13. आवमा को श्रोत्राहद इत्न्ियों और् शब्दाहद विषयों से सम्बन्ध िोते
िुए िी किी क्रकसी विषय का ज्ञान िोता िै ि किी निीं िोता। यि
ज्ञान का िोना या न िोना क्रकसी कारणान्तर को सूश्रचत करते िैं।
यिी कारणान्तर मन िै। यि मन जब इत्न्ियों के साथ संयुक्त
िोता िै तो इत्न्ियां अपने अथों को ग्रिण करने में समथा िोती िैं।
(चरकसंहिता)
“सुखदु:खाद्युपलत्ब्धसाधनं मन:” (सुश्रुतसंहिता)
25. डॉ. जय प्रकाश गुप्त, अम्बाला..िारत
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