नदियाँ या नदी अपवाह तंत्र तथा बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाएं
भूगोल विषय का यह एक महत्त्वपूर्ण अध्याय है। इसकी प्रतियोगितात्मक महत्ता भी अधिक है। अतः विस्तार और गहराई से अध्ययन अपेक्षित है।
नदी या नदी अपवाह तंत्र की परिभाषा- वर्षा का जल जब धरातल में किसी न किसी रुप में बहने लगता है तो उसे “बाही जल” कहते हैं। यह बाही जल उच्च स्थलीय क्षेत्रों से निम्न स्थलीय क्षेत्रों की ओर ढाल के अनुरुप गुरुत्वाकर्षण के कारण बहने लगता है तो नदी कहलाता है। नदियों के विभिन्न क्रमों, अर्थात् मुख्य, सहायक, उप-सहायक, शाखाओं-प्रशाखाओं से युक्त तन्त्र को नदी अपवाह तन्त्र कहते हैं।
1. 1
नदिय ाँ य निी अपव ह तंत्र तथ बहुउद्देश्यीय निी घ टी परियोजन एं
भूगोल विषय का यह एक महत्त्िपूर्ण अध्याय है। इसकी प्रवियोवगिात्मक महत्ता भी
अविक है। अिः विस्िार और गहराई से अध्ययन अपेविि है।
निी य निी अपव ह तंत्र की परिभ ष - िषाण का जल जब िरािल में वकसी न वकसी
रुप में बहने लगिा है िो उसे “बाही जल” कहिे हैं। यह बाही जल उच्च स्थलीय िेत्रों से वनम्न
स्थलीय िेत्रों की ओर ढाल के अनुरुप गुरुत्िाकषणर् के कारर् बहने लगिा है िो नदी कहलािा
है। नवदयों के विवभन्न क्रमों, अथाणि् मुख्य, सहायक, उप-सहायक, शाखाओं-प्रशाखाओंसे युक्त
िन्त्र को नदी अपिाह िन्त्र कहिे हैं।
नवदयों की उत्पवत्त पठारी, पहाड़ी एिं पिणिीय िेत्रों में छोटी-छोटी अिनवलकाओंके रुप
में होिी है, वजसे भूगोल की भाषा में “गुली” कहिे हैं। नवदयों का उद्देश्य- चरम स्िर, अथाणि् बेस
लेबल को प्राप्त करना होिा है।
अपने उद्देश्य की प्रावप्त िक नवदयााँ अनिरि सवक्रय रहिी हैं और 3 कायण करिी हैं-
अपरदन यानी इरोज़नए पररिहन यानी ट्ांसपोटेशनए िथा वनिेप यानी विपोज़ीशन।
नवदयााँ िीन प्रकार की आकृवियों का वनमाणर् करिी हैं- (नं. 1) गाजण या कैवनयन, (नं. 2)
विषपण या गोखुर झील अथाणि् वमयाण्िर या ऑक्स.बो.लेक िथा (नं. 3) िेल्टा या एश्चुअरी।
अब हम विश्व की कुछ प्रमुख नवदयों के बारे में जानकारी प्राप्त करें-
1. नील निी- यह विश्व की सबसे लम्बी नदी है। इसकी लम्बाई 6670 वकलोमीटर है। यह
अफ्रीका महाद्वीप में प्रिावहि होिी है। इसका उद्गम दो स्थानों से होिा है। एक शाखा इथोवपया
वस्थि अबीसीवनया के पठार से टाना झील के पास से उद्गवमि होिी है। इसे ब्लल्यू नील कहिे हैं।
दूसरी शाखा विक्टोररया झील से वनकलिी है। इसे व्हाइट नील कहिे हैं। विक्टोररया झील
अफ्रीका की सबसे बड़ी झील है। यह िंजावनया, केन्या और युगाण्िा की सीमा पर वस्थि है। ब्लल्यू
नील और व्हाइट नील उत्तर वदशा की ओर प्रिावहि होिी हुई सूिान की राजिानी खािूणम में
आकर परस्पर वमल जािी हैं और एकाकार होकर उत्तर वदशा की ओर नील नदी के नाम से
2. 2
प्रिावहि होिी हैं। नील नदी वमस्र के पररिेत्र में, पोटण सईद के पवश्चम की ओर भू.मध्य सागर में
विलीन होिी है।
उल्लेखनीय है वक (नं. 1) नील नदी का वमस्र की अथणव्यिस्था में महत्िपूर्ण योगदान है, इसवलए
इसे “वमस्र का िरदान” कहिे हैं। (नं. 2) 1951 मीटर लम्बा अस्िान बााँि इसी नदी पर वमस्र में
वनवमणि वकया गया है, वजसके ऊपरी घाटी में 111 मीटर ऊ
ाँ चा अस्िान उच्च बााँि वनवमणि वकया
गया है, जहााँ नावसर झील के जल को बााँिकर जल का उपयोग वसंचाई एिं ऊजाण उत्पादन के
वलए वकया जािा है। (नं. 3) नील नदी पोटण सईद के पवश्चम में भू-मध्य सागर में विलीन होिी है।
पोटण सईद “स्िेज नहर” के उत्तरी वसरे पर वस्थि वमस्र का बन्दरगाह है। (नं. 4) स्िेज नहर, जो वक
विश्व की व्यस्ििम् जहाजी नहर है, पोटण स्िेज और पोटण सईद को जोड़िी है। ये दोनों वमस्र के
बन्दरगाह हैं, वजनमें पोटण स्िेज लाल सागर के िट पर िथा पोटण सईद भू-मध्य सागर के िट पर
वस्थि है। (नं. 5) स्िेज एक स्थल सवन्ि यानी इस्थूमस थी, जो अफ्रीका महाद्वीप और एवशया
महाद्वीप को जोड़िी थी िथा भू-मध्य सागर और लाल सागर को पृथक करिी थी। यह स्थल
सवन्ि वमस्र के वसनाई प्रायद्वीप में वस्थि थी। इसे ही काटकर स्िेज नहर बनाई गयी है।
2. आमेजन निी- यह दविर् अमेररका महाद्वीप में प्रिावहि होिी है। यह विश्व की सबसे
बड़ीनदीमानीजािीहै।कारर् यहवकइसकी गहराई,चैड़ाई, अपिाहिेत्रऔरजल का आयिन
नील नदी से अविक है। इस पर िषाण का कावलक वििरर् सिणश्रेष्ठ है और इसीवलए जल-रावश
का आयिन अविक है। इसकी लम्बाई नील नदी से कम है। अथाणि् नील नदी की लम्बाई 6670
वकलोमीटर और आमेजन नदी की लम्बाई 6450 वकलोमीटर है।
आमेजन नदी पेरू के पठार पर वस्थि “ग्रेट फ्लि झील“ से वनकलिी है और ब्राजील के
पररिेत्र में अटलांवटक महासागर में विलीन होिी है। इस नदी का अपिाह िेत्र दविर् अमेररका
महाद्वीप के करीब 40 प्रविशि भू-भाग को आप्लाविि करिा है, वकन्िु मुख्य प्रिाह िेत्र ब्राजील
में है। अथाणि् इसके अपिाह िेत्र में ब्राजील के अलािां पेरू, इक्िािोर, बोलीवबया, िेनेजुएला,
सूरीनाम, गुयाना आवद देशों के भू-भाग आिे हैं।
3. 3
आमेजन बेवसन में अत्यन्ि सघन िषाण िन यानी रेनी फॉरेस्ट फैले हुए हैं, जो िरिी पर
आक्सीजन उत्पादन के सबसे समृद्ध िन हैं। इसीवलए आमेजन बेवसन को “पृथ्िी का फेफड़ा”
यानी ‘लंग्स ऑफ दी अथण’ कहिे हैं।
3. य ंग टी सीकय ंग य य ंग्त्सी निी- यह विश्व की िीसरे नम्बर की सबसे लम्बी नदी है।
यह चीन की प्रमुख नदी है। यह चीन ही नहीं, एवशया की सबसे लम्बी नदी है। इसकी लम्बाई
6300 वकलोमीटर है। यह जमणनी की राइन नदी के बाद विश्व की सिाणविक व्यस्ि नदी है। यह
विब्लबि के पठार से वनकलिी है और पूरब की ओर प्रिावहि होिी हुई पूिी चीन सागर में विलीन
होिी है। इस नदी ने अपनी बेवसन में लाल वमट्टी का वनिेप वकया है, वजससे इसकी बेवसन को
“रेि बेवसन” कहिे हैं। यह नदी चीन की अथणव्यिस्था में अहम योगदान देिी है। इस नदी के
वकनारे बहुि सारे इन्िवस्ट्यल नगर बसे हुए हैं, वजनके द्वारा उत्पावदि मटेररयल नौपररिहन के
माध्यम से सीिे इस नदी द्वारा शंघाई पोटण िक लाया जािा है, वजससे ट्ान्सपोटेशन खचण कम
आिा है। इस नदी के वकनारे बसे नगरों में ‘िुहान’. आयरन ऐण्ि स्टील, ‘नानवजंग’. टेक्सटाइल,
आयरन ऐण्ि स्टील, ‘चेंगदू’. आयल ऐण्ि गैस, ‘वसचुआन बेवसन’. राइस कल्टीिेशन के वलए
प्रवसद्ध हैं। इन शहरों से यांग वट वसक्यांग नदी द्वारा जलपररिहन के माध्यम से सीिे शंघाई पोटण
िक सामानों को पहुाँचाया जािा है। पररर्ामिः पररिहन खचण कम होिा है। चाइना ने विद्युि
उत्पादन के वलए ‘थ्री गॉजण िैम’ िथा यांग्त्सी और ह्ांग हो नदी को जोड़ने िाली ‘यून्हो’ नामक
कैनाल भी बनाया हुआ है।
4. दमसीदसपी-दमसौिी- इसका प्रिाह िेत्र उत्तरी अमेररका महाद्वीप के यू.एस.ए. में है। यह
विश्व की चैथी सबसे लम्बी नदी है। इसकी लम्बाई 6020 वकलोमीटर है। यह नदी भी नील की
भााँवि दो नवदयों का संयुक्त प्रिाह है। उनमें वमसौरी उत्तरी अमेररका के मोंटाना राज्य के दविर्ी
राकी पिणि से वनकलकर दविर् की िरफ प्रिावहि होिे हुए सेन्ट लुई शहर के पास वमसीवसपी
नदी के साथ संगम बनािी है। सेन्ट लुई नगर में िायुयान वनमाणर्, लौह स्पाि उद्योग एिं िेल
शोिक कारखानें हैं। जबवक वमसीवसपी कनािा-यू.एस.ए. के बािणर रीजन से वनकलकर दविर्
वदशा की ओर प्रिावहि होिे हुए, सेन्ट लुई नगर में वमसौरी के साथ संगम बनाने के बाद प्रिावहि
4. 4
होिे हुए न्यू आवलणयन्स बन्दरगाह के पास मेवक्सको की खाड़ी में िेल्टा बनाकर विलीन हो जािी
है।
अरकन्सास, यलो स्टोन, केन्टुकी, ओवहयो, टेनेसी आवद वमसीवसपी-वमसौरी की सहायक
नवदयााँ यानी वट्व्यूटरी हैं।
टेनेसी नदी पर ही विश्व की सिणप्रथम बहु-उद्देश्यीय नदी घाटी पररयोजना, 1943 में बनकर
िैयार हुई।