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मोक्षदा एकादशी
हिन्दू पंचांग क
े अनुसार प्रत्येक माि की 11वींहिहि को एकादशी कििे िै एक मिीने में दो पक्ष िोने क
े
कारण दो एकादशी आिी िैं, एक शुक्ल पक्ष की और दू सरी क
ृ ष्ण पक्ष की। सनािन धमम में एकादशी व्रि
बहुि िी पहवत्र, शांहिदायक और पापनाशक माना गया िै। सम्पूणम व्रिों में एकादशी का व्रि श्रेष्ठ और
कल्याणकारी िै। इस व्रि का पालन करने से शुभ फलों में वृद्धि िोकर अशुभिा का नाश िोिा िै।
मागमशीर्म माि क
े शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी क
े नाम से जाना जािा िै. मान्यिा िै हक
आज क
े हदन िी भगवान श्री क
ृ ष्ण ने क
ु रूक्षेत्र में अजुमन को गीिा का ज्ञान हदया िा. इस हदन गीिा जयंिी
भी मनाई जािी िै.
हिंदू धमम में मोक्षदा एकादशी का हवशेर् मित्व िै. मान्यिा िै हक इस हदन व्रि और पूजा आहद करने से
व्यद्धि को मोक्ष की प्राद्धि िोिी िै. और इस जन्म में सभी पापों का नाश िोिा िै. मोक्षदा एकादशी का
व्रि करने से नीच योहन में गए हपिरों को मुद्धि हमलिी िै। सभी एकादहशयों में नारायण समिुल्य
पुण्यफल देने का सामर्थ्म िै। भद्धि-भाव से हकए गए इस व्रि क
े प्रभाव से प्राणी सांसाररक बंधनों से मुि
िोकर मोक्ष को प्राि िोिा िै।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
सभी एकादहशयों पुण्यफल देने का सामर्थ्म िै। मोक्षदा एकादशी व्रि समस्त पापों का िरण करने वाली
िै। भगवान श्रीक
ृ ष्ण ने युहधहष्ठर को मोक्षदा एकादशी का मित्व समझािे हुए किा िै हक बड़ी-बड़ी
दहक्षणा वाले यज्ञों से भी मुझे उिना संिोर् निींहमलिा,हजिना एकादशी व्रि क
े अनुष्ठान से मुझे प्रसन्निा
हमलिी िै। इस एकादशी क
े मािात्म्य को पढ़ने और सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल हमलिा िै। इस
व्रि को करने से प्राणी क
े जन्म-जन्मांिर क
े पाप क्षीण िो जािे िैं ििा जन्म-मरण क
े चक्र से मुद्धि हमलिी
िै। इस हदन नारायण कवच या हवष्णु सिस्त्रनाम का पाठ करना बहुि िी अच्छा िोिा िै ये सभी अपने
भिों की कामनाओं की पूहिम कर उन्हें हवष्णुलोक याहन वैक
ुं ठ पहुुँचािी िैं।
मोक्षदा एकादशी व्रत विवि –
मोक्षदा एकादशी क
े हदन ब्रह्म मुहूिम में उठकर स्नानाहद क
े बाद घर और पूजा क
े स्िान की सफाई करें।
घर क
े मंहदर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र अहपमि करें। भगवान को रोली और
अक्षि का हिलक लगाकर भोगसवरूप फल आहद अहपमि करें। इसक
े बाद हनयमानुसार भगवान की
पूजा अचमन कर उपवास आरंभ करें। हवष्णु सिस्त्रनाम का पाठ कर क
े घी क
े दीपक से भगवान की
आरिी उिारें।
धाहममक मान्यिाओं क
े अनुसार मोक्षदा एकादशी क
े हदन व्रि क
े प्रभाव से पूवमजों को मोक्ष की प्राद्धि िोिी
िै। व्रहियों क
े सभी पापों का नाश िोिा िै और उनकी मनोकामनाओं की पूहिम िोिी िै।

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Mokshda ekadashi

  • 1. मोक्षदा एकादशी हिन्दू पंचांग क े अनुसार प्रत्येक माि की 11वींहिहि को एकादशी कििे िै एक मिीने में दो पक्ष िोने क े कारण दो एकादशी आिी िैं, एक शुक्ल पक्ष की और दू सरी क ृ ष्ण पक्ष की। सनािन धमम में एकादशी व्रि बहुि िी पहवत्र, शांहिदायक और पापनाशक माना गया िै। सम्पूणम व्रिों में एकादशी का व्रि श्रेष्ठ और कल्याणकारी िै। इस व्रि का पालन करने से शुभ फलों में वृद्धि िोकर अशुभिा का नाश िोिा िै। मागमशीर्म माि क े शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी क े नाम से जाना जािा िै. मान्यिा िै हक आज क े हदन िी भगवान श्री क ृ ष्ण ने क ु रूक्षेत्र में अजुमन को गीिा का ज्ञान हदया िा. इस हदन गीिा जयंिी भी मनाई जािी िै. हिंदू धमम में मोक्षदा एकादशी का हवशेर् मित्व िै. मान्यिा िै हक इस हदन व्रि और पूजा आहद करने से व्यद्धि को मोक्ष की प्राद्धि िोिी िै. और इस जन्म में सभी पापों का नाश िोिा िै. मोक्षदा एकादशी का
  • 2. व्रि करने से नीच योहन में गए हपिरों को मुद्धि हमलिी िै। सभी एकादहशयों में नारायण समिुल्य पुण्यफल देने का सामर्थ्म िै। भद्धि-भाव से हकए गए इस व्रि क े प्रभाव से प्राणी सांसाररक बंधनों से मुि िोकर मोक्ष को प्राि िोिा िै। मोक्षदा एकादशी का महत्व सभी एकादहशयों पुण्यफल देने का सामर्थ्म िै। मोक्षदा एकादशी व्रि समस्त पापों का िरण करने वाली िै। भगवान श्रीक ृ ष्ण ने युहधहष्ठर को मोक्षदा एकादशी का मित्व समझािे हुए किा िै हक बड़ी-बड़ी दहक्षणा वाले यज्ञों से भी मुझे उिना संिोर् निींहमलिा,हजिना एकादशी व्रि क े अनुष्ठान से मुझे प्रसन्निा हमलिी िै। इस एकादशी क े मािात्म्य को पढ़ने और सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल हमलिा िै। इस व्रि को करने से प्राणी क े जन्म-जन्मांिर क े पाप क्षीण िो जािे िैं ििा जन्म-मरण क े चक्र से मुद्धि हमलिी िै। इस हदन नारायण कवच या हवष्णु सिस्त्रनाम का पाठ करना बहुि िी अच्छा िोिा िै ये सभी अपने भिों की कामनाओं की पूहिम कर उन्हें हवष्णुलोक याहन वैक ुं ठ पहुुँचािी िैं। मोक्षदा एकादशी व्रत विवि – मोक्षदा एकादशी क े हदन ब्रह्म मुहूिम में उठकर स्नानाहद क े बाद घर और पूजा क े स्िान की सफाई करें। घर क े मंहदर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र अहपमि करें। भगवान को रोली और अक्षि का हिलक लगाकर भोगसवरूप फल आहद अहपमि करें। इसक े बाद हनयमानुसार भगवान की पूजा अचमन कर उपवास आरंभ करें। हवष्णु सिस्त्रनाम का पाठ कर क े घी क े दीपक से भगवान की आरिी उिारें। धाहममक मान्यिाओं क े अनुसार मोक्षदा एकादशी क े हदन व्रि क े प्रभाव से पूवमजों को मोक्ष की प्राद्धि िोिी िै। व्रहियों क े सभी पापों का नाश िोिा िै और उनकी मनोकामनाओं की पूहिम िोिी िै।