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ह िंदी
गृ कार्य - रि ि काका: पाठ का साि
Dhruv Talera
Class: 10 C
Roll No. 10
लेखक क ता ै हक व रि ि काका क
े साथ बहुत ग िे से जुडा था। लेखक का रि ि
काका क
े प्रहत जो प्याि था व लेखक का उनक
े व्याव ाि क
े औि उनक
े हवचािोिं क
े कािण था औि उसक
े
दो कािण थे। प ला कािण था हक रि ि काका लेखक क
े पडोसी थे औि दू सिा कािण लेखक को उनकी
मााँ ने बतार्ा था हक रि ि काका लेखक को बचपन से ी बहुत ज्यादा प्याि किते थे। जब लेखक व्यस्क
हुआ तो उसकी प ली दोस्ती भी रि ि काका क
े साथ ी हुई थी। लेखक क
े गााँव की पूवय हदशा में ठाक
ु ि
जी का हवशाल मिंहदि था, हजसे गााँव क
े लोग ठाक
ु िबािी र्ाहन देवस्थान क ते थे। लोग ठाक
ु ि जी से पुत्र की
मन्नत मािंगते, मुक़दमे में जीत, लडकी की शादी हकसी अच्छे घि में ो जाए, लडक
े को नौकिी हमल जाए
आहद मन्नत मााँगते थे। मन्नत पूिी ोने पि लोग अपनी खुशी से ठाक
ु िजी को रूपए, जेवि, औि अनाज
चढार्ा किते थे। हजसको बहुत अहिक खुशी ोती थी व अपने खेत का छोटा-सा भाग ठाक
ु िजी क
े नाम
कि देता था औि र् एक ति से प्रथा ी बन गई। लेखक क ता ै हक उसका गााँव अब गााँव क
े नाम से
न ीिं बल्कि देव-स्थान की वज से ी प चाना जाता था। उसक
े गााँव का र् देव-स्थान उस इलाक
े का
सबसे बडा औि प्रहसद्ध देवस्थान था। रि ि काका ने अपनी परिल्कस्थहतओिं क
े कािण देव-स्थान में जाना
बिंद कि हदर्ा था। मन ब लाने क
े हलए लेखक भी कभी-कभी देव-स्थान चला जाता था। लेहकन लेखक
क ता ै हक व ााँ क
े सािु-सिंत उसे हबलक
ु ल भी पसिंद न ीिं थे। क्ोिंहक वे काम किने में कोई हदलचस्पी
न ीिं िखते थे। भगवान को भोग लगाने क
े नाम पि वे हदन क
े दोनोिं समर् लवा-पूडी बनवाते थे औि आिाम
से पडे ि ते थे। सािा काम व ााँ आए लोगोिं से सेवा किने क
े नाम पि किवाते थे। वे खुद अगि कोई काम
किते थे तो वो था बातें बनवाने का काम।
लेखक रि ि काका क
े बािे में बताता हुआ क ता ै हक रि ि काका औि उनक
े
तीन भाई ैं। सबकी शादी ो चुकी ै। रि ि काका क
े अहतरिक्त सभी तीन भाइर्ोिं क
े बाल-
बच्चे ैं। क
ु छ समर् तक तो रि ि काका की सभी चीजोिं का अच्छे से ध्यान िखा गर्ा, पिन्तु
हिि क
ु छ हदनोिं बाद रि ि काका को कोई पूछने वाला न ीिं था। लेखक क ता ै हक अगि
कभी रि ि काका क
े शिीि की ल्कस्थहत ठीक न ीिं ोती तो रि ि काका पि मुसीबतोिं का प ाड
ी हगि जाता। क्ोिंहक इतने बडे परिवाि क
े ि ते हुए भी रि ि काका को कोई पानी भी न ीिं
पूछता था। बािामदे क
े कमिे में पडे हुए रि ि काका को अगि हकसी चीज की जरुित ोती तो
उन्हें खुद ी उठना पडता। एक हदन उनका भतीजा श ि से अपने एक दोस्त को घि ले आर्ा
। उन्हीिं क
े आने की खुशी में दो-तीन ति की सल्क़िर्ााँ, बजक
े , चटनी, िार्ता औि भी बहुत क
ु छ
बना था। सब लोगोिं ने खाना खा हलर्ा औि रि ि काका को कोई पूछने तक न ीिं आर्ा। रि ि
काका गुस्से में बिामदे की ओि चल पडे औि जोि-जोि से बोल ि े थे हक उनक
े भाई की पहिर्ााँ
क्ा र् सोचती ैं हक वे उन्हें मुफ्त में खाना ल्कखला ि ी ैं। उनक
े खेत में उगने वाला अनाज भी
इसी घि में आता ै।
रि ि काका क
े गुस्से का म िंत जी ने लाभ उठाने की सोची। म िंत जी रि ि काका को अपने
साथ देव-स्थान ले आए औि रि ि काका को समझाने लगे की उनक
े भाई का परिवाि क
े वल उनकी
जमीन क
े कािण उनसे जुडा हुआ ै, हकसी हदन अगि रि ि काका र् क दें हक वे अपने खेत हकसी
औि क
े नाम हलख ि े ैं, तो वे लोग तो उनसे बात किना भी बिंद कि देंगें। खून क
े रिश्ते खत्म ो जार्ेंगे।
म िंत रि ि काका से क ता ै हक उनक
े ह स्से में हजतने खेत ैं वे उनको भगवान क
े नाम हलख दें। ऐसा
किने से उन्हें सीिे स्वगय की प्राल्कि ोगी।
सुब ोते ी रि ि काका क
े तीनोिं भाई देव-स्थान पहुाँच गए। तीनोिं रि ि काका क
े पााँव में हगि
कि िोने लगे औि अपनी पहिर्ोिं की गलती की माफी मााँगने लगे औि क ने लगे की वे अपनी पहिर्ोिं को
उनक
े साथ हकए गए इस ति क
े व्यव ाि की सजा देंगे। रि ि काका क
े मन में दर्ा का भाव जाग गर्ा
औि वे हिि से घि वाहपस लौट कि आ गए। जब अपने भाइर्ोिं क
े समझाने क
े बाद रि ि काका घि
वाहपस आए तो घि में औि घि वालोिं क
े व्यव ाि में आए बदलाव को देख कि बहुत खुश ो गए। घि क
े
सभी छोटे-बडे सभी लोग रि ि काका का आदि-सत्काि किने लगे।
गााँव क
े लोग जब भी क ीिं बैठते तो बातोिं का ऐसा हसलहसला चलता हजसका कोई अिंत न ीिं था।
ि जग बस उन्हीिं की बातें ोती थी। क
ु छ लोग क ते हक रि ि काका को अपनी जमीन भगवान क
े नाम
हलख देनी चाह ए। इससे उत्तम औि अच्छा क
ु छ न ीिं ो सकता। इससे रि ि काका को कभी न खत्म
ोने वाली प्रहसल्कद्ध प्राि ोगी। इसक
े हवपिीत क
ु छ लोगोिं की र् मानते थे हक भाई का परिवाि भी तो
अपना ी परिवाि ोता ै। अपनी जार्दाद उन्हें न देना उनक
े साथ अन्यार् किना ोगा। रि ि काका क
े
भाई उनसे प्राथयना किने लगे हक वे अपने ह स्से की जमीन को उनक
े नाम हलखवा दें। इस हवषर् पि रि ि
काका ने बहुत सोचा औि अिंत में इस परिणाम पि पहुिंचे हक अपने जीते-जी अपनी जार्दाद का स्वामी
हकसी औि को बनाना ठीक न ीिं ोगा। हिि चा े व अपना भाई ो र्ा मिंहदि का म िंत। क्ोिंहक उन्हें
अपने गााँव औि इलाक
े क
े वे क
ु छ लोग र्ाद आए, हजन्होिंने अपनी हजिंदगी में ी अपनी जार्दाद को अपने
रिश्तेदािोिं र्ा हकसी औि क
े नाम हलखवा हदर्ा था। उनका जीवन बाद में हकसी क
ु त्ते की ति ो गर्ा था,
उन्हें कोई पूछने वाला भी न ीिं था। रि ि काका हबलक
ु ल भी पढे-हलखे न ीिं थे, पिन्तु उन्हें अपने जीवन में
एकदम हुए बदलाव को समझने में कोई गलती न ीिं हुई औि उन्होिंने ि
ै सला कि हलर्ा हक वे जीते-जी
हकसी को भी अपनी जमीन न ीिं हलखेंगे।
लेखक क ता ै हक जैसे-जैसे समर् बीत ि ा था म िंत जी की पिेशाहनर्ााँ बढती जा ि ी थी। उन्हें लग
ि ा था हक उन्होिंने रि ि काका को िसााँने क
े हलए जो जाल ि
ें का था, रि ि काका उससे बा ि हनकल
गए ैं, र् बात म िंत जी को स न न ीिं ो ि ी थी। आिी िात क
े आस-पास देव-स्थान क
े सािु-सिंत औि
उनक
े क
ु छ साथी भाला, गिंडासा औि बिंदू कोिं क
े साथ अचानक ी रि ि काका क
े आाँगन में आ गए।
इससे प ले रि ि काका क
े भाई क
ु छ सोचें औि हकसी को अपनी स ार्ता क
े हलए आवाज लगा कि
बुलाएाँ , तब तक बहुत देि ो गई थी। मला किने वाले रि ि काका को अपनी पीठ पि डाल कि क ी
गार्ब ो गए थे।वे रि ि काका को देव-स्थान ले गए थे। एक ओि तो देव-स्थान क
े अिंदि जबिदस्ती
रि ि काका क
े अाँगूठे का हनशान लेने औि पकडकि समझाने का काम चल ि ा था, तो व ीिं दू सिी ओि
रि ि काका क
े तीनोिं भाई सुब ोने से प ले ी पुहलस की जीप को लेकि देव-स्थान पि पहुाँच गए थे।
म िंत औि उनक
े साहथर्ोिं ने रि ि काका को कमिे में ाथ औि पााँव बााँि कि िखा था औि साथ ी साथ
उनक
े मुाँ में कपडा ठ
ूाँ सा गर्ा था ताहक वे आवाज न कि सक
ें । पिन्तु रि ि काका दिवाजे तक लुढकते
हुए आ गए थे औि दिवाजे पि अपने पैिोिं से िक्का लगा ि े थे ताहक बा ि खडे उनक
े भाई औि पुहलस
उन्हें बचा सक
ें ।
दिवाजा खोल कि रि ि काका को बिंिन से मुक्त हकर्ा गर्ा। रि ि काका ने पुहलस को बतार्ा
हक वे लोग उन्हें उस कमिे में इस ति बााँि कि क ी गुि दिवाजे से भाग गए ैं औि उन्होिंने क
ु छ खली
औि क
ु छ हलखे हुए कागजोिं पि रि ि काका क
े अाँगूठे क
े हनशान जबिदस्ती हलए ैं।
र् सब बीत जाने क
े बाद रि ि काका हिि से अपने भाइर्ोिं क
े परिवाि क
े साथ ि ने लग
गए थे। चौबीसोिं घिंटे प िे हदए जाने लगे थे। र् ााँ तक हक अगि रि ि काका को हकसी काम क
े कािण
गााँव में जाना पडता तो हथर्ािोिं क
े साथ चाि-पााँच लोग मेशा ी उनक
े साथ ि ने लगे। लेखक क ता ै
हक रि ि काका क
े साथ जो क
ु छ भी हुआ था उससे रि ि काका एक सीिे-सादे औि भोले हकसान की
तुलना में चालाक औि बुल्कद्धमान ो गए थे। उन्हें अब सब क
ु छ समझ में आने लगा था हक उनक
े भाइर्ोिं का
अचानक से उनक
े प्रहत जो व्यव ाि परिवतयन ो गर्ा था, उनक
े हलए जो आदि-सम्मान औि सुिक्षा वे प्रदान
कि ि े थे, व उनका कोई सगे भाइर्ोिं का प्याि न ीिं था बल्कि वे सब क
ु छ उनकी िन-दौलत क
े कािण
कि ि े ैं, न ीिं तो वे रि ि काका को पूछते तक न ीिं। जब से रि ि काका देव-स्थान से वाहपस घि आए
थे, उसी हदन से ी रि ि काका क
े भाई औि उनक
े दू सिे नाते-रिश्तेदाि सभी र् ी सोच ि े थे हक रि ि
काका को क़ानूनी तिीक
े से उनकी जार्दाद को उनक
े भतीजोिं क
े नाम कि देना चाह ए। क्ोिंहक जब तक
रि ि काका ऐसा न ीिं किेंगे तब तक म िंत की तेज नजि उन पि हटकी ि ेगी। जब रि ि काका क
े भाई
रि ि काका को समझाते-समझाते थक गए, तो उन्होिंने रि ि काका को डााँटना औि उन पि दवाब
डालना शुरू कि हदर्ा। एक िात रि ि काका क
े भाइर्ोिं ने भी उसी ति का व्यव ाि किना शुरू कि
हदर्ा जैसा म िंत औि उनक
े स र्ोहगर्ोिं ने हकर्ा था।
उन्हें िमकाते हुए क ि े थे हक खुशी-खुशी कागज पि ज ााँ-ज ााँ जरुित ै, व ााँ-व ााँ
अाँगूठे क
े हनशान लगते जाओ, न ीिं तो वे उन्हें माि कि व ीाँ घि क
े अिंदि ी गाड देंगे औि गााँव क
े
लोगो को इस बािे में कोई सूचना भी न ीिं हमलेगी। रि ि काका क
े साथ अब उनक
े भाइर्ोिं की
मािपीट शुरू ो गई। जब रि ि काका अपने भाइर्ोिं का मुकाबला न ीिं कि पा ि े थे, तो उन्होिंने
जोि-जोि से हचल्लाकि अपनी मदद क
े हलए गााँव वालोिं को आवाज लगाना शुरू कि हदर्ा। तब उनक
े
भाइर्ोिं को ध्यान आर्ा हक उन्हें रि ि काका का मुाँ प ले ी बिंद किना चाह ए था। उन्होिंने उसी
पल रि ि काका को जमीन पि पटका औि उनक
े मुाँ में कपडा ठ
ूाँ स हदर्ा। लेहकन तब तक बहुत
देि ो गई थी, रि ि काका की आवाजें बा ि गााँव में पहुाँच गई थी। रि ि काका क
े परिवाि औि
रिश्ते-नाते क
े लोग जब तक गााँव वालोिं कोसमझाते की र् सब उनक
े परिवाि का आपसी मामला ै,
वे सभी इससे दू ि ि ें, तब तक म िंत जी बडी ी दक्षता औि तेजी से व ााँ पुहलस की जीप क
े साथ आ
गए। पुहलस ने पुिे घि की अच्छे से तलाशी लेना शुरू कि हदर्ा। हिि घि क
े अिंदि से रि ि काका
को इतनी बुिी ालत में ाहसल हकर्ा गर्ा हजतनी बुिी ालत उनकी देव-स्थान में भी न ीिं हुई थी।
रि ि काका ने बतार्ा हक उनक
े भाइर्ोिं ने उनक
े साथ बहुत ी ज्यादा बुिा व्यव ाि हकर्ा ै,
जबिदस्ती बहुत से कागजोिं पि उनक
े अाँगूठे क
े हनशान ले हलए ै, उन्हें बहुत ज्यादा मािा-पीटा ै।
इस घटना क
े बाद रि ि काका अपने परिवाि से एकदम अलग ि ने लगे थे। उन्हें उनकी सुिक्षा क
े
हलए चाि िाइिलिािी पुहलस क
े जवान हमले थे। आश्चर्य की बात तो र् ै हक इसक
े हलए उनक
े भाइर्ोिं
औि म िंत की ओि से काफी प्रर्ास हकए गए थे|
असल में भाइर्ोिं को हचिंता थी हक रि ि काका अक
े ले ि ने लगेंगे, तो देव-स्थान क
े म िंत-पुजािी हिि
से रि ि काका को ब ला-ि
ु सला कि ले जार्ाँगे औि जमीन देव-स्थान क
े नाम किवा लेंगे। औि र् ी
हचिंता म िंत जी को भी थी हक रि ि काका को अक
े ला औि असुिहक्षत पा उनक
े भाई हिि से उन्हें पकड
कि मािेंगे औि जमीन को अपने नाम किवा लेंगे। लेखक क ता ै हक रि ि काका से जुडी बहुत सी
खबिें गााँव में ि
ै ल ि ी थी। जैसे-जैसे हदन बड ि े थे, वैसे-वैसे डि का मौ ोल बन ि ा था। सभी लोग हसि
य
र् ी सोच ि े थे हक रि ि काका ने अमृत तो हपर्ा हुआ ै न ीिं, तो मिना तो उनको एक हदन ै ी। औि
जब वे मिेंगे तो पुिे गााँव में तूफान आ जाएगा क्ोिंहक म िंत औि रि ि काका क
े परिवाि क
े बीच जमीन
को ले कि लडाई ो जार्गी।
पुहलस क
े जवान रि ि काका क
े खचे पि ी खूब मौज-मस्ती से ि ि े थे। हजसका िन व ि े
उपास, खाने वाले किें हवलास अथायत रि ि काका क
े पास िन था लेहकन उनक
े हलए अब उसका कोई
म त्त्व न ीिं था औि पुहलस वाले हबना हकसी कािण से ी रि ि काका क
े िन से मौज कि ि े थे। अब
तक जो न ीिं खार्ा था, दोनोिं वक्त उसका भोग लगा ि े थे।
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Harihar kaka

  • 1. ह िंदी गृ कार्य - रि ि काका: पाठ का साि Dhruv Talera Class: 10 C Roll No. 10
  • 2. लेखक क ता ै हक व रि ि काका क े साथ बहुत ग िे से जुडा था। लेखक का रि ि काका क े प्रहत जो प्याि था व लेखक का उनक े व्याव ाि क े औि उनक े हवचािोिं क े कािण था औि उसक े दो कािण थे। प ला कािण था हक रि ि काका लेखक क े पडोसी थे औि दू सिा कािण लेखक को उनकी मााँ ने बतार्ा था हक रि ि काका लेखक को बचपन से ी बहुत ज्यादा प्याि किते थे। जब लेखक व्यस्क हुआ तो उसकी प ली दोस्ती भी रि ि काका क े साथ ी हुई थी। लेखक क े गााँव की पूवय हदशा में ठाक ु ि जी का हवशाल मिंहदि था, हजसे गााँव क े लोग ठाक ु िबािी र्ाहन देवस्थान क ते थे। लोग ठाक ु ि जी से पुत्र की मन्नत मािंगते, मुक़दमे में जीत, लडकी की शादी हकसी अच्छे घि में ो जाए, लडक े को नौकिी हमल जाए आहद मन्नत मााँगते थे। मन्नत पूिी ोने पि लोग अपनी खुशी से ठाक ु िजी को रूपए, जेवि, औि अनाज चढार्ा किते थे। हजसको बहुत अहिक खुशी ोती थी व अपने खेत का छोटा-सा भाग ठाक ु िजी क े नाम कि देता था औि र् एक ति से प्रथा ी बन गई। लेखक क ता ै हक उसका गााँव अब गााँव क े नाम से न ीिं बल्कि देव-स्थान की वज से ी प चाना जाता था। उसक े गााँव का र् देव-स्थान उस इलाक े का सबसे बडा औि प्रहसद्ध देवस्थान था। रि ि काका ने अपनी परिल्कस्थहतओिं क े कािण देव-स्थान में जाना बिंद कि हदर्ा था। मन ब लाने क े हलए लेखक भी कभी-कभी देव-स्थान चला जाता था। लेहकन लेखक क ता ै हक व ााँ क े सािु-सिंत उसे हबलक ु ल भी पसिंद न ीिं थे। क्ोिंहक वे काम किने में कोई हदलचस्पी न ीिं िखते थे। भगवान को भोग लगाने क े नाम पि वे हदन क े दोनोिं समर् लवा-पूडी बनवाते थे औि आिाम से पडे ि ते थे। सािा काम व ााँ आए लोगोिं से सेवा किने क े नाम पि किवाते थे। वे खुद अगि कोई काम किते थे तो वो था बातें बनवाने का काम।
  • 3. लेखक रि ि काका क े बािे में बताता हुआ क ता ै हक रि ि काका औि उनक े तीन भाई ैं। सबकी शादी ो चुकी ै। रि ि काका क े अहतरिक्त सभी तीन भाइर्ोिं क े बाल- बच्चे ैं। क ु छ समर् तक तो रि ि काका की सभी चीजोिं का अच्छे से ध्यान िखा गर्ा, पिन्तु हिि क ु छ हदनोिं बाद रि ि काका को कोई पूछने वाला न ीिं था। लेखक क ता ै हक अगि कभी रि ि काका क े शिीि की ल्कस्थहत ठीक न ीिं ोती तो रि ि काका पि मुसीबतोिं का प ाड ी हगि जाता। क्ोिंहक इतने बडे परिवाि क े ि ते हुए भी रि ि काका को कोई पानी भी न ीिं पूछता था। बािामदे क े कमिे में पडे हुए रि ि काका को अगि हकसी चीज की जरुित ोती तो उन्हें खुद ी उठना पडता। एक हदन उनका भतीजा श ि से अपने एक दोस्त को घि ले आर्ा । उन्हीिं क े आने की खुशी में दो-तीन ति की सल्क़िर्ााँ, बजक े , चटनी, िार्ता औि भी बहुत क ु छ बना था। सब लोगोिं ने खाना खा हलर्ा औि रि ि काका को कोई पूछने तक न ीिं आर्ा। रि ि काका गुस्से में बिामदे की ओि चल पडे औि जोि-जोि से बोल ि े थे हक उनक े भाई की पहिर्ााँ क्ा र् सोचती ैं हक वे उन्हें मुफ्त में खाना ल्कखला ि ी ैं। उनक े खेत में उगने वाला अनाज भी इसी घि में आता ै।
  • 4. रि ि काका क े गुस्से का म िंत जी ने लाभ उठाने की सोची। म िंत जी रि ि काका को अपने साथ देव-स्थान ले आए औि रि ि काका को समझाने लगे की उनक े भाई का परिवाि क े वल उनकी जमीन क े कािण उनसे जुडा हुआ ै, हकसी हदन अगि रि ि काका र् क दें हक वे अपने खेत हकसी औि क े नाम हलख ि े ैं, तो वे लोग तो उनसे बात किना भी बिंद कि देंगें। खून क े रिश्ते खत्म ो जार्ेंगे। म िंत रि ि काका से क ता ै हक उनक े ह स्से में हजतने खेत ैं वे उनको भगवान क े नाम हलख दें। ऐसा किने से उन्हें सीिे स्वगय की प्राल्कि ोगी। सुब ोते ी रि ि काका क े तीनोिं भाई देव-स्थान पहुाँच गए। तीनोिं रि ि काका क े पााँव में हगि कि िोने लगे औि अपनी पहिर्ोिं की गलती की माफी मााँगने लगे औि क ने लगे की वे अपनी पहिर्ोिं को उनक े साथ हकए गए इस ति क े व्यव ाि की सजा देंगे। रि ि काका क े मन में दर्ा का भाव जाग गर्ा औि वे हिि से घि वाहपस लौट कि आ गए। जब अपने भाइर्ोिं क े समझाने क े बाद रि ि काका घि वाहपस आए तो घि में औि घि वालोिं क े व्यव ाि में आए बदलाव को देख कि बहुत खुश ो गए। घि क े सभी छोटे-बडे सभी लोग रि ि काका का आदि-सत्काि किने लगे।
  • 5. गााँव क े लोग जब भी क ीिं बैठते तो बातोिं का ऐसा हसलहसला चलता हजसका कोई अिंत न ीिं था। ि जग बस उन्हीिं की बातें ोती थी। क ु छ लोग क ते हक रि ि काका को अपनी जमीन भगवान क े नाम हलख देनी चाह ए। इससे उत्तम औि अच्छा क ु छ न ीिं ो सकता। इससे रि ि काका को कभी न खत्म ोने वाली प्रहसल्कद्ध प्राि ोगी। इसक े हवपिीत क ु छ लोगोिं की र् मानते थे हक भाई का परिवाि भी तो अपना ी परिवाि ोता ै। अपनी जार्दाद उन्हें न देना उनक े साथ अन्यार् किना ोगा। रि ि काका क े भाई उनसे प्राथयना किने लगे हक वे अपने ह स्से की जमीन को उनक े नाम हलखवा दें। इस हवषर् पि रि ि काका ने बहुत सोचा औि अिंत में इस परिणाम पि पहुिंचे हक अपने जीते-जी अपनी जार्दाद का स्वामी हकसी औि को बनाना ठीक न ीिं ोगा। हिि चा े व अपना भाई ो र्ा मिंहदि का म िंत। क्ोिंहक उन्हें अपने गााँव औि इलाक े क े वे क ु छ लोग र्ाद आए, हजन्होिंने अपनी हजिंदगी में ी अपनी जार्दाद को अपने रिश्तेदािोिं र्ा हकसी औि क े नाम हलखवा हदर्ा था। उनका जीवन बाद में हकसी क ु त्ते की ति ो गर्ा था, उन्हें कोई पूछने वाला भी न ीिं था। रि ि काका हबलक ु ल भी पढे-हलखे न ीिं थे, पिन्तु उन्हें अपने जीवन में एकदम हुए बदलाव को समझने में कोई गलती न ीिं हुई औि उन्होिंने ि ै सला कि हलर्ा हक वे जीते-जी हकसी को भी अपनी जमीन न ीिं हलखेंगे।
  • 6. लेखक क ता ै हक जैसे-जैसे समर् बीत ि ा था म िंत जी की पिेशाहनर्ााँ बढती जा ि ी थी। उन्हें लग ि ा था हक उन्होिंने रि ि काका को िसााँने क े हलए जो जाल ि ें का था, रि ि काका उससे बा ि हनकल गए ैं, र् बात म िंत जी को स न न ीिं ो ि ी थी। आिी िात क े आस-पास देव-स्थान क े सािु-सिंत औि उनक े क ु छ साथी भाला, गिंडासा औि बिंदू कोिं क े साथ अचानक ी रि ि काका क े आाँगन में आ गए। इससे प ले रि ि काका क े भाई क ु छ सोचें औि हकसी को अपनी स ार्ता क े हलए आवाज लगा कि बुलाएाँ , तब तक बहुत देि ो गई थी। मला किने वाले रि ि काका को अपनी पीठ पि डाल कि क ी गार्ब ो गए थे।वे रि ि काका को देव-स्थान ले गए थे। एक ओि तो देव-स्थान क े अिंदि जबिदस्ती रि ि काका क े अाँगूठे का हनशान लेने औि पकडकि समझाने का काम चल ि ा था, तो व ीिं दू सिी ओि रि ि काका क े तीनोिं भाई सुब ोने से प ले ी पुहलस की जीप को लेकि देव-स्थान पि पहुाँच गए थे। म िंत औि उनक े साहथर्ोिं ने रि ि काका को कमिे में ाथ औि पााँव बााँि कि िखा था औि साथ ी साथ उनक े मुाँ में कपडा ठ ूाँ सा गर्ा था ताहक वे आवाज न कि सक ें । पिन्तु रि ि काका दिवाजे तक लुढकते हुए आ गए थे औि दिवाजे पि अपने पैिोिं से िक्का लगा ि े थे ताहक बा ि खडे उनक े भाई औि पुहलस उन्हें बचा सक ें । दिवाजा खोल कि रि ि काका को बिंिन से मुक्त हकर्ा गर्ा। रि ि काका ने पुहलस को बतार्ा हक वे लोग उन्हें उस कमिे में इस ति बााँि कि क ी गुि दिवाजे से भाग गए ैं औि उन्होिंने क ु छ खली औि क ु छ हलखे हुए कागजोिं पि रि ि काका क े अाँगूठे क े हनशान जबिदस्ती हलए ैं।
  • 7. र् सब बीत जाने क े बाद रि ि काका हिि से अपने भाइर्ोिं क े परिवाि क े साथ ि ने लग गए थे। चौबीसोिं घिंटे प िे हदए जाने लगे थे। र् ााँ तक हक अगि रि ि काका को हकसी काम क े कािण गााँव में जाना पडता तो हथर्ािोिं क े साथ चाि-पााँच लोग मेशा ी उनक े साथ ि ने लगे। लेखक क ता ै हक रि ि काका क े साथ जो क ु छ भी हुआ था उससे रि ि काका एक सीिे-सादे औि भोले हकसान की तुलना में चालाक औि बुल्कद्धमान ो गए थे। उन्हें अब सब क ु छ समझ में आने लगा था हक उनक े भाइर्ोिं का अचानक से उनक े प्रहत जो व्यव ाि परिवतयन ो गर्ा था, उनक े हलए जो आदि-सम्मान औि सुिक्षा वे प्रदान कि ि े थे, व उनका कोई सगे भाइर्ोिं का प्याि न ीिं था बल्कि वे सब क ु छ उनकी िन-दौलत क े कािण कि ि े ैं, न ीिं तो वे रि ि काका को पूछते तक न ीिं। जब से रि ि काका देव-स्थान से वाहपस घि आए थे, उसी हदन से ी रि ि काका क े भाई औि उनक े दू सिे नाते-रिश्तेदाि सभी र् ी सोच ि े थे हक रि ि काका को क़ानूनी तिीक े से उनकी जार्दाद को उनक े भतीजोिं क े नाम कि देना चाह ए। क्ोिंहक जब तक रि ि काका ऐसा न ीिं किेंगे तब तक म िंत की तेज नजि उन पि हटकी ि ेगी। जब रि ि काका क े भाई रि ि काका को समझाते-समझाते थक गए, तो उन्होिंने रि ि काका को डााँटना औि उन पि दवाब डालना शुरू कि हदर्ा। एक िात रि ि काका क े भाइर्ोिं ने भी उसी ति का व्यव ाि किना शुरू कि हदर्ा जैसा म िंत औि उनक े स र्ोहगर्ोिं ने हकर्ा था।
  • 8. उन्हें िमकाते हुए क ि े थे हक खुशी-खुशी कागज पि ज ााँ-ज ााँ जरुित ै, व ााँ-व ााँ अाँगूठे क े हनशान लगते जाओ, न ीिं तो वे उन्हें माि कि व ीाँ घि क े अिंदि ी गाड देंगे औि गााँव क े लोगो को इस बािे में कोई सूचना भी न ीिं हमलेगी। रि ि काका क े साथ अब उनक े भाइर्ोिं की मािपीट शुरू ो गई। जब रि ि काका अपने भाइर्ोिं का मुकाबला न ीिं कि पा ि े थे, तो उन्होिंने जोि-जोि से हचल्लाकि अपनी मदद क े हलए गााँव वालोिं को आवाज लगाना शुरू कि हदर्ा। तब उनक े भाइर्ोिं को ध्यान आर्ा हक उन्हें रि ि काका का मुाँ प ले ी बिंद किना चाह ए था। उन्होिंने उसी पल रि ि काका को जमीन पि पटका औि उनक े मुाँ में कपडा ठ ूाँ स हदर्ा। लेहकन तब तक बहुत देि ो गई थी, रि ि काका की आवाजें बा ि गााँव में पहुाँच गई थी। रि ि काका क े परिवाि औि रिश्ते-नाते क े लोग जब तक गााँव वालोिं कोसमझाते की र् सब उनक े परिवाि का आपसी मामला ै, वे सभी इससे दू ि ि ें, तब तक म िंत जी बडी ी दक्षता औि तेजी से व ााँ पुहलस की जीप क े साथ आ गए। पुहलस ने पुिे घि की अच्छे से तलाशी लेना शुरू कि हदर्ा। हिि घि क े अिंदि से रि ि काका को इतनी बुिी ालत में ाहसल हकर्ा गर्ा हजतनी बुिी ालत उनकी देव-स्थान में भी न ीिं हुई थी। रि ि काका ने बतार्ा हक उनक े भाइर्ोिं ने उनक े साथ बहुत ी ज्यादा बुिा व्यव ाि हकर्ा ै, जबिदस्ती बहुत से कागजोिं पि उनक े अाँगूठे क े हनशान ले हलए ै, उन्हें बहुत ज्यादा मािा-पीटा ै।
  • 9. इस घटना क े बाद रि ि काका अपने परिवाि से एकदम अलग ि ने लगे थे। उन्हें उनकी सुिक्षा क े हलए चाि िाइिलिािी पुहलस क े जवान हमले थे। आश्चर्य की बात तो र् ै हक इसक े हलए उनक े भाइर्ोिं औि म िंत की ओि से काफी प्रर्ास हकए गए थे| असल में भाइर्ोिं को हचिंता थी हक रि ि काका अक े ले ि ने लगेंगे, तो देव-स्थान क े म िंत-पुजािी हिि से रि ि काका को ब ला-ि ु सला कि ले जार्ाँगे औि जमीन देव-स्थान क े नाम किवा लेंगे। औि र् ी हचिंता म िंत जी को भी थी हक रि ि काका को अक े ला औि असुिहक्षत पा उनक े भाई हिि से उन्हें पकड कि मािेंगे औि जमीन को अपने नाम किवा लेंगे। लेखक क ता ै हक रि ि काका से जुडी बहुत सी खबिें गााँव में ि ै ल ि ी थी। जैसे-जैसे हदन बड ि े थे, वैसे-वैसे डि का मौ ोल बन ि ा था। सभी लोग हसि य र् ी सोच ि े थे हक रि ि काका ने अमृत तो हपर्ा हुआ ै न ीिं, तो मिना तो उनको एक हदन ै ी। औि जब वे मिेंगे तो पुिे गााँव में तूफान आ जाएगा क्ोिंहक म िंत औि रि ि काका क े परिवाि क े बीच जमीन को ले कि लडाई ो जार्गी। पुहलस क े जवान रि ि काका क े खचे पि ी खूब मौज-मस्ती से ि ि े थे। हजसका िन व ि े उपास, खाने वाले किें हवलास अथायत रि ि काका क े पास िन था लेहकन उनक े हलए अब उसका कोई म त्त्व न ीिं था औि पुहलस वाले हबना हकसी कािण से ी रि ि काका क े िन से मौज कि ि े थे। अब तक जो न ीिं खार्ा था, दोनोिं वक्त उसका भोग लगा ि े थे।