5. सुनंदा पटनायक क
े बारे में जानकारी
सुनंदा पटनायक (7 नवंबर 1934 - 19 िनवरी 2020) ओजडशा क
े ग्वाजलयर घराने की एक भारतीय
शास्त्रीय गाजयका थीं। लोकजप्रय रूप से "गुरुमा" क
े रूप में िाना िाता ै, उन्हें ज ंदुस्तानी संगीत क
े
भव्य नामों में से एक माना िाता था। व ओजडया कजव बैक
ुं ठनाथ पटनायक की बेटी थीं। उन्होंने 1948
में 14 साल की उम्र में कटक में ऑल इंजडया रेजडयो में गाना शुरू जकया था। ओजडशा क
े तत्कालीन
गवननर आसफ अली ने एक बार उन्हें रेजडयो पर सुना था और उनक
े गायन से बहुत प्रभाजवत हुए थे और
िब भी राज्यपाल ने मे मानों से मुलाकात की, तो रािभवन में उनका जनयजमत आना-िाना ो गया। ।
एक बार, राष्ट्र पजत रािेंद्र प्रसाद ने पुरी में उनकी बात सुनी। वे उनक
े गायन से बहुत प्रभाजवत हुए और
पंजडत जवनायक राव पट्टवर्नन क
े साथ पुिे में एक छात्रवृजि क
े साथ उनक
े प्रजशक्षि की व्यवस्था की।
उन्हें 1956 में पुिे स्क
ू ल द्वारा संगीत में परास्नातक की उपाजर् से सम्माजनत जकया गया। उन्होंने जसतंबर
1957 में कलकिा में अखिल भारतीय सदरंग संगीत सम्मेलन में प्रस्तुजत दी, ि ााँ उन्हें 13 सोने क
े
जसक्क
े जमले। तब से उसने भारत में कई संगीत कायनक्रम जकए और अंतरराष्ट्र ीय स्तर पर िानी गई। व
अपने तराना क
े जलए सबसे ज्यादा िानी िाती थीं, जिसे उन्होंने उच्च गजत से गाया था और उन्हें ओजडसी
संगीत क
े सवनश्रेष्ठ समकालीन व्याख्याकारों में से एक माना िाता था। व 1983 से कोलकाता में र र ी
थी।
7. वसक
ं दर आलम क
े बारे में जानकारी
जसक
ं दर आलम (२ 19 िुलाई १९३९ -) अगस्त २०१०) ओजडशा जफल्म उद्योग ( ॉलीवुड क
े रूप
में िाना िाता ै) में एक पार्श्न गायक थे। उन्हें कभी-कभी आर्ुजनक ओजडशा का सालबेगा क ा
िाता ै। मनोरंिन उद्योग में उनका प ला काम 1957 में ऑल इंजडया रेजडयो क
े साथ था।
ज़िल्मों में उनकी शुरुआत ज़िल्म लक्ष्मी (1964) में हुई थी, जिसका जनदेशन बालक
ृ ष्ण दाश ने
जकया था। उन्होंने 50 ओजडया जफल्मों में गाने गाए, जिनमें अमादा बाटा, अदीना मेघा, मजिका
िोडी, ममता, सूयनमुिी और पूिा शाजमल ैं, और 2,000 से अजर्क गाने ररकॉडन जकए, इस
शोभायात्रा को "आर्ुजनक मनीषा का सालबेगा" अजिनत जकया। उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी क
े
साथ अला क
े हुजूर नामक एक संगीत एल्बम बनाया।उन्होंने भारत और अंतरराष्ट्र ीय स्तर पर
प्रदशनन जकया था। उन्हें बीबीसी लंदन पर सुनाई िाने वाली प ली ओजडया गाजयका क
े रूप में
िाना िाता ै।8 अगस्त 2010 को, भुवनेर्श्र क
े एक श र क
े नजसिंग ोम में 71 वषन की आयु में
उनका जनर्न ो गया। उनकी मृत्यु क
े कारि अस्पताल में भती कराया गया था
8. प्रफ
ु ल्ल कार
“संगीत की एक ऐसी कला ैं िो आपक
े ऊपर प्र ार करता ै,
आपको ददन न ीं ोता।”
9. प्रफ
ु ल्ल कार क
े बारे में जानकारी
प्रफ
ु ल्ल कर (िन्म 16 फरवरी 1939) एक उजडया संगीतकार, गायक, गीतकार,
लेिक और स्तंभकार ैं। उन्हें कला क
े क्षेत्र में उनक
े योगदान क
े जलए 2015 में
भारत सरकार द्वारा चौथा सवोच्च नागररक सम्मान पद्म श्री प्राप्त हुआ था।
उनक
े जपता बैद्यनाथ कर और माता सुशीला कर ैं। उनक
े बडे जपता िेत मो न
कर एक प्रजसद्ध तबला वादक थे। उन्होंने अपने जपता क
े जपता भागबन जमश्रा और
दादी मााँ अपन्ना देवी का पालन-पोषि जकया और उनका पालन-पोषि जकया,
क्योंजक उन्होंने कम उम्र में ी अपने जपता को िो जदया था।प्रफ
ु ल्ल कर ने संगीत
जनदेशक क
े रूप में और अक्सर 70 उजडया जफल्म्स (जवमोजचत और अप्रकाजशत)
क
े साथ-साथ 4 बंगला जफल्मों में भी काम जकया ै।
11. नम्रता मोहंती क
े बारे में जानकारी
नम्रता मो ंती भारत क
े ओजडशा क
े कटक में खस्थत एक ओजडया गायक ैं। व 1983 से
ऑल इंजडया रेजडयो, कटक की एक उच्च श्रेिी की गाजयका ैं। व ब्रह्मपुर जवर्श्जवद्यालय से
जवज्ञान स्नातक ैं। व मास्टसन से गुिर र ी थी, लेजकन बीमारी क
े कारि बंद ो गई
2014 में, उसने एक साथ दो और एकल एल्बम िारी जकए, जिसका नाम था 'छु टी' और
'जननाद'। 'छु टी ’गीतकार जबिय मल्ल द्वारा जलखित और ओम प्रकाश मो ंती द्वारा जलखित
बार आर्ुजनक पेप्पी उजडया गीतों का एक संग्र था। ‘जननाद’ तुलसीदास, सूरदास, मीरा
बाई, कबीर और लजलत जकशोरी िैसे संत-कजवयों द्वारा जलिे गए आठ पारंपररक ज ंदी
भिनों का संग्र ै। अनुभवी संगीतकार ए। म ेर्श्र राव ने संगीत तैयार जकया ै। दोनों
एल्बम पारंपररक भिन और साथ ी आर्ुजनक गाने गाते हुए उनकी बहुमुिी प्रजतभा को
दशानते ैं। िबजक उनका ज ंदी भखि एल्बम ad जननाद ’पूरे देश में एक व्यापक दशनक वगन
तक पहुंचा, uti छु टी’ ने ओजडशा की युवा पीढी से अपील की।
13. रघुनाथ पाविग्राही क
े बारे में जानकारी
• पंजडत रघुनाथ पाजिग्र ी (10 अगस्त 1932 - 25 अगस्त 2013) एक ओजडसी संगीत
गुरु, गायक, संगीतकार और संगीत जनदेशक थे। गीता क
े एक प्रजसद्ध गायक गोजवंदा।
उन्होंने तेलुगु और ियभेरी िैसी लोकजप्रय तेलुगु जफल्मों में भी गाया। उन्होंने अपनी पत्नी,
संिुिा पाजिग्र ी, एक म ान ओजडसी कलाकार और संगीतकार को मुिर समथनन
प्रदान करने क
े जलए चेन्नई में जफल्म संगीत में एक आशािनक क
ै ररयर छोड जदया।
उन्होंने क
ु छ ओजडया और कन्नड जफल्मों क
े जलए भी गाया। उन्होंने ियदेव और भगवान
िगन्नाथ क
े िीवन और कायों को बढावा देने, प्रचाररत और लोकजप्रय बनाने में आिीवन
योगदान जदया।संिुिा-रघुनाथ 1960 से 1990 तक कई वषों तक िेले।1997 में
संिुिा की मृत्यु क
े बाद, व नृत्यग्राम से िुडे और उनकी कई प्रस्तुजतयों क
े जलए संगीत
जदया। उन्होंने ओजडशा नृत्य क
े कारि को बढावा देने क
े जलए 1999 में 'संिुिा
पाजिग्र ी मेमोररयल टरस्ट' का गठन जकया। 2001 क
े बाद से, र साल उनकी ियंती
पर, टरस्ट नवोजदत नतनजकयों को छात्रवृजि प्रदान कर र ा ै, और ओररसी नृत्य क
े क्षेत्र में
पुरस्कार प्रदान करता ै।