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आ मा नभर भारत- लंग, जा त और शा वत जीव से वतं
हम आज़ाद हुए 74 साल का लंबा समय हो गया है। हमारे देश ने इन वष क
े दौरान बहुत
ग त क है ले कन बहुत क
ु छ करने क ज रत है। आज जब हम वतं ता दवस को
चि नत कर रहे ह, हमारे कई नाग रक को वद -19 क इस महामार म पी ड़त ह और
हमारे देश क
े व भ न ह स म ाकृ तक आपदाओं से बाढ़ आ रह है। हम उन लोग क
े
साथ एकजुटता म खड़े ह जो इन ाकृ तक आपदाओं से भा वत ह। समय इस बारे म
सोचने क
े लए आया है क हम नयात क
ै से बढ़ा सकते ह; भारत क
े येक िजले म बहुत
क
ु छ है। सरकार का उ दे य यापार करने म आसानी क
े साथ-साथ भारत म रहने क
सु वधा सु नि चत करना है। ले कन आजकल को वद -19 क
े कारण भारत क
अथ यव था नीचे चल गई है और इस लए हमारे धानमं ी यवसाय , दुकान आ द को
खोलकर एक कदम ऊपर क ओर बढ़ते ह। इस को वद -19 अव ध म, इसने हमारे जीवन
म नए बदलाव लाए ह। हम अ धक वतं , आ म नभर हो गए ह।भले ह इस साल हम
अपना 74 वाँ वतं ता दवस मना रहे ह ले कन फर भी हमारा समाज ल गक भेदभाव
नामक सामािजक बुराई क चपेट म है। हमारे समाज म इस तरह का अ याय तब से
मौजूद है जब हम रयासत म बंटे हुए थे, ले कन हम इस णाल को छोड़कर अभी भी
हमारे आसपास नह ं रहते। हम इस उपमहा वीप क
े लोग ने भी अपनी तावना म
लखा था क इस णाल को समा त कर दया जाएगा और आज तक क पंि तय म
"समानता क ि थ त और अवसर क ; और उन सभी को बढ़ावा देने क
े लए ”एक बड़ी
चुनौती क तरह ह। यह हमार पीढ़ Z िज ह आगामी समाज क
े नमाता कहा जाता है,
हम यह काम करने क आव यकता है क इस ेणीब ध णाल को क
ै से हटाया जा
सकता है और हम अपने देश म बजल धारक वारा उठाए जा रहे इस उ मूलन क
दशा म प ट प से देख सकते ह। यहाँ तक क आ मा नभर भारत वारा हम म क
े
यौन वभाजन से इनकार कर सकते ह। आ मा नभर भारत क
े उदार कृ य म व वास
दलाया गया है क बहुत पहले जो कानून बनाए गए थे और जो हमारे सं वधान म जोड़े
गए थे, उनका न प तर क
े से पालन कया जाता है। य द हम 1976 म पा रत समान
मजदूर अ ध नयम क
े बारे म बात करते ह, तो कह क कसी यि त क
े लंग क
े बावजूद
समान काम क
े लए समान मजदूर का भुगतान कया जाना चा हए, फर भी इसे ठ क से
लागू नह ं कया गया। ले कन आ मा नभर भारत कसी भी तरह क
े काम क
े लए पु ष
और म हलाओं को समान अवसर देता है। महा मा गांधी ने एक बार कहा था क "सभी
धम का सार एक है, ि टकोण अलग ह" उसी तरह से धम जा त वभाजन क ओर जाता
है, ले कन िजस समय यह हमारे समाज को मजबूत करता है। इस प रयोजना क
े तहत
लोग क
े रोजगार उनक
े लंग, जा त और जातीयता क
े बावजूद व वधता म एकता क
े
अनूठे तर क
े से हमारे समाज को मजबूत करते ह। अंत म "मन म वतं ता, श द म
व वास, हमार आ माओं म गव, हमारे रा को सलाम करते ह और बजल धारक को
जो अपनी अ भुत प रयोजनाओं वारा सामािजक बुराइय क
े इन लंबे समय तक
झ प ड़य को दूर कर रहे ह, को देखकर म न कष नकालना चाहता हूं। म खुद को इस
शंसनीय नाग रक क
े प म कहकर गव महसूस कर रहा हूं जो बढ़ते हुए रा है।
जय ह द

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  • 2. और म हलाओं को समान अवसर देता है। महा मा गांधी ने एक बार कहा था क "सभी धम का सार एक है, ि टकोण अलग ह" उसी तरह से धम जा त वभाजन क ओर जाता है, ले कन िजस समय यह हमारे समाज को मजबूत करता है। इस प रयोजना क े तहत लोग क े रोजगार उनक े लंग, जा त और जातीयता क े बावजूद व वधता म एकता क े अनूठे तर क े से हमारे समाज को मजबूत करते ह। अंत म "मन म वतं ता, श द म व वास, हमार आ माओं म गव, हमारे रा को सलाम करते ह और बजल धारक को जो अपनी अ भुत प रयोजनाओं वारा सामािजक बुराइय क े इन लंबे समय तक झ प ड़य को दूर कर रहे ह, को देखकर म न कष नकालना चाहता हूं। म खुद को इस शंसनीय नाग रक क े प म कहकर गव महसूस कर रहा हूं जो बढ़ते हुए रा है। जय ह द