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मधुशाला नाम इस कहानी का रखने का उद्देश्य हैं। यह वस्तुतः प्रेम कहानी हैं, जो मधुशाला से शुरु होती हैं।
लेककन अंजाम तक पहंचने से पहले ही प्रेम टू ट कर किखर जाता हैं। एक तरह से अगर कहा जाए कक” यह
लव स्टोरी होते हए भी अपने-आप में सस्पेंस और थ्रील किपाए हए हैं, जो आधुकनकता क
े इस दौर में भी
सामाकजक और पाररवाररक मूल्ों की अनुभूकत करा दे।
मदन मोहन” मैत्रेय
भूकमका-
इस कहानी मधुशाला” को कलखने का मात्र उद्देश्य हैं कक” आज क
े दौर में, जि कहाकनयों की भरमार हो गई
हैं और पाठक क
े मन में उिाऊ पन की भावना ने ग्रकसत कर कलया हैं, ऐसे में उन्हें क
ु ि अलग रोचकता से
पररपूर्ण सामग्री उपलब्ध करवाए। कजससे पाठकों को अलग अनुभूकत हो और उनक
े कजज्ञासु मन को संतुकि कमले,
उन्हें तृप्ति का एहसास हो।
एक साफ-सुथरी सामाकजक कहानी मधुशाला” जो प्रेम क
े इदणकगदण ही िुनी गई हैं और पररप्तथथकत ऐसा ही िनता
गया हैं कक” अपने-आप ही इस कहानी में सस्पेंस किएट होता चला गया हैं। रोकनत’ जो कक” सभ्य और
समृद्ध पररवार का लड़का हैं। उसकी अपनी कमत्र मंडली हैं और वह इन कमत्र मंडली क
े साथ खुश हैं। वह और
उसका कमत्र मंडली मधुशाला नाम क
े कवयर-िार में रोज ही जाते हैं और इसी िम में इस कहानी का जन्म
होता हैं, कजसक
े साथ ही सस्पेंस किएट होने लगता हैं।
मैंने भरसक प्रयास ककया हैं कक” इस दौर में, जि कहाकनयों की भरमार हैं, पाठक को क
ु ि अलग अनुभूकत
करवाई जाए। उनक
े सामने ऐसी सामग्री परोसी जाए, जो उनक
े मन:मप्तस्तष्क पर अंककत हो जाए। उन्हें पुस्तक
क
े साथ किताए गए पल साथणक लगे। उन्होंने जो अपना कीमती समय पुस्तक को कदया हैं, वह व्यथण ही जाया
नहीं चला जाए।
धन्यवाद
मदन मोहन” मैत्रेय
कहते है न, प्रेम का कोई प्रतीकात्मक स्वरूप नहीं होता।
यह अकत सूक्ष्म है,तो वृहत कवशाल भी। यह आकार लेता हआ थथूल स्वरूप नहीं है, लेककन गकतवान है। यह
तीव्र गकत से कवचरर् करता है, अनंत आकाश की ओर। शायद यही प्रेम का स्वरूप नहीं होते हए भी स्वरूप
सा है। तभी तो दुकनया का हरेक इंसान इसक
े पीिे भागता है, इसे समझ जाना चाहता है। दुकनया में अनेको
क्षेत्र है, जो देश की सीमाओं से िंधा हआ है। लेककन प्रेम तो वही का वही है, न इसक
े रंग में अंतर है और
न ही स्वभाव में। हरेक देश की सीमाएँ िदलते ही भाषा िदल जाती है, संस्क
ृ कत िदल जाते है, लेककन नहीं
िदलता है तो वो है प्रेम। इसकी पररभाषाएँ , इसकी भाव-भंकगमाएँ नहीं िदलती, मानो यह देशों क
े सीमाओं का
िंधन मानती ही नहीं हो। तभी तो अप्तखल कवश्व में, जड़ और चेतन में सामान्य रूप से इसका साम्राज्य फ
ै ला
हआ है।
रोकनत भी तो प्रेम पास में कभी जकड़ा जा चुका था, लेककन आज उसक
े पास कहने को ज्यादा क
ु ि नहीं था।
करीि िाईस शाल का रोकनत स्वभाव से काफी कमलन सार था। ककसी क
े भी सुख और दुख में शाकमल हो
जाना, ककसी क
े साथ भी भेदभाव नहीं करना। आकषणक व्यप्तित्व का स्वामी रोकनत हंसमुख स्वभाव का था।
लेककन हंसते चेहरे क
े पीिे एक अजीि सा ददण किपा था, कजसक
े कवष िुझे कांटे उसे क
ु रेद-क
ु रेद कर खाए जा
रहे थे। इस वि वो हाजी अली गली में चक्कर लगा रहा था। अि ऐसा भी सोचना कक वो नक्कारा था,
किल्क
ु ल गलत था। उसक
े कपताजी शहर क
े नामी किजनेस मैन थे। उनकी खुद की चार शो रूम चलती थी।
लेककन रोकनत शाम होते ही शो रूम से कनकल कर इन गकलयों में आ जाता था। कक शायद उसका कोई कजगरी
दोस्त कमल जाए और वे दोनों मधुशाला में जाकर जाम से जाम टकरा सक
े ।
उसकी खोजी नजर चारों तरफ ढूंढ रही थी कक कोई तो कमल जाए, कजसक
े साथ वह िैठ कर अपनी शाम
रंगीन कर सक
े । उसकी कार उस गली से िाहर सड़क ककनारे खड़ी थी और वो अपने ककसी साथी को ढूंढ
रहा था। अमूमन जैसा होता है, शाम होते ही उस गली में आने-जाने िाले की भीड़ िढ जाती है, लेककन उसे
इस सिसे कोई मतलि नहीं था, उसे तो िस अपने पुराने साकथयों का इंतजार था। वैसे तो शहर में साथ िैठ
कर जाम से जाम टकराने िालों की कमी न थी। परन्तु वो हर ककसी क
े साथ िैठ तो नहीं सकता था। समय
रफ्ता- रफ्ता आगे की ओर िढ रहा था,तभी उसक
े किल्लौरी आँखों में चमक उभरी।
कारर् उसका दोस्त राजन आता कदखा, वैसे तो उसक
े िहत से दोस्त थे, लेककन कजस तरह की क
ै मेस्टर ी उसकी
राजन क
े साथ जमती थी औरो क
े साथ तो किल्क
ु ल भी नहीं जमती थी। उसे याद है कक जि वो अठारह शाल
का था, काँलेज में उसका पहला कदन था। वो िौखलाया हआ था, डरा हआ था, ऐसे में राजन ने उसका
कहम्मत िढाया था। रोकनत सोच ही रहा था, तभी राजन उसक
े करीि आया और उसक
े आँखों में झांकता हआ
मुस्करा कर िोला।
क्या यार रोकनत! अमा यार, कहां खोया हआ है या कफर मुझे देख कर अंजान िनने की कोकशश कर रहा है।
राजन ने िोलने क
े साथ ही उसक
े पीठ पर धौल जमाई। कजससे उसकी तंद्रा टू टी और वो अकिका कर िोला।
नहीं यार राजन! ऐसी िात किल्क
ु ल भी नहीं है। तुम्हें देखा तो पुराने कदनों की यादें ताजा हो गई । वैसे तू कमल
ही गया है तो चल मधुशाला, वहां चल कर दो-दो जाम िलकाते है और साथ ही ढेरों िातें करेंगे।
रोकनत की िातें सुनकर राजन मुस्कराया, कफर उसक
े आँखों में देखते हए कफर से एक धौल जमा कर िोला।
वही मधुशाला न, जो अपन दोस्तों क
े िीच काफी फ
े मस थी। राजन की िातें सुन कर रोकनत धीरे से
मुस्कराया, कफर उसने राजन से चलने का इशारा ककया।
कफर वे दोनों चलते हए गली से िाहर आए, इस िीच दोनों में इधर-उधर की िातें होती रही। िातों-िातों में ही
कि वे कार क
े पास पहंच गए, उन्हें पता ही नहीं चला। नई चमचमाती इनोवा कार, कजसे देख कर राजन
मुस्कराया। वो जानता था कक रोकनत को महंगे गाकड़यों का शौक है। जिकक रोकनत ने ड
र ाइकवंग साइड का गेट
खोला और कार में िैठ गया,कफर हानण िजाया। कजससे राजन की तंद्रा टू टी और वो मुस्कराता हआ कार में िैठ
गया। उसक
े िैठते ही रोकनत ने कार श्टाटण की और सड़क पर दौड़ा कदया।
कार श्टाटण होते ही सड़क पर कफसलती चली गई। इस िीच दोनों क
े दरम्यान अलक-मलक की िातें होती रही।
दोनों ही एक अरसे िाद कमले थे,ऐसे में स्वाभाकवक ही था कक वे एक दू सरे क
े िारे में जानने को उत्सुक थे।
कफर गहरी कमत्रता, सिसे पहले राजन ने ही उसे िताया कक वो काँलेज से कनकला,तो उसने आमी ज्वाइन कर
ली,उसक
े िाद स्नेहा से शादी और ठहराव। अि वो िहत खुश है अपनी कजन्दगी से,िोलने क
े िाद राजन ने
रोकनत की तरफ देखा,मानो पुि रहा हो कक तुमने क्या ककया।
रोकनत अपनी जिान खोलने ही िाला था कक तभी गाड़ी क
े ब्रेक लगे। राजन ने चौंक कर शीशा से िाहर
देखा,तो उसकी कार मधुशाला कवयर वार क
े सामने खड़ी थी। किल्क
ु ल वैसा का वैसा ही अकडग खड़ा था
मधुशाला कवयर-वार, क
ु ि भी तो नहीं िदला था। आज भी उसकी भव्यता िरकरार थी। शाम होते ही दुल्हन की
तरह सज-संवर कर जगमगा रही थी। हां इतना तिदीली जरूर हआ था कक जि वो दो शाल पहले गया था,तो
मधुशाला अक
े ली थी,लेककन आज उसक
े चारों तरफ िहमंकजला इमारत िन चुक
े थे।
********
रोकनत और राजन कार से िाहर कनकले और िाहर आकर उन्होंने शरीर को सीधा ककया। तभी उनक
े करीि एक
कसक्युररटी गाडण आया, शायद वो पाकक
िं ग का काम देखता था। उसको नजदीक आते ही रोकनत ने कार की चािी
उसे थमा दी और एक नजर उठा कर मधुशाला की ओर देखा, मानों हसरत भरी आँखों से उसे समझ जाना
चाहता हो।
काँलेज क
े कदनों में यह कवयर वार उन दोस्तों क
े कलए खास हआ करता था। खास कर क
े रोकनत क
े कलये। उसे
याद है कक जि वो पहली िार मधुशाला आया था, तो क
ु ि कझझक सी थी मन में। लेककन दुल्हन सी सजी
मधुशाला ने उसक
े मन की वो सारी कझझक दू र कर दी थी। यूं तो वो मकदरालय थी, जहां पर अमीर-गरीि क
े
फक
ण को नहीं समझा जाता था। जाम िलकने को तो सभी पैमाने से एक ही समान िलकते थे। लेककन
मधुशाला की खूिसूरती इस प्रकार की थी न कक युवा ज्यादा ही आककषणत होते थे। शायद इस कवयर वार क
े
नाम में ही ऐसा जादू था, तभी तो इसक
े माकलकों ने इसका नाम चुन कर रखा था।
अमा यार! तू ककस दुकनया में खो गया। राजन रोकनत को झकझोर कर िोला। राजन क
े झकझोरने पर रोकनत
की तंद्रा टू टी, तो चौंक कर िोला।
नहीं यार! क
ु ि नहीं, िस िीते कदनों की िात याद आ गई थी। रोकनत की िातें सुन कर राजन मुस्कराया,
कफर धीरे से िोला।
तो क्या ख्यालों की ही दुकनया में खोया रहेगा, या कफर अंदर भी चलेगा।
क्यों नहीं-क्यों नहीं, अभी चलो अंदर। रोकनत संभल कर िोला, कफर वे दोनों मधुशाला क
े गेट क
े अंदर प्रवेश
कर गये।
अमूमन शाम क
े वि उस रोड पर आना-जाना न क
े िरािर होती थी। उस सड़क पर वे लोग ही ज्यादा नजर
आते थे, कजन्हें मधुशाला से सरोकार होता था। कफर तो शाम ढल कर रात का शक्ल लेने लगी थी। रोकनत और
राजन ने जि हाँल में कदम रखा, तो वहां भीड़ क
े कारर् काफी गकदणश थी। वहां क
े हालात देख कर राजन
का कदमाग चक्कर खाने लगा, लेककन रोकनत ने उसका हाथ पकड़ा और कोने की टेिुल की ओर िढा। कजसपर
कक ररजवण का िोडण रखा हआ था। वे दोनों जि टेिुल क
े करीि पहंचे, ति तक वेटर रघुवीर उनक
े पास पहंच
गया।
जिकक राजन का अंतरमन तो कहीं और खोया हआ था। वो सोच रहा था कक यह कवयर वार किल्क
ु ल भी नहीं
िदला था। यह वैसे का वैसा ही था, नूतन िनकर पुरातनता समेटे हए। वही तेज पाँप म्यूकजक की तेज धून,
उस धून पर कथरकती वार िालाएं और तेज रोशनी से चकाचौंध हाँल। कहीं कोई िदलाव नहीं आया था, िप्तल्क
यूं कहा जाए तो अकधक िढ गई थी। हां हाँल में तेज पाँप म्यूकजक िज रहा था, साथ ही वार िालाएं भद्दे डांस
कर रही थी। या यूं मानों कक अपने क
ू ल्हे िेढंगे तरीक
े से मटका रही थी। हां यह जरूर यहां िढ गया था कक
वहां हाँल में िलकते जाम क
े साथ ही चरस का धुआँ भी फ
ै लने लगा था, जो वहां क
े वातावरर् को रहस्यमय
िना रहा था।
राजन एवं रोकनत ने क
ु सी संभाल ली, ति तक वेटर उनक
े करीि पहंच चुका था। उसे अपने पास आया देख
कर रोकनत ने दो िोतल प्तिस्की और स्पेसल नमकीन की कडश का आँडर कदया। आँडर लेकर वेटर चला गया,
ति रोकनत राजन क
े आँखों में एकटक देखने लगा। उसे यूं एकटक देखता पाकर राजन हकिका गया। उसे
समझ ही नहीं आ रहा था कक रोकनत उसे इस प्रकार से क्यों देख रहा है। इतना तो वो जानता था कक रोकनत
ऐसे ही नहीं उसे देख रहा, जरूर कोई न कोई िात है। लेककन क्या! इसी में राजन उलझ गया।
उसे उलझा हआ देख कर मुस्कराया, कफर धीरे से िोला। तुम्हें याद है न राजन, पहली-पहली िार की हमारी
दोस्ती। मैं घिड़ाया हआ था और तुम मेरे पास आए थे। इसक
े िाद तुमने मेरी ओर दोस्ती का हाथ िढाया था
और मैं ने तुम्हारा हाथ थाम कलया था। इसक
े िाद? िोलने क
े साथ ही रोकनत मौन हो गया और इंतजार करने
लगा राजन क
े उत्तर का। उसकी िातें सुन कर राजन मुस्कराया और रोकनत क
े क
ं धे पर धौल जमा कर िोला।
याद है मुझे वो कदन! तुम िहत ही घिड़ाये हए थे और काँलेज में कोई भी तुमसे दोस्ती नहीं करना चाहता
था। ऐसे में मैं ने रैकगंग से तुम्हें िचाया था और तुमने दोस्ती कर ली थी।
इतना ही या और क
ु ि भी? रोकनत राजन क
े आँखों में देख कर मुस्कराता हआ िोला। िदले में राजन उत्तेकजत
होकर िोला।
और-और कफर मैं ने तुमको उसी कदन मधुशाला कवयर वार लेकर आया, कफर हम लोगो ने खुि मस्ती की थी।
राजन क
े िोलते ही रोकनत ने उसका हाथ थामा और मुस्करा कर िोला।
मुझे कवश्वास था कक तुमको वे कदन जरूर याद होंगे। साथ ही मुझे यह भी मालूम है कक तुम से अच्छा पैग
िनाने िाले किरला ही होगा।
यह तो सही िात है, अपनी फ्र
ें ण्ड मंडली में मुझ से अच्छा पैग िनाने िाला कोई न था। राजन अपनी मूँिों पर
ताव देकर िोला। उसकी िातें सुन कर रोकनत चहक कर िोला।
अमा यार! तो कफर आज का जाम तू ही िनाएगा।
िोलने क
े िाद रोकनत राजन क
े आँखों में देखने लगा। जिकक राजन उसकी ओर देख कर मुस्कराया मानो कक
मौन सहमकत दे रहा हो। तभी वेटर आँडर सवण कर गया। आँडर सवण होते ही राजन पैग िनाने में जूट गया,
जिकक रोकनत होंठों को गोल करक
े कशटी िजाने लगा। आज चेहरे से लग रहा था कक वो िहत खुश था। उसने
कशटी िजाते हए हाँल में एक नजर डाली। चारों तरफ फ
ै ला हआ चरस का गाढा धुआँ और हाँल में तीव्र नीली
रोशनी। माहौल को मादक और रहस्यमय िना रहे थे। अचानक से उसक
े कदल में खयाल आया कक शराि
ककतनी िुरी चीज है कक कजसे अपना िना लेती है, वो कफर चाह कर भी ककसी और का नहीं हो सकता।
उसकी नजर एक दो िार स्टेज की ओर भी गई, जहां पर वार िालाएं अल्लहड़ डांस कर रही थी। परन्तु
उसका इसमें कोई कदलचस्पी नहीं था। तभी राजन ने उसे टोका, पैग तैयार हो चुकी थी और राजन उसे िताना
चाहता था। िस कफर क्या था, रोकनत चौंका और कफर सामान्य होकर उसने पैग उठा कलये।
कफर तो एक पैग-दो पैग और इसक
े िाद तो दोनों पैग पर पैग गले में उड़ेलते चले गए। इसक
े िाद तो असर
होना ही था न, नशा दोनों को चढ चुकी थी। ति रोकनत मुस्करा कर राजन की ओर िाईं आँख दिा कर
िहकते हए िोला।
अमा यार राजन! ए-एक िात ि-ि-िताओ कक लोग शराि क्यों पीते है? राजन उसकी िातें सुन कर एक पल
को मौन हो गया, कफर संभल कर िोला।
नशा करने क
े कलए, और ककस कलये। लेककन राजन की िातों से शायद रोकनत सहमत नहीं हआ और इनकार
में िहत देर तक कसर कहलाता रहा। कफर िरी मेहनत से िोला।
गलत है दोस्त! ल-लोग श-श-शराि इसकलये पीते है कक उसे श-श-शराि क
े साथ यारी कनभानी-कनभानी। आगे
का शब्द रोकनत िोल न सका और िेसुध हो गया। उसे इस प्तथथकत में देखकर राजन का सारा नशा काफ
ू र हो
गया था।
*******
अकनरुद्ध किला, अपने आप में भव्यता समेटे हए। दकक्षर्ी कदल्ली में द्वारका क
े करीि पड़ता था। यह िंगला
काफी क्षेत्रफल में फ
ै ला हआ था, साथ ही कवशाल भी था। आप्तखर हो भी क्यों नहीं, यह िंगला अरि पकत
किजनेस मैन अकनरुद्ध सहाय का था। उनकी शहर में तूती िोलती थी, रुपये-पैसे और शोहरत से। शाम ढल
चुकी थी और चारों तरफ अंधेरा कघर आया था।
वैसे तो यह इलाका पाँस कालोनी में आता था, यहां एक कतार से अमीरों क
े िंगले थे। लेककन अकनरुद्ध किला
इन सिसे िढत रखता था। शाम क
े आठ िज चुक
े थे और गेट क
े चौकीदार चेंज हो चुक
े थे। िंगले क
े अंदर
हाँल में अकनरुद्ध सहाय सोफ
े पर िैठे हए थे और सेंटर टेिुल पर कवदेशी शराि की िोतल रखी थी। साथ ही
पैग तैयार हआ रखा था, लेककन लग रहा था कक उनका अभी पीने का इरादा नहीं हो।
अकनरुद्ध सहाय, किजनेस टाइक
ू न क
े नाम से पूरे कदल्ली में फ
े मस थे। दो-दो क
े कमकल फ
ै क्टरी, चार िड़े-िड़े
शो रूम। अरि पकत अकनरुद्ध सहाय चेहरे से आकषणक थे, किल्लौरी आँखें, सुते हए लंिे नाक। लंिी कद काठी
और भरावदार शरीर। उनका व्यप्तित्व काफी आकषणक था। गोरे रंग क
े चेहरे पर उदासी क
े िादल िाए हए थे
और चश्मे क
े पीिे उनकी आँखें आंसू किपा पाने में असमथण हो रही थी।
कहने को उनक
े पास क्या नहीं था, दौलत का अंिार लगा था। नौकर-चाकर की पूरी फौज थी जो कदन-रात
उनकी सेवा में तत्पर रहती थी। साथ कनभाने को सुन्दर सुशील और धमण परायर् स्त्री थी। साथ ही दो िच्चे भी
थे, लड़की आरुषी की उन्होंने शादी कर दी थी और लड़का रोकनत। जो कक शादी क
े नाम से ही दू र-दू र
भागता था। पचपन वषण क
े अकनरुद्ध सहाय को िस यही शूल की भांकत चुभता था। कहां तो वे सपने पाल रहे थे
कक उनक
े घर पोते-पोती की फौज होगी और कहां तो रोकनत उनक
े इच्छाओं पर तुषारापात कर रहा था।
िस िात इतनी सी होती, तो वो शायद कचंकतत नहीं होते। आजकल क
े युवाओं में शादी को लेकर सपने होते
है, लेककन वे जानते थे कक रोकनत का मामला दू सरा है। वे समझ रहे थे कक क
ु ि तो है, जो रोकनत क
े अंदर
टू ट रहा है। वो भले ही ककतनी ही कोकशश कर ले खुश कदखने की, लेककन वे तो उसक
े कपता थे। वे जानते थे
कक क
ु ि तो है जो रोकनत को अंदर से खाए जा रहा है। िस यही टीस उन्हें अंदर से उठती थी।
अकनरुद्ध सहाय ने एक नजर उठा कर हाँल में चारों तरफ देखा। भव्य और कवशाल हाँल, जहां की साज-सज्जा
कवदेशी ढंग से की गई थी। साथ ही वहां कवदेशी समान को करीने से सजा कर रखा गया था। उसपर हाँल में
नीली रोशनी चारों ओर फ
ै ला हआ था, जो वहां क
े सुन्दरता को और अकधक िढा रहा था। चारों ओर एक
नजर डालने क
े िाद उन्होंने लंिी सांस ली और पैग उठा कर एक ही सांस में गटक गए। कफर कगलास टेिुल
पर कटका कर लंिी सांस लेने लगे।
आज क
े हालात में उनको अपनी संपकत्त, अपना रुतिा और ये शान-ओ-शौकत काटने को दौड़ता था। उफ ये
कजन्दगी! काश कक उनक
े पास उनका खुशहाल िेटा होता, भले शान-ओ-शौकत नहीं होती। वे अपने पैतृक
गांव लौट जाते, नमक रोटी खाते, लेककन खुशहाल जीवन जीते। आज उनको यह शहर नुकीले कील सा चुभने
लगा था। वे जानते थे कक रोकनत रात क
े दस िजते-िजते िेसुध हालात में लौटेगा। नहीं-नहीं उसे लौटना नहीं
कहते, वो तो पूर्ण रूप से िेसुध होकर आएगा। लेककन उसक
े साथ आने िाला दोस्त कौन होगा, यह तय
नहीं। उसमें भी होश में रहा तो थोरा-िहत खाएगा, नहीं तो भूखा ही सो जाएगा।
सोचते-सोचते उन्होंने दीवाल घड़ी की ओर नजर डाली, जो रात क
े सवा नौ िजने की घोषर्ा कर रहा था।
समय देखते ही उनक
े कदल की धड़कन िढ गई। काश कक उनकी पत्नी यहां होती, तो उनका हौसला िढाती।
लेककन पुत्र क
े कलये मानता ले कर वो िद्री कवशाल को चली गई थी। ऐसे में उनको पररप्तथथकत को संभालना
दुष्कर सा प्रतीत हो रहा था। वे हालात से जैसे हारने लगे थे, टू ट कर किखरने लगे थे। वे इसी प्तथथकत में थे
कक उनका नौकर राक
े श हाँल में आया । वो अभी ककचन से कनकला था, वो रात का भोजन तैयार कर चुका
था और अि वो अकनरुद्ध सहाय क
े कलये करारे-करारे किस्पी पकौड़े तल कर लाया था।
उसने नास्ते की प्लेट सेंटर टेिुल पर रख कर उनक
े सामने खड़ा हो गया। उसे सामने देख कर अकनरुद्ध सहाय
ने उसक
े आँखों में ऐसे देखा, मानो पुिना चाहते हो कक क्या है। राक
े श िहत ही समझदार था, साथ ही उसने
इस पररवार क
े साथ अपनी आधी कजन्दगी गुजार दी थी। वो माकलकों क
े इशारे समझता था, इससे तुरंत ही
तत्पर होकर िोला।
माकलक! मैं ने भोजन तैयार कर कदया है और आपक
े कलये नाश्ता लेकर आया हं।
तो ठीक है, एक काम करो कक तुम लोग खाना खा लो। मुझे जि भूख लगेगी, तो खा लूंगा। अकनरुद्ध साहि
ने धीरे से कहा और कफर अपना पैग िनाने में जुट गए। राक
े श समझ चुका था कक माकलक अि िात नहीं
करना चाहते, इसकलये वो वहां से चला गया।
जिकक अकनरुद्ध साहि ने अपना पैग तैयार ककया और होंठों से लगा कर गटक गये। कड़वाहट से उनका मुंह
कसैला हो गया, तो उन्होंने पकौड़े उठा कर मुंह में रखा। लेककन उनका मुंह का स्वाद तो कहीं खो सा गया
था। आजकल तो उन्हें अपना जीवन भार रूप लगने लगा था। वे आजकल समझ ही नहीं पा रहे थे कक कजन्दगी
ककस पटरी पर जा रही थी। वैसे तो वे लगभग शराि से दू र ही रहते थे, लेककन जि से रोकनत की कजन्दगी
उलझी थी, वे भी उलझ कर रह गये थे।
******
मधुशाला कवयर वार, रात क
े नौ िज चुक
े थे। हाँल क
े अंदर काफी गहमा-गहमी थी, चारों तरफ मदहोशी और
एक अजीि सा शोर। साथ में वार िालाओं का अल्लहड़ सा नृत्य, लगभग स्वप्न लोक सा लग रहा था। लेककन
राजन का नशा लगभग काफ
ू र हो चुका था, उसे अंदाजा नहीं था कक रोकनत इस तरह से होश खो देगा। वो तो
समझता था कक रोकनत पहले िाला ही होगा, लेककन नहीं, वो तो किल्क
ु ल िदल चुका था। उसे लगने लगा था
कक रोकनत अंदर से काफी कमजोर हो चुका है।
राजन कवकल हो उठा, उसे शुरू से ही रोकनत से एक अलग प्रकार का लगाव था। राजन सोच ही रहा था कक
तभी वेटर आ गया। राजन ने िील पेय करने क
े कलये िील मांगा, तो वेटर ने ितलाया कक रुपये तो अकग्रम
रूप से जमा है। साथ ही वेटर ने ितलाया कक सर! रोकनत साहि अकसर रातों को इसी हालत में होते है और
कभी इनका दोस्त, तो कभी हम लोग इन्हें इनक
े घर पहंचा देते है।
वेटर की िातें सुनकर राजन को झटका सा लगा। उसने आँखों से वेटर को जाने का इशारा ककया और जि
वेटर चला गया तो वो उठ कर खड़ा हआ। उसने खुद को संभाला और कफर रोकनत को उठाया और अपने पीठ
पर लाद कलया। वैसे तो उसने भी अकधक पी ली थी, लेककन वो खुद को संभाल चुका था। कफर वो रोकनत को
लादे-लादे हाँल से िाहर कनकला। ति तक कसक्युररटी गाडण इनोवा कार को गेट तक ले आया था।
कसक्युररटी गाडण ने कार का गेट खोल कर रखा हआ था, इसकलये राजन को ज्यादा तकलीफ नहीं हई। उसने
रोकनत को कपिली शीट पर कलटाया और कफर कार का दरवाजा लगा कर ड
र ाइकवंग साइड का दरवाजा खोला,
ड
र ाइकवंग शीट पर िैठा और कार श्टाटण कर क
े सड़क पर दौड़ा दी। कार मधुशाला क
े गेट से कनकलते ही
रफ्तार पकड़ ली और फ
ु ल स्पीड से सड़क पर दौड़ने लगी। साथ ही उसी रफ्तार से राजन क
े कदमाग में
हलचल दौड़ने लगा।
कहां तो उसने सोचा था कक रोकनत की कजन्दगी खुशहाल होगी। वो जि उससे कमलेगा, तो वे दोनों खुि मस्ती
करेंगे। लेककन उसे कहां पता था कक जि वो रोकनत से कमलेगा तो, वो अंदर से खोखला होगा। उसे यह अंदाज
हो चुका था कक वो कजस रोकनत से कमला है, वो अलग है। वो उसका पहले िाला रोकनत तो किल्क
ु ल भी नहीं
था। पहले िाला रोकनत तो हंसमुख, चंचल और शरारती था। उसे तो ककसी िात की कचन्ता होती ही नहीं थी।
कफर आप्तखरकार िीच क
े इन कदनों में आप्तखर रोकनत क
े साथ क्या घकटत हआ कक वो इस तरह से िदल गया।
राजन क
े कलये यह गूढ़ प्रश्न था, वो समझना चाहता था इन प्रश्नों को। वैसे तो वो रोकनत से दो वषण क
े लंिे
अंतराल क
े िाद कमला था। िस इस अंतराल में आप्तखर ऐसा क्या घकटत हआ था कक रोकनत अंदर से इस कदर
टू ट गया था। उसे इन प्रश्नों को ढूंढना था, साथ ही इसका हल भी कनकालना था। क्योंकक उसे रोकनत से खास
लगाव था और वो उसे ऐसे इस हालात में नहीं िोड़ सकता था ।
********
राजन मन ही मन सोचता हआ ढृढ प्रकतज्ञ हो रहा था। लेककन उसे यह समझ नहीं आ रहा था कक आगे क्या
करना है। ऐसे में उसने कमरर में देखा, तो रोकनत िेसुध कपिली शीट पर लेटा हआ था, कदन-दुकनया से िेखिर
हो कर। ऐसे में राजन क
े हृदय में हक सी उठी, ककतना मासूम लग रहा था रोकनत। कफर आप्तखर ऐसी क्या
िात हई कक वो अंदर से इस कदर टू ट गया।
राजन ने मन ही मन सोचा कक चाहे जो भी हो जाए, वो मालूम करक
े रहेगा कक रोकनत क
े हृदय में ककस िात
का फांस चुभा हआ है। कफर उससे कजतना संभव हो सक
े गा, वो उसे दू र करने की कोकशश करेगा। वो ऐसे तो
उसे िोड़ नहीं सकता न, आप्तखर रोकनत उसका कजगरी दोस्त है। राजन सोच ही रहा था कक उसक
े पांव ब्रेक
पर जोर से पड़े। अचानक ब्रेक लगने से कार दू र तक कघसटती चली गई। कजसक
े कारर् राजन को तीव्र झटका
लगा। साथ ही इस अप्रत्याकशत झटक
े क
े कारर् रोकनत भी क
ु नमुनाया, लेककन कफर से िेसुध हो गया।
कार अकनरुद्ध किला क
े गेट पर पहंच चुकी थी, इसकलये ही तो उसने तीव्रता से ब्रेक मारे थे। वहां पहंच कर
राजन ने कलाईं घड़ी की ओर देखा, जो रात क
े सवा दस होने की उद् घोषर्ा कर रही थी ।राजन ने जितक
समय देखा, किला का गेट खुल चुका था। िस कफर क्या था, राजन ने कार को अंदर ले कलया और पोचण की
ओर ले गया। कार जि तक पोचण में पहंची, िंगले का मेन गेट खुला और उसमें से अकनरुद्ध सहाय कनकले।
राजन ने कार का इंजन िंद ककया और कार से उतरा कफर दरवाजा लगा कर पीिे की ओर िढा। ति तक
अकनरुद्ध साहि कार क
े करीि पहंच चुक
े थे, उन्हें करीि आया देख कर राजन ने झुक कर उनक
े पांव ि
ू
कलये। जिकक उसे देख कर अकनरुद्ध साहि क
े आँखों में हषण और आश्चयण क
े भाव उभरे। आज िहत कदनों िाद
उनक
े चेहरे पर मुस्कान की हल्की रेखा प्तखची थी। राजन की अनुभवी आँखें वहां क
े हालात देखते ही समझ गई
कक यहां सिक
ु ि ठीक नहीं चल रहा।
लेककन उसने अपने मन क
े भावों को दूर ढक
े ला और कार का दरवाजा खोलने लगा। उसक
े इस काम में
अकनरुद्ध साहि मदद कर रहे थे, जिकक दरवाजा खुलते ही उसने रोकनत को क
ं धे पर उठाया और िंगले की
ओर िढ गया। अकनरुद्ध साहि भी उसक
े पीिे - पीिे चल पड़े । राजन को तो उस िंगले का पूरा भूगोल
मालूम था, इसकलये वह रोकनत को लेकर सीधा उसक
े िेडरूम की ओर िढा।
जिकक अकनरुद्ध साहि आगे की ओर लपक
े , उन्होंने रोकनत क
े िेडरूम की लाइट जलाई, ति तक राजन ने
भी अंदर प्रवेश कर कलया था। उसने रोकनत को िेड पर कलटाया जिकक अकनरुद्ध साहि आगे िढ कर उसक
े
जुते उतारने लगे। कफर दोनों ने रोकनत को सही से कलटा कर उसक
े उपर कलहाफ डाल कदया। उसक
े िाद दोनों
िाहर कनकले और चलते हए ड
र ाईंग हाँल में आ गए। इस िीच दोनों क
े दरकमयान ककसी प्रकार की िातचीत नहीं
हई। लेककन हाँल में पहंचते ही अकनरुद्ध साहि िोले।
राजन िेटा! िैठो। अकनरुद्ध साहि की िातें सुन कर राजन सामने िाले सोफ
े पर िैठ गया, ति अकनरुद्ध साहि
भी िैठ गए।
लेककन उनक
े िीच ककसी प्रकार की िातचीत की शुरूआत नहीं हई। दोनों ही िातें करने क
े कलये कवषय ढूंढ रहे
थे, लेककन उन दोनों को ही कोई शब्द नहीं कमल पा रहा था, कजससे कक िातों का दौर शुरु कर सक
े ।
कजसक
े कारर् वहां अजीि सी खामोशी पसर गई। जो कक अकतशय गंभीर रूप ले चुका था। इस समय वहां पर
इतनी शांकत पसरी हई थी कक सुई भी कगरे तो जोरदार धमाका हो। पररप्तथथकत ऐसी हो चुकी थी कक दोनों
असहज हो चुक
े थे। ऐसे में ज्यादा समय तक तो नहीं चल सकता था, ककसी न ककसी को तो िात की
शुरूआत करनी ही थी। साथ ही राजन यह भी समझ चुका था कक अकनरुद्ध साहि ने भोजन नहीं ककया है।
इसकलये वो मुस्करा कर उनसे िोला।
अंकल! खाना िना हो, तो मंगवा लीकजए, मुझे तो जोरों की भूख लगी है। राजन क
े िोलने भर की देर थी,
अकनरुद्ध साहि को िात करने का मौका कमल गया।
हां िेटा, जरूर-जरूर अभी मंगवाता हं। वैसे तुम कि आए, आज ही कमले हो। उनकी िातें सुनकर राजन
मुस्कराया, कफर िोला, आया तो आज ही था और आज ही रोकनत से कमलने आया था, वैसे अभी इन िातों को
िोर दीकजए और खाना मंगवाईए, अभी तो खाना खाते है। वैसे आप भी तो भूखे ही होंगे।
राजन की िातें सुन कर ऐसा लगा कक अकनरुद्ध साहि क
े अंदर का सारा लावा कनकल कर िाहर आ जाएगा।
लेककन उन्होंने खुद को संभाला और िेल िजा कदया। उनक
े िेल िजाते ही हाँल में िहत ही मधुर संगीत गूंज
उठा। कफर तो पलक झपका नहीं कक राक
े श हाकजर हो गया। उसक
े आते ही अकनरुद्ध साहि ने कनदेकशत ककया
कक कडनर की तैयारी करें। राक
े श क
े जाते ही राजन ने उनकी ओर देखा और गंभीर होकर िोला।
एक िात िताइए अंकल! रोकनत को हआ क्या है और कि से उसकी ऐसी हालत है। राजन की िातें सुनकर
अकनरुद्ध साहि ने थोरी राहत महसूस की, इसक
े िाद वे उसकी ओर देख कर िोले।
राजन िेटा! उसे आप्तखर हआ क्या है, इसकी जानकारी मुझे भी नहीं है। अगर मुझे वो अपना तकलीफ
ितलाता, तो शायद मैं ककसी प्रकार की कोकशश करता। लेककन वो तो अंदर से घुटता रहता है। हां मैं यह
ितला सकता हं कक वो करीि-करीि दो साल से इसी प्तथथकत में है। या यूं कहो कक कदनों कदन वह अंदर से
ज्यादा ही टू टता जा रहा है। िोलने क
े िाद अकनरुद्ध साहि ने मौन साध कलया, ति राजन गंभीर होकर िोला।
कोई िात नहीं अंकल! मैं कल सुिह आता हं, कफर देखता हं कक क्या ककया जा सकता है। िोलने क
े साथ ही
राजन ने अपना हाथ आगे िढा कर उनक
े हाथों पर रख कदया। अपनत्व एवं स्नेह का स्पशण पाकर अकनरुद्ध
साहि क
े आँखों से आंसू िलक गये।
ति तक राक
े श ने डायकनंग टेिुल पर सारी तैयारी कर दी थी। िस कफर क्या था, दोनों उठे और डायकनंग
टेिुल क
े पास की क
ु सी संभाल ली। इसक
े िाद तो वे दोनों भोजन करने में जुट गए। आज अकनरुद्ध साहि
थोरा सा िेकफि से लग रहे थे, क्योंकक उन्हें कवश्वास था कक राजन आ गया है, तो जरूर कोई न कोई हल
कनकलेगा। दोनों ने भोजन ककया, इस दरकमयान उन दोनों क
े िीच ककसी प्रकार की िातचीत नहीं हई।
*******
रात क
े एक िज चुक
े थे, आश-पास का इलाका किल्क
ु ल शांत था। रोकहर्ी सेक्टर नौ, राजन अभी-अभी
अकनरुद्ध किला से अपने िंगले पर आया था। अकनरुद्ध साहि ने उसे अपने कार क
े द्वारा कभजवा कदया था,
राजन ने कार को वापस कर कदया था और अपने िंगले में प्रवेश कर गया था। वैसे तो उसका िंगला ज्यादा
कवशाल नहीं था, लेककन इतना तो जरूर था कक उसक
े रईसी का सिूत दे रहा था। उसने ड
र ाईंग हाँल में कदम
रखा और हाँल की सारी लाइट जला दी। आज वो खुद को काफी थका-थका सा महसूस कर रहा था, इसकलये
उसने सोचा कक आज वो ड
र ाईंग हाल में ही सो जाएगा। इसकलये उसने दरवाजा लाँक ककया एवं आगे िढ कर
सोफ
े पर धम्म से िैठ गया। उफ! इतना शप्तिहीन तो वो पहले कभी नहीं हआ था, चाहे पररप्तथथकत क
ै सी भी
हो वो ऊजाण से लिरेज रहता था। लेककन रोकनत से कमलने क
े िाद से जैसे तो लगता था कक धीरे-धीरे वो
कमजोर होता जा रहा है।
ऐसा क्योंकर हो रहा है, उसे समझ ही नहीं आ रहा था, काश कक आज श्रेया उसक
े साथ होती, तो शायद
िेहतर होता, वो उसे संिल प्रदान करती। श्रेया उसक
े पत्नी का नाम था, जो कक अपने मायक
े गई हई थी।
श्रेया सुन्दर और सुशील थी, तीखे नैन-नक्श ,लंिा चेहरा एवं भरावदार गोरा िदन। उसक
े सुन्दरता पर ही तो
लटूँ होकर उसने शादी की थी। एवं श्रेया ने उसक
े कवश्वास को प्रार् दे कदए थे, वो धमण परायर् थी। एक अच्छी
पत्नी में कजतने सारे गुर् चाकहए, वे सारे क
े सारे श्रेया क
े अंदर कवद्यमान थे। ऐसे में स्वाभाकवक ही था कक उसे
श्रेया की कमी खल रही थी। आज अगर श्रेया उसक
े पास होती, तो शायद वो अपने आप को इतना कमजोर
कभी महसूस नहीं करता। वो िहत िुप्तद्धमान थी, जरूर कोई न कोई रास्ता कनकाल ही देती।
उफ
् ! यह कजन्दगी, न जाने ककस मोड़ पर क
ै से सवाल िन कर उपप्तथथत हो जाए, इंसान को मालूम कहां
होता। वो तो िस समय क
े हाथों की कठपुतली िना होता है, समय उसे जैसे नचाती है, नाचता है, िस
नाचता जाता है। राजन ने अपने उपर हावी हो रहे कवचारों को झटक कर फ
ें का और सोफ
े पर पसर कर सोने
की कोकशश करने लगा। लेककन उफ
् ! आज नींद भी आँखों से कोसो दू र थी। वो कजन कवचारों को झटक कर
फ
ें कना चाहता था, वही कवचार िार-िार आकर उस पर हावी हो रहे थे। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कक
वह ऐसा कौन सा उपाय करें कक उसक
े आँखों में नींद आ जाए। लेककन अफसोस! नींद तो नहीं आ रही थी,
हां आंखों क
े सामने िार-िार रोकनत का चेहरा जरूर आ रहा था। ऐसे में उसने करवट िदल कर भी प्रयास
कर कलये, पर नींद को नहीं आनी थी, तो नहीं आई।
इस तरह से काफी समय िीत गया, अि उसे काफी की तलि महसूस हो रही थी। इसकलये वो उठा और
ककचन की ओर िढा और ककचन में घुस कर अपने कलये काँफी तैयार करने लगा। लेककन यहां भी कवचारों क
े
झंझावात उसका पीिा नहीं िोड़ रहे थे। वो काफी परेशान हो चुका था, खैर उसने जैसे-तैसे अपने कलये
गरमा-गमण काँफी िनाई और मग में डाल कर कफर से ड
र ाईंग हाँल में आ गया और सोफ
े पर िैठ कर धीरे-धीरे
काँफी पीने लगा। साथ ही सोचने लगा कक आप्तखर िात क्या है, रोकनत इतना मुरझा क्यों गया है। आप्तखर
उसक
े साथ घकटत क्या हआ कक हर पल चहकने िाला रोकनत शांत और गंभीर क
ै से हो गया है।
राजन सोच रहा था, गहन मंथन कर रहा था इन सारी िातों पर, लेककन उसे इसका कोई ताग नहीं कमल पा
रहा था। इस िीच उसकी काँफी खतम हो चुकी थी और उसने कप सेंटर टेिुल पर कटका कदये थे। अि वो
सोच रहा था कक श्रेया को काँल करें, नहीं-नहीं अभी काँल करना उकचत नहीं होगा। वो अभी सो रही होगी,
साथ ही िेिी िंप भी तो है, ऐसे में इस वि उसे परेशान करना उकचत नहीं होगा। लेककन नहीं, वो िात तो
करक
े ही रहेगा, आप्तखर वो उसकी धमण पत्नी है। साथ ही शाम से उसने एक िार भी तो श्रेया को फोन नहीं
ककया है, परेशान हो रही होगी। श्रेया ने शाम से ही उसे तीन-चार िार फोन काँल ककया था, लेककन आज वो
इस तरह से उलझा कक उसक
े फोन काँल काटने पड़े।
राजन ने मन ही मन सोचा कक श्रेया क
े साथ उसका िात कर लेना ही अच्छा रहेगा। इसकलये उसने मोिाइल
कनकाले और समय देखा, रात क
े दो िज चुक
े थे। एक िार कफर से उसक
े हृदय ने कहा कक इस समय िात
करना ठीक नहीं रहेगा। लेककन मन तो मन ही होता है, हृदय की िातों को कहां मानता है। राजन ने श्रेया को
काँल लगा कदया। घंटी िजने लगी, एक या दो ही रींग िजे होंगे कक काँल उठ गया। उधर से उनींदी आवाज
आई, उसक
े िाद तो राजन श्रेया से िात करने लगा। िहत देर तक इधर-उधर की िातें करता रहा। लेककन
उसका कहम्मत नहीं हआ कक वो वह िात करें, कजसक
े कलये फोन ककया है।
क
ु ि देर तक िातें करता रहा, लेककन वो समझ चुका था कक श्रेया नींद से िोकझल है और ज्यादा देर तक उसे
परेशान करना ठीक नहीं। इसकलये उसने फोन कडस्कनेक्ट कर कदया और कफर से सोने की कोकशश करने लगा।
लेककन आज तो ऐसा लग रहा था कक नींद उससे रूठ गई थी। वो तो आज नींद की आराधना कर रहा था,
लेककन वो उससे दू र-दू र भागती जा रही थी। वो िस रोकनत क
े तकलीफ क
े व्यूह में ही उलझा हआ था। शायद
यही कारर् भी था कक आज उसक
े आँखों से नींद दू र-दू र भाग रही थी। वह रोकनत नाम क
े सवाल में उलझ
कर रह गया था। िार-िार उसक
े आँखों क
े सामने रोकनत का मासूम चेहरा उभर आता था।
उसकी और रोकनत की दोस्ती काँलेज में कमसाल हो चुकी थी। वैसे तो वो रोकनत का सीकनयर था , लेककन
पररप्तथथकत ऐसी िनी कक उसका और रोकनत का दोस्ती हो गया। काँलेज क
े कदनों में पूरे काँलेज में राजन का
दिदिा था। काँलेज में ककसी की कहम्मत नहीं थी कक सीधे मुंह उससे टक्कर ले सक
े । जिकक रोकनत ने जि
काँलेज में प्रवेश ककया, तो किल्क
ु ल शमीले स्वभाव का था। संकोची और शांत, ऐसे में डरे सहमें रोकनत को
उसने रैकगंग से िचाया था। सोचते-सोचते रोकनत िीते कदनों में खो गया।
**********
सुिह क
े दस िजे थे, काँलेज क
ैं पस में काफी हलचल थी।
क
े . आर. नारायर्न काँलेज एण्ड इंप्तस्टट्यूट, काफी फ
े मस नाम था। यहां कदल्ली ही नहीं िप्तल्क देश क
े कवकभन्न
भागों से अभ्याथी पढाई करने आते थे। कदन क
े दस िजते ही काँलेज का क
ैं पस गुलजार हो गया था, िात्र-
िात्राएँ आपस में गुट िना कर िातें करने में तल्लीन थे। इसी समय काँलेज क
े गेट से राजन ने अपनी नई
िूलेट पर िैठ कर प्रवेश ककया। आकषणक चेहरा और रुआिदार शरीर, पूरे काँलेज में उसक
े नाम का दिदिा
था, ककसी कक कहम्मत ही नहीं होती थी कक उससे आकर उलझे। वैसे राजन की प्रक
ृ कत अलग प्रकार की थी,
वो ककसी से यूं ही उलझना पसंद नहीं करता था, साथ ही दोस्तों क
े कलये वो राजा क
े समान था। काँलेज क
े
िँ टे हए लड़कों से उसकी दोस्ती थी, इसी कारर् जि उसकी िूलेट गेट से अंदर हई, लड़कों की झुंड उसकी
ओर लपक पड़ी।
राजन ने अपनी िाईक-िाईक स्टैण्ड में लगाया और किप्तडंग की ओर िढा, ति तक सभी लड़क
े उसक
े पास
पहंच चुक
े थे। उसने मुस्करा कर सभी लड़कों को हैल्लो ककया, जिाव में सभी लड़क
े एक साथ िोल पड़े।
कजससे तेज शोर काँलेज क
ैं पस में गूंज उठा, लेककन उस ओर ककसी ने ध्यान नहीं कदया। सभी को पता था कक
राजन क
े सभी दोस्त अवारा टाइप क
े है, ऐसे में यह शोर तो रोज ही होता है। राजन खुद भी कभी-कभी
अपने इस फ्र
ें ण्ड मंडली से परेशान हो जाता था। लेककन वो अच्छी तरह से जानता था कक इस कवषय में क
ु ि
भी नहीं कर सकता। कभी-कभी तो अपने इन कमत्र मंडली क
े कारर् उसे प्रोफ
े सर साहि क
े कोप का भाजन
भी िनना परता था, लेककन वो इन सि को इग्नोर करक
े चलता था।
आज भी इशारे से उसने सभी को शांत होने का कनदेश कदया और स्टडी रूम की ओर िढा। कहते है न कक
भेड़ों में यह कनयम होता है कक कजधर उनका मुप्तखया जाएगा, सभी उधर को ही जाएं गे, चाहे क
ु आँ में ही क्यों
नहीं गीर जाए। राजन क
े दोस्त भी वैसे ही थे, जैसे ही राजन स्टडी रूम की ओर िढा, सभी उसक
े साथ हो
कलये। चलते-चलते राजन कठठक गया, उसकी नजर दू र पेड़ क
े नीचे गई, जहां क
ु ि लड़क
े एक लड़क
े को
परेशान कर रहे थे। राजन समझ गया कक वो लड़का शायद काँलेज में नया है और उसक
े सीकनयर उसका
रैकगंग कर रहे है। राजन की दोस्ती भले ही क
ै सी भी हो, वो स्वभाव से अलग था। उसने अपने साथ क
े लड़कों
पर नजर डाली, उसकी कमत्र मंडली समझ गई कक आप्तखर वो चाहता क्या है। िस तीन-चार लड़क
े उस पेड़
की ओर िढे, उन्हें अपनी ओर आता देख सभी िदमाश िात्र भाग गये। ति उन लोगों ने उस नये लड़क
े को
लाकर राजन क
े सामने खड़ा कर कदया।
राजन ने एक नजर उसक
े पूरे शरीर पर डाली, उसे अंदाजा हो गया था कक अमीर घराने का लड़का है। साथ
ही उसने महसूस ककया कक शायद वो डरा और घिराया हआ भी है। राजन ने सिसे पहले पानी मंगवा कर
उसे कपलाया और जि वो शांत हआ, ति धीरे से पूिा।
कौन हो तुम? और तुम्हें वे लोग घेरे हए क्यों थे? राजन क
े प्रश्न सुन कर उस लड़क
े क
े सुन्दर चेहरे पर
असमंजस क
े भाव उभड़े। ति तक राजन ने उसे एक िार कफर गौर से देखा। गठा हआ कसरती शरीर, तीखे
नैन-नक्श, गोरा रंग उसपर महंगे कलिास। राजन को अपनी ओर देखता पाकर वो हकिका कर िोला।
मेरा नाम रोकनत सहाय है और मैं किजनेस मैन अकनरुद्ध सहाय का लड़का हं। वे लड़क
े मुझे परेशान कर रहे
थे, क्योंकक काँलेज में मेरा पहला कदन है न। वैसे आप यह सि क्यों पुि रहे हो? उसकी िातें सुन कर राजन
मुस्कराया, वो समझ चुका था कक रोकनत नाम का लड़का सच में ही मासूम है और उसे भी रैकगंग करने िाला
ही समझ रहा है। थोरी देर तक मुस्कराने क
े िाद रोकनत की तरफ देखा और गंभीर होकर िोला।
कमस्टर रोकनत! अि घिराने की जरूरत नहीं है, तुम जैसा सोच रहे हो, वैसे हम लोग नहीं है। वैसे तुम्हारी
जानकारी क
े कलये िता दूं कक मैं राजन सारस्वत हं और अि तुम िेकफि होकर अपने क्लास में जाओ। साथ ही
जि तुम्हें कोई परेशान करें तो मेरा नाम िोल देना। िोलने क
े िाद राजन वहां रुका नहीं और स्टडी रूम की
ओर िढ गया। िस कफर क्या था, सारे लड़कों ने उसका अनुसरर् ककया।
जिकक रोकनत वहीं खड़ा रहा, िहत देर तक लह राजन को स्टडी रूम ओर जाते देखता रहा। कफर वह पाकक
िं ग
की ओर िढा और एक िेंच पर िैठ गया। समय धीरे-धीरे आगे की ओर िढता रहा। समय क
े िढने क
े साथ
ही सूयण देव आसमान की ओर चढने लगे। लेककन मानों कक रोकनत को कहीं जाने की जल्दी नहीं थी। उसने
अपना मोिाइल कनकाल कलया था और उस पर गेम खेलने लगा। समय आगे िढते-िढते दोपहर हो गई, लेककन
रोकनत अपनी जगह से कहला भी नहीं।
कदन क
े तीन िज चुक
े थे, तभी उसकी नजर स्टडी रूम की ओर पड़ी, देखा तो राजन अपने ग्रुप क
े साथ
कनकल रहा था। िस रोकनत अपनी जगह से उठा और राजन की ओर लपका। इस वि उसमें गजि की फ
ु ती
कदख रही थी। िस कफर क्या था, वो दो फलांग में ही राजन क
े सामने पहंच गया। स्टडी रूम से कनकलते
राजन की नजर उस पर पड़ी, उसे सामने देख कर वो चौंका और प्रश्न भरी कनगाहों से उसे देखा। जिकक उसे
अपनी ओर ऐसे देखता पाकर रोकनत किना लाग-लपेट क
े िोला।
आप मुझसे दोस्ती करोगे? उसकी िातें सुनकर राजन एक पल को भौचक्का रह गया। उसे एक पल तो समझ
ही नहीं आया कक वह लड़का ऐसा क्यों िोल रहा है। कफर वो क
ु ि पल िाद िोला।
लेककन तुम मुझसे दोस्ती क्यों करना चाहते हो? हमारे सोहित क
े लड़क
े अच्छे नहीं है, कफर तुम्हें ऐसा क्या
कदखा कक मुझसे दोस्ती करना चाहते हो। कफर मैं तो तुम्हारा सीकनयर भी हं। राजन की िातें सुनकर रोकनत एक
पल मौन होकर सोचता रहा, कफर मुस्करा कर िोला।
लोग चाहे जो िोले आपक
े सोहित को, परन्तु आप एक अच्छे इंसान हो। ऐसे में आपसे दोस्ती करना फायदेमंद
है। वैसे भी आपने मुझ अंजान को किना जाने ही सुरक्षा दी, यह क्या कम है। आपसे दोस्ती करने क
े कलये मैं
तैयार हं, अि आप को क्या करना है। िोलने क
े िाद रोकनत ने अपना दायाँ हाथ गमणजोशी क
े साथ आगे
िढाया।
एक पल को तो राजन हक्का-िक्का रह गया। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कक उस लड़क
े को क्या उत्तर
दे। उसका कदमाग िोल रहा था कक अमीर घर का लड़का है, उससे दू र ही रहना चाकहये। लेककन कदल िोल
रहा था कक वो अमीर है तो क्या है, मैं कौन सा गरीि हं। वैसे लड़का अच्छे संस्कारों िाला है, तो दोस्ती
करने में हजण ही क्या है। िस उसने मन ही मन फ
ै सला कर कलया और मुस्करा कर हाथ आगे िढाया और
रोकनत क
े हाथों को थाम कलया, कफर मुस्करा कर िोला।
लेककन हमारे ग्रुप का कनयम है, शाम को हम लोग कवयर वार कनयकमत जाते है,तो दोस्त िनोगे तो जाना परेगा।
राजन की िातें सुनकर रोकनत ने सहमकत में कसर को जूम्बीस दी, िोला नहीं।
इसक
े िाद रोकनत भी उस झुंड में शाकमल हो गया। उस ग्रुप क
े सभी लड़क
े नये मेंिर जुड़ने से काफी खुश
थे। उन्हें मालूम था कक लड़का अमीर घराना का है,तो फायदा ही होगा। वैसे भी तो वे लोग राजन क
े पीिे
इसकलये ही लगे रहते थे। इसक
े िाद वे लोग काँलेज क
ैं पस में घूमते रहे, समय अपनी गकत से घूमता रहा। इस
िीच राजन रोकनत से उसक
े पररवार क
े िारे में पुिता रहा और रोकनत सहषण ितलाता रहा।
********
शाम हो चुकी थी, राजन काँलेज से अपने िंगले पर आकर तैयार हो रहा था। राजन वैसे तो कदल्ली में अक
े ला
ही रहता था, उसक
े कपताजी आमी में कनणल थे। इसकलये उन्होंने राजन को कदल्ली में िंगला खरीद कर कदया
हआ था। पैसे की कोई कमी थी नहीं, इसकलये राजन आजाद कजन्दगी जीता था। आज भी वो कवयर वार जाने
क
े कलये तैयार हो रहा था। लेककन आज एक तिदीली हई थी और वह यह कक रोकनत उसक
े साथ ही उसक
े
िंगले पर आ गया था। राजन ने तैयार होते हए अपनी कलाई घङी पर नजर डाली, जो शाम क
े ि: िजने
की उद् घोषर्ा कर रहा था। िाहर हल्का धूंधलका कघरने लगा था, ऐसे में राजन को कचन्ता हई। उसने रोकनत
की ओर देख कर पुिा।
क्या रोकनत! तुम लेट से घर आओगे, इसकी जानकारी घर पर कदए हो कक नहीं। उसकी िातें सुनकर रोकनत ने
सहमकत में कसर को कहलाया, िोला क
ु ि भी नहीं।
ऐसे में राजन ने उसकी ओर गौर से देखा, तो पाया कक वो तो लीकवंग रूम में सोफ
े पर िैठा हआ मोिाइल में
गेम खेल रहा था। उसक
े इस हरकत पर राजन को िहत खीज हई, लेककन तभी उसक
े फ्र
ें ण्ड मंडली ने कमरे
में कदम रखा। उन लोगों को आया देख कर राजन ने अपने गुस्से को दिा कलया। कफर वे लोग िाहर कनकले,
राजन ने िाहर कनकलते ही िंगले को लाँक ककया। कफर सभी रोकनत की कार में ठ
ूं स कर भर गये। वे क
ु ल
ग्यारह हो रहे थे और इनोवा में आठ क
े ही िैठने की जगह होती है। उन लोगों क
े हरकत पर रोकनत
मुस्कराया, कफर ड
र ाइकवंग शीट पर िैठ कर कार श्टाटण की और सड़क पर दौड़ा कदया।
वो कार चला रहा था, जिकक राजन उसे इंकडक
े ट कर रहा था। िाकी क
े धमाल मस्ती कर रहे थे। ऐसे में
रोकनत ने कहमेश रेशकमया का गाना लगा कदया और कार को फ
ू ल स्पीड में दौड़ाने लगा। िाकी क
े लड़कों का
तो यह रोज का ही काम था, लेककन रोकनत रोमांच महसूस कर रहा था। उसक
े कलये यह सि क
ु ि नया-नया
था, एकदम अलग से और रोमांच कारी। उसक
े कई दोस्त थे, लेककन वह कजस सोसाइटी में रहता था, वहां
कोई ककसी से इतना खुला हआ नहीं था। रोकनत अपने मन में इन्हीं िातों को सोचता जा रहा था, तभी राजन
ने उसे रुकने का इशारा ककया।
रोकनत का ध्यान भंग हआ, उसने तेजी से ब्रेक लगाये और जि िाहर देखा, तो चौंक उठा, कारर् सूनसान
इलाका था। जिकक कार रुकते ही सभी लड़क
े फटाफट उतर गये। ति राजन ने उसे कार को पाकक
िं ग में
लगाने का इशारा ककया। िस कफर क्या था, रोकनत ने कार आगे िढा कर पाक
ण की और उतर कर दरवाजा
लाँक ककया। उधर उससे पहले राजन उतर चुका था, रोकनत ने कार से उतरते ही देखा कक वह िहत ही सुन्दर
जगह पर खड़ा है और उसक
े आगे एक किप्तडंग है। रोकनत की नजर जि किप्तडंग पर गई तो चौंक उठा। वह
कवशाल इमारत था, जो काफी क्षेत्रफल में फ
ै ला हआ था। साथ ही उसपर एक िोडण लटका था, कजसपर कलखा
था “मधुशाला" साथ ही उसे दुल्हन की तरह सजाया गया था।
रोकनत अचंकभत सा मधुशाला को देखता रहा, वह आश्चयण कर रहा था। वैसे तो वो ककतनी ही िार कवयर वार जा
चुका था। लेककन उसने ऐसी भव्यता ककसी कवयर वार की नहीं देखी थी। आस-पास का इलाका वैसे तो अंधेरे में
ड
ू िा था, क्योंकक जहां मधुशाला कवयर वार था, वहां काफी वीराना था। रोकनत आश्चयण भरी नजरों से मधुशाला
कवयर वार को देख रहा था, तभी राजन ने उसका हाथ पकड़ कर आगे िढा। िस रोकनत की तंद्रा भंग हो
गई, उसे लगा कक वो अभी स्वप्न लोक में आया हो। तंद्रा टू टने पर उसने देखा कक िाकी लड़क
े कवयर वार क
े
अंदर जा चुक
े थे। शायद इसकलये ही राजन उसे तेज चलने का इशारा कर रहा था।
कफर वे दोनों आगे िढे और गेट से हाँल क
े अंदर प्रवेश कर गये। कवशाल हाँल, जहां पर नीली रोशनी किखरी
हई थी। चारों तरफ टेिुल और क
ु कसणयां सजी हई थी, जहां िैठ कर िहत से लोग जाम का मजा ले रहे थे।
रोकनत ने चारों तरफ नजर फ
े र कर देखा, तो उसे समझ आया कक वहां पर अकधकांश युवा ही थे, जो अमीर
घर से ताल्लुक रखते थे। रोकनत को ऐसे आश्चयण चककत होकर हाँल को देखता पाकर राजन मुस्कराया और
उसका हाथ पकड़ कर आगे हाँल क
े कोने में िढा। जहां उसका ग्रुप मेंिर पहले ही एक टेिुल पर कब्जा जमा
चुक
े थे। इस वि हाँल में पाँप म्यूकजक िज रही थी, साथ ही स्टेज पर वार िालाएं अल्लहड़ डांस कर रही
थी।
जि तक वे दोनों टेिुल क
े पास पहंचते, उसमें से एक लड़का जो महेश था, जोश में िोला। राजन भाई, मैंने
सारा आँडर दे कदया है, आज पाटी मेरी तरफ से। क्योंकक आज रोकनत हमारे ग्रुप में शाकमल हआ। उसकी िातें
सुन कर राजन और रोकनत क
े चेहरे पर मुस्कान उभर आई। वे दोनों जि तक क
ु सी पर िैठते, वेटर आँडर
सवण कर चुका था। िस कफर क्या था, वे लोग जाम िनाने और पीने पर टू ट पड़े। लेककन राजन ने रोकनत को
समझा कदया, कक वो कसफ
ण कवयर ही पीये।
जैसे-जैसे उन लोगों क
े हलक में जाम जा रही थी, वे लोग मस्ती में आते जा रहे थे। जिकक रोकनत कवयर की
चुस्की ले रहा था और आश्चयण से वहां क
े माहौल को देखता जा रहा था। उसे यहां पर आकर स्वप्न लोक की
अनुभूकत हो रही थी। इससे पहले न तो उसने ऐसा कवयर वार देखा था और न ही ऐसा फ्र
ें ण्ड ग्रुप। आज तो
सि क
ु ि अजीि था, अद् भुत सा लग रहा था उसे आज तो। िार-िार उसकी नजर स्टेज की ओर जाती थी,
जहां वार िालाएं अल्लहड़ डांस कर रही थी। उसका जी चाह रहा था कक वो भी स्टेज पर चढ कर उन वार
िाला क
े साथ जम कर कथरक
े । लेककन उसे डर लग रहा था कक कहीं राजन उसकी िातों का िुरा न मान
जाए।
इस िीच उसने राजन की नजर िचा कर अपने प्याले में प्तिस्की उड़ेल ली थी और धीरे-धीरे चुस्की रहा था।
इसी िीच राजन की नजर उस पर पड़ी और वो उसक
े मनोभाव को समझ गया। रोकनत का मनोभाव समझ कर
उसक
े होंठों पर प्यारी सी मुस्कान कथरक उठी। िस कफर क्या था, वह अपनी शीट से उठा और रोकनत का
हाथ पकड़ कर उठाया, कफर स्टेज की ओर िढ गया। उन दोनों को स्टेज की ओर िढता देखकर िाकी क
े
लड़क
े हरे मचाने लगे। उसक
े िाद तो रोकनत और राजन ने वार िालाओं क
े साथ जमकर गजि का डांस ककया।
उन दोनों क
े डांस पर हाँल में से मोर अगेइन- मोर अगेइन क
े शोर उठने लगे।
िहत देर तक उन दोनों ने वार िालाओं क
े साथ डांस ककया। इसक
े िाद जि थकावट महसूस की, तो अपनी
शीट पर आकर िैठ गये। कफर तो इसक
े िाद कफर से पीने-कपलाने का दौर शुरू हो गया। हाँल में तो मदहोशी
फ
ै ल ही चुकी थी, उन लोगों पर भी मदहोशी िाने लगी थी। ऐसे में वे लोग अपनी-अपनी शीट से उठे और
िाहर की ओर कनकलने क
े कलये िढ चले। जिकक महेश नाम का लड़का िील पेय करने क
े कलये क
ै श काउंटर
की ओर िढ चला।
********
दो महीने िीत चुक
े थे, इस दरकमयान रोकनत और राजन क
े िीच घकनष्ठता िढ चुकी थी। अि तो अकसर ही
दोनों साथ-साथ होते थे। ज्यादातर साथ-साथ ही खाना भी खाते थे। राजन को इतना तो समझ आ चुका था कक
रोकनत िहत ही अच्छा लड़का है। उसका व्यवहार अच्छा है और घमंड तो उसमें लेशमात्र भी नहीं। इस
दरकमयान राजन ककतनी ही िार रोकनत क
े घर जा चुका था, जहां उसे भरपूर सम्मान और प्यार कमलता था।
उसे कभी भी महसूस नहीं होता था कक उन लोगों क
े अंदर ईगो जैसा क
ु ि भी हो। सिक
ु ि मजे से चल रहा
था, रोज काँलेज की पढाई और शाम को मधुशाला कवयर-वार में फ
ू ल मस्ती। अि तो रोकनत खुल चुका था, वो
काफी िोड हो चुका था, पहले जैसा शमीला तो वो किल्क
ु ल भी नहीं रहा था। अि तो वो राजन क
े साथ िैठ
कर जी भर कर जाम िलकाता था, पहले-पहल तो राजन को यह अजीि सा लगता था। वो नहीं चाहता था
कक रोकनत को शराि की लत लगे, लेककन धीरे-धीरे वह उसे टोकना िंद कर कदया था। वह समझता था कक
अमीर घर का लड़का है, मौज कर रहा है। कजस कदन कजम्मेदारी िढेगा, सि भूल जाएगा।
लेककन इसी िीच कनणल साहि ने उसक
े शादी की िात चला दी। वैसे तो राजन अभी शादी-ब्याह क
े कलये
किल्क
ु ल नहीं तैयार था। अभी तो वो मात्र इक्कीस शाल का हआ था। अभी तो उसने ठीक से दुकनया को समझा
भी नहीं था। अभी तो उसक
े खेलने खाने क
े कदन थे और वो इस समय को फ
ु ल एं ज्वाय करना चाहता था।
लेककन उसक
े कपता ने नाक पर मक्खी िैठने नहीं दी और राजन को झुकना पड़ा । वह जानता था कक उसक
े
कपता ररटायडण कमकलटरी आँकफसर है, अगर उसने ज्यादा ना-नुक
ु र की, तो उसक
े जेि पर असर परेगा। वह यही
तो नहीं चाहता था, उसक
े सारे मौज-शौक कपता क
े द्वारा ही पूरा ककए जा रहे थे। इसकलये उसने तनने की
िजाये झुक जाने में ही भलाई समझी।
राजन अि तक नहीं जानता था कक उसकी शादी ककसक
े साथ होने िाली है। वह थोरा भयभीत भी था, उसक
े
कपता ने कजस लड़की को पसंद ककया है, उसे पसंद नहीं आया तो। यह प्रश्न उसे उलझा रहा था, ति रोकनत
ने ही उसे कदलाशा कदया था और लड़की देखने भी वही साथ गया था। श्रेया, सुन्दर और चुलिुली लड़की, एक
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मधुशाला-प्रेम और अपराध का सनसनीखेज दास्तान

  • 1. मधुशाला नाम इस कहानी का रखने का उद्देश्य हैं। यह वस्तुतः प्रेम कहानी हैं, जो मधुशाला से शुरु होती हैं। लेककन अंजाम तक पहंचने से पहले ही प्रेम टू ट कर किखर जाता हैं। एक तरह से अगर कहा जाए कक” यह लव स्टोरी होते हए भी अपने-आप में सस्पेंस और थ्रील किपाए हए हैं, जो आधुकनकता क े इस दौर में भी सामाकजक और पाररवाररक मूल्ों की अनुभूकत करा दे। मदन मोहन” मैत्रेय भूकमका- इस कहानी मधुशाला” को कलखने का मात्र उद्देश्य हैं कक” आज क े दौर में, जि कहाकनयों की भरमार हो गई हैं और पाठक क े मन में उिाऊ पन की भावना ने ग्रकसत कर कलया हैं, ऐसे में उन्हें क ु ि अलग रोचकता से पररपूर्ण सामग्री उपलब्ध करवाए। कजससे पाठकों को अलग अनुभूकत हो और उनक े कजज्ञासु मन को संतुकि कमले, उन्हें तृप्ति का एहसास हो। एक साफ-सुथरी सामाकजक कहानी मधुशाला” जो प्रेम क े इदणकगदण ही िुनी गई हैं और पररप्तथथकत ऐसा ही िनता गया हैं कक” अपने-आप ही इस कहानी में सस्पेंस किएट होता चला गया हैं। रोकनत’ जो कक” सभ्य और समृद्ध पररवार का लड़का हैं। उसकी अपनी कमत्र मंडली हैं और वह इन कमत्र मंडली क े साथ खुश हैं। वह और उसका कमत्र मंडली मधुशाला नाम क े कवयर-िार में रोज ही जाते हैं और इसी िम में इस कहानी का जन्म होता हैं, कजसक े साथ ही सस्पेंस किएट होने लगता हैं। मैंने भरसक प्रयास ककया हैं कक” इस दौर में, जि कहाकनयों की भरमार हैं, पाठक को क ु ि अलग अनुभूकत करवाई जाए। उनक े सामने ऐसी सामग्री परोसी जाए, जो उनक े मन:मप्तस्तष्क पर अंककत हो जाए। उन्हें पुस्तक क े साथ किताए गए पल साथणक लगे। उन्होंने जो अपना कीमती समय पुस्तक को कदया हैं, वह व्यथण ही जाया नहीं चला जाए। धन्यवाद मदन मोहन” मैत्रेय कहते है न, प्रेम का कोई प्रतीकात्मक स्वरूप नहीं होता। यह अकत सूक्ष्म है,तो वृहत कवशाल भी। यह आकार लेता हआ थथूल स्वरूप नहीं है, लेककन गकतवान है। यह तीव्र गकत से कवचरर् करता है, अनंत आकाश की ओर। शायद यही प्रेम का स्वरूप नहीं होते हए भी स्वरूप सा है। तभी तो दुकनया का हरेक इंसान इसक े पीिे भागता है, इसे समझ जाना चाहता है। दुकनया में अनेको क्षेत्र है, जो देश की सीमाओं से िंधा हआ है। लेककन प्रेम तो वही का वही है, न इसक े रंग में अंतर है और न ही स्वभाव में। हरेक देश की सीमाएँ िदलते ही भाषा िदल जाती है, संस्क ृ कत िदल जाते है, लेककन नहीं िदलता है तो वो है प्रेम। इसकी पररभाषाएँ , इसकी भाव-भंकगमाएँ नहीं िदलती, मानो यह देशों क े सीमाओं का िंधन मानती ही नहीं हो। तभी तो अप्तखल कवश्व में, जड़ और चेतन में सामान्य रूप से इसका साम्राज्य फ ै ला हआ है। रोकनत भी तो प्रेम पास में कभी जकड़ा जा चुका था, लेककन आज उसक े पास कहने को ज्यादा क ु ि नहीं था। करीि िाईस शाल का रोकनत स्वभाव से काफी कमलन सार था। ककसी क े भी सुख और दुख में शाकमल हो
  • 2. जाना, ककसी क े साथ भी भेदभाव नहीं करना। आकषणक व्यप्तित्व का स्वामी रोकनत हंसमुख स्वभाव का था। लेककन हंसते चेहरे क े पीिे एक अजीि सा ददण किपा था, कजसक े कवष िुझे कांटे उसे क ु रेद-क ु रेद कर खाए जा रहे थे। इस वि वो हाजी अली गली में चक्कर लगा रहा था। अि ऐसा भी सोचना कक वो नक्कारा था, किल्क ु ल गलत था। उसक े कपताजी शहर क े नामी किजनेस मैन थे। उनकी खुद की चार शो रूम चलती थी। लेककन रोकनत शाम होते ही शो रूम से कनकल कर इन गकलयों में आ जाता था। कक शायद उसका कोई कजगरी दोस्त कमल जाए और वे दोनों मधुशाला में जाकर जाम से जाम टकरा सक े । उसकी खोजी नजर चारों तरफ ढूंढ रही थी कक कोई तो कमल जाए, कजसक े साथ वह िैठ कर अपनी शाम रंगीन कर सक े । उसकी कार उस गली से िाहर सड़क ककनारे खड़ी थी और वो अपने ककसी साथी को ढूंढ रहा था। अमूमन जैसा होता है, शाम होते ही उस गली में आने-जाने िाले की भीड़ िढ जाती है, लेककन उसे इस सिसे कोई मतलि नहीं था, उसे तो िस अपने पुराने साकथयों का इंतजार था। वैसे तो शहर में साथ िैठ कर जाम से जाम टकराने िालों की कमी न थी। परन्तु वो हर ककसी क े साथ िैठ तो नहीं सकता था। समय रफ्ता- रफ्ता आगे की ओर िढ रहा था,तभी उसक े किल्लौरी आँखों में चमक उभरी। कारर् उसका दोस्त राजन आता कदखा, वैसे तो उसक े िहत से दोस्त थे, लेककन कजस तरह की क ै मेस्टर ी उसकी राजन क े साथ जमती थी औरो क े साथ तो किल्क ु ल भी नहीं जमती थी। उसे याद है कक जि वो अठारह शाल का था, काँलेज में उसका पहला कदन था। वो िौखलाया हआ था, डरा हआ था, ऐसे में राजन ने उसका कहम्मत िढाया था। रोकनत सोच ही रहा था, तभी राजन उसक े करीि आया और उसक े आँखों में झांकता हआ मुस्करा कर िोला। क्या यार रोकनत! अमा यार, कहां खोया हआ है या कफर मुझे देख कर अंजान िनने की कोकशश कर रहा है। राजन ने िोलने क े साथ ही उसक े पीठ पर धौल जमाई। कजससे उसकी तंद्रा टू टी और वो अकिका कर िोला। नहीं यार राजन! ऐसी िात किल्क ु ल भी नहीं है। तुम्हें देखा तो पुराने कदनों की यादें ताजा हो गई । वैसे तू कमल ही गया है तो चल मधुशाला, वहां चल कर दो-दो जाम िलकाते है और साथ ही ढेरों िातें करेंगे। रोकनत की िातें सुनकर राजन मुस्कराया, कफर उसक े आँखों में देखते हए कफर से एक धौल जमा कर िोला। वही मधुशाला न, जो अपन दोस्तों क े िीच काफी फ े मस थी। राजन की िातें सुन कर रोकनत धीरे से मुस्कराया, कफर उसने राजन से चलने का इशारा ककया। कफर वे दोनों चलते हए गली से िाहर आए, इस िीच दोनों में इधर-उधर की िातें होती रही। िातों-िातों में ही कि वे कार क े पास पहंच गए, उन्हें पता ही नहीं चला। नई चमचमाती इनोवा कार, कजसे देख कर राजन मुस्कराया। वो जानता था कक रोकनत को महंगे गाकड़यों का शौक है। जिकक रोकनत ने ड र ाइकवंग साइड का गेट खोला और कार में िैठ गया,कफर हानण िजाया। कजससे राजन की तंद्रा टू टी और वो मुस्कराता हआ कार में िैठ गया। उसक े िैठते ही रोकनत ने कार श्टाटण की और सड़क पर दौड़ा कदया। कार श्टाटण होते ही सड़क पर कफसलती चली गई। इस िीच दोनों क े दरम्यान अलक-मलक की िातें होती रही। दोनों ही एक अरसे िाद कमले थे,ऐसे में स्वाभाकवक ही था कक वे एक दू सरे क े िारे में जानने को उत्सुक थे। कफर गहरी कमत्रता, सिसे पहले राजन ने ही उसे िताया कक वो काँलेज से कनकला,तो उसने आमी ज्वाइन कर ली,उसक े िाद स्नेहा से शादी और ठहराव। अि वो िहत खुश है अपनी कजन्दगी से,िोलने क े िाद राजन ने रोकनत की तरफ देखा,मानो पुि रहा हो कक तुमने क्या ककया। रोकनत अपनी जिान खोलने ही िाला था कक तभी गाड़ी क े ब्रेक लगे। राजन ने चौंक कर शीशा से िाहर देखा,तो उसकी कार मधुशाला कवयर वार क े सामने खड़ी थी। किल्क ु ल वैसा का वैसा ही अकडग खड़ा था मधुशाला कवयर-वार, क ु ि भी तो नहीं िदला था। आज भी उसकी भव्यता िरकरार थी। शाम होते ही दुल्हन की तरह सज-संवर कर जगमगा रही थी। हां इतना तिदीली जरूर हआ था कक जि वो दो शाल पहले गया था,तो मधुशाला अक े ली थी,लेककन आज उसक े चारों तरफ िहमंकजला इमारत िन चुक े थे।
  • 3. ******** रोकनत और राजन कार से िाहर कनकले और िाहर आकर उन्होंने शरीर को सीधा ककया। तभी उनक े करीि एक कसक्युररटी गाडण आया, शायद वो पाकक िं ग का काम देखता था। उसको नजदीक आते ही रोकनत ने कार की चािी उसे थमा दी और एक नजर उठा कर मधुशाला की ओर देखा, मानों हसरत भरी आँखों से उसे समझ जाना चाहता हो। काँलेज क े कदनों में यह कवयर वार उन दोस्तों क े कलए खास हआ करता था। खास कर क े रोकनत क े कलये। उसे याद है कक जि वो पहली िार मधुशाला आया था, तो क ु ि कझझक सी थी मन में। लेककन दुल्हन सी सजी मधुशाला ने उसक े मन की वो सारी कझझक दू र कर दी थी। यूं तो वो मकदरालय थी, जहां पर अमीर-गरीि क े फक ण को नहीं समझा जाता था। जाम िलकने को तो सभी पैमाने से एक ही समान िलकते थे। लेककन मधुशाला की खूिसूरती इस प्रकार की थी न कक युवा ज्यादा ही आककषणत होते थे। शायद इस कवयर वार क े नाम में ही ऐसा जादू था, तभी तो इसक े माकलकों ने इसका नाम चुन कर रखा था। अमा यार! तू ककस दुकनया में खो गया। राजन रोकनत को झकझोर कर िोला। राजन क े झकझोरने पर रोकनत की तंद्रा टू टी, तो चौंक कर िोला। नहीं यार! क ु ि नहीं, िस िीते कदनों की िात याद आ गई थी। रोकनत की िातें सुन कर राजन मुस्कराया, कफर धीरे से िोला। तो क्या ख्यालों की ही दुकनया में खोया रहेगा, या कफर अंदर भी चलेगा। क्यों नहीं-क्यों नहीं, अभी चलो अंदर। रोकनत संभल कर िोला, कफर वे दोनों मधुशाला क े गेट क े अंदर प्रवेश कर गये। अमूमन शाम क े वि उस रोड पर आना-जाना न क े िरािर होती थी। उस सड़क पर वे लोग ही ज्यादा नजर आते थे, कजन्हें मधुशाला से सरोकार होता था। कफर तो शाम ढल कर रात का शक्ल लेने लगी थी। रोकनत और राजन ने जि हाँल में कदम रखा, तो वहां भीड़ क े कारर् काफी गकदणश थी। वहां क े हालात देख कर राजन का कदमाग चक्कर खाने लगा, लेककन रोकनत ने उसका हाथ पकड़ा और कोने की टेिुल की ओर िढा। कजसपर कक ररजवण का िोडण रखा हआ था। वे दोनों जि टेिुल क े करीि पहंचे, ति तक वेटर रघुवीर उनक े पास पहंच गया। जिकक राजन का अंतरमन तो कहीं और खोया हआ था। वो सोच रहा था कक यह कवयर वार किल्क ु ल भी नहीं िदला था। यह वैसे का वैसा ही था, नूतन िनकर पुरातनता समेटे हए। वही तेज पाँप म्यूकजक की तेज धून, उस धून पर कथरकती वार िालाएं और तेज रोशनी से चकाचौंध हाँल। कहीं कोई िदलाव नहीं आया था, िप्तल्क यूं कहा जाए तो अकधक िढ गई थी। हां हाँल में तेज पाँप म्यूकजक िज रहा था, साथ ही वार िालाएं भद्दे डांस कर रही थी। या यूं मानों कक अपने क ू ल्हे िेढंगे तरीक े से मटका रही थी। हां यह जरूर यहां िढ गया था कक वहां हाँल में िलकते जाम क े साथ ही चरस का धुआँ भी फ ै लने लगा था, जो वहां क े वातावरर् को रहस्यमय िना रहा था। राजन एवं रोकनत ने क ु सी संभाल ली, ति तक वेटर उनक े करीि पहंच चुका था। उसे अपने पास आया देख कर रोकनत ने दो िोतल प्तिस्की और स्पेसल नमकीन की कडश का आँडर कदया। आँडर लेकर वेटर चला गया, ति रोकनत राजन क े आँखों में एकटक देखने लगा। उसे यूं एकटक देखता पाकर राजन हकिका गया। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कक रोकनत उसे इस प्रकार से क्यों देख रहा है। इतना तो वो जानता था कक रोकनत ऐसे ही नहीं उसे देख रहा, जरूर कोई न कोई िात है। लेककन क्या! इसी में राजन उलझ गया। उसे उलझा हआ देख कर मुस्कराया, कफर धीरे से िोला। तुम्हें याद है न राजन, पहली-पहली िार की हमारी दोस्ती। मैं घिड़ाया हआ था और तुम मेरे पास आए थे। इसक े िाद तुमने मेरी ओर दोस्ती का हाथ िढाया था
  • 4. और मैं ने तुम्हारा हाथ थाम कलया था। इसक े िाद? िोलने क े साथ ही रोकनत मौन हो गया और इंतजार करने लगा राजन क े उत्तर का। उसकी िातें सुन कर राजन मुस्कराया और रोकनत क े क ं धे पर धौल जमा कर िोला। याद है मुझे वो कदन! तुम िहत ही घिड़ाये हए थे और काँलेज में कोई भी तुमसे दोस्ती नहीं करना चाहता था। ऐसे में मैं ने रैकगंग से तुम्हें िचाया था और तुमने दोस्ती कर ली थी। इतना ही या और क ु ि भी? रोकनत राजन क े आँखों में देख कर मुस्कराता हआ िोला। िदले में राजन उत्तेकजत होकर िोला। और-और कफर मैं ने तुमको उसी कदन मधुशाला कवयर वार लेकर आया, कफर हम लोगो ने खुि मस्ती की थी। राजन क े िोलते ही रोकनत ने उसका हाथ थामा और मुस्करा कर िोला। मुझे कवश्वास था कक तुमको वे कदन जरूर याद होंगे। साथ ही मुझे यह भी मालूम है कक तुम से अच्छा पैग िनाने िाले किरला ही होगा। यह तो सही िात है, अपनी फ्र ें ण्ड मंडली में मुझ से अच्छा पैग िनाने िाला कोई न था। राजन अपनी मूँिों पर ताव देकर िोला। उसकी िातें सुन कर रोकनत चहक कर िोला। अमा यार! तो कफर आज का जाम तू ही िनाएगा। िोलने क े िाद रोकनत राजन क े आँखों में देखने लगा। जिकक राजन उसकी ओर देख कर मुस्कराया मानो कक मौन सहमकत दे रहा हो। तभी वेटर आँडर सवण कर गया। आँडर सवण होते ही राजन पैग िनाने में जूट गया, जिकक रोकनत होंठों को गोल करक े कशटी िजाने लगा। आज चेहरे से लग रहा था कक वो िहत खुश था। उसने कशटी िजाते हए हाँल में एक नजर डाली। चारों तरफ फ ै ला हआ चरस का गाढा धुआँ और हाँल में तीव्र नीली रोशनी। माहौल को मादक और रहस्यमय िना रहे थे। अचानक से उसक े कदल में खयाल आया कक शराि ककतनी िुरी चीज है कक कजसे अपना िना लेती है, वो कफर चाह कर भी ककसी और का नहीं हो सकता। उसकी नजर एक दो िार स्टेज की ओर भी गई, जहां पर वार िालाएं अल्लहड़ डांस कर रही थी। परन्तु उसका इसमें कोई कदलचस्पी नहीं था। तभी राजन ने उसे टोका, पैग तैयार हो चुकी थी और राजन उसे िताना चाहता था। िस कफर क्या था, रोकनत चौंका और कफर सामान्य होकर उसने पैग उठा कलये। कफर तो एक पैग-दो पैग और इसक े िाद तो दोनों पैग पर पैग गले में उड़ेलते चले गए। इसक े िाद तो असर होना ही था न, नशा दोनों को चढ चुकी थी। ति रोकनत मुस्करा कर राजन की ओर िाईं आँख दिा कर िहकते हए िोला। अमा यार राजन! ए-एक िात ि-ि-िताओ कक लोग शराि क्यों पीते है? राजन उसकी िातें सुन कर एक पल को मौन हो गया, कफर संभल कर िोला। नशा करने क े कलए, और ककस कलये। लेककन राजन की िातों से शायद रोकनत सहमत नहीं हआ और इनकार में िहत देर तक कसर कहलाता रहा। कफर िरी मेहनत से िोला। गलत है दोस्त! ल-लोग श-श-शराि इसकलये पीते है कक उसे श-श-शराि क े साथ यारी कनभानी-कनभानी। आगे का शब्द रोकनत िोल न सका और िेसुध हो गया। उसे इस प्तथथकत में देखकर राजन का सारा नशा काफ ू र हो गया था। ******* अकनरुद्ध किला, अपने आप में भव्यता समेटे हए। दकक्षर्ी कदल्ली में द्वारका क े करीि पड़ता था। यह िंगला काफी क्षेत्रफल में फ ै ला हआ था, साथ ही कवशाल भी था। आप्तखर हो भी क्यों नहीं, यह िंगला अरि पकत
  • 5. किजनेस मैन अकनरुद्ध सहाय का था। उनकी शहर में तूती िोलती थी, रुपये-पैसे और शोहरत से। शाम ढल चुकी थी और चारों तरफ अंधेरा कघर आया था। वैसे तो यह इलाका पाँस कालोनी में आता था, यहां एक कतार से अमीरों क े िंगले थे। लेककन अकनरुद्ध किला इन सिसे िढत रखता था। शाम क े आठ िज चुक े थे और गेट क े चौकीदार चेंज हो चुक े थे। िंगले क े अंदर हाँल में अकनरुद्ध सहाय सोफ े पर िैठे हए थे और सेंटर टेिुल पर कवदेशी शराि की िोतल रखी थी। साथ ही पैग तैयार हआ रखा था, लेककन लग रहा था कक उनका अभी पीने का इरादा नहीं हो। अकनरुद्ध सहाय, किजनेस टाइक ू न क े नाम से पूरे कदल्ली में फ े मस थे। दो-दो क े कमकल फ ै क्टरी, चार िड़े-िड़े शो रूम। अरि पकत अकनरुद्ध सहाय चेहरे से आकषणक थे, किल्लौरी आँखें, सुते हए लंिे नाक। लंिी कद काठी और भरावदार शरीर। उनका व्यप्तित्व काफी आकषणक था। गोरे रंग क े चेहरे पर उदासी क े िादल िाए हए थे और चश्मे क े पीिे उनकी आँखें आंसू किपा पाने में असमथण हो रही थी। कहने को उनक े पास क्या नहीं था, दौलत का अंिार लगा था। नौकर-चाकर की पूरी फौज थी जो कदन-रात उनकी सेवा में तत्पर रहती थी। साथ कनभाने को सुन्दर सुशील और धमण परायर् स्त्री थी। साथ ही दो िच्चे भी थे, लड़की आरुषी की उन्होंने शादी कर दी थी और लड़का रोकनत। जो कक शादी क े नाम से ही दू र-दू र भागता था। पचपन वषण क े अकनरुद्ध सहाय को िस यही शूल की भांकत चुभता था। कहां तो वे सपने पाल रहे थे कक उनक े घर पोते-पोती की फौज होगी और कहां तो रोकनत उनक े इच्छाओं पर तुषारापात कर रहा था। िस िात इतनी सी होती, तो वो शायद कचंकतत नहीं होते। आजकल क े युवाओं में शादी को लेकर सपने होते है, लेककन वे जानते थे कक रोकनत का मामला दू सरा है। वे समझ रहे थे कक क ु ि तो है, जो रोकनत क े अंदर टू ट रहा है। वो भले ही ककतनी ही कोकशश कर ले खुश कदखने की, लेककन वे तो उसक े कपता थे। वे जानते थे कक क ु ि तो है जो रोकनत को अंदर से खाए जा रहा है। िस यही टीस उन्हें अंदर से उठती थी। अकनरुद्ध सहाय ने एक नजर उठा कर हाँल में चारों तरफ देखा। भव्य और कवशाल हाँल, जहां की साज-सज्जा कवदेशी ढंग से की गई थी। साथ ही वहां कवदेशी समान को करीने से सजा कर रखा गया था। उसपर हाँल में नीली रोशनी चारों ओर फ ै ला हआ था, जो वहां क े सुन्दरता को और अकधक िढा रहा था। चारों ओर एक नजर डालने क े िाद उन्होंने लंिी सांस ली और पैग उठा कर एक ही सांस में गटक गए। कफर कगलास टेिुल पर कटका कर लंिी सांस लेने लगे। आज क े हालात में उनको अपनी संपकत्त, अपना रुतिा और ये शान-ओ-शौकत काटने को दौड़ता था। उफ ये कजन्दगी! काश कक उनक े पास उनका खुशहाल िेटा होता, भले शान-ओ-शौकत नहीं होती। वे अपने पैतृक गांव लौट जाते, नमक रोटी खाते, लेककन खुशहाल जीवन जीते। आज उनको यह शहर नुकीले कील सा चुभने लगा था। वे जानते थे कक रोकनत रात क े दस िजते-िजते िेसुध हालात में लौटेगा। नहीं-नहीं उसे लौटना नहीं कहते, वो तो पूर्ण रूप से िेसुध होकर आएगा। लेककन उसक े साथ आने िाला दोस्त कौन होगा, यह तय नहीं। उसमें भी होश में रहा तो थोरा-िहत खाएगा, नहीं तो भूखा ही सो जाएगा। सोचते-सोचते उन्होंने दीवाल घड़ी की ओर नजर डाली, जो रात क े सवा नौ िजने की घोषर्ा कर रहा था। समय देखते ही उनक े कदल की धड़कन िढ गई। काश कक उनकी पत्नी यहां होती, तो उनका हौसला िढाती। लेककन पुत्र क े कलये मानता ले कर वो िद्री कवशाल को चली गई थी। ऐसे में उनको पररप्तथथकत को संभालना दुष्कर सा प्रतीत हो रहा था। वे हालात से जैसे हारने लगे थे, टू ट कर किखरने लगे थे। वे इसी प्तथथकत में थे कक उनका नौकर राक े श हाँल में आया । वो अभी ककचन से कनकला था, वो रात का भोजन तैयार कर चुका था और अि वो अकनरुद्ध सहाय क े कलये करारे-करारे किस्पी पकौड़े तल कर लाया था। उसने नास्ते की प्लेट सेंटर टेिुल पर रख कर उनक े सामने खड़ा हो गया। उसे सामने देख कर अकनरुद्ध सहाय ने उसक े आँखों में ऐसे देखा, मानो पुिना चाहते हो कक क्या है। राक े श िहत ही समझदार था, साथ ही उसने
  • 6. इस पररवार क े साथ अपनी आधी कजन्दगी गुजार दी थी। वो माकलकों क े इशारे समझता था, इससे तुरंत ही तत्पर होकर िोला। माकलक! मैं ने भोजन तैयार कर कदया है और आपक े कलये नाश्ता लेकर आया हं। तो ठीक है, एक काम करो कक तुम लोग खाना खा लो। मुझे जि भूख लगेगी, तो खा लूंगा। अकनरुद्ध साहि ने धीरे से कहा और कफर अपना पैग िनाने में जुट गए। राक े श समझ चुका था कक माकलक अि िात नहीं करना चाहते, इसकलये वो वहां से चला गया। जिकक अकनरुद्ध साहि ने अपना पैग तैयार ककया और होंठों से लगा कर गटक गये। कड़वाहट से उनका मुंह कसैला हो गया, तो उन्होंने पकौड़े उठा कर मुंह में रखा। लेककन उनका मुंह का स्वाद तो कहीं खो सा गया था। आजकल तो उन्हें अपना जीवन भार रूप लगने लगा था। वे आजकल समझ ही नहीं पा रहे थे कक कजन्दगी ककस पटरी पर जा रही थी। वैसे तो वे लगभग शराि से दू र ही रहते थे, लेककन जि से रोकनत की कजन्दगी उलझी थी, वे भी उलझ कर रह गये थे। ****** मधुशाला कवयर वार, रात क े नौ िज चुक े थे। हाँल क े अंदर काफी गहमा-गहमी थी, चारों तरफ मदहोशी और एक अजीि सा शोर। साथ में वार िालाओं का अल्लहड़ सा नृत्य, लगभग स्वप्न लोक सा लग रहा था। लेककन राजन का नशा लगभग काफ ू र हो चुका था, उसे अंदाजा नहीं था कक रोकनत इस तरह से होश खो देगा। वो तो समझता था कक रोकनत पहले िाला ही होगा, लेककन नहीं, वो तो किल्क ु ल िदल चुका था। उसे लगने लगा था कक रोकनत अंदर से काफी कमजोर हो चुका है। राजन कवकल हो उठा, उसे शुरू से ही रोकनत से एक अलग प्रकार का लगाव था। राजन सोच ही रहा था कक तभी वेटर आ गया। राजन ने िील पेय करने क े कलये िील मांगा, तो वेटर ने ितलाया कक रुपये तो अकग्रम रूप से जमा है। साथ ही वेटर ने ितलाया कक सर! रोकनत साहि अकसर रातों को इसी हालत में होते है और कभी इनका दोस्त, तो कभी हम लोग इन्हें इनक े घर पहंचा देते है। वेटर की िातें सुनकर राजन को झटका सा लगा। उसने आँखों से वेटर को जाने का इशारा ककया और जि वेटर चला गया तो वो उठ कर खड़ा हआ। उसने खुद को संभाला और कफर रोकनत को उठाया और अपने पीठ पर लाद कलया। वैसे तो उसने भी अकधक पी ली थी, लेककन वो खुद को संभाल चुका था। कफर वो रोकनत को लादे-लादे हाँल से िाहर कनकला। ति तक कसक्युररटी गाडण इनोवा कार को गेट तक ले आया था। कसक्युररटी गाडण ने कार का गेट खोल कर रखा हआ था, इसकलये राजन को ज्यादा तकलीफ नहीं हई। उसने रोकनत को कपिली शीट पर कलटाया और कफर कार का दरवाजा लगा कर ड र ाइकवंग साइड का दरवाजा खोला, ड र ाइकवंग शीट पर िैठा और कार श्टाटण कर क े सड़क पर दौड़ा दी। कार मधुशाला क े गेट से कनकलते ही रफ्तार पकड़ ली और फ ु ल स्पीड से सड़क पर दौड़ने लगी। साथ ही उसी रफ्तार से राजन क े कदमाग में हलचल दौड़ने लगा। कहां तो उसने सोचा था कक रोकनत की कजन्दगी खुशहाल होगी। वो जि उससे कमलेगा, तो वे दोनों खुि मस्ती करेंगे। लेककन उसे कहां पता था कक जि वो रोकनत से कमलेगा तो, वो अंदर से खोखला होगा। उसे यह अंदाज हो चुका था कक वो कजस रोकनत से कमला है, वो अलग है। वो उसका पहले िाला रोकनत तो किल्क ु ल भी नहीं था। पहले िाला रोकनत तो हंसमुख, चंचल और शरारती था। उसे तो ककसी िात की कचन्ता होती ही नहीं थी। कफर आप्तखरकार िीच क े इन कदनों में आप्तखर रोकनत क े साथ क्या घकटत हआ कक वो इस तरह से िदल गया। राजन क े कलये यह गूढ़ प्रश्न था, वो समझना चाहता था इन प्रश्नों को। वैसे तो वो रोकनत से दो वषण क े लंिे अंतराल क े िाद कमला था। िस इस अंतराल में आप्तखर ऐसा क्या घकटत हआ था कक रोकनत अंदर से इस कदर
  • 7. टू ट गया था। उसे इन प्रश्नों को ढूंढना था, साथ ही इसका हल भी कनकालना था। क्योंकक उसे रोकनत से खास लगाव था और वो उसे ऐसे इस हालात में नहीं िोड़ सकता था । ******** राजन मन ही मन सोचता हआ ढृढ प्रकतज्ञ हो रहा था। लेककन उसे यह समझ नहीं आ रहा था कक आगे क्या करना है। ऐसे में उसने कमरर में देखा, तो रोकनत िेसुध कपिली शीट पर लेटा हआ था, कदन-दुकनया से िेखिर हो कर। ऐसे में राजन क े हृदय में हक सी उठी, ककतना मासूम लग रहा था रोकनत। कफर आप्तखर ऐसी क्या िात हई कक वो अंदर से इस कदर टू ट गया। राजन ने मन ही मन सोचा कक चाहे जो भी हो जाए, वो मालूम करक े रहेगा कक रोकनत क े हृदय में ककस िात का फांस चुभा हआ है। कफर उससे कजतना संभव हो सक े गा, वो उसे दू र करने की कोकशश करेगा। वो ऐसे तो उसे िोड़ नहीं सकता न, आप्तखर रोकनत उसका कजगरी दोस्त है। राजन सोच ही रहा था कक उसक े पांव ब्रेक पर जोर से पड़े। अचानक ब्रेक लगने से कार दू र तक कघसटती चली गई। कजसक े कारर् राजन को तीव्र झटका लगा। साथ ही इस अप्रत्याकशत झटक े क े कारर् रोकनत भी क ु नमुनाया, लेककन कफर से िेसुध हो गया। कार अकनरुद्ध किला क े गेट पर पहंच चुकी थी, इसकलये ही तो उसने तीव्रता से ब्रेक मारे थे। वहां पहंच कर राजन ने कलाईं घड़ी की ओर देखा, जो रात क े सवा दस होने की उद् घोषर्ा कर रही थी ।राजन ने जितक समय देखा, किला का गेट खुल चुका था। िस कफर क्या था, राजन ने कार को अंदर ले कलया और पोचण की ओर ले गया। कार जि तक पोचण में पहंची, िंगले का मेन गेट खुला और उसमें से अकनरुद्ध सहाय कनकले। राजन ने कार का इंजन िंद ककया और कार से उतरा कफर दरवाजा लगा कर पीिे की ओर िढा। ति तक अकनरुद्ध साहि कार क े करीि पहंच चुक े थे, उन्हें करीि आया देख कर राजन ने झुक कर उनक े पांव ि ू कलये। जिकक उसे देख कर अकनरुद्ध साहि क े आँखों में हषण और आश्चयण क े भाव उभरे। आज िहत कदनों िाद उनक े चेहरे पर मुस्कान की हल्की रेखा प्तखची थी। राजन की अनुभवी आँखें वहां क े हालात देखते ही समझ गई कक यहां सिक ु ि ठीक नहीं चल रहा। लेककन उसने अपने मन क े भावों को दूर ढक े ला और कार का दरवाजा खोलने लगा। उसक े इस काम में अकनरुद्ध साहि मदद कर रहे थे, जिकक दरवाजा खुलते ही उसने रोकनत को क ं धे पर उठाया और िंगले की ओर िढ गया। अकनरुद्ध साहि भी उसक े पीिे - पीिे चल पड़े । राजन को तो उस िंगले का पूरा भूगोल मालूम था, इसकलये वह रोकनत को लेकर सीधा उसक े िेडरूम की ओर िढा। जिकक अकनरुद्ध साहि आगे की ओर लपक े , उन्होंने रोकनत क े िेडरूम की लाइट जलाई, ति तक राजन ने भी अंदर प्रवेश कर कलया था। उसने रोकनत को िेड पर कलटाया जिकक अकनरुद्ध साहि आगे िढ कर उसक े जुते उतारने लगे। कफर दोनों ने रोकनत को सही से कलटा कर उसक े उपर कलहाफ डाल कदया। उसक े िाद दोनों िाहर कनकले और चलते हए ड र ाईंग हाँल में आ गए। इस िीच दोनों क े दरकमयान ककसी प्रकार की िातचीत नहीं हई। लेककन हाँल में पहंचते ही अकनरुद्ध साहि िोले। राजन िेटा! िैठो। अकनरुद्ध साहि की िातें सुन कर राजन सामने िाले सोफ े पर िैठ गया, ति अकनरुद्ध साहि भी िैठ गए। लेककन उनक े िीच ककसी प्रकार की िातचीत की शुरूआत नहीं हई। दोनों ही िातें करने क े कलये कवषय ढूंढ रहे थे, लेककन उन दोनों को ही कोई शब्द नहीं कमल पा रहा था, कजससे कक िातों का दौर शुरु कर सक े । कजसक े कारर् वहां अजीि सी खामोशी पसर गई। जो कक अकतशय गंभीर रूप ले चुका था। इस समय वहां पर इतनी शांकत पसरी हई थी कक सुई भी कगरे तो जोरदार धमाका हो। पररप्तथथकत ऐसी हो चुकी थी कक दोनों असहज हो चुक े थे। ऐसे में ज्यादा समय तक तो नहीं चल सकता था, ककसी न ककसी को तो िात की शुरूआत करनी ही थी। साथ ही राजन यह भी समझ चुका था कक अकनरुद्ध साहि ने भोजन नहीं ककया है। इसकलये वो मुस्करा कर उनसे िोला।
  • 8. अंकल! खाना िना हो, तो मंगवा लीकजए, मुझे तो जोरों की भूख लगी है। राजन क े िोलने भर की देर थी, अकनरुद्ध साहि को िात करने का मौका कमल गया। हां िेटा, जरूर-जरूर अभी मंगवाता हं। वैसे तुम कि आए, आज ही कमले हो। उनकी िातें सुनकर राजन मुस्कराया, कफर िोला, आया तो आज ही था और आज ही रोकनत से कमलने आया था, वैसे अभी इन िातों को िोर दीकजए और खाना मंगवाईए, अभी तो खाना खाते है। वैसे आप भी तो भूखे ही होंगे। राजन की िातें सुन कर ऐसा लगा कक अकनरुद्ध साहि क े अंदर का सारा लावा कनकल कर िाहर आ जाएगा। लेककन उन्होंने खुद को संभाला और िेल िजा कदया। उनक े िेल िजाते ही हाँल में िहत ही मधुर संगीत गूंज उठा। कफर तो पलक झपका नहीं कक राक े श हाकजर हो गया। उसक े आते ही अकनरुद्ध साहि ने कनदेकशत ककया कक कडनर की तैयारी करें। राक े श क े जाते ही राजन ने उनकी ओर देखा और गंभीर होकर िोला। एक िात िताइए अंकल! रोकनत को हआ क्या है और कि से उसकी ऐसी हालत है। राजन की िातें सुनकर अकनरुद्ध साहि ने थोरी राहत महसूस की, इसक े िाद वे उसकी ओर देख कर िोले। राजन िेटा! उसे आप्तखर हआ क्या है, इसकी जानकारी मुझे भी नहीं है। अगर मुझे वो अपना तकलीफ ितलाता, तो शायद मैं ककसी प्रकार की कोकशश करता। लेककन वो तो अंदर से घुटता रहता है। हां मैं यह ितला सकता हं कक वो करीि-करीि दो साल से इसी प्तथथकत में है। या यूं कहो कक कदनों कदन वह अंदर से ज्यादा ही टू टता जा रहा है। िोलने क े िाद अकनरुद्ध साहि ने मौन साध कलया, ति राजन गंभीर होकर िोला। कोई िात नहीं अंकल! मैं कल सुिह आता हं, कफर देखता हं कक क्या ककया जा सकता है। िोलने क े साथ ही राजन ने अपना हाथ आगे िढा कर उनक े हाथों पर रख कदया। अपनत्व एवं स्नेह का स्पशण पाकर अकनरुद्ध साहि क े आँखों से आंसू िलक गये। ति तक राक े श ने डायकनंग टेिुल पर सारी तैयारी कर दी थी। िस कफर क्या था, दोनों उठे और डायकनंग टेिुल क े पास की क ु सी संभाल ली। इसक े िाद तो वे दोनों भोजन करने में जुट गए। आज अकनरुद्ध साहि थोरा सा िेकफि से लग रहे थे, क्योंकक उन्हें कवश्वास था कक राजन आ गया है, तो जरूर कोई न कोई हल कनकलेगा। दोनों ने भोजन ककया, इस दरकमयान उन दोनों क े िीच ककसी प्रकार की िातचीत नहीं हई। ******* रात क े एक िज चुक े थे, आश-पास का इलाका किल्क ु ल शांत था। रोकहर्ी सेक्टर नौ, राजन अभी-अभी अकनरुद्ध किला से अपने िंगले पर आया था। अकनरुद्ध साहि ने उसे अपने कार क े द्वारा कभजवा कदया था, राजन ने कार को वापस कर कदया था और अपने िंगले में प्रवेश कर गया था। वैसे तो उसका िंगला ज्यादा कवशाल नहीं था, लेककन इतना तो जरूर था कक उसक े रईसी का सिूत दे रहा था। उसने ड र ाईंग हाँल में कदम रखा और हाँल की सारी लाइट जला दी। आज वो खुद को काफी थका-थका सा महसूस कर रहा था, इसकलये उसने सोचा कक आज वो ड र ाईंग हाल में ही सो जाएगा। इसकलये उसने दरवाजा लाँक ककया एवं आगे िढ कर सोफ े पर धम्म से िैठ गया। उफ! इतना शप्तिहीन तो वो पहले कभी नहीं हआ था, चाहे पररप्तथथकत क ै सी भी हो वो ऊजाण से लिरेज रहता था। लेककन रोकनत से कमलने क े िाद से जैसे तो लगता था कक धीरे-धीरे वो कमजोर होता जा रहा है। ऐसा क्योंकर हो रहा है, उसे समझ ही नहीं आ रहा था, काश कक आज श्रेया उसक े साथ होती, तो शायद िेहतर होता, वो उसे संिल प्रदान करती। श्रेया उसक े पत्नी का नाम था, जो कक अपने मायक े गई हई थी। श्रेया सुन्दर और सुशील थी, तीखे नैन-नक्श ,लंिा चेहरा एवं भरावदार गोरा िदन। उसक े सुन्दरता पर ही तो लटूँ होकर उसने शादी की थी। एवं श्रेया ने उसक े कवश्वास को प्रार् दे कदए थे, वो धमण परायर् थी। एक अच्छी पत्नी में कजतने सारे गुर् चाकहए, वे सारे क े सारे श्रेया क े अंदर कवद्यमान थे। ऐसे में स्वाभाकवक ही था कक उसे श्रेया की कमी खल रही थी। आज अगर श्रेया उसक े पास होती, तो शायद वो अपने आप को इतना कमजोर कभी महसूस नहीं करता। वो िहत िुप्तद्धमान थी, जरूर कोई न कोई रास्ता कनकाल ही देती।
  • 9. उफ ् ! यह कजन्दगी, न जाने ककस मोड़ पर क ै से सवाल िन कर उपप्तथथत हो जाए, इंसान को मालूम कहां होता। वो तो िस समय क े हाथों की कठपुतली िना होता है, समय उसे जैसे नचाती है, नाचता है, िस नाचता जाता है। राजन ने अपने उपर हावी हो रहे कवचारों को झटक कर फ ें का और सोफ े पर पसर कर सोने की कोकशश करने लगा। लेककन उफ ् ! आज नींद भी आँखों से कोसो दू र थी। वो कजन कवचारों को झटक कर फ ें कना चाहता था, वही कवचार िार-िार आकर उस पर हावी हो रहे थे। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कक वह ऐसा कौन सा उपाय करें कक उसक े आँखों में नींद आ जाए। लेककन अफसोस! नींद तो नहीं आ रही थी, हां आंखों क े सामने िार-िार रोकनत का चेहरा जरूर आ रहा था। ऐसे में उसने करवट िदल कर भी प्रयास कर कलये, पर नींद को नहीं आनी थी, तो नहीं आई। इस तरह से काफी समय िीत गया, अि उसे काफी की तलि महसूस हो रही थी। इसकलये वो उठा और ककचन की ओर िढा और ककचन में घुस कर अपने कलये काँफी तैयार करने लगा। लेककन यहां भी कवचारों क े झंझावात उसका पीिा नहीं िोड़ रहे थे। वो काफी परेशान हो चुका था, खैर उसने जैसे-तैसे अपने कलये गरमा-गमण काँफी िनाई और मग में डाल कर कफर से ड र ाईंग हाँल में आ गया और सोफ े पर िैठ कर धीरे-धीरे काँफी पीने लगा। साथ ही सोचने लगा कक आप्तखर िात क्या है, रोकनत इतना मुरझा क्यों गया है। आप्तखर उसक े साथ घकटत क्या हआ कक हर पल चहकने िाला रोकनत शांत और गंभीर क ै से हो गया है। राजन सोच रहा था, गहन मंथन कर रहा था इन सारी िातों पर, लेककन उसे इसका कोई ताग नहीं कमल पा रहा था। इस िीच उसकी काँफी खतम हो चुकी थी और उसने कप सेंटर टेिुल पर कटका कदये थे। अि वो सोच रहा था कक श्रेया को काँल करें, नहीं-नहीं अभी काँल करना उकचत नहीं होगा। वो अभी सो रही होगी, साथ ही िेिी िंप भी तो है, ऐसे में इस वि उसे परेशान करना उकचत नहीं होगा। लेककन नहीं, वो िात तो करक े ही रहेगा, आप्तखर वो उसकी धमण पत्नी है। साथ ही शाम से उसने एक िार भी तो श्रेया को फोन नहीं ककया है, परेशान हो रही होगी। श्रेया ने शाम से ही उसे तीन-चार िार फोन काँल ककया था, लेककन आज वो इस तरह से उलझा कक उसक े फोन काँल काटने पड़े। राजन ने मन ही मन सोचा कक श्रेया क े साथ उसका िात कर लेना ही अच्छा रहेगा। इसकलये उसने मोिाइल कनकाले और समय देखा, रात क े दो िज चुक े थे। एक िार कफर से उसक े हृदय ने कहा कक इस समय िात करना ठीक नहीं रहेगा। लेककन मन तो मन ही होता है, हृदय की िातों को कहां मानता है। राजन ने श्रेया को काँल लगा कदया। घंटी िजने लगी, एक या दो ही रींग िजे होंगे कक काँल उठ गया। उधर से उनींदी आवाज आई, उसक े िाद तो राजन श्रेया से िात करने लगा। िहत देर तक इधर-उधर की िातें करता रहा। लेककन उसका कहम्मत नहीं हआ कक वो वह िात करें, कजसक े कलये फोन ककया है। क ु ि देर तक िातें करता रहा, लेककन वो समझ चुका था कक श्रेया नींद से िोकझल है और ज्यादा देर तक उसे परेशान करना ठीक नहीं। इसकलये उसने फोन कडस्कनेक्ट कर कदया और कफर से सोने की कोकशश करने लगा। लेककन आज तो ऐसा लग रहा था कक नींद उससे रूठ गई थी। वो तो आज नींद की आराधना कर रहा था, लेककन वो उससे दू र-दू र भागती जा रही थी। वो िस रोकनत क े तकलीफ क े व्यूह में ही उलझा हआ था। शायद यही कारर् भी था कक आज उसक े आँखों से नींद दू र-दू र भाग रही थी। वह रोकनत नाम क े सवाल में उलझ कर रह गया था। िार-िार उसक े आँखों क े सामने रोकनत का मासूम चेहरा उभर आता था। उसकी और रोकनत की दोस्ती काँलेज में कमसाल हो चुकी थी। वैसे तो वो रोकनत का सीकनयर था , लेककन पररप्तथथकत ऐसी िनी कक उसका और रोकनत का दोस्ती हो गया। काँलेज क े कदनों में पूरे काँलेज में राजन का दिदिा था। काँलेज में ककसी की कहम्मत नहीं थी कक सीधे मुंह उससे टक्कर ले सक े । जिकक रोकनत ने जि काँलेज में प्रवेश ककया, तो किल्क ु ल शमीले स्वभाव का था। संकोची और शांत, ऐसे में डरे सहमें रोकनत को उसने रैकगंग से िचाया था। सोचते-सोचते रोकनत िीते कदनों में खो गया। ********** सुिह क े दस िजे थे, काँलेज क ैं पस में काफी हलचल थी।
  • 10. क े . आर. नारायर्न काँलेज एण्ड इंप्तस्टट्यूट, काफी फ े मस नाम था। यहां कदल्ली ही नहीं िप्तल्क देश क े कवकभन्न भागों से अभ्याथी पढाई करने आते थे। कदन क े दस िजते ही काँलेज का क ैं पस गुलजार हो गया था, िात्र- िात्राएँ आपस में गुट िना कर िातें करने में तल्लीन थे। इसी समय काँलेज क े गेट से राजन ने अपनी नई िूलेट पर िैठ कर प्रवेश ककया। आकषणक चेहरा और रुआिदार शरीर, पूरे काँलेज में उसक े नाम का दिदिा था, ककसी कक कहम्मत ही नहीं होती थी कक उससे आकर उलझे। वैसे राजन की प्रक ृ कत अलग प्रकार की थी, वो ककसी से यूं ही उलझना पसंद नहीं करता था, साथ ही दोस्तों क े कलये वो राजा क े समान था। काँलेज क े िँ टे हए लड़कों से उसकी दोस्ती थी, इसी कारर् जि उसकी िूलेट गेट से अंदर हई, लड़कों की झुंड उसकी ओर लपक पड़ी। राजन ने अपनी िाईक-िाईक स्टैण्ड में लगाया और किप्तडंग की ओर िढा, ति तक सभी लड़क े उसक े पास पहंच चुक े थे। उसने मुस्करा कर सभी लड़कों को हैल्लो ककया, जिाव में सभी लड़क े एक साथ िोल पड़े। कजससे तेज शोर काँलेज क ैं पस में गूंज उठा, लेककन उस ओर ककसी ने ध्यान नहीं कदया। सभी को पता था कक राजन क े सभी दोस्त अवारा टाइप क े है, ऐसे में यह शोर तो रोज ही होता है। राजन खुद भी कभी-कभी अपने इस फ्र ें ण्ड मंडली से परेशान हो जाता था। लेककन वो अच्छी तरह से जानता था कक इस कवषय में क ु ि भी नहीं कर सकता। कभी-कभी तो अपने इन कमत्र मंडली क े कारर् उसे प्रोफ े सर साहि क े कोप का भाजन भी िनना परता था, लेककन वो इन सि को इग्नोर करक े चलता था। आज भी इशारे से उसने सभी को शांत होने का कनदेश कदया और स्टडी रूम की ओर िढा। कहते है न कक भेड़ों में यह कनयम होता है कक कजधर उनका मुप्तखया जाएगा, सभी उधर को ही जाएं गे, चाहे क ु आँ में ही क्यों नहीं गीर जाए। राजन क े दोस्त भी वैसे ही थे, जैसे ही राजन स्टडी रूम की ओर िढा, सभी उसक े साथ हो कलये। चलते-चलते राजन कठठक गया, उसकी नजर दू र पेड़ क े नीचे गई, जहां क ु ि लड़क े एक लड़क े को परेशान कर रहे थे। राजन समझ गया कक वो लड़का शायद काँलेज में नया है और उसक े सीकनयर उसका रैकगंग कर रहे है। राजन की दोस्ती भले ही क ै सी भी हो, वो स्वभाव से अलग था। उसने अपने साथ क े लड़कों पर नजर डाली, उसकी कमत्र मंडली समझ गई कक आप्तखर वो चाहता क्या है। िस तीन-चार लड़क े उस पेड़ की ओर िढे, उन्हें अपनी ओर आता देख सभी िदमाश िात्र भाग गये। ति उन लोगों ने उस नये लड़क े को लाकर राजन क े सामने खड़ा कर कदया। राजन ने एक नजर उसक े पूरे शरीर पर डाली, उसे अंदाजा हो गया था कक अमीर घराने का लड़का है। साथ ही उसने महसूस ककया कक शायद वो डरा और घिराया हआ भी है। राजन ने सिसे पहले पानी मंगवा कर उसे कपलाया और जि वो शांत हआ, ति धीरे से पूिा। कौन हो तुम? और तुम्हें वे लोग घेरे हए क्यों थे? राजन क े प्रश्न सुन कर उस लड़क े क े सुन्दर चेहरे पर असमंजस क े भाव उभड़े। ति तक राजन ने उसे एक िार कफर गौर से देखा। गठा हआ कसरती शरीर, तीखे नैन-नक्श, गोरा रंग उसपर महंगे कलिास। राजन को अपनी ओर देखता पाकर वो हकिका कर िोला। मेरा नाम रोकनत सहाय है और मैं किजनेस मैन अकनरुद्ध सहाय का लड़का हं। वे लड़क े मुझे परेशान कर रहे थे, क्योंकक काँलेज में मेरा पहला कदन है न। वैसे आप यह सि क्यों पुि रहे हो? उसकी िातें सुन कर राजन मुस्कराया, वो समझ चुका था कक रोकनत नाम का लड़का सच में ही मासूम है और उसे भी रैकगंग करने िाला ही समझ रहा है। थोरी देर तक मुस्कराने क े िाद रोकनत की तरफ देखा और गंभीर होकर िोला। कमस्टर रोकनत! अि घिराने की जरूरत नहीं है, तुम जैसा सोच रहे हो, वैसे हम लोग नहीं है। वैसे तुम्हारी जानकारी क े कलये िता दूं कक मैं राजन सारस्वत हं और अि तुम िेकफि होकर अपने क्लास में जाओ। साथ ही जि तुम्हें कोई परेशान करें तो मेरा नाम िोल देना। िोलने क े िाद राजन वहां रुका नहीं और स्टडी रूम की ओर िढ गया। िस कफर क्या था, सारे लड़कों ने उसका अनुसरर् ककया। जिकक रोकनत वहीं खड़ा रहा, िहत देर तक लह राजन को स्टडी रूम ओर जाते देखता रहा। कफर वह पाकक िं ग की ओर िढा और एक िेंच पर िैठ गया। समय धीरे-धीरे आगे की ओर िढता रहा। समय क े िढने क े साथ
  • 11. ही सूयण देव आसमान की ओर चढने लगे। लेककन मानों कक रोकनत को कहीं जाने की जल्दी नहीं थी। उसने अपना मोिाइल कनकाल कलया था और उस पर गेम खेलने लगा। समय आगे िढते-िढते दोपहर हो गई, लेककन रोकनत अपनी जगह से कहला भी नहीं। कदन क े तीन िज चुक े थे, तभी उसकी नजर स्टडी रूम की ओर पड़ी, देखा तो राजन अपने ग्रुप क े साथ कनकल रहा था। िस रोकनत अपनी जगह से उठा और राजन की ओर लपका। इस वि उसमें गजि की फ ु ती कदख रही थी। िस कफर क्या था, वो दो फलांग में ही राजन क े सामने पहंच गया। स्टडी रूम से कनकलते राजन की नजर उस पर पड़ी, उसे सामने देख कर वो चौंका और प्रश्न भरी कनगाहों से उसे देखा। जिकक उसे अपनी ओर ऐसे देखता पाकर रोकनत किना लाग-लपेट क े िोला। आप मुझसे दोस्ती करोगे? उसकी िातें सुनकर राजन एक पल को भौचक्का रह गया। उसे एक पल तो समझ ही नहीं आया कक वह लड़का ऐसा क्यों िोल रहा है। कफर वो क ु ि पल िाद िोला। लेककन तुम मुझसे दोस्ती क्यों करना चाहते हो? हमारे सोहित क े लड़क े अच्छे नहीं है, कफर तुम्हें ऐसा क्या कदखा कक मुझसे दोस्ती करना चाहते हो। कफर मैं तो तुम्हारा सीकनयर भी हं। राजन की िातें सुनकर रोकनत एक पल मौन होकर सोचता रहा, कफर मुस्करा कर िोला। लोग चाहे जो िोले आपक े सोहित को, परन्तु आप एक अच्छे इंसान हो। ऐसे में आपसे दोस्ती करना फायदेमंद है। वैसे भी आपने मुझ अंजान को किना जाने ही सुरक्षा दी, यह क्या कम है। आपसे दोस्ती करने क े कलये मैं तैयार हं, अि आप को क्या करना है। िोलने क े िाद रोकनत ने अपना दायाँ हाथ गमणजोशी क े साथ आगे िढाया। एक पल को तो राजन हक्का-िक्का रह गया। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कक उस लड़क े को क्या उत्तर दे। उसका कदमाग िोल रहा था कक अमीर घर का लड़का है, उससे दू र ही रहना चाकहये। लेककन कदल िोल रहा था कक वो अमीर है तो क्या है, मैं कौन सा गरीि हं। वैसे लड़का अच्छे संस्कारों िाला है, तो दोस्ती करने में हजण ही क्या है। िस उसने मन ही मन फ ै सला कर कलया और मुस्करा कर हाथ आगे िढाया और रोकनत क े हाथों को थाम कलया, कफर मुस्करा कर िोला। लेककन हमारे ग्रुप का कनयम है, शाम को हम लोग कवयर वार कनयकमत जाते है,तो दोस्त िनोगे तो जाना परेगा। राजन की िातें सुनकर रोकनत ने सहमकत में कसर को जूम्बीस दी, िोला नहीं। इसक े िाद रोकनत भी उस झुंड में शाकमल हो गया। उस ग्रुप क े सभी लड़क े नये मेंिर जुड़ने से काफी खुश थे। उन्हें मालूम था कक लड़का अमीर घराना का है,तो फायदा ही होगा। वैसे भी तो वे लोग राजन क े पीिे इसकलये ही लगे रहते थे। इसक े िाद वे लोग काँलेज क ैं पस में घूमते रहे, समय अपनी गकत से घूमता रहा। इस िीच राजन रोकनत से उसक े पररवार क े िारे में पुिता रहा और रोकनत सहषण ितलाता रहा। ******** शाम हो चुकी थी, राजन काँलेज से अपने िंगले पर आकर तैयार हो रहा था। राजन वैसे तो कदल्ली में अक े ला ही रहता था, उसक े कपताजी आमी में कनणल थे। इसकलये उन्होंने राजन को कदल्ली में िंगला खरीद कर कदया हआ था। पैसे की कोई कमी थी नहीं, इसकलये राजन आजाद कजन्दगी जीता था। आज भी वो कवयर वार जाने क े कलये तैयार हो रहा था। लेककन आज एक तिदीली हई थी और वह यह कक रोकनत उसक े साथ ही उसक े िंगले पर आ गया था। राजन ने तैयार होते हए अपनी कलाई घङी पर नजर डाली, जो शाम क े ि: िजने की उद् घोषर्ा कर रहा था। िाहर हल्का धूंधलका कघरने लगा था, ऐसे में राजन को कचन्ता हई। उसने रोकनत की ओर देख कर पुिा।
  • 12. क्या रोकनत! तुम लेट से घर आओगे, इसकी जानकारी घर पर कदए हो कक नहीं। उसकी िातें सुनकर रोकनत ने सहमकत में कसर को कहलाया, िोला क ु ि भी नहीं। ऐसे में राजन ने उसकी ओर गौर से देखा, तो पाया कक वो तो लीकवंग रूम में सोफ े पर िैठा हआ मोिाइल में गेम खेल रहा था। उसक े इस हरकत पर राजन को िहत खीज हई, लेककन तभी उसक े फ्र ें ण्ड मंडली ने कमरे में कदम रखा। उन लोगों को आया देख कर राजन ने अपने गुस्से को दिा कलया। कफर वे लोग िाहर कनकले, राजन ने िाहर कनकलते ही िंगले को लाँक ककया। कफर सभी रोकनत की कार में ठ ूं स कर भर गये। वे क ु ल ग्यारह हो रहे थे और इनोवा में आठ क े ही िैठने की जगह होती है। उन लोगों क े हरकत पर रोकनत मुस्कराया, कफर ड र ाइकवंग शीट पर िैठ कर कार श्टाटण की और सड़क पर दौड़ा कदया। वो कार चला रहा था, जिकक राजन उसे इंकडक े ट कर रहा था। िाकी क े धमाल मस्ती कर रहे थे। ऐसे में रोकनत ने कहमेश रेशकमया का गाना लगा कदया और कार को फ ू ल स्पीड में दौड़ाने लगा। िाकी क े लड़कों का तो यह रोज का ही काम था, लेककन रोकनत रोमांच महसूस कर रहा था। उसक े कलये यह सि क ु ि नया-नया था, एकदम अलग से और रोमांच कारी। उसक े कई दोस्त थे, लेककन वह कजस सोसाइटी में रहता था, वहां कोई ककसी से इतना खुला हआ नहीं था। रोकनत अपने मन में इन्हीं िातों को सोचता जा रहा था, तभी राजन ने उसे रुकने का इशारा ककया। रोकनत का ध्यान भंग हआ, उसने तेजी से ब्रेक लगाये और जि िाहर देखा, तो चौंक उठा, कारर् सूनसान इलाका था। जिकक कार रुकते ही सभी लड़क े फटाफट उतर गये। ति राजन ने उसे कार को पाकक िं ग में लगाने का इशारा ककया। िस कफर क्या था, रोकनत ने कार आगे िढा कर पाक ण की और उतर कर दरवाजा लाँक ककया। उधर उससे पहले राजन उतर चुका था, रोकनत ने कार से उतरते ही देखा कक वह िहत ही सुन्दर जगह पर खड़ा है और उसक े आगे एक किप्तडंग है। रोकनत की नजर जि किप्तडंग पर गई तो चौंक उठा। वह कवशाल इमारत था, जो काफी क्षेत्रफल में फ ै ला हआ था। साथ ही उसपर एक िोडण लटका था, कजसपर कलखा था “मधुशाला" साथ ही उसे दुल्हन की तरह सजाया गया था। रोकनत अचंकभत सा मधुशाला को देखता रहा, वह आश्चयण कर रहा था। वैसे तो वो ककतनी ही िार कवयर वार जा चुका था। लेककन उसने ऐसी भव्यता ककसी कवयर वार की नहीं देखी थी। आस-पास का इलाका वैसे तो अंधेरे में ड ू िा था, क्योंकक जहां मधुशाला कवयर वार था, वहां काफी वीराना था। रोकनत आश्चयण भरी नजरों से मधुशाला कवयर वार को देख रहा था, तभी राजन ने उसका हाथ पकड़ कर आगे िढा। िस रोकनत की तंद्रा भंग हो गई, उसे लगा कक वो अभी स्वप्न लोक में आया हो। तंद्रा टू टने पर उसने देखा कक िाकी लड़क े कवयर वार क े अंदर जा चुक े थे। शायद इसकलये ही राजन उसे तेज चलने का इशारा कर रहा था। कफर वे दोनों आगे िढे और गेट से हाँल क े अंदर प्रवेश कर गये। कवशाल हाँल, जहां पर नीली रोशनी किखरी हई थी। चारों तरफ टेिुल और क ु कसणयां सजी हई थी, जहां िैठ कर िहत से लोग जाम का मजा ले रहे थे। रोकनत ने चारों तरफ नजर फ े र कर देखा, तो उसे समझ आया कक वहां पर अकधकांश युवा ही थे, जो अमीर घर से ताल्लुक रखते थे। रोकनत को ऐसे आश्चयण चककत होकर हाँल को देखता पाकर राजन मुस्कराया और उसका हाथ पकड़ कर आगे हाँल क े कोने में िढा। जहां उसका ग्रुप मेंिर पहले ही एक टेिुल पर कब्जा जमा चुक े थे। इस वि हाँल में पाँप म्यूकजक िज रही थी, साथ ही स्टेज पर वार िालाएं अल्लहड़ डांस कर रही थी। जि तक वे दोनों टेिुल क े पास पहंचते, उसमें से एक लड़का जो महेश था, जोश में िोला। राजन भाई, मैंने सारा आँडर दे कदया है, आज पाटी मेरी तरफ से। क्योंकक आज रोकनत हमारे ग्रुप में शाकमल हआ। उसकी िातें सुन कर राजन और रोकनत क े चेहरे पर मुस्कान उभर आई। वे दोनों जि तक क ु सी पर िैठते, वेटर आँडर सवण कर चुका था। िस कफर क्या था, वे लोग जाम िनाने और पीने पर टू ट पड़े। लेककन राजन ने रोकनत को समझा कदया, कक वो कसफ ण कवयर ही पीये।
  • 13. जैसे-जैसे उन लोगों क े हलक में जाम जा रही थी, वे लोग मस्ती में आते जा रहे थे। जिकक रोकनत कवयर की चुस्की ले रहा था और आश्चयण से वहां क े माहौल को देखता जा रहा था। उसे यहां पर आकर स्वप्न लोक की अनुभूकत हो रही थी। इससे पहले न तो उसने ऐसा कवयर वार देखा था और न ही ऐसा फ्र ें ण्ड ग्रुप। आज तो सि क ु ि अजीि था, अद् भुत सा लग रहा था उसे आज तो। िार-िार उसकी नजर स्टेज की ओर जाती थी, जहां वार िालाएं अल्लहड़ डांस कर रही थी। उसका जी चाह रहा था कक वो भी स्टेज पर चढ कर उन वार िाला क े साथ जम कर कथरक े । लेककन उसे डर लग रहा था कक कहीं राजन उसकी िातों का िुरा न मान जाए। इस िीच उसने राजन की नजर िचा कर अपने प्याले में प्तिस्की उड़ेल ली थी और धीरे-धीरे चुस्की रहा था। इसी िीच राजन की नजर उस पर पड़ी और वो उसक े मनोभाव को समझ गया। रोकनत का मनोभाव समझ कर उसक े होंठों पर प्यारी सी मुस्कान कथरक उठी। िस कफर क्या था, वह अपनी शीट से उठा और रोकनत का हाथ पकड़ कर उठाया, कफर स्टेज की ओर िढ गया। उन दोनों को स्टेज की ओर िढता देखकर िाकी क े लड़क े हरे मचाने लगे। उसक े िाद तो रोकनत और राजन ने वार िालाओं क े साथ जमकर गजि का डांस ककया। उन दोनों क े डांस पर हाँल में से मोर अगेइन- मोर अगेइन क े शोर उठने लगे। िहत देर तक उन दोनों ने वार िालाओं क े साथ डांस ककया। इसक े िाद जि थकावट महसूस की, तो अपनी शीट पर आकर िैठ गये। कफर तो इसक े िाद कफर से पीने-कपलाने का दौर शुरू हो गया। हाँल में तो मदहोशी फ ै ल ही चुकी थी, उन लोगों पर भी मदहोशी िाने लगी थी। ऐसे में वे लोग अपनी-अपनी शीट से उठे और िाहर की ओर कनकलने क े कलये िढ चले। जिकक महेश नाम का लड़का िील पेय करने क े कलये क ै श काउंटर की ओर िढ चला। ******** दो महीने िीत चुक े थे, इस दरकमयान रोकनत और राजन क े िीच घकनष्ठता िढ चुकी थी। अि तो अकसर ही दोनों साथ-साथ होते थे। ज्यादातर साथ-साथ ही खाना भी खाते थे। राजन को इतना तो समझ आ चुका था कक रोकनत िहत ही अच्छा लड़का है। उसका व्यवहार अच्छा है और घमंड तो उसमें लेशमात्र भी नहीं। इस दरकमयान राजन ककतनी ही िार रोकनत क े घर जा चुका था, जहां उसे भरपूर सम्मान और प्यार कमलता था। उसे कभी भी महसूस नहीं होता था कक उन लोगों क े अंदर ईगो जैसा क ु ि भी हो। सिक ु ि मजे से चल रहा था, रोज काँलेज की पढाई और शाम को मधुशाला कवयर-वार में फ ू ल मस्ती। अि तो रोकनत खुल चुका था, वो काफी िोड हो चुका था, पहले जैसा शमीला तो वो किल्क ु ल भी नहीं रहा था। अि तो वो राजन क े साथ िैठ कर जी भर कर जाम िलकाता था, पहले-पहल तो राजन को यह अजीि सा लगता था। वो नहीं चाहता था कक रोकनत को शराि की लत लगे, लेककन धीरे-धीरे वह उसे टोकना िंद कर कदया था। वह समझता था कक अमीर घर का लड़का है, मौज कर रहा है। कजस कदन कजम्मेदारी िढेगा, सि भूल जाएगा। लेककन इसी िीच कनणल साहि ने उसक े शादी की िात चला दी। वैसे तो राजन अभी शादी-ब्याह क े कलये किल्क ु ल नहीं तैयार था। अभी तो वो मात्र इक्कीस शाल का हआ था। अभी तो उसने ठीक से दुकनया को समझा भी नहीं था। अभी तो उसक े खेलने खाने क े कदन थे और वो इस समय को फ ु ल एं ज्वाय करना चाहता था। लेककन उसक े कपता ने नाक पर मक्खी िैठने नहीं दी और राजन को झुकना पड़ा । वह जानता था कक उसक े कपता ररटायडण कमकलटरी आँकफसर है, अगर उसने ज्यादा ना-नुक ु र की, तो उसक े जेि पर असर परेगा। वह यही तो नहीं चाहता था, उसक े सारे मौज-शौक कपता क े द्वारा ही पूरा ककए जा रहे थे। इसकलये उसने तनने की िजाये झुक जाने में ही भलाई समझी। राजन अि तक नहीं जानता था कक उसकी शादी ककसक े साथ होने िाली है। वह थोरा भयभीत भी था, उसक े कपता ने कजस लड़की को पसंद ककया है, उसे पसंद नहीं आया तो। यह प्रश्न उसे उलझा रहा था, ति रोकनत ने ही उसे कदलाशा कदया था और लड़की देखने भी वही साथ गया था। श्रेया, सुन्दर और चुलिुली लड़की, एक