१. साधना और आराधना में सबसे अधिक समय लगाएं, सकारात्मक और सार्थक समय व्यतीत करने का यही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
२. टीवी समचार प्रातः संध्या १०-१० मिनट देख लें बाकी समय टीवी बंद रखें। इतने से ही दिन भर के सब समाचार प्राप्त हो जाते हैं। शेष समय इन्ही समाचारों की दिन भर पुनरावत्ति होती हैं. दिन भर नकारात्मक समाचार देखने से मन, मष्तिष्क, ह्रदय, शरीर में तनाव बढ़ता हैं, चिंता बढ़ती है और यही तनाव मानसिक और शारीरिक रोगों का कारण बनता है। यह समय अपने आप को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वास्थ्य व शक्तिशाली रखने का है, दुर्बल करने का नहीं। आप सब भी देख रहे होंगे कि कुछ सन्देश व समाचार, भ्रम और भय फ़ैलाने, दुर्बलता व नकारात्मकता बढाने वाले दुष्प्रचार में संलग्न हैं, इनसे सावधान रहें।
३. कोरोना से बचाव सम्बन्धी केवल सरकारी सर्कुलर्स और नोटिफिकेशंस पर ध्यान दें, डॉक्टर्स की सलाह को मानें, "नीम हकीम खतरे जान" की कहावत को याद रखें।
४. लॉक डाउन तथा आपके शहर में व्यवस्था सम्बन्धी स्थानीय प्रशासन के आदेशों का कड़ाई से पालन करें। इन नियमों के पालन से ही कोरोना को फैलने से रोका जा सकेगा। जितनी शीघ्रता से कोरोना के प्रसार पर विजय पाएंगे उतनी शीघ्रता से लॉक डाउन से मुक्ति पाएंगे।
५. अपना ध्यान व समय केवल सकारात्मक विषयों व बातों में लगायें। विद्यार्थी इंडोर गेम्स खेलें। अपने माता पिता, दादा दादी, नाना नानी या अन्य बड़ों को मोबाइल फ़ोन के फीचर्स सिखाएं, इनमें एस एम एस सन्देश भेजना, वाट्सअप चलना, ऑडियो या वीडिओ कॉल्स करना, इंटरनेट सर्फिंग करना हो सकता है. युवा या बड़ी आयु के व्यक्ति अच्छी पुस्तकें या इंटरनेट से अच्छी सामग्री पढ़कर अपना ज्ञान वर्धन कर सकते हैं।
६. अपने परिचित या अपने क्षेत्र के समाजसेवी, पुलिसकर्मी, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स, डॉक्टर्स, नर्सेज, स्वच्छ्ताकर्मी, घर घर जाकर सामान वितरित करने वाले कार्यकर्ताओं, सेनिटाईजेशन करने वालों जैसे सेवारत व्यक्तियों को फ़ोन करके उनका धन्यवाद करें। ध्यान रखें कि उनके ही जोखिम भरे अथक परिश्रम से हम सब सुरक्षित हैं।
७. आपके क्षेत्र में यदि किन्हीं व्यक्तियों को भोजन की आवश्यकता हो तो सरकारी अथवा स्वयंसेवी संस्थानों के माध्यम से उनकी सहायता करें। यदि संभव हो तो आप स्वयं उनकी मदद करें. यह अत्यंत पुण्य का कार्य है।
८. ऐसे राष्ट्रिय और वैश्विक संकट के समय समाज को विभिन्न वर्गों, जाति, धर्म के आधार पर बांटकर अवयवस्था फ़ैलाने वालों, अनुचित लाभ लेने वालों, और घृणा का वातावरण फ़ैलाने वालों से सावधान रहें, और इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दें।
९. अपने घर में, परिवार में, अपने क्षेत्र में परस्पर प्रेम, सामंजस्य, सौहार्द्र और शांति का वातावरण बनाये रखें. किसी भी कारण से परेशान व्यक्तियों को सांत्वना दें और यथासंभव उनकी सहायता करें। स्वयं प्रसन्न रहें व अपने आसपास सबको प्रसन्न रखें।
१०. आपकी तरफ से उठाये गए ये छोटे छोटे सावधानी के कदम हमारे भारतवर्ष के माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, हमारी प्रांतीय सरकारों व स्थानीय प्रशासन को सुदृढ़ता व् सम्बल प्रदान करेंगे, जिसकी उन्हें वर्तमान में बहुत अधिक आवश्यकता है।
१. साधना और आराधना में सबसे अधिक समय लगाएं, सकारात्मक और सार्थक समय व्यतीत करने का यही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
२. टीवी समचार प्रातः संध्या १०-१० मिनट देख लें बाकी समय टीवी बंद रखें। इतने से ही दिन भर के सब समाचार प्राप्त हो जाते हैं। शेष समय इन्ही समाचारों की दिन भर पुनरावत्ति होती हैं. दिन भर नकारात्मक समाचार देखने से मन, मष्तिष्क, ह्रदय, शरीर में तनाव बढ़ता हैं, चिंता बढ़ती है और यही तनाव मानसिक और शारीरिक रोगों का कारण बनता है। यह समय अपने आप को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वास्थ्य व शक्तिशाली रखने का है, दुर्बल करने का नहीं। आप सब भी देख रहे होंगे कि कुछ सन्देश व समाचार, भ्रम और भय फ़ैलाने, दुर्बलता व नकारात्मकता बढाने वाले दुष्प्रचार में संलग्न हैं, इनसे सावधान रहें।
३. कोरोना से बचाव सम्बन्धी केवल सरकारी सर्कुलर्स और नोटिफिकेशंस पर ध्यान दें, डॉक्टर्स की सलाह को मानें, "नीम हकीम खतरे जान" की कहावत को याद रखें।
४. लॉक डाउन तथा आपके शहर में व्यवस्था सम्बन्धी स्थानीय प्रशासन के आदेशों का कड़ाई से पालन करें। इन नियमों के पालन से ही कोरोना को फैलने से रोका जा सकेगा। जितनी शीघ्रता से कोरोना के प्रसार पर विजय पाएंगे उतनी शीघ्रता से लॉक डाउन से मुक्ति पाएंगे।
५. अपना ध्यान व समय केवल सकारात्मक विषयों व बातों में लगायें। विद्यार्थी इंडोर गेम्स खेलें। अपने माता पिता, दादा दादी, नाना नानी या अन्य बड़ों को मोबाइल फ़ोन के फीचर्स सिखाएं, इनमें एस एम एस सन्देश भेजना, वाट्सअप चलना, ऑडियो या वीडिओ कॉल्स करना, इंटरनेट सर्फिंग करना हो सकता है. युवा या बड़ी आयु के व्यक्ति अच्छी पुस्तकें या इंटरनेट से अच्छी सामग्री पढ़कर अपना ज्ञान वर्धन कर सकते हैं।
६. अपने परिचित या अपने क्षेत्र के समाजसेवी, पुलिसकर्मी, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स, डॉक्टर्स, नर्सेज, स्वच्छ्ताकर्मी, घर घर जाकर सामान वितरित करने वाले कार्यकर्ताओं, सेनिटाईजेशन करने वालों जैसे सेवारत व्यक्तियों को फ़ोन करके उनका धन्यवाद करें। ध्यान रखें कि उनके ही जोखिम भरे अथक परिश्रम से हम सब सुरक्षित हैं।
७. आपके क्षेत्र में यदि किन्हीं व्यक्तियों को भोजन की आवश्यकता हो तो सरकारी अथवा स्वयंसेवी संस्थानों के माध्यम से उनकी सहायता करें। यदि संभव हो तो आप स्वयं उनकी मदद करें. यह अत्यंत पुण्य का कार्य है।
८. ऐसे राष्ट्रिय और वैश्विक संकट के समय समाज को विभिन्न वर्गों, जाति, धर्म के आधार पर बांटकर अवयवस्था फ़ैलाने वालों, अनुचित लाभ लेने वालों, और घृणा का वातावरण फ़ैलाने वालों से सावधान रहें, और इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दें।
९. अपने घर में, परिवार में, अपने क्षेत्र में परस्पर प्रेम, सामंजस्य, सौहार्द्र और शांति का वातावरण बनाये रखें. किसी भी कारण से परेशान व्यक्तियों को सांत्वना दें और यथासंभव उनकी सहायता करें। स्वयं प्रसन्न रहें व अपने आसपास सबको प्रसन्न रखें।
१०. आपकी तरफ से उठाये गए ये छोटे छोटे सावधानी के कदम हमारे भारतवर्ष के माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, हमारी प्रांतीय सरकारों व स्थानीय प्रशासन को सुदृढ़ता व् सम्बल प्रदान करेंगे, जिसकी उन्हें वर्तमान में बहुत अधिक आवश्यकता है।
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३. कोरोना से बचाव सम्बन्धी केवल सरकारी सर्कुलर्स और नोटिफिकेशंस पर ध्यान दें, डॉक्टर्स की सलाह को मानें, "नीम हकीम खतरे जान" की कहावत को याद रखें।
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६. अपने परिचित या अपने क्षेत्र के समाजसेवी, पुलिसकर्मी, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स, डॉक्टर्स, नर्सेज, स्वच्छ्ताकर्मी, घर घर जाकर सामान वितरित करने वाले कार्यकर्ताओं, सेनिटाईजेशन करने वालों जैसे सेवारत व्यक्तियों को फ़ोन करके उनका धन्यवाद करें। ध्यान रखें कि उनके ही जोखिम भरे अथक परिश्रम से हम सब सुरक्षित हैं।
७. आपके क्षेत्र में यदि किन्हीं व्यक्तियों को भोजन की आवश्यकता हो तो सरकारी अथवा स्वयंसेवी संस्थानों के माध्यम से उनकी सहायता करें। यदि संभव हो तो आप स्वयं उनकी मदद करें. यह अत्यंत पुण्य का कार्य है।
८. ऐसे राष्ट्रिय और वैश्विक संकट के समय समाज को विभिन्न वर्गों, जाति, धर्म के आधार पर बांटकर अवयवस्था फ़ैलाने वालों, अनुचित लाभ लेने वालों, और घृणा का वातावरण फ़ैलाने वालों से सावधान रहें, और इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दें।
९. अपने घर में, परिवार में, अपने क्षेत्र में परस्पर प्रेम, सामंजस्य, सौहार्द्र और शांति का वातावरण बनाये रखें. किसी भी कारण से परेशान व्यक्तियों को सांत्वना दें और यथासंभव उनकी सहायता करें। स्वयं प्रसन्न रहें व अपने आसपास सबको प्रसन्न रखें।
१०. आपकी तरफ से उठाये गए ये छोटे छोटे सावधानी के कदम हमारे भारतवर्ष के माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, हमारी प्रांतीय सरकारों व स्थानीय प्रशासन को सुदृढ़ता व् सम्बल प्रदान करेंगे, जिसकी उन्हें वर्तमान में बहुत अधिक आवश्यकता है।
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1. The passage discusses the benefits of meditation and the ancient Indian guru tradition. It explains how meditation can help develop complete knowledge, health, peace and happiness for all of humanity.
2. It describes the research of Maharishi Mahesh Yogi who developed an easy, natural technique of Transcendental Meditation. Over 700 scientific studies across 35 countries have validated the physical and mental benefits of this practice.
3. Regular practice of Transcendental Meditation by even 1% of a population can have powerful positive effects on that group's stress, health, social behavior and quality of life according to the studies discussed.
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Do you have a small penis and thinking of increasing the size in the most all-natural way possible? You’re in the right place. Herbal medicine is perfect for those men who want to increase the size of the penis without having any problems or any kind of side-effects. Instead of having harmful treatments for a bigger penis, you have an opportunity to use natural means for penis growth in the form of Sikander-e-azam plus capsule.
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Similar to Message from Brahmachari Girish ji 6 april 2020 (20)
1. The passage discusses the benefits of meditation and the ancient Indian guru tradition. It explains how meditation can help develop complete knowledge, health, peace and happiness for all of humanity.
2. It describes the research of Maharishi Mahesh Yogi who developed an easy, natural technique of Transcendental Meditation. Over 700 scientific studies across 35 countries have validated the physical and mental benefits of this practice.
3. Regular practice of Transcendental Meditation by even 1% of a population can have powerful positive effects on that group's stress, health, social behavior and quality of life according to the studies discussed.
Prarthana me daya ka mahatva - Brahmachari GirishRanjit K Sharma
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
ब्रह्मचारी गिरीश
कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय
एवं महानिदेशक, महर्षि विश्व शांति की वैश्विक राजधानी
भारत का ब्रह्मस्थान, करौंदी, जिला कटनी (पूर्व में जबलपुर), मध्य प्रदेश
Brahmachari Girish celebrates Akshya Tritiya at Maharishi Vidya Mandir School...Ranjit K Sharma
Inspire the future generation to assimilate knowledge - Brahmachari Girish
जिसका क्षय न हो वह अक्षय है और आज अक्षय तृतीया है। जीवन के किसी भी क्षेत्र में कोई क्षय न हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। आप सब ज्ञान के क्षेत्र के लीडर हैं इसलिए आप सभी भावी पीढ़ी को रटने की नहीं बल्कि ज्ञान को आत्मसात करने की प्रेरणा दें। उक्त उद्गार आज महर्षि विद्या मंदिर, रतनपुर में महर्षि विद्या मंदिर समूह के चैयरमेन ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि विश्व शांति आंदोलन की इकाई सहस्रशीर्षा पुरूषा मंडल की स्थापना दिवस एवं अक्षय तृतीया के पावनपर्व में आयोजित भजन बेला में व्यक्त किये।
उन्होंने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि महर्षि महेश योगी जी कहा करते थे कि वैदिक वांगमय में 40 ग्रंथ हैं। इन 40 ग्रंथों की लगभग सौ से अधिक पुस्तकें हैं। जो इन सभी का अध्ययन नहीं कर सकता वह केवल एक ग्रंथ पढ़ ले, पहला सूत्र पढ़ ले, उसकी पहली ऋचा पढ़ लें वह भी समयाभाव में नहीं पढ़ सकता तो वह केवल पहला शब्द पढ़ ले। एक शब्द में पूरा वेद समाया हुआ है। बरगद का पेड़ बहुत बड़ा होता है किन्तु संपूर्ण वटवृक्ष केवल एक बीजे से उत्पन्न होता है। यह बीज खोखला होता है जिस तरह एक बीजे में समस्त वटवृक्ष समाया हुआ है ठीक उसी तरह प्रथम अक्षर में संपूर्ण वेद समाया हुआ है। मस्तिष्क तो शरीर के साथ चला जाता है किन्तु आत्मा का क्षय नहीं होता। वह निरंतर चलायमान है। इसलिए हम सब उसे आत्मसात करें। भगवान परशुराम के रूप में केवल एक व्यक्ति का जन्म नहीं हुआ बल्कि एक संपूर्ण ज्ञान का उदय हुआ। इसलिए केवल ब्राह्मणों में नहीं बल्कि संपूर्ण जगत में इनका ज्ञान प्रवाहित हो, हमें इसको अक्षय बनाने का संकल्प लेना है।
इसके पश्चात् ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि कौशल विकास एवं खादी ग्रामोद्योग संस्थान द्वारा आयोजित पापड़, बड़ी एवं अचार प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये।
Maharishi Vedic Health Centre - The Ayurveda and Yoga Therapy HospitalRanjit K Sharma
Maharishi Vedic Health Centre provides prevention oriented Vedic Health Care to both healthy individuals and if required, to suffering from disorders. All patients are treated with Vedic therapies. Vedic Health Care programmes include consultation and treatment through Ayurveda, Panchkarma, Rasayanas, Yog, Jyotish, Yagyanushthan, Gandharva Veda, Sthapatya Veda, Gems Therapy, Aroma Therapy, Naturopathy, Vedas and Vedic Literature chanting. Maharishi Vedic Health Centre also offers Vedic health awareness courses and will be conducting researches on Indian Vedic Health Care System.
Maharishi Vedic Health Centre - The Ayurveda and Yoga Therapy Hospital
Message from Brahmachari Girish ji 6 april 2020
1. Message from Pujy Brahmachari Girish Ji 6 April 2020
पूज्य ब्रह्मचारी गिरीश जी का सन्देश
जय िुरु देव, जय महगषि
३ सप्ताह के लॉक डाउन को १३ दिन हो गए बहुत लोगों ने बताया दक उनके दिन बड़े
आसानी से कट रहे हैं। कुछ ने बताया दक दिन काटने कदिन हो रहे हैं। सबके दिन्न-
दिन्न अनुिव हैं. दकन्तु एक अनुिव सिी का समान है, दक जो साधना और आराधना
के साथ अपनी दिनचयाा में व्यस्त हैं, उनके दिन बड़े आसानी और आनंि में कट रहे हैं।
कुछ माता दपता ने सूदचत दकया दक अब उनके बच्चों का पढ़ने में मन लगने लगा है।
अब उनको ऑनलाइन स्टडी की आित िी बनने लगी है। कुछ बच्चे इंटरनेट से संगीत
सीख रहे हैं, तो कुछ ड्रॉई ं, पेंदटंग और मूती कला। अदििावक इससे प्रसन्न हैं। कुछ ने बताया दक वर्षों से कुछ िोजन
की दडशेर्ष घर में नहीं बनी थीं, उनका वास्तदवक स्वाि ही िूल गए थे, अब पररवार के सब सिस्य दमलकर उन दडशेर्ष
को तैयार करके स्वाि ले रहे हैं।
कई घरों में नानी िािी, नाना िािा का महत्व अब समझ में आया है। घर को सजाने, सवारने, व्यवदस्थत रखने, घर को
घर बनाने का जो मागािशान उन्हें इस िौरान दमल रहा है, पहले घर से बाहर रहने के कारण किी नहीं दमला। हमें ज्ञात
है दक हर दसक्के के िो पहलू होते हैं। एक तरफ नकारात्मक पक्ष िेखें तो हर एक साधारण व्यदि कोरोना से ियिीत
है, अदनदितता का वातावरण इस िय का वधान करता रहता है, लोग घरों में बंि हैं, शॉदपंग का आनंि थम गया है,
समय पर घर में सामान नहीं पहुंच पा रहा है, पहुंचाए गए सामान की गुणवत्ता से संतोर्ष नहीं है, सामान्य स्वास््य
समस्याओंका समाधान नहीं हो पा रहा है, लोग अस्पताल नहीं जाना चाहते, िैदनक वेतन वाले कमाचारी बेरोजगार हो
गए, वे िोजन के दलए िूसरों पर दनिार हो गए, गेहं की फसल काटने और दबक्री में समस्या हो रही है, सरकारी समाधान
की प्रतीक्षा है, वैदिक अथाव्यवस्था में मंिी आ रही है, महंगाई बढ़ रही है और कुछ जमाखोर इसका लाि ले रहे हैं,
आदि-आदि।
िूसरी तरफ िेखें तो बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दवश्राम का अवसर प्राप्त हुआ है, पाररवाररक सिस्य आपस में
दमलजुलकर समय दबता रहे हैं, साधना और आराधना का समय दमल रहा है, सदहष्णुता कुछ बढ़ने लगी है, बच्चे घर
के बड़े बूढ़ों के साथ समय व्यतीत करके संस्काररत हो रहे हैं, कुछ दिन के आराम के बाि लोग घर से ही काया करने
में व्यस्त हो रहे हैं, अपने स्वयं और पररवार के सामूदहक स्वास््य पर लोगों का ध्यान जा रहा है, जंक फ़ूड खाने में
कमी आने से िी स्वास््य िीक हो रहा है, अस्पतालों में रोदगओं की संख्या घटी है, एक्सीडेंटस कम हो रहे हैं, प्रिूर्षण
कम हो रहा है, नदिओं का जल स्वच्छ हो रहा है, यहााँ तक दक मृत्युिर में दगरावट आयी है, ईिर में आस्था बढ़ी है,
हम सब जानते हैं "िुुःख में सुदमरन सब करें, सुख में करे न कोय, जो सुख में सुदमरन करे, िुुःख काहे को होय" इस
महामारी ने इस िोहे की साथाकता समझा िी है।
हम सब जानते हैं दक इस संकट की दस्तदथ में क्या करें, लेदकन िय, तनाव, घबराहट के वातावरण में
"दकंकताव्यदवमूढ़ता" की दस्तदथ अिी िी बड़े स्तर पर बनी हुई है। सारे टीवी चैनलों में केवल एक ही समाचार बचा
है, कोरोना, इसके अलावा पूरी िुदनया में और कोई समाचार अब बचा ही नहीं है। सोशल मीदडया पर दबन मांगे
2. हजारों की संख्या में सलाह हर दमदनट चली आ रही है, कौन सी सूचना सत्य है और कौन सी असत्य, इसका अंिाज़
लगापाना कदिन है। दमत्रगण िी फ़ोन करते हैं तो कोरोना पर बात करने के दलए आइये क्या करें वाली सूची को एक
बार दफर से िोहराएं:
१. साधना और आराधना में सबसे अदधक समय लगाएं, सकारात्मक और साथाक समय व्यतीत करने का यही
सवाश्रेष्ठ मागा है।
२. टीवी समचार प्रातुः संध्या १०-१० दमनट िेख लें बाकी समय टीवी बंि रखें। इतने से ही दिन िर के सब
समाचार प्राप्त हो जाते हैं। शेर्ष समय इन्ही समाचारों की दिन िर पुनरावदत्त होती हैं. दिन िर नकारात्मक
समाचार िेखने से मन, मदष्तष्क, ह्रिय, शरीर में तनाव बढ़ता हैं, दचंता बढ़ती है और यही तनाव मानदसक
और शारीररक रोगों का कारण बनता है। यह समय अपने आप को मानदसक व शारीररक रूप से स्वास््य व
शदिशाली रखने का है, िुबाल करने का नहीं। आप सब िी िेख रहे होंगे दक कुछ सन्िेश व समाचार, भ्रम
और िय फ़ैलाने, िुबालता व नकारात्मकता बढाने वाले िुष्प्रचार में संलग्न हैं, इनसे सावधान रहें।
३. कोरोना से बचाव सम्बन्धी केवल सरकारी सकुालसा और नोदटदफकेशंस पर ध्यान िें, डॉक्टसा की सलाह को
मानें, "नीम हकीम खतरे जान" की कहावत को याि रखें।
४. लॉक डाउन तथा आपके शहर में व्यवस्था सम्बन्धी स्थानीय प्रशासन के आिेशों का कड़ाई से पालन करें।
इन दनयमों के पालन से ही कोरोना को फैलने से रोका जा सकेगा। दजतनी शीघ्रता से कोरोना के प्रसार पर
दवजय पाएंगे उतनी शीघ्रता से लॉक डाउन से मुदि पाएंगे।
५. अपना ध्यान व समय केवल सकारात्मक दवर्षयों व बातों में लगायें। दवद्याथी इंडोर गेम्स खेलें। अपने माता
दपता, िािा िािी, नाना नानी या अन्य बड़ों को मोबाइल फ़ोन के फीचसा दसखाएं, इनमें एस एम एस सन्िेश
िेजना, वाट्सअप चलना, ऑदडयो या वीदडओ कॉल्स करना, इंटरनेट सदफिंग करना हो सकता है. युवा या
बड़ी आयु के व्यदि अच्छी पुस्तकें या इंटरनेट से अच्छी सामग्री पढ़कर अपना ज्ञान वधान कर सकते हैं।
६. अपने पररदचत या अपने क्षेत्र के समाजसेवी, पुदलसकमी, पैरा दमदलट्री फ़ोसा, डॉक्टसा, नसेज, स्वच््ताकमी,
घर घर जाकर सामान दवतररत करने वाले कायाकतााओं, सेदनटाईजेशन करने वालों जैसे सेवारत व्यदियों को
फ़ोन करके उनका धन्यवाि करें। ध्यान रखें दक उनके ही जोदखम िरे अथक पररश्रम से हम सब सुरदक्षत हैं।
७. आपके क्षेत्र में यदि दकन्हीं व्यदियों को िोजन की आवश्यकता हो तो सरकारी अथवा स्वयंसेवी संस्थानों के
माध्यम से उनकी सहायता करें। यदि संिव हो तो आप स्वयं उनकी मिि करें. यह अत्यंत पुण्य का काया है।
८. ऐसे रादष्ट्रय और वैदिक संकट के समय समाज को दवदिन्न वगों, जादत, धमा के आधार पर बांटकर अवयवस्था
फ़ैलाने वालों, अनुदचत लाि लेने वालों, और घृणा का वातावरण फ़ैलाने वालों से सावधान रहें, और इसकी
सूचना स्थानीय प्रशासन को िें।
९. अपने घर में, पररवार में, अपने क्षेत्र में परस्पर प्रेम, सामंजस्य, सौहार्द्ा और शांदत का वातावरण बनाये रखें.
दकसी िी कारण से परेशान व्यदियों को सांत्वना िें और यथासंिव उनकी सहायता करें। स्वयं प्रसन्न रहें व
अपने आसपास सबको प्रसन्न रखें।
१०. आपकी तरफ से उिाये गए ये छोटे छोटे सावधानी के किम हमारे िारतवर्षा के माननीय प्रधानमंत्री जी,
िारत सरकार, हमारी प्रांतीय सरकारों व स्थानीय प्रशासन को सुदृढ़ता व् सम्बल प्रिान करेंगे, दजसकी उन्हें
वतामान में बहुत अदधक आवश्यकता है।
जय िारत, वन्िेमातरम्