4. दक्षिण भारत के त्रििुनापल्ली
में पपता िंद्रशेखर अय्यर
व माता पाववती अम्मा के
घर में 7 नवंबर 1888 को
जन्मे भौततक
शास्िी िंद्रशेखर वेंकट
रमन उनके माता पपता के
दूसरे नंबर की संतान थे।
उनके पपता िंद्रशेखर
अय्यर महापवद्यालय में
भौततक पवज्ञान के प्रवक्ता
थे।
5. बेहतर शैक्षिक
वातावरण में पले बढ़े
सीवी रमन ने
अनुसंधान के िेि में
कई कीततमवान
स्थापपत ककए। भारत
में पवज्ञान को नई
ऊंिाइयां प्रदान करने
में उनका काफी बड़ा
योगदान रहा है।
6. प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास से
भौततक पवज्ञान से
स्नातकोत्तर की डडग्री लेने
वाले श्री रमन को गोल्ड
मैडल प्राप्त हुआ। भारत
सरकार ने भी पवज्ञान के
िेि में उल्लेखनीय
योगदान के उन्हें भारत
रत्न सम्मान से नवाजा।
साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ
द्वारा ददए जाने वाले
प्रततष्ष्ट्ित लेतनन शांतत
पुरस्कार से उन्हें
सम्मातनत ककया गया।
7. वैज्ञातनक के तौर पर
दुतनयाभर में जाने गए
रमन की गणणत में
जबदवस्त रूचि थी और
उनकी पहली नौकरी
कोलकाता में भारत
सरकार के पवत्त पवभाग में
सहायक महालेखाकार की
थी। देश को आजादी
ममलने के बाद 1947 में
भारत सरकार ने उन्हें
राष्ट्रीय प्रोफेसर तनयुक्त
ककया था।
8. भौततकी पवशेषज्ञ सर
सीव. रमन द्वारा
'रमन इफैक्ट' की खोज
के उपलक्ष्य में 28
फरवरी को राष्ट्रीय
पवज्ञान ददवस के रूप
में मनाया जाता है।
उन्होंने ही पहली बार
तबले और मृदंगम के
संनादी (हामोतनक) की
प्रकृतत का पता लगाया
था।
9. पवज्ञान के िेि में
योगदान के मलए अनेक
पुरस्कारों से सम्मातनत
ककया गया। उन्हें वषव
1929 में नाइटहुड, वषव
1954 में भारत रत्न
तथा वषव 1957 में
लेतनन शांतत पुरस्कार
से सम्मातनत ककया
गया। पवज्ञान के िेि में
नोबेल पुरस्कार प्राप्त
करने वाले सीवी रमन
पहले भारतीय
वैज्ञातनक बने।
10. 'रमन प्रभाव' की खोज
भारतीय भौततक शास्िी
सर सीवी रमन द्वारा
दुतनया को ददया गया
पवमशष्ट्ट उपहार है। इस
खोज के मलए उन्हें
पवश्व प्रततष्ष्ट्ित
पुरस्कार नोबेल
पुरस्कार से सम्मातनत
ककया गया था और
भारत में इस ददन को
राष्ट्रीय पवज्ञान ददवस
के रूप में मनाया
जाता है।
11. 'रमन प्रभाव' पवश्व को ददए
गए इस अनूिी खोज के बाद
ही उन्हें वषव 1930 में
प्रततष्ष्ट्ित नोबेल पुरस्कार से
सम्मातनत ककया गया था।
पूवव राष्ट्रपतत एपीजे अब्दुल
कलाम जहां वीणा वादन कर
अपने तनावों से मुष्क्त पाते
हैं और प्रख्यात वैज्ञातनक
अल्बटव आइंस्टीन वायमलन
बजाते थे, वहीं रमन की
रूचि वाद्ययंिों मेंदूसरे
तरीके की थी।
12. उन्होंने संगीत वाद्य यंिों के
एकाष्स्टक पर काम ककया और
वह ऐसे पहले व्यष्क्त थे ष्जन्होंने
भारतीय वाद्य यंि तबला तथा
मृदंगम के संनादी (हामोतनक)
प्रकृतत का भी पता लगाया था।
इतना ही नहीं शायद इस वैज्ञातनक
के ददमाग में भारत में आने वाले
समय में व्यापाररक आवश्यकताओं
का खाका भी था और उन्होंने डॉ.
कृष्ट्णमूतत वके साथ
ममलकर िावणकोर मैन्युफैक्िररंग
मलममटेड कंपनी बनाई। पपछले 60
सालों में इस कंपनी के दक्षिण
भारत में िार कारखाने स्थापपत
हुए हैं।
13. पवज्ञान की सेवा
करते करते21
नवंबर 1970 को
बेंगलुरू में
उनका तनधन हो
गया।
14. त्रबड़ला औद्योचगक एवं प्रौद्योचगकीय संग्रहालय के बगीिे में रखा
गया है जो िंद्रशेखर वेंकट रमन की फोड़ो.
रमन मानद डॉक्टरेट और वैज्ञातनक समाज की सदस्यता की एक
बड़ी संख्या के साथ सम्मातनत ककया गया.
उन्होंने अपने व्यवसाय की शुरुआत (1924) में रॉयल सोसाइटी के
फैलो िुने गए और 1929 में नाइट की उपाचध दी गई थी.
1930 में उन्होंने भौततकी में नोबेल पुरस्कार जीता.
1941 में उन्होंने फ्रेंकमलन पदक से सम्मातनत ककया गया था.
1954 में वह भारत रत्न से सम्मातनत ककया गया.
वह 1998 में 1957 में लेतनन शांतत पुरस्कार से सम्मातनत ककया
गया, पवज्ञान की खेती के मलए अमेररकन केममकल सोसायटी और
भारतीय संघ एक अंतरावष्ट्रीय ऐततहामसक रासायतनक मील का
पत्थर के रूप में रमन की खोज को मान्यता दी.
भारत 1928 में रमन प्रभाव की खोज की स्मृतत में हर साल 28
फरवरी को राष्ट्रीय पवज्ञान ददवस मनाता है.