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Good morning2
- 1. *खुशिय ाँ कम और*
*अरम न बहुत हैं ।*
*शिसे भी देखो,*
*परेि न बहुत है ।।*
*करीब से देख तो,*
*शनकल रेत क घर ।*
*मगर दूर से इसकी,*
*ि न बहुत है ।।*
- 2. *कहते हैं सच क ,*
*कोई मुक बल नहीं ।*
*मगर आि झूठ की,*
*पहच न बहुत है ।।*
*मुशककल से शमलत है,*
*िहर में आदमी ।*
*यूूं तो कहने को,*
*इन्स न बहुत है।