5. हिन्दू
िीनां दूषयतत इतत हिन्दू (शब्द कल्पद्रुम)
प्रामाण्य बुद्धधविदेषु तनयमानामनेकता
उपस्यनाम तनयमो हिन्दूधमिस्य लिणां (लोकमान्य ततलक)
आससन्धो: ससन्धुपयिन्ता यस्य भारतभूसमका
र्पतृभू: पुण्यभूयश्च स वै हिन्दुररतत स्मृत: (सावरकर)
6.
7. न राज्यां न राजासीत न दण्डो न च दण्ण्डका: !
धमेणेव प्रजा: सवाि: रिण्न्तस्म परस्परम !!
(मिाभारत)
बुभुक्षित: ककां न करोतत पापम,
िीणा: नरा: तनष्करुणा: भवण्न्त !
15. धमश- भारि का प्राण
र्रीरमाद्यम खलु धमशसाधनम
धमश मजिब- सम्प्प्रदाय- Religion निीं
चािुवशर्णयश व्यवस्था – एकात्मिा का प्रिीक
चिुववशध पुरुर्ाथश – धमश, अथश, काम, मोक्ष
16. यद्देर्स्य यो जंिु: िद्देर्स्य
िस्यौर्धम
ववदेर्ज ववचार की र्ाववििा पर प्रवन-चचह्न
निीं
ककन्िु उसके अन्धानुकरण की अपेक्षा उसे
देर्ानुकु ल बनाना अपेक्षक्षि
17. HEGEL- THESIS/ANTI-THESIS/SYNTHESIS
KARL MARX-ECONOMIC INTERPRETATATION
CHARLES DARWIN- SURVIVAL OF THE FITTEST
धमश आधाररि एकात्मिा
परस्पर पूरकिा, परस्परानुकू लिा, समरसिा
असन्िोर्- अर्ाश्न्ि- संघर्श- वववव युद्ध
सन्तोष, समृद्धध, शाण्न्त, प्रगतत
18. MAN IS A SOCIAL ANIMAL
व्यश्ति
मन- बुद्चध- आत्मा- र्रीर का समुच्चय
चारों में एकात्मिा से िी व्यश्तिगि सुख संभव
19. HONESTY IS THE BEST BUSINESS POLICY- US
HONESTY IS THE BEST POLICY- EUROPE
Honesty is not a policy but a Principle.
धमश/नैतिक मूल्य िमारी नीति निीं मसद्धान्ि िै तयोंकक धमश
भारि का प्राण िै और िमारी संस्कृ ति का आधार धमश और
प्रकृ ति
20. MONEY
THE ULTIMATE GOAL IN
CAPITALISM/SOCIALISM
अथश
साधन, साध्य निीं
अथोपाजशन में धमशपालन अतनवायश
21. EAT DRINK AND BE MERRY
कामनाओं की िृश्ति
(धमश तनयश्न्त्रि)
22. SOCIETY- GROUP OF PEOPLE
SOCIAL CONTRACT THEORY
स्वयंभू समाज
समाज की एक चचति िै
समाज के भी र्रीर- मन- बुद्चध और आत्मा िैं
23. NATION- STATES
राष्ट्र- एक ध्येय, ववचार, आदर्श....एक भूमम ववर्ेर् के मलए
मािृभाव
राष्ट्र की चचति- जन्मजाि मूल प्रकृ ति- आत्मा
भारि- एक स्वयंभू राष्ट्र, राज्य उसकी एक संस्था
24. समाज की वणश-व्यवस्था
ववराट पुरुर् की कल्पना
बिुरंगी समरस समाज
राजा स्वयंभू निीं
राज्य का प्रतितनचध मात्र
धमश की पररचध में राज्य व्यवस्था का सञ्चालन
25. धमितनरपेिता का प्रश्न िी किााँ
भारत कभी THEOCRATIC STATE निीां रिा
भारत में SECULARISM तनरर्िक
भारत की धचतत के र्वपरीत
32. एकात्म मानववादी अथश-व्यवस्था
प्रत्येक व्यश्ति के न्यूनिम जीवन स्िर की आववश्स्ि व
राष्ट्र सुरक्षा सामर्थयश की व्यवस्था
उत्तरोत्तर समृद्चध- राष्ट्र व वववव की प्रगति में योगदान
प्रत्येक सवय व स्वस्थ को सामभप्राय काम
प्राकृ तिक संसाधनों का ममिव्ययिा से उपयोग
राष्ट्रानुकू ल प्रौद्योचगकी (Skill India, Make in India) का
ववकास
सांस्कृ तिक जीवन मूल्यों की रक्षा
ववमभन्न उद्योगों में राज्य, व्यश्ति िथा अन्य संस्थाओं
के स्वाममत्व के तनणशय का व्यविाररक आधार
ववकें द्रीकरण िथा स्वदेर्ी पर बल
33. अपने प्राचीन गौरव के प्रतत
अश्रद्धा भाव निीां
ककन्तु जड़ता त्याज्य
भारतीय सांस्कृ तत के शाश्वत मूल्यों
के सार् राष्रीयता- प्रजातन्त्र-
समता और र्वश्व एकता के आदशों
का समन्वय
सांस्कृ तत का मात्र सांरिण निीां
अर्पतु उसे गतत देकर सजीव
बनाना
34. ववराट जाग्रि करें
ववराट- राष्ट्रधारणा की र्श्ति
ववराट जागरण से ववववधिा बाधक निीं र्श्ति
बनिी िै, संघर्श के स्थान पर सद्भाव और
एकात्मिा िोगी
भारि परम वैभव को प्राति करेगा
35. भारि मािा की जय
डॉ. जय प्रकार् गुति,
अम्प्बाला (भारि)
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