सरकार कृषि यंत्रों पर सब्सिडी बाँट रही है पर क्या यह वास्तविक जरुरतमंदों तक पहुँच रही है? सब्सिडी की जरुरत किसे है? गरीब और छोटी जोत के कारण कृषि कार्य से विमुख होने वाले किसानों और कृषि मजदूरों को खेती से जोड़े रखने के उद्देश से इसकी शुरुवात हुई. पर क्या यह आज भी उनकी पहुँच में है?- इसी प्रश्न को इस पीपीटी में टटोला गया है.
1. क्या पॉवर टिलर सब्ससडी
जरुरतमंदों तक पहुँच रही है?
अजय कु मार त्रिपाठी
MJMC, MBA
2. कु छ प्रश्न.....
• कृ षि सब्ससडी की क्यों है जरुरत?
• कृ षि सब्ससडी के वास्तषवक जरूरतमंद कौन हैं?
• क्या वास्तषवक जरुरतमंदों तक कृ षि सब्ससडी पहुुँच
रही है?
• क्यों सब्ससडी की योग्यता कृ षि पट्टा है?
• क्या सेंट्रल और स्टेट सब्ससडी स्कीम अलग नहीं कर
देना चाहहए?
• पॉवर हटलर षवशुद्ध रूप से एग्रीकल्चर मशीनरी
है फिर इसमें फकसान होने की पािता क्यों है?
• क्यों सब्ससडी और बैंक लोन फकसानों को उलझाने
वाला है?
3. • सरकार कृ षि उत्पादन बढ़ाने, कृ षि को सरल बनाने और छोटे फकसानों को कृ षि
कायय से षवमुख होने से बचाने के ललए सब्ससडी वाले कृ षि उपकरण उपलसध कराकर
मशीनीकरण कृ षि पर बल देती हदख रही है.
• सब्ससडी वाले कृ षि उपकरण के तहत राजसहायता लसिय उन मॉडलों पर ही उपलसध
है ब्जन्हें कृ षि षवभाग द्वारा संस्थाननक षवत्तीय सहायता के ललए पास फकया गया है.
• इसी योजना के तहत पॉवर हटलर पर 25-50% की राजसहायता दी जा रही है पर
इस राजसहायता को पाने के ललए उपयुक्त पाि होने की चौकाने वाली शते रखी
गयी हैं.
• ब्जससे योजना का मुख्य लक्ष्य ही भटकाव की तरि बढ़ रहा है.
• इस योजना के वास्तववक जरुरत सीमांत (अत्यंत छोिे ककसान->1ha land) और लघ
ककसानों (1ha-2ha land) के साथ-साथ कृ वि कामगारों (labours) को है पर उनके ललए
यह योजना कायय करती नहीं हदख रही है. पहले तो इन्हें सब्ससडी नहीं लमलती दूसरे
बैंक इन्हें लोन नहीं देता और यहद फकसी तरह लमल गया तो सयाज की दरें चौकाने
वालीं हैं.
• गौरतलब है फक देश में कार खरीदने पर 8-10 के करीब लेफकन षवशुद्ध रूप से
कृ षि कयोपयोगी पॉवर हटलर खरीदने पर फकसान को 12% से अधधक सयाज देना
होगा.
4. • प्रस्ताव करने वाला व्यब्क्त(applicant) फकसान होना चाहहए.
• उसके पास अपनी खुद की अथवा पंजीकृ त(Registered) पट्टे की 5-6 एकड़
कृ षि भूलम होनी चाहहए; आंचललक बैंक प्रबंधक अपने अधधकार का प्रयोग कर
इसे उपयुक्त मामलों में 3 एकड़ भी कर सकता है.
• सब्ससडी और बैंक ऋण के वल उन्हीं पावर हटलरों के मॉड्लल्स के ललए है
ब्जनके कें द्रीय कृ षि मशीनरी प्रलशक्षण एवं परीक्षण संस्थान
(सीएिएमटीटीआई), बुधनी (मध्य प्रदेश) या कृ षि मशीनरी प्रलशक्षण एवं
परीक्षण संस्थान, हहसार (हररयाणा) द्वारा वाणणब्ययक परीक्षण पूरे हो चुके
हों.
• पावर हटलर न्यूनतम प्रदशयन मानक(MPS) पर खरा उतरा हो और नाबाडय से
पुनषवयत्त(Refinance) के ललए भी सक्षम हो.
• पॉवर हटलर का प्रनतविय 600 घंटे का उत्पादक उपयोग सुननब्श्चत होना
चाहहए.
• नया पॉवर हटलर की ब्स्थनत में अधधकतम 9 विय में फकसान को लोन का
भुगतान करना होगा.
सब्ससडी और बैंक ऋण की इस पािता में सीमांत, लघु फकसान और कृ षि
कामगार आते ही नहीं. सीमांत और लघ ककसानों के पास वांछछत(Require)
जोत नहीं है और कृ वि कामगारों के पास खेत का पट्िा नहीं है.
5. •देश की औसत जोत 2.87 एकड़ (1.16
हेक्टेयर) है.
•कृ षि-कायय में लगे लोग विय 2001 के
234.1 लमललयन (127.3 लमललयन
खेतीहर तथा 106.8 लमललयन कृ षि
मजदूर) के मुकाबले विय 2011 में बढ़कर
263 लमललयन (118.7 लमललयन खेतीहर
तथा 144.3 लमललयन कृ षि मजदूर) हो
गए है.
•सीमांत(अछत लघ) और लघ ककसान
71.15 लमललयन हेक्टेयर कृ षि क्षेि से
अधधक में कृ षि कायय करते हैं.
•जबफक लघ-मध्यम , मध्यम और बड़े
ककसान 88.44 लमललयन हेक्टेयर कृ षि
क्षेि से भी कम पर कृ षि कायय करते हैं.
ब्जनकी जोत 6 एकड़ (2.43हेक्टेयर) के
करीब या उससे ययादा है.
•सब्ससडी की श्रेणी में आने वालों से 7 गुणा लोग सब्ससडी की श्रेणी में ही नहीं
आते जबफक वास्तषवक सब्ससडी के हकदार ये लोग ही हैं.
•अधधकतर मध्यम और बड़े फकसान (कास्तकार) वे हैं ब्जनके पास 9 एकड़
(3.64हेक्टेयर) से अधधक जोत है वे खुद फकसानी नहीं करते.
उनके खेत बंटाई या एकमुश्त वाषियक फकराये पर चढ़े होते हैं और उसमे भी
सीमांत फकसान या कृ षि कामगार ही कृ षि-कायय करते हैं.
•फिर भी कृ वि कामगार या सीमांत ककसान पॉवर टिलर की सब्ससडी में नहीं आते
और जो बबना सब्ससडी के पॉवर टिलर खरीद सकते हैं उन्हें सब्ससडी दी जाती है.
6. स्पष्ट है की सब्ससडी का उद्देश गरीबों को कृ षि में लगाये रखना है इस दृष्टी से सब्ससडी पाने
के ललए ककसानों की ससर्फ दो श्रेणियां ही वास्तषवक हकदार हैं-
1. सीमांत (अत्यंत लघ)->1ha जोत और;
2. लघ ककसान- 1-2ha जोत
सीमांत और लघ ककसान :विय 2010-11 की कृ षि जनगणना के अनुसार देश की कु ल 85% कृ षि
योग्य भूलम में से 44 प्रनतशत पर सीमांत और लघु फकसान खेती करते हैं. ब्जनकी कृ षि जोत 2
हेक्टेयर से कम है. इनकी संख्या . 2012-13 की भारत ग्रामीि ववकास ररपोिफ
में कहा गया है, बड़े फकसानों के मुकाबले छोटे फकसानों ने भूलम और संसाधनों का बेहतर
इस्तेमाल फकया है लेफकन अकसर उनके पास भूलम उनके पररवारों का पालन करने के ललए
अपयायप्त पड़ जाती है और लघु फकसान कम उत्पादन के चलते षवपणन और षवतरण के मामले
में खासे नुकसान में रहते हैं.
लघु फकसानों की हालत सुधारने के नजररए से 12वीं योजना के दस्तावेज में लघु सीमांत और
महहला कृ िकों के समूह ननमायण की बात कही गयी है. खेतों में मटहला श्रम कु ल कृ षि श्रम का
तक पहुचने का
अनुमान है.
7. इसके अनतररक्त कृ षि उत्पादन में महत्पूणय भूलमका ननभाने वाले पर सरकारी पॉलललसयों के ललए गैर महत्पूणय कृ षि
कामगार भी सब्ससडी की श्रेणी में नहीं आते हैं-
कृ वि कामगार: जनगणना के नवीनतम आंकड़ों कहते हैं की कृ षि मजदूरों की संख्या षपछले दशक के दौरान बहुत तेजी
से बढ़ी है. जहां इस सदी की शुरुवात में कृ षि मजदूरों की संख्या 106.8 लमललयन थी वहीीँ यह 2011 में 144.3
लमललयन तक पहुंच गई. ब्जसमें महहला मजदूरों की भागीदारी भी सब्ममललत है.यानी एक दशक में 37.5 लमललयन कृ षि
मजदूरों की वृद्धध, यह अभूतपूवय है.
इसी के साथ षपछली जनगणना में पहली बार यह पाया गया फक देश में खेत मजदूरों की संख्या (54.9%) ककसानों
(45.1%) से भी अधिक हो गई है. फिर भी न तो इन्हें सब्ससडी का लाभ लमल रहा है और ना ही इनकी ब्स्थनत में सुधार
के प्रयास हो रहे हैं.
षवडमबना है की सबसे ययादा कृ षि कायय करने के उपरांत भी कामगारों को ककसान न मानकर कृ वि सब्ससडी से वंधचत
ककया गया है.
जबफक कृ षि सब्ससडी के वास्तषवक हक़दार ये ही हैं ब्जनकी बदौलत कास्तकारों(मध्यम और बड़े फकसान) के यहाुँ कृ षि
उत्पादन जारी है.
8. कै से लमले हकदारों को लाभ
अभी तक अधधकतर पॉवर हटलर बैंक षवत्त पोिण के तहत
जमीन धगरवी रख कर ख़रीदे जा रहे हैं.
यह व्यवस्था परंपरागत कायय करने वाले सीमांत (अत्यंत
छोटे), छोटे फकसानों, कृ षि कामगारों और बेरोजगार युवाओं के
णखलाि है जो उन्हें परमपरागत काम करने से रोकती है.
पॉवर हटलर की खरीद के ललए सब्ससडी नकद बैंक हस्तांतरण
(Direct Bank Transfer) के जररये सीधे लाभाथी के खाते में
आनी चाहहए और बैंक ऋण मशीन के व्यवहाययता अध्ययन के
आधार पर दी जानी चाहहए.
सेकं ड हैण्ड पॉवर हटलर की खरीद को भी इसी आधार पर षवत्त
पोषित फकया जाना चाहहए.
सुझाव
9. विय 2012-13 के दौरान 661,431 ट्रेक्टरों की त्रबक्री हुई है. बबकने वाले 90% ट्रेक्िर ववत्तीय संस्था
की सहायता के पश्चात बबके हैं.
यहद षपछले तेरह विों (2000-13) के आंकड़ों की बात करे तो 37 फकलोवाट से अधधक पॉवर
वाले ट्रैक्टरों की त्रबक्री इस दौरान 7.3% से बढ़कर 13.8%, 31-37 फकलोवाट की रेंज वाले ट्रैक्टरों
की त्रबक्री 14.1 से बढ़कर 36.4% हो गयी जबफक मध्यम शब्क्त के ट्रैक्टरों(23-30 फकलोवाट) की
त्रबक्री 55% से घटकर 40.4%और कम पॉवर वाले ट्रेक्टरों (15-22 फकलोवाट) की त्रबक्री 23% से
6.3% हो गयी है. 15 फकलोवाट से कम शब्क्त वाले ट्रैक्टरों की त्रबक्री 2012-13 के दौरान के वल
10. पॉवर टिलर बनाम ट्रेक्िर
भारत में उच्च शब्क्त श्रेणी ट्रैक्टरों की वृद्धध व्यावसानयक अवश्यकताओ के कारण को दशायती है.
विय 2012-13 के दौरान 661,431 ट्रेक्टरों की त्रबक्री हुई है. यहद षपछले तेरह विों (2000-2013) के आंकड़ों की
बात करे तो 37 फकलोवाट से अधधक पॉवर वाले ट्रैक्टरों की त्रबक्री इस दौरान 7.3% से बढ़कर 13.8%, 31-37
फकलोवाट की रेंज वाले ट्रैक्टरों की त्रबक्री 14.1 से बढ़कर 36.4% हो गयी जबफक मध्यम शब्क्त के ट्रैक्टरों(23-30
फकलोवाट) की त्रबक्री 55% से घटकर 40.4%और कम पॉवर वाले ट्रेक्टरों (15-22 फकलोवाट) की त्रबक्री 23% से
6.3% हो गयी है. 15 फकलोवाट से कम शब्क्त वाले ट्रैक्टरों की त्रबक्री 2012-13 के दौरान के वल 3.13% रही है
और इसमें आगे भी वृद्धध की समभावना है.
रुझान 23-30 फकलोवाट श्रेणी के ट्रैक्टरों के ललए 40.4% रहा जो ट्रेक्टर बाजार में के उच्चतम शेयर दशायता है. देश
में ट्रैक्टर घनत्व कु ल बुवाई क्षेि के प्रनत एक हजार हेक्टेयर पर 33 है.
पावर हटलर की 2013-14 के दौरान अनुमाननत 56,000 त्रबक्री हुई है जो अधधकांशतः छोटी जोत और चावल की
खेती के कारण अधधकांश देश पूवी और दक्षक्षणी भागों में इनकी त्रबक्री हुई हैं. पावर हटलर का घनत्व 2.21 प्रनत
हजार हेक्टेयर बुवाई क्षेि है.
कम जोत वाले फकसानों द्वारा अधधक क्षमता के ट्रेक्टर के प्रयोग से िसल उत्पादन लागत बढ़ रही है ब्जससे
उनका लाभ कम हो जा रहा है साथ ही पॉवर हटलर से धान के खेत ट्रेक्टर की अपेक्षा कम लागत में और अच्छी
तरह तैयार हो जायेंगे.
• यह देखा गया है की कृ षि शब्क्त उपलसधता के अनाज उत्पादन का सीधा समबन्ध होता है. ब्जस प्रदेश में कृ षि
शब्क्त उपलसधता जीतनी अधधक होगी वहां उत्पादन भी अधधक होगा. इस समय(2012-13 में) देश में कृ षि शब्क्त
1.84 kW/ha है ब्जसमें कृ षि कामगार (0.093 kW/ha), कृ षि पशु का (0.094 kW/ha), ट्रेक्टर(0.844 kW/ha), पॉवर
हटलर(0.015 kW/ha), डीजल ईंजन(0.300 kW/ha) और षवद्युत मोटर(0.494 kW/ha) का योगदान है. यहद 1970-
71 से 2012-13 के दौरान देखे ट्रैक्टर शब्क्त की हहस्सेदारी अधधकतम और इस अवधध के दौरान 39% की वृद्धध
हुई. जबफक पावर हटलर की हहस्सेदारी भारत में छोटे आकार के खेतों के बावजूद भी एक प्रनतशत से कम रही है.
11. यक्ष प्रश्न
>70% से ययादा कृ षि क्षेि पर काम करने वाले सीमांत,लघु फकसान और
कृ षि कामगारों को कै से कृ षि उपकरण स्वालमत्व हालसल होगा जो
अधधकांशतः अभी भी भाड़े के उपकरण, कृ षि पशुओं की सहायता से
खेती कर रहे हैं?
सीमांत,
लघु
फकसान
और
कृ षि
कामगार
12. अपात्र को ना समले लाभ
• पॉवर हटलर कृ षि सब्ससडी अनुधचत और चालाकी से हदए जाने के कारण असली हकदार
फकसान उससे वंधचत ही रहे.
• 80 िीसद कृ षि सब्ससडी या तो अमीर फकसानों को जाता है या कृ षि व्यवसाय में शालमल
कारपोरेट्स को ही चला जाता है.
• बहुत से उद्योगपनत, नौकरशाह, नेता लोगों द्वारा काला धन लगाकर बड़े-बड़े िामय हाउस
बनाये गए हैं और उनमें कृ षि कामगारों द्वारा कृ षि-कमय करवाया जा रहा है. ऐसे लोगों को
कृ षि और कृ षि कमय में कोई रुझान नहीं है बब्ल्क लसिय कृ षि लाभ से हदलचस्पी है.
• पर ऐसे लोग सब्ससडी लेने में अपनी पहुुँच और जानकारी के कारण सबसे आगे होते हैं.
• जरुरत सरकार द्वारा ऐसे लोगों को धचब्न्हत करने की है ब्जससे इन्हें पॉवर हटलर और
अन्य अनुदाननत कृ षि यंिो का लाभ ना लमल सके .
• ऐसे लोगों तक सब्ससडी का लाभ पहुुँचना सब्ससडी के मकसद का दुरूपयोग है परन्तु लसस्टम
ऐसा बना हुआ है की जरूरतमंद लाइन में ही खड़े रहते है और अमीरों की सब्ससडी सबसे
पहले पास हो जाती है.
• इस नाकामी ने खेती को नकारात्मक ढंग से प्रभाषवत फकया है.फकसानों द्वारा खेती छोड़ना
और तंगहाली के कारण आत्महत्या के ललए प्रेररत होने का एक कारण यह भी है.
आवश्यकता
प्रभाव
ब्स्थछत
13. • जाहहर है की आगे आने वाले हदनों में कृ षि योग्य भूलम षवननमायण(infrastructure)
मांग के चलते अपेक्षतः कम होगी और जल-स्तर में भी कमी आयेगी पर उत्पादन
का दबाव बना रहेगा.
• ऐसे में अगर सरकार वास्तव में खेती-फकसानी को बनाये रखना चाहती है तो यह
जरुरी है फक पॉवर टिलर या अन्य कृ वि सब्ससडी उसके वास्तववक उपयोगकताफ को
समले जो सीमांत, लघु फकसान और कृ षि कामगार हैं.
• ब्जससे ये फकसानी छोड़ने के ललए मजबूर ना हो और अपनी
उत्पादकता(productvity) बढ़ा कर अधधक लाभ कमा सकें .