Maat Pitah Temple
We will welcome our parents and share our sorrow and happiness by sitting with them for some time, then surely our children will also do the same because children learn from our behavior, in such a way we will be able to live a stress free life in a joint family.
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1.
2.
3. परमपपता परमेश्वर ने इस भौपतक जगत में सुखमय मानव जीवन की कल्पना करते ही इसका आधार
बनाया माता-पपता को, शायद इसक
े पबना मानव जन्म संभव न था
और मानव जीवन को शुरू से अंत तक स्वस्थ व समृद्धि रखने क
े पिए बनाया गौमाता को । ऐसे हुई शुरुआत मानव-
जीवन की, पजसका आधार बने माता-पपता और सुपोषण करने वािी गौमाता । अतीत में संपूणण मानव जापत क
े पनरोगी
रहने का कारण “गाय” और खुश रहने का कारण “मां-बाप” का आशीवाणद ही मुख्य थे । क्ोंपक पहिे गोवंश की
संख्या, मानव जनसंख्या से बहुत अपधक थी, पजस कारण ज्यादा मात्रा में गोवंश का गोबर, गोमूत्र धरती को खाद (
फ़पटणिाइज़र ) क
े रूप में पमिता था पजससे हम यूररया व क
े पमकि मुक्त अन्य ग्रहण करक
े पनरोग जीवन जी पाते थे ।
शास्त्र मत है पक जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन क्ोंपक हमारी जीवनशैिी मन से ही चिती है पहिे हम शुि अन्न
खाकर ही संयुक्त पररवार में सद्भावनाओं वािा जीवन जीते थे
WELCOME TO MAAT PITAH TEMPLE
4. उपरोक्त शब्ों की गहराई को हृदय में उतार कर जीवन जीने वािे बहुत से महापुरुष हमारे गौरवमई इपतहास में मौजूद है, जैसे
पपता की आज्ञा मानकर भगवान श्री रामचंद्र का बनवास जाना और श्रवण क
ु मार का अंधे माता पपता को क
ं धे पर बैठाकर तीथण
करवाना आपद । िेपकन आज हम अपनी संस्क
ृ पत को भूिते जा रहे हैं पररणामस्वरूप माता-पपता और गौमाता जो हमारे पिए
सवाणपधक पूजनीय होने चापहए उन्ीं की अपधक दुदणशा हो रही है इसी पवषय की गंभीरता क
े कारण पररणाम स्वरूप व अपने माता-
पपता क
े प्रपत अत्यापधक आदरभाव तथा गौमाता क
े प्रपत अटू ट प्रेम क
े चिते श्री ज्ञान चंद वापिया क
े पदमाग में बार-बार यही पवचार
आता था, पक जब परमात्मा की इतनी सुंदर पररकल्पना का पररणाम है मां-बाप और गौमाता, तो यह असहाय क
ै से हो सकते हैं और
इनक
े बेसहाय होते मानव-जीवन सुखी क
ै से हो सकता है ? बस इसी एक पवचार से इन्ोंने अपना समस्त जीवन माता-पपता और गौ
माता की सेवा में समपपणत करने का मन बना पिया । मां-बाप का सत्कार और गौमाता से प्रयाग की िहर को जन-जन तक पहुंचाने में
इतने मग्न हो गए पक ज्ञान चंद वापिया कब गौचर दास ज्ञान बन गए पता ही नहीं चिा
।। मात-पपता ही भगवान मेरे, इनसे बड़ा न कोए ।।
।। जो आशीष ये पदि से दे दे, अवश्य ही पूणण होये ।।
5.
6. मां-बाप का सत्कार ना करक
े उनको Old Age Home जाने क
े पिए और गौवंश से प्यार ना करक
े उनक
े गव्य पदाथों का इस्तेमाि न करक
े
उनको Slaughter House जाने को मजबूर करने पर हम अपना व अपने देश का कभी ना पूरा होने वािा जो नुकसान कर रहे हैं इस बात
को जन-जन तक पहुंचाना ।
आज की Well Educated युवा पीढी को इस बात क
े पिए जागरूक करना पक गाय क
े वि धापमणक मान्यताओं का पवषय नहीं बद्धि
Scientifically Proved हो चुका है पक भारतीय गाय क
े गोमूत्र में ही बहुत सी बीमाररयों का इिाज है गाय प्राण वायु का भंडार और एक पूणण
औषधािय है पजसक
े पंचगव्य में मानव शरीर को स्वस्थ रखने की पूरी क्षमता है शास्त्रानुसार गाय एक चिता पिरता मंपदर है पजसमें सभी
देवी देवता पवराजमान है
आज क
े आधुपनक युग में इतने संसाधन व High-Tech होने क
े बावजूद भी घर-घर में तनाव ( Depression ) का माहौि है पजसका सबसे
बड़ा कारण आपसी मतभेद है यपद हम अपने मां-बाप का सत्कार करेंगे क
ु छ समय उनक
े साथ बैठकर अपना दुख सुख सांझा करेंगे तो
पनपित ही हमारे बच्चे भी वैसा ही करेंगे क्ोंपक बच्चे हमारे व्यवहार से ही सीखते हैं ऐसे हम संयुक्त पररवार में तनाव मुक्त जीवन जी पाएं गे ।
माता-पपता व गौवंश पजन्ें आपदकाि से ऋपष-मुपनयों तथा शास्त्रों ने सवाणपधक पूजनीय माना, जो हमारे पिए भी हमेशा पूजनीय होने चापहए,
इनक
े महत्व को जन-जन तक पहुंचाना और इन को उपचत आदर सम्मान पुनः पदिवाना ।
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