3. • प्रदेश को सीम ांककत करने की तरह- तरह की विधिय ाँ है,
जिनमें प्रमुख हैं:-
1. म त्र त्मक
2. गुण त्मक
4. म त्र त्मक
थीसेन बहुभुि
दूरी
न्यूनतममकरण
विविक्तकर
विश्लेषण
ग्र फ मसदि ांत
गुण त्मक
म नधित्र
अध्य रोपण
5. मधत्रधत्मक विधर्
• स ांजययकी और गणणतीय तकनीकों क
े प्रयोग, प्रमेयों क
उपयोग और भौगोमलक तांत्र क
े प्रदेशों क सीम ांकन ककय ि त
है|
• इसमें मैद न, िनसांयय और आधथिक किय ओां को देखते है|
• प्रदेशों की क्षेत्र- सीम ओां को ननजश्ित करने क
े मलए बहुत सी
म त्र त्मक विधियों क विक स हो रह है|
• ि र मुयय विधियों क विस्तृत वििरण इस प्रक र है|
6. थीसेि बहुभुज
इस विधि में बहुभुिों की रिन की ि ती है, जिसक
े मलए ननम्न
िम नुस र कदम उठ एां ि ते है:-
ददए गए क
ें द्र से उसक
े प्रत्येक समीपिती क
ें द्र को िोड़ने ि ली
रेख एां खीांि दी ि ती है|
क
े न्द्रों को िोड़ने ि ली उन रेख ओां को दो भ गों में ब ांटकर
उनक
े मध्य बबांदु ज्ञ त कर मलए ि ते है|
मध्य बबांदु से उस रेख पर लम्बित रेख खीांि दी ि ती है, िो
बहुभुि की एक रेख होती है|
इसी प्रक र अन्य मध्य- बबन्दुओां से रेख एां खीांिी ि ती है|
अांत में सीम ओां क
े आर- प र जस्थत परगने को उस क
ें द्र की
सीम क
े अन्दर सजम्ममलत कर मलय ि त है जिसक
े अन्दर
उस परगने क आिे से ज्य द क्षेत्र जस्थत होत है|
7. थीसेि बहुभुज
मध्य बबिंदु से लम्बित िेखध निरूपण थीसेि बहुभुज क्षेत्र
क
ें द्र से उसक
े प्रत्येक समीपिती क
ें द्र को
जोड़िे िधली िेखधएिं
मध्य बबिंदु
8. दूिी न्युितममकिण
इस विधि क
े अन्दर ककसी िस्तु को उसक
े विमभन्न स्रोतों से बहुत से गांतव्य स्थ नों तक पहुाँि ने
क
े मलए य गांतव्य से स्रोतों तक ले ि ने क
े मलए पररिहन की ल गत को न्यूनतम करन होत है|
यीट्स ने 1963 में एक क
ां प्यूटर से यह विधि समझ ई थी कक पररिहन की समस्य ओां को हल करने
क
े मलए अमभकजपपत सिीय शोि की एक विधि प्रयोग करक
े बहुत से म गि सांगम क
े न्द्रों तक की
दूरी को अनुक
ू लतम ककय ि सकत है|
आधथिक दृजटट से इसे दि र पररिहन की ल गत न्यूनतम हो ि ती है|
9. विविक्तकि विश्लेषण
o भौगोमलक वितरणों क
े क्षेत्रों की सीम ननजश्ित करने की इस विधि में
वितरण की घटन ओां की दो विि ओां ᶓ ि Ƞ और उनक
े ि र समूह
प्रनतरूपों में रखते है|
o उन अधिक िदटल बहुपद रेख ओां क िो वितरण पर अध्य रोवपत
ककये ि ने पर क्षेत्रों को ᶓ तथ Ƞ में विभ जित करती है| इनक इस
विधि में पररकलन ककय ि त है|
o स ि रण प्रथम श्रेणी की बहुपद रेख एां सरल होती हैं, छठी श्रेणी की
बहुपद रेख एां िदटल होती है|
o िदटल रेख ᶓ और Ƞ वितरणों क शुदि िगीकरण कर देती है| इन
दोनों क
े बीि म ध्यममक हल होते हैं, जिनकी दवितीयक श्रेणी बहुभुि
रेख एां पय िप्त शुदि होती है|
10. ग्रधफ मसदर्धिंत
इस विधि से पररिहन ि लों और प्र देमशक सांरिन क
े विश्लेषण ककए
ि ते हैं|
ककसी क्षेत्र में जस्थत नगरों क
े एक समुच्िय में उनक
े स हियि की म त्र
ज्ञ त होने पर उनक प्र देमशक पद नुिम ननजश्ित कर मलय ि त है|
ग्र फ मसदि ांत क
े अन्दर नगरों को अन्तस्थ बबांदु म न ि त है|
नगरों क िम उसक
े अन्दर आने ि ले प्रि ह से म प ि त है, िैसे:
ककसी म गि से प्रनतददन गुिरने ि ले ि हनों की सांयय |
नगरों क
े बीि पद नुिम सांबांिों को अधिक ऊ
ाँ िे िम क
े नगर की ओर से
सबसे अधिक ब हर ि ने ि ले प्रि ह दि र ननि िररत ककय ि त है|
विशेषतध:- इस विधि क
े दि र प्र देमशक- बांिन क
े स पेक्ष्य
क
े स मर्थयि ननजश्ित हो ि ते है, तथ यह विधि प्रश सननक
तथ औिोधगक- व्य प ररक दोनों ही प्रक र की आिश्यकत की
पूनति क
े मलए प्र देमशक सीम ांकन क
े मलए उपयोगी है|
11. गुणधत्मक विधर्
• इस विधि में क्षेत्र में विशेष गुणों को देख ि त है,
जिसमें मैद न, िनसाँयय य आधथिक किय ओां को देख
ि त है तथ इन्ही गुणों क
े आि र पर प्रदेशों को ब ांट
य सीम ांककत ककय ि त है|
12. गुणधत्मक विधर् में मधिधित्र अध्यधिोपण
• गुण त्मक विधि क प्रयोग करने क
े मलए पहले प्रदेशों क
े क
ु छ
ऐसे सूिक तत्िों को छ ांट मलय ि त है, जिनक
े आि र पर
प्रदेशों की सीम एां ननजश्ित की ि ती है| उद हरन थि: ट्रक
पररिहन क
े भ ड़े क अनुम न, रेल दटकटों की सांयय ,
सम ि र- पत्रों क पररसांि रण, टेलीफ़ोन- ि त िएां आदद|
• इसक
े उपर ांत उन सूिकों क
े क्षेत्रों क
े म नधित्र बन कर एन
म नधित्रों को एक- दूसरे क
े ऊपर अध्य रोवपत कर ददय ि त
है|
• इस अध्य रोपण में विमभन्न सूिक- क्षेत्रों की सीम एां एक-
दूसरे क
े ऊपर कफट नहीां होती, इसमलए अांतिेशन दि र दो
प्रदेशों की मध्य सीम रेख खीांि दी ि ती है|
13. निष्कषा
• अत: कह ि सकत है की प्रदेशों क
े ननि िरण की विधियों को
उनकी उपयोधगत क
े आि र पर ननि िररत ककय ि न उपयुक्त
है|
14. सन्दभि
• भौगोमलक विि रि र एाँ एिां विधि-तांत्र “एस. डी. कौमशक”
• भौगोमलक धिांतन क इनतह स “म जिद हुसैन”
• भूगोल मुयय परीक्ष “डी.आर. खुपलर”
• Regional Planning and Development “R.C. Chandna”