1. पाठ – 11 धर्मशाला की सैर (पत्र)
शब्दार्म :-
क
ु शल-र्ंगल = ठीक–ठाक, सही-सलार्त
नार्क = नार् का
सैलानी = सैर करने क
े शौकीन
सुहावना = अच्छा लगने वाला
प्रससद्ध = र्शहूर, नार्ी
योजना = कोई कार् करने का ववचार
2 प्रश्न-उत्तर
(क) धर्मशाला कहााँ पर स्थर्त है ?
उत्तर:- धर्मशाला हहर्ाचल प्रदेश का एक सुंदर पवमतीय शहर है |
(ख) दलाई लार्ा र्ंहदर कहााँ पर स्थर्त है और उसर्ें ककसकी र्ूर्तम है ?
उत्तर : दलाई लार्ा र्ंहदर धर्मशाला से र्ोड़ी ऊ
ाँ चाई पर बसे र्ैकसलयोडगंज
थर्ान पर है | उसर्ें भगवान बुद्ध की बहुत बड़ी र्ूर्तम थर्ावपत है|
(ग) भागसूाँ नाग क
ै सी जगह है ?
उत्तर : भागसूाँ नाग धर्मशाला क
े पास बड़ा ही सुंदर पहाड़ी थर्ान है | वहााँ
बहुत बड़ा झरना भी है|
घ) धर्मशाला की डल झील का वर्मन अपने शब्दों र्ें कीस्जए ?
उत्तर : धर्मशाला से काफ़ी ऊ
ाँ चाई पर झील है | इसक
े चारों और ऊ
ाँ चे-ऊ
ाँ चे
पेड़ हैं और दूर-दूर तक हरे-भरे पहाड़| यह थर्ान बहुत सुंदर लगता है|
ङ) पहाड़ी थर्ानों पर आप क्यों घूर्ना चाहेंगे ? ( र्ूल्यपरक प्रश्न )
उत्तर : पहाड़ी थर्ानों का प्राकृ र्तक वातावरर् बड़ा ही र्नर्ोहक होता है|
यहााँ क
े पवमत, झरने, नहदयााँ, झीलें और पशु - पक्षी देखकर बहुत आनंद
2. आता है| इसक
े सार् ही यहााँ की थवच्छ वायु र्ें रहने से थवाथ्य भी
अच्छा रहता है | इससलए हर् पहाड़ी थर्ानों पर घूर्ना पसंद करेंगे|
1. सही उत्तर पर का र्नशान लगाइए –
क) यह पत्र कहााँ से लिखा गया है?
i)नई हदल्ली
ii)धर्मशािा से
iii) र्ैकलियोडगंज से
ख) कहााँ विदेशी सैिानी अधधक थे ?
i) धर्मशािा र्ें ii) र्ैकसलयोडगंज र्ें iii) आसर्ान र्ें
ग) धर्मशािा का र्ौसर् क
ै सा था ?
i) ठंडा ii) गरर् iii) सुहावना
घ) चंद्रन ने बोट ंग कहााँ की ?
i) डल झील र्ें
ii) भागशू नाथ र्ें
iii) दिाईिार्ा र्ें
3.वाक्य पढ़कर सही ( ) या गलत (X) का र्नशान लगाइए –
क)राघिन धर्मशािा नार्क स्थान पर घूर्ने गया था | ( )
ख)चंद्रन ने कोतिािी बाज़ार से तरह – तरह की चीज़ें खरीदीं | ( )
ग)धर्मशािा र्ें भी डि झीि है | ( )
घ)दिाईिार्ा र्ंटदर र्ें भगिान लशि की बड़ी र्ूर्तम हे | (X)
ङ)राघिन ने चंद्रन को अगिी बार साथ चिने क
े लिए कहा | (X)
शब्द-संपदा :-
1 जो पयामयवाची शब्द नहीं हैं, उस पर गोला लगाइए –
3. सैिानी – घुर्क्कड़ घुर्ंतू सैर
बाररश – जल बरसात िर्ाम
र्ूर्तम - प्रर्तर्ा बुत र्ंहदर
लर्त्र - सखा भाई सहचार
2 पहिए, सर्झझए और सलझखए -
ऊ
ाँ चा + आई = ऊ
ाँ चाई पढ़ + आई = पढ़ाई
िंबा + आई = लंबाई लिख + आई = सलखाई
चौड़ा + आई = चौड़ाई बुन + आई = बुनाई
गहरा+ आई = गहराई चढ़ + आई = चढ़ाई
भिा + आई = भलाई िड़ + आई = लड़ाई
3 उपसगम लगाकर नये शब्द बनाइये-
उप + हार = उपहार सु + पुत्र = सुपुत्र
उप + कार = उपकार सु + फि = सुफल
अ + सत्य = असत्य क
ु + टदन = क
ु हदन
अ + छ
ू त = अछ
ू त क
ु + रूप = क
ु रूप
4 श्रुतलेख सलझखए-
प्रदेश सैलानी क
ु शल-र्ंगल प्रससद्ध बुद्ध र्ूर्तम छ
ु ट्हियााँ
शुरुआत
भाषा-बोध
1. पाठ र्ें से आठ व्यस्क्तवाचक संज्ञा शब्द छााँिकर सलझखए-
चंद्रन हदल्ली
राघवन हहर्ाचल प्रदेश
धर्मशाला भागसूाँ नाग
डल झील दलाईलार्ा र्ंहदर
4. 2. शब्दों र्ें से ववशेषर्-ववशेष्य शब्दों को अलग करक
े सलझखए-
क
ु छ तथवीरें, सुहावना र्ौसर्, छोिी-र्ोिी जगह, बहुत गरर्ी, ववदेशी
सैलानी, तीनों हदन, प्रससद्ध जगह, हज़ारों लोग, बहुत छोिी झील, ऊ
ाँ चे-
ऊ
ाँ चे पेड़
ववशेषर् ववशेष्य ववशेषर् ववशेष्य
क
ु छ तथवीरें सुहावना र्ौसर्
छोिी-र्ोिी जगह बहुत गरर्ी
ववदेशी सैलानी तीनों हदन
प्रससद्ध जगह हज़ारों लोग
बहुत छोिी झील ऊ
ाँ चे-ऊ
ाँ चे पेड़
3. हदए गए वाक्यों र्ें किया को रेखांककत कीस्जए और उनक
े काल
क
े नार् सलझखए-
(क) तुम्हारा पत्र लर्िा | भूतकाल
(ख) दिाईिार्ा क
े र्ंटदर र्ें भगिान बुद्ध की एक बहुत सुंदर र्ूर्तम
है | वत्तमर्ानकाल
(ग) िहााँ एक बहुत बड़ा झरना था | भूतकाल
(घ) र्ै तुम्हे धर्मशािा की क
ु छ तस्िीरें भेज रहा हूाँ | वत्तमर्ानकाल
(ङ) अगिी बार हर् डिहौज़ी घूर्ने जाएाँगे | भववष्यत्काल
(च) अंर्तर् टदन भी िहााँ बड़ा र्ज़ा आया | भूतकाल
4.वाक्य बनाइए –
(क) सुहावना – धर्मशाला का र्ौसर् बहुत सुहावना र्ा |
(ख) सैलानी – सभी पयमिन थर्लों पर सैलानी घूर्ने आते हैं |
(ग) प्रससद्ध – कश्र्ीर अपनी सुंदरता क
े सलए प्रससद्ध है |
(घ) वप्रय – र्ुझे र्ेरी र्ााँ बहुत वप्रय है |
किया-कलाप (Activity)
(पाठ्यपुथतक क
े पृष्ठ संख्या 104 क
े अनुसार )