भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने और जीवनस्तर के समग्र विकास को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कुशल बुनियादी ढांचे की महती जरूरत है। स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सन 2050 तक लगभग 70 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या शहरों की ओर पलायन करेगी। बढ़ती आबादी, यातायात और जीवनशैली की जरूरतों को पूरा करने के लिए शहरों को तदनुसार तैयार करना ही होगा।
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भारत में स्मार्ट शहर की जरूरत
1. भारत में स्मार्ट शहर की जरूरत
भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने और जीिनस्तर के समग्र विकास को
सुननश्चित करने की आिचयकता है। इस उद्देचय की प्राश्तत के ललए कु शल बुननयादी ढांिे की महती जरूरत है। स्रोतों
से प्रातत जानकारी के अनुसार, सन 2050 तक लगभग 70 प्रनतशत भारतीय जनसंख्या शहरों की ओर पलायन
करेगी। बढ़ती आबादी, यातायात और जीिनशैली की जरूरतों को पूरा करने के ललए शहरों को तदनुसार तैयार करना
ही होगा।
शहरों को अपने नागररकों के ललए सभी आिचयक सुविधाओं के साथ शहरी उच्िस्तरीय जीिनशैली प्रदान करना ही
होगी। इन तमाम शहरों को अपने ननिालसयों को व्यापार, स्थानीय प्राधधकरणों और पयाािरण के ललए टिकाऊ और
तका संगत विकास प्रदान करना होगा। संक्षेप में कहें तो स्मािा शहर उसे ही कहा जाएगा जो बेहतर जीिन, सेिाओं,
बुननयादी ढााँिे, प्रशासन, अथाव्यिस्था, लशक्षा, स्िास््य सेिा, विकास और सफलता आटद की गारंिी देता हो।
आइए स्मार्ट सिर्ी में होने वाले ववकाि और उिकी ववशेषताओं को जानें
1. भूलम का लमधित उपयोग और जमीन को समझते हुए उसके अनुकू ल उपयोग ककया जाए। यहााँ कम से कम
भूलम के उपयोग में अधधक से अधधक आउिपुि सुननश्चित करना है। साथ ही, भूलम उपयोग के तरीके और
कानूनों में कु छ टढलाई प्रदान की जा सकती है।
2. सुरक्षक्षत और स्मािा जीिन प्रदान करने के ललए आिास के अिसरों का विस्तार करना या उन्हें बढ़ाना और
पररिार के रहने के ललए पयाातत जगह उपलब्ध कराना।
3. बुननयादी ढांिे का विकास – शहरों का ऐसी जगह विकास जो साफ ि स्िच्छ िातािरण सुननश्चित करता
हो। यहााँ भीड़, िायु प्रदूषण को कम करना होगा और एक साथ प्राकृ नतक संसाधनों का संरक्षण करना होगा।
स्थानीय अथाव्यिस्था को बढ़ािा देना और सािाजननक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सड़क नेििका मोिर-
िाललत िाहनों और पैदल िलने िालों के ललए भी सुविधा का ध्यान रखा जाना िाटहए। ननिालसयों को
आिचयक प्रशासननक सेिाएं भी प्रदान की जानी िाटहए।
4. खुली जगह का संरक्षण और विकास भी है जरूरी- स्मािा शहरों में जीिन की गुणित्ता बढ़ाने, गमी के
प्रभाि को कम करने और अधधक पाररश्स्थनतक संतुलन प्रदान करने के ललए पयाातत पाका , खेल के मैदान
और मनोरंजक स्थल होने िाटहए। ये सभी एक आकषाक जीिनशैली प्रदान करते हैं।
2. 5. स्मािा रांसपोिेशन लसस्िम - स्मािा शहरों में सािाजननक पररिहन के ललए ककफायती, प्रभािी, तेज और
साधन होना िाटहए। सािाजननक पररिहन का अधधकाधधक इस्तेमाल प्रदूषण को कम करने में सहायक होता
है।
6. डिश्जिल कनेश्टिवििी – सरकारी सेिाओं के साथ ही मूल सुविधाएाँ भी नागररकों को आसानी से उपलब्ध
रहनी िाटहए श्जससे कक उनका समय बि सके और जानकारी को अधधक पारदशी और तेज बनाया जा
सके । स्मािा शहर के ननिालसयों के ललए मोबाइल एप, सॉफ्ििेयसा, पश्ब्लक एड्रेसल लसस्िम का पयाातत
उपयोग सुननश्चित ककया जाना िाटहए। सरकारी विभाग में इंिरनेि सकिय होना िाटहए ताकक अधधक से
अधधक नागररकों से जुड़ा जा सके और बेहतर समाधान उपलब्ध करा सके । ननधााररत समय के भीतर
फीिबैक और लशकायतों को आसान बनाना िाटहए ताकक नागररक इन्हें आसानी से कर सके ।
7. शहर का अपना एक अलग यूएसपी होना िाटहए- स्मािा लसिी को अपनी शानदार सेिाएं मुहैया कराना
िाटहए जो इसे अलग बनाती हैं और दूसरों से अलग खड़ा करती हैं। उदाहरण के ललए, लखनऊ की पहिान
उसके कबाब से है या हैदराबाद की पहिान उसकी बबरयानी के ललए। न के िल खाद्य, बश्कक अलग
पहिान आधथाक गनतविधधयों, स्िास््य सेिाओं, व्यंजन, स्िास््य, लशक्षा, कला और लशकप, संस्कृ नत,
फनीिर, िेयरी, खेल या भ्रमण आटद पर भी आधाररत हो सकती है।
8. बुननयादी ढांिे में स्मािा सुविधाओं को आसानी से नागररकों के ललए उपलब्ध कराया जाना िाटहए जो उन्हें
सुरक्षक्षत, स्मािा जीिनशैली का आचिासन देते हैं। इसे प्रभािशीलता, लशक्षा या स्िास््य मानकों, या यहां तक
कक भ्रमण क्षेत्रों पर खिा करना िाटहए और शहर को इन सभी की पूनता करना िाटहए। ये सभी मानक ही
ककसी शहर को सच्िे मायनों में एक स्मािा शहर बनाते हैं।