1. इस कहानी में ,
कोई हनी बनी नह ीं है ,
कोई पम्पककन भी नह ीं है |
बस एक डोर है वो भी अनसुलझी हुई |
डोर क
े एक ससरे पर ,
अगल बेंच पर एक लडकी है ,पोलका डॉट का स्कार्
फ पहने |
दूसरे ससरे पर ,
पपछल बेंच पर एक लड़का है ,बींद गले का र्
ु लोवर पहने हुए |
बीच में गुत्थी है बुर तरह उलझी हुई |
कक क्यों लड़की दो दााँतों क
े बीच से हाँसती हुई,
बात बेबात बार बार पीछे पलटकर देखती है ?
और क्यों इसक
े बाद लड़क
े क
े सलए पोलका डॉट झझलसमल ससतारों में बदल जाते हैं |
गुत्थी सुलझती कक उसक
े पहले ,
गुबार का गुब्बारा उठकर ससतारों पर छा जाता है |
बाप की बीमार लड़क
े को कालेज की बेंच से
दुकान क
े काउींटर खीच ले जाती है |...
कई सालो बाद...
लड़क
े को एक तस्वीर समलती है
जजसमे लड़की पोलका डॉट वाला स्कार्
फ पहने हुए है |
लड़का काउींटर क
े सामने, द वार पर पलट कर उस तस्वीर को टाींग देता है |
और इींतज़ार करता है कक कब लड़की तस्वीर से ननकलेगी और पलट कर देखेगी |
कहते है कक लड़क
े का इींतज़ार अब भी जार है |||