Since many months I've been observing and contemplating to write something about India's esp. Delhi's traffic. Finally here it is in fair. Enjoy reading folks!
2. भारत एक आ या मक देश है.
बेशक. य द आप अपना
आ या मक तर जाँचना चाहते ह
तो यहाँ क सड़क पर गाड़ी चला
कर दे खए. गंत तक प ँचने म
य द आप एक भी गाली न बक
ब क अपना मान सक संतुलन
बरकरार रख, मु कराते ए,
समभाव से गाड़ी से उतर, अथात
दस म से दस.
3. सड़क क तहज़ीब पर आप हैरानी
से गश खाकर गर भी सकते ह,
क तु आप पाते ह क लोग बना
त नक भी हैरान ए चले जा रहे ह.
आप चाहे न मान यहाँ क सड़क,
उन पर सजे भ न कार के ग े,
बेतरतीब, बेतहाशा दाएँ से ठ क बाएँ
और बाएँ से ठ क दाएँ क ओर
दौड़ती अ त- त गा ड़याँ, हम
आ या मकता क ओर ले जाती ह.
4. न यक़ न हो तो वयं जाँच
ल. कभी जाकर दे खए,
जाम से ठसाठस भरा एक
चौराहा, लाल ब ी ख़राब,
ै फक पु लस नदारद, कोई
कने को तैयार नह . आप
देखगे क अ धकतर लोग
बजाय इस बेतरतीबी पर
आँख बड़ी करने, मुँह
खोलने के , चुपचाप न पृह
भाव से अपनी गाड़ी कै से
नकाल, इस जुगाड़ म लगे
ह गे.
5. यही न पृहता आपको रेल म
देखने को मलेगी. येक
लैटफॉम पर एक रेला गाड़ी से
बाहर आएगा एवं उससे बड़ा
रेला भीतर जाएगा, क तु
अचं भत वही ह गे जो पहली
बार इस य के सा ी हो रहे
ह गे. रोज़मरा के साधक तो इसे
या ा पी तप या समझ अपने
वातं य क ओर अ सर ह गे.
6. और ठ क यही
समभाव र त के
बाज़ार म. शांताराम
पु तक के लेखक
ेगोरी डे वड रॉबट्स
ने लखा था, 'भारत
म र त भी बेहद
ईमानदारी से ली और
द जाती है.'
7. और हाँ, धम को कै से अछूता छोड़ा
जा सकता है? बना कु छ जाने यहाँ
भीड़ क भीड़ आप एक ही दशा
म, एक ही दर पर झुकती पाएँगे.
ई र को र त, ओह माफ़ ...
चढ़ावा चढ़ाते लोग. लाख लोग
क रोज़ी-रोट इस मा यम ारा
चलते पाएँगे. बेशक भारत एक
आ या मक देश है.