सोयाबीन की दाल में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है | सोयाबीन को कई तरीको के उपयोग में लाया जाता है जैसे –
सोयाबीन का तेल सब्जी बनाने के लिए उपयोग में लिया जाया है |
इसके बीज की सब्जी बनाकर
सोयाबीन से बड़ी और सोया दूध से टोफू बनाया जाता है |
सोयाबीन को अंकुरित करके भी खाया जाता है |
सोयाबीन का सेवन करने से हड्डियाँ मजबूत होती है और जल्दी फ्रैक्चर नहीं होता है | सोयाबीन में कई तरह के प्रोटीन्स , मिनरल्स और विटामिन्स होते है जो वजन कम करने में , डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद करता है | इसमें पाए जाने वाले गुणों के कारण डॉक्टर भी इसको खाने की सलाह देते है | दोस्तों , आज मै आपको सोयाबीन की दाल बनाना बताउंगी जो खाने में इतनी लाजवाब होती है जिसके आगे आपको सारी दाले फीकी लगेंगी |
झटपट बनाये चटपटे आलू की टेस्टी सब्जी | Potato Fry Recipe | Aloo Fry Recipe कई बार ऐसा होता है की घर में सब्जियां नहीं होती पर आलू पड़े होते है | तब आप आलू की यह रेसिपी बना सकते है जिसको बनाना बहुत ही आसान है और सबसे बड़ी बात यह है की यह घर में पड़े सामान से ही बन जाती है | आलू फ्राई रेसिपी कम मसालों में जल्दी बनकर तैयार हो जाती है | तो आइये आलू फ्राई बनाना शुरू करते है |
बगारा बैंगन एक लोकप्रिय भारतीय व्यंजन है जिसकी उत्पत्ति हैदराबाद क्षेत्र में हुई थी। यह एक स्वादिष्ट और सुगंधित व्यंजन है जो बैंगन, मूंगफली, तिल और मसालों का उपयोगकरके बनाया जाता है।
तवे पर तली हुई दोसा भारत की प्रसिद्ध नाश्ते की एक विधि है। दोसा एक स्वादिष्ट पौष्टिक व्यंजन है जो फेर्मेंटेड दाल और चावल के आटे से बनता है। यह व्यंजन उत्तर भारत के पंजाब से शुरू होकर दक्षिण भारत के तमिलनाडु तक पहुंच गया है। दोसा को आमतौर पर नारियल चटनी, संभर या टमाटर चटनी के साथ परोसा जाता है। यह खाने में बहुत हल्का होता है और पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होता है। दोसा को सबसे अच्छी तरह से बनाने के लिए ताजा चावल और दाल का उपयोग करें।
recipe ingredients सामग्री की पहचान.pdfrecipe idea
recipe ingredients | सामग्री की पहचान
ज्यादातर इंडियन रेसिपी में घर पर बने मसालों का और सामान का इस्तेमाल होता है|उसका कोई माप होता नहीं तब अगर कोई चीज हम बनानी हो तब हम उसका कोई माप नहीं रख सकते उसके लिए यहां पर रेसिपी सामग्री ( recipe ingredients ) का माप दिया हुआ है जो आपको मदद करेगा रेसिपी को बेहतर बनाने में.
मापने के तरीके | measuring methods
ज्यादातर वानगी में टेबल स्पून, चम्मच और कप माप होते हैं। सटीक माप के लिए बाजार में मापने के कप और स्पैनर सेट उपलब्ध हैं। जब कोई डिश किसी आइटम ( recipe ingredients ) के लिए एक कप, टेबल स्पून, या चम्मच को मापता है, तो उसे ऊपर तक भरें। एक कप से मापने से पहले आटे को छान लें। कप में निचोड़ें या टैप न करें। नहीं तो नापने से ज्यादा आटा होगा। डेसर्ट और केक को सही तरीके से मापा जाना चाहिए। अन्य शब्दो में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आकार थोड़ा बहुत छोटा है।
झटपट बनाये चटपटे आलू की टेस्टी सब्जी | Potato Fry Recipe | Aloo Fry Recipe कई बार ऐसा होता है की घर में सब्जियां नहीं होती पर आलू पड़े होते है | तब आप आलू की यह रेसिपी बना सकते है जिसको बनाना बहुत ही आसान है और सबसे बड़ी बात यह है की यह घर में पड़े सामान से ही बन जाती है | आलू फ्राई रेसिपी कम मसालों में जल्दी बनकर तैयार हो जाती है | तो आइये आलू फ्राई बनाना शुरू करते है |
बगारा बैंगन एक लोकप्रिय भारतीय व्यंजन है जिसकी उत्पत्ति हैदराबाद क्षेत्र में हुई थी। यह एक स्वादिष्ट और सुगंधित व्यंजन है जो बैंगन, मूंगफली, तिल और मसालों का उपयोगकरके बनाया जाता है।
तवे पर तली हुई दोसा भारत की प्रसिद्ध नाश्ते की एक विधि है। दोसा एक स्वादिष्ट पौष्टिक व्यंजन है जो फेर्मेंटेड दाल और चावल के आटे से बनता है। यह व्यंजन उत्तर भारत के पंजाब से शुरू होकर दक्षिण भारत के तमिलनाडु तक पहुंच गया है। दोसा को आमतौर पर नारियल चटनी, संभर या टमाटर चटनी के साथ परोसा जाता है। यह खाने में बहुत हल्का होता है और पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होता है। दोसा को सबसे अच्छी तरह से बनाने के लिए ताजा चावल और दाल का उपयोग करें।
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recipe ingredients | सामग्री की पहचान
ज्यादातर इंडियन रेसिपी में घर पर बने मसालों का और सामान का इस्तेमाल होता है|उसका कोई माप होता नहीं तब अगर कोई चीज हम बनानी हो तब हम उसका कोई माप नहीं रख सकते उसके लिए यहां पर रेसिपी सामग्री ( recipe ingredients ) का माप दिया हुआ है जो आपको मदद करेगा रेसिपी को बेहतर बनाने में.
मापने के तरीके | measuring methods
ज्यादातर वानगी में टेबल स्पून, चम्मच और कप माप होते हैं। सटीक माप के लिए बाजार में मापने के कप और स्पैनर सेट उपलब्ध हैं। जब कोई डिश किसी आइटम ( recipe ingredients ) के लिए एक कप, टेबल स्पून, या चम्मच को मापता है, तो उसे ऊपर तक भरें। एक कप से मापने से पहले आटे को छान लें। कप में निचोड़ें या टैप न करें। नहीं तो नापने से ज्यादा आटा होगा। डेसर्ट और केक को सही तरीके से मापा जाना चाहिए। अन्य शब्दो में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आकार थोड़ा बहुत छोटा है।
जब बाहर बारिश हो रही हो और कुछ चटपटा और गरमा-गरम खाने का मन हो और ऐसे में अगर पकोड़े मिल जाए तो मजा ही आ जाता है । इससे मौसम का मज़ा भी दोगुना हो जाता है। शाम की चाय के साथ खाने के लिए सभी को कुछ न कुछ चाहिए होता है । इसी मे से है एक है पकोड़े जो चाय के साथ बहुत ही लाजवाब लगते है । यह सब बहाने है – ब्रेड पकोड़ा कभी भी खा सकते हैं क्यूंकि यह बहुत जल्दी बन जाते है । यह अक्सर सड़क किनारे विक्रेताओ द्वारा बेचा जाता है और सर्दियों के महीनों मे बहुत बिकता है । इसे बनाने के लिए बहुत सारे सामग्री की आवश्यकता नहीं है और बचे हुए ब्रेड से भी बना सकते हैं। आज मैं आपको बची हुई ब्रेड के पकोड़े बनाना बताऊँगी जिसे बनाना बहुत ही आसान है और खाने मे भी बहुत स्वादिष्ट लगते है ।
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कब्ज (कोष्ठबद्धता) के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
कब्ज छोटे-बड़े सभी लोगों को हो जाता है| इसमें खाया हुआ भोजन शौच के साथ बाहर नहीं निकलता| वह आंतों में सूखने लगता है| मतलब यह कि आंतों में शुष्कता बढ़ने के कारण वायु मल को नीचे की तरफ सरकाने में असमर्थ हो जाती है| यही कब्ज की व्याधि कहलाती है|
कारण - प्रतिदिन दोनों समय मल का साफ होकर न निकलना ही कब्ज है| यदि मल त्याग के समय बल लगाना पड़े तो समझ लेना चाहिए कि कब्ज हो गया है| इसमें मल कड़ा और शुष्क हो जाता है| यह रोग वरिष्ठ भोजन, मिर्च-मसालेदार पदार्थों का अत्यधिक सेवन तथा छिलका रहित भोजन लेने, शराब पीने, व्यायाम न करने, दिनभर बैठे-बैठे काम करने आदि के कारण हो जाता है| क्रोध, लोभ, मोह, लालच आदि का भी पेट पर असर पड़ता है, जिससे कब्ज की शिकायत हो जाती है|
पहचान - कब्ज होने पर पेट में दर्द, भारीपन, भोजन में अरुचि, सुस्ती, बेचैनी आदि लक्षण दिखाई देते हैं| यदि कब्ज पुराना हो जाता है तो वायु का रोग हो जाता है| तब सिर, कमर तथा हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत हो जाती है|
नुस्खे - रात को तांबे या मिट्टी के बरतन में पानी रखकर सुबह निहार मुंह पीने से कब्ज टूट जाता है और मल साफ आता है|
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अग्निमांद्य के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
जठराग्नि के मन्द पड़ जाने को अग्निमांद्य कहते हैं| इस रोग में आमाशय (मेदा) तथा आंतों के पचाने की शक्ति कम हो जाती है जिसके कारण खाया-पिया भोजन पिण्ड की तरह पेट में रखा रहता है| इसमें भूख नहीं लगती तथा पानी पीने की भी इच्छा नहीं होती| इसके प्रभाव से शरीर में विष उत्पन्न होने लगते हैं| वायु भी बढ़ने लगती है तथा कई बार मल-मूत्र तक रुक जाता है|
कभी-कभी पेट में वायु का गोला घूमने लगता है| वायु के न निकलने की हालत में उसका दबाव हृदय पर पड़ता है, इसलिए हृदय की धड़कन बढ़ जाती है| उस समय सांस लेने में भी कठिनाई होती है| घबराहट के कारण रोगी इधर-उधर देखता है ताकि उसको आराम की कोई चीज दिखाई दे जाए| रोगी को लगता है, जैसे उसे दिल का दौरा पड़ गया हो| असल में अधपचा भोजन अंतड़ियों में पड़ा सड़ने लगता है जिसकी खुश्की और वायु व्यक्ति को परेशान करती है|
कारण - हम जो कुछ खाते हैं, वह आमाशय में पहुँचता है| लेकिन शोक, क्रोध, चिन्ता, भय, ईर्ष्या, पाखाना-पेशाब रोकने, दिन में आधिक सोने, रात में देर तक जागने, बासी तथा गरिष्ठ भोजन करने, शराब, सिगरेट आदि पीने के कारण यह रोग हो जाता है| यही विकार भोजन को दूषित कर देता है| अत: भोजन की प्राकृतिक पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है|
पहचान - अग्निमांद्य होने पर पेट भारी हो जाती है| वायु बार-बार ऊपर चढ़ती है| इसलिए डकारें आती हैं| पाखाना-पेशाब साफ नहीं आता| बार-बार हाजत लगती है| इसलिए कई बार शौच को जाना पड़ता है| वायु आंतों में रिक्त स्थान करके भर जाती है जिस कारण पेट में दर्द होता है और गुड़गुड़ होती रहती है| पेट फूल जाता है तथा बड़ी बेचैनी होती है| पेट के भारी होने से वायु जब मस्तिष्क की ओर बढ़ने लगती है तो सिर में दर्द होता है| काम में मन नहीं लगता| श्वास फूलने लगता है| शरीर में कमजोरी आ जाती है| चूंकि वायु दिल पर दबाव डालत
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पेट दर्द के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
पेट का दर्द छोटे-बड़े सभी को होता है| अधिकांश लोगों को भोजन करने के उपरांत पेट दर्द होता है, जबकि कुछ लोगों को भोजन से पहले यह पीड़ा होती है| दोनों ही प्रकार का पेट दर्द अनियमित खान-पान, प्रदूषित आहार-विहार तथा शीघ्रतापूर्वक भोजन करने के कारण उत्पन्न होता है| अत: उपचार के साथ-साथ उपरोक्त विषय में भी सावधानी बरतनी चाहिए|
कारण - भोजन ठीक से न पचने, कब्ज, बार-बार दस्त आने तथा पाकस्थली में विकार उत्पन्न होने से पेट में दर्द हो जाता है| कई बार देखा गया है कि पेट में बड़ी तीव्रता से दर्द उठता है| यह आमाशय की बीमारी, पेष्टिक अल्सर, छोटी-बड़ी आंतों के रोग, यकृत तथा पित्ताशय के रोग, गुर्दे के रोग, वायु का अधिक बनना आदि की वजह से होता है| कब्ज तथा अपच में उलटी भी हो जाती है जिसके साथ ही दर्द उठता है|
पहचान - पेट में भारीपन मालूम पड़ता है| सुई चुभने जैसी पीड़ा होती है| अपान वायु तथा मल रुक जाते हैं| कई बार पेट का दर्द भयंकर रूप धारण कर लेता है जिसके कारण अत्यधिक बेचैनी होती है| अपच, अजीर्ण, कब्ज, दस्त, बुखार, जी मिचलाना, उल्टियां आदि होने लगती हैं|
नुस्खे - हरड़ को घी में भूनें| फिर उसे पीसकर चूर्ण बना लें| इसमें से दो चुटकी चूर्ण गरम पानी से सेवक करें| अपान वायु छूटने के बाद पेट का दर्द ठीक हो जाएगा|
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जब बाहर बारिश हो रही हो और कुछ चटपटा और गरमा-गरम खाने का मन हो और ऐसे में अगर पकोड़े मिल जाए तो मजा ही आ जाता है । इससे मौसम का मज़ा भी दोगुना हो जाता है। शाम की चाय के साथ खाने के लिए सभी को कुछ न कुछ चाहिए होता है । इसी मे से है एक है पकोड़े जो चाय के साथ बहुत ही लाजवाब लगते है । यह सब बहाने है – ब्रेड पकोड़ा कभी भी खा सकते हैं क्यूंकि यह बहुत जल्दी बन जाते है । यह अक्सर सड़क किनारे विक्रेताओ द्वारा बेचा जाता है और सर्दियों के महीनों मे बहुत बिकता है । इसे बनाने के लिए बहुत सारे सामग्री की आवश्यकता नहीं है और बचे हुए ब्रेड से भी बना सकते हैं। आज मैं आपको बची हुई ब्रेड के पकोड़े बनाना बताऊँगी जिसे बनाना बहुत ही आसान है और खाने मे भी बहुत स्वादिष्ट लगते है ।
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कब्ज (कोष्ठबद्धता) के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
कब्ज छोटे-बड़े सभी लोगों को हो जाता है| इसमें खाया हुआ भोजन शौच के साथ बाहर नहीं निकलता| वह आंतों में सूखने लगता है| मतलब यह कि आंतों में शुष्कता बढ़ने के कारण वायु मल को नीचे की तरफ सरकाने में असमर्थ हो जाती है| यही कब्ज की व्याधि कहलाती है|
कारण - प्रतिदिन दोनों समय मल का साफ होकर न निकलना ही कब्ज है| यदि मल त्याग के समय बल लगाना पड़े तो समझ लेना चाहिए कि कब्ज हो गया है| इसमें मल कड़ा और शुष्क हो जाता है| यह रोग वरिष्ठ भोजन, मिर्च-मसालेदार पदार्थों का अत्यधिक सेवन तथा छिलका रहित भोजन लेने, शराब पीने, व्यायाम न करने, दिनभर बैठे-बैठे काम करने आदि के कारण हो जाता है| क्रोध, लोभ, मोह, लालच आदि का भी पेट पर असर पड़ता है, जिससे कब्ज की शिकायत हो जाती है|
पहचान - कब्ज होने पर पेट में दर्द, भारीपन, भोजन में अरुचि, सुस्ती, बेचैनी आदि लक्षण दिखाई देते हैं| यदि कब्ज पुराना हो जाता है तो वायु का रोग हो जाता है| तब सिर, कमर तथा हाथ-पैरों में दर्द की शिकायत हो जाती है|
नुस्खे - रात को तांबे या मिट्टी के बरतन में पानी रखकर सुबह निहार मुंह पीने से कब्ज टूट जाता है और मल साफ आता है|
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अग्निमांद्य के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
जठराग्नि के मन्द पड़ जाने को अग्निमांद्य कहते हैं| इस रोग में आमाशय (मेदा) तथा आंतों के पचाने की शक्ति कम हो जाती है जिसके कारण खाया-पिया भोजन पिण्ड की तरह पेट में रखा रहता है| इसमें भूख नहीं लगती तथा पानी पीने की भी इच्छा नहीं होती| इसके प्रभाव से शरीर में विष उत्पन्न होने लगते हैं| वायु भी बढ़ने लगती है तथा कई बार मल-मूत्र तक रुक जाता है|
कभी-कभी पेट में वायु का गोला घूमने लगता है| वायु के न निकलने की हालत में उसका दबाव हृदय पर पड़ता है, इसलिए हृदय की धड़कन बढ़ जाती है| उस समय सांस लेने में भी कठिनाई होती है| घबराहट के कारण रोगी इधर-उधर देखता है ताकि उसको आराम की कोई चीज दिखाई दे जाए| रोगी को लगता है, जैसे उसे दिल का दौरा पड़ गया हो| असल में अधपचा भोजन अंतड़ियों में पड़ा सड़ने लगता है जिसकी खुश्की और वायु व्यक्ति को परेशान करती है|
कारण - हम जो कुछ खाते हैं, वह आमाशय में पहुँचता है| लेकिन शोक, क्रोध, चिन्ता, भय, ईर्ष्या, पाखाना-पेशाब रोकने, दिन में आधिक सोने, रात में देर तक जागने, बासी तथा गरिष्ठ भोजन करने, शराब, सिगरेट आदि पीने के कारण यह रोग हो जाता है| यही विकार भोजन को दूषित कर देता है| अत: भोजन की प्राकृतिक पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है|
पहचान - अग्निमांद्य होने पर पेट भारी हो जाती है| वायु बार-बार ऊपर चढ़ती है| इसलिए डकारें आती हैं| पाखाना-पेशाब साफ नहीं आता| बार-बार हाजत लगती है| इसलिए कई बार शौच को जाना पड़ता है| वायु आंतों में रिक्त स्थान करके भर जाती है जिस कारण पेट में दर्द होता है और गुड़गुड़ होती रहती है| पेट फूल जाता है तथा बड़ी बेचैनी होती है| पेट के भारी होने से वायु जब मस्तिष्क की ओर बढ़ने लगती है तो सिर में दर्द होता है| काम में मन नहीं लगता| श्वास फूलने लगता है| शरीर में कमजोरी आ जाती है| चूंकि वायु दिल पर दबाव डालत
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पेट दर्द के लक्षण व उपचार: (http://spiritualworld.co.in)
पेट का दर्द छोटे-बड़े सभी को होता है| अधिकांश लोगों को भोजन करने के उपरांत पेट दर्द होता है, जबकि कुछ लोगों को भोजन से पहले यह पीड़ा होती है| दोनों ही प्रकार का पेट दर्द अनियमित खान-पान, प्रदूषित आहार-विहार तथा शीघ्रतापूर्वक भोजन करने के कारण उत्पन्न होता है| अत: उपचार के साथ-साथ उपरोक्त विषय में भी सावधानी बरतनी चाहिए|
कारण - भोजन ठीक से न पचने, कब्ज, बार-बार दस्त आने तथा पाकस्थली में विकार उत्पन्न होने से पेट में दर्द हो जाता है| कई बार देखा गया है कि पेट में बड़ी तीव्रता से दर्द उठता है| यह आमाशय की बीमारी, पेष्टिक अल्सर, छोटी-बड़ी आंतों के रोग, यकृत तथा पित्ताशय के रोग, गुर्दे के रोग, वायु का अधिक बनना आदि की वजह से होता है| कब्ज तथा अपच में उलटी भी हो जाती है जिसके साथ ही दर्द उठता है|
पहचान - पेट में भारीपन मालूम पड़ता है| सुई चुभने जैसी पीड़ा होती है| अपान वायु तथा मल रुक जाते हैं| कई बार पेट का दर्द भयंकर रूप धारण कर लेता है जिसके कारण अत्यधिक बेचैनी होती है| अपच, अजीर्ण, कब्ज, दस्त, बुखार, जी मिचलाना, उल्टियां आदि होने लगती हैं|
नुस्खे - हरड़ को घी में भूनें| फिर उसे पीसकर चूर्ण बना लें| इसमें से दो चुटकी चूर्ण गरम पानी से सेवक करें| अपान वायु छूटने के बाद पेट का दर्द ठीक हो जाएगा|
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1. प्रोटीन से भरपूर स्वादिष्ट सोयाबीन की दाल रेसिपी | Soyabean
Dal Recipe in Hindi
सोयाबीन की दाल में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है | सोयाबीन को कई तरीको क
े
उपयोग में लाया जाता है जैसे –
● सोयाबीन का तेल सब्जी बनाने क
े लिए उपयोग में लिया जाया है |
● इसक
े बीज की सब्जी बनाकर
● सोयाबीन से बड़ी और सोया दूध से टोफ
ू बनाया जाता है |
● सोयाबीन को अंक
ु रित करक
े भी खाया जाता है |
सोयाबीन का सेवन करने से हड्डियाँ मजबूत होती है और जल्दी फ्र
ै क्चर नहीं होता
है | सोयाबीन में कई तरह क
े प्रोटीन्स , मिनरल्स और विटामिन्स होते है जो
वजन कम करने में , डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद करता है | इसमें पाए
जाने वाले गुणों क
े कारण डॉक्टर भी इसको खाने की सलाह देते है | दोस्तों , आज
2. मै आपको सोयाबीन की दाल बनाना बताउंगी जो खाने में इतनी लाजवाब होती
है जिसक
े आगे आपको सारी दाले फीकी लगेंगी |
आवश्यक सामग्री – Ingredients for Soyabean Dal Recipe in Hindi
1. सोयाबीन दाल – 1 कप
2. प्याज़ – 2 बारीक़ कटा हुआ
3. टमाटर – 1 बारीक़ कटा हुआ
4. लहसुन – 6 – 8 कलियाँ – कद्दूकस कर ले
5. हरी मिर्च – 2 बारीक़ कटी हुई
6. अदरक – 1/2 छोटा चम्मच कद्दूकस किया हुआ
7. जीरा – 1/2 चम्मच
8. घी – 3 बड़े चम्मच
9. नमक – स्वादनुसार
10. हल्दी पाउडर – 1/4 चम्मच
11. लाल मिर्च पाउडर – 1/2 छोटी चम्मच
12. धनिया पाउडर – 1 चम्मच
13. गरम मसाला पाउडर – 1/2 चम्मच
14. हरा धनिया – 1 चम्मच बारीक़ कटा हुआ
15. हिंग – 1 चुटकी
3. विधि – How to make Soyabean Dal Recipe in Hindi
1. सोयाबीन की दाल बनाने क
े लिए सबसे पहले सोयाबीन दाल को रात भर क
े
लिए पानी में भिगो दीजिये |
2. अब क
ु कर में 2 कप पानी , नमक और सोयाबीन की दाल डालकर गैस पर
उबलने क
े लिए रख दे |
3. क
ु कर में 3 सिटी आने क
े बाद गैस बंद कर दे | (हमने सोयाबीन को रात भर
भिगोई है इसलिए इसे उबलने में ज्यादा समय नहीं लगता )
4. एक कड़ाई में 3 चम्मच घी डालकर गर्म कीजिये |
5. घी गरम होने पर उसमे हिंग और जीरा डालकर हल्का सा भून लीजिये और
जैसे ही जीरा तड़कने लग जाये उसमे बारीक़ कटा हुआ अदरक और लहसुन
डालकर 1 मिनट तक भुन लीजिये |
6. अब हमारा अदरक और लहसुन अच्छी तरह से भुन गया है अब इसमें हम कटा
हुआ प्याज़ डाल देंगे और प्याज़ को हल्का ब्राउन होने तक भूनेंगे |
7. प्याज अच्छी तरह से भुन गया है अब हम इसमें सूखे मसाले डालेंगे – हल्दी
पाउडर , लाला मिर्च पाउडर , धनिया पाउडर , नमक डालकर अच्छी तरह से
मिक्स कर लीजिये |
8. अब बारीक़ कटा हुआ टमाटर डालकर मिक्स कीजिये और मसाले को तबतक
भूनिए जब तक की मसाले से घी अलग न होने लगे |
9. हमारा मसाला भून चूका है | अब उबली हुई सोयाबीन की दाल को पानी सहित
मसाले में डाल दीजिये और धीमी आंच पे ढककर 10 मिनट क
े लिए पकने दे |
10. जब यह अच्छे से पक जाये तब इसमें गरम मसाला और कटा हुआ हरा
धनिया डालकर मिला दे|
11. सोयाबीन दाल बनकर तैयार है , गैस बंद कर दीजिये और दाल को प्याले में
निकाल लीजिये |
4. 12. गरमा गरम सोयाबीन दाल को और भी स्वादिष्ट बनाने क
े लिए ऊपर से थोडा
सा देसी घी डाल दीजिये . दाल क
े ऊपर हरा धनिया डालकर सजाइए |
13. सोयाबीन दाल को परांठे , रोटी , नान , पूरी या चावल किसी क
े भी साथ भी
सर्वे कर सकते है |
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े जरुर बताये