https://kammsutar.in/product/album/
भाई बहन का शारीरिक रिश्ता
कहानी के पात्र:
1. आशना, 20 यियर्ज़ ओल्ड, 5फीट 6" {आक्युपेशन- एयिर्हसटेस्स}
2. वीरेंदर, 33 यियर्ज़ ओल्ड, 5 फीट 11" {आक्युपेशन- सक्सेस्फुल बिज़्नेसमॅन}
कहानी मैं काफ़ी कॅरेक्टर्स ऐसे हैं जो वक्त आने पर अपनी छाप छोड़ेंगे बट मेन करेक्टर्स आशना और वीरेंदर
के ही रहेंगे. तो आइए शुरूकरते हैं..........
काफ़ी लंबी कहानी है, धीरज रखेयगा.
पिछले दस दिनों से बदहाल ज़िंदगी मे फिर से एक किरण आ गई थी. वीरेंदर को होश आ चुका था, उसे आइसीयू
से कॅबिन वॉर्ड मे शिफ्ट करने की तैयारियाँशुरूहो गई थी, आशना की खुशी का ठिकाना ना था, वो जल्द से
जल्द वीरेंदर से मिलना चाहती थी, उसे होश मे देखना चाहती थी. उसकी दुआ ने असर दिखाया था. वो उससे
मिलके उसे अपनी नाराज़गी बताना चाहती थी. वो पूछना चाहती थी कि ज़िंदगी के इतनेख़तरनाक मोड़ पर आने
के बावजूद उसे वीरेंदर ने कुछ बताया क्यूँनहीं. वो जानना चाहती थी उसकी इस हालत के पीछे के हालात. बहुत
कुछ जानना था उसको पर सबसे पहले वो वीरेंदर से मिलना चाहती थी. बस कुछ ही पलों बाद वो उससे मिल
सकेगी, अपने भाई को 12 साल बाद देख सकेगी.
वीरेंदर की ज़िंदगी इस नाज़ुक मोड़ पर कैसे पहुँची और दो भाई बेहन 12 सालों से मिले क्यूँनहीं, जानने के लिए
पढ़ते रहे...........................
जब तक वीरेंदर जी आइक्यूसे कॅबिन में शिफ्ट होते हैं, आइए चलते हैं 12 साल पहले.
आशना तब *****साल की छोटी सी बच्ची थी. अपने माँ-बाप की इक्लोति संतान होने के कारण वो काफ़ी
ज़िद्दी थी. ज़िंदगी की हर खुशी उसके कदमों में थी. उसके पिता यूँतो एक मामूली वकील थे पर अपनी बेटी की
हर ज़िद पूरी करना उनका धरम जैसा बन गया था. पत्नी की मौत के बाद वो दोनो एक दूसरे का सहारा थे.
आशना की माँउसे 2 साल पहले ही छोड़ कर चली गई थी. हाइ BP की शिकार थी. जब आशना 8 साल की हुई
तो उसके पिता ने उसे डलहोजी मैं एक बोरडिंग स्कूल में दाखिल करवा दिया. आशना की ज़िद के आगे उन्हे
झुकना पड़ा और यहाँसे शुरूहुआ आशना की ज़िंदगी का एक नया सफ़र. वो अपने पापा से दूर क्या गई कि
उसके पापा हमेशा के लिए उससे दूर हो गई.
हुआ यूँकि आशना के पिता जी और वीरेंदर के पिता जी सगे भाई थे. वीरेंदर उस वक्त 25 साल का नवयुवक
था. मज़बूत बदन और तेज़ दिमाग़ शायद भगवान किसी किसी को ही नसीब मे देता है. वीरेंदर एक ऐसी
शक्शियत का मालिक था. मार्केटिंग मे एमबीए करने के बाद उसने पापा के बिज़्नेस को जाय्न कर लिया था.
वीरेंदर की माता जी एक ग्रहिणी थी और उसकी छोटी बेहन सीए की तैयारी कर रही थी. पूरा परिवार हसी खुशी
ज़िंदगी गुज़ार रहा था पर ऋतु(आशना की माँ) की मौत के बाद उन्होने काफ़ी ज़ोर दिया कि राजन (आशना के
पापा) दूसरी शादी कर लें या उनके साथ सेट्ल हो जाए. राजेश दूसरी शादी करना नहीं चाहता था और अपनी
वकालत का जो सिक्का उसने अपने शहर मे जमाया था वो दूसरे शहर मे जाके फिर से जमाने का वक्त नहीं
था. इसी सिलसिले मे एक बार वीरेंदर के माता-पिता और छोटी बेहन एक बार राजेश के शहर गये ताकि वो किसी
तरह उसे मना कर अपने साथ ले आए पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था. उन्होने राजेश को मना तो लिया और
अपने साथ लाए भी पर रास्ते मैं एक सड़क दुर्घटना में सब कुछ ख़तम हो गया.
वीरेंदर को जब यह पता चल तो वो अपने आप को संभाल नहीं पाया और एक दम सेखामोशी के अंधेरे मे डूब
गया. आशना और वीरेंदर ने मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया पर वीरेंदर किसी होश-ओ-हवास मे नहीं था.
आशना की उम्र छोटी होने के कारण
नंदा मार्कस कैनेडा में रहती हैं और वह बाबा जी महाराज की भक्त हैं । उसके परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी बाबा जी के भक्त हैं। मगर सुनंदा जी का लगाव महाराज जी से बहुत अधिक है। मगर उसकी मां जो केनडा की ही थी वह अपनी बेटी के इस कदर एक भारतीय साधु के ऊपर श्रद्धा रखने के लिए बेहद परेशान थी।इस बात को लेकरके उनसे हमेशा लड़ती थी और चिढ़ती रहती थी। इसी के चलते वह महाराज जी से भी बहुत चिढ़ती थी और मन ही मन सोचती थी यह भारतीय साधु ने पता नहीं कैसा जादू कर दिया है सुनंदा के ऊपर।
I am the author of this book. The story of the book tells you the wisdom of victory while fighting life struggles, if you are interested then buy it.
The Untold Enslavement of Courage
https://lnkd.in/d3zJP8sA
#bookseries #BOOKERS #BooksWorthReading #BookTwitter #BookBoost
यह पीपीटी एक कुत्ते और एक मैना पर आधारित है| कक्षा नौवीं की हिंदी की किताब का चैप्टर आठ है | ये काफी सरल पीपीटी है जो कुत्ते और मैना के बारे में बताती है। ppt on maina
ppt on bird
animal ppt
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class 9 hindi ppt
ncert
kutta or maina ppt
hajari prasad diwedi ppt
hindi mei ppt
एक कुत्ता और एक मैना ||
Ek kutta or ek maina PPT
PPT on DOG
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2024 State of Marketing Report – by HubspotMarius Sescu
https://www.hubspot.com/state-of-marketing
· Scaling relationships and proving ROI
· Social media is the place for search, sales, and service
· Authentic influencer partnerships fuel brand growth
· The strongest connections happen via call, click, chat, and camera.
· Time saved with AI leads to more creative work
· Seeking: A single source of truth
· TLDR; Get on social, try AI, and align your systems.
· More human marketing, powered by robots
ChatGPT is a revolutionary addition to the world since its introduction in 2022. A big shift in the sector of information gathering and processing happened because of this chatbot. What is the story of ChatGPT? How is the bot responding to prompts and generating contents? Swipe through these slides prepared by Expeed Software, a web development company regarding the development and technical intricacies of ChatGPT!
Product Design Trends in 2024 | Teenage EngineeringsPixeldarts
The realm of product design is a constantly changing environment where technology and style intersect. Every year introduces fresh challenges and exciting trends that mold the future of this captivating art form. In this piece, we delve into the significant trends set to influence the look and functionality of product design in the year 2024.
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental HealthThinkNow
Mental health has been in the news quite a bit lately. Dozens of U.S. states are currently suing Meta for contributing to the youth mental health crisis by inserting addictive features into their products, while the U.S. Surgeon General is touring the nation to bring awareness to the growing epidemic of loneliness and isolation. The country has endured periods of low national morale, such as in the 1970s when high inflation and the energy crisis worsened public sentiment following the Vietnam War. The current mood, however, feels different. Gallup recently reported that national mental health is at an all-time low, with few bright spots to lift spirits.
To better understand how Americans are feeling and their attitudes towards mental health in general, ThinkNow conducted a nationally representative quantitative survey of 1,500 respondents and found some interesting differences among ethnic, age and gender groups.
Technology
For example, 52% agree that technology and social media have a negative impact on mental health, but when broken out by race, 61% of Whites felt technology had a negative effect, and only 48% of Hispanics thought it did.
While technology has helped us keep in touch with friends and family in faraway places, it appears to have degraded our ability to connect in person. Staying connected online is a double-edged sword since the same news feed that brings us pictures of the grandkids and fluffy kittens also feeds us news about the wars in Israel and Ukraine, the dysfunction in Washington, the latest mass shooting and the climate crisis.
Hispanics may have a built-in defense against the isolation technology breeds, owing to their large, multigenerational households, strong social support systems, and tendency to use social media to stay connected with relatives abroad.
Age and Gender
When asked how individuals rate their mental health, men rate it higher than women by 11 percentage points, and Baby Boomers rank it highest at 83%, saying it’s good or excellent vs. 57% of Gen Z saying the same.
Gen Z spends the most amount of time on social media, so the notion that social media negatively affects mental health appears to be correlated. Unfortunately, Gen Z is also the generation that’s least comfortable discussing mental health concerns with healthcare professionals. Only 40% of them state they’re comfortable discussing their issues with a professional compared to 60% of Millennials and 65% of Boomers.
Race Affects Attitudes
As seen in previous research conducted by ThinkNow, Asian Americans lag other groups when it comes to awareness of mental health issues. Twenty-four percent of Asian Americans believe that having a mental health issue is a sign of weakness compared to the 16% average for all groups. Asians are also considerably less likely to be aware of mental health services in their communities (42% vs. 55%) and most likely to seek out information on social media (51% vs. 35%).
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdfmarketingartwork
Creative operations teams expect increased AI use in 2024. Currently, over half of tasks are not AI-enabled, but this is expected to decrease in the coming year. ChatGPT is the most popular AI tool currently. Business leaders are more actively exploring AI benefits than individual contributors. Most respondents do not believe AI will impact workforce size in 2024. However, some inhibitions still exist around AI accuracy and lack of understanding. Creatives primarily want to use AI to save time on mundane tasks and boost productivity.
Organizational culture includes values, norms, systems, symbols, language, assumptions, beliefs, and habits that influence employee behaviors and how people interpret those behaviors. It is important because culture can help or hinder a company's success. Some key aspects of Netflix's culture that help it achieve results include hiring smartly so every position has stars, focusing on attitude over just aptitude, and having a strict policy against peacocks, whiners, and jerks.
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024Neil Kimberley
PepsiCo provided a safe harbor statement noting that any forward-looking statements are based on currently available information and are subject to risks and uncertainties. It also provided information on non-GAAP measures and directing readers to its website for disclosure and reconciliation. The document then discussed PepsiCo's business overview, including that it is a global beverage and convenient food company with iconic brands, $91 billion in net revenue in 2023, and nearly $14 billion in core operating profit. It operates through a divisional structure with a focus on local consumers.
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)contently
This document provides an overview of content methodology best practices. It defines content methodology as establishing objectives, KPIs, and a culture of continuous learning and iteration. An effective methodology focuses on connecting with audiences, creating optimal content, and optimizing processes. It also discusses why a methodology is needed due to the competitive landscape, proliferation of channels, and opportunities for improvement. Components of an effective methodology include defining objectives and KPIs, audience analysis, identifying opportunities, and evaluating resources. The document concludes with recommendations around creating a content plan, testing and optimizing content over 90 days.
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024Albert Qian
The document provides guidance on preparing a job search for 2024. It discusses the state of the job market, focusing on growth in AI and healthcare but also continued layoffs. It recommends figuring out what you want to do by researching interests and skills, then conducting informational interviews. The job search should involve building a personal brand on LinkedIn, actively applying to jobs, tailoring resumes and interviews, maintaining job hunting as a habit, and continuing self-improvement. Once hired, the document advises setting new goals and keeping skills and networking active in case of future opportunities.
A report by thenetworkone and Kurio.
The contributing experts and agencies are (in an alphabetical order): Sylwia Rytel, Social Media Supervisor, 180heartbeats + JUNG v MATT (PL), Sharlene Jenner, Vice President - Director of Engagement Strategy, Abelson Taylor (USA), Alex Casanovas, Digital Director, Atrevia (ES), Dora Beilin, Senior Social Strategist, Barrett Hoffher (USA), Min Seo, Campaign Director, Brand New Agency (KR), Deshé M. Gully, Associate Strategist, Day One Agency (USA), Francesca Trevisan, Strategist, Different (IT), Trevor Crossman, CX and Digital Transformation Director; Olivia Hussey, Strategic Planner; Simi Srinarula, Social Media Manager, The Hallway (AUS), James Hebbert, Managing Director, Hylink (CN / UK), Mundy Álvarez, Planning Director; Pedro Rojas, Social Media Manager; Pancho González, CCO, Inbrax (CH), Oana Oprea, Head of Digital Planning, Jam Session Agency (RO), Amy Bottrill, Social Account Director, Launch (UK), Gaby Arriaga, Founder, Leonardo1452 (MX), Shantesh S Row, Creative Director, Liwa (UAE), Rajesh Mehta, Chief Strategy Officer; Dhruv Gaur, Digital Planning Lead; Leonie Mergulhao, Account Supervisor - Social Media & PR, Medulla (IN), Aurelija Plioplytė, Head of Digital & Social, Not Perfect (LI), Daiana Khaidargaliyeva, Account Manager, Osaka Labs (UK / USA), Stefanie Söhnchen, Vice President Digital, PIABO Communications (DE), Elisabeth Winiartati, Managing Consultant, Head of Global Integrated Communications; Lydia Aprina, Account Manager, Integrated Marketing and Communications; Nita Prabowo, Account Manager, Integrated Marketing and Communications; Okhi, Web Developer, PNTR Group (ID), Kei Obusan, Insights Director; Daffi Ranandi, Insights Manager, Radarr (SG), Gautam Reghunath, Co-founder & CEO, Talented (IN), Donagh Humphreys, Head of Social and Digital Innovation, THINKHOUSE (IRE), Sarah Yim, Strategy Director, Zulu Alpha Kilo (CA).
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024Search Engine Journal
The search marketing landscape is evolving rapidly with new technologies, and professionals, like you, rely on innovative paid search strategies to meet changing demands.
It’s important that you’re ready to implement new strategies in 2024.
Check this out and learn the top trends in paid search advertising that are expected to gain traction, so you can drive higher ROI more efficiently in 2024.
You’ll learn:
- The latest trends in AI and automation, and what this means for an evolving paid search ecosystem.
- New developments in privacy and data regulation.
- Emerging ad formats that are expected to make an impact next year.
Watch Sreekant Lanka from iQuanti and Irina Klein from OneMain Financial as they dive into the future of paid search and explore the trends, strategies, and technologies that will shape the search marketing landscape.
If you’re looking to assess your paid search strategy and design an industry-aligned plan for 2024, then this webinar is for you.
5 Public speaking tips from TED - Visualized summarySpeakerHub
From their humble beginnings in 1984, TED has grown into the world’s most powerful amplifier for speakers and thought-leaders to share their ideas. They have over 2,400 filmed talks (not including the 30,000+ TEDx videos) freely available online, and have hosted over 17,500 events around the world.
With over one billion views in a year, it’s no wonder that so many speakers are looking to TED for ideas on how to share their message more effectively.
The article “5 Public-Speaking Tips TED Gives Its Speakers”, by Carmine Gallo for Forbes, gives speakers five practical ways to connect with their audience, and effectively share their ideas on stage.
Whether you are gearing up to get on a TED stage yourself, or just want to master the skills that so many of their speakers possess, these tips and quotes from Chris Anderson, the TED Talks Curator, will encourage you to make the most impactful impression on your audience.
See the full article and more summaries like this on SpeakerHub here: https://speakerhub.com/blog/5-presentation-tips-ted-gives-its-speakers
See the original article on Forbes here:
http://www.forbes.com/forbes/welcome/?toURL=http://www.forbes.com/sites/carminegallo/2016/05/06/5-public-speaking-tips-ted-gives-its-speakers/&refURL=&referrer=#5c07a8221d9b
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd Clark Boyd
Everyone is in agreement that ChatGPT (and other generative AI tools) will shape the future of work. Yet there is little consensus on exactly how, when, and to what extent this technology will change our world.
Businesses that extract maximum value from ChatGPT will use it as a collaborative tool for everything from brainstorming to technical maintenance.
For individuals, now is the time to pinpoint the skills the future professional will need to thrive in the AI age.
Check out this presentation to understand what ChatGPT is, how it will shape the future of work, and how you can prepare to take advantage.
The document provides career advice for getting into the tech field, including:
- Doing projects and internships in college to build a portfolio.
- Learning about different roles and technologies through industry research.
- Contributing to open source projects to build experience and network.
- Developing a personal brand through a website and social media presence.
- Networking through events, communities, and finding a mentor.
- Practicing interviews through mock interviews and whiteboarding coding questions.
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search IntentLily Ray
1. Core updates from Google periodically change how its algorithms assess and rank websites and pages. This can impact rankings through shifts in user intent, site quality issues being caught up to, world events influencing queries, and overhauls to search like the E-A-T framework.
2. There are many possible user intents beyond just transactional, navigational and informational. Identifying intent shifts is important during core updates. Sites may need to optimize for new intents through different content types and sections.
3. Responding effectively to core updates requires analyzing "before and after" data to understand changes, identifying new intents or page types, and ensuring content matches appropriate intents across video, images, knowledge graphs and more.
A brief introduction to DataScience with explaining of the concepts, algorithms, machine learning, supervised and unsupervised learning, clustering, statistics, data preprocessing, real-world applications etc.
It's part of a Data Science Corner Campaign where I will be discussing the fundamentals of DataScience, AIML, Statistics etc.
Time Management & Productivity - Best PracticesVit Horky
Here's my presentation on by proven best practices how to manage your work time effectively and how to improve your productivity. It includes practical tips and how to use tools such as Slack, Google Apps, Hubspot, Google Calendar, Gmail and others.
The six step guide to practical project managementMindGenius
The six step guide to practical project management
If you think managing projects is too difficult, think again.
We’ve stripped back project management processes to the
basics – to make it quicker and easier, without sacrificing
the vital ingredients for success.
“If you’re looking for some real-world guidance, then The Six Step Guide to Practical Project Management will help.”
Dr Andrew Makar, Tactical Project Management
2024 State of Marketing Report – by HubspotMarius Sescu
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See the original article on Forbes here:
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ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd Clark Boyd
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Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search IntentLily Ray
1. Core updates from Google periodically change how its algorithms assess and rank websites and pages. This can impact rankings through shifts in user intent, site quality issues being caught up to, world events influencing queries, and overhauls to search like the E-A-T framework.
2. There are many possible user intents beyond just transactional, navigational and informational. Identifying intent shifts is important during core updates. Sites may need to optimize for new intents through different content types and sections.
3. Responding effectively to core updates requires analyzing "before and after" data to understand changes, identifying new intents or page types, and ensuring content matches appropriate intents across video, images, knowledge graphs and more.
A brief introduction to DataScience with explaining of the concepts, algorithms, machine learning, supervised and unsupervised learning, clustering, statistics, data preprocessing, real-world applications etc.
It's part of a Data Science Corner Campaign where I will be discussing the fundamentals of DataScience, AIML, Statistics etc.
Time Management & Productivity - Best PracticesVit Horky
Here's my presentation on by proven best practices how to manage your work time effectively and how to improve your productivity. It includes practical tips and how to use tools such as Slack, Google Apps, Hubspot, Google Calendar, Gmail and others.
The six step guide to practical project managementMindGenius
The six step guide to practical project management
If you think managing projects is too difficult, think again.
We’ve stripped back project management processes to the
basics – to make it quicker and easier, without sacrificing
the vital ingredients for success.
“If you’re looking for some real-world guidance, then The Six Step Guide to Practical Project Management will help.”
Dr Andrew Makar, Tactical Project Management
4. 4
भाई बहन का शारीरिक रिश्ता
कहानी के पात्र:
1. आशना, 20 यियर्ज़ ओल्ड, 5फीट 6" {आक्युपेशन- एयिर्हसटेस्स}
2. वीरेंदर, 33 यियर्ज़ ओल्ड, 5 फीट 11" {आक्युपेशन- सक्सेस्फुल बिज़्नेसमॅन}
कहानी मैं काफ़ी कॅरेक्टर्स ऐसे हैं जो वक्त आने पर अपनी छाप छोड़ेंगे बट मेन करेक्टर्स आशना और वीरेंदर
के ही रहेंगे. तो आइए शुरू करते हैं..........
काफ़ी लंबी कहानी है, धीरज रखेेयगा.
पिछले दस दिनों से बदहाल ज़िंदगी मे फिर से एक किरण आ गई थी. वीरेंदर को होश आ चुका था, उसे आइसीयू
से कॅबिन वॉर्ड मे शिफ्ट करने की तैयारियाँ शुरू हो गई थी, आशना की खुशी का ठिकाना ना था, वो जल्द से
जल्द वीरेंदर से मिलना चाहती थी, उसे होश मे देखना चाहती थी. उसकी दुआ ने असर दिखाया था. वो उससे
मिलके उसे अपनी नाराज़गी बताना चाहती थी. वो पूछना चाहती थी कि ज़िंदगी के इतने ख़तरनाक मोड़ पर आने
के बावजूद उसे वीरेंदर ने कुछ बताया क्यूँ नहीं. वो जानना चाहती थी उसकी इस हालत के पीछे के हालात. बहुत
कुछ जानना था उसको पर सबसे पहले वो वीरेंदर से मिलना चाहती थी. बस कुछ ही पलों बाद वो उससे मिल
सकेगी, अपने भाई को 12 साल बाद देख सकेगी.
वीरेंदर की ज़िंदगी इस नाज़ुक मोड़ पर कैसे पहुँची और दो भाई बेहन 12 सालों से मिले क्यूँ नहीं, जानने के लिए
पढ़ते रहे...........................
जब तक वीरेंदर जी आइक्यू से कॅबिन में शिफ्ट होते हैं, आइए चलते हैं 12 साल पहले.
आशना तब *****साल की छोटी सी बच्ची थी. अपने माँ-बाप की इक्लोति संतान होने के कारण वो काफ़ी
ज़िद्दी थी. ज़िंदगी की हर खुशी उसके कदमों में थी. उसके पिता यूँ तो एक मामूली वकील थे पर अपनी बेटी की
हर ज़िद पूरी करना उनका धरम जैसा बन गया था. पत्नी की मौत के बाद वो दोनो एक दूसरे का सहारा थे.
आशना की माँ उसे 2 साल पहले ही छोड़ कर चली गई थी. हाइ BP की शिकार थी. जब आशना 8 साल की हुई
5. 5
तो उसके पिता ने उसे डलहोजी मैं एक बोरडिंग स्कूल में दाखिल करवा दिया. आशना की ज़िद के आगे उन्हे
झुकना पड़ा और यहाँ से शुरू हुआ आशना की ज़िंदगी का एक नया सफ़र. वो अपने पापा से दूर क्या गई कि
उसके पापा हमेशा के लिए उससे दूर हो गई.
हुआ यूँ कि आशना के पिता जी और वीरेंदर के पिता जी सगे भाई थे. वीरेंदर उस वक्त 25 साल का नवयुवक
था. मज़बूत बदन और तेज़ दिमाग़ शायद भगवान किसी किसी को ही नसीब मे देता है. वीरेंदर एक ऐसी
शक्शियत का मालिक था. मार्केटिंग मे एमबीए करने के बाद उसने पापा के बिज़्नेस को जाय्न कर लिया था.
वीरेंदर की माता जी एक ग्रहिणी थी और उसकी छोटी बेहन सीए की तैयारी कर रही थी. पूरा परिवार हसी खुशी
ज़िंदगी गुज़ार रहा था पर ऋतु (आशना की माँ) की मौत के बाद उन्होने काफ़ी ज़ोर दिया कि राजन (आशना के
पापा) दूसरी शादी कर लें या उनके साथ सेट्ल हो जाए. राजेश दूसरी शादी करना नहीं चाहता था और अपनी
वकालत का जो सिक्का उसने अपने शहर मे जमाया था वो दूसरे शहर मे जाके फिर से जमाने का वक्त नहीं
था. इसी सिलसिले मे एक बार वीरेंदर के माता-पिता और छोटी बेहन एक बार राजेश के शहर गये ताकि वो किसी
तरह उसे मना कर अपने साथ ले आए पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था. उन्होने राजेश को मना तो लिया और
अपने साथ लाए भी पर रास्ते मैं एक सड़क दुर्घटना में सब कुछ ख़तम हो गया.
वीरेंदर को जब यह पता चल तो वो अपने आप को संभाल नहीं पाया और एक दम से खामोशी के अंधेरे मे डूब
गया. आशना और वीरेंदर ने मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया पर वीरेंदर किसी होश-ओ-हवास मे नहीं था.
आशना की उम्र छोटी होने के कारण वीरेंदर की कंपनी के पीए ने समझदारी दिखाते हुए उसे जल्दी हुए बोरडिंग
भेज दिया ताकि वो इस दुख को भूल सके पर वीरेंदर को तो जैसे होश ही नहीं था कि वो कॉन हैं और उसे उस
बच्ची को संभालना है. आशना के दिल-ओ-दिमाग़ पर वीरेंदर की शक्शियत का काफ़ी गहरा असर पड़ा. वो उससे
नफ़रत करने लगी और इस नफ़रत का ही असर था कि दोनो भाई बेहन 12 सालो तक एक दूसरे से नहीं मिले
या यूँ कहे कि आशना ने कभी मिलने का मोका ही नहीं दिया. धीरे-धीरे वीरेंदर की ज़िंदगी मे ठहराव आता चला
गया. वो सब से कटने लगा पर अपने बिज़्नेस को बखूबी अंजाम देता और आशना की फी और बाकी की ज़रूरतों
का भी ध्यान रखता पर आशना को इसकी भनक भी नहीं लगने दी.
वो जानता था कि आशना उसे पसंद नहीं करती और उसने भी उसे मनाने की कोशिश नहीं की. ज़िंदगी से कट सा
गया था वो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था कोई उसके बारे मैं क्या सोचता है. दिन भर काम और शाम को घर मे
जिम यही उसकी रुटीन रह गई थी.
लेकिन उसकी ज़िंदगी मे कोई था जिसे वो अपना हर हाल सुनाता, मेरा मतलब लिख के बताता. जी हां सही
समझा आपने वीरेंदर को तन्हाईयो मे डाइयरी लिखने की आदत थी. वो घंटो बैठ कर लिखता रहता. उस डाइयरी
मे वो क्या लिखता किसी को भी पता नहीं था. किसी को कुछ पता भी कैसे लगता इतने आलीशान बंग्लॉ मे
उसके अलावा उनका पुराना नौकर बिहारी ही रहता था जो कि अनपढ़ था. पहले वो भी बाहर सर्वेंट क्वार्टेर मे
रहता था पर अब वो ग्राउंड फ्लोर मे बने एक स्टोर मे सो जाता था ताकि वीरेंदर को रात को भी किसी चीज़
की ज़रूरत पड़े तो वो फॉरन उसे पूरा कर दे. अक्सर वो रात को उठकर वीरेंदर के कमरे तक जाता और अगर
वीरेंदर डाइयरी लिखते लिखते सो गया होता तो उसे अच्छे से चादर से धक कर रूम की लाइट बंद कर देता. ऐसा
अक्सर होता कि वीरेंदर जिम करने के बाद कुछ देर आराम करता, फोन पर बिज़्नेस की कुछ डील्स करता और
फिर डिन्नर के बाद अपने रूम में डाइयरी लिखने बैठ जाता. लोगों की नज़र मे उसकी इतनी ही ज़िंदगी थी पर
उसकी ज़िंदगी मे और भी काफ़ी तूफान थे जिनकी सर्द हवा से वीरेंदर ही वाकिफ़ था.
मिस आशना डॉक्टर. आपसे मिलना चाहते हैं....... इस आवाज़ ने आशना की तंद्रा को तोडा.
6. 6
आशना: भैया को शिफ्ट कर दिया आप ने
वॉर्ड बॉय: हां, वो डॉक्टर. साहब आपसे मिलना चाहते हैं.
आशना: तुम चलो मैं अभी आती हूँ. वॉर्डबॉय के जाने के बाद आशना ने अपनी जॅकेट की ज़िप बंद की, आज
काफ़ी ठंड थी. सर्द हवाए शरीर को झिकज़ोर रही थी. आशना डॉक्टर. रूम की तरफ मूडी ही थी कि उसके कदम
रुक गये. वो फिर से मूडी और कॅबिन के ग्लास से उसने वीरेंदर को देखा फिर तेज़ी से मुड़कर डॉक्टर. रूम की
तरफ चल दी.
डॉक्टर के कॅबिन से बाहर निकलते ही आशना ने कुछ डिसिशन्स ले लिए थे, वैसे यह उसकी आदत समझ
लीजिए या उसकी नेचर कि वो हर डिसिशन खुद ही लेती थी. बचपन मे माँ के गुज़र जाने के बाद और उसके
बाद हॉस्टिल की ज़िंदगी ने उसे एक इनडिपेंडेंट लड़की बना दिया था जो कि अपने डिसिशन खुद ले सके और
उनपे अमल कर सके.
सबसे पहला डिसिशन तो उसने अपनी छुट्टी बढ़ाने का सोच लिया था, उसने सोच लिया था कि वो कल ही
एरलाइन्स मे फोन करके अपनी लीव एक्सटेंड करवा देगी और अगर लीव एक्सटेंड ना हुई तो वो एयिर्हसटेस्स
की नोकरी छोड़ने को तैयार भी थी. आख़िर कितना ग़लत समझा उसने उस इंसान को जिसने उसकी हर खुशी की
कीमत चुकाई वो भी बिना उसे किसी भनक लगने के. यह तो डॉक्टर. मिसेज़. & मिस्टर. गुप्ता वीरेंदर की
फॅमिली के फॅमिली डॉक्टर. थे तो उन्होने आशना को इस सब की जानकारी दे दी वरना वो तो ज़िंदगी भर इस
सच से अंजान रहती. डॉक्टर दंपति से आशना को कुछ ऐसी बातों के बारे मे पता लगा जो शायद उसे कभी
मालूम ना पड़ती और वो वीरेंदर को हमेशा ग़लत ही समझती. हॉस्टिल की टफ ज़िंदगी जीने के बाद भी आज
आशना की आँखों मे ज़रा सी नमी देखी जा सकती थी. इससे पहले कि वो टूट जाती वो डॉक्टर के. कॅबिन से
बाहर निकल आई और सीधा उस कॅबिन वॉर्ड की ओर चल पड़ी जहाँ वीरेंदर अपनी साँसे समेट रहा था. वो अभी
भी सोया हुआ था. उसके आस पास की मशीनो की बीप आशना को वहाँ ज़्यादा देर तक ठहरने नहीं देती है और
वो कॅबिन से बाहर आ जाती है. बाहर आते ही उसे बिहारी काका दिखे जो कि एक टिफिन में आशना के लिए
खाना लेकर आए थे. बिहारी काका ने रोज़ की तरह टिफिन उसके पास रखा और जाने के लिए मुड़े ही थे कि
आशना ने उन्हे पुकारा.
आशना: आप कॉन है जो पिछले तीन दिन से मेरे लिए खाना ला रहे हैं.
बिहारी कुछ देर के लिए थीट्का और फिर आशना की तरफ मुड़ा और बोला, बिटिया मैं छोटे मालिक के घर का
नौकर हूँ. जिस दिन आप आई तो डॉक्टर. बाबू ने बताया कि कोई लड़की वीरेंदर बाबू के लिए हॉस्पिटल आई है.
मुझे लगा कि उनके क्लाइंट्स में से कोई होगी पर यहाँ आके जब आपका हाल देखा तो लगा कि आप उनकी
कोई रिश्तेदार होंगी. आप उस दिन सारा दिन आइक्यू के बाहर खड़ी रहीं, डॉक्टर. ने बताया पर आप ने किसी से
कोई बात नहीं की. मैने भी आपको बुलाने की कोशिश की पर आप किसी की आवाज़ सुन ही नहीं रही थी.
आशना: वो मैं परेशान थी पर अब वीरेंदर ठीक है, डॉक्टर. कहते हैं कि अब वो ठीक हैं.
बिहारी: वीरेंदर बाबू तो पिछले 8 साल से ऐसे ही हैं. किसी से कुछ बोलते नहीं, ना कोई बात करते हैं. सिर्फ़
काम और फिर हवेली आके अपने रूम मे डाइयरी लिखने बैठ जाते हैं और कई बार तो बिना खाना ख़ाके ही सो
जाते हैं. अच्छा बिटिया अब मैं चलता हूँ, घर पर कोई नहीं है. किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बुला लेना.
7. 7
आशना: जी काका.
बिहारी: बिटिया तुम्हारा वीरेंदर बाबू के साथ क्या रिश्ता है ?
आशना: हड़बड़ाते हुए, जी वो काका मैं आपको फोन करके दूँगी जब कोई काम होगा. पता नहीं क्यूँ पर आशना
उसको बताना नहीं चाहती थी कि वो वीरेंदर की छोटी बेहन है.
बिहारी काका जाने के लिए मुड़े ही थे कि आशना ने पूछा: काका, हवेली यहाँ से कितनी दूर है.
बिहारी: बेटा गाड़ी से कोई 15-20 मिनट. लगते हैं और बिटिया तुम हवेली का लॅंडलाइन नंबर. लेलो ताकि कोई
भी काम पड़ने पर तुम मुझे बोल सको.
आशना ने नो. नोट किया और बिहारी वहाँ से चला गया. आशना ने टिफिन की तरफ देखा और उसे उठा कर
वेटिंग हॉल मे जाकर लंच करने लगी. आज कितने दिनों बाद उसने मन से खाया था. खाना ख़ाके वो वीरेंदर के
कॅबिन मे गई तो पाया वीरेंदर अभी भी सोया हुआ था. आशना ने मोबाइल मे टाइम देखा, 3:30 बजने को आए
थे. आशना डॉक्टर. रूम की तरफ चल पड़ी. नॉक करने पर डॉक्टर. मिसेज़. गुप्ता ने उसे अंदर आने के लिए
कहा.
आशना: वीरेंदर को अभी तक होश नहीं आया है डॉक्टर. ?
मिसेज़. गुप्ता: मुस्कुराते हुए, डॉन'ट वरी माइ डियर. ही ईज़ आब्सोल्यूट्ली ओके नाउ. दवाइयों का असर है 15
से 20 घंटो मे वीरेंदर पूरी तरह नॉर्मल हो जाएगा. हां पूरी तरह से नॉर्मल लाइफ जीने के लिए उसे कुछ 8-10
दिन लग जाएँगे. इतने दिन उसका काफ़ी ध्यान रखना होगा. आइ थिंक उसे इतने दिन हॉस्पिटल मे ही रख लेते
हैं यहाँ नर्सस उसका ध्यान अच्छे से रख सकेंगी.
आशना: नहीं डॉक्टर. आप जितनी जल्दी हो सके भैया को डिसचार्ज कर दें. मुझे लगता है कि भैया घर पर
जल्दी ठीक हो जाएँगे.
मिसेज़. गुप्ता: ओके तो फिर हम कल सुबह ही वीरेंदर को डिसचार्ज कर देते हैं और उनके साथ एक नर्स
अपायंट कर देते हैं जो घर पर उनका ख़याल रखेगी.
आशना: डॉन'ट वरी डॉक्टर. "भैया का ख़याल मैं रखूँगी".
डॉक्टर.: आर यू श्योर?
आशना: आब्सोल्यूट्ली
डॉक्टर., आप भूल रहे हैं कि मैं एक एयिर्हसटेस्स हूँ आंड आइ कॅन मॅनेज दट.
डॉक्टर. ओके देन फाइन, वी विल डिसचार्ज हिम टुमॉरो मॉर्निंग.
आशना: थॅंक्स डॉक्टर.
मिसेज़. गुप्ता: आशना, अगर तुम शाम को फ्री हो तो हम दोनो कहीं बाहर कॉफी पीने चलते हैं, तुमसे कुछ बातें
भी डिसकस करनी हैं.
8. 8
आशना: नो प्राब्लम. डॉक्टर.
मिसेज़ गुप्ता: ओके देन, ठीक 5:30 मुझे मेरे कॅबिन मे आकर मिलो. आशना बाहर आते हुए सोच रही थी कि
मिसेज़. गुप्ता उन्हे क्या बताना चाह रही है. अभी उसे डॉक्टर. कि पिछली मीटिंग मैं खड़े सवालो के जवाब भी
ढूँढने थे. यही सोचते सोचते वो वीरेंदर के कॅबिन से बाहर रखे सोफे पे बैठ गई और काफ़ी हल्का महसूस करने
पर कुछ ही पलो मे उसकी आँख लग गई.
आशना सपनो की दुनिया से बाहर आई मिसेज़. गुप्ता (डॉक्टर. बीना) की आवाज़ से.
डॉक्टर. बीना: आशना उठो शाम होने को है. आशना हड़बड़ा के उठ गई और थोड़ा सा जेंप गई.
डॉक्टर. बीना: अरे सोना था तो गेस्ट रूम यूज़ कर लेती, यहाँ सोफे पर बैठ कर थोड़े ही सोया जाता है.
आशना: नहीं डॉक्टर. वो मैं भैया को देखने आई थी तो सोचा यहीं बैठ कर इंतज़ार कर लूँ, पता नहीं कैसे आँख
लग गई. डॉक्टर.: इतने दिन से तुम सोई कहाँ हो. मेरी मानो आज रात को तुम हवेली चली जाओ. सुबह अच्छी
तरह से फ्रेश होके वीरेंदर को अपने साथ ले जाना.
आशना: सोचूँगी डॉक्टर. पहले आप कहीं चलने की बात कर रही थी, क्या 5:30 हो गये है आशना ने उड़ती हुई
नज़र अपनी मोबाइल की स्क्रीन पे देखते हुए पूछा. ओह माइ गॉड, 6:00 बज गये. सॉरी डॉक्टर. वो मैं नींद में
थी तो पता नहीं चला टाइम का.
डॉक्टर: मुस्कुराते हुए, इट्स ओके आशना. मैं भी अभी फ्री हुई हूँ. रूम मे जाकर देखा तो तुम वहाँ नहीं मिली,
इसीलिए तुम्हे ढूँढती यहाँ आ गई. चलो अब चलते हैं.
दोनो हॉस्पिटल से बाहर आके पार्किंग की तरफ चल देते हैं. डॉक्टर. ने गाड़ी का लॉक खोला और आशना बीना
की बगल वाली सीट पेर बैठ गई. बीना ने एंजिन स्टार्ट किया और गियर डाल कर गाड़ी को हॉस्पिटल कॉंपाउंड
से बाहर ले गई. लगभग 15 मिनट का रास्ता दोनो ने खामोशी से काटा. आशना के मन मे ढेर सारे सवाल थे.
डॉक्टर. ने उसे जो बताया था अभी वो उससे नहीं उभर पाई थी कि डॉक्टर. ने उसे कॉफी शॉप पे चलने के लिए
बोल के उसे और परेशान कर दिया था. पता नहीं डॉक्टर. मुझसे क्या डिसकस करना चाहती हैं. वहीं ड्राइवर सीट
पर बैठी बीना सोच रही थी कि कैसे मैं आशना को सब कुछ समझाऊ. आख़िर है तो वो वीरेंदर की बेहन ही ना.
इसी उधेरबुन मे रास्ता कट गया और आशना अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आई जब कार का एंजिन ऑफ
हो गया. गाड़ी बंद होते ही दोनो ने एक दूसरे को देखा, दोनो ने एक दूसरे को हल्की सी स्माइल दी और गाड़ी से
उतर गई. आशना डॉक्टर. के चेहरे पे परेशानी सॉफ पढ़ सकती थी वहीं डॉक्टर. भी आशना की आँखो मे उठे
सवालो से अंजान नहीं थी. दोनो नेस्केफे कॉफी शॉप पर एंटर करती है. इस ठंडे माहौल मे भी अंदर के गरम
वातावरण मे दोनो को सुकून मिला और बीना एक कॉर्नर टेबल की तरफ बढ़ गई. आशना भी उसके पीछे चल
पड़ी. दोनो ने अपनी अपनी चेर्स खींची और बैठ गई.
कुछ मिनट्स तक दोनो एक दूसरे की आँखो मे देखती रही फिर जैसे ही आशना कुछ बोलना चाहती थी कि वेटर
ने आकर उनका ऑर्डर नोट किया और चला गया.
आशना: डॉक्टर. आप यहाँ अक्सर आती रहती हैं.
9. 9
डॉक्टर.: हां मैं अक्सर अभय (डॉक्टर. अभय गुप्ता, बीना के हज़्बेंड) के साथ यहाँ आती हूँ. यहाँ कुछ देर बैठ
कर हम हॉस्पिटल के वातावरण से दूर आने की कोशिश करते हैं और दिन भर के केसस की डिस्कशन करते हैं.
आशना: यहाँ पर भी हॉस्पिटल की ही बातें करते हो आप लोग?.
डॉक्टर.: रोज़ नहीं पर कुछ ज़रूरी केसस जो उलझे हुए हों जैसे कि वीरेंदर का. आशना के चेहरे का रंग एकदम
उड़ गया. आशना: क्या मतलब डॉक्टर. भैया ठीक तो हो जाएँगे ना?
डॉक्टर.: डॉन'ट वरी , ही ईज़ आब्सलूट्ली नॉर्मल नाउ बट उसकी कंडीशन्स फिर से ऐसी हो सकती है, अगर
............
.आशना: डॉक्टर. की तरफ देखते हुए, अगर ?.
डॉक्टर.: बताती हूँ. यह कहकर डॉक्टर. कुछ देर के लिए खामोश हो जाती है और आशना के चेहरे को ध्यान से
देखती है. उसके चेहरे से उड़ा हुआ रंग सॉफ बता रहा था कि आशना काफ़ी परेशान है वीरेंदर को लेकर.
आशना: डॉक्टर. बताइए ना, मेरी जान निकलती जा रही है, आख़िर ऐसा क्या हुआ है भैया को.
डॉक्टर: आशना, यहाँ तक हम (बीना & अभय) जानते हैं कि तुमने वीरेंदर को 12 साल बाद देखा है. इससे पहले
तुम कब और कहाँ मिले हमे नहीं पता. क्या तुमने कभी कहीं से यह सुना कि वीरेंदर की ज़िंदगी मे कोई लड़की
आई थी? इतना सुनते ही आशना का चेहरा एकदम सफेद पड़ गया. इसका मतलब भैया की यह हालत किसी
लड़की के पीछे है. पर आशना को इस सब के बारे मे कुछ भी पता नहीं था. होता भी कैसे, पिछले 12 सालो से
तो वो एक बार भी वीरेंदर से नहीं मिली, हालाँकि वीरेंदर ने कई बार कोशिश की पर आशना ने हर बार पढ़ाई का
बहाना बना दिया. अभी दो साल पहले ही जब आशना ने 12थ के एग्ज़ॅम्स क्लियर किए तो वीरेंदर ने काफ़ी
ज़ोर दिया कि उसका अड्मिषिन मेडिकल कॉलेज मे कर दे पर आशना अपना रास्ता खुद चुनना चाहती थी. उसने
फ्रांकफिंन इन्स्टिट्यूट से एयिर्हसटेस्स की ट्रैनिंग ली और पिछले साल ही उसे एक एरलाइन्स का ऑफर मिला
तो उसने झट से जाय्न कर लिया.
आशना: डॉक्टर. मुझे इस बारे मे कुछ पता नहीं, क्या भैया की हालत का इससे कोई लिंक है.
डॉक्टर: है भी और नहीं भी.
आशना: मैं समझी नहीं डॉक्टर.
बीना: मे समझाती हूँ आशना. देखो आशना बुरा मत मानना वो तुम्हारा भाई है पर और कोई नहीं है ऐसा जिससे
मैं इस बात के बारे मे डिसकस कर सकूँ. अभय ने मुझे मना किया था तुमसे इस बारे मे बात करने से, इसीलिए
मे तुम्हे यहाँ लाई हूँ.
आशना: यू कॅन ट्रस्ट मी डॉक्टर, ( यह कहते हुए आशना का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था)
बीना: देखो आशना, वीरेंदर एक हेल्ती इंसान है और इस अमर मे आकर इंसान के शरीर की कुछ ज़रूरतें होती हैं
जो उस मे एक उमंग, एक नयी उर्जा का संचार करती हैं. यह सुनके आशना की नज़रें नीचे झुक गई.
बीना: देखो आशना, इस वक़्त तुम्हारे भैया को शादी की शख्त ज़रूरत है. मुझे नहीं लगता कि वो अपने आप को
रिलीव करते हैं तभी तो उन्हे यह प्राब्लम हुई. डॉक्टर. बीना ने यह लाइन एक ही सांस मे बोल दी.
10. 10
आशना जो कि आँखें झुका के यह सब सुन रही थी, डॉक्टर. कि यह बात सुन के एक दम से डॉक्टर. की तरफ़
देखती है, उसका मूह खुल जाता है और गाल लाल हो जाते हैं.
बीना: इसीलिए मेने पूछा था कि अगर वीरेंदर की ज़िंदगी मे कोई लड़की है तो जल्द से जल्द उन दोनो की शादी
करवा देनी चाहिए. ताकि वीरेंदर की शारीरिक ज़रूरतें पूरी हो और उसके बॉलो की थिकनेस कम हो, जिसकी वजह
से यह प्रोबलम हुई है. इसके बाद बीना खामोश हो गई और एकटक आशना को देखने लगी. तभी वेटर उनका
ऑर्डर ले आया. दोनो ने अपना अपना कॉफी का मग लिया और वेटर वहाँ से चल दिया. आशना ने चारो तरफ
नज़र घुमाई, काफ़ी भीड़ हो गई थी वहाँ, पर उनका टेबल एक कॉर्नर मे होने के कारण उन्हे शायद ही कोई सुन
सके.
आशना: ब्लड थिकनेस ? मैं समझी नहीं डॉक्टर.
बीना: आशना, जैसे हम औरतो मे नये सेल्स बनते हैं और फिर म्सी मे रिलीस होते हैं जिससे बॉडी पार्ट्स सुचारू
रूप से काम करते रहते हैं और अक्सर एग्ज़ाइट्मेंट मे हम अपने बॉडी पार्ट्स से खेलते है जब तक हमारी
शारीरिक भूख ना मिट जाए, उसी तरह पुरुषो मे भी ऐसा होता है. जब उनके शरीर मे सेमेंस की क्वांटिटी ज़्यादा
हो जाती है, वो या तो नाइटफॉल मे रिलीस हो जाते हैं, या सेल्फ़ रिलीफ (मास्टरबेशन) से या फिर किसी के
साथ सेक्स के दौरान. और यहाँ तक मुझे लगता है तुम्हारे भैया ने आज तक सेल्फ़ रिलीफ का सहारा नहीं लिया
और सेक्स का तो सवाल ही नहीं उठता. यही कारण है कि उनके शरीर मे ब्लड बहुत ज़्यादा थिक हो गया है
और उन्हे यह प्राब्लम हुई. इसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है.
यह सारी बातें सुनकर आशना काफ़ी शरम महसूस कर रही थी पर वो यह भी जानती थी कि वो यह सब एक
डॉक्टर. से डिसकस कर रही है.
आशना: बाकी सब तो ठीक है पर नाइटफॉल से तो कुछ फरक पड़ता ही होगा ब्लड थिकनेस पर.
डॉक्टर.: ज़रूर पड़ता है, जब शरीर मे सेमेंस ज़्यादा हो जाते है तो उनका बाहर निकल जाना लाज़मी है पर वीरेंदर
की तंदुरुस्ती के हिसाब से उतना सीमेन नाइटफॉल मे नहीं निकल पाता शायद तभी उसे यह प्राब्लम हुई. वैसे मैं
कोई सेक्स स्पेशलिस्ट नहीं हूँ बट एक फिज़ीशियान होने के नाते इतना तो समझ ही सकती हूँ.
आशना: तो डॉक्टर. इसका इलाज क्या है.
बीना आशना की तरफ देखती रही और कुछ समय बाद बोली. सिर्फ़ दो ही इलाज मेरी समझ मे आते हैं या तो
वीरेंदर शादी कर ले या फिर मास्टरबेशन.
इस बार डॉक्टर. ने डाइरेक्ट मास्टरबेशन वर्ड यूज़ किया तो आशना की साँस ही अटक गई कॉफी की चुस्की
लेते हुए. बीना ने जल्दी से उसे पानी ऑफर किया जिसे पी कर आशना नॉर्मल हुई.
बीना: आइ आम सॉरी मुझे तुमसे यह डिसकस नहीं करना चाहिए था बट आइ डॉन'ट हॅव एनी अदर ऑप्षन.
वीरेंदर कब तक मेडिसिन्स का सहारा लेगा. कुछ हफ़्तो की बात तो ठीक है पर तुम्हे जल्द ही कोई रास्ता ढूँढना
पड़ेगा कि वो शादी के लिए राज़ी हो जाए. बातों- बातों मे दोनो की कोफ़ी ख़तम हो गई थी. बीना ने बिल पे किया
और वो दोनो उठकर जाने लगी.
बीना ने कार अनलॉक की और दोनों उस मे बैठ गई. बीना ने जैसे ही एंजिन स्टार्ट किया तो आशना ने चौंक
कर उसकी तरफ देखा जिसे बीना ने नोटीस कर लिया.
11. 11
बीना: क्या हुआ आशना, तुम कुछ पूछना चाहती हो.
आशना का चेहरा सुर्ख लाल हो गया उसने नज़रे नीचे करके ना मे इशारा किया.
बीना: कम ऑन आशना, टेल मी व्हाट यू वॉंट टू नो.
आशना: नज़रें नीचे झुकाए हुए, आप इतने यकीन से कैसे कह सकती है कि भैया मास्ट...... मेरा मतलब सेल्फ़
रिलीफ नहीं करते या उनका कभी किसी लड़की से कोई से......क्ष......अल रीलेशन नहीं रहा.
अब शरमाने की बारी बीना की थी बट उसने अपने आप को संभालते हुए कहा आशना तुम भूल रही हो कि मैं
एक डॉक्टर. हूँ.
आशना उसका जवाब सुनकर चुप चाप उसे देखती रही. दोनो की नज़रें मिली पर बीना ज़्यादा देर तक उसकी
नज़रो का सामना नहीं कर पाई और सिर को झुका के बोली: जब अभय ने वीरेंदर की ब्लड रिपोर्ट मुझे दिखाई
तो मुझे कुछ समझ नहीं आया कि इतनी थिकनेस ब्लू मे कैसे हो सकती है. फिर अभय ने मुझे इसके रीज़न्स
बताए. मैं सुनकेर हैरान थी कि एक 33 साल का सेहतमंद मर्द जिसने कभी मास्टरबेशन ना किया हो और इतना
खूबसूरत साथ मे इतना बड़ा बिज़्नेसमॅन जिसका कभी किसी लड़की से कोई रीलेशन ना रहा हो नामुमकिन सा है.
वीरेंदर की ब्लड रिपोर्ट पढ़ने के बाद मुझे यकीन तो हो गया पर फिर भी मेरे दिमाग़ मे काफ़ी सवाल थे. इतना
कहकर बीना चुप हो गई.
आशना ने सवालिया नज़रो से उसे देखा, जैसे वो और जानना चाहती हो.
बीना ने उसकी तरफ देखा फिर सिर झुका के बोली, आशना जो मैं तुम्हे बताने जा रही हूँ वो प्लीज़ किसी को
मत बताना.
आशना: यू कॅन ट्रस्ट मी डॉक्टर.
बीना: कल रात को जब वीरेंदर की हालत मे कुछ सुधार आया तो रात को मैं आइक्यू मे चुप चाप चली गई. मैं
काफ़ी डरी हुई थी पर अपने दिमाग़ मे उठे सवालो का जवाब पाने के लिए मेने यह रिस्क उठाया. मेने उसके
ट्राउज़र को हटा कर देखा तो मुझे उसकी पेनिस नज़र आई. मेने ध्यान से उसे देखा तो मुझे यकीन हुआ कि
अभय वाज़ राइट. वीरेंदर ने कभी अपने पेनिस का यूज़ ही नहीं किया. ही ईज़ प्योर वर्जिन मॅन. इतना कहकर
बीना ने सिर उठा कर आशना को देखा, जिसकी आँखूं से आँसू मोती बनकर बह रहे थे. बीना का दिल एक दम से
धक कर उठा. बीना ने उसे अपने पास खेच कर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा"आइ आम सॉरी आशना"और वो
दोनों एक दूसरे के गले लग कर रो पड़ीं.
आशना ने अपने आप को संभाला और डॉक्टर. से बोली आप बहुत गंदी हो और हंस दी.
बीना ने भी मुस्कुरा कर उसे जवाब दिया"वैसे वो जो भी हो पर तुम्हारे भाई से बहुत खुश होगी".
आशना ने सवालिया निगाहो से बीना को देखा.
बीना एक शरारती मुस्कान के साथ बोलती है, युवर ब्रो ईज़ वेल एंडोड.
इस बार शरमाने की बारी आशना की थी. इतनी बातें होने के बाद अब वो दोनो काफ़ी खुल गई थी.
12. 12
बीना: रियली मे मेने अपनी ज़िंदगी मे ऐसा इंसान नहीं देखा जो 33 साल तक भी प्योर् वर्जिन हो.
आशना: पर आपको कैसे पता चल कि भैया वर्जि.....
.बीना: रहने दो तुमसे नहीं बोला जाएगा, मैं ही बोल देती हूँ. तुम्हारे भैयआ इसलिए वर्जिन हैं क्यूंकी अभी
उनकी सील इनटॅक्ट है.
आशना: सील?????.
बीना: जैसे जब लड़की विर्जिन होती है तो उसकी निशानी है उसकी वेजाइना की सील उसी तरह एक मर्द की
पेनिस पर भी एक सील होती है जो कि उसकी चमड़ी को पूरा पीछे नहीं होने देती.
आशना: धत्त, आप कितनी बेशरम हो.
बीना: शादी कर लो तुम भी हो जाओगी और दोनो हंस दी.
बीना: मुझे लगता है वीरेंदर का कोई ना कोई राज़ तो होगा नहीं तो अभी तक वो शादी कर चुका होता.
राज़ का सुनके ही आशना को डाइयरी का ख़याल आया जो बिहारी काका उसे बता रहे थे.
आशना: चौंकते हुए. आप मुझे हवेली छोड़ दीजिए मैं कुछ पता करने की कोशिश करती हूँ.
एक बार के लिए तो बीना भी चौंकी पर फिर उसने गियर डाला और 10 मिनट्स मे ही आशना को गेट के बाहर
ड्रॉप कर दिया.
बीना: कुछ पता लगे तो फोन करना, यह कहकर उसने अपना कार्ड आशना की ओर बढ़ाया.
आशना ने कार्ड अपने हॅंडबॅग मे रखा और डॉक्टर. को बाइ बोला
.डॉक्टर.: बाइ टेक केर आंड प्लीज़ टेक रेस्ट टू. यू नीड इट वेरी बॅड. यह कहकर बीना ने गाड़ी आगे बढ़ा दी.
शाम के 7:30 बज रहे थे , पूरा बंगलो रोशनी से जगमगा रहा था. बाहर से देखने पर कोई नहीं कह सकता था
कि इस बंगलो के अंदर रहने वालो पर क्या गुज़री होगी. आस पास का इलाक़ा भी काफ़ी सॉफ सुथरा और शांत
था. चारो ओर काफ़ी बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स थी. आशना ने इधर उधर देखा तो उसे गेट के पिल्लर पर मरबेल का
साइग्नबोर्ड दिखाई दिया. जिसपर सॉफ लिका था "शर्मा निवास" मार्बल के साइन बोर्ड के लेफ्ट साइड मे
लगी बेल पे उसने उंगली दबाई और कुछ सेकेंड्स रुकने पर उसे बंगलो का बड़ा सा दरवाज़ा खुलता हुआ दिखाई
दिया. बिहारी काका सिर पर टोपी पहने और एक मोटा सा कंबल ओढ़े गेट की तरफ आए. गेट से बंगलो के
दरवाज़े तक का सेफर तय करने मे उन्हे एक मिनट से भी ज़्यादा का समय लगा. काफ़ी ज़मीन खरीद रखी थी
वीरेंदर के पिता जी ने. इतनी बड़ी ज़मीन के बीचो बीच एक शानदार बंगलो उनकी शानो शोकत को चीख चीख
कर बयान कर रह था.
आशना ने अपने ज़िंदगी मे इतना बड़ा बंगलो कभी नहीं देखा था. उसका अपने घर इस बंगलो के आगे तो कुछ
भी नहीं था. जिस स्कूल और हॉस्टिल मे वो पढ़ी वो भी इस बंगलो के आगे छोटा था. और फिर स्कूल के बाद
वो किराए का फ्लॅट तो उसके घर से भी छोटा था. तभी बिहारी काका ने थोड़ी डोर से आवाज़ लगाई. कॉन है?
आशना ने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया "जी काका मे हूँ हम हॉस्पिटल मे मिले थे". बिहारी ने एक नज़र उसपर डाली
और फिर दौड़कर गेट खोला.
13. 13
बिहारी काका: अरे बिटिया, कुछ चाहिए था तो मुझे बुला लेती में तो बस निकलने ही वाला था आपका खाना
लेकर.
आशना: नहीं काका, आज मे ख़ान यहीं खाउन्गी और कुछ दिन यहीं रुकूंगी आशना ने अंदर आते हुए कहा.
बिहारी ने गेट बंद किया और पीछे मुड़कर देखा तो आशना काफ़ी आगे निकल गई थी. आशना ने अपनी नज़र
चारो तरफ घुमाई. सामने पेव्मेंट के लेफ्ट और राइट साइड दोनों तरफ रंग बिरंगे गार्डेन्स थे. चारदीवारी के चारो
तरफ काफ़ी बड़े बड़े अशोका ट्रीस लगे हुए थे. चार दीवारी भी इतनी बड़ी कि बाहर से कुछ मकान ही दिख रहे
थे. बंगलो के राइट साइड पर एक बड़ा सा स्विम्मिंग पूल और उसके बॅकसाइड पर बड़ा सा गॅरेज जहाँ 4
चमचमाती गाड़ियाँ खड़ी थी. आशना बाहर से पूरे बंगलो का मुयायना करना चाहती थी लेकिन बाहर की सर्द
हवाओं ने उसे ठिठुर कर रख दिया था. तभी बिहारी काका उसके पास पहुँचे और बोले बिटिया बाहर बहुत ठंड है,
आप अंदर चलो मैं आग का इंतज़ाम करता हूँ. आशना ने बिना कोई जवाब दिए बंगलो की तरफ अपने कदम मोड़
लिए. पेव्मेंट पर काफ़ी सुंदर मार्बल की परत चढ़ि थी जिसपे चल कर आशना मेन दरवाज़े तक पहुँची. दरवाज़े
के अंदर घुसते ही उसे उस बंगलो की भव्यता का पता चला. उसकी आँखें चुन्धिया गई ऐसी नक्काशी देख कर
मेन हाल की दीवारो पर. फर्श पर काफ़ी मोटा लेकिन सॉफ और करीने से सज़ा हुआ कालीन और हाल के चारो
तरफ फैला फर्निचर देख कर आशना को ऐसा लगा जैसे वो किसी रियासत के महल मे हो. हाल के चारो तरफ12
कमरे, किचन, वॉशरूम्स सब कुछ देख कर वो एक दम से दंग रह गई. हाल की एक दीवार पर इतनी बड़ी
एलसीडी को देख कर ऐसा लग रहा था कि वो किसी मिनी थियेटर में आ गई हो. बिल्कुल बीचो बीच सोफो का
एक बड़ा से सर्क्युलर अरेंज्मेंट. आशना की तंद्रा टूटी जब बिहारी काका ने कहा बिटिया यहाँ बैठो. आशना ने
उस तरफ देखा तो वहाँ हाल के एक कोने मे बिहारी काका ने वहाँ बनी एक अंगीठी मे आग जला दी थी. आशना
वही अंगीठी के सामने एक सोफा चेर पर बैठ गई अपनी जॅकेट उतार कर एक साइड पर रखी और अपने ठंडे हो
रहे शरीर को गरम करने की कोशिश करने लगी. बैठते ही उसकी नज़र हॉल की छत पर पड़ी जहाँ एक बड़ा सा
झूमर झूल रहा था जिसमे लगे छोटे छोटे मोती रोशनी से चमक कर रंग बिरंगी रोशनी चारो और फैला रहे थे.
बिहारी काका वहाँ से चले गये और आशना के लिए एक सॉफ्ट सा शॉल लेकर आ गये.
बिहारी काका: जब भूख लगे या किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बुला लेना, मे उस कमरे मे हूँ. यह कहकेर
बिहारी काका ने किचन के साथ बने एक कमरे की तरफ इशारा किया.
आशना ने धीरे से अपनी गर्दन हां मे हिलाई और शॉल अच्छे से ओढ़केर बैठ गई. काफ़ी देर आग के पास बैठने
के बाद और दिमाग़ मे काफ़ी सवाल लेकर वो उठी और वॉश रूम में चली गई. इतना बड़ा वॉशरूम उसने आज तक
नहीं देखा था. उनके पुराने घर की मेन लॉबी से भी बड़ा बाथरूम देख के वो अपने आप को राजकुमारी समझने
लगी. बाथरूम की टाइल्स और वहाँ लगी हर चीज़ को ध्यान से देखने लगी. बाथरूम के लेफ्ट साइड मे जक्कुज़ी
को देख कर वो अपने आप को नहाने से रोक नही पाही और जक्कुज़ी का मिक्स्चर ऑन कर दिया. आशना ने
वहाँ पर रखे टवल्ज़ मे से एक टवल उठाया और उसे जक्कुज़ी के साथ लगे एक हॅंडल पर टाँग दिया. जक्कुज़ी
भर जाने के बाद उसने उस मे लिक्विड सोप डाला और पानी को हिलाकर उस मे काफ़ी झाग बनाया. फिर एक
बड़े से शीशे के आगे जाकर उसने अपनी जॅकेट उतारी और फिर अपनी टी-शर्ट उतारने लगी. आईने मे अपनी
परछाई देख कर वो शरमा सी गई और फिर पलट कर उसने अपनी टी-शर्ट और फिर अपनी ब्रा और पॅंट उतार
दी. आशना ने टी-शर्ट के अंदर एक वाइट कलर का फ्रंट ओपन वॉर्मर पहना था, आशना ने धीरे धीरे से उसके
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सारे बटन अलग किए. उसे काफ़ी शरम आ रही थी, वो मूड कर शीशे मे अपने आप को देखने लगी और शरमा
कर एकदम पलट गई.
फिर उसे ख़याल आया कि वो एक्सट्रा पैंटी तो लाई नहीं अपने साथ इसलिए उसने अपनी पैंटी और फिर बाद मे
वाइट अंडरशर्ट भी निकाल दी.
आशना का दिल ज़ोरो से धड़क रहा था, वो अपने आप से ही शरमा रही थी. उसके गाल काफ़ी लाल हो गये थे
और उसकी साँसे काफ़ी तेज़ चल रही थी. उसने फिर से पलट कर अपने आप को देखा तो एक पल के लिए वो
चौक गई. इस नज़र से शायद ही उसने अपने आप को देखा हो. हाइट तो काफ़ी अच्छी थी आशना की, अब तो
शरीर भी अपना आकार ले चुका था. खूब गोरी थी आशना, शरीर पर कोई दाग नहीं. ब्रेस्ट 36 सी इतने बड़े कि
दो हाथो मे ना समा पाए और एकदम कड़क. आख़िर हो भी क्यूँ ना, उन्हे आज तक कोई दबा जो नही पाया था.
आशना ने पलट कर अपनी आस 36 की तरफ देखा तो धक से उसका दिल धड़क कर रह गया. उसकी विशाल
आस, आज पहली बार उसने इतने गौर से उसे देखा. आशना की कुलीग्स हमेशा कहती कि आशना तो हर
डिपार्टमेंट (ब्रेस्ट & आस) मे हम से आगे (बड़ी) है तो फिर यह कोई बाय्फ्रेंड क्यूँ नहीं बनाती, आशना हर बार
उन्हे टालने के लिए कहती " यह तो मेने किसी और के नाम कर दिए हैं". उसकी फ्रेंड्स काफ़ी पूछती पर कोई
हो तो आशना बताती पर उसकी सारी फ्रेंड्स यही समझती कि उसका कोई सीक्रेट बाय्फ्रेंड है पर आशना
बताती नहीं . आशना भी उनकी ग़लतफहमी को दूर करने की कोशिश नहीं करती क्यूंकी वो जानती थी कि एक
बार वो हां कर दे तो उसके मेल कुलीग्स और यहाँ तक कि उसके एरलाइन्स के पाइलट्स भी लाइन मे लग
जाएँगे. वो इन सब से दूर ही रहना चाहती थी. यह सोचते सोचते आशना जकुज़ी मे उतर जाती है और इतने
दिनों बाद गरम पानी का एहसास उसे अंदर तक रोमांचित कर देता है.
काफ़ी दिनों के बाद अच्छे से नहाने के बाद आशना काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी. टवल से अपने आप को
अच्छी तरह से पोछने के बाद उसने वोही अपने कप्पड़े पहने और बाहर आई. वो फिर से जाकर आग के पास बैठ
गई. कोई पाँच मिनट के बाद बिहारी काका अपने कमरे से बाहर आए.
बिहारी काका: नहा लिया बिटिया?
आशना एक दम चौंक गई.
बिहारी: वो मे कुछ देर पहले बाहर आया था पर आप यहाँ नहीं मिली. बाथरूम की लाइट जली हुई देखी तो लगा
शायद नहा रही होंगी.
आशना: जी काका.
बिहारी: अच्छा बिटिया अब खाना खा लो, 9 बज गये हैं. आशना ने चौंक कर दीवार घड़ी की तरफ देखा जो कि
9:10 का टाइम बता रही थी. आशना (मन मे): बाप रे पिछले एक घंटे से नहा रही थी मे.
आशना: जी काका खाना लगा दो और आप भी खा लो.
बिहारी: आइए बिटिया, आप डाइनिंग टेबल पर बैठें मे खाना परोस देता हूँ. यह कहकर बिहारी आगे आगे चलने
लगा और आशना उसके पीछे डाइनिंग रूम की तरफ चल पड़ी. डाइनिंग रूम क्या यह तो एक बहुत बड़ा हाल था
कमरे के बीचो बीच एक बड़ा सा टेबल और उसके इर्द-गिर्द 12-15 आरामदायक कुर्सियाँ. हाल के एक साइड
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पर एक बड़ी सी मेज और उसके इर्द-गिर्द 8 सोफा चेर्स. आशना ने चारो तरफ नज़रें घुमा के देखा. सामने
दीवार पर एक बहुत बड़ी एलसीडी लगी थी.
आशना: काका क्या वीरेंदर भाई......., मेरा मतलब कि क्या वीरेंदर भी खाना यहीं खाते हैं. (आशना ने बड़ी सफाई
से काका से वीरेंदर का अपना रिश्ता छुपा लिया था).
बिहारी काका: नहीं बेटी यहाँ तो आए हुए भी उन्हे 8 साल हो गये. जब से उनके परिवार के साथ यह हादसा हुआ
है वो यहाँ आए ही नहीं. अक्सर वो अपना खाना उपर अपने रूम मे खाते हैं.
आशना: उपर?????
बिहारी: हां बिटिया यह जो कमरे से बाहर की तरफ सीडीयाँ हैं ना यह उपर के फ्लोर को जाती हैं. वीरेंदर बाबू का
कमरा वहीं है. आशना एकदम पलटी और कमरे से बाहर आकर पहली सीडी पर खड़ी हो गई.
आशना: काका तुम मेरा खाना वीरेंदर के रूम मे ही लेकर आ जाओ.
बिहारी: नहीं बिटिया वीरेंदर बाबू को अगर पता लगा तो उन्हे बहुत दुख होगा. बोलेंगे तो वो कुछ नहीं पर मे
उनका दिल दुखाना नहीं चाहता.
आशना: आप चिंता ना करिए काका, मे संभाल लूँगी उन्हें.
बिहारी अजीब सी कशमकश मे पड़ गया और फिर बोला, आप ठहरिए मे उनके रूम की चाबी लेकर आता हूँ.
बिहारी यह कहकर अपने रूम मे चला गया और एक बड़ा सा चाबियो का गुच्छा लेकर सीडीयाँ उपर चढ़ने लगा.
आशना भी उनके पीछे पीछे सीडीयाँ चढ़ने लगी, उपर पहुँच कर बिहारी काका पाँचवें रूम के दरवाज़े के पास जाकर
रुक गये और एक चाभी से ताला खोल दिया. दरवाज़ा खोलने के बाद उन्होने मूड कर आशना की तरफ़ देखा जो
कि दूसरी तरफ देख रही थी.
तभी आशना ने पूछा: काका नीचे की तरह यहाँ भी हर कमरे पर ताला क्यूँ है?
बिहारी: वीरेंदर बाबू का आदेश है. सारे रूम हफ्ते मे एक ही बार खुलते है वो भी सिर्फ़ सफाई के लिए.
आशना: काका क्या सारा घर आप अकेले सॉफ करते हो.
बिहारी: नहीं बिटिया मे तो वीरेंदर बाबू जी का रसोइया हूँ और कभी कभी उनका कमरा साफ कर लेता हूँ क्यूंकी
उनके कमरे मे जाने की किसी और को इजाज़त नहीं. बाकी का घर सॉफ करने के लिए 3नौकर हैं जो पहले यहीं
पीछे सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे रहते थे पर अब वीरेंदर बाबू के कहने पर यहीं पास मे ही रहते हैं. उनके रहने का सारा
खर्चा वीरेंदर बाबू ही देखते हैं. वो हफ्ते मे एक बार आकर बाहर स्विम्मिंग पूल, लॉन और बाकी कमरो की
सफाई कर देते हैं.
आशना:हूंम्म्मम. अच्छा काका बहुत भूख लगी है, आप जाकर खाना ले आओ.
बिहारी: जी बिटिया पर वीरेंदर बाबू जी के आने के बाद आपको ही जवाब देना पड़ेगा कि आप उनके रूम मे क्यूँ
ठहरी हैं.
आशना: आप चिंता ना करें. मे उन्हे कल ही यहाँ ले आउन्गी और हम मिलकर यहाँ उनका ध्यान रखेंगे.
16. 16
बिहारी काका ने यह जब सुना कि वीरेंदर बाबू कल आ रहे हैं तो खुशी से उनकी आँखें चमक उठी और आशना से
पूछ के क्या तुम भी यही रुकोगी उनका ख़याल रखने के लिए. आशना ने हां मे सिर हिलाया.
काका: जीती रहो बेटी, मुझे नहीं पता कि तुम वीरेंदर बाबू को कैसे जानती हो पर यह विश्वास हो गया कि अब
वो पूरी तरह से ठीक हो जाएँगे. यह कह कर बिहारी नीचे खाना लेने चला गया. आशना ने पूरा कमरा बड़े गौर से
देखा. हर एक चीज़ करीने से सजी हुई. आशना ने एलसीडी ऑन की उसपर स्तर स्पोर्ट्स चॅनेल चल रह था.
आशना वहीं बेड पर बैठ गई और चारो तरफ देखने लगी. उसकी नज़र बेड पोस्ट पर पड़ी डाइयरी पर पड़ी. वो
जैसे ही उसे उठाने के लिए बेड से उठने लगी तभी बिहारी काका खाने की ट्रे लिए कमरे मे आए. आशना वहीं
बैठी रही. काका ने खाना परोसा.
आशना: काका आप भी खा लीजिए कुछ देर बाद बर्तन लेजाइयेगा. बिहारी नीचे चला गया.
आशना ने खाना खाया. करीब आधे घंटे के बाद बिहारी ने रूम नॉक किया.
आशना: आ जाइए काका. बिहारी अंदर आया और बर्तन उठाने लगा.
आशना: क्या वीरेंदर जी स्पोर्ट्स चॅनेल पसंद करते हैं.
बिहारी: बिटिया भैया को कार रेसिंग और WWF बहुत पसंद थी पर उस हादसे के बाद तो वो सब कुछ भूल ही
गये. आज 8 साल बाद आप ने यह टीवी ऑन किया है.
बिहारी: अच्छा बिटिया अब आप आराम करो मे बर्तन साफ करने के बाद आवने कमरे मे सो जाउन्गा. किसी
चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बुला लेना.
आशना: जी काका.
बिहारी काका: पर बिटिया आप अपने साथ कोई बॅग तो लाई नहीं तो क्या आप यही पहन के सो जाओगी.
आशना: जी काका आज मॅनेज कर लूँगी, कल कुछ शॉपिंग कर लूँगी.
बिहारी: बिटिया वैसे मधु (वीरेंदर की छोटी बेहन जो आक्सिडेंट मे मारी गई थी) मेम साहब की अलमारी कपड़ो से
भरी पड़ी है पर अगर मेने उस मे से आपको कुछ दे दिया तो साब बुरा लग सकता है.
आशना: कोई बात नहीं काका, आज की रात मे मेनेज कर लूँगी. काका ने अलमारी से आशना को एक क्विल्ट
निकाल के दिया और वो नीचे चले गये. आशना ने अंदर से दरवाज़ा बंद किया और अपनी जॅकेट उतार दी. फिर
उसने डाइयरी उठाई और बेड पर बैठ गई. उसने पिल्लोस को बेड पोस्ट पर खड़ा करके उससे टेक लगा कर अपने
उपर क्विल्ट ले लिया. नरम मुलायम क्विल्ट के गरम एहसास से वो एक दम रोमांचित हो गई. उसने डाइयरी
उठाकर कवर खोला, पहले पेज पर वीरेंदर की सारी डीटेल्स थी जैसे नाम, अड्रेस्स, कॉंटॅक्ट नंबर. एट्सेटरा
एट्सेटरा. वो अगला पेज पलटने वाली थी कि उसकी नज़र पेज के लास्ट मे पड़ी. वहाँ लिखा था "विथ लव फ्रॉम
रूपाली टू वीरू." यह लाइन पढ़ते ही आशना के दिल की धड़कने तेज़ हो गई. यह रूपाली कॉन हो सकती है उसके
मन मे सवाल आया. खैर अगला पन्ना पलटने से पहले आशना ने क्विल्ट के अंदर ही अपनी पॅंट और टी-शर्ट
उतार कर एक साइड मे रख दी क्यूंकी वो काफ़ी अनकंफर्टबल फील कर रही थी इतने टाइट कपड़ो मे. अपने
आप को पूरी तरह क्विल्ट से कवर करने के बाद उसने डाइयरी पढ़ना शुरू किया.
17. 17
१स्ट पेज: 20-04 2000.(यह तारीख उस आक्सिडेंट के 3 दिन पहले की है)
वीरू, आज मे बहुत खुश हूँ. मुझे लगा कि लंडन जाने के बाद तुम मुझे भूल जाओगे पर 12-12 1999 को जब
तुमने मुझे शादी के लिए प्रपोज़ किया तो मे एक दम हैरान रह गई. मे उस वक्त तुमसे बहुत बातें करना चाहती
थी लेकिन मुझे जान पड़ा. मेरा लास्ट सेमेस्टर था और मे मिस नहीं करना चाहती थी. तुम भी तो यही चाहते थे
कि मे इंजिनियर बनू. इतने महीनो से ना मे तुमसे कॉंटॅक्ट कर सकी और ना तुमने कोई फोन किया. मे जानती
हूँ कि तुम मुझसे नाराज़ होंगे. लेकिन अब मे आ गई हूँ, सारी नाराज़गी दूर करने. मेने अपनी एक मंज़िल पा ली
है और अब मे वापिस आ गई हूँ तुम्हे हासिल करने.
यह डाइयरी मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट है. तुम्हारी जो भी नाराज़गी है तुम मुझे इसपर लिख कर बता सकते
हो क्यूंकी मुझे पता है तुम मुझे कुछ बोलॉगे नहीं और किसी के सामने बात करने से तो तुम रहे. लगता है
हमारी शादी की बात भी मुझे ही अपने घरवालो से करनी पड़ेगी. मे 3 दिन बाद तुम्हारे घर मधु से मिलने
आउन्गि, तुम जो लिखना चाहते हो इस डाइयरी मे लिख कर मुझे चोरी से पकड़ देना.
वैसे एक बात बोलूं "आइ लव यू टू वीरू".
आशना एक एक लफ्ज़ को ध्यान से पढ़ रही थी. उसने अगला पन्ना पलटा.
20-04-2000:
वोहूऊऊऊ, आइ लव यू रूपाली. तुम नहीं जानती आज मे कितना खुश हूँ. तुमको लंडन मे हमेशा मिस किया और
घर आने पर पता लगा कि तुम बॅंगलॉर मे इंजीनियरिंग. करने चली गई हो. मे जनता था कि तुम मुझसे प्यार
करती हो पर कहने से डरती हो, इसीलिए मेने हिम्मत करके तुम्हे उस दिन प्रपोज़ कर दिया. उस दिन अचानक
तुम मिली तो मे रह नहीं पाया, मेने अपने प्यार का इज़हार कर दिया पर तुम बिना कुछ बोले ही चली गई. मैं
काफ़ी डर गया था कि शायद तुम मुझसे प्यार नहीं करती. अगर उस दिन तुम्हारे पापा साथ ना होते तो मे भी
तुम्हारे साथ बॅंगलॉर आ जाता. खैर कोई बात नहीं, मे तुमसे कभी नाराज़ नहीं था और ना ही कभी होऊँगा.
कल मोम-डॅड और मधु, चाचू के घर जा रहे हैं, उनके आते ही मे उनसे बात कर लूँगा हमारी शादी की. तुम मेरी
हो रूपाली. मे तुम्हे हर हाल मे पा कर रहूँगा. मैने अभी तक अपने आप को संभाल कर रखा है और आशा करता
हूँ कि तुम भी मेरे जज़्बातों की कदर करोगी और मुझे रुसवा नहीं करोगी.बस इतना ही लिखूंगा इस डाइयरी मे.
अपने दिल का हाल मे तुम्हे मिलके तुम्हारी आँखो मे देख कर कहूँगा .
और हां हो सके तो यह डाइयरी मुझे जल्द वापिस कर देना ताकि मे उन पलो के बारे मे लिख सकूँ जो अब मुझे
तुम्हारे बिन गुज़ारने हैं जब तक तुम मेरी नहीं हो जाती.
आशना ने बेड के साथ रखे स्टूल से पानी का ग्लास उठाया और उसे पीने लगी. पानी इतना ठंडा था कि वो सीप
करके उसे पीना पड़ा. आशना का शरीर क्विल्ट की वजह से काफ़ी गरम हो गया था. सीप बाइ सीप पानी पीने से
उसे काफ़ी सुकून मिल रहा था आशना ने मोबाइल मे टाइम देखा अभी सिर्फ़ 11:00 ही बजे थे. उसने सारी
डाइयरी आज रात ही पढ़ने की ठान ली और फिर से बेड पर क्विल्ट के अंदर घुस कर अगला पन्ना पलटा.
27-05 2000.
आज काफ़ी दिनो के बाद डाइयरी लिखने बैठा हूँ. इन बीते दिनो मे मेने बहुत कुछ खोया है. मेरे माँ-बाप, मेरी
छोटी लाडली बेहन, मेरे चाचू सब मुझे अकेला छोड़ कर हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गये हैं. 23-04-2000
का दिन मे कभी नहीं भूल सकता. उस दिन मे काफ़ी खुश था. अपने फॅमिली मेंबर्ज़ का वेट कर रहा था और
18. 18
उन्हें खुशख़बरी देना चाहता था कि मेने उनकी बहू ढूँढ ली है पर शायद भगवान को यह खुशी मंज़ूर नहीं थी. मेरा
पूरा परिवार इस हादसे का शिकार हो गया था. वो दिन मुझसे सब कुछ छीन कर गुज़र गया था. मे इस कदर
सदमे मे चला गया था कि मेरी चचेरी बेहन आशना का भी मुझे कोई ख़याल ना रहा. मे उसे ज़रा भी संभाल नहीं
पाया. 28-04-2010 को वो भी मुझसे नाराज़ होकेर चली गई. मे उसे रोकना चाहता था पर मुझमे इतनी हिम्मत
नहीं थी कि मे उसका मासूम चेहरा देख सकता. उस बेचारी ने इतनी छोटी उम्र मे कुछ ही सालो मे अपने माँ-
बाप को खो दिया था. मे उसकी हर ज़रूरत तो पूरी कर सकता हूँ पर उसके माँ- बाप की कमी को पूरा नहीं कर
सकता. इसीलिए मेने उसे रोकने की कोशिश भी नहीं की. शायद अगर उसे मैं रोक लेता तो उसे मुझे और मुझे
उसे संभालना बहुत मुश्किल होता. इतने साल घर से बाहर रहने के कारण मुझ मे कुछ सोशियल कमियाँ थी
जिस कारण मे उसे खुश ना रख पाता, इसीलिए उसका दूर जाना ही उसके लिए ठीक था.
यह पढ़ते पढ़ते आशना की आँखो से आँसू टपक कर डाइयरी पर गिर पड़े. जिस इंसान को वो मतलबी समझती
थी वो उसके लिए इतना सोचता है उसे इस चीज़ का कभी एहसास ही नहीं हुआ. जिस गुनाह के लिए वो वीरेंदर
को सज़ा दे रही थी वो गुनाह वीरेंदर ने कभी किया ही नहीं और अगर किया भी तो उसकी भलाई के लिए.
आशना का मन ज़ोर ज़ोर से रोने को कर रहा था. उसने किसी तरह अपने आप को संभाला और डाइयरी पढ़ने
लगी. हर एक पन्ना पढ़ कर वीरेंदर की इज़्ज़त आशना की नज़रो मे बढ़ने लगी. उसे पता चला कि कैसे वीरेंदर
ने उसे कई बार मिलने की कोशिश की पर आशना ने हमेशा उसे इग्नोर किया. यहाँ तक कि एक बार वीरेंदर खुद
उससे मिलने उसके बोरडिंग स्कूल मे आया पर उसने अपनी सहेली को यह कहके वीरेंदर को वापिस भेज दिया
कि आशना एजुकेशनल टूर पर गई है. आशना इन सब के लिए अपने आप को कोसे जा रही थी.कुछ पन्ने पढ़ने
के बाद आशना को पता लगा कि रूपाली के बार बार समझाने पर वीरेंदर वो हादसा नहीं भूल पा रहा था. रूपाली
ने फिर उससे शादी की बात की तो वीरेंदर ने सॉफ मना कर दिया कि उसे एक साल तक वेट करना पड़ेगा. मगर
रूपाली ने उसे 4 महीनो का वक्त दिया और चली गई. वीरेंदर ने काफ़ी बार उससे मिलने की कोशिश की पर वो
हर बार शादी की ज़िद करती और इस तरह धीरे- धीरे दोनो मे डिफरेन्सस बढ़ते गये. वीरेंदर को यकीन था कि
रूपाली धीरे धीरे मान जाएगी. मगर उसका यकीन उस दिन टूटा जिस दिन रूपाली उसके घर उसे अपनी शादी का
कार्ड देने आई. उन लम्हो को वीरेंदर ने कैसे बयान किया उसे पूरा पढ़ना आशना के बस का नहीं था.. वीरेंदर
उसे बेन्तेहा मोहब्बत करता था पर रूपाली उसकी मोहब्बत ठुकरा कर किसी और की होने वाली थी. वीरेंदर ने
दिल पर पत्थर रखकर उससे शादी करने को भी कहा पर रूपाली ने उसे यह कहकर ठुकरा दिया कि वो एक
नॉर्मल ज़िंदगी शायद ही दोबारा जी पाए. वीरेंदर ने उसे लाख समझाने की कोशिश की कि वो धीरे धीरे नॉर्मल
हो रहा है और उस हादसे को भूलने की कोशिश कर रहा है. वीरेंदर ने उसे यहाँ तक कहा कि अगर रूपाली साथ दे
तो वो जल्द से जल्द एक नॉर्मल ज़िंदगी जी सकेगा. मगर रूपाली ने उसका दिल यह कह कर तोड़ दिया कि
वीरेंदर अब काफ़ी देर हो चुकी है. जब तुम मुझसे दूर जाने लगे तो अविनाश( रूपाली'स वुड बी) ने मुझे सहारा
दिया. उसने मुझे बताया कि एक नॉर्मल मर्द एक लड़की को कैसे खुश रख सकता है. मुझे तो शक हैं कि तुम
इसके लायक भी हो या नहीं.
चाबी लेकर आशना गॅरेज की तरफ भागी और बिहारी काका ने अपने कमरे से चाबियो का गुच्छा लेकर घर को
लॉक करना शुरू कर दिया. गॅरेज पहुँच कर एक पल के लिए आशना के कदम ठितके क्यूंकी यह चाबी किस गाड़ी
की थी उसे पता नही था और वहाँ पर 4 गाड़ियाँ खड़ी थी. आशना ने बिना वक्त गवाए सबसे पिछली वाली गाड़ी
के लॉक मे चाबी घुसाइ और घुमा दी. गाड़ी अनलॉक कर दी. जब तक आशना गाड़ी को मेन गेट पर लाती बिहारी
काका दौड़ते हुए वहाँ पहुँच चुके थे. गाड़ी उनके पास रुकी तो बिहारी काका ने मेन गेट लॉक किया और पिछला
19. 19
दरवाज़ा खोल कर वो उस मे बैठ गये. तभी आशना के फोन की घंटी बजी. आशना ने जल्दी से बॅग खोल कर
उस मे नंबर. देखा. डॉक्टर. बीना की कॅल आई थी. आशना ने कॉल पिक की और इससे पहले कि डॉक्टर. कुछ
बोलती, आशना ने काका की तरफ देखकर डॉक्टर. से पूछा वीरेंदर को होश आ गया क्या डॉक्टर.
बीना: हां, वीरेंदर को अभी कुछ देर पहले ही होश आया है बस अभी कुछ देर मे उसका चेकप करने जा रही हूँ.
डॉक्टर. अभय कल से आउट ऑफ स्टेशन गये हैं. आशना ने एक गहरी साँस ली और कहा डॉक्टर. एक बहुत
ज़रूरी बात करनी है आपसे, इस लिए मेरे आने तक आप उनसे कोई बात नहीं करेंगी, यह कहकर आशना ने फोन
काटा और गाड़ी दौड़ा दी.
बिहारी काका रास्ता बताते गये और 15 मिनट मे ही गाड़ी हॉस्पिटल की पार्किंग मे खड़ी थी. बिहारी काका को
टॅक्सी का किराया देकर आशना हॉस्पिटल की ओर भागी. एंटर करते ही उसने डॉक्टर. रूम की तरफ अपने कदम
मोड़ लिए. कॅबिन मे डॉक्टर. बीना अपनी चेर पर बैठ कर उसका वेट कर रही थी. जैसे ही आशना रूम के अंदर
घुसी, बीना उसे देख कर चौंक गई. आशना के बिखरे बाल, लाल आँखें और अस्त व्यस्त हालत यह बता रही थी
कि आशना सारी रात सोई नहीं और काफ़ी परेशान भी है. अंदर आते ही आशना ने बीना से कहा डॉक्टर. मुझे
आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है.
बीना: कूल डाउन आशना, वीरेंदर को होश आ गया है और अब उसका हार्ट नॉर्मली वर्क कर रहा है. घबराने की
कोई ज़रूरत नहीं. पहले तुम अटॅच वॉशरूम मे जाकर अपनी हालत सुधारो, तब तक मैं चाइ बनाती हूँ.
आशना बिना कुछ बोले वॉशरूम मे घुस गई और ठंडे पानी के छींटो से अपनी सुस्ती मिटाने लगी. अच्छी तरह से
हाथ मूह धोकर और अपने बाल और कपड़ो की हालत सुधारकर वो बाहर आई. बाहर आते ही उसने देखा कि
डॉक्टर. बीना चाइ बना रही हैं एक कॉर्नर मे छोटी सी किचन मे. आशना भी उनके साथ उसी किचेन मे आ
गई.
डॉक्टर. बीना: हो गई फ्रेश?, गुड, चलो अब चाइ पीते हैं और मुझे सब कुछ डीटेल मे बताओ. यह कह कर
उन्होने एक कप आशना की तरफ बढ़ाया. आशना ने कप पकड़ा और बाहर कॅबिन मे आकर एक चेर पर बैठ गई.
बीना भी अपनी चेर पर बैठ गई अपने रूम को लॉक करने के बाद.
बीना: हां आशना अब बोलो ऐसा क्या हुआ जो तुम इतनी सुबह सुबह परेशान दिख रही हो. जब तुमने मुझे कॉल
किया तो मे तब वॉश रूम मे थी, बाहर आकर अननोन नंबर. देखा तो पहले तो इग्नोर कर दिया पर फिर जब
मेने कॉल किया तो तुम्हारी डरी हुई आवाज़ ने मुझे चौंका दिया. बोलो क्या बात है.
आशना: डॉक्टर., वीरेंदर भैया की डाइयरी मेने पढ़ी, उन्हे डाइयरी लिखने का शौक है और इस तरह से आशना ने
उन्हे सारी बाते बता दी. सब कुछ जानने के बाद डॉक्टर. के चहरे पर भी चिंता की लकीरें देखी जा सकती थी.
डॉक्टर.: आशना सब कुछ जानने के बाद मैं बस इतना कह सकती हूँ कि वीरेंदर ने पिछले कुछ सालो मे बहुत
कुछ सहा है और शायद उसका दिल अब और दर्द बर्दाश्त ना कर पाए. उसे किसी भी तरह खुश रखना होगा
ताकि उसके दिल पर ज़्यादा दवाब ना पड़े और सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि उसकी शादी हो जानी चाहिए जिससे
उसके जिस्म मे दौड़ता लहू अपनी लय मे दौड़ सके.
आशना: लेकिन डॉक्टर., क्या भैया पर शादी के लिए दवाब डालना ठीक रहेगा?