2. परिवर्तन समाि का सवतव्यापी ननयम है | कोई भी समाि इससे
अछु र्ा नही है, वे चाहे र्ीव्र गनर् से बदलर्े महानगिो के बबच िहनेवाले
िहटल समाि हो या इस चमक दमक से दूि िहर्े िनिार्ीय समुदाय, दोनों
में ज्यादा या फफि कम मारा में परिवर्तन र्ो िरुि देखने को समलर्े हें |
हमािे चाहने या फफि ना चाहने पि भी परिवर्तन वे बदलाव है िो हमे कु छ
असहि होने का संके र् देर्े है औि उसका मूर्त या अमूर्त रूप हमे देखने -
सुनने को समलर्ा है | कु छ भी कहो परिवर्तन वे आवश्यकर्ा है िो प्रकृ नर् या
फफि इंसानों द्वािा फकया किाया गया बदलाव हमािे सामने या वपछेसे आकि
उसकी मोिुदगी का एहसास किार्े है | आि इज््सवी सदी के दुसिे दशक
में हम परिवर्तन के बािे फकर्ना कु छ कह सकर्े है, बयााँ कि सकर्े है कु ल
समलाकि कहा िाय र्ो परिवर्तन उस अफाट समुद्र की र्िह है जिसका पानी
कभी कम नही होर्ा बलके बढ़र्ा ही िहर्ा है |
बार् यहा सामाजिक परिवर्तन की है र्ो हमे मानव समाि में हो िहे
सामाजिक बदलाव के बािे मे िानने की हमािी महत्वाकांक्षा को दशातना है |
िब से पृथ्वी पि मानव समाि की उत््ांनर् हुई र्ब से सामाजिक परिवर्तन
भी उसके साथ ही चल िहा है | समाि औि समुदायों के सामाजिक ढांचे में
हो िहे बदलावों में हमे भौनर्क बदलाव र्ो ज्यादा बदलर्े हदख िहे है (िैसे
पहले िेडडयो सुनने वाले लोग आि टेलीवविन से सुचना प्राप्र् किर्े है) उसके
मुकाबले समाि के नवाचािों में र्ेिी से बदलाव नही आर्े या फफि कम आर्े
देखे या महसूस फकये िार्े है |
3. सामाजिक परिवर्तन का सैद््ांनर्क स्त्वरूप :
समािशास्त्री मेकाईवर और पेज ने समाजिक परिवर्तन को सामाजिक संबं्ो
में हो िहे वदलाव को सामाजिक परिवर्तन कहा र्ो ककिंग्सले डेववस ने सामाजिक
परिवर्तन को सामजिक संगठन अथातर् सामाजिक संिचना एवं प्रकायों में बदलाव को
दशातया िबफक समािशास्त्री जोन्सन ने भी सामजिक संिचना में बदलाव कहा |
सामाजिक परिवर्तन की ववशेषर्ाओ को देखा िाये र्ो हम कह सकर्े है की यह
समानांर्ि न होने वाली परिजस्त्थनर् या प्रफ्या है जिससे फकसी भी समाि या समुदाय
में हमे यह एक िैसा नही हदखाई देर्ा | इसके लक्षण इस प्रकाि है |
4. सामाजिक परिवर्तन के लक्षण
सामाजिक परिवर्तन
सावतभौम है |
सामाजिक परिवर्तन एक
प्रफ्या है |
सामाजिक परिवर्तन की
असमान गनर् |
सामाजिक परिवर्तन के
सभन्न सभन्न रूप |
सामजिक परिवर्तन की
भववष्यवाणी नही की
िा सकर्ी |
5. समाि में हो िहे इन महत्वपूणत
बदलावों कु छ कािण
जैववकीय या
जनसिंख्यात्मक
कारण
सांस्त्कृ नर्क
कािण
र्कननकी
कािण
6. सन्दर्भ :
01. समािशास्त्र के ससद््ांर्, डॉ. िी. एल. शमात . डॉ. वाय. के .शमात,
यूननवससतटी बुक हाउस प्रा.ली ियपुि, प्रथम संस्त्किण 2007