4. मानव क
े जीवन में सद्भाव का स्थान म त्वपूणत
ै।सामाजजक जीवन में ऊ
ँ च-नीच,भेद-भावों को
भुलाकर सबक
े साथ ममलकर र ना जरूरी ोता
ै।देश क
े प्रतत सम्मान का भाव ोना चाह ए।
जवव इन ीिं भावनाओिं को प्रस्तुत कववता में
व्यवत करते ैं
5. • सच बसच बात ववचारें
भले काम पर जीवन वारें॥
कवव क ते ै कक में जीवन में सत्य का पालन
करना चाह ए। समाज को प्रगतत क
े पथ पर ले
जाने क
े मलए अपने जीवन को समवपतत करना
चाह ए।भले काम याने दीन,दु:खी लोगों की मदद
करना ।जरूरतमिंदों का साथ देना ै।सैतनक क
े
रूप में देश की रक्षा करना।
6. ममलकर र े,तनयम बनाएँ
बीती बातों को बबसराएिं॥
सभी नागररकों को आपस क
े भेद-भावों को
भुलाकर साथ र ना चाह ए। जीवन में तनयम
बनाएँ ,जैसे दूसरों कक मदद करना,आपस में
भेद-भाव न करना। दूसरों क
े सुख-दु:ख में साथ
देना आहद।एक-दूसरे क
े आचार-ववचारों का आदर
करना ।
7.
8. छोटे-बडे सभी ममल जाएँ
गगरे ुए को तुरिंत उठाएँ॥
नागररकों को प्रगतत क
े रा पर आगे बढते समय
आपस क
े अमीरी-गरीबी,भाषा का भेद सब
भूलकर आगे बढना चाह ए। दीन-दु:खी लोगों
को स ारा देकर उन ें स्वावलिंबी बनाएँ। उनको
काम करने योग्य बनने लायक मागतदशतन दे।
9.
10. करें ककसी का न अपमान
ऐसी ी मतत दो भगवान॥
आपस में काम करते समय कभी भी दूसरों क
े
सम्मान को ठेस लगने जैसा काम न करे।सदा
दूसरों क
े साथ अच्छा व्यव ार करने की बुद्गि
देने की प्राथतना में ईश्वर क
े सामने करना
चाह ए।
11. एक र ें सद्भाव रखे म।
देश-देश में मान रखे म॥
अलग-अलग जातत-िमत ,सिंस्कृ तत क
े लोग एकसूत्र
में बिंिे र े। मारे अच्छे कामों क
े कारण देश-
ववदेश में देश का नाम रोशन ो जाए।चारों
तरफ़ मारी प्रमसद्गि फ़
ै ल जाए।
12. ठ छोडें, सिंयम अपनाएँ
मातृभूमम पर बमल-बमल जाएँ॥
बेकार क
े जजद, ठ को त्यागकर अपने मन पर
काबू रखना सीखना चाह ए। मातृभूमम क
े मलए
खुद को नयौछावर करना चाह ए याने वैयजवतक
सुख को त्यागना चाह ए।
13.
14. पयाथयवाची शब्द
सच- सत्य भला-अच्छा वारना-अपतण
बबसराना-भुलाना मान-सम्मान,मयातदा
मतत-बुद्गि सिंयम –काबू
गृ कायत
तनम्न पिंजवतयों को क
िं ठस्त कीजजए ।
ममलकर----- तुरिंत उठाए ॥
िनयवाद