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Traffic in India
&
Spirituality 
भारत म ै फक
एवं
आ या मकता
एक लघु लेख
- By Life Coach Medhavi Jain
भारत एक आ या मक देश है.
बेशक. य द आप अपना
आ या मक तर जाँचना चाहते ह
तो यहाँ क सड़क पर गाड़ी चला
कर दे खए. गंत तक प ँचने म
य द आप एक भी गाली न बक
ब क अपना मान सक संतुलन
बरकरार रख, मु कराते ए,
समभाव से गाड़ी से उतर, अथात
दस म से दस.
सड़क क तहज़ीब पर आप हैरानी
से गश खाकर गर भी सकते ह,
क तु आप पाते ह क लोग बना
त नक भी हैरान ए चले जा रहे ह.
आप चाहे न मान यहाँ क सड़क,
उन पर सजे भ न कार के ग े,
बेतरतीब, बेतहाशा दाएँ से ठ क बाएँ
और बाएँ से ठ क दाएँ क ओर
दौड़ती अ त- त गा ड़याँ, हम
आ या मकता क ओर ले जाती ह.
न यक़ न हो तो वयं जाँच
ल. कभी जाकर दे खए,
जाम से ठसाठस भरा एक
चौराहा, लाल ब ी ख़राब,
ै फक पु लस नदारद, कोई
कने को तैयार नह . आप
देखगे क अ धकतर लोग
बजाय इस बेतरतीबी पर
आँख बड़ी करने, मुँह
खोलने के , चुपचाप न पृह
भाव से अपनी गाड़ी कै से
नकाल, इस जुगाड़ म लगे
ह गे.
यही न पृहता आपको रेल म
देखने को मलेगी. येक
लैटफॉम पर एक रेला गाड़ी से
बाहर आएगा एवं उससे बड़ा
रेला भीतर जाएगा, क तु
अचं भत वही ह गे जो पहली
बार इस य के सा ी हो रहे
ह गे. रोज़मरा के साधक तो इसे
या ा पी तप या समझ अपने
वातं य क ओर अ सर ह गे.
और ठ क यही
समभाव र त के
बाज़ार म. शांताराम
पु तक के लेखक
ेगोरी डे वड रॉबट्स
ने लखा था, 'भारत
म र त भी बेहद
ईमानदारी से ली और
द जाती है.'
और हाँ, धम को कै से अछूता छोड़ा
जा सकता है? बना कु छ जाने यहाँ
भीड़ क भीड़ आप एक ही दशा
म, एक ही दर पर झुकती पाएँगे.
ई र को र त, ओह माफ़ ...
चढ़ावा चढ़ाते लोग. लाख लोग
क रोज़ी-रोट इस मा यम ारा
चलते पाएँगे. बेशक भारत एक
आ या मक देश है.
Thank you 

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Traffic in India & Spirituality

  • 1. Traffic in India & Spirituality  भारत म ै फक एवं आ या मकता एक लघु लेख - By Life Coach Medhavi Jain
  • 2. भारत एक आ या मक देश है. बेशक. य द आप अपना आ या मक तर जाँचना चाहते ह तो यहाँ क सड़क पर गाड़ी चला कर दे खए. गंत तक प ँचने म य द आप एक भी गाली न बक ब क अपना मान सक संतुलन बरकरार रख, मु कराते ए, समभाव से गाड़ी से उतर, अथात दस म से दस.
  • 3. सड़क क तहज़ीब पर आप हैरानी से गश खाकर गर भी सकते ह, क तु आप पाते ह क लोग बना त नक भी हैरान ए चले जा रहे ह. आप चाहे न मान यहाँ क सड़क, उन पर सजे भ न कार के ग े, बेतरतीब, बेतहाशा दाएँ से ठ क बाएँ और बाएँ से ठ क दाएँ क ओर दौड़ती अ त- त गा ड़याँ, हम आ या मकता क ओर ले जाती ह.
  • 4. न यक़ न हो तो वयं जाँच ल. कभी जाकर दे खए, जाम से ठसाठस भरा एक चौराहा, लाल ब ी ख़राब, ै फक पु लस नदारद, कोई कने को तैयार नह . आप देखगे क अ धकतर लोग बजाय इस बेतरतीबी पर आँख बड़ी करने, मुँह खोलने के , चुपचाप न पृह भाव से अपनी गाड़ी कै से नकाल, इस जुगाड़ म लगे ह गे.
  • 5. यही न पृहता आपको रेल म देखने को मलेगी. येक लैटफॉम पर एक रेला गाड़ी से बाहर आएगा एवं उससे बड़ा रेला भीतर जाएगा, क तु अचं भत वही ह गे जो पहली बार इस य के सा ी हो रहे ह गे. रोज़मरा के साधक तो इसे या ा पी तप या समझ अपने वातं य क ओर अ सर ह गे.
  • 6. और ठ क यही समभाव र त के बाज़ार म. शांताराम पु तक के लेखक ेगोरी डे वड रॉबट्स ने लखा था, 'भारत म र त भी बेहद ईमानदारी से ली और द जाती है.'
  • 7. और हाँ, धम को कै से अछूता छोड़ा जा सकता है? बना कु छ जाने यहाँ भीड़ क भीड़ आप एक ही दशा म, एक ही दर पर झुकती पाएँगे. ई र को र त, ओह माफ़ ... चढ़ावा चढ़ाते लोग. लाख लोग क रोज़ी-रोट इस मा यम ारा चलते पाएँगे. बेशक भारत एक आ या मक देश है.