कृषि में महिला भूमिका और उनके योगदान को रेखांकित करते हुए इस बात पर जोर दिया गया है की उन्हें किसान का दर्जा मिले और सरकारी नीतियों को बनाते समय भी उनको ध्यान में रखा जाय. आज बिना महिला के कृषि कार्य संभव नहीं है.
2. • खेतों में महिला श्रम कु ल कृ षि श्रम का 37.2%
(97 मममलयन) िै. इसका विष 2020 तक बढ़कर
45% तथा विष 2050 तक 60% (121 मममलयन)
तक पिुुँचने का अनुमान िै.
• ग्रामीण भारत में अपनी आजीषवका के मलए कृ षि
पर 84% महिलाएं ननभषर िैं.
• भारतीय कृ षि में करीब 33% महिला खेनतिर और
47% महिला कृ िक मजदूर िैं.
• आकड़ों में पशुधन, मत्सस्य पालन और देश में खाद्य
उत्सपादन के षवमभन्न अन्य सिायक काम शाममल
निीं िैं.
• विष 2009 में 94% महिला कृ षि श्रममक कामगार
अनाज उत्सपादन में लगे थे जबकक 1.4% सब्जी
उत्सपादन और 3.72% महिला श्रममक कामगार फल,
मेवा, पेय और मसला फसल उत्सपादन में लगी थी.
• अत्सयधधक गरीबी रेखा पर ग्रामीण भारत की 60%
से अधधक महिलाएं रिती िैं.
• हदन-रात की मेिनत के बाद भी इन्िें न तो
ककसान का दजाष और न िी सुषवधाएं ममलती िैं.
महिला किसान
3. • गरीबी उन्मूलन के क्रम में
• खाद्य सुरक्षा सुननश्चचत करने के मलए
• कृ षि के क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने
के मलए
• आधथषक योगदान बढ़ाने के मलए
• भूमम, पशुधन आहद में स्वाममत्सव
• कृ षि जोत घटने और पुरुिों का शिरों
की और पलायन
• अपने पररवार के पोिण िेतु
िृ षि क्षेत्र में महिलाएं क्यों ?
5. • कृ षि जोत घटने और पुरुिों का शिरों की और पलायन के बाद खेती की श्जम्मेदारी महिला
ककसान के कन्धों पर िैं.
• परम्परागत कृ षि षवधधयों से ज्यादा उत्सपादन
• परम्परागत फसलों के साथ नकद, ममधश्रत, बागवानी और सि-फसली खेती करने में सिायक.
• ककराए के ट्रैक्टर, पंप, स्रे मशीन आहद के मलए अब ककसी के मनुिारी करने कक जरुरत निीं.
• मनुिारी करने के कारण खेती में िोने वाली देरी अथवा फसल उत्सपादन घटने से बचना.
• समय से उपचार ममलने से रोगों से बचाव के कारण फसल खराब िोने से बची रिती िै.
• मजदूरों की खेती से मुश्क्त.
• चोट के शारीररक तनाव/ जोखखम को कम करना
• वािन/ मशीनरी के मलए जोखखम/ तनाव को कम करना
• इस उद्देश के साथ की महिलाओं को आधथषक ननभषर बनाने से गरीबी की जड़ पर रिार ककया
जा सकता िै. पुरुि नशे में अत्सयधधक खचषते िैं पर महिलाएं अपने बच्चों
को सशक्त बनाने की रयासरत रिती िैं.
महिलाओं िो क्यों िै जरुरत
अंगद िृ षि बिुपयोगी मशीन िी
एि महिला सशक्त = एि पररवार सशक्त
6. परम्परागत षवधध बनाम पॉवर हटलर खेती
कारक (Factor)
उत्सपादन
श्रम
शारीररक जोखखम/बीमारी
संचालन
ननभषरता
खेती
परम्परागत
षवधध
कम
अधधक
अधधक
मेिनतकश
अत्सयधधक
मजदूरों या ककराए के उपकरणों पर
ननभषर
पॉवर हटलर
अधधक
कम
निीं
आसानी से
न के बराबर
आसानी से
7. महिला ककसान और उनकी खेती में अंगद
• महिला ककसान अपने खेत के सारे काम अंगद कृ षि
बिुपयोगी मशीन से ननपटा सकती िैं.
• इससे जुताई, गुड़ाई, खेत समतलीकरण,बबजाई, पानी
देना, स्रे करना, धान-गेिूं जैसे फसल कटाई, आलू
खुदाई मसफष एक महिला द्वारा ककया जा सकता िै.
• इससे 3 घंटे में एक एकड़ जुताई अके ली महिला खुद
कर सकती िै.
• नकद फसल, ममधश्रत फसल, सि-फसल, बागवानी
और औिधीय फसल लेकर अपनी आमदनी बढ़ा
सकती िै.
• सब्जी फसल से खुद ताज़ी सब्जी अपने घर और
बाजार को उपलब्ध करा सकती िै.
• आम, अनार, अमरुद, सेब जैसे फलों के बागान से
भी अपनी आय बढ़ा सकती िै.
• समय से खेती कर उत्सपादन बढ़ा बढ़ेगा विीीँ फसलों
को वांनित उपाय भी समय से ममल सके गा.
• पॉवर हटलर में अनतररक्त जुगाड़ कर इससे गन्ना
पेराई, कृ षि आदान ढुलाई जैसे काम भी कर सकती
िैं.
8. महिला कृ षि मजदूर और अंगद
• महिला मजदूर अधधक काम कर अधधक आय पा
सकती िै.
• इससे धान की खेती का खेत, पंश्क्तबद्ध फसलों
के मध्य गुड़ाई का काम, धान-गेिूं जैसी फसलों
की कटाई का काम अके ले कर सकती िै.
• मशीन को जरूरतमंद को ककराए पर देकर भी
लाभ पा सकती िै.
• अगर बंटाई पर खेती करती िों तो अपनी उपज
बढ़ा सकती िैं.
• कम खेत में भी अपने घरेलू उपज को राप्त कर
सकती िैं.
9. अंगद से खेती और बचत
• फसल - गेिं
• खेत की माप - 1 िैक्टेयर
• पैदावार रनत िैक्टेयर (श्क्वंटल) - 30
िायय अंगद बिुपयोगी मशीन ट्रैक्टर(ननजी) बैलों से ( बैलों िी जोड़ी+मजदर)
िां/
नि ं
लगा समय
(आदमी
/घंटा)
िायय िी
लागत
ररमािय िां/
नि ं
लगा समय
(आदमी
/घंटा)
िायय िी
लागत
ररमािय िां/
नि ं
लगा समय
(आदमी
/घंटा)
िायय िी
लागत
ररमािय
खेत िी
तैयार
िां 15 1200 प्रनत घंटे िायय
िरने िी
औसत लागत
रु.40 और
मजदर दर
रु. 40
िां 4 900 प्रनत घंटे िायय
िरने िी
औसत लागत
रु.195 और
मजदर दर रु.
30
िां 25 2500 औसत दर रु. 100/ प्रनत घंटे
पाटा लगाना िां 3.75 300 िां 1.5 338 िां 6.25 625
बुवाई िां 7.5 600 िां 2 450 िां 12.5 1250
ससंचाई 1 िां 25 2000 िां 12.5 2813 निीं 25 2000 पंप िे साथ
2 िां 25 2000 िां 12.5 2813 निीं 25 2000
3 िां 25 2000 िां 12.5 2813 निीं 25 2000
4 िां 25 2000 िां 12.5 2813 निीं 25 2000
5 िां 25 2000 िां 12.5 2813 निीं 25 2000
निड़िाव िां 4 320 िां 3 675 निीं 8 940 मजदर लागत रु 50/ घंटे. पेट्रोल खचय
लागत रु.140 अनतररक्त 5 िजार रु. िी
आवश्यिता
िटाई िां 6.25 500 िां 3 675 निीं 100 5000 5 मजदर 50 रु./िै. िी दर से
िु ल योग 12920 17100 20315
• 1 एकड़- 0.045 िैक्टेयर
• 1 िैक्टेयर - 2.5 एकड़
10. रनत िैक्टेयर लागत रनत एकड़ लागत
जुताई (गिरी) 3000 1200
जुताई (िल्की ) 3750 1500
पाटा (समतलीकरण) 2000 800
बुवाई 3750 1500
मसंचाई 25000 2000
निड़काव 2500 1000
कटाई 2500 1000
िु ल 42500
ककराए के ट्रैक्टर से कायष करने की लागत ननम्न िै-
• ट्रैक्टर से िोटे खेत में कायष करने पर लागत बढ़ जाती िै वि बड़े खेतों की संगत मशीनरी िै.
• पॉवर हटलर िोटे खेतों की संगत मशीनरी िै. िोटे खेतों पर कृ षि कायष इसी से ककए जाने
चाहिए.
• ककराए के यंत्रों द्वारा खेती करने वाले महिला ककसानों द्वारा पॉवर हटलर खरीद कर खेती
करने से उसकी कीमत को डेढ़ साल में वसूल िो जाती िैं.
• बैलों के द्वारा महिला ककसानों द्वारा खेती करने पर अधधक श्रम करना पड़ता िै और ककसानी
पर खचष भी अधधक आता िै. आज बैलों की जोड़ी भी पॉवर हटलर की कीमत से ज्यादा में
आती िै और उसके बीमार पड़ने पर दवा और चारे की कीमत भी अलग से लगती िै.
• आज कल मजदूर समय पर निीं ममलते अतः उनके भरोसे रिने से पॉवर हटलर मुश्क्त हदलाता िै.
लागत षवचलेिण
पॉवर
हटलर =
12920
ट्रैक्टर
=
17100
बैलों
+मजदूरी
खेती =
20315
ककराये
के
ट्रैक्टर से
खेती =
42500
पॉवर हटलर खेती से 3 गुने से अधधक खचष
ककराये के ट्रैक्टर की खेती पर आता िै.
11. • खेत में जाने से कु ि महिलाएं सामाश्जक रनतष्ठा के कारण हिचकती या संकोच
करती िैं.
• कई महिलाएं काम करने की इच्िु क िोती िैं पर उन्िें काम निीं ममलता या मजदूरी
पुरुिों से काफी कम ममलती िै, ऐसी श्स्थनत में वे बेरोजगार रिती िैं.
• पुरुि ककसान नए उपकरण, उवषरक, कीटनाशक और फसल चक्र जैसी अन्य
जानकारी के उपयोग के मलए ककसान-मशषवरों में भाग लेते िैं पर यि मौका महिला
ककसानों को न के बराबर ममलता िै.
• ननश्चचत समय और पुरुि रोजगार पलायन की वजि से महिलाओं को कृ षि भूममका
और घरेलू श्जम्मेदारी की दोिरी श्जम्मेदारी ननभानी पड़ती िै.
• पत्सनी को पनत से कृ षि ज्ञान का अकु शल िस्तांतरण.
• उत्सपादकता बढ़ाने के मलए रोत्ससािन और महिला अनुरूप यंत्रों की कमी.
• पुरुि अनुरूप यंत्रों से कायष करने पर उनकी उत्सपादकता धगरती िैं और उन्िें स्वास््य
समस्या िोने का खतरा भी बना रिता िै.
• सामाश्जक, सांस्कृ नतक, राजनीनतक और धाममषक रथाओं और मान्यताओं के द्वारा
रबमलत ऐनतिामसक और जहटल कारण.
• ननणषय लेने में महिलाओं की भूममका को मान्यता निीं.
• महिला ककसानों के कृ षि के मलए कृ षि ऋण की सुषवधा का अभाव िोना.
• सरकारी पामलसी या नीनत में महिला ककसानों की अनदेखी िोना.
• महिलाओं का कृ षि मशीन न खरीद पाना. क्योंकक बैंक न तो उन्िें लोन देता िै और
न िी उन्िें कृ षि यंत्रीकरण सश्ब्सडी ममलती िै.
महिलाओं िी भागीदार में समस्याएं