PERSONALITY DEVELOPMENT FOR THE SCHOOL GOING CHILDREN.TREATMENT THROUGH YOG MEDITATION AND SPECIAL MEDITATION ;PREKSHAMEDITATION....
TREATMENT OF-1 ANGER
2.EGO/PROUD
3 STRESS MANAGEMENT
AT PHYSICAL LEVEL BEHAVIOUR,AND EMOTIONAL LEVEL
4.IMPROVEMENT OF WORK EFFICIENCY.
5.IMPROVEMENT OF MEMORY &
6.ACHIVEMENT OF AIM IN DETAIL PLEASE LOAD HINDI FHONT....
3
Following factors:
Planning
Logic & reasoning
Comprehension
Visual processing
Auditory processing which should be associated with long term attention/memory followed by active processing system which can b e accompalished only by the speed working memory and attention.
अलसी - एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन
“पहला सुख निरोगी काया, सदियों रहे यौवन की माया।” आज हमारे वैज्ञानिकों व चिकित्सकों ने अपनी शोध से ऐसे आहार-विहार, आयुवर्धक औषधियों, वनस्पतियों आदि की खोज कर ली है जिनके नियमित सेवन से हमारी उम्र 200-250 वर्ष या ज्यादा बढ़ सकती है और यौवन भी बना रहे। यह कोरी कल्पना नहीं बल्कि यथार्थ है। आपको याद होगा प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि योग, तप, दैविक आहार व औषधियों के सेवन से सैकड़ों वर्ष जीवित रहते थे। इसीलिए ऊपर मैंने पुरानी कहावत को नया रुप दिया है। ऐसा ही एक दैविक आयुवर्धक भोजन है “अलसी” जिसकी आज हम चर्चा करेंगें।
पिछले कुछ समय से अलसी के बारे में पत्रिकाओं, अखबारों, इन्टरनेट, टी.वी. आदि पर बहुत कुछ प्रकाशित होता रहा है। बड़े शहरों में अलसी के व्यंजन जैसे बिस्कुट, ब्रेड आदि बेचे जा रहे हैं। भारत के विख्यात कार्डियक सर्जन डॉ. नरेश त्रेहान अपने रोगियों को नियमित अलसी खाने की सलाह देते हैं ताकि वह उच्च रक्तचाप व हृदय रोग से मुक्त रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा देता है। आयुर्वेद में अलसी को दैविक भोजन माना गया है। मैंने यह भी पढ़ा है कि सचिन के बल्ले को अलसी का तेल पिलाकर मजबूत बनाया जाता है तभी वो चौके-छक्के लगाता है और मास्टर ब्लास्टर कहलाता है। आठवीं शताब्दी में फ्रांस के सम्राट चार्ल मेगने अलसी के चमत्कारी गुणों से बहुत प्रभावित थे और चाहते थे कि उनकी प्रजा रोजाना अलसी खाये और निरोगी व दीर्घायु रहे इसलिए उन्होंने इसके लिए कड़े कानून बना दिए थे।
यह सब पढ़कर मेरी जिज्ञासा बढ़ती रही और मैंने अलसी से सम्बन्धित जितने भी लेख उपलब्ध हो सके पढ़े व अलसी पर हुई शोध के बारे में भी विस्तार से पढ़ा। मैं अत्यंत प्रभावित हुआ कि ये अलसी जिसका हम नाम भी भूल
रेकी या स्पर्श-चिकित्सा
रेकी क्या है
रेकी या स्पर्श चिकित्सा में हाथों के द्वारा एक विशेष रीति से रोगी अथवा रोग से ग्रसित अंग को ब्रह्माण्डीय जीवन ऊर्जा या दिव्य प्राण शक्ति देकर बीमारी को दूर किया जाता है। रेकी शब्द दो जापानी शब्दों ' रे ' और ' की ' से बना है। ' रे ' का मतलब ब्रह्म बोध या दिव्य ज्ञान और ' की ' का मतलब जीवन ऊर्जा होता है (संस्कृत में की को प्राण कहते हैं)। यही जीवन ऊर्जा हमारे शरीर को चेतना प्रदान करती है और इस पूरे ब्रह्माण्ड में हमारे चारों तरफ विद्यमान है। रेकी शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करती है। जब हम बुजुर्गों के पैर छूते हैं और वे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं, वह भी रेकी का ही रूप है। वास्तव में वे हमें जीवन ऊर्जा देकर अनुग्रहीत करते हैं।
यह बहुत आसान, अचूक, कारगर तथा एक सफल वैकल्पिक उपचार है। कोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह आवश्यक नहीं कि रेकी सीखने वाला व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, योगी, संत-सन्यासी या आध्यात्मिक क्षेत्र का पहुंचा हुआ व्यक्ति हो। अभ्यास और एकाग्रता के बल पर कोई भी इसे सीख सकता है। न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। इसे सीखने के लिए कई वर्षों के लम्बे अभ्यास की आवश्यकता भी नहीं होती। रेकी एक ऐसा अद्भुत तरीका है, जिसमें रोगी और रोग से ग्रसित अंग को रेकी उपचारक द्वारा दिव्य प्राण ऊर्जा देकर बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।
अलसी - एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन
“पहला सुख निरोगी काया, सदियों रहे यौवन की माया।” आज हमारे वैज्ञानिकों व चिकित्सकों ने अपनी शोध से ऐसे आहार-विहार, आयुवर्धक औषधियों, वनस्पतियों आदि की खोज कर ली है जिनके नियमित सेवन से हमारी उम्र 200-250 वर्ष या ज्यादा बढ़ सकती है और यौवन भी बना रहे। यह कोरी कल्पना नहीं बल्कि यथार्थ है। आपको याद होगा प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि योग, तप, दैविक आहार व औषधियों के सेवन से सैकड़ों वर्ष जीवित रहते थे। इसीलिए ऊपर मैंने पुरानी कहावत को नया रुप दिया है। ऐसा ही एक दैविक आयुवर्धक भोजन है “अलसी” जिसकी आज हम चर्चा करेंगें।
पिछले कुछ समय से अलसी के बारे में पत्रिकाओं, अखबारों, इन्टरनेट, टी.वी. आदि पर बहुत कुछ प्रकाशित होता रहा है। बड़े शहरों में अलसी के व्यंजन जैसे बिस्कुट, ब्रेड आदि बेचे जा रहे हैं। भारत के विख्यात कार्डियक सर्जन डॉ. नरेश त्रेहान अपने रोगियों को नियमित अलसी खाने की सलाह देते हैं ताकि वह उच्च रक्तचाप व हृदय रोग से मुक्त रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा देता है। आयुर्वेद में अलसी को दैविक भोजन माना गया है। मैंने यह भी पढ़ा है कि सचिन के बल्ले को अलसी का तेल पिलाकर मजबूत बनाया जाता है तभी वो चौके-छक्के लगाता है और मास्टर ब्लास्टर कहलाता है। आठवीं शताब्दी में फ्रांस के सम्राट चार्ल मेगने अलसी के चमत्कारी गुणों से बहुत प्रभावित थे और चाहते थे कि उनकी प्रजा रोजाना अलसी खाये और निरोगी व दीर्घायु रहे इसलिए उन्होंने इसके लिए कड़े कानून बना दिए थे।
यह सब पढ़कर मेरी जिज्ञासा बढ़ती रही और मैंने अलसी से सम्बन्धित जितने भी लेख उपलब्ध हो सके पढ़े व अलसी पर हुई शोध के बारे में भी विस्तार से पढ़ा। मैं अत्यंत प्रभावित हुआ कि ये अलसी जिसका हम नाम भी भूल
रेकी या स्पर्श-चिकित्सा
रेकी क्या है
रेकी या स्पर्श चिकित्सा में हाथों के द्वारा एक विशेष रीति से रोगी अथवा रोग से ग्रसित अंग को ब्रह्माण्डीय जीवन ऊर्जा या दिव्य प्राण शक्ति देकर बीमारी को दूर किया जाता है। रेकी शब्द दो जापानी शब्दों ' रे ' और ' की ' से बना है। ' रे ' का मतलब ब्रह्म बोध या दिव्य ज्ञान और ' की ' का मतलब जीवन ऊर्जा होता है (संस्कृत में की को प्राण कहते हैं)। यही जीवन ऊर्जा हमारे शरीर को चेतना प्रदान करती है और इस पूरे ब्रह्माण्ड में हमारे चारों तरफ विद्यमान है। रेकी शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करती है। जब हम बुजुर्गों के पैर छूते हैं और वे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हैं, वह भी रेकी का ही रूप है। वास्तव में वे हमें जीवन ऊर्जा देकर अनुग्रहीत करते हैं।
यह बहुत आसान, अचूक, कारगर तथा एक सफल वैकल्पिक उपचार है। कोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह आवश्यक नहीं कि रेकी सीखने वाला व्यक्ति बहुत बुद्धिमान, योगी, संत-सन्यासी या आध्यात्मिक क्षेत्र का पहुंचा हुआ व्यक्ति हो। अभ्यास और एकाग्रता के बल पर कोई भी इसे सीख सकता है। न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। इसे सीखने के लिए कई वर्षों के लम्बे अभ्यास की आवश्यकता भी नहीं होती। रेकी एक ऐसा अद्भुत तरीका है, जिसमें रोगी और रोग से ग्रसित अंग को रेकी उपचारक द्वारा दिव्य प्राण ऊर्जा देकर बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।
इशरत जहां, इंसाफ कहाँ ?
इशरत के हत्यारों को बचाने के लिए सुनियोजित तरीके से झूठे बयान दिलवाए जा रहे हैं- रिहाई मंच
.............................
पुलिस की बर्बरताः सोनू और कल्लू को हीटर पर कराई पेशाब, गुप्तांगों में डाला पेट्रोल
..............................
अपराधियों को बचाने के लिए दूर से निशाना
............................
मिलिट्री एक्सरसाइज में भारतीय दल की अगुआई करने वाली पहली महिला बनी सोफिया कुरैशी
ऊर्जा-विज्ञान (Aura Healing)
कैंसर सहित सभी रोग शरीर में ऊर्जा के उन्मुक्त प्रवाह में आई रुकावट के कारण होते हैं।
शरीर क्या है? मनुष्य क्या है? प्राचीन काल से भौतिकशास्त्री यह कहते आये हैं कि बुनियादी स्तर से देखें तो हमारा यह शरीर शुद्ध रूप से सिर्फ एक ऊर्जा है। भौकिशास्त्री बारबरा ब्रेनान ने शरीर के बहुस्तरीय ऊर्जा क्षेत्र के अस्तित्व को सिद्ध किया है। इसे प्रभा-मण्डल, आभा-मण्डल या ओरा कहते हैं। इन्होंने वर्षों तक शोध करके इस ऊर्जा-चिकित्सा (Aura Healing) से दैहिक और भावनात्मक विकारों के उपचार की कला को विकसित किया है।
ऊर्जा-चिकित्सा - जीवन शक्ति ऊर्जा
भारत में इस ऊर्जा को ' प्राण ' तो चीन में इसे ' ची ' कहते हैं। भले इसकी सत्यता को वैज्ञानिक सिद्ध नहीं कर सके हों लेकिन चीन में एक ऐसा चिकित्सालय है जहां ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं से हजारों रोगियों का उपचार होता है। यहां कई चमत्कार होते हैं। यहां पर उपचार इतना प्रभावशाली है कि एक रोगी के कैंसर की गांठ देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में गायब हो गई और यह नजारा सोनोग्राफी मशीन के पटल पर स्पष्ट देखा व अंकित किया गया था। ऐसा लगता है कि भविष्य में रोगों के उपचार में ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं जैसे एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, ई.एफ.टी., प्रकाश, ध्वनि, रंग या रैकी का महत्व बहुत अधिक होगा। भौतिक-विज्ञान में कोई कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं, जिसे हम देख और नाप सकते हैं। लेकिन ऊर्जा चिकित्सक इस सर्वव्यापी जीवन शक्ति को ऊर्जा की संज्ञा देते हैं।
बारबरा ब्रेनान ने बड़े विवेकपूर्ण ढंग से आध्यात्मिकता और विज्ञान के समन्वय की कौशिश की है। ये अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं और नासा में शोध-वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर चुकी हैं। ये भौतिकशास्त्री और मनोचिकित्सक हैं और 20 वर्षों से प्रभा-मण्डल और ऊर्जा-चिकित्सा पर अ
मैं मानता हूँ कि मेरी कलम किसी को न्याय नहीं दे सकती है. मगर अपनी कलम से पूरी ईमानदारी के साथ यदि किसी के ऊपर अन्याय हो रहा है. तब उसको लेखन द्वारा उच्च अधिकारीयों तक पहुंचा दूँ. इस अख़बार के प्रथम पेज पर छपी खबर(मोबाईल चोरी के शक में युवक की तार से गला घोंटकर हत्या ) के बारें में मुझे जब अपने विश्वनीय सूत्रों से मालूम हुआ कि उपरोक्त केस पुलिस पैसे लेकर रफा-दफा करने के चक्कर में है. तभी मैंने थाने में जाकर उपरोक्त घटना का पूरा विवरण लिया उसके बाद पीड़ित पक्ष से मिला और अपने अख़बार में छपने से पहले हर रोज के अख़बारों के पत्रकारों के माध्यम से राष्ट्रिय अख़बारों में उपरोक्त घटना को प्रिंट करवाया. जिससे पुलिस के ऊपर दबाब बना और उसको आरोपितों की गिरफ्तारी दिखानी पड़ी. मेरी पत्रकारिता में काफी ऐसे अवसर आये है कि मेरे सूत्रों और आम आदमी ने किसी घटना की सूचना पुलिस को देने से पहले मुझे दी और अनेक बार मैंने पुलिस को फोन करके घटनास्थल पर बुलाया था. मैंने अपनी पत्रकारिता को लेकर सूत्रों और आम आदमी में यह विश्वास कायम किया था कि आपका नाम का जिक्र कभी नहीं आएगा. बेशक कोई कुत्ते की मौत मारे या धोखे से कभी मुझे मरवा दें. आप बिना झिझक के मुझे घटना और उसकी सच्चाई से अवगत करवाएं. मेरे बारें में यह मशहूर था कि एक बार कोई ख़बर सिरफिरे को पता चल जाये फिर खबर को खरीद या दबा नहीं सकता है, क्योंकि मुझे पत्रकारिता के शुरू से धन-दौलत से इतना मोह नहीं रहा है. हाँ, अपनी मेहनत और पसीने की कमाई का एक रुपया किसी के पास नहीं छोड़ता था. यदि शुरू में किसी ताकतवर व्यक्ति ने या किसी ने अपनी दबंगता के चलते रख भी लिए तो मैंने उसका कभी कोई अहित नहीं किया. मगर मेरे पैसे उसके पाप के घड़े की आखिरी बूंद साबित हुए. भगवान ने उनको ऐसी सजा दी कि काफी लोग तो दस-पन्दह साल तक भी उबर नहीं पायें. इसल
Transforming emotions into lasting improvements using proven Scientific Meditation techniques!
Jyotindra Zaveri (a,k.a. Jyoti) is specializing in teaching AnuPreksha - Therapeutic Thinking a meditation technique from the scientific point of view, without taking any religious bias. He calls it 'Scientific Meditation'. He is practicing and teaching meditation for over ten years. He has conducted many training sessions, especially for working professionals.
• Today IQ is not enough but EQ is also important to develop your personality!
Today we hear many religious leaders talking about meditation which is based on religion aspect, that requires certain faith in the dogma. However, today's generation may not take it at the face value! Without discussing scientific facts. It is necessary to explain in today's language.
The session duration may range from three hours to two days. The session is conducted by discussing concepts and practicals; using a PowerPoint presentation.
He is an IT Professional with forty-four years of experience in IT-enabled business management. Specializing in ERP implementation and Social Media Marketing. Computer Engineer (Trained in Germany). Formerly with IBM.
Note:
• Expert on Stress Management, Healthy and happy lifestyle, a specialist in scientifically explaining ancient meditation system. You wanted to discuss meditation without any bias to any religion but did not know whom to ask. Ask Jyotindra.
• Do you want to improve concentration? You know if your mind is wandering, you need to spend more time doing a task. Learn proven and scientific techniques to train your mind and increase your Operational Efficiency.
• Do you experience stress? In today’s competitive world, it is necessary to be Plus One than others. In the process, lots of tension is developed in the mind. This tension results in high blood pressure, insomnia and other psychosomatic diseases. Learn how to release tension by a proven relaxation technique known as ‘Kayotsarg’.
• Goal setting and achieving: This also helps in achieving your goals by tapping the inner power of the subconscious mind.
• Emotional Quotient or EQ is all about measuring emotions. Learn how you can acquire virtues and good habits and get rid of negative emotions with a proven technique of Anupreksha or Contemplation Meditation.
See LinkedIn profile https://www.linkedin.com/in/jyotindrazaveri/
Yoga therapy has to be integrated to work at all levels of being, i.e. physical, mental, emotional as well as spiritual. All aspect of yoga is to be included to get wholesome effect of health and wellness.
For info log on to www.healthlibrary.com. Integrated Approach of Yoga Therapy By Mr. Devang Shah held on 16 Nov 2015.
इशरत जहां, इंसाफ कहाँ ?
इशरत के हत्यारों को बचाने के लिए सुनियोजित तरीके से झूठे बयान दिलवाए जा रहे हैं- रिहाई मंच
.............................
पुलिस की बर्बरताः सोनू और कल्लू को हीटर पर कराई पेशाब, गुप्तांगों में डाला पेट्रोल
..............................
अपराधियों को बचाने के लिए दूर से निशाना
............................
मिलिट्री एक्सरसाइज में भारतीय दल की अगुआई करने वाली पहली महिला बनी सोफिया कुरैशी
ऊर्जा-विज्ञान (Aura Healing)
कैंसर सहित सभी रोग शरीर में ऊर्जा के उन्मुक्त प्रवाह में आई रुकावट के कारण होते हैं।
शरीर क्या है? मनुष्य क्या है? प्राचीन काल से भौतिकशास्त्री यह कहते आये हैं कि बुनियादी स्तर से देखें तो हमारा यह शरीर शुद्ध रूप से सिर्फ एक ऊर्जा है। भौकिशास्त्री बारबरा ब्रेनान ने शरीर के बहुस्तरीय ऊर्जा क्षेत्र के अस्तित्व को सिद्ध किया है। इसे प्रभा-मण्डल, आभा-मण्डल या ओरा कहते हैं। इन्होंने वर्षों तक शोध करके इस ऊर्जा-चिकित्सा (Aura Healing) से दैहिक और भावनात्मक विकारों के उपचार की कला को विकसित किया है।
ऊर्जा-चिकित्सा - जीवन शक्ति ऊर्जा
भारत में इस ऊर्जा को ' प्राण ' तो चीन में इसे ' ची ' कहते हैं। भले इसकी सत्यता को वैज्ञानिक सिद्ध नहीं कर सके हों लेकिन चीन में एक ऐसा चिकित्सालय है जहां ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं से हजारों रोगियों का उपचार होता है। यहां कई चमत्कार होते हैं। यहां पर उपचार इतना प्रभावशाली है कि एक रोगी के कैंसर की गांठ देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में गायब हो गई और यह नजारा सोनोग्राफी मशीन के पटल पर स्पष्ट देखा व अंकित किया गया था। ऐसा लगता है कि भविष्य में रोगों के उपचार में ऊर्जा-चिकित्सा विधाओं जैसे एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, ई.एफ.टी., प्रकाश, ध्वनि, रंग या रैकी का महत्व बहुत अधिक होगा। भौतिक-विज्ञान में कोई कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं, जिसे हम देख और नाप सकते हैं। लेकिन ऊर्जा चिकित्सक इस सर्वव्यापी जीवन शक्ति को ऊर्जा की संज्ञा देते हैं।
बारबरा ब्रेनान ने बड़े विवेकपूर्ण ढंग से आध्यात्मिकता और विज्ञान के समन्वय की कौशिश की है। ये अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं और नासा में शोध-वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर चुकी हैं। ये भौतिकशास्त्री और मनोचिकित्सक हैं और 20 वर्षों से प्रभा-मण्डल और ऊर्जा-चिकित्सा पर अ
मैं मानता हूँ कि मेरी कलम किसी को न्याय नहीं दे सकती है. मगर अपनी कलम से पूरी ईमानदारी के साथ यदि किसी के ऊपर अन्याय हो रहा है. तब उसको लेखन द्वारा उच्च अधिकारीयों तक पहुंचा दूँ. इस अख़बार के प्रथम पेज पर छपी खबर(मोबाईल चोरी के शक में युवक की तार से गला घोंटकर हत्या ) के बारें में मुझे जब अपने विश्वनीय सूत्रों से मालूम हुआ कि उपरोक्त केस पुलिस पैसे लेकर रफा-दफा करने के चक्कर में है. तभी मैंने थाने में जाकर उपरोक्त घटना का पूरा विवरण लिया उसके बाद पीड़ित पक्ष से मिला और अपने अख़बार में छपने से पहले हर रोज के अख़बारों के पत्रकारों के माध्यम से राष्ट्रिय अख़बारों में उपरोक्त घटना को प्रिंट करवाया. जिससे पुलिस के ऊपर दबाब बना और उसको आरोपितों की गिरफ्तारी दिखानी पड़ी. मेरी पत्रकारिता में काफी ऐसे अवसर आये है कि मेरे सूत्रों और आम आदमी ने किसी घटना की सूचना पुलिस को देने से पहले मुझे दी और अनेक बार मैंने पुलिस को फोन करके घटनास्थल पर बुलाया था. मैंने अपनी पत्रकारिता को लेकर सूत्रों और आम आदमी में यह विश्वास कायम किया था कि आपका नाम का जिक्र कभी नहीं आएगा. बेशक कोई कुत्ते की मौत मारे या धोखे से कभी मुझे मरवा दें. आप बिना झिझक के मुझे घटना और उसकी सच्चाई से अवगत करवाएं. मेरे बारें में यह मशहूर था कि एक बार कोई ख़बर सिरफिरे को पता चल जाये फिर खबर को खरीद या दबा नहीं सकता है, क्योंकि मुझे पत्रकारिता के शुरू से धन-दौलत से इतना मोह नहीं रहा है. हाँ, अपनी मेहनत और पसीने की कमाई का एक रुपया किसी के पास नहीं छोड़ता था. यदि शुरू में किसी ताकतवर व्यक्ति ने या किसी ने अपनी दबंगता के चलते रख भी लिए तो मैंने उसका कभी कोई अहित नहीं किया. मगर मेरे पैसे उसके पाप के घड़े की आखिरी बूंद साबित हुए. भगवान ने उनको ऐसी सजा दी कि काफी लोग तो दस-पन्दह साल तक भी उबर नहीं पायें. इसल
Transforming emotions into lasting improvements using proven Scientific Meditation techniques!
Jyotindra Zaveri (a,k.a. Jyoti) is specializing in teaching AnuPreksha - Therapeutic Thinking a meditation technique from the scientific point of view, without taking any religious bias. He calls it 'Scientific Meditation'. He is practicing and teaching meditation for over ten years. He has conducted many training sessions, especially for working professionals.
• Today IQ is not enough but EQ is also important to develop your personality!
Today we hear many religious leaders talking about meditation which is based on religion aspect, that requires certain faith in the dogma. However, today's generation may not take it at the face value! Without discussing scientific facts. It is necessary to explain in today's language.
The session duration may range from three hours to two days. The session is conducted by discussing concepts and practicals; using a PowerPoint presentation.
He is an IT Professional with forty-four years of experience in IT-enabled business management. Specializing in ERP implementation and Social Media Marketing. Computer Engineer (Trained in Germany). Formerly with IBM.
Note:
• Expert on Stress Management, Healthy and happy lifestyle, a specialist in scientifically explaining ancient meditation system. You wanted to discuss meditation without any bias to any religion but did not know whom to ask. Ask Jyotindra.
• Do you want to improve concentration? You know if your mind is wandering, you need to spend more time doing a task. Learn proven and scientific techniques to train your mind and increase your Operational Efficiency.
• Do you experience stress? In today’s competitive world, it is necessary to be Plus One than others. In the process, lots of tension is developed in the mind. This tension results in high blood pressure, insomnia and other psychosomatic diseases. Learn how to release tension by a proven relaxation technique known as ‘Kayotsarg’.
• Goal setting and achieving: This also helps in achieving your goals by tapping the inner power of the subconscious mind.
• Emotional Quotient or EQ is all about measuring emotions. Learn how you can acquire virtues and good habits and get rid of negative emotions with a proven technique of Anupreksha or Contemplation Meditation.
See LinkedIn profile https://www.linkedin.com/in/jyotindrazaveri/
Yoga therapy has to be integrated to work at all levels of being, i.e. physical, mental, emotional as well as spiritual. All aspect of yoga is to be included to get wholesome effect of health and wellness.
For info log on to www.healthlibrary.com. Integrated Approach of Yoga Therapy By Mr. Devang Shah held on 16 Nov 2015.
3. SCHOOL HEALTH SCHEME,DHS,GOVT.OF NCT OF DELHI
DR ANUP NATH
M.B.B.S.,(UCMS),D.Ph.
(Delhi University),N.D.DY.(IFNHY),
DI.HOM,MD-HOM,FBIH(U.K.)MD (AM),MSc
(JVBU),YIC,PGDYT-D (SVYASA)
4. O;fDrRo fodkl dk vk/kkj% thou foKku
eqfu fd’kuyky----
O;Dr gksuk&izLrqr gksukA O;fDr gksus ds izdYi dks O;fDrRo dgrs
gSaA O;fDr esa xq.kksa ds mRd”kZ ls O;fDrRo curk gSaA O;fDrRo
dk izk:i euksfoKku ls izlwr gSa] fQj thou foKku esa mldh ifjdYiuk
D;ks euksfoKku esa O;fDrRo dh O;k[;k ‘kjhj vkSj eu rd ifjlhfer gS]
tcfd foKku esa ‘kjhj vkSj eu ds ijs HkkoukRed Lrj ij fopkj fd;k x;k gS
tks O;fDrRo dk ewy ?kVd gSA blls Hkh vkxs pSrU; dk ifj”dkj
O;fDrRo ds fodkl dk vk/kkj curk gSA euksfoKku esa O;fDrRo dh
fo”kn~ O;k[;k gS fdUrq O;fDrRo fodkl dh izk;ksfxd izfdz;kvksa dk
vH;klvkSj foospu thou foKku esa djk;k tkrk gSA
41. In conclusion to improve work
efficiency it is necessary these
following factors:-
Following factors:
1. Planning
2. Logic & reasoning
3. Comprehension
4. Visual processing
5. Auditory processing which should be associated
with long term attention/memory followed by
active processing system which can b e
accompalished only by the speed working
memory and attention.
54. METHODS TO ACHIVE THE GOAL:-
First step is identifying the problems.
Second, is evasion- means to visualize the probable
factors by which the goal can be achieved.
Third, one is strategy- it is a step through which the
manner the goal can be achieved the plain is made for
achieving the goal.
Fourth, Execution means to carry or to perform the
work.