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नर#स%हम स#म)त
"वतं&ता क
े बाद क
े भारत म/ मैदावोलु नर5स7हन (Maidavolu Narasimham) यक:नन सबसे शि=तशाल> ब?कर
ह? । मैदावोलु नर5स7हन क: अBयCता वाल> दो स5मDतयE - 1व3ीय 6णाल: स<म>त (1991) और बEFकं ग JेL सुधारO
स<म>त (1998) – क: HरपोटK ब?Lकं ग Cे& क
े सुधारE और ब?Lकं ग नीDत क: Lकसी भी चचाK क
े 5लए मूलभूत द"तावेज
बने हुए ह?। उVह/ ब?क Wवलय, नई पीढ़> क
े Dनजी ब?कE क
े उ[भव और संपW पुनDनKमाKण क
ं पनी जैसी ऐDतहा5सक
घटनाओं क: नींव रखने का bेय भी cदया जाता है ।
नर<सRहम स<म>त – 6थम Vया है?
• नर5स7हम स5मDत (1991) ने माना Lक वाhणिiयक ब?कE क
े Wवीय संसाधन आम जनता से आते ह? और
ब?कE क
े भरोसे पर रखे जाते ह? और जमाकताKओं क
े लाभ क
े 5लए ब?क फ
ं ड का उपयोग यथासंभव अnधकतम
सीमा तक Lकया जाना चाcहए ।
• इस धारणा का ताpपयK यह था Lक सामािजक ब?Lकं ग, गर>बी उVमूलन, और इसी तरह क
े 5लए ब?क DनnधयE
का उपयोग करने क: आड़ म/ राrs>यकृ त ब?कE क: शोधन Cमता, "वा"uय और दCता को खतरे म/ डालने
वाला सरकार का कोई vयवसाय नह>ं था ।
• नतीजतन, नर5स7हम स5मDत ने भारत क
े ब?Lकं ग Cे& म/ तीन बड़े बदलावE को लागू करने क: शुwआत क::
a. एक Dनि{चत "तर क
े पHरचालन लचीलेपन का आ{वासन
b. ब?कE को अपनी DनणKय लेने क: }L~याओं म/ आंतHरक "वायता
c. ब?Lकं ग पHरचालनE म/ vयावसाDयकता म/ वृ[nध
ऐ>तहा<सक प[र6ेय
• 1991 म/ जब भारत ने अपनी अथKvयव"था को उदार बनाया, तो यह महसूस Lकया गया Lक ब?क कमजोर
}दशKन कर रहे ह? ।
• आnथKक संकट क
े दौरान, यह माना गया Lक ब?क अथKvयव"था म/ एक महpवपूणK भू5मका Dनभाते ह?, और इस
}कार ब?Lकं ग Cे& को अnधक }Dत"पध‚ और }भावी होने क: आव{यकता थी ।
• डॉ. मनमोहन <संह क
े नेतृpव म/ Wव मं&ालय ने नर<सRहम स<म>त क: "थापना क: , स5मDत को भारत क
े
ब?Lकं ग Cे& और सुधारE क: 5सफाHरश ।
• नर5स7हम स5मDत – }थम 14 अग"त, 1991 को भारत सरकार [वारा Dनयु=त नौ सद"यीय स5मDत थी ।
मैदावोलु नर5स7हम को स5मDत क
े अBयC क
े „प म/ Dनयु=त Lकया गया था। नर5स7हम 2 मई 1977 से
30 नवंबर 1977 तक, वह भारतीय Hरज़वK ब?क (RBI) क
े 13व/ गवनKर थे ।
• 16 नवंबर, 1991 को स5मDत ने अपनी HरपोटK सरकार को सŽपी । 17 cदसंबर, 1991 को संसद म/ HरपोटK
पेश क: गई ।
नर<सRहम स<म>त कa <सफा[रशd
SLR और R
R
C मd कमी
• स5मDत ने 5सफाHरश क: Lक सां1वeधक तरलता अनुपात (SLR) और नकद आरiJत अनुपात (CRR) क
े
उkच अनुपात को कम Lकया जाना चाcहए।
• उस समय, ये दोनE अनुपात बेहद उ’च थे। उस समय SLR 38.5 }Dतशत था और CRR 15 }Dतशत था
• SLR और CRR क: बड़ी मा&ा क
े कारण, ब?क क
े संसाधन सरकार> उपयोग क
े 5लए बंद कर cदए गए थे।
• यह ब?क क: उpपादकता म/ बाधा थी, इस5लए स5मDत ने धीरे-धीरे कमी क: 5सफाHरश क:।
• SLR को 38.5 }Dतशत से घटाकर 25 }Dतशत और CRR को 15 }Dतशत से घटाकर 3 से 5 }Dतशत
Lकया जाना चाcहए।
>नदm<शत n
े oडट कायqnम (Directed Credit Programme) को चरणबrध तर:क
े से समाsत करना
• राrs>यकरण क
े बाद से, भारत सरकार ने Dनद•5शत ~
े –डट कायK~मE को लागू Lकया है। स5मDत ने 5सफाHरश
क: Lक इस कायK~म को चरणब[ध तर>क
े से समा—त Lकया जाए।
• इस कायK~म ने ब?कE को Hरयायती ˜याज दरE पर ज„रतमंद और गर>ब Cे&E क
े 5लए धन अलग रखने क
े
5लए मजबूर Lकया । =यELक यह ब?क क: लाभ}दता को कम कर रहा था, स5मDत ने 5सफाHरश क: Lक इस
कायK~म को बंद कर cदया जाए।
tयाज दर का >नधाqरण
• स5मDत का मानना था Lक भारत म/ ˜याज दरE को सरकार [वारा Dनयं™&त और Dनयं™&त Lकया जाता है ।
• ˜याज दर का DनधाKरण बाजार क: ताकतE जैसे धन क: मांग और आपूDतK क
े आधार पर Lकया जाना चाcहए
• पHरणाम"व„प, स5मDत ने सरकार> ˜याज दर Dनयं&णE को समा—त करने और }ाथ5मकता Cे& क
े 5लए
Hरयायती ˜याज दरE को धीरे-धीरे समा—त करने क: 5सफाHरश क: ।
बEFकं ग JेL का संरचनाvमक पुनगqठन
• नर5स7हम स5मDत (1991) ने ब?Lकं ग कायš म/ दCता बढ़ाने क
े 5लए Wवलय और अnध›हण क
े माBयम से
सावKजDनक Cे& क
े ब?कE क: संœया म/ उ•लेखनीय कमी का }"ताव रखा।
• एसबीआई समेत तीन या चार बड़े ब?कE को अंतरराrs>य "तर क
े होने चाcहए।
• पूरे देश म/ शाखाओं क
े vयापक नेटवक
K क
े साथ आठ से दस ब?क राrs>य ब?क होने चाcहए।
• शेष Cे&ीय ब?कE क
े „प म/ एक Wव5शrट Cे& तक सी5मत संचालन क
े साथ बने रहना चाcहए।
• आरबीआई को नए Dनजी Cे& क
े ब?कE क: "थापना क: अनुमDत तब तक देनी चाcहए जब तक वे Vयूनतम
"टाटK-अप पूंजी और अVय आव{यकताओं को पूरा करते ह?।
• सरकार को यह घोषणा करनी चाcहए Lक अब और ब?कE का राrs>यकरण नह>ं Lकया जाएगा।
• 1वदेशी बEकO को भारत म/ पूणK "वा5मpव वाल> या सहायक क
ं पDनयE क
े „प म/ शाखाएं खोलने क: अनुमDत
है। इससे उpपादकता बढ़ेगी।
• Wवदेशी ब?कE और भारतीय ब?कE को vयापार> और Dनवेश ब?Lकं ग म/ संयु=त उ[यम बनाने क: अनुमDत है।
• चूंLक देश म/ पहले से ह> ›ामीण और अधK-शहर> शाखाओं का एक नेटवक
K था, ब?Lकं ग आदत को फ
ै लाने क
े
ल य क
े साथ लाइस/5संग शाखाओं क: }णाल> को चरणब[ध Lकया जाना चाcहए। ब?कE को जहां भी उnचत
लगे, शाखाएं खोलने क: अनुमDत द> जानी चाcहए।
AFR xयायाeधकरण कa yथापना
• उन cदनE सावKजDनक Cे& क
े ब?कE और Wवकास Wवीय सं"थानE क
े खराब ऋणE और गैर->न{पा|दत संप13यO
(NPA) का अनुपात था बहुत ह> संबंnधत।
• स5मDत ने एक एसेट [रक
ं y~Vशन फ
ं ड (ARF) क
े >नमाqण का 6yताव रखा।
• यह फ
ं ड ब?कE और Wवीय सं"थानE क
े खराब और संcद¦ध ऋणE क
े एक cह"से को ›हण करेगा। इससे ब?कE
को खराब कजK से छ
ु टकारा पाने म/ मदद 5मलेगी।
दोहरे >नयंLण को हटाना
• ब?क उस समय भारतीय HरजवK ब?क (RBI) और Wव मं&ालय क
े ब?Lकं ग }भाग क
े दोहरे Dनयं&ण म/ थे।
• इसने माना और 5सफाHरश क: Lक RBI भारत म/ ब?Lकं ग का एकमा& }ाथ5मक Dनयामक है।
बEकO को अeधक yवतंLता
ब?कE क
े कामकाज म/ सुधार क
े 5लए नर5स7हम स5मDत (1991) 5सफाHरश क: है Lक:
• }pयेक ब?क "वतं& और "वाय है ।
• आंतHरक „प से }Dत"पध‚ बनने क
े 5लए और हो रहे vयापक नवाचारE क
े साथ बने रहने क
े 5लए }pयेक
ब?क को कायK }ौ[योnगक: और सं"कृ Dत म/ आमूल-चूल पHरवतKन करना चाcहए ।
• अDत-WवDनयमन और अDत-}शासन से बचना चाcहए, और आंतHरक लेखापर>Cा और Dनर>CणE पर अnधक
भरोसा करना चाcहए ।
• आंतHरक }शासन क
े संबंध म/ सरकार या आरबीआई [वारा जार> Wव5भVन cदशाDनद•शE को ब?क क: "वतं&ता
और "वायता क
े संदभK म/ माना जाना चाcहए।
• ब?क क
े सीईओ और Dनदेशक मंडल क: Dनयुि=त राजनीDतक WवचारE क
े बजाय vयावसाDयकता और ईमानदार>
पर आधाHरत होनी चाcहए।
नर<सRहन स<म>त पर सरकार: कारqवाई - 1991 से, सरकार ने नर5स7हन स5मDत क: 5सफाHरशE क
े आधार पर
Dन7न5लhखत उपायE को लागू Lकया है:
SLR और CRR कम करना
• उ’च SLR और CRR क
े पHरणाम"व„प ब?क क
े मुनाफ
े को नुकसान हुआ। SLR को 1991 मd 38.5
6>तशत से घटाकर 1997 मd 25 6>तशत कर |दया गया था । पHरणाम"व„प, ब?कE क
े पास अब कृ Wष,
उ[योग, vयापार और अVय Cे&E को आवं|टत करने क
े <लए अeधक धन है ।
• नकद आर¨Cत अनुपात (CRR) आरबीआई क
े पास ब?क क: क
ु ल जमा रा5श का नकद अनुपात है। CRR
को 1991 मd 15% से घटाकर जून 2003 म/ 4.1 }Dतशत कर cदया गया था। इसका ल य RBI [वारा रखे
गए धन को मुVत करना है ।
• आरबीआई ने वाhणिiयक ब?कE म/ vयावसाDयकता "थाWपत करने क
े 5लए WववेकपूणK मानकE को लागू करना
शु„ कर cदया है।
• WववेकपूणK मानदंडE का उ[दे{य यह सुDनि{चत करना है Lक वाhणिiयक ब?कE क: बcहयां आय, पHरसंपW
वग‚करण और खराब ऋणE क
े 5लए }ावधान क
े उnचत }कट>करण क: आव{यकता क
े [वारा उनक: Wवीय
ि"थDत क: एक सट>क और सह> त"वीर दशाKती ह?।
• WववेकपूणK cदशाDनद•शE क
े अनुसार ब?कE को सभी गैर-Dनrपाcदत आि"तयE (एनपीए) क
े 5लए पूणK }ावधान
करने क: आव{यकता होती है।
• इस उ[दे{य क
े 5लए Wव पोषण wपये पर DनधाKHरत Lकया गया है। 10,000 करोड़, िजसे दो साल क: अवnध
म/ चरणब[ध Lकया जाएगा।
पूंजी पयाqsतता मानदंड Capital Adequacy Norms (CAN)
• पूंजी पयाqsतता अनुपात Vयूनतम पूंजी-से-जोhखम-पHरसंपW अनुपात है ।
• अ}ैल 1992 म/, RBI ने CAN को 8% पर सेट Lकया। माचK 1996 तक, सभी सावKजDनक Cे& क
े ब?कE ने
8% अनुपात हा5सल कर 5लया था। Wवदेशी ब?कE ने भी इसे हा5सल Lकया।
tयाज दरO का अ1व>नयमन
• नर5स7हन स5मDत ने बाजार क: शि=तयE को ˜याज दरE को DनधाKHरत करने क: अनुमDत देने क: वकालत
क: । 1992 से ˜याज दर/ बहुत सरल और अnधक मु=त हो गई ह? ।
• वाhणिiयक ब?कE को अब जमा ˜याज दरE को DनधाKHरत करने क: "वतं&ता है, जो Vयूनतम ªलोर रेट और
अnधकतम सी5लंग दरE क
े अधीन है।
• घरेलू सावnध जमा ˜याज दरE को अWवDनय5मत कर cदया गया है।
• जमा और अn›मE पर सभी सहकार> ब?कE क: ˜याज दरE को 13% क: Vयूनतम उधार दर क
े अधीन
WवDनय5मत Lकया गया है।
ऋणO कa वसूल:
भारत सरकार ने "बEकO और 1व3ीय संyथानO क
े कारण ऋणO कa वसूल: अeध>नयम 1993" को सुWवधाजनक
बनाने और उसम/ तेजी लाने क
े 5लए अnधDनय5मत Lकया । छह Wवशेष वसूल> Vयायाnधकरण "थाWपत Lकए
गए । इसक
े अलावा, मुंबई म/ एक अपील:य xयायाeधकरण yथा1पत Fकया गया ।
नए >नजी JेL क
े बEकO से 6>तyपधाq
• ब?Lकं ग Dनजी Cे& क
े 5लए उपल˜ध है। Dनजी Cे& क
े नए ब?कE ने पहले ह> पHरचालन शु„ कर cदया है।
• इन नए Dनजी Cे& क
े ब?कE को Wवदेशी सं"थागत DनवेशकE से 20% तक और अDनवासी भारतीयE से 40%
तक पूंजी योगदान बढ़ाने क: अनुमDत है। नतीजतन, }Dत"पधाK बढ़ गई है।
पूंजी बाजार तक पहुंच
• अeधŽहण और हyतांतरण अeध>नयम म/ संशोधन Lकया गया ताLक ब?कE को सावqज>नक पेशकशO क
े मा•यम
से पूंजी जुटाने कa अनुम>त <मल सक
े । यह इस शतK क
े अधीन है Lक क
/ « सरकार क: धाHरता 6द3 पूंजी
क
े 51 6>तशत से कम नह:ं होनी चा|हए ।
संचालन कa yवतंLता
• पूंजी पयाK—तता और WववेकपूणK लेखांकन मानकE को पूरा करने क
े बाद, अनुसूnचत वाhणिiयक ब?कE को नई
शाखाएं खोलने और ए=सट/शन काउंटरE को अप›ेड करने क: अनुमDत द> गई है।
• ब?कE को अvयवहायK शाखाओं को बंद करने क: भी अनुमDत है जो ›ामीण Cे&E म/ ि"थत नह>ं ह?।
yथानीय JेL बEक (एलएबी)
• 1996 म/, RBI ने "थानीय Cे& ब?कE (LABs) क: "थापना क
े 5लए cदशाDनद•श जार> Lकए, और इसने Dनजी
Cे& म/ सात LABs क: "थापना को मंजूर> द>।
• एलएबी ›ामीण बचत को जुटाने और उVह/ "थानीय Dनवेश म/ लगाने म/ मदद कर/गे।
वा•णि’यक बEकO का पयqवेJण
• ब?क और Wवीय सं"थान पयKवेCण को मजबूत करने क
े 5लए, आरबीआई ने एक सलाहकार पHरषद क
े साथ
Wवीय पयKवेCण बोडK क: "थापना क:।
• 1993 म/, RBI ने वाhणिiयक ब?क पयKवेCण क
े 5लए एक "वतं& इकाई क
े „प मd पयqवेJण 1वभाग क
े ”प
मd जाना जाने वाला एक नया 1वभाग yथा1पत Fकया।
>न{कषq
नर5स7हम स5मDत - }थम (1991) क: 5सफाHरश/ कई मायनE म/ ~ांDतकार> थीं, और उनका Wवरोध sेड यूDनयनE,
क
/ « सरकार क
े Wव मं&ालय और जाcहर तौर पर }गDतशील अथKशाि"&यE ने Lकया, जो आम तौर पर सावKजDनक
Cे& क
े ब?कE का समथKन करते थे। दूसर> ओर, सरकार ने नर5स7हम स5मDत (1991) क: कई 5सफाHरशE को "वीकार
कर 5लया I

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Narasimham Committee (Hindi)

  • 1. नर#स%हम स#म)त "वतं&ता क े बाद क े भारत म/ मैदावोलु नर5स7हन (Maidavolu Narasimham) यक:नन सबसे शि=तशाल> ब?कर ह? । मैदावोलु नर5स7हन क: अBयCता वाल> दो स5मDतयE - 1व3ीय 6णाल: स<म>त (1991) और बEFकं ग JेL सुधारO स<म>त (1998) – क: HरपोटK ब?Lकं ग Cे& क े सुधारE और ब?Lकं ग नीDत क: Lकसी भी चचाK क े 5लए मूलभूत द"तावेज बने हुए ह?। उVह/ ब?क Wवलय, नई पीढ़> क े Dनजी ब?कE क े उ[भव और संपW पुनDनKमाKण क ं पनी जैसी ऐDतहा5सक घटनाओं क: नींव रखने का bेय भी cदया जाता है । नर<सRहम स<म>त – 6थम Vया है? • नर5स7हम स5मDत (1991) ने माना Lक वाhणिiयक ब?कE क े Wवीय संसाधन आम जनता से आते ह? और ब?कE क े भरोसे पर रखे जाते ह? और जमाकताKओं क े लाभ क े 5लए ब?क फ ं ड का उपयोग यथासंभव अnधकतम सीमा तक Lकया जाना चाcहए । • इस धारणा का ताpपयK यह था Lक सामािजक ब?Lकं ग, गर>बी उVमूलन, और इसी तरह क े 5लए ब?क DनnधयE का उपयोग करने क: आड़ म/ राrs>यकृ त ब?कE क: शोधन Cमता, "वा"uय और दCता को खतरे म/ डालने वाला सरकार का कोई vयवसाय नह>ं था । • नतीजतन, नर5स7हम स5मDत ने भारत क े ब?Lकं ग Cे& म/ तीन बड़े बदलावE को लागू करने क: शुwआत क:: a. एक Dनि{चत "तर क े पHरचालन लचीलेपन का आ{वासन b. ब?कE को अपनी DनणKय लेने क: }L~याओं म/ आंतHरक "वायता c. ब?Lकं ग पHरचालनE म/ vयावसाDयकता म/ वृ[nध ऐ>तहा<सक प[र6ेय • 1991 म/ जब भारत ने अपनी अथKvयव"था को उदार बनाया, तो यह महसूस Lकया गया Lक ब?क कमजोर }दशKन कर रहे ह? । • आnथKक संकट क े दौरान, यह माना गया Lक ब?क अथKvयव"था म/ एक महpवपूणK भू5मका Dनभाते ह?, और इस }कार ब?Lकं ग Cे& को अnधक }Dत"पध‚ और }भावी होने क: आव{यकता थी । • डॉ. मनमोहन <संह क े नेतृpव म/ Wव मं&ालय ने नर<सRहम स<म>त क: "थापना क: , स5मDत को भारत क े ब?Lकं ग Cे& और सुधारE क: 5सफाHरश ।
  • 2. • नर5स7हम स5मDत – }थम 14 अग"त, 1991 को भारत सरकार [वारा Dनयु=त नौ सद"यीय स5मDत थी । मैदावोलु नर5स7हम को स5मDत क े अBयC क े „प म/ Dनयु=त Lकया गया था। नर5स7हम 2 मई 1977 से 30 नवंबर 1977 तक, वह भारतीय Hरज़वK ब?क (RBI) क े 13व/ गवनKर थे । • 16 नवंबर, 1991 को स5मDत ने अपनी HरपोटK सरकार को सŽपी । 17 cदसंबर, 1991 को संसद म/ HरपोटK पेश क: गई । नर<सRहम स<म>त कa <सफा[रशd SLR और R R C मd कमी • स5मDत ने 5सफाHरश क: Lक सां1वeधक तरलता अनुपात (SLR) और नकद आरiJत अनुपात (CRR) क े उkच अनुपात को कम Lकया जाना चाcहए। • उस समय, ये दोनE अनुपात बेहद उ’च थे। उस समय SLR 38.5 }Dतशत था और CRR 15 }Dतशत था • SLR और CRR क: बड़ी मा&ा क े कारण, ब?क क े संसाधन सरकार> उपयोग क े 5लए बंद कर cदए गए थे। • यह ब?क क: उpपादकता म/ बाधा थी, इस5लए स5मDत ने धीरे-धीरे कमी क: 5सफाHरश क:। • SLR को 38.5 }Dतशत से घटाकर 25 }Dतशत और CRR को 15 }Dतशत से घटाकर 3 से 5 }Dतशत Lकया जाना चाcहए। >नदm<शत n े oडट कायqnम (Directed Credit Programme) को चरणबrध तर:क े से समाsत करना • राrs>यकरण क े बाद से, भारत सरकार ने Dनद•5शत ~ े –डट कायK~मE को लागू Lकया है। स5मDत ने 5सफाHरश क: Lक इस कायK~म को चरणब[ध तर>क े से समा—त Lकया जाए। • इस कायK~म ने ब?कE को Hरयायती ˜याज दरE पर ज„रतमंद और गर>ब Cे&E क े 5लए धन अलग रखने क े 5लए मजबूर Lकया । =यELक यह ब?क क: लाभ}दता को कम कर रहा था, स5मDत ने 5सफाHरश क: Lक इस कायK~म को बंद कर cदया जाए। tयाज दर का >नधाqरण • स5मDत का मानना था Lक भारत म/ ˜याज दरE को सरकार [वारा Dनयं™&त और Dनयं™&त Lकया जाता है । • ˜याज दर का DनधाKरण बाजार क: ताकतE जैसे धन क: मांग और आपूDतK क े आधार पर Lकया जाना चाcहए • पHरणाम"व„प, स5मDत ने सरकार> ˜याज दर Dनयं&णE को समा—त करने और }ाथ5मकता Cे& क े 5लए Hरयायती ˜याज दरE को धीरे-धीरे समा—त करने क: 5सफाHरश क: । बEFकं ग JेL का संरचनाvमक पुनगqठन • नर5स7हम स5मDत (1991) ने ब?Lकं ग कायš म/ दCता बढ़ाने क े 5लए Wवलय और अnध›हण क े माBयम से सावKजDनक Cे& क े ब?कE क: संœया म/ उ•लेखनीय कमी का }"ताव रखा।
  • 3. • एसबीआई समेत तीन या चार बड़े ब?कE को अंतरराrs>य "तर क े होने चाcहए। • पूरे देश म/ शाखाओं क े vयापक नेटवक K क े साथ आठ से दस ब?क राrs>य ब?क होने चाcहए। • शेष Cे&ीय ब?कE क े „प म/ एक Wव5शrट Cे& तक सी5मत संचालन क े साथ बने रहना चाcहए। • आरबीआई को नए Dनजी Cे& क े ब?कE क: "थापना क: अनुमDत तब तक देनी चाcहए जब तक वे Vयूनतम "टाटK-अप पूंजी और अVय आव{यकताओं को पूरा करते ह?। • सरकार को यह घोषणा करनी चाcहए Lक अब और ब?कE का राrs>यकरण नह>ं Lकया जाएगा। • 1वदेशी बEकO को भारत म/ पूणK "वा5मpव वाल> या सहायक क ं पDनयE क े „प म/ शाखाएं खोलने क: अनुमDत है। इससे उpपादकता बढ़ेगी। • Wवदेशी ब?कE और भारतीय ब?कE को vयापार> और Dनवेश ब?Lकं ग म/ संयु=त उ[यम बनाने क: अनुमDत है। • चूंLक देश म/ पहले से ह> ›ामीण और अधK-शहर> शाखाओं का एक नेटवक K था, ब?Lकं ग आदत को फ ै लाने क े ल य क े साथ लाइस/5संग शाखाओं क: }णाल> को चरणब[ध Lकया जाना चाcहए। ब?कE को जहां भी उnचत लगे, शाखाएं खोलने क: अनुमDत द> जानी चाcहए। AFR xयायाeधकरण कa yथापना • उन cदनE सावKजDनक Cे& क े ब?कE और Wवकास Wवीय सं"थानE क े खराब ऋणE और गैर->न{पा|दत संप13यO (NPA) का अनुपात था बहुत ह> संबंnधत। • स5मDत ने एक एसेट [रक ं y~Vशन फ ं ड (ARF) क े >नमाqण का 6yताव रखा। • यह फ ं ड ब?कE और Wवीय सं"थानE क े खराब और संcद¦ध ऋणE क े एक cह"से को ›हण करेगा। इससे ब?कE को खराब कजK से छ ु टकारा पाने म/ मदद 5मलेगी। दोहरे >नयंLण को हटाना • ब?क उस समय भारतीय HरजवK ब?क (RBI) और Wव मं&ालय क े ब?Lकं ग }भाग क े दोहरे Dनयं&ण म/ थे। • इसने माना और 5सफाHरश क: Lक RBI भारत म/ ब?Lकं ग का एकमा& }ाथ5मक Dनयामक है। बEकO को अeधक yवतंLता ब?कE क े कामकाज म/ सुधार क े 5लए नर5स7हम स5मDत (1991) 5सफाHरश क: है Lक: • }pयेक ब?क "वतं& और "वाय है । • आंतHरक „प से }Dत"पध‚ बनने क े 5लए और हो रहे vयापक नवाचारE क े साथ बने रहने क े 5लए }pयेक ब?क को कायK }ौ[योnगक: और सं"कृ Dत म/ आमूल-चूल पHरवतKन करना चाcहए । • अDत-WवDनयमन और अDत-}शासन से बचना चाcहए, और आंतHरक लेखापर>Cा और Dनर>CणE पर अnधक भरोसा करना चाcहए ।
  • 4. • आंतHरक }शासन क े संबंध म/ सरकार या आरबीआई [वारा जार> Wव5भVन cदशाDनद•शE को ब?क क: "वतं&ता और "वायता क े संदभK म/ माना जाना चाcहए। • ब?क क े सीईओ और Dनदेशक मंडल क: Dनयुि=त राजनीDतक WवचारE क े बजाय vयावसाDयकता और ईमानदार> पर आधाHरत होनी चाcहए। नर<सRहन स<म>त पर सरकार: कारqवाई - 1991 से, सरकार ने नर5स7हन स5मDत क: 5सफाHरशE क े आधार पर Dन7न5लhखत उपायE को लागू Lकया है: SLR और CRR कम करना • उ’च SLR और CRR क े पHरणाम"व„प ब?क क े मुनाफ े को नुकसान हुआ। SLR को 1991 मd 38.5 6>तशत से घटाकर 1997 मd 25 6>तशत कर |दया गया था । पHरणाम"व„प, ब?कE क े पास अब कृ Wष, उ[योग, vयापार और अVय Cे&E को आवं|टत करने क े <लए अeधक धन है । • नकद आर¨Cत अनुपात (CRR) आरबीआई क े पास ब?क क: क ु ल जमा रा5श का नकद अनुपात है। CRR को 1991 मd 15% से घटाकर जून 2003 म/ 4.1 }Dतशत कर cदया गया था। इसका ल य RBI [वारा रखे गए धन को मुVत करना है । • आरबीआई ने वाhणिiयक ब?कE म/ vयावसाDयकता "थाWपत करने क े 5लए WववेकपूणK मानकE को लागू करना शु„ कर cदया है। • WववेकपूणK मानदंडE का उ[दे{य यह सुDनि{चत करना है Lक वाhणिiयक ब?कE क: बcहयां आय, पHरसंपW वग‚करण और खराब ऋणE क े 5लए }ावधान क े उnचत }कट>करण क: आव{यकता क े [वारा उनक: Wवीय ि"थDत क: एक सट>क और सह> त"वीर दशाKती ह?। • WववेकपूणK cदशाDनद•शE क े अनुसार ब?कE को सभी गैर-Dनrपाcदत आि"तयE (एनपीए) क े 5लए पूणK }ावधान करने क: आव{यकता होती है। • इस उ[दे{य क े 5लए Wव पोषण wपये पर DनधाKHरत Lकया गया है। 10,000 करोड़, िजसे दो साल क: अवnध म/ चरणब[ध Lकया जाएगा। पूंजी पयाqsतता मानदंड Capital Adequacy Norms (CAN) • पूंजी पयाqsतता अनुपात Vयूनतम पूंजी-से-जोhखम-पHरसंपW अनुपात है । • अ}ैल 1992 म/, RBI ने CAN को 8% पर सेट Lकया। माचK 1996 तक, सभी सावKजDनक Cे& क े ब?कE ने 8% अनुपात हा5सल कर 5लया था। Wवदेशी ब?कE ने भी इसे हा5सल Lकया।
  • 5. tयाज दरO का अ1व>नयमन • नर5स7हन स5मDत ने बाजार क: शि=तयE को ˜याज दरE को DनधाKHरत करने क: अनुमDत देने क: वकालत क: । 1992 से ˜याज दर/ बहुत सरल और अnधक मु=त हो गई ह? । • वाhणिiयक ब?कE को अब जमा ˜याज दरE को DनधाKHरत करने क: "वतं&ता है, जो Vयूनतम ªलोर रेट और अnधकतम सी5लंग दरE क े अधीन है। • घरेलू सावnध जमा ˜याज दरE को अWवDनय5मत कर cदया गया है। • जमा और अn›मE पर सभी सहकार> ब?कE क: ˜याज दरE को 13% क: Vयूनतम उधार दर क े अधीन WवDनय5मत Lकया गया है। ऋणO कa वसूल: भारत सरकार ने "बEकO और 1व3ीय संyथानO क े कारण ऋणO कa वसूल: अeध>नयम 1993" को सुWवधाजनक बनाने और उसम/ तेजी लाने क े 5लए अnधDनय5मत Lकया । छह Wवशेष वसूल> Vयायाnधकरण "थाWपत Lकए गए । इसक े अलावा, मुंबई म/ एक अपील:य xयायाeधकरण yथा1पत Fकया गया । नए >नजी JेL क े बEकO से 6>तyपधाq • ब?Lकं ग Dनजी Cे& क े 5लए उपल˜ध है। Dनजी Cे& क े नए ब?कE ने पहले ह> पHरचालन शु„ कर cदया है। • इन नए Dनजी Cे& क े ब?कE को Wवदेशी सं"थागत DनवेशकE से 20% तक और अDनवासी भारतीयE से 40% तक पूंजी योगदान बढ़ाने क: अनुमDत है। नतीजतन, }Dत"पधाK बढ़ गई है। पूंजी बाजार तक पहुंच • अeधŽहण और हyतांतरण अeध>नयम म/ संशोधन Lकया गया ताLक ब?कE को सावqज>नक पेशकशO क े मा•यम से पूंजी जुटाने कa अनुम>त <मल सक े । यह इस शतK क े अधीन है Lक क / « सरकार क: धाHरता 6द3 पूंजी क े 51 6>तशत से कम नह:ं होनी चा|हए । संचालन कa yवतंLता • पूंजी पयाK—तता और WववेकपूणK लेखांकन मानकE को पूरा करने क े बाद, अनुसूnचत वाhणिiयक ब?कE को नई शाखाएं खोलने और ए=सट/शन काउंटरE को अप›ेड करने क: अनुमDत द> गई है। • ब?कE को अvयवहायK शाखाओं को बंद करने क: भी अनुमDत है जो ›ामीण Cे&E म/ ि"थत नह>ं ह?।
  • 6. yथानीय JेL बEक (एलएबी) • 1996 म/, RBI ने "थानीय Cे& ब?कE (LABs) क: "थापना क े 5लए cदशाDनद•श जार> Lकए, और इसने Dनजी Cे& म/ सात LABs क: "थापना को मंजूर> द>। • एलएबी ›ामीण बचत को जुटाने और उVह/ "थानीय Dनवेश म/ लगाने म/ मदद कर/गे। वा•णि’यक बEकO का पयqवेJण • ब?क और Wवीय सं"थान पयKवेCण को मजबूत करने क े 5लए, आरबीआई ने एक सलाहकार पHरषद क े साथ Wवीय पयKवेCण बोडK क: "थापना क:। • 1993 म/, RBI ने वाhणिiयक ब?क पयKवेCण क े 5लए एक "वतं& इकाई क े „प मd पयqवेJण 1वभाग क े ”प मd जाना जाने वाला एक नया 1वभाग yथा1पत Fकया। >न{कषq नर5स7हम स5मDत - }थम (1991) क: 5सफाHरश/ कई मायनE म/ ~ांDतकार> थीं, और उनका Wवरोध sेड यूDनयनE, क / « सरकार क े Wव मं&ालय और जाcहर तौर पर }गDतशील अथKशाि"&यE ने Lकया, जो आम तौर पर सावKजDनक Cे& क े ब?कE का समथKन करते थे। दूसर> ओर, सरकार ने नर5स7हम स5मDत (1991) क: कई 5सफाHरशE को "वीकार कर 5लया I