
36. ...क्यों ाअएां युिा ाअपके पास! (Page… 95)
37.पडोसी बदले नहीं जा सकते, ाआसमलए... (Page… 98)
38.सांस्कृ मत के तथाकमथत 'ठेके दार' (Page… 101)
39.पररितथन सांसार का मनयम है (Page… 104)
40.एक नया पैगांबर लााआए, ... जनाब! (Page… 107)
41.बच्चा भााइ के 'मन की बात' (Page… 111)
42.ाऄल्लाह! ाईन बच्चों को 72 कममसन हूरें न देना...! (Page… 113)
43.भारत रत्न ि राजधमथ (Page… 116)
44.महांदुत्ि के पांच प्राण (Page… 119)
45.गोडसे के बहाने! (Page… 125)
46.एक और गणतांत्र-मदिस! (Page… 128)
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47.मदल्ली की भािी मुख्यमांत्री 'मकरण बेदी' (Page… 130)
48.चााँद पर जाने की तमन्ना... (Page… 132)
49.दररयाां मबछाने िाले हमारे बच्चा भााइ (Page… 136)
50.बेमटयों की दुमनया: ितथमान सन्दभथ (Page… 138)
51.सांघ, मोदी और के जरीिाल: बदलते दौर का महांदुत्ि (Page… 141)
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जन-ाअन्दोलन के मनमहताथथ
सच्चाई को नमन || राष्ट्र को नमन !! राष्ट्र की जनता को नमन !! अन्ना हजारे को नमन !! अन्ना
हजारे की टीम को नमन !!
दोस्तों,
“कु रुक्षेत्र लिल्म में एक गरीब िड़की का बिात्कार मुख्यमंत्री के बेटे द्रारा करने पर ईमानदार पुलिस
आलिसर के स दजथ करके कड़ी कारथ वाई करता है, थोड़े राजनीलतक सपोटथ से के स को बि लमिता है और
मुख्यमंत्री समझौते की कोलशश करता दीखता है, माफ़ी मांगता दीखता है और अपने बेटे को भी माफ़ी
मांगने को कहता है | खैर, यह तो सामान्य बात हो गयी, मै लजस मुख्य बात लक तरि आपका ध्यान
लदिाना चाहता हु, वह इस प्रकार है-
” जब मुख्यमंत्री का बेटा माफ़ी मांगता है तो उसके शब्द कु छ ऐसे है– “मै माफ़ी मांगता हु इन्स्पेक्टर,
अगिी बार से बिात्कार नहीं करूूँ गा| छोड़ न यार, कु छ िे-देकर ख़तम कर मामिा, नहीं तो पररणाम
भुगतने को तैयार रह″ !!
जरा गौर करें इस माफ़ी पर, इस माफ़ी के शब्दों पर | ऐसा नहीं है लक अन्ना हजारे से पहिे नेताओंने
कोलशश नहीं लक पर वह इन्ही शब्दों में िं सकर रह जाते हैं और जन-भावनाओ के साथ न्याय नहीं कर
पाते| न्याय से मेरा अलभप्राय है जनता के सम्मान की सचमुच रक्षा, हकीकत में अलभव्यलि| नेताओंने
पहिे घोटािे लकये, जनता को नौकर समझा, इनको घुटनों पर आकर माफ़ी मांगनी ही चालहए थी, और वह
भी ऐसी माफ़ी की उसके अिावा कोई रास्ता न हो, और जनता ताकतवर की तरि माफ़ करे न की
कमजोर की तरह| इसलिए भी यह जीत यादगार बन जाती है, क्योंलक यह जीत हमें जीत की ही तरह
लमिी है, लकसी ने दी नहीं है यह जीत हमने िड़कर अपने बि से हालसि की है| कमजोरो की तरह नहीं
लमिी हमें यह जीत, इसी बात पर रामधारी लसंह ‘लदनकर’ की एक पंलि याद आती है–
“क्षमा शोभती ाईस भुजांग को मजसके पास गरल(मिष) हो,
ाईसको क्या जो दांतहीन, मिषरमहत, मिनीत, सरल हो |”
जनता ने इस बार अन्ना हजारे के माध्यम से इस पंलि को चररताथथ करते हुए जन-प्रलतलनलधयों को
चेतावनी देकर माफ़ी दी है लक जाओ और अपना काम ठीक से करो नहीं तो “.
िोकपाि तो लसिथ एक लनलमत्त-मात्र है, और असिी जीत भी नहीं है, असिी जीत तो यह है की जनता ने
ताकतवर की तरह जन-प्रलतलनलधयों को माफ़ लकया है और राजनीलत के अिावा लबजनेस, मनोरंजन,
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आलथथक इत्यादी सभी क्षेत्रो के प्रलतलनलधयों को चेतावनी दी है लक सुधर जाओ, अन्यथा अपने अंजाम के
लजम्मेवार खुद ही होगे तुम| और िोकतंत्र में लनश्चय ही सभी को इस चेतावनी-सन्देश को गंभीरता से
िेना ही होगा | मलहंद्रा एंड मलहंद्रा के चेयरमैन आनंद मलहंद्रा लक लटपण्णी इस बारे में उल्िेखनीय है-
”रामिीिा मैदान में जो कु छ हो रहा है, वह बड़े बदिाव का प्रतीक है। िोग अब न के वि राजनेताओं,
बलल्क उद्योगपलतयों से भी जवाबदेही चाहते हैं।‛
जो समझदार है, इस चेतावनी को गंभीरता से िेगा ही, िािू प्रसाद यादव जैसे जन-प्रलतलनलध सब कु छ
समझते हुए भी इसका मखौि ही उड़ायेंगे, क्योंलक जनता ने उनको नकार लदया है शायद उनको
आिाकमान से कु छ हालसि हो जाये |
कु छ और भी है चचाथ के लिए, जो शायद राजनीलत लक समझ को ब्याख्यालयत करें, आम जनता के लिए ये
बहुत ही जरूरी है, कृ पया देखें इसे –
कु छ जन-प्रलतलनलध तो कोलशश ही नहीं करते मुद्ङे को समझने को और अपने लहत साधने के अिावा उनके
पास कोई दूसरा मसौदा नहीं पाया जाता है, जैसे कलपि लसब्बि, अलननवेश (मै स्वामी कहना नहीं चाहूँगा
ऐसे व्यलि को) |
कु छ समझ तो जाते हैं पर उनके अपने स्वाथथ होते है लजसके कारण वो मुद्ङे को भटकाने लक पुरजोर
कोलशश करते है | िािू प्रसाद कहते है लक वो गावं से आयें है, सब समझते है, लनलश्चत ही लकसी को शक
नहीं है उनकी जन-समझ पर, परन्तु इसका क्या करें लक ‚लबहार में राजनैलतक जमीन उनको लदख नहीं
रही है और कांग्रेस का अंध-भि होने के अिावा उनके पास कोई चारा नहीं है‛| अपने १५-वषथ के शाशन
के दौरान उन्होंने लबहार लक जनता को न लसिथ भारत में अलपतु लवश्व में पहचान लदिाई| वह यलद मुखथ होते
या हवाई नेता होते तो शायद लदि को संतोष होता, िेलकन वो जे.पी. आन्दोिन से लनकिे हुए जन-नेता थे
और जन शब्द को उन्होंने अपनी जेब (पाके ट) से ज्यादा कु छ नहीं समझा| ऐसे ब्यलि राजनैलतक किंक
होते है, और ऐसों को राजनैलतक-अपराधी घोलषत करने का लवधेयक आना चालहए| इसी कड़ी में माननीय
अमर लसंह ‘ब्रोकर’ , राजा लदलनवजय लसंह इत्यादी का नाम ससम्मान लिया जा सकता है|
तीसरी जमात राजनैलतक-मूखों की होती है, जो जनता की शलि में अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा होने का
माध्यम देखते हैं| इस कड़ी में मै लजसका नाम िूूँगा शायद आप-सब के गुस्से का लशकार भी होना पड़े, पर
आज मन मान नहीं रहा है और किम चिती ही जा रही है| जी हाूँ ! बाबा रामदेव जी इस कड़ी में मजबूती
से प्रलतलनलधत्व कर रहे हैं, जनता उनके पास अपने दुुःख-ददथ दूर करने आई थी, उसे उम्मीद थी की यह बंदा
कु छ करेगा, योग के माध्यम से आस भी जगाई थी रामदेव ने| परन्तु, हाय रे राजनीलत! तू लिर जीती और
रामदेव होटिों में समझौते की बाट जोहते रहे| मै प्रत्येक क्षण टी.वी. पर िाइव उनकी भाव-भंलगमा देखता
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रहा ४ जून को, िगातार वो इस कोलशश में िगे रहे की कोई ऐसा समझौता हो लजससे की उनका कद बढ़
जाये, जनता का भिा हो या नहीं, ये प्रश्न रामदेव के आन्दोिन में पीछे छू ट गया था| अगिा नाम आपको
आश्चयथ में डािेगा, जी हाूँ राहुि गाूँधी जी! आज वो ज़माना पीछे छू ट रहा है की लसिथ लवरासत के नाम पर
भारतीय जनता आपको आूँखों पर लबठा िे और हमेशा अपना भगवान बनाये रक्खे| राहुि गाूँधी इस भ्रम
में हैं की कु छ लकसानो के घर उन्होंने भोजन कर लिया और वह ताउम्र उनका भि हो गया| बारीकी से
देखें तो आप पाएंगे की शायद वह लकसान भि हो भी जाए, पर उसी लकसान/ गरीब का िड़का पढ़ा लिखा
है और वह राहुि के भावनात्मक जाि में िं सने वािा नहीं है| राहुि जी आगे बढें हमारी शुभकामना है, पर
जनता की क़द्र करना सीखना ही होगा उन्हें और राजनीलत के ऊपर देश-सेवा को तरजीह देना ही होगा,
ये आदेश है जनता का, ररक्वेस्ट नहीं है| मैंने सुना है की लप्रयंका चाणक्य की भूलमका में है राहुि गाूँधी के ,
पर लप्रयंका इंलदरा गाूँधी नहीं हैं की जन-समूह को अच्छे से समझ सकें , राहुि को अपनी समझ लवकलसत
करनी ही होगी, लदलनवजय लसंह जैसों का मागथदशथन क्षलणक िाभ भिे ही लदिाये पर दीघथकािीन
नुकसानदायक ही लसद्च होगा |
जनिोकपाि के बारे में चाहे जो भी लनणथय संसद करे, पर इससे बड़ी जीत जनता को हालसि हो चुकी है|
यह बात मै इसलिए कह रहा हूँ लक नेता किाबाजी को अपना हलथयार मानते है और अलधकांशतुः नेता
सुलपररयाररटी-काम््िेक्स से ग्रलसत होते हैं और अपने कररयर के अंलतम समय में अपनी सारी इज्ज़त/
प्रलतष्ठा खो देते है इसी कारण | अमर लसंह, िािू प्रसाद, ए.राजा, नटवर लसंह, लदलनवजय लसंह और तमाम
नाम, शायद आपके आस-पास भी तमाम िोग हो ऐसे या शायद हम भी| सांसद बहुत ईमानदारी से लबि
पास शायद ही करें, िेलकन उस लनणथय के पहिे जो करारी चोट उनकी इगो पर होनी चालहए, वो चोट हुई है
और इससे बेहतर चोट नहीं हो सकती |
इसलिए देश अभी जश्न मनाये, क्योंलक जश्न मनाने का इससे बेहतर मौका एक देशवासी का शायद ही
लमिा हो, कमसे कम हमारी इस पीढ़ी को तो कतई नहीं|
दोस्तों, अहंकार की हंसी यलद न ही हंसी जाये तो बेहतर है, क्योंलक दुयोधन पर द्रोपदी लक हंसी अभी भी मेरे
कानो में गूंज रही है| िाख बुराइयों के बावजूद हमारा िोकतंत्र बहत मजबूत लस्थलत में है| मेरा ये िेख
इस आन्दोिन की मूि भावना को उभारना है, न लक लकसी को चोट पहुूँचाना, जनता भी इस बात को
समझे, इसी में हम सब लक गररमा है, क्योंलक संसद और सांसद भी हम में से ही है, िोगो को राजनीलत से
नफ़रत नहीं होनी चालहए,वरन राजनीलत को सुद्च करने के प्रयास होने चालहए, अच्छे जन-प्रलतलनलधओंका
चुनाव और अपने संवैधालनक अलधकारों को समझाना इसी प्रलक्रया की महत्वपूणथ कड़ी है, क्योंलक इसके
आभाव में तानाशाही लक संभावनाओंको इंकार नहीं लकया जा सकता| िेलकन इन बातों को िेकर जन-
प्रलतलनलध जनता को ब्िैकमेि नहीं कर सकते और िोकतंत्र को बचाने की लजम्मेवारी सवाथलधक जन-
प्रलतलनलधयों की ही है, क्योंलक वह जन-प्रलतलनलध है ही इसलिए, आम जनता से बुलद्च में आगे है, इसलिए
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उनकी भावनाओ का ख्याि रखते हुए िोकतंत्र को यही बचाएूँ | इस सन्दभथ में मै यही कहना चाहूँगा की
िोकतंत्र को लसिथ तानाशाही का डर लदखाकर जनता को मुखथ नहीं बनाया जा सकता| योगीराज कृ ष्ट्ण
का उपदेश मुझे याद आ रहा है–
‘यदा यदा ही धमथस्य निालनभथवती भारत, अलभत्तुथानम धमथस्य तदात्मानं
सृजाम्यहम’
पररत्राणाय साधुनां, लवनाशाय च दुष्ट्कृ ताम, धमथसंस्थापनाथाथय संभवालम युगे-युगे
!!’
एक कडवी ब्याख्या यह भी है लक यलद ईश्वर भी आते हैं तो वह िोकतंत्र नहीं होगा, छु पे शब्दों में वह
तानाशाही ही होगी| अब इन नेताओंको बहुत ही गंभीरता से सोचना होगा िोकतंत्र के बारे में क्योंलक
जब-जब सच्चाई लक हार होगी भगवान तो आयेंगे ही और यलद वह आते है तो िोकतंत्र कहा होगा? वह तो
राजतन्त्र होगा| जनता का क्या है, उसके लिए वह भी ठीक, यह भी थोड़े-बहुत अंतर के साथ ठीक|
तानाशाही में सवाथलधक तकिीि प्रलतलनलधयों को ही होती है, इस बात का लवशेष ख्याि रखें| आम जनता
को मैंने यह कहते हुए सुना है की इससे अच्छा तो इंलदरा गाूँधी की इमरजेंसी ही थी, कु छ सनकी िोग तो
यहाूँ तक कहते है की ‘इन भारतीय िूटेरो से अच्छा तो अंग्रेज ही थे| िोकतंत्र को सुरलक्षत रखने के लिए
धमथ लक सुरक्षा करनी ही होगी, सच्चाई लक सुरक्षा करनी ही होगी, न्याय का शासन स्थालपत करना ही
होगा, तब ही िोकतंत्र लक रक्षा हो सकती है और वह िोकतंत्र ऐसा होगा लक शायद रामराज्य लक जगह
हम उसका उदाहरण दें, और उसकी सवाथलधक लजम्मेवारी सत्ता-प्रलतष्ठान की है|
-जय लहंद
- मममथलेश. (www.mithilesh2020.com)
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राजनीलत
अक्सर हम लकसी भी मुद्ङे पर सीधे िायदे की ओर नजरें गड़ाएं रहते है जबलक उसके साथ तमाम और भी
बातें होती है, जो कभी-कभी तो मूि बातों से भी ज्यादा महत्वपूणथ प्रभाव छोडती है| खैर, अन्य िेखकों की
तरह मेरा उत्साह भी बढ़ा और ढूंढने िगा कोई अन्य मुद्ङा, पर अभी िेखन का शुरूआती दौर होने से कोई
मुद्ङा जंचा ही नहीं | िेलकन लपछिे सोमवार को सुप्रीम कोटथ के िै सिे का समाचार टी.वी. चैनिों पर पुरे
लदन छाया रहा और हो भी क्यों नहीं, यह एक ऐसे लववालदत राजनीलतज्ञ के बारे में था लजसे आम जनता और
देश के बुलद्चजीवी तो राष्ट्रीय स्तर पर देखने की सोचते है पर उसे राजनीलतक रूप से अछू त करने का
लपछिे दस वषों से िगातार प्रचार चि रहा है|
जी हाूँ! मै नरेन्द्र मोदी की ही बात कर रहा हूँ, लजसे अपनी पाटी भाजपा में ही तमाम लबरोधों का सामना
करना पड़ता है, कांग्रेस और अन्य दिों की तो बात ही छोलडये| ना, ना मै गुजरात-दंगो की वकाित करने
के लबिकु ि भी पक्ष में नहीं हूँ और कोई सच्चा/ शांलतलप्रय देशवासी उस नरसंहार को कै से भूि सकता है,
लजसने पुरे लवश्व का ध्यान इस्िामी-आतंकवाद से हटाकर एकबारगी भारत पर के लन्द्रत कर लिया था| मै
उस वि अभी युवावस्था की दहिीज पर था, पर मेरी समझ आज भी यह इशारा कर रही है की अगर कें द्र में
भाजपा की ही सरकार संयम से काम नहीं िेती तो शायद इस पुरे देश में एक दूसरा वि ही शुरू हो सकता
था जो की लकसी भी अवस्था में लकसी देशप्रेमी को स्वीकार नहीं होता| माननीय बाजपेयी जी और अन्य
देशवालसयों की ही तरह मुझे भी ‘गुजरात दंगो में राष्ट्रीय-शमथ‘ ही नजर आती है और आनी चालहए भी|
िेलकन हम यहाूँ चचाथ कु छ अन्य लबन्दुओंपर करेंगे, और आप खुद ही लनणथय करेंगे की देश को हम लकस
लदशा में िे जाना चाहते हैं|
भारत के सिि ब्यलियों की हम बात करें तो लनुःसंदेह उद्योगपलतयों का नाम सबसे ऊपर आएगा| रतन
टाटा, नारायणमूलतथ और अन्य पूरा उद्योग जगत एक स्वर में नरेन्द्र मोदी की न लसिथ प्रशंशा करता है वरन
उन्हें भारत के सवोच्च राजनैलतक पद पर आसीन देखना चाहता है| रतन टाटा जैसा उद्योगपलत खुिेआम
उनको ‘प्रधानमंत्री’ पद के कालबि बता चूका है| दूसरी तरि प्रगलतशीि मुलस्िम-वगथ की बात करे तो वह
भी गुजरात के सांप्रदालयक-सदभाव की खुिेआम तारीि करता रहा है, देवबंद के प्रो. वस्तानावी इसके
सबसे बड़े उदाहरण हैं, हािाूँलक बाद में उनको उपकु िपलत के पद से हाथ धोना पड़ा इसी सच्चाई को
स्वीकारने के लिए| सामालजक चेहरों की बात करें तो अभी-अभी एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे अन्ना हजारे
जी को भी तारीि के बाद सहयोलगयों के दबाव में पीछे हटना पड़ा था| दो प्रश्न उठते हैं यहाूँ पर, पहिा क्या
उपरोि सारे प्रलतलनलध गुजरात-दंगो को भूि चुके हैं या यह सभी संवेदनहीन है? हम सब इसका जवाब
जानते है, और वह यह है की न तो ये सारे व्यलित्व संवेदनहीन हैं और न ही गुजरात दंगो को भुिा पाएं है,
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तो लिर ऐसी कौन सी मजबूरी है की इन्हे नरेन्द्र-मोदी की प्रशंशा करनी ही पद रही है, कोई मुखथ तो है नहीं
ये सारे, इसका उत्तर आगे खोजने की कोलशश करेंगे इस िेख में|
दूसरा प्रश्न यह है की नरेन्द्र मोदी के इतना लवकास करने के बावजूद, अपनी छलव स्वक्ष, प्रशाशन और
उद्यम-आकषथण के बावजूद उन्हें ही क्यों राजनीलतक लनशाने पर लिया जा रहा है बार-बार, िगातार, बहार
से भी और घर के अन्दर से भी, क्या इसके गभथ में लसिथ गुजरात दंगा ही है या बात कु छ आगे है| यलद
उपरोि दोनों प्रश्नों के उत्तर हम ढूढ़ िे तो यकीन मालनये, हमारा देश राजनीलतक रूप से लस्थर तो होगा ही
साथ-ही-साथ आलथथक, सैन्य और तमाम अन्य मोचो पर हम भरी बढ़त हालसि कर पाएंगे|
प्रश्न लसिथ नरेन्द्र मोदी का हो तो कोई भी इसे गंभीरता से नहीं िेगा पर प्रश्न एक-राजनीलतक व्यवस्था का
है, प्रश्न भ्रष्टाचार का है, प्रश्न लवकास और सुशाशन का भी है, लजसके लबना असंभव है िोकतंत्र में
खुशहािी िा पाना. खुशहािी की बात कौन कहे एक नागररक के तौर पर लकसी भी भारतवासी का भारत
में रह पाना असंभव है, न उसके अलधकारों की बात होगी ना उसकी सुरक्षा की. हर बंद राम-भरोसे ही चिने
को मजबूर होगा| ज्यादा गंभीर भाषण हो गया ऊपर की पंलियों में, मै कु छ हल्के -िु ल्के प्रश्न आपके
सामने रखता हूँ, जरा सोलचये भारतवषथ में अभी लकतने ऐसे राजनैलतक-महापुरुष है, जो न लसिथ सोचते है
बलल्क उनका लदि बार-बार यकीन लदिाता है की यार! कभी न कभी तो मै बनूूँगा ही ‚प्रधानमंत्री‛ “
बताइए-बताइए, ऐसे लकतने िोग होंगे, मै कोलशश करता हूँ सही संख्या पता करने की – राहुि गाूँधी,
आडवानी जी, लचदंबरम साहब, िािू प्रसाद जी, माननीया मायावती बहन, साउथ की अम्मा, मुिायम लसंह
जी भी मुिायम बनने की कोलशश में हैं और ऐसे न जाने लकतने नाम है लजनकी न तो कोई छलव स्वक्ष है, न
कोई योनयता है, लकसी की पाटी की लसिथ २-४ सीटें है, तो लकसी की अपनी है पाटी में स्वीकायथता भी नहीं
है, कोई उम्र के आलखरी पड़ाव में है तो कोई जालतवाद के सहारे शीषथ पर पहुचने का ख्वाब संजोये है.
मैंने यह सामलयक प्रश्न इसलिए पूछा है की क्या ‘प्रधान-मंत्री’ का पद अभी भी इतना सस्ता है की कोई
जन्म से ही प्रधानमंत्री है तो कोई जालत के आरक्षण से प्रधानमंत्री के शीषथ पर लवराजमान होने की चेष्टा
कर रहा है. क्या अन्य लवकलसत देशो जैसे अमेररका में भी ऐसा ही सोचते है िोग, चीन, जापान, इंनिैंड में
सारे राजनीलतज्ञ ऐसे ही लबना लकसी आधार के उम्मीद िगाये बैठे रहते है. हर अपराधी, हर नाकारा लजसे
हर जगह से लतरष्ट्कृ त लकया गया हो, वह राजनीलत में िीट क्यों होता है, क्या यह राजनीलत की मनमानी है
या िोकतंत्र की अपररपक्वता| कोई राजनीलत का मानदंड ही नहीं है, बस मुह उठाये और हो गया हर
ब्यलि राजनीलतज्ञ, बन गया मंत्री, बन गया मुख्यमंत्री और बना डािा अिजि को माफ़ करने का
कानून| क्या राजनीलत का यही मानक है हमारे देश में आज़ादी के ६४ साि बाद भी| जी हाूँ! महानुभाव,
यही सत्य है, लजसने जीवन का कोई भी काम खुद से नहीं लकया हो, पैदा हुआ बाप के पैसे पर, पिा बाप के
पैसे पर, आवारा बना बाप के पैसे पर, ना कोई अनुभव, ना कोई संघषथ, वही व्यलि आप के लिए कानून
बनाता है और वह कानून कहता है की अिजि की िांसी की सजा माफ़ कर दी जाये, अन्ना हजारे को
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जेि में डाि लदया जाये, अरलवन्द के जरीवाि, लकरण बेदी को कु चि लदया जाये, नरेन्द्र मोदी को िांसी दे
लदया जाये “
लिर गंभीर हो गयी पंलियाूँ, क्या करू नया-नया लिखना शुरू लकया है ना, खैर ऊपर के दोनों प्रश्न
आपको याद होंगे, उनमे से पहिा यह था की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो नरेन्द्र मोदी की तरि बुलद्चजीवी
समाज का ध्यान खींच रही है| सबसे बड़ा कारन है- अलत मजबूत राजनीलतक इक्षाशलि (यह ‘अलत’ शब्द
नरेन्द्र मोदी को अपनों के लबच भी नुक्सान पहुंचा रहा है परन्तु इंलदरा गाूँधी के बाद शायद मोदी ऐसी
इक्षाशलि वािे इकिौते राजनेता हैं लजसकी देश को सख्त जरूरत है), इससे देश लनलश्चत तौर पर
राजनैलतक स्थालयत्व की तरि अग्रसर होगा; दूसरा महत्वपूणथ कारन है लवकाश की उद्यमशीिता जो
िगातार रोजगार और युवाओंमें लवश्वास पैदा करती जा रही है; तीसरा शशि प्रशाशन भी एक अलत
महत्वपूणथ कारन है जो साम्प्रदालयकता से आगे सोचने को प्रेररत करता है, अल्पसंख्यको में लवश्वास
जगाता है, न्याय की उम्मीद जगाता है| इसके अिावा नरेन्द्र मोदी का अपना व्यलित्व, सजगता, अनुभव
और राजनीलतक समझ उन्हें अिग ही श्रेणी में खड़ा करती है| ये सारे गुण, लवशेषकर उपरोि तीन मुख्य
गुण बुलद्चजीलवयों को लसिथ नरेन्द्र मोदी में ही लदख रहें है. प्रधानमंत्री के लकसी अन्य उम्मीदवार में इन तीनो
में से एक के भी दशथन दुिथभ है, यही एकमात्र कारन है नरेन्द्र मोदी को समथथन के पीछे| ये सारे बुलद्चजीवी
जानते है की देश में पहिे भी दंगे हुए, ८४ में लसक्खों पर हुआ जुल्म आज तक कांग्रेस को परेशान कर रहा
है, पर इस लसक्ख दंगे का मूि नेहरु पररवार तो राजनैलतक अछू त नहीं है, लिर मोदी ही क्यों ?? देश के
सभी उद्यमी और बुलद्चजीवी जानते है की राजनीलतक िचरता से देश का क्या नुकसान होता है, यह कोई
पलश्चम बंगाि से पूछे| दंगे की बात एक जगह है, पर कहीं भी यह सत्यालपत नहीं हुआ है की नरेन्द्र मोदी ही
सालजशकताथ थे, लकसी न्यायािय ने उन्हें दोषी करार नहीं लदया है| मै इससे आगे की बात करता हूँ, माना
की नरेन्द्र मोदी दोषी है राजनीलतक रूप से, एकबारगी यह मान भी लिया जाये तो लपछिे १० सािो से क्या
इस नेता ने प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष अपनी गिती मानकर प्रायलश्चत नहीं लकया है, यकीन मालनये आज गुजरात
में लकसी भी प्रदेश के मुकाबिे सबसे ज्यादा भाईचारा है, सबसे ज्यादा लवकास है| नरेन्द्र मोदी ने कोई
जान-बूझकर अपराध नहीं लकया है, प्रशाशन में उनसे जरूर गिती हुई है और भरी गिती हुई है, पर वह
उसका प्रायलश्चत कर चुके है गुजरात के जनजीवन का स्तर ऊपर उठाकर, और सजा भुगत चुके है लपछिे
१० बषों से राजनीलतक-अछू त बनकर| क्या अब भी आप रतन टाटा, वस्तान्वी, अन्ना हजारे को गित
कहेंगे | उन्होंने जाने-अनजाने देश के भिाई की ही बात कही है और उनका यह मानना भी सत्य है की
राष्ट्रीय राजनीलत में नरेन्द्र मोदी जैसा व्यलित्व ही कु छ कर सकता है, भारत को ऐसे ही राजनेता की
जरूरत है|
दूसरा प्रश्न इस व्याख्या से भी महत्वपूणथ है की नरेन्द्र मोदी के िाख कोलशश करने के बावजूद क्यों
राजनैलतक-वगथ उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं है| इसका उत्तर कु छ सकारात्मक है तो कु छ
नकारात्मक, सकारात्मक पहिू कहता है की नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगो की कालिख धोने के लिए
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अभी और प्रयास की जरूरत समझता है, वही कु छ वगथ का यह भी मानना है की नरेन्द्र मोदी की तानाशाह
छलव कही घातक न लसद्च हो, कु छ उनके अकडू स्वाभाव को गित मानते हैं, पर ये गिलतयाूँ अथवा सुधर
संभव हैं और इसको नरेन्द्र मोदी भी बखूबी समझते हैं इसीलिए उनके अब के भाषणों और लपछिे वक्त्ब्यों
में साफ़ अंतर देखा जा सकता है| नकारात्मक पहिू कांग्रेस की अल्पसंख्यक-तुलष्टकरण की नीलत रही
है, जो इन लदनों कु छ ज्यादा ही मुखर हो उठी है, उत्तर प्रदेश में मुिायम लसंह और लबहार में िािू प्रसाद के
कमजोर होने से मुलस्िम वोट-बैंक असमंजस में है और कांग्रेस येन-के न-प्रकारेण इस वोट बैंक को अपना
बनने की कोलशश कर रही है लबना लकसी ररस्क के | वह चाहे कांग्रेस के लदलनवजय लसंह का ‘िादेन-जी
और ठग-रामदेव’ का बयान हो, बटािा हाउस की छीछािेदर हो, अिजि की िांसी को िटकाना हो, या
अभी कांग्रेस के समथथन से कश्मीर-लवधानसभा से अिजि की माफ़ी का प्रस्ताव हो, हर जगह इसकी बू
आराम से महसूस की जा सकती है, आलखर कांग्रेस ऐसा क्यों ना करे, अब धीरे-धीरे मतदाता समझदार हो
रहे है, लसिथ मुलस्िम समुदाय ही ऐसा है जो कम-लशलक्षत अथवा अलशलक्षत माना जाता है, इनके बि पर
राहुि को २०१४ में प्रधानमंत्री का पद सौपना आसान जो होगा| नरेन्द्र मोदी के नकारात्मक लवरोध की
एक और बड़ी वजह आर.एस.एस. से सम्बद्च होना भी है, कांग्रेस स्वीकार करे ना करे परन्तु राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ एक बड़ी राजनीलतक और सामालजक ताकत बनकर उभरा है, और जनमानस पर इसका
सामालजक प्रभाव कािी पहिे से माना जाता रहा है, पर इन लदनों इसने राजनीलत में भी कांग्रेस की जड़े
लहिाने तक चुनौती दी है| अब आप सभी लनष्ट्कषथ खुद लनकािे और राजनीलतक रूप से जागरूक हो और
अपने आसपास का वातावरण जागरूक करें, क्योंलक हमारे देश का राजनीलतक पररपक्व होना लनहायत
जरूरी है, इसके लबना लकसी आन्दोिन का ठोश पररणाम नहीं आ सकता, चाहे जे.पी. का आन्दोिन रहा
हो, या वी.पी. लसंह का अथवा वतथमान नायक अन्ना हजारे का आन्दोिन हो| देश को अब एक शशि
राजनीलतज्ञ चालहए जो संपूणथ देश को आगे िेकर चि सके , देश उसके लिए लमटने को भी तैयार है और देश
उसके लिए संघषथ करने को भी तैयार है, चाहे वह राजनीलतज्ञ नरेन्द्र मोदी हो अथवा कोई और|
यलद कोई अन्य लवकल्प नहीं हैं तो नरेन्द्र मोदी को जवाबदेह बनाकर भाजपा को आगे िाना चालहए और
कांग्रेस को भी अपनी दो मुख्य नीलतयों में सुधार की गुन्जाईस खोजनी चालहए, तालक देश लवकास के पथ
पर अग्रसर हो ना की अलस्थर राजनीलत की ओर | इन्ही बातों के साथ आपसे लबदा िेता हूँ|
जय महांद !!
- मममथलेश. (www.mithilesh2020.com)
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व्यमभचार : सामामजक, राजनीमतक, न्यामयक ाऄथिा
व्यमिगत, एक ाऄिलोकन
हम सभी को क्रोध आता है इस तरह की घटनाओंको सुनकर, देखकर;; क्योंलक इस तरह की घटनाओंमें
दुसरे शालमि होते है |
सभी को हंसी आती है, आनंद आता है, कौतूहि जगता है ऐसे समय;; जब उन्हें पूरा समाज ही इस तरह के
व्यलभचार की तरि बढ़ता दीखता है, कु छ अिग नहीं दीखता है जब उन्हें, आम सी बात िगती है उन्हें |
रोना आता है हम सबको अपने आप पर क्योंलक यह तो सवथत्र व्याप्त हो रहा है, संस्थाओंऔर समाज की
बात कौन करे, बलल्क यह व्यलभचार/ जंगिीपन सोच तो हमारे स्वयं के अन्दर बहत गहरे से मौजूद है|
आज यलद देश के गृहमंत्री कह रहे है लक जो आज एक लनदोष िड़की के साथ हुआ वह हमारे घर में भी हो
सकता है तो यह लनलश्चत रूप से अपरालधयों का डर नहीं बलल्क समाज के व्यलियों में िगातार उत्पन्न हो
रही जंगिी-सोच का भय है, क्योंलक यह सोच तो उच्च से िेकर लनम्न वगथ तक व्याप्त है, सवथव्यापी, िा-
ईिाज | …. अब यलद देश का गृहमंत्री समाज की गन्दी होती सोच से भय खा रहा है तो साधारण
जनमानस की कौन कहे.. ??
इनके अलतररि एक चौथी अवस्था मुझे और ज्ञात होती है, जो मुझे लसरे से क्रोलधत करती है, हंसी की
अवस्था भी उत्पन्न करती है, साथ में रोने का अंलतम लवकल्प भी देती है“ और वह है हमारे समाज के
नामचीन महानुभावों, संस्थाओंआलद की बौलद्चक लववशता | समाज न कानून से चिता है, न जनता मात्र
से और न ही धनाढ् यों की मनमजी से न लकसी और संशाधन मात्र से, बलल्क यह सब तो मात्र सहयोगी
तत्व है समाज के पररचािन के ;; वहीूँसमाज तो हमेशा दूरदलशथयों द्रारा बताई गयी लदशा में मुड़ने को
लववश हो जाता है | चाहे कोई भी युग हो, कोई भी महारथी हुआ हो“ हमेशा उसने अपने अतीत पर गौरव
लकया है (आज भी अनेक संस्थाएं इसी अतीत के नाम पर चि पा रही हैं)| प्राचीन काि के अपने पूवथजों में
मयाथदा पुरुषोत्तम राम की बात करें, युलधलष्ठर इत्यालद भाइयों के समाज लनमाथण योगदान की, अथवा
वतथमान ईलतहास के स्वामी लववेकानंद की बात करें अथवा महलषथ दयानंद की, सभी ने अतीत का सहारा
िेकर वतथमान को सुधारने में महती भूलमका लनभायी है| स्वामी दयानंद ने तो नारा भी लदया है- ‚वेदों की
ओर िौटो‛ |
िब्बो-िुआब यह लक क्या आज हमें लिर से अपने अतीत में देखने की जरूरत नहीं है? आज जब समाज में
हर तरि अपराध, अन्याय, भागमभाग, व्यलभचार बढ़ रहा है, तो क्या हमें सच में लसिथ तात्कालिक शोर
मचाकर तुष्ट हो जाना चालहए ? क्या हम लसिथ कु छ बेिगाम, कु -सांस्काररक िोगों को िांसी पर चढ़ाकर
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संतुष्ट हो िेंगे, अथवा इसके पीछे छु पे वास्तलवक कारणों को समझना चाहेंगे भी| राष्ट्रवादी लवचारकों,
आधुलनक लवचारकों, युवाओंसलहत कई िोगों ने इस घटना के पीछे के अनेक कारण लगनाये है, कु छ ने
कहा है लक यह लिल्मों, टी.वी. कायथक्रमों में बढती अश्लीिता का पररणाम है तो कु छ का लवचार है लक
कानून सख्त होने चालहए, कानून का भय होना चालहए, कु छ ने िांसी की सजा की मांग की | कु छ िोगों
को तो मैंने यह भी चचाथ करते सुना लक िडलकयां इस तरह के हािातों के लिए स्वयं लजम्मेवार है, कु छ ने
ितवा जारी करके ऐसी समस्याओंसे लनबटने की कोलशश करी, आलद, आलद |
पर देशवालसयों, यकीन कीलजये और सोलचये क्या िांसी की सजा देने से ऐसे अपराध रुक जायेंगे? क्या
लिल्मों पर प्रलतबन्ध इसका समाधान है, क्या िड़लकयों को ितवों के जररये हमेशा बुरका पहनाने से इस
समस्या पर रोक संभव है? यह तो ठीक उसी प्रकार है, जैसे गहरे प्रेम में लकसी व्यलि का लदि टूट गया हो
और हम उसे जोड़ने के लिए उसपर ‘्िास्टर’ िगायें अथवा उसके छाती पर गरम तेि, लकसी एिोपैथ दवा
जैसे मूव/ झंडू बाम िगायें | यह मात्र हास्य का लवषय हो सकता है, रोग का ईिाज कदालप नहीं हो सकता
है | वतथमान लस्थलत भी कु छ ऐसी ही है| साफ्टवेयर पेशे से जुड़े होने के कारण एक दो चीजों का उल्िेख
करना चाहूँगा यहाूँ, हमारे पेशे में साफ्टवेयर टेलस्टंग नाम का एक लडपाटथमेंट कायथ करता है, लजसका मुख्य
कायथ लकसी बनाये गए प्रोग्राम में गिलतयों की जाूँच करना होता है| जरा बारीकी से ध्यान दीलजयेगा यहाूँ,
वह लसिथ गिलतयों को ठीक से पकड़ता है, सही नहीं करता है, सही करने के लिए तो अन्य दुसरे लवभाग
कायथ करते हैं | ,इसी प्रकार यलद देश में भी कोई दंगा हुआ, कोई घोटािा हुआ, कोई अन्य समस्या आयी तो
हमारी माननीय सरकार भी इस तरह के लवभागों से जाूँच कराती है, कारणों पर और उनसे लनवारण के
उपायों पर भी | कभी लकसी पूवथ न्यायाधीश से तो कभी सांसदों के समूह से, और दोस्तों कभी कभी तो
जाूँच इतनी छोटी- छोटी बातों पर बैठाई जाती है लजससे यह भान ही नहीं हो पाता है लक सरकार का
वास्तलवक काम क्या है ? उदाहरण स्वरुप सरकार को पता होता है लक लकसी मंत्री ने लदि खोि कर
घोटािा लकया है, लिर भी वह उस पर सी.बी.आई. जाूँच बैठाती है, लकसी लवशेष न्यायाधीश से कारणों की
जाूँच कराती है और वह लवशेष आयोग अथवा एजेंसी एक भारी भरकम ररपोटथ सरकार को देती है|
इस उद्चरण के पीछे मेरा स्पष्ट मंतव्य है लक जब छोटी- छोटी घटनाओंपर हमारी कें द्र सरकार अनेक तरह
की जाूँच बैठा देती है, तो इस तरह के व्यापक सामालजक अपराधों पर उसने लकसी लवशेष न्यायाधीश से
जाूँच करने की जरूरत क्यों नहीं समझी ? क्या यह वास्तव में एक छोटा- मोटा अपराध मात्र है? क्या िोगों
का प्रदशथन गुस्से में उठा ज्वार भर है अथवा इसका कोई सामालजक पररप्रेक्ष्य भी है? यलद हाूँ, तो सरकार
को इस तरह के सामालजक बदिावों पर एक व्यापक जांच करानी चालहए, इसके कारणों पर और लनवारणों
पर भी | पर हमारे माननीय गृह मंत्री तो संसद का लवशेष सत्र बुिाने भर की जरूरत भी नहीं समझते है|
दोगिापन देलखये हमारा, एक तरि तो हमारे गृहमंत्री को अपनी बेलटयों की लचंता सताती है लक उनके
साथ भी कु छ ऐसा न हो जाये, वहीूँदूसरी तरि वही गृहमंत्री इस पूरी घटना को लसिथ कानून सख्त कर
देने भर से हि करने का भ्रम पािते है|
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क्या वाकई यह समस्या इतनी छोटी है, लजसे हम जैसे नीम हकीम भी अपने नुस्खों से ठीक करने का दम
भरने िगे हैं ? इस लवकराि सामालजक समस्या पर समाज, कानून, बुलद्चजीवी समाज का दोगिापन तो
देलखये, सब इसको ठीक करने का इतना सरि नुस्खा दे रहे है, जैसे इधर नुस्खा िगाया और उधर
समस्या समाप्त | कु छ जाने माने बुलद्चजीलवयों को तो इस समस्या के जोर पकड़ने पर ऐतराज भी होने
िगा है, एक देश के जाने माने न्यायलवद और प्रेस से सम्बंलधत लवद्रान ने इस समस्या को लमलडया में इतनी
कवरेज लमिने पर उकताहट प्रकट की है, उन्होंने बाकायदा अपने ब्िॉग पर इस समस्या को ज्यादा
कवरेज लमिने पर दबे स्वरों में लनंदा की है| क्या करें वह भी, कु छ नया नहीं है न इसमें, रोज- रोज वही
प्रदशथन, माध्यम वगथ का ददथ“ अब बोररयत तो होगी ही न | एक अन्य नामी दबंग मंत्री ने भी इस सारी
कवायद को मात्र पलब्िलसटी- स्टंट बताया है| और भी है कई िोग, जो इस तरह की भावना रखते है|
कहने को हम लवश्व के सबसे बड़े िोकतंत्र में लनवास करते हैं दोस्तों, और िोकतंत्र का तो प्रथम गुण ही
यही होता है लक हम लकसी भी समस्या पर व्यापक वाद- लववाद करके उसका हि लनकािें| पर यहाूँ
लकसी समस्या पर आप दो लदन से ज्यादा चचाथ नहीं कर सकते, पुराना पड़ जाता है न | यहाूँ के िोगों को,
बुलद्चजीलवयों को िु सथत नहीं है लकसी समस्या पर चचाथ करने हेतु, उसका समाधान ढूंढने हेतु | मामिा
बासी हो जाता है यार, कौन सुने वही रोज की टरथ - टरथ | हम अपने रोग का ईिाज करने को कौन कहे,
अपने को रोगी मानने को ही तैयार नहीं है|
पर रोग तो है, और रोग इतना व्यापक और संक्रामक है लक रोज नए नए मरीजों की पहचान हो रही है|
पर यह रोग अभी िा-ईिाज नहीं बना है दोस्तों और ऐसा भी नहीं है लक हम भारतवासी भाई बहन लमिकर
इसका मुकाबिा ही नहीं कर सकें | पर इसके लिए इक्का- दुक्का मरीजों पर ध्यान िगाने की बजाय
इसका टीकाकरण अलभयान चिाना होगा, वह भी िगातार | लजस प्रकार से पोलियो नामक भयानक
बीमारी से हम भारतवासी भाई बहन लमिकर िड़ पाए हैं, ठीक उसी प्रकार से हम समाज में व्याप्त
कु संस्कारों से भी अवश्य ही िड़ेंगे | पर इसके लिए सबसे पहिे हम सरकार से इस घटना की व्यापकता
की तरि ध्यान लदिाकर इसके लिए एक उच्च- स्तरीय न्यालयक आयोग और जे.पी.सी. के गठन की
सामानांतर मांग करते है, लजससे हमें समाज में हो रहे इन नकारात्मक पररवतथनों पर एक आलधकाररक
दृलष्टकोण लमि सके | कृ पया सरकार इस मामिे में जो भी तात्कालिक लनणथय िेना हो, अवश्य िे परन्तु
दीघथकालिक रूप से इसकी व्यापकता पर दो उच्च स्तरीय सलमलतयां जरूर बनाये लजसमे न्यालयक आयोग
न्याय की दृलष्ट से सामलजक बदिावों का अध्ययन करे और जे.पी.सी. सामालजक और राजनीलतक रूप से
| इस मामिे में िोक सभा प्रलतपक्ष सुषमा स्वराज द्रारा संसद का लवशेष सत्र बुिाने की मांग का मै पुनुः
समथथन करना चाहूँगा, लजसे मीलडया ने शायद गौर ही नहीं लकया | सुषमा जी का ध्यान मै उनकी पाटी
द्रारा स्मृलत ईरानी और संजय लनरुपम मामिे में त्वररत प्रलतलक्रया की तरि भी लदिाना चाहूँगा| लजस
तरह से बी.जे.पी. ने तुरंत आनन िानन में अपनी नेता के आत्म सम्मान के लिए एक्शन लिया ठीक उसी
प्रकार से वह लदल्िी रेप मामिे सलहत देश के इसी तरह के तमाम अन्य मामिों में भी तुरंत सरकार पर
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व्यापक दबाव बनाये और उसे दो सामानांतर आयोगों के गठन के लिए मजबूर करे, क्योंलक वह लसिथ
स्मृलत ईरानी भर के लिए लवपक्ष नहीं है बलल्क वह सम्पूणथ भारतवषथ की तरि से संसद में लवपक्ष की भूलमका
में है | प्रमुख लवपक्षी दि इस बात का ध्यान रखे लक यलद इस मुद्ङे पर वह सरकार को उच्च-स्तरीय लनष्ट्पक्ष
जाूँच कराने और उसकी संस्तुलतयों पर कारथ वाई करने के लिए राजी कर िेती है तो अयोध्या के राम उसे
राम मंलदर न बना पाने के लिए अवश्य ही क्षमादान दे देंगे|
वहीूँकांग्रेस शालसत यू.पी.ए. भी यह अच्छे से समझ िे लक लसिथ कानून बना िेने भर से और डंडे के जोर से
वह समाज को सुसाशन नहीं दे पायेगी, क्योंलक यलद ऐसा होता तो रामदेव सलहत अन्ना हजारे का
जनिोकपाि के लिए इतना लवकराि आन्दोिन न खड़ा होता, वह इस बात को भी भिी- भांलत समझ िे
लक लदल्िी में जो गुस्सा जनता का लदख रहा है, उसमे लपछिी कई घटनाओंका लमश्रण है और जनता में यह
कत्तई सन्देश न जाये लक यह सरकार तो बस मजबूरी का नाम है, सरकार इस से जैसे तैसे गिा भी न
छु डाये क्योंलक लकस से लकससे गिा छु ड़ाएगी वह, कभी कािा धन, कभी जनिोकपाि तो कभी
बिात्कार के लिए न्याय आन्दोिन | वस्तुतुः िोग अब यह सोच रहे हैं लक सरकार तो कु छ गंभीरता से
करना ही नहीं चाहती | तो अब अवसर है सरकार के पास जनता के लिए वास्तव में कु छ करने का|
त्वररत कारथ वाई तुरंत जो होनी है वह तो हो ही और सामानांतर न्यालयक जाूँच के साथ- साथ जे.पी.सी. की
राजनीलतक और सामालजक पड़ताि और उनकी संस्तुलतयों पर कारथ वाई| यकीन करे लशंदे साहब, यह
जनता के साथ साथ सोलनया मैडम के प्रलत सबसे बड़ी विादारी होगी क्योंलक मनरेगा, आर.टी.आई. तो
अब पुराने पड़ चुके है, अगिे चुनाव में राहुि बाबा िोगों को यह वादा तो कर पाएंगे लक हमने लियों को
भयमुि समाज देने के लिए कु छ लकया | एक दो और राजनीलतक िाभ आपको बता दे लशंदे साहब, इसमें
कोई भी पाटी, कोई भी जालत आरक्षण की मांग नहीं करेगी और सच्चर इत्यालद कमेलटयों की तरह इनकी
लसिाररशों को िागू करना मुलश्कि और राजनीलतक नुकसानदायक कदालप नहीं होगा| अब भिा कोई
पोलियो- उन्मूिन का लवरोध करेगा क्या ? “ तो लशंदे साहब, अपनी बेलटयों को लनभथय कीलजये और कृ पया
िग जाइये इस वास्तलवक कायथ में, भगवान, अल्िाह, ईसु आपकी मदद करे ।।
- मममथलेश. (www.mithilesh2020.com)
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प्रणब दा… सफल राजनीमत से ाअदशथ चुनौमतयों तक
जब अलधकालधक िोग राजनीलत के बारे में यह कहते नहीं थकते है लक ‚राजनीलत में लवश्वास की जगह
नहीं होती‛, उन सलक्रय िोगों को भावी महामहीम प्रणब मुखजी के धैयथ और लवश्वास से सीख िेनी चालहए.
सीख िेने की जरूरत न लसिथ कांग्रेस के िोगो को है, बलल्क इस घटनाक्रम से भाजपा के अलत सलक्रय
राजनेता एवं संभालवत प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को भी जरूरत है, क्योंलक धैयथ और
लवश्वास न रखने का ही नतीजा है लक वह अपने मातृ- संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चरम नाराजगी
और अपनी पाटी भाजपा में भी नाराजगी के आलखरी मुहाने पर खड़े है. लनलश्चत रूप से धैयथ ममता बनजी
को भी रखने की जरूरत है, लजन्होंने अपनी व्यलिगत राजनीलत की जल्दबाजी में अिग- थिग होने में
कोई कसर नहीं छोड़ी है और साथ ही साथ मुिायम लसंह यादव की अंगड़ाई को भी धैयथ रखने की जरूरत
थी, लजसमे उन्होंने तुरुप का पत्ता बनने की कोलशश में शायद अपनी लवश्वसनीयता को ही दाव पर िगा
लदया.
राजनीलत की हर एक व्याख्या इलतहास से शुरू होती है. इससे पहिे लक हम प्रणब मुखजी की राजनीलत
की सुिझी चािों की बात करें, हमें यह जान िेना होगा लक प्रणब आलखर राजनीलत में इतने अहम् क्यों है,
लवशेष रूप से कांग्रेस जैसी पाटी में लजसमे हमेशा से एक ही पररवार का राजनैलतक वचथस्व रहा है, उसके
लिए प्रणब मुखजी अपररहायथ कै से हो गए ? एक सवोत्कृ ष्ट राजनेता, अक्िमंद प्रशाशक, चिता लिरता
शब्दकोष, इलतहासकार- िेखक एवं लपछिे ८ वषों से कांग्रेस पाटी की डूबती नाव के खेवनहार इत्यालद
उपनामों से नवाजे गए श्री मुखजी का जन्म १९३५ को बीरभूम लजिे के लमराती नमक गावं में हुआ था.
लपता कामदा लकं कर मुखजी कांग्रेस के सलक्रय सदस्य एवं ख्यात स्वतंत्रता सेनानी थे. उनके लपता पलश्चम
बंगाि लवधान पररषद् के करीब १४ साि तक सदस्य भी रहे. उनके पदलचन्हों पर चिते हुए प्रणब मुखजी
ने अपना राजनैलतक जीवन १९६९ से राज्य सभा सदस्य के रूप में आरम्भ लकया. १९७३ में उद्योग मंत्रािय
में राज्य मंत्री के तौर पर कायथ लकया. उनका मंत्री के रूप में उल्िेखनीय कायथकाि १९८२ से १९८४ के
बीच रहा लजसमे युरोमनी पलत्रका ने उन्हें लवश्व के सवथश्रेष्ठ लवत्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन लकया. इसके
बाद श्री मुखजी ने कांग्रेसी सरकार में अनेक लवभागों में मंत्री के रूप में कायथ लकया. राजनीलत में कांग्रेस
पाटी में श्री मुखजी की िोकलप्रय नेता की छलव सदा से बनी रही है.
स पाटी की आतंररक राजनीलत की बात करें तो, श्री मुखजी के हालशये पर जाने की कहानी भी िगातार
चचाथ में बनी रही. इंलदरा गाूँधी के शाशनकाि के दौरान नंबर दो की पोजीशन हालसि करने वािे श्री
मुखजी का राजनीलतक वनवास श्रीमती इंलदरा गाूँधी की आकलस्मक मृत्यु के बाद शुरू हुआ. अपनी
सवथलवलदत छलव के अनुरूप कांग्रेस पाटी पररवार-पूजक नेता श्री राजीव गाूँधी को प्रधानमंत्री पद की गद्ङी
सौपना चाहते थे और बाद में हुआ भी वही. श्री मुखजी वही पर मात खा बैठे और अपनी योनयता और
बुलद्चमता को उन्होंने राजनीलत समझ लिया. कहा जाता है लक श्री मुखजी के उस समय के रवैये को नेहरु-
गाूँधी पररवार आज तक नहीं भुिा पाया और श्री मुखजी िगातार अपनी अवहेिना झेिते भी रहे. श्री
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मुखजी के योनय होने के बावजूद पहिे राजीव गाूँधी प्रधानमंत्री बने लिर उसके बाद पी.वी.नरलसम्हा राव
और हद तो तब हो गयी जब गाूँधी पररवार के वतथमान नेतृत्व ने श्री मुखजी के कलनष्ठ रहे डॉ. मनमोहन
लसंह को प्रधानमंत्री की कु सी पर बैठा लदया और श्री मुखजी के मन में हर घाव गहरा होता गया. पर उन्होंने
धैयथ और लवश्वास का दामन िम्बे समय तक नहीं छोड़ा. यहाूँ तक लक कई छोटे बड़े मंत्री डॉ. मुखजी को
आूँख भी लदखाते रहे, कई अहम् िै सिों में उनकी सिाह को ताक पर रखा गया पर उन्होंने लवश्वास का
दामन और अपनी योनयता को लनखारना जारी रखा, उन्हें अपनी अंलतम जंग जो जीतनी थी.
वतथमान राजनीलत की बारीक़ समझ रखने वािे इस बात पर एक मत है लक कांग्रेस पाटी पहिे प्रणब
मुखजी के नाम पर भी लसरे से असहमत थी. सोलनया गाूँधी प्रणब के नाम पर िगातार नाक- भौं लसकोड़ती
रही है. अब से नहीं बलल्क जबसे मनमोहन लसंह प्रधानमंत्री बने है तब से, या शायद उससे पहिे से ही,
क्योंलक पहिे कांग्रेस पाटी के नाम पर सोलनया गाूँधी ऐसा राष्ट्रपलत चाहती थी जो २०१४ में कांग्रेस की
भावी सम्भावना राहुि गाूँधी को जरूरत पड़ने पर उबार सके , अपनी गररमा के लवपरीत जाकर भी,
इसीलिए कु छ कमजोर नाम भी िगातार चचाथ में बने रहे. यलद कांग्रेस पाटी की मंशा साफ़ होती तो प्रणब
मुखजी के नाम की सावथजालनक घोषणा कभी की हो चुकी होती और राष्ट्रपलत चुनाव की इतनी छीछािेदर
तो नहीं ही होती. भिा हो ममता बनजी का जो उन्होंने कांग्रेस को तो कम से कम इस बात के लिए मजबूर
लकया लक वह अपने प्रत्यालशयों के नाम तो बताये. इसी कड़ी में प्रणब का नाम कांग्रेस की तरि से दावेदार
के रूप में उभरा, पर उनके साथ और भी एक नाम उभरा लजससे यह साफ़ जालहर हो गया लक कांग्रेस पाटी
अभी भी प्रणब का लवकल्प खोज रही थी. सीधी बात कहें तो प्रणब मुखजी भी अपनी दावेदारी को िेकर
बाहरी दिों की तरि से ज्यादा आश्वस्त थे, परन्तु कांग्रेस की तरि से लबिकु ि भी नहीं. यहाूँ तक लक
उनके संबंधो की बदौित भाजपा के कई नेता जैसे मेनका गाूँधी, यशवंत लसन्हा इत्यालद सावथजलनक रूप
से उन्हें अपनी पसंद बता चुके थे, परन्तु प्रणब मुखजी अपनी धूर-लवरोधी सोलनया गाूँधी को कै से भूि जाते,
लजसने श्री मुखजी की राजनीलतक संभावनाओंपर गहरा आघात लकया था. अब िे- देकर श्री मुखजी को
राजनीलत के आलखरी पड़ाव पर राष्ट्रपलत पद की एक ही उम्मीद बची थी, और उसे वह लकसी भी हाि में
हालसि करने की मन ही मन ठान चुके थे.
इसी क्रम में श्री मुखजी ने अपने संबंधो का जाि लबछाया और राष्ट्रपलत चुनाव के समय से कािी पहिे
इसकी चचाथ अिग-अिग सुरों से शुरू करा दी. इसमें श्री मुखजी खुद भी सधे शब्दों में राय व्यि करने से
नहीं चुके और अपने को मीलडया, अन्य राजनैलतक लमत्रों के माध्यम से चचाथ में बनाये रक्खा. श्री मुखजी
सोलनया गाूँधी की लपछिी चािो से बेहद सावधान थे, लजसमे लपछिे राष्ट्रपलत चुनाव में श्रीमती गाूँधी अपनी
मजी का प्रत्याशी उठाकर कांग्रेलसयों के सामने रख लदया और क्या मजाि लक कोई कांग्रेसी चूूँ भी करता
लक राष्ट्रपलत पद के उम्मीदवार के लिए वतथमान राष्ट्रपलत महोदया श्रीमती प्रलतभा पालटि से भी योनय
उम्मीदवार हैं. श्रीमती सोलनया गाूँधी इस बार भी वही दाव चिने की कोलशश में थी और शायद वह कोई छु पा
हुआ उम्मीदवार िाती भी जो की महामहीम की कु सी की शोभा बढाता परन्तु सोलनया गाूँधी की
राजनीलतक महत्वाकांक्षाओंको येन-के न-प्रकारेण पूरा ही करता, भिे उसकी गररमा सुरलक्षत रहती अथवा
नहीं. प्रणब दा इस तथ्य से भिी- भांलत पररलचत थे लक यलद सोलनया ने लकसी गदहे को राष्ट्रपलत पद के
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  • 1. 1 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in शुरुाअत... मममथलेश की कलम से
  • 2. 2 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in ... लिखने का शौक मुझे कब िगा , यह कु छ ठीक याद नहीं है , परन्तु मेरे लपताजी मुझे खूब पत्र भेजते थे. वह आमी से ररटायर हैं, और जब वह सेवा में थे, तब मैं अपने भाइयों के साथ घर से दूर पढाई करता था. पहिे हॉस्टि में , लिर रूम िेकर आगे की पढाई के समय में लपताजी का पत्र बड़ा सम्बि था. बड़े िम्बे-िम्बे पत्र और छोटी-छोटी लिखावट में ऐसा प्रतीत होता था लक वह बहुत कु छ हमें बताना चाहते हैं. मुझे लवश्वास है लक िेखन की आदत तभी से िगी होगी और समयानुसार इसमें सुधार आता गया. पढाई के बाद लदल्िी में उत्तम सालहत्यकारों का सालनध्य लमिा , लजसमें गुरुवर डॉ.लवनोद बब्बर का नाम प्रमुख है. यह सभी िेख मेरी वेबसाइट (www.mithilesh2020.com) पर संकलित हैं और समय-समय पर जागरण , नवभारत टाइम्स इत्यालद ऑनिाइन माध्यमों के साथ लवलभन्न छोटी-बड़ी पत्र- पलत्रकाओंमें भी प्रकालशत होते रहे हैं. िेखनी में रोज नए शब्दों से पररचय होता है और लवलभन्न शब्दों के अथथ लवलभन्न प्रकार से प्रयोग हुए दीखते हैं. सीखने के क्रम में अपने भाई, अपनी पत्नी को अपने िेख पढ़वा िेता हूँ , और दो चार शुभलचंतक िे सबुक पर उत्साह बढ़ाते रहते हैं. आप सभी का आशीवाथद मेरे उत्साह को कई गुणा बढ़ा देगा , ऐसा मुझे लवश्वास है. यलद एक भी िेख आप पढ़ें और उसमें कहीं सटीकता िगे तो अपनी प्रलतलक्रया से जरूर अवगत कराएं. आपका अपना- मममथलेश.
  • 3. 3 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in मिषय - सूची 1. जन-ाअन्दोलन के मनमहताथथ (Page… 7) 2. राजनीमत (Page… 11) 3. व्यमभचार : सामामजक, राजनीमतक, न्यामयक ाऄथिा व्यमिगत, एक ाऄिलोकन (Page… 15) 4. प्रणब दा… सफल राजनीमत से ाअदशथ चुनौमतयों तक (Page… 19) 5. भ्रष्टाचार (Page… 23) 6. छत्रपमत मशिाजी (Page… 26) 7. राहुल गाांधी नए सोच िाले हो गए हैं! (Page… 31) 8. मोदी मन्त्र : योजना या लफ्फाजी (Page… 32) 9. जहरीली राजनीमत (Page… 34) 10.के जरीिाल का मास्टरस्रोक (Page… 36) 11.सिालों में राष्ट्रीय स्ियांसेिक सांघ, िही पुराना राग (Page… 38) 12.राजनीमत, सांिैधामनकता एिां जनलोकपाल मबल (Page… 40)
  • 4. 4 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in 13.ाअमखर बेदाग़ क्यों हैं धोनी? (Page… 42) 14.मजम्मेिार को सामने लाओ (Page… 44) 15.हक़ तो ाईनको भी है (Page… 46) 16.ाईम्मीदिारों को भी देमखये (Page… 48) 17.मोदी को रोकने की बात ही क्यों? (Page… 49) 18.िृद्धों की दशा: सांस्कारमिहीनता एिां पीमियों का ाऄांतर (Page… 51) 19.ाऄथोपाजथन की भाषा बने महांदी (Page… 54) 20.खेलों पर एकामधकार और भ्रष्टाचार (Page… 56) 21.देश के कानून से ाउपर नहीं है कोाइ (Page… 58) 22.गुजरात : मिकास एिां सांस्कृ मत का सांगम (Page… 60) 23.लोक-सांस्कृ मत का सांिाहक है सांयुि पररिार (Page… 63) 24.धृतराष्ट्र और ाईसका दुयोधन (Page… 66) 25.मिधानसभा चुनाि पररणाम, सभी को सबक ‫‏‬‫‏‬(Page… 68) 26.पटाखों का करें मिरोध, समृमद्ध ाअएगी मनमिथरोध (Page… 71) 27.जम्मू कश्मीर मिलय मदिस का औमचत्य '२६ ाऄक्टूबर' (Page… 73) 28.समरसता का महापिथ 'छठ-पूजा' (Page… 75) 29.देश के लौह-पुरुष एिां लौह-ममहला की चाररमत्रक समानताएां (Page… 77)
  • 5. 5 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in 30.भारतीय समाज की कमथत 'ाअधुमनकता' एिां कामकाजी ममहलाएां (Page… 79) 31.काला धन, शेषनाग और प्रधान सेिक! (Page… 82) 32.स्िास््य सेिाओांका ितथमान स्िरुप एिां स्िच्छता ाऄमभयान (Page… 85) 33.सांत न छोडे सांताइ (Page… 88) 34.ाऄमत का भला न ... (Page… 90) 35.ाऄनाथों का नाथ बनें; सीखें मबगडैल से... (Page… 93) 36. ...क्यों ाअएां युिा ाअपके पास! (Page… 95) 37.पडोसी बदले नहीं जा सकते, ाआसमलए... (Page… 98) 38.सांस्कृ मत के तथाकमथत 'ठेके दार' (Page… 101) 39.पररितथन सांसार का मनयम है (Page… 104) 40.एक नया पैगांबर लााआए, ... जनाब! (Page… 107) 41.बच्चा भााइ के 'मन की बात' (Page… 111) 42.ाऄल्लाह! ाईन बच्चों को 72 कममसन हूरें न देना...! (Page… 113) 43.भारत रत्न ि राजधमथ (Page… 116) 44.महांदुत्ि के पांच प्राण (Page… 119) 45.गोडसे के बहाने! (Page… 125) 46.एक और गणतांत्र-मदिस! (Page… 128)
  • 6. 6 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in 47.मदल्ली की भािी मुख्यमांत्री 'मकरण बेदी' (Page… 130) 48.चााँद पर जाने की तमन्ना... (Page… 132) 49.दररयाां मबछाने िाले हमारे बच्चा भााइ (Page… 136) 50.बेमटयों की दुमनया: ितथमान सन्दभथ (Page… 138) 51.सांघ, मोदी और के जरीिाल: बदलते दौर का महांदुत्ि (Page… 141)
  • 7. 7 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in जन-ाअन्दोलन के मनमहताथथ सच्चाई को नमन || राष्ट्र को नमन !! राष्ट्र की जनता को नमन !! अन्ना हजारे को नमन !! अन्ना हजारे की टीम को नमन !! दोस्तों, “कु रुक्षेत्र लिल्म में एक गरीब िड़की का बिात्कार मुख्यमंत्री के बेटे द्रारा करने पर ईमानदार पुलिस आलिसर के स दजथ करके कड़ी कारथ वाई करता है, थोड़े राजनीलतक सपोटथ से के स को बि लमिता है और मुख्यमंत्री समझौते की कोलशश करता दीखता है, माफ़ी मांगता दीखता है और अपने बेटे को भी माफ़ी मांगने को कहता है | खैर, यह तो सामान्य बात हो गयी, मै लजस मुख्य बात लक तरि आपका ध्यान लदिाना चाहता हु, वह इस प्रकार है- ” जब मुख्यमंत्री का बेटा माफ़ी मांगता है तो उसके शब्द कु छ ऐसे है– “मै माफ़ी मांगता हु इन्स्पेक्टर, अगिी बार से बिात्कार नहीं करूूँ गा| छोड़ न यार, कु छ िे-देकर ख़तम कर मामिा, नहीं तो पररणाम भुगतने को तैयार रह″ !! जरा गौर करें इस माफ़ी पर, इस माफ़ी के शब्दों पर | ऐसा नहीं है लक अन्ना हजारे से पहिे नेताओंने कोलशश नहीं लक पर वह इन्ही शब्दों में िं सकर रह जाते हैं और जन-भावनाओ के साथ न्याय नहीं कर पाते| न्याय से मेरा अलभप्राय है जनता के सम्मान की सचमुच रक्षा, हकीकत में अलभव्यलि| नेताओंने पहिे घोटािे लकये, जनता को नौकर समझा, इनको घुटनों पर आकर माफ़ी मांगनी ही चालहए थी, और वह भी ऐसी माफ़ी की उसके अिावा कोई रास्ता न हो, और जनता ताकतवर की तरि माफ़ करे न की कमजोर की तरह| इसलिए भी यह जीत यादगार बन जाती है, क्योंलक यह जीत हमें जीत की ही तरह लमिी है, लकसी ने दी नहीं है यह जीत हमने िड़कर अपने बि से हालसि की है| कमजोरो की तरह नहीं लमिी हमें यह जीत, इसी बात पर रामधारी लसंह ‘लदनकर’ की एक पंलि याद आती है– “क्षमा शोभती ाईस भुजांग को मजसके पास गरल(मिष) हो, ाईसको क्या जो दांतहीन, मिषरमहत, मिनीत, सरल हो |” जनता ने इस बार अन्ना हजारे के माध्यम से इस पंलि को चररताथथ करते हुए जन-प्रलतलनलधयों को चेतावनी देकर माफ़ी दी है लक जाओ और अपना काम ठीक से करो नहीं तो “. िोकपाि तो लसिथ एक लनलमत्त-मात्र है, और असिी जीत भी नहीं है, असिी जीत तो यह है की जनता ने ताकतवर की तरह जन-प्रलतलनलधयों को माफ़ लकया है और राजनीलत के अिावा लबजनेस, मनोरंजन,
  • 8. 8 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in आलथथक इत्यादी सभी क्षेत्रो के प्रलतलनलधयों को चेतावनी दी है लक सुधर जाओ, अन्यथा अपने अंजाम के लजम्मेवार खुद ही होगे तुम| और िोकतंत्र में लनश्चय ही सभी को इस चेतावनी-सन्देश को गंभीरता से िेना ही होगा | मलहंद्रा एंड मलहंद्रा के चेयरमैन आनंद मलहंद्रा लक लटपण्णी इस बारे में उल्िेखनीय है- ”रामिीिा मैदान में जो कु छ हो रहा है, वह बड़े बदिाव का प्रतीक है। िोग अब न के वि राजनेताओं, बलल्क उद्योगपलतयों से भी जवाबदेही चाहते हैं।‛ जो समझदार है, इस चेतावनी को गंभीरता से िेगा ही, िािू प्रसाद यादव जैसे जन-प्रलतलनलध सब कु छ समझते हुए भी इसका मखौि ही उड़ायेंगे, क्योंलक जनता ने उनको नकार लदया है शायद उनको आिाकमान से कु छ हालसि हो जाये | कु छ और भी है चचाथ के लिए, जो शायद राजनीलत लक समझ को ब्याख्यालयत करें, आम जनता के लिए ये बहुत ही जरूरी है, कृ पया देखें इसे – कु छ जन-प्रलतलनलध तो कोलशश ही नहीं करते मुद्ङे को समझने को और अपने लहत साधने के अिावा उनके पास कोई दूसरा मसौदा नहीं पाया जाता है, जैसे कलपि लसब्बि, अलननवेश (मै स्वामी कहना नहीं चाहूँगा ऐसे व्यलि को) | कु छ समझ तो जाते हैं पर उनके अपने स्वाथथ होते है लजसके कारण वो मुद्ङे को भटकाने लक पुरजोर कोलशश करते है | िािू प्रसाद कहते है लक वो गावं से आयें है, सब समझते है, लनलश्चत ही लकसी को शक नहीं है उनकी जन-समझ पर, परन्तु इसका क्या करें लक ‚लबहार में राजनैलतक जमीन उनको लदख नहीं रही है और कांग्रेस का अंध-भि होने के अिावा उनके पास कोई चारा नहीं है‛| अपने १५-वषथ के शाशन के दौरान उन्होंने लबहार लक जनता को न लसिथ भारत में अलपतु लवश्व में पहचान लदिाई| वह यलद मुखथ होते या हवाई नेता होते तो शायद लदि को संतोष होता, िेलकन वो जे.पी. आन्दोिन से लनकिे हुए जन-नेता थे और जन शब्द को उन्होंने अपनी जेब (पाके ट) से ज्यादा कु छ नहीं समझा| ऐसे ब्यलि राजनैलतक किंक होते है, और ऐसों को राजनैलतक-अपराधी घोलषत करने का लवधेयक आना चालहए| इसी कड़ी में माननीय अमर लसंह ‘ब्रोकर’ , राजा लदलनवजय लसंह इत्यादी का नाम ससम्मान लिया जा सकता है| तीसरी जमात राजनैलतक-मूखों की होती है, जो जनता की शलि में अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा होने का माध्यम देखते हैं| इस कड़ी में मै लजसका नाम िूूँगा शायद आप-सब के गुस्से का लशकार भी होना पड़े, पर आज मन मान नहीं रहा है और किम चिती ही जा रही है| जी हाूँ ! बाबा रामदेव जी इस कड़ी में मजबूती से प्रलतलनलधत्व कर रहे हैं, जनता उनके पास अपने दुुःख-ददथ दूर करने आई थी, उसे उम्मीद थी की यह बंदा कु छ करेगा, योग के माध्यम से आस भी जगाई थी रामदेव ने| परन्तु, हाय रे राजनीलत! तू लिर जीती और रामदेव होटिों में समझौते की बाट जोहते रहे| मै प्रत्येक क्षण टी.वी. पर िाइव उनकी भाव-भंलगमा देखता
  • 9. 9 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in रहा ४ जून को, िगातार वो इस कोलशश में िगे रहे की कोई ऐसा समझौता हो लजससे की उनका कद बढ़ जाये, जनता का भिा हो या नहीं, ये प्रश्न रामदेव के आन्दोिन में पीछे छू ट गया था| अगिा नाम आपको आश्चयथ में डािेगा, जी हाूँ राहुि गाूँधी जी! आज वो ज़माना पीछे छू ट रहा है की लसिथ लवरासत के नाम पर भारतीय जनता आपको आूँखों पर लबठा िे और हमेशा अपना भगवान बनाये रक्खे| राहुि गाूँधी इस भ्रम में हैं की कु छ लकसानो के घर उन्होंने भोजन कर लिया और वह ताउम्र उनका भि हो गया| बारीकी से देखें तो आप पाएंगे की शायद वह लकसान भि हो भी जाए, पर उसी लकसान/ गरीब का िड़का पढ़ा लिखा है और वह राहुि के भावनात्मक जाि में िं सने वािा नहीं है| राहुि जी आगे बढें हमारी शुभकामना है, पर जनता की क़द्र करना सीखना ही होगा उन्हें और राजनीलत के ऊपर देश-सेवा को तरजीह देना ही होगा, ये आदेश है जनता का, ररक्वेस्ट नहीं है| मैंने सुना है की लप्रयंका चाणक्य की भूलमका में है राहुि गाूँधी के , पर लप्रयंका इंलदरा गाूँधी नहीं हैं की जन-समूह को अच्छे से समझ सकें , राहुि को अपनी समझ लवकलसत करनी ही होगी, लदलनवजय लसंह जैसों का मागथदशथन क्षलणक िाभ भिे ही लदिाये पर दीघथकािीन नुकसानदायक ही लसद्च होगा | जनिोकपाि के बारे में चाहे जो भी लनणथय संसद करे, पर इससे बड़ी जीत जनता को हालसि हो चुकी है| यह बात मै इसलिए कह रहा हूँ लक नेता किाबाजी को अपना हलथयार मानते है और अलधकांशतुः नेता सुलपररयाररटी-काम््िेक्स से ग्रलसत होते हैं और अपने कररयर के अंलतम समय में अपनी सारी इज्ज़त/ प्रलतष्ठा खो देते है इसी कारण | अमर लसंह, िािू प्रसाद, ए.राजा, नटवर लसंह, लदलनवजय लसंह और तमाम नाम, शायद आपके आस-पास भी तमाम िोग हो ऐसे या शायद हम भी| सांसद बहुत ईमानदारी से लबि पास शायद ही करें, िेलकन उस लनणथय के पहिे जो करारी चोट उनकी इगो पर होनी चालहए, वो चोट हुई है और इससे बेहतर चोट नहीं हो सकती | इसलिए देश अभी जश्न मनाये, क्योंलक जश्न मनाने का इससे बेहतर मौका एक देशवासी का शायद ही लमिा हो, कमसे कम हमारी इस पीढ़ी को तो कतई नहीं| दोस्तों, अहंकार की हंसी यलद न ही हंसी जाये तो बेहतर है, क्योंलक दुयोधन पर द्रोपदी लक हंसी अभी भी मेरे कानो में गूंज रही है| िाख बुराइयों के बावजूद हमारा िोकतंत्र बहत मजबूत लस्थलत में है| मेरा ये िेख इस आन्दोिन की मूि भावना को उभारना है, न लक लकसी को चोट पहुूँचाना, जनता भी इस बात को समझे, इसी में हम सब लक गररमा है, क्योंलक संसद और सांसद भी हम में से ही है, िोगो को राजनीलत से नफ़रत नहीं होनी चालहए,वरन राजनीलत को सुद्च करने के प्रयास होने चालहए, अच्छे जन-प्रलतलनलधओंका चुनाव और अपने संवैधालनक अलधकारों को समझाना इसी प्रलक्रया की महत्वपूणथ कड़ी है, क्योंलक इसके आभाव में तानाशाही लक संभावनाओंको इंकार नहीं लकया जा सकता| िेलकन इन बातों को िेकर जन- प्रलतलनलध जनता को ब्िैकमेि नहीं कर सकते और िोकतंत्र को बचाने की लजम्मेवारी सवाथलधक जन- प्रलतलनलधयों की ही है, क्योंलक वह जन-प्रलतलनलध है ही इसलिए, आम जनता से बुलद्च में आगे है, इसलिए
  • 10. 10 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in उनकी भावनाओ का ख्याि रखते हुए िोकतंत्र को यही बचाएूँ | इस सन्दभथ में मै यही कहना चाहूँगा की िोकतंत्र को लसिथ तानाशाही का डर लदखाकर जनता को मुखथ नहीं बनाया जा सकता| योगीराज कृ ष्ट्ण का उपदेश मुझे याद आ रहा है– ‘यदा यदा ही धमथस्य निालनभथवती भारत, अलभत्तुथानम धमथस्य तदात्मानं सृजाम्यहम’ पररत्राणाय साधुनां, लवनाशाय च दुष्ट्कृ ताम, धमथसंस्थापनाथाथय संभवालम युगे-युगे !!’ एक कडवी ब्याख्या यह भी है लक यलद ईश्वर भी आते हैं तो वह िोकतंत्र नहीं होगा, छु पे शब्दों में वह तानाशाही ही होगी| अब इन नेताओंको बहुत ही गंभीरता से सोचना होगा िोकतंत्र के बारे में क्योंलक जब-जब सच्चाई लक हार होगी भगवान तो आयेंगे ही और यलद वह आते है तो िोकतंत्र कहा होगा? वह तो राजतन्त्र होगा| जनता का क्या है, उसके लिए वह भी ठीक, यह भी थोड़े-बहुत अंतर के साथ ठीक| तानाशाही में सवाथलधक तकिीि प्रलतलनलधयों को ही होती है, इस बात का लवशेष ख्याि रखें| आम जनता को मैंने यह कहते हुए सुना है की इससे अच्छा तो इंलदरा गाूँधी की इमरजेंसी ही थी, कु छ सनकी िोग तो यहाूँ तक कहते है की ‘इन भारतीय िूटेरो से अच्छा तो अंग्रेज ही थे| िोकतंत्र को सुरलक्षत रखने के लिए धमथ लक सुरक्षा करनी ही होगी, सच्चाई लक सुरक्षा करनी ही होगी, न्याय का शासन स्थालपत करना ही होगा, तब ही िोकतंत्र लक रक्षा हो सकती है और वह िोकतंत्र ऐसा होगा लक शायद रामराज्य लक जगह हम उसका उदाहरण दें, और उसकी सवाथलधक लजम्मेवारी सत्ता-प्रलतष्ठान की है| -जय लहंद - मममथलेश. (www.mithilesh2020.com)
  • 11. 11 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in राजनीलत अक्सर हम लकसी भी मुद्ङे पर सीधे िायदे की ओर नजरें गड़ाएं रहते है जबलक उसके साथ तमाम और भी बातें होती है, जो कभी-कभी तो मूि बातों से भी ज्यादा महत्वपूणथ प्रभाव छोडती है| खैर, अन्य िेखकों की तरह मेरा उत्साह भी बढ़ा और ढूंढने िगा कोई अन्य मुद्ङा, पर अभी िेखन का शुरूआती दौर होने से कोई मुद्ङा जंचा ही नहीं | िेलकन लपछिे सोमवार को सुप्रीम कोटथ के िै सिे का समाचार टी.वी. चैनिों पर पुरे लदन छाया रहा और हो भी क्यों नहीं, यह एक ऐसे लववालदत राजनीलतज्ञ के बारे में था लजसे आम जनता और देश के बुलद्चजीवी तो राष्ट्रीय स्तर पर देखने की सोचते है पर उसे राजनीलतक रूप से अछू त करने का लपछिे दस वषों से िगातार प्रचार चि रहा है| जी हाूँ! मै नरेन्द्र मोदी की ही बात कर रहा हूँ, लजसे अपनी पाटी भाजपा में ही तमाम लबरोधों का सामना करना पड़ता है, कांग्रेस और अन्य दिों की तो बात ही छोलडये| ना, ना मै गुजरात-दंगो की वकाित करने के लबिकु ि भी पक्ष में नहीं हूँ और कोई सच्चा/ शांलतलप्रय देशवासी उस नरसंहार को कै से भूि सकता है, लजसने पुरे लवश्व का ध्यान इस्िामी-आतंकवाद से हटाकर एकबारगी भारत पर के लन्द्रत कर लिया था| मै उस वि अभी युवावस्था की दहिीज पर था, पर मेरी समझ आज भी यह इशारा कर रही है की अगर कें द्र में भाजपा की ही सरकार संयम से काम नहीं िेती तो शायद इस पुरे देश में एक दूसरा वि ही शुरू हो सकता था जो की लकसी भी अवस्था में लकसी देशप्रेमी को स्वीकार नहीं होता| माननीय बाजपेयी जी और अन्य देशवालसयों की ही तरह मुझे भी ‘गुजरात दंगो में राष्ट्रीय-शमथ‘ ही नजर आती है और आनी चालहए भी| िेलकन हम यहाूँ चचाथ कु छ अन्य लबन्दुओंपर करेंगे, और आप खुद ही लनणथय करेंगे की देश को हम लकस लदशा में िे जाना चाहते हैं| भारत के सिि ब्यलियों की हम बात करें तो लनुःसंदेह उद्योगपलतयों का नाम सबसे ऊपर आएगा| रतन टाटा, नारायणमूलतथ और अन्य पूरा उद्योग जगत एक स्वर में नरेन्द्र मोदी की न लसिथ प्रशंशा करता है वरन उन्हें भारत के सवोच्च राजनैलतक पद पर आसीन देखना चाहता है| रतन टाटा जैसा उद्योगपलत खुिेआम उनको ‘प्रधानमंत्री’ पद के कालबि बता चूका है| दूसरी तरि प्रगलतशीि मुलस्िम-वगथ की बात करे तो वह भी गुजरात के सांप्रदालयक-सदभाव की खुिेआम तारीि करता रहा है, देवबंद के प्रो. वस्तानावी इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं, हािाूँलक बाद में उनको उपकु िपलत के पद से हाथ धोना पड़ा इसी सच्चाई को स्वीकारने के लिए| सामालजक चेहरों की बात करें तो अभी-अभी एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे अन्ना हजारे जी को भी तारीि के बाद सहयोलगयों के दबाव में पीछे हटना पड़ा था| दो प्रश्न उठते हैं यहाूँ पर, पहिा क्या उपरोि सारे प्रलतलनलध गुजरात-दंगो को भूि चुके हैं या यह सभी संवेदनहीन है? हम सब इसका जवाब जानते है, और वह यह है की न तो ये सारे व्यलित्व संवेदनहीन हैं और न ही गुजरात दंगो को भुिा पाएं है,
  • 12. 12 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in तो लिर ऐसी कौन सी मजबूरी है की इन्हे नरेन्द्र-मोदी की प्रशंशा करनी ही पद रही है, कोई मुखथ तो है नहीं ये सारे, इसका उत्तर आगे खोजने की कोलशश करेंगे इस िेख में| दूसरा प्रश्न यह है की नरेन्द्र मोदी के इतना लवकास करने के बावजूद, अपनी छलव स्वक्ष, प्रशाशन और उद्यम-आकषथण के बावजूद उन्हें ही क्यों राजनीलतक लनशाने पर लिया जा रहा है बार-बार, िगातार, बहार से भी और घर के अन्दर से भी, क्या इसके गभथ में लसिथ गुजरात दंगा ही है या बात कु छ आगे है| यलद उपरोि दोनों प्रश्नों के उत्तर हम ढूढ़ िे तो यकीन मालनये, हमारा देश राजनीलतक रूप से लस्थर तो होगा ही साथ-ही-साथ आलथथक, सैन्य और तमाम अन्य मोचो पर हम भरी बढ़त हालसि कर पाएंगे| प्रश्न लसिथ नरेन्द्र मोदी का हो तो कोई भी इसे गंभीरता से नहीं िेगा पर प्रश्न एक-राजनीलतक व्यवस्था का है, प्रश्न भ्रष्टाचार का है, प्रश्न लवकास और सुशाशन का भी है, लजसके लबना असंभव है िोकतंत्र में खुशहािी िा पाना. खुशहािी की बात कौन कहे एक नागररक के तौर पर लकसी भी भारतवासी का भारत में रह पाना असंभव है, न उसके अलधकारों की बात होगी ना उसकी सुरक्षा की. हर बंद राम-भरोसे ही चिने को मजबूर होगा| ज्यादा गंभीर भाषण हो गया ऊपर की पंलियों में, मै कु छ हल्के -िु ल्के प्रश्न आपके सामने रखता हूँ, जरा सोलचये भारतवषथ में अभी लकतने ऐसे राजनैलतक-महापुरुष है, जो न लसिथ सोचते है बलल्क उनका लदि बार-बार यकीन लदिाता है की यार! कभी न कभी तो मै बनूूँगा ही ‚प्रधानमंत्री‛ “ बताइए-बताइए, ऐसे लकतने िोग होंगे, मै कोलशश करता हूँ सही संख्या पता करने की – राहुि गाूँधी, आडवानी जी, लचदंबरम साहब, िािू प्रसाद जी, माननीया मायावती बहन, साउथ की अम्मा, मुिायम लसंह जी भी मुिायम बनने की कोलशश में हैं और ऐसे न जाने लकतने नाम है लजनकी न तो कोई छलव स्वक्ष है, न कोई योनयता है, लकसी की पाटी की लसिथ २-४ सीटें है, तो लकसी की अपनी है पाटी में स्वीकायथता भी नहीं है, कोई उम्र के आलखरी पड़ाव में है तो कोई जालतवाद के सहारे शीषथ पर पहुचने का ख्वाब संजोये है. मैंने यह सामलयक प्रश्न इसलिए पूछा है की क्या ‘प्रधान-मंत्री’ का पद अभी भी इतना सस्ता है की कोई जन्म से ही प्रधानमंत्री है तो कोई जालत के आरक्षण से प्रधानमंत्री के शीषथ पर लवराजमान होने की चेष्टा कर रहा है. क्या अन्य लवकलसत देशो जैसे अमेररका में भी ऐसा ही सोचते है िोग, चीन, जापान, इंनिैंड में सारे राजनीलतज्ञ ऐसे ही लबना लकसी आधार के उम्मीद िगाये बैठे रहते है. हर अपराधी, हर नाकारा लजसे हर जगह से लतरष्ट्कृ त लकया गया हो, वह राजनीलत में िीट क्यों होता है, क्या यह राजनीलत की मनमानी है या िोकतंत्र की अपररपक्वता| कोई राजनीलत का मानदंड ही नहीं है, बस मुह उठाये और हो गया हर ब्यलि राजनीलतज्ञ, बन गया मंत्री, बन गया मुख्यमंत्री और बना डािा अिजि को माफ़ करने का कानून| क्या राजनीलत का यही मानक है हमारे देश में आज़ादी के ६४ साि बाद भी| जी हाूँ! महानुभाव, यही सत्य है, लजसने जीवन का कोई भी काम खुद से नहीं लकया हो, पैदा हुआ बाप के पैसे पर, पिा बाप के पैसे पर, आवारा बना बाप के पैसे पर, ना कोई अनुभव, ना कोई संघषथ, वही व्यलि आप के लिए कानून बनाता है और वह कानून कहता है की अिजि की िांसी की सजा माफ़ कर दी जाये, अन्ना हजारे को
  • 13. 13 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in जेि में डाि लदया जाये, अरलवन्द के जरीवाि, लकरण बेदी को कु चि लदया जाये, नरेन्द्र मोदी को िांसी दे लदया जाये “ लिर गंभीर हो गयी पंलियाूँ, क्या करू नया-नया लिखना शुरू लकया है ना, खैर ऊपर के दोनों प्रश्न आपको याद होंगे, उनमे से पहिा यह था की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो नरेन्द्र मोदी की तरि बुलद्चजीवी समाज का ध्यान खींच रही है| सबसे बड़ा कारन है- अलत मजबूत राजनीलतक इक्षाशलि (यह ‘अलत’ शब्द नरेन्द्र मोदी को अपनों के लबच भी नुक्सान पहुंचा रहा है परन्तु इंलदरा गाूँधी के बाद शायद मोदी ऐसी इक्षाशलि वािे इकिौते राजनेता हैं लजसकी देश को सख्त जरूरत है), इससे देश लनलश्चत तौर पर राजनैलतक स्थालयत्व की तरि अग्रसर होगा; दूसरा महत्वपूणथ कारन है लवकाश की उद्यमशीिता जो िगातार रोजगार और युवाओंमें लवश्वास पैदा करती जा रही है; तीसरा शशि प्रशाशन भी एक अलत महत्वपूणथ कारन है जो साम्प्रदालयकता से आगे सोचने को प्रेररत करता है, अल्पसंख्यको में लवश्वास जगाता है, न्याय की उम्मीद जगाता है| इसके अिावा नरेन्द्र मोदी का अपना व्यलित्व, सजगता, अनुभव और राजनीलतक समझ उन्हें अिग ही श्रेणी में खड़ा करती है| ये सारे गुण, लवशेषकर उपरोि तीन मुख्य गुण बुलद्चजीलवयों को लसिथ नरेन्द्र मोदी में ही लदख रहें है. प्रधानमंत्री के लकसी अन्य उम्मीदवार में इन तीनो में से एक के भी दशथन दुिथभ है, यही एकमात्र कारन है नरेन्द्र मोदी को समथथन के पीछे| ये सारे बुलद्चजीवी जानते है की देश में पहिे भी दंगे हुए, ८४ में लसक्खों पर हुआ जुल्म आज तक कांग्रेस को परेशान कर रहा है, पर इस लसक्ख दंगे का मूि नेहरु पररवार तो राजनैलतक अछू त नहीं है, लिर मोदी ही क्यों ?? देश के सभी उद्यमी और बुलद्चजीवी जानते है की राजनीलतक िचरता से देश का क्या नुकसान होता है, यह कोई पलश्चम बंगाि से पूछे| दंगे की बात एक जगह है, पर कहीं भी यह सत्यालपत नहीं हुआ है की नरेन्द्र मोदी ही सालजशकताथ थे, लकसी न्यायािय ने उन्हें दोषी करार नहीं लदया है| मै इससे आगे की बात करता हूँ, माना की नरेन्द्र मोदी दोषी है राजनीलतक रूप से, एकबारगी यह मान भी लिया जाये तो लपछिे १० सािो से क्या इस नेता ने प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष अपनी गिती मानकर प्रायलश्चत नहीं लकया है, यकीन मालनये आज गुजरात में लकसी भी प्रदेश के मुकाबिे सबसे ज्यादा भाईचारा है, सबसे ज्यादा लवकास है| नरेन्द्र मोदी ने कोई जान-बूझकर अपराध नहीं लकया है, प्रशाशन में उनसे जरूर गिती हुई है और भरी गिती हुई है, पर वह उसका प्रायलश्चत कर चुके है गुजरात के जनजीवन का स्तर ऊपर उठाकर, और सजा भुगत चुके है लपछिे १० बषों से राजनीलतक-अछू त बनकर| क्या अब भी आप रतन टाटा, वस्तान्वी, अन्ना हजारे को गित कहेंगे | उन्होंने जाने-अनजाने देश के भिाई की ही बात कही है और उनका यह मानना भी सत्य है की राष्ट्रीय राजनीलत में नरेन्द्र मोदी जैसा व्यलित्व ही कु छ कर सकता है, भारत को ऐसे ही राजनेता की जरूरत है| दूसरा प्रश्न इस व्याख्या से भी महत्वपूणथ है की नरेन्द्र मोदी के िाख कोलशश करने के बावजूद क्यों राजनैलतक-वगथ उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं है| इसका उत्तर कु छ सकारात्मक है तो कु छ नकारात्मक, सकारात्मक पहिू कहता है की नरेन्द्र मोदी को गुजरात दंगो की कालिख धोने के लिए
  • 14. 14 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in अभी और प्रयास की जरूरत समझता है, वही कु छ वगथ का यह भी मानना है की नरेन्द्र मोदी की तानाशाह छलव कही घातक न लसद्च हो, कु छ उनके अकडू स्वाभाव को गित मानते हैं, पर ये गिलतयाूँ अथवा सुधर संभव हैं और इसको नरेन्द्र मोदी भी बखूबी समझते हैं इसीलिए उनके अब के भाषणों और लपछिे वक्त्ब्यों में साफ़ अंतर देखा जा सकता है| नकारात्मक पहिू कांग्रेस की अल्पसंख्यक-तुलष्टकरण की नीलत रही है, जो इन लदनों कु छ ज्यादा ही मुखर हो उठी है, उत्तर प्रदेश में मुिायम लसंह और लबहार में िािू प्रसाद के कमजोर होने से मुलस्िम वोट-बैंक असमंजस में है और कांग्रेस येन-के न-प्रकारेण इस वोट बैंक को अपना बनने की कोलशश कर रही है लबना लकसी ररस्क के | वह चाहे कांग्रेस के लदलनवजय लसंह का ‘िादेन-जी और ठग-रामदेव’ का बयान हो, बटािा हाउस की छीछािेदर हो, अिजि की िांसी को िटकाना हो, या अभी कांग्रेस के समथथन से कश्मीर-लवधानसभा से अिजि की माफ़ी का प्रस्ताव हो, हर जगह इसकी बू आराम से महसूस की जा सकती है, आलखर कांग्रेस ऐसा क्यों ना करे, अब धीरे-धीरे मतदाता समझदार हो रहे है, लसिथ मुलस्िम समुदाय ही ऐसा है जो कम-लशलक्षत अथवा अलशलक्षत माना जाता है, इनके बि पर राहुि को २०१४ में प्रधानमंत्री का पद सौपना आसान जो होगा| नरेन्द्र मोदी के नकारात्मक लवरोध की एक और बड़ी वजह आर.एस.एस. से सम्बद्च होना भी है, कांग्रेस स्वीकार करे ना करे परन्तु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक बड़ी राजनीलतक और सामालजक ताकत बनकर उभरा है, और जनमानस पर इसका सामालजक प्रभाव कािी पहिे से माना जाता रहा है, पर इन लदनों इसने राजनीलत में भी कांग्रेस की जड़े लहिाने तक चुनौती दी है| अब आप सभी लनष्ट्कषथ खुद लनकािे और राजनीलतक रूप से जागरूक हो और अपने आसपास का वातावरण जागरूक करें, क्योंलक हमारे देश का राजनीलतक पररपक्व होना लनहायत जरूरी है, इसके लबना लकसी आन्दोिन का ठोश पररणाम नहीं आ सकता, चाहे जे.पी. का आन्दोिन रहा हो, या वी.पी. लसंह का अथवा वतथमान नायक अन्ना हजारे का आन्दोिन हो| देश को अब एक शशि राजनीलतज्ञ चालहए जो संपूणथ देश को आगे िेकर चि सके , देश उसके लिए लमटने को भी तैयार है और देश उसके लिए संघषथ करने को भी तैयार है, चाहे वह राजनीलतज्ञ नरेन्द्र मोदी हो अथवा कोई और| यलद कोई अन्य लवकल्प नहीं हैं तो नरेन्द्र मोदी को जवाबदेह बनाकर भाजपा को आगे िाना चालहए और कांग्रेस को भी अपनी दो मुख्य नीलतयों में सुधार की गुन्जाईस खोजनी चालहए, तालक देश लवकास के पथ पर अग्रसर हो ना की अलस्थर राजनीलत की ओर | इन्ही बातों के साथ आपसे लबदा िेता हूँ| जय महांद !! - मममथलेश. (www.mithilesh2020.com)
  • 15. 15 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in व्यमभचार : सामामजक, राजनीमतक, न्यामयक ाऄथिा व्यमिगत, एक ाऄिलोकन हम सभी को क्रोध आता है इस तरह की घटनाओंको सुनकर, देखकर;; क्योंलक इस तरह की घटनाओंमें दुसरे शालमि होते है | सभी को हंसी आती है, आनंद आता है, कौतूहि जगता है ऐसे समय;; जब उन्हें पूरा समाज ही इस तरह के व्यलभचार की तरि बढ़ता दीखता है, कु छ अिग नहीं दीखता है जब उन्हें, आम सी बात िगती है उन्हें | रोना आता है हम सबको अपने आप पर क्योंलक यह तो सवथत्र व्याप्त हो रहा है, संस्थाओंऔर समाज की बात कौन करे, बलल्क यह व्यलभचार/ जंगिीपन सोच तो हमारे स्वयं के अन्दर बहत गहरे से मौजूद है| आज यलद देश के गृहमंत्री कह रहे है लक जो आज एक लनदोष िड़की के साथ हुआ वह हमारे घर में भी हो सकता है तो यह लनलश्चत रूप से अपरालधयों का डर नहीं बलल्क समाज के व्यलियों में िगातार उत्पन्न हो रही जंगिी-सोच का भय है, क्योंलक यह सोच तो उच्च से िेकर लनम्न वगथ तक व्याप्त है, सवथव्यापी, िा- ईिाज | …. अब यलद देश का गृहमंत्री समाज की गन्दी होती सोच से भय खा रहा है तो साधारण जनमानस की कौन कहे.. ?? इनके अलतररि एक चौथी अवस्था मुझे और ज्ञात होती है, जो मुझे लसरे से क्रोलधत करती है, हंसी की अवस्था भी उत्पन्न करती है, साथ में रोने का अंलतम लवकल्प भी देती है“ और वह है हमारे समाज के नामचीन महानुभावों, संस्थाओंआलद की बौलद्चक लववशता | समाज न कानून से चिता है, न जनता मात्र से और न ही धनाढ् यों की मनमजी से न लकसी और संशाधन मात्र से, बलल्क यह सब तो मात्र सहयोगी तत्व है समाज के पररचािन के ;; वहीूँसमाज तो हमेशा दूरदलशथयों द्रारा बताई गयी लदशा में मुड़ने को लववश हो जाता है | चाहे कोई भी युग हो, कोई भी महारथी हुआ हो“ हमेशा उसने अपने अतीत पर गौरव लकया है (आज भी अनेक संस्थाएं इसी अतीत के नाम पर चि पा रही हैं)| प्राचीन काि के अपने पूवथजों में मयाथदा पुरुषोत्तम राम की बात करें, युलधलष्ठर इत्यालद भाइयों के समाज लनमाथण योगदान की, अथवा वतथमान ईलतहास के स्वामी लववेकानंद की बात करें अथवा महलषथ दयानंद की, सभी ने अतीत का सहारा िेकर वतथमान को सुधारने में महती भूलमका लनभायी है| स्वामी दयानंद ने तो नारा भी लदया है- ‚वेदों की ओर िौटो‛ | िब्बो-िुआब यह लक क्या आज हमें लिर से अपने अतीत में देखने की जरूरत नहीं है? आज जब समाज में हर तरि अपराध, अन्याय, भागमभाग, व्यलभचार बढ़ रहा है, तो क्या हमें सच में लसिथ तात्कालिक शोर मचाकर तुष्ट हो जाना चालहए ? क्या हम लसिथ कु छ बेिगाम, कु -सांस्काररक िोगों को िांसी पर चढ़ाकर
  • 16. 16 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in संतुष्ट हो िेंगे, अथवा इसके पीछे छु पे वास्तलवक कारणों को समझना चाहेंगे भी| राष्ट्रवादी लवचारकों, आधुलनक लवचारकों, युवाओंसलहत कई िोगों ने इस घटना के पीछे के अनेक कारण लगनाये है, कु छ ने कहा है लक यह लिल्मों, टी.वी. कायथक्रमों में बढती अश्लीिता का पररणाम है तो कु छ का लवचार है लक कानून सख्त होने चालहए, कानून का भय होना चालहए, कु छ ने िांसी की सजा की मांग की | कु छ िोगों को तो मैंने यह भी चचाथ करते सुना लक िडलकयां इस तरह के हािातों के लिए स्वयं लजम्मेवार है, कु छ ने ितवा जारी करके ऐसी समस्याओंसे लनबटने की कोलशश करी, आलद, आलद | पर देशवालसयों, यकीन कीलजये और सोलचये क्या िांसी की सजा देने से ऐसे अपराध रुक जायेंगे? क्या लिल्मों पर प्रलतबन्ध इसका समाधान है, क्या िड़लकयों को ितवों के जररये हमेशा बुरका पहनाने से इस समस्या पर रोक संभव है? यह तो ठीक उसी प्रकार है, जैसे गहरे प्रेम में लकसी व्यलि का लदि टूट गया हो और हम उसे जोड़ने के लिए उसपर ‘्िास्टर’ िगायें अथवा उसके छाती पर गरम तेि, लकसी एिोपैथ दवा जैसे मूव/ झंडू बाम िगायें | यह मात्र हास्य का लवषय हो सकता है, रोग का ईिाज कदालप नहीं हो सकता है | वतथमान लस्थलत भी कु छ ऐसी ही है| साफ्टवेयर पेशे से जुड़े होने के कारण एक दो चीजों का उल्िेख करना चाहूँगा यहाूँ, हमारे पेशे में साफ्टवेयर टेलस्टंग नाम का एक लडपाटथमेंट कायथ करता है, लजसका मुख्य कायथ लकसी बनाये गए प्रोग्राम में गिलतयों की जाूँच करना होता है| जरा बारीकी से ध्यान दीलजयेगा यहाूँ, वह लसिथ गिलतयों को ठीक से पकड़ता है, सही नहीं करता है, सही करने के लिए तो अन्य दुसरे लवभाग कायथ करते हैं | ,इसी प्रकार यलद देश में भी कोई दंगा हुआ, कोई घोटािा हुआ, कोई अन्य समस्या आयी तो हमारी माननीय सरकार भी इस तरह के लवभागों से जाूँच कराती है, कारणों पर और उनसे लनवारण के उपायों पर भी | कभी लकसी पूवथ न्यायाधीश से तो कभी सांसदों के समूह से, और दोस्तों कभी कभी तो जाूँच इतनी छोटी- छोटी बातों पर बैठाई जाती है लजससे यह भान ही नहीं हो पाता है लक सरकार का वास्तलवक काम क्या है ? उदाहरण स्वरुप सरकार को पता होता है लक लकसी मंत्री ने लदि खोि कर घोटािा लकया है, लिर भी वह उस पर सी.बी.आई. जाूँच बैठाती है, लकसी लवशेष न्यायाधीश से कारणों की जाूँच कराती है और वह लवशेष आयोग अथवा एजेंसी एक भारी भरकम ररपोटथ सरकार को देती है| इस उद्चरण के पीछे मेरा स्पष्ट मंतव्य है लक जब छोटी- छोटी घटनाओंपर हमारी कें द्र सरकार अनेक तरह की जाूँच बैठा देती है, तो इस तरह के व्यापक सामालजक अपराधों पर उसने लकसी लवशेष न्यायाधीश से जाूँच करने की जरूरत क्यों नहीं समझी ? क्या यह वास्तव में एक छोटा- मोटा अपराध मात्र है? क्या िोगों का प्रदशथन गुस्से में उठा ज्वार भर है अथवा इसका कोई सामालजक पररप्रेक्ष्य भी है? यलद हाूँ, तो सरकार को इस तरह के सामालजक बदिावों पर एक व्यापक जांच करानी चालहए, इसके कारणों पर और लनवारणों पर भी | पर हमारे माननीय गृह मंत्री तो संसद का लवशेष सत्र बुिाने भर की जरूरत भी नहीं समझते है| दोगिापन देलखये हमारा, एक तरि तो हमारे गृहमंत्री को अपनी बेलटयों की लचंता सताती है लक उनके साथ भी कु छ ऐसा न हो जाये, वहीूँदूसरी तरि वही गृहमंत्री इस पूरी घटना को लसिथ कानून सख्त कर देने भर से हि करने का भ्रम पािते है|
  • 17. 17 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in क्या वाकई यह समस्या इतनी छोटी है, लजसे हम जैसे नीम हकीम भी अपने नुस्खों से ठीक करने का दम भरने िगे हैं ? इस लवकराि सामालजक समस्या पर समाज, कानून, बुलद्चजीवी समाज का दोगिापन तो देलखये, सब इसको ठीक करने का इतना सरि नुस्खा दे रहे है, जैसे इधर नुस्खा िगाया और उधर समस्या समाप्त | कु छ जाने माने बुलद्चजीलवयों को तो इस समस्या के जोर पकड़ने पर ऐतराज भी होने िगा है, एक देश के जाने माने न्यायलवद और प्रेस से सम्बंलधत लवद्रान ने इस समस्या को लमलडया में इतनी कवरेज लमिने पर उकताहट प्रकट की है, उन्होंने बाकायदा अपने ब्िॉग पर इस समस्या को ज्यादा कवरेज लमिने पर दबे स्वरों में लनंदा की है| क्या करें वह भी, कु छ नया नहीं है न इसमें, रोज- रोज वही प्रदशथन, माध्यम वगथ का ददथ“ अब बोररयत तो होगी ही न | एक अन्य नामी दबंग मंत्री ने भी इस सारी कवायद को मात्र पलब्िलसटी- स्टंट बताया है| और भी है कई िोग, जो इस तरह की भावना रखते है| कहने को हम लवश्व के सबसे बड़े िोकतंत्र में लनवास करते हैं दोस्तों, और िोकतंत्र का तो प्रथम गुण ही यही होता है लक हम लकसी भी समस्या पर व्यापक वाद- लववाद करके उसका हि लनकािें| पर यहाूँ लकसी समस्या पर आप दो लदन से ज्यादा चचाथ नहीं कर सकते, पुराना पड़ जाता है न | यहाूँ के िोगों को, बुलद्चजीलवयों को िु सथत नहीं है लकसी समस्या पर चचाथ करने हेतु, उसका समाधान ढूंढने हेतु | मामिा बासी हो जाता है यार, कौन सुने वही रोज की टरथ - टरथ | हम अपने रोग का ईिाज करने को कौन कहे, अपने को रोगी मानने को ही तैयार नहीं है| पर रोग तो है, और रोग इतना व्यापक और संक्रामक है लक रोज नए नए मरीजों की पहचान हो रही है| पर यह रोग अभी िा-ईिाज नहीं बना है दोस्तों और ऐसा भी नहीं है लक हम भारतवासी भाई बहन लमिकर इसका मुकाबिा ही नहीं कर सकें | पर इसके लिए इक्का- दुक्का मरीजों पर ध्यान िगाने की बजाय इसका टीकाकरण अलभयान चिाना होगा, वह भी िगातार | लजस प्रकार से पोलियो नामक भयानक बीमारी से हम भारतवासी भाई बहन लमिकर िड़ पाए हैं, ठीक उसी प्रकार से हम समाज में व्याप्त कु संस्कारों से भी अवश्य ही िड़ेंगे | पर इसके लिए सबसे पहिे हम सरकार से इस घटना की व्यापकता की तरि ध्यान लदिाकर इसके लिए एक उच्च- स्तरीय न्यालयक आयोग और जे.पी.सी. के गठन की सामानांतर मांग करते है, लजससे हमें समाज में हो रहे इन नकारात्मक पररवतथनों पर एक आलधकाररक दृलष्टकोण लमि सके | कृ पया सरकार इस मामिे में जो भी तात्कालिक लनणथय िेना हो, अवश्य िे परन्तु दीघथकालिक रूप से इसकी व्यापकता पर दो उच्च स्तरीय सलमलतयां जरूर बनाये लजसमे न्यालयक आयोग न्याय की दृलष्ट से सामलजक बदिावों का अध्ययन करे और जे.पी.सी. सामालजक और राजनीलतक रूप से | इस मामिे में िोक सभा प्रलतपक्ष सुषमा स्वराज द्रारा संसद का लवशेष सत्र बुिाने की मांग का मै पुनुः समथथन करना चाहूँगा, लजसे मीलडया ने शायद गौर ही नहीं लकया | सुषमा जी का ध्यान मै उनकी पाटी द्रारा स्मृलत ईरानी और संजय लनरुपम मामिे में त्वररत प्रलतलक्रया की तरि भी लदिाना चाहूँगा| लजस तरह से बी.जे.पी. ने तुरंत आनन िानन में अपनी नेता के आत्म सम्मान के लिए एक्शन लिया ठीक उसी प्रकार से वह लदल्िी रेप मामिे सलहत देश के इसी तरह के तमाम अन्य मामिों में भी तुरंत सरकार पर
  • 18. 18 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in व्यापक दबाव बनाये और उसे दो सामानांतर आयोगों के गठन के लिए मजबूर करे, क्योंलक वह लसिथ स्मृलत ईरानी भर के लिए लवपक्ष नहीं है बलल्क वह सम्पूणथ भारतवषथ की तरि से संसद में लवपक्ष की भूलमका में है | प्रमुख लवपक्षी दि इस बात का ध्यान रखे लक यलद इस मुद्ङे पर वह सरकार को उच्च-स्तरीय लनष्ट्पक्ष जाूँच कराने और उसकी संस्तुलतयों पर कारथ वाई करने के लिए राजी कर िेती है तो अयोध्या के राम उसे राम मंलदर न बना पाने के लिए अवश्य ही क्षमादान दे देंगे| वहीूँकांग्रेस शालसत यू.पी.ए. भी यह अच्छे से समझ िे लक लसिथ कानून बना िेने भर से और डंडे के जोर से वह समाज को सुसाशन नहीं दे पायेगी, क्योंलक यलद ऐसा होता तो रामदेव सलहत अन्ना हजारे का जनिोकपाि के लिए इतना लवकराि आन्दोिन न खड़ा होता, वह इस बात को भी भिी- भांलत समझ िे लक लदल्िी में जो गुस्सा जनता का लदख रहा है, उसमे लपछिी कई घटनाओंका लमश्रण है और जनता में यह कत्तई सन्देश न जाये लक यह सरकार तो बस मजबूरी का नाम है, सरकार इस से जैसे तैसे गिा भी न छु डाये क्योंलक लकस से लकससे गिा छु ड़ाएगी वह, कभी कािा धन, कभी जनिोकपाि तो कभी बिात्कार के लिए न्याय आन्दोिन | वस्तुतुः िोग अब यह सोच रहे हैं लक सरकार तो कु छ गंभीरता से करना ही नहीं चाहती | तो अब अवसर है सरकार के पास जनता के लिए वास्तव में कु छ करने का| त्वररत कारथ वाई तुरंत जो होनी है वह तो हो ही और सामानांतर न्यालयक जाूँच के साथ- साथ जे.पी.सी. की राजनीलतक और सामालजक पड़ताि और उनकी संस्तुलतयों पर कारथ वाई| यकीन करे लशंदे साहब, यह जनता के साथ साथ सोलनया मैडम के प्रलत सबसे बड़ी विादारी होगी क्योंलक मनरेगा, आर.टी.आई. तो अब पुराने पड़ चुके है, अगिे चुनाव में राहुि बाबा िोगों को यह वादा तो कर पाएंगे लक हमने लियों को भयमुि समाज देने के लिए कु छ लकया | एक दो और राजनीलतक िाभ आपको बता दे लशंदे साहब, इसमें कोई भी पाटी, कोई भी जालत आरक्षण की मांग नहीं करेगी और सच्चर इत्यालद कमेलटयों की तरह इनकी लसिाररशों को िागू करना मुलश्कि और राजनीलतक नुकसानदायक कदालप नहीं होगा| अब भिा कोई पोलियो- उन्मूिन का लवरोध करेगा क्या ? “ तो लशंदे साहब, अपनी बेलटयों को लनभथय कीलजये और कृ पया िग जाइये इस वास्तलवक कायथ में, भगवान, अल्िाह, ईसु आपकी मदद करे ।। - मममथलेश. (www.mithilesh2020.com)
  • 19. 19 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in प्रणब दा… सफल राजनीमत से ाअदशथ चुनौमतयों तक जब अलधकालधक िोग राजनीलत के बारे में यह कहते नहीं थकते है लक ‚राजनीलत में लवश्वास की जगह नहीं होती‛, उन सलक्रय िोगों को भावी महामहीम प्रणब मुखजी के धैयथ और लवश्वास से सीख िेनी चालहए. सीख िेने की जरूरत न लसिथ कांग्रेस के िोगो को है, बलल्क इस घटनाक्रम से भाजपा के अलत सलक्रय राजनेता एवं संभालवत प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को भी जरूरत है, क्योंलक धैयथ और लवश्वास न रखने का ही नतीजा है लक वह अपने मातृ- संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चरम नाराजगी और अपनी पाटी भाजपा में भी नाराजगी के आलखरी मुहाने पर खड़े है. लनलश्चत रूप से धैयथ ममता बनजी को भी रखने की जरूरत है, लजन्होंने अपनी व्यलिगत राजनीलत की जल्दबाजी में अिग- थिग होने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और साथ ही साथ मुिायम लसंह यादव की अंगड़ाई को भी धैयथ रखने की जरूरत थी, लजसमे उन्होंने तुरुप का पत्ता बनने की कोलशश में शायद अपनी लवश्वसनीयता को ही दाव पर िगा लदया. राजनीलत की हर एक व्याख्या इलतहास से शुरू होती है. इससे पहिे लक हम प्रणब मुखजी की राजनीलत की सुिझी चािों की बात करें, हमें यह जान िेना होगा लक प्रणब आलखर राजनीलत में इतने अहम् क्यों है, लवशेष रूप से कांग्रेस जैसी पाटी में लजसमे हमेशा से एक ही पररवार का राजनैलतक वचथस्व रहा है, उसके लिए प्रणब मुखजी अपररहायथ कै से हो गए ? एक सवोत्कृ ष्ट राजनेता, अक्िमंद प्रशाशक, चिता लिरता शब्दकोष, इलतहासकार- िेखक एवं लपछिे ८ वषों से कांग्रेस पाटी की डूबती नाव के खेवनहार इत्यालद उपनामों से नवाजे गए श्री मुखजी का जन्म १९३५ को बीरभूम लजिे के लमराती नमक गावं में हुआ था. लपता कामदा लकं कर मुखजी कांग्रेस के सलक्रय सदस्य एवं ख्यात स्वतंत्रता सेनानी थे. उनके लपता पलश्चम बंगाि लवधान पररषद् के करीब १४ साि तक सदस्य भी रहे. उनके पदलचन्हों पर चिते हुए प्रणब मुखजी ने अपना राजनैलतक जीवन १९६९ से राज्य सभा सदस्य के रूप में आरम्भ लकया. १९७३ में उद्योग मंत्रािय में राज्य मंत्री के तौर पर कायथ लकया. उनका मंत्री के रूप में उल्िेखनीय कायथकाि १९८२ से १९८४ के बीच रहा लजसमे युरोमनी पलत्रका ने उन्हें लवश्व के सवथश्रेष्ठ लवत्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन लकया. इसके बाद श्री मुखजी ने कांग्रेसी सरकार में अनेक लवभागों में मंत्री के रूप में कायथ लकया. राजनीलत में कांग्रेस पाटी में श्री मुखजी की िोकलप्रय नेता की छलव सदा से बनी रही है. स पाटी की आतंररक राजनीलत की बात करें तो, श्री मुखजी के हालशये पर जाने की कहानी भी िगातार चचाथ में बनी रही. इंलदरा गाूँधी के शाशनकाि के दौरान नंबर दो की पोजीशन हालसि करने वािे श्री मुखजी का राजनीलतक वनवास श्रीमती इंलदरा गाूँधी की आकलस्मक मृत्यु के बाद शुरू हुआ. अपनी सवथलवलदत छलव के अनुरूप कांग्रेस पाटी पररवार-पूजक नेता श्री राजीव गाूँधी को प्रधानमंत्री पद की गद्ङी सौपना चाहते थे और बाद में हुआ भी वही. श्री मुखजी वही पर मात खा बैठे और अपनी योनयता और बुलद्चमता को उन्होंने राजनीलत समझ लिया. कहा जाता है लक श्री मुखजी के उस समय के रवैये को नेहरु- गाूँधी पररवार आज तक नहीं भुिा पाया और श्री मुखजी िगातार अपनी अवहेिना झेिते भी रहे. श्री
  • 20. 20 www.zmu.in | www.hindinewsportal.com | Mob: +91- 9990089080, Mail: m@zmu.in मुखजी के योनय होने के बावजूद पहिे राजीव गाूँधी प्रधानमंत्री बने लिर उसके बाद पी.वी.नरलसम्हा राव और हद तो तब हो गयी जब गाूँधी पररवार के वतथमान नेतृत्व ने श्री मुखजी के कलनष्ठ रहे डॉ. मनमोहन लसंह को प्रधानमंत्री की कु सी पर बैठा लदया और श्री मुखजी के मन में हर घाव गहरा होता गया. पर उन्होंने धैयथ और लवश्वास का दामन िम्बे समय तक नहीं छोड़ा. यहाूँ तक लक कई छोटे बड़े मंत्री डॉ. मुखजी को आूँख भी लदखाते रहे, कई अहम् िै सिों में उनकी सिाह को ताक पर रखा गया पर उन्होंने लवश्वास का दामन और अपनी योनयता को लनखारना जारी रखा, उन्हें अपनी अंलतम जंग जो जीतनी थी. वतथमान राजनीलत की बारीक़ समझ रखने वािे इस बात पर एक मत है लक कांग्रेस पाटी पहिे प्रणब मुखजी के नाम पर भी लसरे से असहमत थी. सोलनया गाूँधी प्रणब के नाम पर िगातार नाक- भौं लसकोड़ती रही है. अब से नहीं बलल्क जबसे मनमोहन लसंह प्रधानमंत्री बने है तब से, या शायद उससे पहिे से ही, क्योंलक पहिे कांग्रेस पाटी के नाम पर सोलनया गाूँधी ऐसा राष्ट्रपलत चाहती थी जो २०१४ में कांग्रेस की भावी सम्भावना राहुि गाूँधी को जरूरत पड़ने पर उबार सके , अपनी गररमा के लवपरीत जाकर भी, इसीलिए कु छ कमजोर नाम भी िगातार चचाथ में बने रहे. यलद कांग्रेस पाटी की मंशा साफ़ होती तो प्रणब मुखजी के नाम की सावथजालनक घोषणा कभी की हो चुकी होती और राष्ट्रपलत चुनाव की इतनी छीछािेदर तो नहीं ही होती. भिा हो ममता बनजी का जो उन्होंने कांग्रेस को तो कम से कम इस बात के लिए मजबूर लकया लक वह अपने प्रत्यालशयों के नाम तो बताये. इसी कड़ी में प्रणब का नाम कांग्रेस की तरि से दावेदार के रूप में उभरा, पर उनके साथ और भी एक नाम उभरा लजससे यह साफ़ जालहर हो गया लक कांग्रेस पाटी अभी भी प्रणब का लवकल्प खोज रही थी. सीधी बात कहें तो प्रणब मुखजी भी अपनी दावेदारी को िेकर बाहरी दिों की तरि से ज्यादा आश्वस्त थे, परन्तु कांग्रेस की तरि से लबिकु ि भी नहीं. यहाूँ तक लक उनके संबंधो की बदौित भाजपा के कई नेता जैसे मेनका गाूँधी, यशवंत लसन्हा इत्यालद सावथजलनक रूप से उन्हें अपनी पसंद बता चुके थे, परन्तु प्रणब मुखजी अपनी धूर-लवरोधी सोलनया गाूँधी को कै से भूि जाते, लजसने श्री मुखजी की राजनीलतक संभावनाओंपर गहरा आघात लकया था. अब िे- देकर श्री मुखजी को राजनीलत के आलखरी पड़ाव पर राष्ट्रपलत पद की एक ही उम्मीद बची थी, और उसे वह लकसी भी हाि में हालसि करने की मन ही मन ठान चुके थे. इसी क्रम में श्री मुखजी ने अपने संबंधो का जाि लबछाया और राष्ट्रपलत चुनाव के समय से कािी पहिे इसकी चचाथ अिग-अिग सुरों से शुरू करा दी. इसमें श्री मुखजी खुद भी सधे शब्दों में राय व्यि करने से नहीं चुके और अपने को मीलडया, अन्य राजनैलतक लमत्रों के माध्यम से चचाथ में बनाये रक्खा. श्री मुखजी सोलनया गाूँधी की लपछिी चािो से बेहद सावधान थे, लजसमे लपछिे राष्ट्रपलत चुनाव में श्रीमती गाूँधी अपनी मजी का प्रत्याशी उठाकर कांग्रेलसयों के सामने रख लदया और क्या मजाि लक कोई कांग्रेसी चूूँ भी करता लक राष्ट्रपलत पद के उम्मीदवार के लिए वतथमान राष्ट्रपलत महोदया श्रीमती प्रलतभा पालटि से भी योनय उम्मीदवार हैं. श्रीमती सोलनया गाूँधी इस बार भी वही दाव चिने की कोलशश में थी और शायद वह कोई छु पा हुआ उम्मीदवार िाती भी जो की महामहीम की कु सी की शोभा बढाता परन्तु सोलनया गाूँधी की राजनीलतक महत्वाकांक्षाओंको येन-के न-प्रकारेण पूरा ही करता, भिे उसकी गररमा सुरलक्षत रहती अथवा नहीं. प्रणब दा इस तथ्य से भिी- भांलत पररलचत थे लक यलद सोलनया ने लकसी गदहे को राष्ट्रपलत पद के