1. जह ाँ कभी लुटेरे क बसेर हुआ करत थ /
आज वह ाँ शौच लय से सवेर हुआ करत है /
जह ाँ मदिर की महफिल सजती थी /
वह ाँ शौच लय ग न चहचह ती है /
हर कोई अचंभभत है पििर सी की नई िहच न िेखकर
स्वच्छ भ रत भमशन (ग्र मीण) अन्तगगत बबह र क िहल खुले में शौच मुक्त ब्लॉक
ज नक र
यह ५२ दिनों के सतत प्रय स क अंज म है , ब की सब इततह स है
समुि य ने आगे बढ़कर अगुआई की, शौच लय क तनम गण की
सुबह श म तनगर नी की , खुले में शौच को रोकने की तैय री की
समुि य ने तनश्चय कर ड ल , खुि को मय गदित बन ड ल
अिनी छमत अनुरूि शौच लय तनम गण में जुट गई
इसके अभ व में बहु बबदटय की इज्जत न कोई लूट ले
फकसी ने स मग्री, तो फकसी ने नगि उध र ली , फकसी ने तो गहने गगरवी ड ल िी
फकसी सम ज सेवी ने स्वच्छत म टग की स्थ िन कर , नई ज न ड ल िी
2. हर सक्श अिन भपवष्य सव रने में लग गय
जो खुले में ज ते थे , उनको समझ ने में लग गय
लोगो ने एक िूसरे की अनु श्रवण की ,
शौच युक्त से शौच मुक्त की सिर तय की
आज ये ब्लॉक आिशग हो गय है
यह ाँ के समुि य क िहच न हो गय है
यह ाँ हर सक्श बेब की में जी रह है
बीम री , शभमगिगी , गरीबी को छोड़
स्वच्छत की सव री में घूम रह है
अरविन्द कु मार
प्रोग्राम अफसर - GSF