मानवता के लिए देहदान या अंगदान करें. शकुंतला प्रेस ऑफ़ इण्डिया प्रकाशन के माध्यम से हर महीने देहदान करने वाले पहले दो व्यक्तियों का दान (150 रूपये) जो "दधीचि देहदान समिति" संस्था को देना होता है. वो दान की राशि शकुंतला प्रेस ऑफ़ इण्डिया प्रकाशन परिवार अपने बैंक खाते से अदा करेगा और भविष्य में अपने समाचार पत्र-पत्रिकाओं में उनके इस योगदान के विषय में अन्य लोगों को बताकर प्रेरित करने का प्रयास करेगा.
मानवता के लिए देहदान या अंगदान करें. शकुंतला प्रेस ऑफ़ इण्डिया प्रकाशन के माध्यम से हर महीने देहदान करने वाले पहले दो व्यक्तियों का दान (150 रूपये) जो "दधीचि देहदान समिति" संस्था को देना होता है. वो दान की राशि शकुंतला प्रेस ऑफ़ इण्डिया प्रकाशन परिवार अपने बैंक खाते से अदा करेगा और भविष्य में अपने समाचार पत्र-पत्रिकाओं में उनके इस योगदान के विषय में अन्य लोगों को बताकर प्रेरित करने का प्रयास करेगा.
युद्धरत आम आदमी पत्रिका की शुरुआत 1986 में हिन्दी की चर्चित लेखिका, कवयित्री एवं जुझारू महिला नेत्री रमणिका गुप्ता ने त्रैमासिक पत्रिका के रूप में हजारीबाग से की थी। इसका निबंधन 1988 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की सृजनशीलता को प्लेटफार्म प्रदान करना था। बाद में इसका प्रकाशन दिल्ली से होने लगा और वर्ष 2013 के अक्टूबर माह से इसे मासिक पत्रिका में परिणत कर दिया गया। रमणिका जी अब 85 वर्ष की हो चुकी हैं लेकिन अपने मिशन के प्रति आज भी उतनी ही सक्रियता के साथ समर्पित हैं जितना झारखंड की आंदोलनकारी महिला नेत्री के रूप में अथवा बिहार विधान सभा व बिहार विधान परिषद में विधायक के रूप में सन 70 व 80 व 90 के दशक में सक्रिय थीं।
“संस्कार प्रवाह उपवन” एक ऐसा संस्कारों का उपवन (बग़ीचा) है जिसमे संस्कारों की भूमि पर एक सकुशल बाग़बान (माली) अपने प्रयास एवम अद्भुत कौशल के द्वारा एक फुलवारी का निर्माण करता है और तदुपरांत इसमें सुविचारों की खाद डाल इसके तीव्र गति से एवम सुव्यवस्थित ढंग से बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिस फुलवारी के विभिन्न रंग रूप वाले फूलों में प्रत्येक में संस्कारों के मूलभूत गुण जैसे प्रेम, दया, करुणा , मैत्री, क्षमा ,शील, नम्रता, सदभाव, मुदिता, कर्तव्य-परायणता, लक्ष्य के प्रति जागरूकता इत्यादि दिव्य गुणों की दिव्य सुगंध सुवासित होतीहै !
ठीक इसी परिपेक्ष में, ऐसा ही सुनियोजित प्रयत्न आपकी अपनी संस्था "संस्कार उपवन" कर रहीहै जिस फुलवारी के फूल, हमारे नन्हे-२ बालक एवम बालिकायें तथा विकास की ओर अग्रसर हमारी युवा पीढ़ी है ! जिस फुलवारी के निर्माण में अपना अद्भुत कौशल एवं अथक प्रयास द्वारा अपने सुविचारों की खाद डालकर और इन्हे वर्तमान युग के सहजता से मिलने वाले कुसंग रुपी पशु से अपनी फुलवारी के सभी फूलों (हमारे नन्हे-२ बालक एवम बालिकायें तथा विकास की ओर अग्रसर हमारी युवा पीढ़ी) को बचाता हुआ इस संस्था का प्रत्येक शिक्षक ही वो बाग़बान (माली) है जोकि अपने शैक्षणिक कौशल के आधार पर सभी में संस्कारों के मूलभूत गुणों को विकसित करने का कार्य करता है (अपना एक विशेष योगदान देताहै) ! जिससे की प्रत्येक व्यक्ति सुविकसित एवम सुसंस्कारित हो, इसी मूलभूत उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए इस "संस्कार उपवन" का गठन/निर्माण किया गयाहै ! जिसके द्वारा समाज में प्रेम,शांति, सौहाद्रता, सम्पन्नता एवम खुशहाली का वातावरण निर्मित हो एवम सभी जन संस्कारों के इन दिव्य गुणों की सुगंध से स्वयं सुगन्धित होते हुए तथा अपने संपर्क में आनेवाले सभी के जीवन को सुवासित करते हुए शिक्षा के इस सर्वांगीण विकास के उद्देश्य को पूर्ण कर सकें !(शिक्षा के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य की और अग्रसर हों )
Book Shatkarm Vidhan Written by Sri Yogeshwaranand Ji & Sumit Girdharwal Ji provides necessary details to the readers about indian ancient science based on Mantra Tantra Yantra. For more information call us on 9410030994
Shatkarmas are mentioned below
Shanti,
Vashikaran (Mohan & Akarshan)
Stambhan,
Uchattan,
Vidweshan,
Maran
युद्धरत आम आदमी पत्रिका की शुरुआत 1986 में हिन्दी की चर्चित लेखिका, कवयित्री एवं जुझारू महिला नेत्री रमणिका गुप्ता ने त्रैमासिक पत्रिका के रूप में हजारीबाग से की थी। इसका निबंधन 1988 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की सृजनशीलता को प्लेटफार्म प्रदान करना था। बाद में इसका प्रकाशन दिल्ली से होने लगा और वर्ष 2013 के अक्टूबर माह से इसे मासिक पत्रिका में परिणत कर दिया गया। रमणिका जी अब 85 वर्ष की हो चुकी हैं लेकिन अपने मिशन के प्रति आज भी उतनी ही सक्रियता के साथ समर्पित हैं जितना झारखंड की आंदोलनकारी महिला नेत्री के रूप में अथवा बिहार विधान सभा व बिहार विधान परिषद में विधायक के रूप में सन 70 व 80 व 90 के दशक में सक्रिय थीं।
“संस्कार प्रवाह उपवन” एक ऐसा संस्कारों का उपवन (बग़ीचा) है जिसमे संस्कारों की भूमि पर एक सकुशल बाग़बान (माली) अपने प्रयास एवम अद्भुत कौशल के द्वारा एक फुलवारी का निर्माण करता है और तदुपरांत इसमें सुविचारों की खाद डाल इसके तीव्र गति से एवम सुव्यवस्थित ढंग से बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिस फुलवारी के विभिन्न रंग रूप वाले फूलों में प्रत्येक में संस्कारों के मूलभूत गुण जैसे प्रेम, दया, करुणा , मैत्री, क्षमा ,शील, नम्रता, सदभाव, मुदिता, कर्तव्य-परायणता, लक्ष्य के प्रति जागरूकता इत्यादि दिव्य गुणों की दिव्य सुगंध सुवासित होतीहै !
ठीक इसी परिपेक्ष में, ऐसा ही सुनियोजित प्रयत्न आपकी अपनी संस्था "संस्कार उपवन" कर रहीहै जिस फुलवारी के फूल, हमारे नन्हे-२ बालक एवम बालिकायें तथा विकास की ओर अग्रसर हमारी युवा पीढ़ी है ! जिस फुलवारी के निर्माण में अपना अद्भुत कौशल एवं अथक प्रयास द्वारा अपने सुविचारों की खाद डालकर और इन्हे वर्तमान युग के सहजता से मिलने वाले कुसंग रुपी पशु से अपनी फुलवारी के सभी फूलों (हमारे नन्हे-२ बालक एवम बालिकायें तथा विकास की ओर अग्रसर हमारी युवा पीढ़ी) को बचाता हुआ इस संस्था का प्रत्येक शिक्षक ही वो बाग़बान (माली) है जोकि अपने शैक्षणिक कौशल के आधार पर सभी में संस्कारों के मूलभूत गुणों को विकसित करने का कार्य करता है (अपना एक विशेष योगदान देताहै) ! जिससे की प्रत्येक व्यक्ति सुविकसित एवम सुसंस्कारित हो, इसी मूलभूत उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए इस "संस्कार उपवन" का गठन/निर्माण किया गयाहै ! जिसके द्वारा समाज में प्रेम,शांति, सौहाद्रता, सम्पन्नता एवम खुशहाली का वातावरण निर्मित हो एवम सभी जन संस्कारों के इन दिव्य गुणों की सुगंध से स्वयं सुगन्धित होते हुए तथा अपने संपर्क में आनेवाले सभी के जीवन को सुवासित करते हुए शिक्षा के इस सर्वांगीण विकास के उद्देश्य को पूर्ण कर सकें !(शिक्षा के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य की और अग्रसर हों )
Book Shatkarm Vidhan Written by Sri Yogeshwaranand Ji & Sumit Girdharwal Ji provides necessary details to the readers about indian ancient science based on Mantra Tantra Yantra. For more information call us on 9410030994
Shatkarmas are mentioned below
Shanti,
Vashikaran (Mohan & Akarshan)
Stambhan,
Uchattan,
Vidweshan,
Maran