Though I love talking about positivity and happiness but that doesn't mean that unfairness doesn't exist in this world. This movie shook me up in 2013, written this poetry at that time only. Finally sharing it.
Movie is available on youtube. If you can, watch it else this poetry will take only a few minutes to give you an idea of the immense pain Soraya would have gone through.
Hindi poetry based on the movie 'The Stoning of Soraya M'
1. Hindi Poetry Based on the
Movie
'The Stoning of Soraya M'
By Life Coach Medhavi Jain
'सोराया का पथराव'
मूवी पर आधा रत हद क वता
2. वो देखो सोराया पर पथराव क तैयारी चल रही है
वह अपने प त ारा च र हीना जो सा बत कर द गई है
अब उसक एक ही सज़ा है - पथराव ारा मृ युद ड
देखो उ ह ने गाँव के छोटे लड़क को रेहड़ी म प थर इक े करने भेज दया है
इंसानी ाण लेने ह, दो-चार प थर से थोड़े ही काम चलेगा
एक उफनती नफ़रत को अंजाम देना है
कु छेक प थर से कै से काम चलेगा
देखो यहाँ सज़ा क तैयारी हो रही है
एक चौकोर ग ा खोदा जा रहा है
सफ़े द पाउडर से उसक बाउ डरी बनाई जा रही है
उनके लए यह व त है पु य कमाने का
अ ला अक़बर के नारे लगाने का
अपने भीतर क घृणा क आग को साकार प देने का
जानते ह कौन है, कै सा है उसका प त?
कै से उसे सोराया से छुटकारा पाने क सूझी?
3. बीस वष य शाद शुदा ज़दगी और चार ब च का पता बनने के
बाद
उसका दल एक चौदह साला लड़क पर आ गया
जो सोराया को तलाक़ देने का रा ता उसे सुझा गया
कमब त पैस क कमी जो थी
दो बी वय को कै से रख पाता बेचारा प त
और य द बना इ ज़ाम सोराया को तलाक़ देता
तो उसे दहेज़ क रक़म वापस न देनी पड़ती!
तस पर सोराया भी नाख़ुश, लेशी ज़दगी के बावजूद भी
तलाक़ को तैयार न थी
4. चूं क कै से अपना व अपनी दो बे टय का पेट वह पालती
बेटे तो बाप के ही ह
उन मासूम को माँ के ख़लाफ भड़का जो रखा है
वो कहता है यह आद मय क नया है
औरत के लए इसम या रखा है
सोराया उसे उसका हक़ नह देती
यह अफवाह वह समाज म फै लाता है
ज म पर पटाई के ज़ म देने के बाद
जाने वह कौन से हक़ क बात करता है
5. एक दन लेश से उकताई सोराया अपना घर छोड़
अपनी मौसी के यहाँ रह रही है
वह वापस नह जा पाएगी, ऐसा कह रही है
देखो गाँव म हा फ़ज़ नाम के क प नी का इंतकाल हो गया है
जो फौरन ही सोराया से छुटकारा पाने का रा ता उसके प त के दमाग़ म
अंजाम दे गया है
जाने कै से मु खया को वह वश म रखता है
शायद उसका भी कु छ काला इ तहास है, जो वह उससे दबता है
अभी जनाज़ा उठा भी नह है
और ये लोग सोराया को सलाह दे रहे ह
'हा फज़ क बीवी नह रही, कै से वह अपना घर और अपने मान सक मंद
बेटे को संभालेगा?
तुम इसका घर संभाल लो, बदले म यह तु ह तन वाह दे दया करेगा.'
षड़यं से बेख़बर सोराया आ थक वतं ता के लए तैयार है
6. सोराया दो घर संभाल पाने क अपनी मेहनत से ख़ुश है
क तु कमब त प त को यहाँ भी चैन नह
दन-रात वह उस पर नगाह रखता है
हा फ़ज़ से वह कब हंसकर बात कर रही है
कब कु छ सामान पकड़ाते उसका हाथ हा फज़ के हाथ से टकराया
उसक नगाह इस पर भी पड़ रही है
और अब उसके शैतानी दमाग़ म एक ऐसा याल आ गया है
जो सोराया से और भी ज द छुटकारे का रा ता उसे दखा गया है
अब उसने अफवाह फै लानी शु कर द है
क सोराया च र हीन है, हा फ़ज़ के घर जा सोती है
क तु गाँव का मेयर कहता है, 'पु ता सुबूत लाओ, अफवाह से या होता है
सोराया ऐसी औरत नह , ऐसे भला कै से उसे पथराव ारा ख़ म कया जा
सकता है?'
7. अब सोराया का प त हा फज़ को बहकाना चाहता है
उसके न मानने पर वह उसे धमकाता है
य द हमने तु ह भी इसम लपेट लया तो याद रखो
तुम भी उसके साथ मारे जाओगे
पथराव क सज़ा के वल वह ही नह
तुम भी साथ म पाओगे
तब कहाँ जाएगा तु हारा वो मंदबु बेटा
बोलो, तब या इसे पागलखाने म डाल देना उ चत रहेगा?
अब सीधा-सादा हा फज़ भी उनके बहकावे म आ गया है
सबके सामने सोराया के च र पर क चड़ उछालना उसे भा गया है
ओ हो हो, देखो एक तूफ़ान सा आ गया है
एक मासूम, मज़लूम औरत पर ज म ढाने का समय आ गया है
वो देखो सोराया पर पथराव क तैयारी चल रही है
पूरे समाज ारा वह च र हीना जो सा बत कर द गई है
8. उ ह ने ऐलान कर दया है, ज़ारी यह फरमान कर दया है
ठ क एक घंटे बाद सोराया क सज़ा शु होगी
उस एक घंटे म अब बेचारी सोराया या कर सके गी?
वह अपनी बे टय को एक-एक कर गले लगा रही है
कसी को अपने गले क चेन तो कसी को अंगूठ दए जा रही है
मौसी के पूछने पर, ' या तु ह मृ यु से डर लग रहा है?'
सोराया कह रही है, 'मौत से नह , मरने के तरीके का ख़ौफ सता रहा है.'
मौसी उसे सफ़े द कपड़े पहना रही है
यार से उसके बाल अं तम बार भा रही है.
9. शोर मच रहा है
वे लोग उसे लेने दरवाज़े तक आ प ँचे ह
औरत ने ख़ुद को काली चादर से ढक रखा है
उसक मृ यु के शोक क तैयारी वे कब क शु कर चुके ह
उस खोदे गए ग े म सोराया को कमर तक उ ह ने दबा दया है
वह तरोध न कर पाए सो उसके दोन हाथ को पीछे से बाँध दया है
अब सोराया पूणतः नह थी है
एक भी प थर वह वयं तक आने से न रोक सकती है
पहला प थर फकने का मौका उसके वृ पता को दया जाता है
क तु सबसे सहमत होने के बावजूद शायद उनके बूढ़े हाथ म
अब भी कह सोराया के लए मोह का दंश बचा है
तभी तो दो-तीन यास के बाद भी एक भी उसे न लगा है
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10. अब सोराया क से -
हा, आ ख़र इसने मुझसे छुटकारा पा ही लया
अपने हैवानी मंसूब क ओर एक और कदम बढ़ा ही लया
वे दरवाज़े तक आ प ँचे ह अ ला अक़बर के नारे लगाते
यह शोर मच रहा है, य नह मुझे ज़हर देकर मार देते और मेरा जनाज़ा ले
जाते
रा ते म जो लोग खड़े ह, हाथ म प थर को आपस म ठकठका
शायद वे मुझे यक़ न दला रहे ह क अब कु छ नह हो सकता
रा ते म हा फज़ का घर पड़ा है, वह मुझसे नगाह मलाने म ख़ुद को
असमथ पा रहा है
म चुप ँ...
पूरे गाँव के सामने मुझे फरमान सुनाया जा रहा है
क मने अपने दाग़ी च र से गाँव का सर शम से नीचा कया है
और इस लए उ ह ने मुझे मौत के घात उतरने का फै सला लया है
म उस जगह आ प ंची ँ, जहाँ मेरी मौत के लए ग ा खुदा है
11. भीतर से म दहशतज़दा ँ
क तु कस ओर देखूँ
कोई मुझसे सहानुभू त रखता नह दखता
या अ लाह या अब कु छ नह हो सकता?
उ ह ने इशारा कया है क मुझे उस ओर ले जाया जाए
ले कन क़दम ह क ख़ौफ से जम गए ह
वो कहते ह समय आ गया है
इसक चादर हटाओ
मेरी मौसी मेरी चादर हटाने बढ़ ह
म उनसे कह रही ँ, 'म रोऊँ गी नह ,
आप भी मत रोना'
मौसी ने कहा, 'अपनी पूरी ताक़त से ाथना करो
अ लाह और ज नत तु हारे इंतज़ार म ह '
12. वे मुझसे पूछ रहे ह
सोराया अगर तुम कु छ कहना चाहो तो कह सकती हो
यह तु हारा आ ख़री मौका है
म ह मत बटोर आगे बढ़ती ँ और कहती ँ,
'यह आप कै से कर सकते ह?
लगता है आप लोग मुझे नह जानते
म सोराया ँ
म आपके घर म गई ई ँ
हमने एक साथ खाना खाया है
हम तो दो त थे
आप मेरे साथ ऐसा कै से कर सकते ह
म आपक पड़ोसी ँ, और तु हारी माँ
(मेरे दोन बेटे भी भीड़ म शा मल ह)
आपक बेट (मेरे पता)
तु हारी बीवी
ऐसा आप कसी के साथ भी कै से कर सकते ह?'
13. तभी भीड़ म से कोई च लाता है
यह ख़ुदा क मज़ है
ख़ुदा महान है, ख़ुदा महान है
दो आदमी मेरी ओर बढ़ते ह और मेरे हाथ पीछे क ओर
बाँध देते ह
मेरी नगाह मेरे शौहर से मलती ह
जनम बेदद और बेशम नाच रही है
उ ह ने मुझे ग े म खड़ा कर दया है
और अब मटट डाली जा रही है
कह कोई म बजा रहा है
मानो कोई पु य का काम होने जा रहा हो
अ ला अक़बर के नारे लग रहे ह
14. म देख पा रही ँ कु छ औरत के चेहरे पर
ख़ौफ और अपने लए हमदद
म चाहती ँ ये शोर मेरी बे टयां न सुन...
अब म पूणतः नह थी ँ
वे मेरे पता से पूछते ह, 'आपको कु छ कहना है?'
'अब कहने को या बचा है? अब यह मेरी बेट न रही
और न म इसका पता
अब जो होना है ज द हो और ख़ म हो'
रवाज़ के मुता बक़ उ ह ने पता के हाथ म
दो प थर पकड़ाए ह और मौसी एक बार फर च लाई ह
'मत मारो, मत मारो, इसक जगह म ले लेती ँ'
क तु मौसी ये तु हारी बाबत नह , मेरी बाबत है
मेरे पता ने एक-एक कर दो तीन प थर मेरी ओर मारे ह
क तु जाने यह उनका मोह है या बूढ़ ह याँ क एक भी न लगा
वे लहते ह, 'या अ ला मुझे ताक़त दे क म इस वे या को मार
पाऊँ '
ले कन नह , अब भी नह लगा
सही नशाने के लए नफरत और भी गहरी होनी चा हए
15. तभी एक खाला भीड़ म से मेयर का नाम च लात ह,
'इ ा हम यह ई र का संके त है क यह मासूम है, कु छ करो'
बात पलटती देख मेरा शौहर कह उठा है
यह प थर मुझे दो और आप आराम करो
और उसने अपनी बीस साल क नफरत को इक ा कर
यह प थर मारा... आह, यह मेरे माथे पर आ लगा है
और यह सरा जो माथे के बीच बीच लगा है
ख़ून क धारा बह नकली है
म बेबसी और दद से च ला रही ँ
पीछे कह र मौसी क आवाज़ सुन पा रही ँ,
क़ा तल ... कमीन ...
दो प थर मार वह अपने को पीड़ामई दखाता पीछे क ओर चला है
कु छ लोग ने उसके कं धे पर हाथ रख सहानुभू त दखाई है
और मेरे लए...?
पीछे जा वह दोन बेट के कं ध पर हाथ रख खड़ा आ है
16. अब गाँव के मौलवी क बारी है
आह... एक और बड़ा प थर माथे पर ही
म फर बल बलाई ँ
और अ ला अक़बर के नार का शोर सुन पाई ँ...
अंततः प थर क बरसात और बेपनाह दद के बीच
मुझे खुला नीला आसमान और उड़ते प रदे दख रहे ह
अब कोई दद नह
हाँ, मुझसे नफ़रतज़दा मेरा बड़ा बेटा ज़ र रोता दख रहा
है